बुधवार, 27 दिसंबर 2023

राम लला के लिये

*ननिहाल से 3000 क्विंटल चावल ससुराल से उपहार के 1100 थाल जाने राम मंदिर में कहां से क्या-क्या आएगा* 1. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. इसके बाद भगवान को विशेष भोग लगाया जाएगा, जिसमें ननिहाल के चावल और ससुराल का मेवा शामिल होगा. 2. ननिहाल छत्तीसगढ़ से 3 हजार क्विंटल चावल अयोध्या आएगा. ये अब तक की सबसे बड़ी चावल की खेप होगी, जो अयोध्या पहुंचेगी. इसे छत्तीसगढ़ के जिलों से एकत्र किया गया है. 3. भगवान राम की ससुराल नेपाल के जनकपुर से वस्त्र, फल और मेवा 5 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगे. इसके अलावा उपहारों से सजे 1100 थाल भी होंगे. 4. नेपाल से आभूषण, बर्तन, कपड़े और मिठाइयों के अलावा भार भी आएगा, जिसमें 51 प्रकार की मिठाइयां, दही, मक्खन और चांदी के बर्तन शामिल होंगे. 5. उत्तर प्रदेश के एटा जिले से रामलला के दरबार में अष्टधातु का 21 किलो का घंटा पहुंचेगा. दावा किया जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा घंटा होगा, जिसकी लागत 25 लाख रुपये है. इसे बनाने में 400 कर्मचारी जुटे हुए हैं. 6. यूपी के एटा से अयोध्या पहुंच रहे घंटे की चौड़ाई 15 फुट और अंदर की चौड़ाई 5 फुट है. इसका वजन 2100 किलो है. इसे बनाने में एक साल का समय लगा है. 7. प्राण प्रतिष्ठा के लिए गुजरात के वडोदरा से 108 फीट लंबी अगरबत्ती अयोध्या भेजी जा रही है, जो बनकर तैयार है. इसे पंचगव्य और हवन सामग्री के साथ गाय के गोबर से बनाया गया है. इसका वजन 3500 किलो है. 8. वडोदरा से अयोध्या पहुंच रही इस अगरबत्ती की लागत पांच लाख से ऊपर है. इसे तैयार करने में 6 महीने का समय लगा है. 9. इस अगरबत्ती को वड़ोदरा से अयोध्या के लिए 110 फीट लंबे रथ में भेजा जाएगा. अगरबत्ती बनाने वाले विहा भरवाड़ ने बताया कि एक बार इसे जलाने पर ये डेढ़ महीने तक लगातार जलती रह सकती है. 10. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान की चरण पादुकाएं भी वहां पर रखी जाएंगी. फिलहाल, ये पादुकाएं देशभर में घुमाई जा रही हैं. पादुकाएं 19 जनवरी को अयोध्या पहुंचेंगी. इन्हें हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने तैयार किया है. 11. श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने इन श्रीराम पादुकाओं के साथ अयोध्या की 41 दिनों की परिक्रमा की थी. इसके बाद इन पादुकाओं को रामेश्वरम से बद्रीनाथ तक सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाया जा रहा है और विशेष पूजा की जा रही है. *🚩 जय श्री सीताराम जी की🚩🚩*

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

गठबंधन

INDIA- न नीति, न नेता देश मे मोदीराज का बोलबाला हो रहा है लेकिन विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA हर बात में मोदी हटाओ हमें लाओ की जुगत में लगा रहता है। हाल ही में तीन राज्यों में बुरी तरह पिछड़ने के बाद भी गठबंधन के नेतागण मोदीराज को भला- बुरा ही कहते रहते हैं। INDIA नामक गठबंधन की मीटिंग में 2024 के लोकसभा के चुनावों पर गहन मंथन हुआ की कैसे अगला चुनाव जीता जा सके। किसी ने कहा कि पहले गठबंधन का संयोजक चुना जाये। किसी ने कहा की प्रधानमंत्री के चेहरे का चुनाव कर लिया जाये। देश के विकास की बात किसी ने कही। गठबंधन की क्या नीतियां होंगी इस पर कोई चर्चा न होनी थी न ही हुई। प्रधानमंत्री पद के चेहरे के लिये गठबंधन के कुछ घटकों ने खड़गे जी का नाम लिया। नाम लेते ही अन्य कुछ घटकों में मायूसी छा गई। शायद कांग्रेस में भी ऐसा ही हुआ हो क्योंकि कांग्रेस की पूरी जमात राहुल गांधी को अगला पीएम मानकर चुनावों में तैयारी कर रही है। खड़गे जी के नाम पर तो कांग्रेस ही तैयार नहीं होगी तो अन्य की तो राम जाने। गठबंधन के संयोजक पर कोई खास चर्चा न हुई न होनी थी। ऐसे में गठबंधन का दूल्हा बनें नीतीश कुमार का हाल ऐसा बन पड़ा था की मानो उनपर किसी ने घड़ो पानी डाल दिया हो। उनका नाम न पीएम चेहरे में न ही संयोजक के लिये उनका नाम लेने वाला कोई नहीं था गठबंधन की पूरी जमात में जबकि नीतीश कुमार अपने बिहार में भावी प्रधानमंत्री के बोर्ड लगवाकर खुद को पीएम से कम नहीं मान रहे थे गठबंधन की मीटिंग में। दरअसल देश के पिछले कई दशकों में चुनावों से पहले कई गठबंधनों को झेल चुका है। जनता समझ चुकी है कि राज्योवार एक दूसरे के विरोध में लड़ रहे दल एक मंच पर कैसे मिल सकते है। पिछले दिनो अखिलेश यादव ने कांग्रेस के विषय मे यहाँ तक कह दिया था की कांग्रेस बहुत चालू पार्टी है। गठबंधन में सभी मजबूत क्षेत्रीय दल अपने क्षेत्र की सीटों में से दूसरे को देना ही नहीं चाहते। दूसरी बात यह है की इस गठबंधन के पास न तो सर्वमान्य नेता है और न ही नीतियाँ हैं। ऐसे में गठबंधन का भविष्य अंधकारमय ही लगता है। सुनील जैन राना

गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि कृत्रिम बुद्धिमता विश्व के कुछ देशों में AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बहुत जोरो शोरों से कार्य चल रहा है। भारत AI पर वैश्विक सेमिनार में देश के युवाओं ने बढ़चढ़कर भाग लिया। सेमिनार को मोदीजी ने सम्बोधित करते हुए इसके फायदे व नुकसान के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। मोदीजी ने 28 देशों के प्रतिनिधियों से भी AI पर साझा घोषणापत्र जारी करने की बात कही। जिस प्रकार साइंस इस ए गुड सर्वेन्ट बट के बैड मास्टर की कहावत प्रचलित हुई थी ठीक उसी प्रकार AI आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि कृतिम बुद्धिमता भी कई कार्यों में बहुत बेहतर कार्य कर सकती है वहीं दूसरी और इसका बहुत दुरुपयोग भी हो सकता है। डिपफेक फोटो या वीडियो यानि फर्जी फोटो या वीडियो इसका एक हानिकारक उपयोग साबित हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वरदान भी बन सकता है और अभिशाप भी बन सकता है। इसी वजह से AI पर बहुत प्रभावी ढंग से कार्य करने की जरूरत है। यदि इसका दुरुपयोग हुआ तो यह दुनिया के लिये घातक साबित होगा। भारत के इंजीनियर, वैज्ञानिक इस पर दो सालों से कार्य कर रहे हैं। इसके लिये बहुत विश्वसनीय तरीके से कार्य चल रहा है। भारत जीपीएआई के तहत 28 देशों का अध्यक्ष बन गया है। वैश्विक सेमिनार में मोदीजी ने कहा की हम भारत मे 20 हज़ार AI इंजीनियर तैयार करना चाहते हैं। AI कृषि, चिकित्सा आदि के क्षेत्र में ला सकता है। हम सभी को बहुत सावधानी से AI के उपयोग में सावधानी बरतने की जरूरत है सुनील जैन राना

कभी देश का बीमारू राज्य था उड़ीसा

🙏 *An interesting observation if true:-* President of India :- *Odisha* Education Minister :- *Odisha* Skill development -. *Odisha* Enterpreneurship - *Odisha* Railway Minister :-. *Odisha* Communication. -. *Odisha* IT Ministry -. *Odisha* Electronics - *Odisha* Tribal Affairs - *Odisha* Jal Shakti ministry - *Odisha* RBI Governor :- *Odisha* CAG of India :-. *Odisha* NCB Chief :- *Odisha* IMD chief :-. *Odisha* IOCL , Director :- *Odisha* NDRF chief - *Odisha* The Principal Secy in PMO is also from *Odisha* , Pramod Mishra ji... The most powerful post in India....!! They are only 3.3 % of the population and don't have any political clout ..have a non BJP Govt in the state....!!! However it seems that merit, honesty, hardwork, sincerity and efficiency etc gets rewarded in India...!!! ... and people say that *Gujaratis are ruling the country...,.!!!* ```very interesting msg. 🙏```

सद्कर्म ही साथ जाते हैं

🍁🍁🍀🍀🕉️🙏🕉️💧💧🌹🌹 *सुप्रभातवंदन* 🍁💧🌸🌻🕉🙏🕉🌻🌸💧🍁 *ॐ श्री गणेशाय नमः ॐ* *ॐ श्री विष्णु देवाय नमः ॐ* *ॐ नमः शिवाय ॐ* *ॐ हीं क्लिं महा लक्ष्मये नमः ॐ* *मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं...* *1. कामना -* यदि मृत्यु के समय हमारे मन मे किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई आसक्ति शेष रह जाती है ।कोई इक्षा अधूरी रह जाती है।कोई अपूर्ण कामना रह जाती है।तो म रणोपरांत भी वही कामना उस जीवात्मा के साथ जाती है। *2. वासना -* वासना कामना की ही साथी है। वासना का अर्थ केवल शारिरिक भोग से नही अपितु इस संसार मे भोगे हुए हर उस सुख से है ।जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो ,पैसा हो ,गाड़ी हो, रूतबा हो या शौर्य। मृत्यु के बाद भी ये अधूरी वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं।और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है। *3. कर्म -* मृत्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है ! मरणोपरांत जीवात्मा अपने द्वारा किये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है। *4. कर्ज़ -* यदि मनुष्य ने हमने -आपने जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो।तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए। ताकि मरणोपरांत इसलोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जाना पड़े। *5. पूण्य -* हमारे द्वारा किये गए दान-दक्षिणा व परमार्थ के कार्य ही हमारे पुण्यों की पूंजी होती है। इसलिए हमें समय-समय पर अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा एवं परमार्थ और परोपकार आवश्य करते रहना चाहिए। साभार

शनिवार, 9 दिसंबर 2023

पीएम कैसे- कैसे ?

एक *धनी* प्रधानमंत्री बन सकता है ये *नेहरू* ने साबित किया। एक *गरीब* प्रधानमंत्री बन सकता है ये *शास्त्री जी* ने साबित किया.। एक *बुजुर्ग* प्रधानमंत्री बन सकता है ये *मोरारजी* ने साबित किया। एक *युवा* प्रधानमंत्री बन सकता है ये *राजीव गांधी* ने साबित किया। एक *औरत* प्रधानमंत्री बन सकती है ये *इंदिरा गांधी* ने साबित किया। एक *किसान* प्रधानमंत्री बन सकता है *चौ. चरण सिंह* ने साबित किया। एक *राजघराने* का व्यक्ति प्रधानमंत्री हो सकता है ये *वी.पी. सिंह* ने साबित किया। एक *शिक्षित एवं बहुआयामी* व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है ये *पी.वी.नरसिंहा राव* ने साबित किया। एक *कवि* प्रधानमन्त्री बन सकता है ये *अटल बिहारी बाजपेयी* ने साबित किया। *कोई भी* प्रधानमंत्री बन सकता है ये *एच.डी.देवगौडा* ने साबित किया। एक प्रधानमंत्री की *आवश्यकता* ही नहीं है ये *डा. मनमोहन सिंह* ने साबित किया। देश पर *बिना प्रधान मंत्री* बने भी शासन किया जा सकता है ये *सोनिया गांधी* ने साबित किया। परन्तु एक *चाय* बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है और *इन सबसे बेहतर कार्य कर सकता है* तथा *भारत माता का परचम पूरी दुनिया में लहरा सकता है* ये *नरेन्द्र मोदी जी* ने साबित किया। सारी *कायनात* लगी है एक शख्स को *झुकाने* में... भगवान भी *सोचता* होगा, जाने किस *मिटटी* का इस्तेमाल किया मैंने *"मोदी"* को बनाने में!! JARA SOCHO... . जो व्यक्ति *PM बनने से पहले* यदि अमरीका को *झुका* सकता है, भूखे नंगे देश *पाकिस्तान* में *हडकंप* मचा सकता है, चीन जैसे *गद्दार* देश के अखबारों की *सुर्खियों* में आ सकता है तो भाई वह *भारत* को *विश्व गुरु* बना सकता है यह बात *पक्की* है! *" देश की जरुरत है मोदी "!*

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

पीएम अन्न योजना

मुफ़्त अनाज़ वितरण कब तक? प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना एक बार फिर पुनः 5 साल ले लिये बढ़ा दी गई है। इस योजना में 80 करोड़ गरीब अंत्योदय परिवारों को प्रतिमाह 35 किलो अनाज़ मुफ्त में दिया जाता है। जबकि अन्य गरीबों को प्रति व्यक्ति 5 किलो प्रतिमाह अनाज़ दिया जाता है। इस योजना पर 11.80 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस योजना पर सवाल यह उठता है की क्या वास्तव में देश मे 80 करोड़ ऐसे गरीब परिवार हैं जिन्हें मुफ्त के अनाज़ की जरूरत है? क्या इस योजना का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है? जनहित में क्या यह सही योजना है? विपक्ष आरोप लगाता है कि सरकार द्वारा जनता को मुफ्त राशन देकर निठल्ला बनाया जा रहा है। कोरोना काल मे जब काम धंधे बन्द थे, रोजगार नहीं था तब सरकार द्वारा यह योजना शुरू की गई थी। लेकिन अब इसकी इतनी जरूरत नहीं है। जनहित में इतनी भारी भरकम योजना से ज्यादा लाभकारी यह होगा की मध्यम वर्ग को गैस, तेल, बिजलीं के दामो में कटौती कर सहयोग किया जाये। महंगाई में पिसने वाले मध्यम वर्ग के लिये भी कुछ योजनाएं बननी चाहिए। गैस का सिलेंडर 500 रुपये में दिया जाये। डीजल- पेट्रोल के दामों में कमी की जाये। बिजलीं के दामों में कमी की जाये। इतना सब करने से सरकार की वाहवाही भी होगी एवं आमजन को राहत भी मिलेगी। इन सबका खर्च भी मुफ्त अनाज योजना से बहुत कम होगा। मुफ्त अनाज़ सिर्फ जरूरतमंद गरीब तक ही सीमित रखा जाना चाहिये। सरकार एवं विभिन्न राजनैतिक दल चुनावों के समय जैसे सभी के लिये मुफ़्त में कुछ देने की घोषणा करते हैं, यदि सरकार मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर सिर्फ गैस, तेल, बिजलीं रियायती दरों पर उपलब्ध कराये तो ऐसी सरकार को चुनावों में कोई हरा भी न पाये। सुनील जैन राना

रविवार, 26 नवंबर 2023

शारीरिक अंग

*_हाथ की 5 उंगलियाँ और उससे जुड़े शारीरिक अंग_* *हमारे हाथ की पांचों उंगलियाँ शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है | इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है |* *हमारे हाथ की अलग- अलग उंगलियाँ अलग- अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शायद आप को पता न हो, हमारे हाथ की उंगलिया चिंता, डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा।* *1. अंगूठा* 👍🏼 *– The Thumb* *हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा |* *2. तर्जनी* 👆🏽 *– The Index Finger* *ये उंगली आंतों gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गायब हो जायेगा।* *3. बीच की उंगली* 🖕🏼 *– The Middle Finger* *ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है | अगर आप को चक्कर या आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी |* *4. तीसरी उंगली* 🖖🏽 *The Ring Finger* *ये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती है | अगर किसी कारण आपकी मनोदशा अच्छी नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करे और खिचे, आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त हो जयेगे, आप का मूड खिल उठेगा।* *5. छोटी उंगली* 🤙🏽 *The Little Finger* *छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है | अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे, आप का सिर दर्द गायब हो जायेगा | इसे मसाज करने से किडनी भी तंदुरुस्त रहती है |* साभार

शनिवार, 25 नवंबर 2023

घायल नोट

बैंक क्यों नहीं लेते कटे- फटे नोट देश मे चल रहे कागज के नोटों की स्तिथी ठीक नहीं है। नये नोट भी चलन के थोड़े दिन बाद ही मैले- कुचैले से हो जाते हैं। समझ में नहीं आता की भारतीय करेंसी इतनी जल्दी खराब क्यों हो जाती है। हर कोई अपने पास नये से नोट रखकर पुराने आगे चला देता है। इनमें से बहुत से नोट कट- फट जाते है जो आपस के लेन देन में भी चलने मुश्किल हो जाते हैं। ऐसे नोटों का क्या करें? बैंक भी कटे-फ़टे नोट क्यों नहीं लेते जबकि RBI के निर्देश हैं की ग्राहक से सभी प्रकार के नोट बैंक को मान्य होंगे। बैंक वाले तो पूरी 100 की गड्डी में से भी कुछ फ़टे नोट हो तो निकाल कर ग्राहक को दे देते हैं उसके बदले दूसरे साफ नोट लेते हैं। बैंक के द्वारा ऐसा करना बहुत गलत है। बैंक को तो ग्राहक से सभी प्रकार के नोट ले लेने चाहिये। कटे-फटे नोट कमीशन पर यानी बट्टे पर चल जाते हैं। लगभग 10% कमीशन या बट्टा लगाकर कमीशन एजेंट नोट बदलकर दे देते हैं। यानी 1000 रुपये के कटे-फटे नोट के बदले 900 रुपये मिलते हैं। नोट ज्यादा घायल होने पर उसके बदले और भी कम दाम मिलते हैं। लेकिन सभी प्रकार के घायल नोट बदले जाते हैं। अब सवाल यह है की कमीशन एजेंट घायल नोट लेकर क्या करते हैं? सूत्रों से पता चलता है की इन कमीशन एजेंटों की कुछ बैंक वालो से मिलीभगत होती है। जिसके फलस्वरूप ये लोग बैंक में घायल नोट देकर और कुछ कमीशन देकर अपने नोट बदलवा लेते हैं। मतलब कुछ ऐसा हुआ की इन्होंने ग्राहक से 10% कमीशन लिया और उसमें से 2-3% बैंकवालो को देकर कटे-फटे नोटों को बदलवा लिया। ऐसा होना सरासर RBI के निर्देशों का हनन है। लेकिन किसी का कुछ बाल भी बांका नहीं हो रहा है। हर शहर के बाजारों में कटे-फटे नोट बदलने वाले बैठे दिखाई दे जाएंगे। कोई संदेह की बात नहीं की ये लोग घायल नोट ग्राहक से लेकर बैंक में न देते होंगे। ऐसे ही नये नोटों की गड्डी बाजार से कुछ ज्यादा मूल्य पर आसानी से मिल जाती है लेकिन बैंक वाले नहीं देते। RBI को इन बातों को संज्ञान में लेकर सख्ती से जनहित में निर्देश जारी करना ही चाहिये। सुनील जैन राना

शनिवार, 18 नवंबर 2023

सहारा चले गए बेसहारा

'सहारा श्री की अंतिम क्रिया में नहीं शामिल हुए उनके दोनों लौंडे । पत्नी भी नहीं आईं ।' यह सिर्फ खबर भर नहीं है । यह आईना है जीवन का जिसमें हमें और आपको अपनी छवि गौर से देखनी चाहिए । #सुब्रतरॉय अर्थात् सहारा श्री आज पंचतत्व में विलीन हो गया । उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी । उनके अंतिम क्रिया के वक्त उनके शुभचिंतक नजर आये । अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के वक्त नहीं दिखे तो वे थीं उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे । उनकी मौत के वक्त भी उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था...। पत्नी और बेटे तक नहीं । #यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी । चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया , मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल,‌ भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह वगैरह... ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे... ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे । ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा ! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था...! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया...! तो, यही सच्चाई है जीवन की । जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं... जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं... जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं... जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं... जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते... वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते ! #कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक 'अपने' हैं...? #अंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि "मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे..." आज मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं - "हम सब कब रूकेंगे...?"☺️✍🏼 सिंह मानवेन्द्र

शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

नया भारत

बदलाव दिखाई नहीं देता विपक्ष को एक दशक में देश मे अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। लेकिन विडम्बना यह है की सत्ता से बाहर बैठे नेतागण सिर्फ आलोचना में ही लगे रहते हैं। याद करिये जब कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी होती थी और सेना कुछ नहीं कर पाती थी। देश मे आतंकी घटनाएं होती रहती थी। जगह-जगह यही एलान होता रहता था की किसी लावारिस वस्तु को न छुएं, सीट के नीचे बम हो सकता है। सेना के पास लड़ने को हथियार नहीं होते थे, यहांतक की बुलेटप्रूफ जैकेट तक नहीं होती थी। जब देश मे 40 करोड़ रुपयों के लिये देश का सोना गिरवी रख दिया जाता था। ये सब बातें भुलाने वाली नहीं हैं। मोदीजी के एक दशक में देश मे बहुत बदलाव आयें हैं। नोटबन्दी कर पाकिस्तान को भिखारी बना दिया। कश्मीर से धारा 370 हटा दी, तीन तलाक खत्म किये। देश मे गड़करी जी ने सड़को का जाल बिछा दिया। घर-घर शौचालय बनें, हर घर नल से जल योजना चल रही है। रेलवे का आधुनिकीकरण हो रहा है। नये-नये अस्पताल बन रहे हैं। 75 से अधिक नये एयरपोर्ट बनाये गये हैं। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। यह सब बातें आसान नहीं हैं। भव्य राम मंदिर बन रहा है। नया संसद भवन बन गया है। वार मैमोरियल, कर्तव्यपथ, स्टूचु ऑफ यूनिटी आदि अनेक भारत का गौरव बताने वाली चीजें बनाई गई हैं। जो देश को गौरान्वित करती हैं। मेक इन इंडिया के तहत अब देश मे उद्योगों को बढ़ावा मिला है। जो हथियार पहले विदेशों से मंगाए जाते थे अब उनमें से काफी देश मे ही बनने शुरू हो गये हैं। यही नहीं भारत देश से हथियार विदर्शो को निर्यात किये जा रहे हैं। यह सब होना सरल बात नहीं है। कोरोना काल मे देश मे ही वैक्सीन विकसित कर देशवासियों को मुफ़्त में लगाना साथ ही विदेशों को भी वैक्सीन भेजना बहुत बड़ी बात है। अब तक 100 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है जिसकी कीमत 8 खरब रुपये से ज्यादा होती है। देश की जनता को इन सब बातों के बारे में सोचना चाहिये। सिर्फ नेताओं के बहकावे में आकर अपने वोट को व्यर्थ नहीं करना चाहिये। विपक्ष बेरोजगारी का रोना रोता है तो देश मे बढ़ती जनसंख्या के कारण सबको नॉकरी न पहले कभी मिली थी न ही आगे कभी मिल सकती है। लेकिन कोई खाली बैठा भी दिखाई नहीं देता, सभी काम मे लगे हैं। महंगाई बढ़ी है तो आमदनी भी बढ़ी है। आज छोटी नॉकरी वाला भी बाईक से आता जाता है। विश्व मे भारत की जय जयकार हो रही है। बड़े-बड़े देश के नेता मोदीजी को अपना नेता मान रहे हैं। यह सब एक आदर्शवादी नेता, दूरदृष्टि वाले नेता, सबका भला चाहने वाले नेता मोदीजी का ही ओरा है, यह नया भारत है। सुनील जैन राना

शनिवार, 11 नवंबर 2023

जी का जंजाल पराली

पराली से उद्योग स्थापित हों जी का जंजाल बनी पराली से निपटने के लिये सरकार को ही पहल करनी चाहिये। पराली बहुत प्रकार से काम मे लाई जा सकती है। पराली ईंधन का विकल्प बन सकती है। पराली से डिस्पोजेबल क्रॉकरी आदि कई वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है। दिल्ली एनसीआर आदि क्षेत्रों में पराली के धुँए से वायु प्रदूषण लोगों के से खिलवाड़ कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है की पराली के धुँए से वायु प्रदूषण के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण पराली जलाने वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा आदि को फटकार लगाई है एवं शीघ्र ही पराली न जलाने की चेतावनी दी है। वास्तव में पराली जलाने से उठने वाला धुंआ बड़ी तादाद में कहीं से कहीं पहुंच रहा है। जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। पिछले एक दशक में पराली के धुँए से जीवन अस्तव्यस्त हो रहा है। हर साल किसानों को पराली न जलाने की चेतावनी के बावजूद पराली जलाना बन्द नहीं हो पाया है। सरकार को पराली की समस्या को देखते हुए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिये। पराली से आमदनी भी हो सकती है। पराली से कुछ वस्तुएं भी बनाई जा सकती है। सररकर को सबसे पहले हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में रूई की तरह पराली के गठ्ठर बनाने की मशीनें किसानों को उपलब्ध करानी चाहिए। ऐसा करने से किसानों की आमदनी होगी एवं गठ्ठर बनी पराली ईंधन के काम आ सकती है। पराली से अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिये एवं इसे उद्योग की भांति विकसित करना चाहिये। इसके लिए मशीनें आदि उपलब्ध कराकर सब्सिडी देकर इसे बढ़ावा देना चाहिये। मोदीजी कहते हैं की आपदा में भी अवसर तलाशना चाहिये। पराली को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण भी आपदा से कम नहीं है। अतः इससे निपटने के लिये पराली को ही एक उद्योग मानकर इसे आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है। सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

गठबंधन में तकरार

दूल्हा रह जायेगा बिन बारात पिछले एक दशक में विपक्षी एकता के नाम पर कई गठबंधन बन कर बिखर चुके हैं। अकेले चुनाव लड़ने में सिर्फ हार ही दिखाई देती है लेकिन मिलकर चुनाव लड़ने में तकरार हो जाती है। एक बार फिर से मोदीजी को हराने के लिये विपक्षी दलों के द्वारा I N D I A नामक गठबंधन बनाया गया है। इस इंडिया के बीच- बीच मे लड्डू भी है। इसके सूत्रधार बनें नीतीश कुमार। बहुत मेहनत कर नीतीश कुमार ने दो दर्जन से ज्यादा दलों के आकाओं को एक मंच पर लाने का कार्य किया है। लेकिन गठबंधन बनाकर मंच साझा करना अलग बात है, मुद्दों पर सहमति बनाना अलग बात है। मंच पर बड़े- बड़े बोल बोलकर मोदीजी को भला- बुरा कहकर अपनी टीस निकालना अलग बात है, दुसरो के लिये अपनी सीटे छोड़ना अलग बात है। अभी 5 राज्यों में चुनाव हैं जिसमें कोई भी राजनीतिक दल अपनी सीटे कम करना नहीं चाहता। साझा रैली, साझा बयान, साझा हमला, अब सब साझी बातें हवा हवाई हो रही हैं। कोई भी दल अपने क्षेत्र में अपने प्रभाव की सीटों को छोड़ना तो दूर की बात बल्कि अपने साझे गठबंधन के विरुद ही अपना कैंडिडेट खड़ा करने में हिचक भी नहीं रहे हैं। कांग्रेस अपना राग अलाप रही है, केजरीवाल खुद से ही बहुत चतुर हैं, अखिलेश यादव यूपी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की कह रहे हैं। इस गठबंधन के सूत्रधार नीतीश बाबू को देखकर ऐसा लग रहा है की खुद दूल्हा बन वे जिसे- जिसे बारात में नोउतने चले थे उनमें से अधिकांश बाराती बारात में आना नहीं नहीं चाह रहे। इनमें से अधिकांश अपने राज्य, अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं तो वे सीटों के बंटवारे में किसी भी प्रकार का समझौता करना नहीं चाह रहे हैं। लगता है की इस गठबंधन से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सभी राज्यों में गठबंधन के सहयोगियों से सहयोग चाहती है, जबकि अन्य कोई भी दल कांग्रेस के साथ सीटों का सहयोग करना ही नहीं चाहता। दरअसल आपस मे अनेक दिलजलों के दिल सिर्फ जुमलेबाज़ी से कैसे मिल सकते हैं। कुल मिलाकर यह नया गठबंधन भी पिछले गठबंधनो की तरह विफल होता दिखाई दे रहा है। सुनील जैन राना

गुरुवार, 2 नवंबर 2023

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सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

गन्दगी ही गन्दगी

सामाजिक गन्दगी एवं राजनैतिक गन्दगी आज के भौतिक युग में इंसान की सोच में काफी बदलाव आ रहा है लेकिन आज भी अनेक बातों में सामाजिक गन्दी एवं राजनैतिक गन्दगी में कमीं नहीं आई है। देश मे स्वच्छ अभियान से सार्वजनिक गन्दगी में भी काफी कमीं आई है। गली- मोहल्लों में अब पहले जैसी गन्दगी कम ही दिखाई देती है। सामाजिक गन्दगी की बात करें तो आज भी अनेकों टीवी सीरियलों में घर- गृहस्ती में घोलने वाले सीरियल चल रहे हैं। एकता कपूर जैसी नारी ने अपने सीरियलों से भारतीय संस्कृति की धज्जियां उड़ा रखी हैं। अब तो वेब सीरीज़ उससे भी कहीं आगे बढ़कर गन्दगी परोस रही हैं। पता नहीं सेंसर बोर्ड को यह सब दिखाई क्यों नही दे रहा है? एक प्रकार की गन्दगी टीवी चैनलों पर परोसी जा रही है जो राजनैतिक स्तर पर नेताओ की मानसिकता उजागर कर रही है। टीवी चैनल वाले 4 दलों के 4 प्रवक्ताओं को बुलाकर किसी भी मुद्दे पर जो निम्न स्तर की डिबेट कराते हैं उससे समाज मे जहर ही घुल रहा है। सभी जानते हैं कि किसी भी दल का प्रवक्ता अपने नेता की तारीफ़ करेगा एवं बाकियों को लज्जामय जबाब देगा। वर्तमान में बीजेपी की सरकार है तो एक प्रवक्ता बीजेपी का तीन प्रवक्ता अन्य दल के चौथा एंकर तो घमासान होना लाज़मी ही है। जनहित में ऐसी डिबेट बन्द होनी चाहियें। सभी दलों की सोच में भिन्नताएं तो होती ही हैं। लेकिन यदि डिबेट में पक्ष और विपक्ष बैठा हो तब वार्तालाप का स्तर किस हद तक गिर रहा है यह जनता देख रही है। जनहित में भारतीय सामाजिक संस्कृति के विनाशक टीवी सीरियल एवं वेब सीरीज़ बन्द होनी चाहियें एवं समाचार चैनलों पर कई दलों के प्रवक्ताओं की डिबेट बन्द होनी चाहिये। किसी मुद्दे पर डिबेट ही करनी है तो उस मुद्दे से सम्बंधित बुद्धिजीवियों को बुलाना चाहिये। सुनील जैन राना

NDA/ INDIA

एनडीए बनाम I.N.D.I.A गठबंधन देश मे ज्यों- ज्यों चुनाव नज़दीक आ रहे हैं राजनैतिक स्तर पर सभी प्रकार के हथकंडे अपनाये का रहे हैं। मोदीजी के नेतृत्व में एनडीए के मुकाबले बाकी सभी दल महागठबंधन बना फिर उसे नया नाम I. N.D.I.A देकर मैदान में जुट गए हैं। सत्ता की खातिर सब एकत्र तो हो गए हैं लेकिन सबकी अपनी महत्वकांक्षा के कारण अभी से विवाद होने लगे हैं। विवाद होने लाज़मी भी है क्योंकि भले ही सब मोदीजी दोबारा पीएम न बन जायें इस चक्कर मे एकत्रित तो हो गए लेकिन इनमें से ज्यादातर दल क्षेत्रीय दल हैं। जहाँ उन दलों की अच्छी पकड़ है और अपने ही प्रभाव के कारण बाज़ी जीतने के काबिल हैं तो ऐसे में वे दल अपने क्षेत्र में अन्य दलों को ज्यादा सीटें नहीं देना चाहते हैं। ऐसा अनेक राज्यों में सम्भव है। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या सबसे बड़े दल कांग्रेस को ही आ रही होगी। कभी देश पर राज करने वाली कांग्रेस को आज ऐसे दलों के सामने झुकना पड़ा रहा है जो कांग्रेस के आगे कुछ भी प्रभाव नहीं रखते हैं। राजनीति के जानकार तो यहां तक कहते हैं की ऐसा लगता है लोकसभा के चुनावों में सीटों की बन्दरबाँट में कहीं ये दल सब मिलकर कांग्रेस को ही न निपटा दें। क्योंकि राज्यवार अनेक प्रभावी दल अपनी सीटों में कमी नहीं करना चाहेंगे। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण ही है की सत्ता की खातिर अनेक दिलजले दिल मिलाने को चले। जबकि अनेक दल अपने- अपने राज्यों में ही एक दूसरे से लड़ रहे हैं। सिर्फ मोदी विरोध को लेकर इन सब दलों ने देश में विकास को हाशिये पर रख दिया है। यह कोई नहीं सोच रहा की मोदी सरकार में कितना कार्य हुआ है। देश मे सड़को का जाल बिछा दिया है। पीने के पानी की उपलब्धता पहले से कई गुनी ज्यादा हुई है। बिजलीं पहले से कहीं ज्यादा मिल रही है। सेना के पास बुलेट प्रूफ जैकेट तक नहीं होती थी आज सेना का आधुनिकीकरण हो रहा है। हथियार देश मे बनने शुरू हो गए हैं। मेक इन इंडिया के तहत देश मे नये-नये उद्योग लग रहे हैं। विश्व स्तर पर भारत का नाम उचाईयों पर है। विपक्ष का यह कहना की गैस महंगी है तो याद रखना चाहिए कि 2014 में गैस सिलेंडर 1200 तक का हो गया था। उस पर भी कहा जाता था एक साल में 9 ही मिलेंगे। बेरोजगारी पर रोना रोया जाता है। तो आज़ादी के बाद से ही बेरोजगारी कम नही हुई। जिस हिसाब से पॉपुलेशन बढ़ रही है कोई भी सरकार सबको रोजगार नहीं दे सकती। महंगाई बढ़ी है तो आमदनी भी बढ़ी है। आज कोई खाली भी दिखाई नहीं देता। कम मजदूरी में कोई काम नहीं कर रहा। यह तो हमेशा से विपक्ष का रोना है उसमें चाहे कोई भी दल हों। सुनील जैन राना

अर्धनग्न कपड़े क्यों?

स्त्रियों के अर्धनग्न और छोटे कपडो़ में घूमने पर जो लोग या स्त्रियाँ ये कहते हैं कि कपड़े नहीं सोच बदलो उन लोगों से कुछ प्रश्न हैं !! आशा है आप जवाब देंगे 🙏 1)पहली बात - हम सोच क्यों बदलें?? सोच बदलने की नौबत आखिर आ ही क्यों रही है??? आपके अनुचित आचरण के कारण ??? और आपने लोगों की सोच का ठेका लिया है क्या?? 2) दूसरी बात - आप उन लड़कियों की सोच का आकलन क्यों नहीं करते?? कि उन्होंने क्या सोचकर ऐसे कपड़े पहने कि उसके स्तन पीठ जांघे इत्यादि सब दिखाई दे रहा है....इन कपड़ों के पीछे उसकी सोच क्या थी?? एक निर्लज्ज लड़की चाहती है की पूरा पुरुष समाज उसे देखे, वहीँ दूसरी तरफ एक सभ्य लड़की बिलकुल पसंद नहीं करेगी की कोई उसे इस तरह से देखे। 3)अगर सोच बदलना ही है तो क्यों न हर बात को लेकर बदली जाए??? आपको कोई अपनी बीच वाली ऊँगली का इशारा करे तो आप उसे गलत मत मानिए......सोच बदलिये..वैसे भी ऊँगली में तो कोई बुराई नहीं होती....आपको कोई गाली बके तो उसे गाली मत मानिए...उसे प्रेम सूचक शब्द समझिये..... ??? हत्या ,डकैती, चोरी, बलात्कार, आतंकवाद इत्यादि सबको लेकर सोच बदली जाये...सिर्फ नग्नता को लेकर ही क्यों? क्या ये सारे कार्य अभिव्यक्ति की आज़ादी की श्रेणी में ही आते हैं???? 4) कुछ लड़कियां कहती हैं कि हम क्या पहनेगे ये हम तय करेंगे....पुरुष नहीं..... जी बहुत अच्छी बात है.....आप ही तय करें....लेकिन हम पुरुष भी किन लड़कियों का सम्मान/मदद करेंगे ये भी हम तय करेंगे, स्त्रियां नहीं.... और "हम किसी का सम्मान नहीं करेंगे इसका अर्थ ये नहीं कि हम उसका अपमान करेंगे।" 5)फिर कुछ विवेकहीन लड़कियां कहती हैं कि हमें आज़ादी है अपनी ज़िन्दगी जीने की..... जी बिल्कुल आज़ादी है, ऐसी आज़ादी सबको मिले, व्यक्ति को चरस गंजा ड्रग्स ब्राउन शुगर लेने की आज़ादी हो, गाय भैंस का मांस खाने की आज़ादी हो, वैश्यालय खोलने की आज़ादी हो, पोर्न फ़िल्म बनाने की आज़ादी हो... हर तरफ से व्यक्ति को आज़ादी हो।???? 6) लड़कों को संस्कारो का पाठ पढ़ाने वाला कुंठित स्त्री समुदाय क्या इस बात का उत्तर देगा कि क्या भारतीय परम्परा में ये बात शोभा देती है की एक लड़की अपने भाई या पिता के आगे अपने निजी अंगो का प्रदर्शन बेशर्मी से करे ??? क्या ये लड़कियां पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से देखती हैं ??? जब ये खुद पुरुषों को भाई/पिता की नज़र से नहीं देखती तो फिर खुद किस अधिकार से ये कहती हैं कि "हमें माँ/बहन की नज़र से देखो"??? कौन सी माँ बहन अपने भाई बेटे के आगे नंगी होती हैं??? भारत में तो ऐसा कभी नहीं होता था.... सत्य यह है की अश्लीलता को किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं ठहराया जा सकता। ये कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों की तरफ ले जाने वाली एक नशे की दुकान है और इसका उत्पादन स्त्री समुदाय करता है। मष्तिष्क विज्ञान के अनुसार 4 तरह के नशों में एक नशा अश्लीलता(से....) भी है। आचार्य कौटिल्य ने चाणक्य सूत्र में वासना' को सबसे बड़ा नशा और बीमारी बताया है।। यदि यह नग्नता आधुनिकता का प्रतीक है तो फिर पूरा नग्न होकर स्त्रियां पूर्ण आधुनिकता का परिचय क्यों नहीं देती???? गली गली और हर मोहल्ले में जिस तरह शराब की दुकान खोल देने पर बच्चों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है उसी तरह अश्लीलता समाज में यौन अपराधों को जन्म देती है।इसको किसी भी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता है.।। विचार करिए और चर्चा करिए.... या फिर मौन धारण कर लीजिए ।।

शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2023

धार्मिक मान्यताएं

भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का देश है। यहां के रीति रिवाज और धार्मिक मान्यतायें अपने आप में अनूठी हैं। सभी धर्मो के अनेको पर्व सभी के मन को लुभाते हैं। सभी धर्मो के अनेको पर्व पर बेहताशा धन का व्यय भी होता है। भगवान के नाम पर हम सभी दिल खोलकर अपनी हैसियत के अनुसार धन -धान्य आदि अर्पण करते हैं। लेकिन हमने कभी नहीं सोचा की हम जो भी अर्पण भगवान के नाम पर मंदिरो में कर रहे हैं क्या वह भगवान तक पहुंच रहा है ? यह बहुत ही संजीदा प्रश्न है। जिसका उत्तर हम सभी अपने -अपने तरीके से दे सकते हैं। यह कटु सत्य है की जब एक आम आदमी बड़ा आदमी बन जाता है यानी पैसे वाला बन जाता है तो फिर उसके झुकाव धर्म की तरफ नहीं बल्कि किसी भगवान की तरफ हो जाता है। इसके भी दो कारण होते हैं ,प्रथम तो यह की उसे प्राप्त धन में से वह कुछ हिस्सा भगवान के नाम पर मंदिर में देकर अपना फर्ज अदा करना चाह रहा होता है ,द्वितीय यह की अब उसे समाज में बड़े आदमी की तरह बड़े नाम की शोहरत चाहिए होती है जिसे वह मंदिर में कुछ बड़ा अर्पण कर या बड़ी बोली लेकर पूर्ण करना चाहता है। अनादिकाल से ऐसा ही होता चला आ रहा है। लेकिन आज के भौतिक युग में ,बढ़ती जनसंख्या में अपनी कुछ धार्मिक मानसिकता बदलनी चाहिये। मंदिर के भगवान के अलावा परोपकार भी तो धर्म का ही हिस्सा है। तब क्यों नहीं धनवान लोग मंदिर में दान की अपेक्षा परोपकार को महत्ता देते हैं। कॉरपोरेट्स जगत में ऐसे कई नाम हैं जो अपने लाभ का एक हिस्सा परोपकार में लगा देते हैं। लेकिन आज भी अधिकांश आम आदमी मंदिर में चढ़ावे को ही अच्छा मानता है परोपकार के कार्यो से दूर रहता है। हमें यह सोचना चाहिए की हमारे द्वारा मंदिर में दिये गये दान का क्या होता है ?भगवान के नाम पर हम जो भोग लगा रहे हैं उसे कौन खा रहा है ?मंदिर में दान स्वरूप आये करोड़ो रुपयों का क्या हो रहा है ? मंदिर में चढाये सोने -चांदी , हीरे -जवाहरात के जेवर का क्या हो रहा है ?क्या यह सब भगवान के पास पहुंचा है ? सच बात तो यह है की भगवान कुछ देते ही हैं कभी कुछ लेते नहीं हैं। ऐसे में हमने जो कुछ भी भगवान को चढ़ाया है उसे भगवान नहीं बल्कि मंदिर के पुजारी -कमेटी आदि ग्रहण कर लेती है। साउथ के एक अमीर मंदिर के पुजारी की बेटी की शादी की फोटो सोशल मिडिया पर देखी। जिसमे पुजारी की लड़की ने गले से लेकर नाभि तक सोने के हार पहन रखे थे जो पुजारी ने उसको दहेज में दिये होंगे। ऐसे में हमें सोचना चाहिये की हमारा दान कहां जा रहा है। इसलिये हमें परोपकार में अपना तन -मन धन लगाना चाहिये। वही सच्चा धर्म है। *सुनील जैन राना *

रविवार, 15 अक्तूबर 2023

गृहणी

💗 सभी महिलाओं को समर्पित 💗 रसायनशास्त्र से शायद ना पड़ा हो पाला पर सारा रसोईघर प्रयोगशाला दूध में साइटरीक एसिड डालकर पनीर बनाना या सोडियम बाई कार्बोनेट से केक फूलाना चम्मच से सोडियम क्लोराइड का सही अनुपात तोलती रोज कितने ही प्रयोग कर डालती हैं पर खुद को कोई वैज्ञानिक नही बस गृहिणी ही मानती हैं रसोई गैस की बढ़े कीमते या सब्जी के बढ़े भाव पैट्रोल डीजल महँगा हो या तेल मे आए उछाल घर के बिगड़े हुए बजट को झट से सम्हालती है अर्थशास्त्री होकर भी खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं मसालों के नाम पर भर रखा आयूर्वेद का खजाना गमलो मे उगा रखे हैं तुलसी गिलोय करीपत्ता छोटी मोटी बीमारियों को काढ़े से भगाना जानती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं। सुंदर रंगोली और मेहँदी में नजर आती इनकी चित्रकारी सुव्यवस्थित घर में झलकती है इनकी कलाकारी ढोलक की थाप पर गीत गाती नाचती है कितनी ही कलाए जानती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं समाजशास्त्र ना पढ़ा हो शायद पर इतना पता है कि परिवार समाज की इकाई है परिवार को उन्नत कर समाज की उन्नति में पूरा योगदान डालती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं। मनो वैज्ञानिक भले ही ना हो पर घर में सबका मन पढ लेती है रिश्तों के उलझे धागों को सुलझाना खूब जानती है पर खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं। योग ध्यान के लिए समय नहीं है ऐसा अक्सर कहती हैं और प्रार्थना मे ध्यान लगाकर घर की कुशलता मांगती है खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं। ये गृहणियां सच में महान है कितने गुणों की खान है सर्वगुण सम्पन्न हो कर भी अहंकार नहीं पालती है खुद को बस गृहिणी ही मानती हैं। 🙏🙏🙏 साभार

जातीय जनगणना

जातीय जनगणना की सियासत विकास के रास्ते पर चल रहे देश को सत्ता की खातिर जातियों में बांटकर सत्ता कब्जाने के प्रयास हो रहे हैं। आज़ादी मिली लेकिन हिन्दू- मुस्लिम के चक्कर मे देश का बंटवारा हो गया। पूर्व पीएम वी पी सिंह ने मंडल - कमंडल कर देश मे फिर से जातिवाद को हवा देकर देश मे अराजकता का माहौल बना दिया। आरक्षण की हवा से एक बार फिर से देश को बांटने का प्रयास किया गया। कांग्रेस ने अल्पसंख्यक के नाम पर राज तो किया लेकिन अल्पसंख्यको का भला नहीं किया। वर्तमान में चुनाव नजदीक आते ही देश की कई पार्टियों को एक बार फिर से जात- पात का बीज बोकर अपना वोटबैंक बनाने की सूझ रही है। जातिवाद के नाम पर बांट देना चाहते हैं देश को। जातीय जनगणना की सियासत कर रहे कुछ दलों को चुनावो के नज़दीक आने पर अपनी स्थिति कमजोर देख जातीय समीकरण पर जीत हासिल करने की सोच के कारण उन्हें जातीय जनगणना कराने की सूझ रही है। बिहार सरकार ने बिहार में जातीय जनगणना कराकर राज्य में द्वेष भाव का बीज बो दिया है। इससे किसे अधिक फायदा होगा यह तो चुनावों के बाद ही पता चलेगा। लेकिन इसकी देखा देखी अन्य कुछ राज्यो में जातिगत जलूस निकलने लगे हैं। अब हर कोई अपनी जाति संख्या को मजबूत बताकर सरकारों से सरकार में अपनी हिस्सेदारी की बात करने लग रहा है। ऐसा होना दुर्भाग्यपूर्ण ही है। लोगो के आपस मे भाईचारे में ही कमी आयेगी जो समाज के लिये घातक सिद्ध हो सकती है। अल्पसंख्यक समाज जिसमें आती तो कई कौम हैं लेकिन उनमें मुस्लिम समाज की ही प्रमुखता है। बहुसंख्यक समाज जो हिन्दू समाज भी कहा जाता है जातीय जनगणना के नाम पर उसको बाटने की साज़िश हो रही लगती हैं। इतिहास गवाह है की हिंदू समाज में भले ही अनेकों धर्म के लोग हों लेकिन सभी मिलजुल कर रहते आये हैं। चुनावों के समय जातिगत जनगणना का बीज बोकर अपनी फ़सल काटने वाले लोग सबका भला नहीं कर सकते। सिर्फ सत्ता की खातिर विकास की उपेक्षा कर सत्ता प्राप्त करने वाले देशहित की बात सोच ही नहीं सकते। जनता को अपने भविष्य को ध्यान में रखकर वोट देते समय सही पार्टी का चुनाव कर वोट करना चाहिये। सुनील जैन राना

रविवार, 8 अक्तूबर 2023

जैन धर्म पर आपदा

जैन तीर्थो पर हो रहे हमले जैन समाज जो सदैव अहिंसा, जीवदया, परोपकारी कार्यों में अग्रणी रहता है। 50 लाख से भी कम आज़ादी होने के बावजूद देश के राजस्व का लगभग एक चौथाई टैक्स के रूप में अर्पित करता है। देश मे सर्वाधिक चैरिटेबल संस्थाएं एवं गौशालाएं जैन समाज के द्वारा चलाई जाती हैं। देश मे भाईचारे की मिसाल है जैन समाज। मुगलों के समय गुरुगोविंद जी के दोनों लड़कों के अंतिम संस्कार को दो गज जगह 78 हज़ार सोने की मोहरें देकर टोडरमल जैन ने खरीदी। महाराणा प्रताप द्वारा मुगलों से युद्ध करते-करते धन खत्म हो जाने पर उनके मित्र भामाशाह जैन ने अपनी सम्पदा देकर महाराणा प्रताप की मदद की। आज़ादी के समय अनेक जैन विभूतियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे जैन समाज पर आज विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ रहा है। बहुत रोषपूर्ण, दुर्भाग्यपूर्ण शब्दो मे यह कहना पड़ रहा है की आज जैन पर कुठाराघात हो रहा है। जैन समाज को राजनैतिक और धार्मिक क्षेत्र में हाशिये पर ले जाने का कार्य हो रहा है। जिस पर सरकार व अन्य समाज चुप है। जैन तीर्थो पर हमले हो रहे हैं, जैन तीर्थ कब्जाएँ जा रहे हैं, जैन तीर्थो की उपेक्षा हो रही है। ऐसा लगता है जैसे यह सब सुनियोजित तरीके से किया जा रहा हो। शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी को अभ्यारण बनाने की घोषणा करना। अब इस पवित्र पहाड़ पर रोपवे बनाने की योजना बनाना। श्री गिरनारजी तीर्थ पर से जैनियों को पूजा पाठ के अधिकार से वंचित कर वहां तीर्थंकर नेमीनाथ का अस्तित्व मिटाने का प्रयास करना। इंदौर में गोम्मटगिरी पर कब्जे की कोशिश करना। यही नहीं पालीताणा, उदयगिरि, केसरियाजी, पावागढ़, रणकपुर आदि प्राचीन तीर्थो पर कब्ज़े के प्रयास हो रहे हैं। उज्जैन स्थित 500 वर्ष प्राचीन पार्श्वनाथ मन्दिर जी को हटाने की कोशिश हो रही है। यह सब होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जैन श्रमण संस्कृति का उल्लेख नेट पर सर्च करें तो पता चले की कितनी सम्पन्न और प्राचीन संस्कृति है जैन धर्म की। वर्तमान में जैन समाज के जो तीर्थ चले गये उनकी मांग नहीं करता लेकिन अभी जो तीर्थ, मन्दिर आदि बचे हैं उनकी सुरक्षा की मांग केंद्र सरकार से करते हैं। ऐसा तो नहीं हो सकता की केंद्र सरकार इन सब बातों से अवगत न हो। क्योंकि इन्ही बातों के विरोध में जैन समाज दो बार सड़को पर आकर विरोध प्रकट कर चुका है। लेकिन इस बार एक नहीं कई तीर्थो पर हमले से जैन समाज क्षुब्ध है। पानी सर से ऊपर उतर रहा है। यदि सरकार नहीं चेती तो अहिंसा का द्योतक जैन समाज एक बार पुनः अपने तीर्थों को बचाने के लिये कुछ भी करने को तैयार हो जायेगा। सुनील जैन राना

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

भारत / इंडिया

*इण्डिया v/s भारत* *भारत में गाँव है,गली है, चौबारा है,इण्डिया में सिटी है, मॉल है,पंचतारा है।* *भारत में घर है,चबूतरा है, दालान है,इण्डिया में फ्लेट है, मकान है।* *भारत में काका है,बाबा है, दादा है,दादी है,इण्डिया में अंकल-आंटी की आबादी है।* *भारत में खजूर है,जामुन है, आम है,इण्डिया में मेगी है, पिज्जा है,छलकते जाम है।* *भारत में मटके है,दोने है, पत्तल है,इण्डिया में पोलिथीन, प्लास्टिक,बाटल है।* *भारत में गाय है,घी है,मक्खन है,कंडे है,इण्डिया में चिकन है, बिरयानी है,अंडे है।* *भारत में दूध है,दहीं है,लस्सी है,इण्डिया में विस्की,कोक, पेप्सी है।* *भारत में रसोई है,आँगन है, तुलसी है,इण्डिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है।* *भारत में कथड़ी है,खटिया है, खर्राटे है,इण्डिया में बेड है, डनलप है,करवटें है।* *भारत में मंदिर है,मंडप है, पंडाल है,इण्डिया में पब है, डिस्को है,हाल है।* *भारत में गीत है,संगीत है, रिदम है,इण्डिया में डांस है,पॉप है,आइटम है।* *भारत में बुआ है,मोसी है, बहिन है,इण्डिया में सब के सब कजिन है* *भारत में पीपल है,बरगद है, नीम है,इण्डिया में वाल पर पूरे सीन है।* *भारत में आदर है,प्रेम है, सत्कार है,इण्डिया में स्वार्थ है, नफरत है,दुत्कार है।* *भारत में हजारों भाषा है, बोली है,इण्डिया में एक अंग्रेजी बड़बोली है।* *भारत सीधा है,सहज है,सरल है,इण्डिया धूर्त है,चालाक है, कुटिल है।* *भारत में संतोष है,सुख है,चैन है,इण्डिया बदहवास,दुखी, बेचैन है।* *क्योंकि भारत को देवों ने संतों ने वीरों रचाया है,इण्डिया को लालची अंग्रेजों ने बसाया है।* *मैं भारत हूँ,भारत में रहना चाहता हूँ,अपनी संतानों को भी भारत ही देना चाहता हूँ।* *🙏⚘️सादर जय जिनेन्द्र जी⚘️🙏*

रविवार, 1 अक्तूबर 2023

प्रतिक्रमण

श्रावक प्रतिक्रमण श्रावक प्रतिक्रमण किसे कहते हैं ? जब तक जीव संसार में है अर्थात् जब तक मन, वचन और काय का व्यापार बुद्धिपूर्वक होता है तब तक दोषों की उत्पत्ति सहज है | यानी जब तक प्रवृत्ति है तब तक सर्वथा निर्दोष कोई कोई नहीं होता | जैन धर्म में करुणावन्त आचार्यों ने पाप क्रियाओं से एवं पाप के दुःखमय फलों से बचने के लिए अनेक धर्म साधनों का निर्देश दिया है, उनमें है - प्रतिक्रमण | गृहीत व्रतों / कर्त्तव्यों में लगे हुए दोषों के परिमार्जन को प्रतिक्रमण कहते हैं अर्थात् द्रव्य, क्षेत्र,काल एवं भावों के निमित्त से कषाय और प्रमाद के वशीभूत से व्रतों में लगे हुए अतिचारों का शोधन करना प्रतिक्रमण हैं | साधु-साध्वी, क्षुल्लिक-क्षुल्लिका और व्रती श्रावक-श्राविकाएँ नियम से प्रतिदिन प्रतिक्रमण करते हैं | पाक्षिक, नैष्ठिक और साधक के भेद से श्रावक तीन प्रकार के हैं - श्रावक (व ज्ञाविका) अर्थात् श्रद्धावान, विवेकवान और क्रियावान | श्रावक के उक्त तीन भेदों में पाक्षिक श्रावक अपने धर्म, देव-शास्त्र-गुरु तथा अहिंसादि के परिपालनार्थ सदा पक्ष रखता है | आज्ञा प्रधानी वह पाक्षिक श्रावक जिनेन्द्र देव की आज्ञा का पालन करते हुए हिंसादि त्याग हेतु सर्वप्रथम सप्त-व्यसनों का त्याग कर अष्टमूल गुण धारण करता है और षट् आवश्यकों का पालन करता है | प्रतिमा अनुरुप व्रत ग्रहण करने की शक्ति न होने के कारण वह उपर्युक्त क्रियाओं के साथ सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान को भी अवश्य धारण करता है | इन नियमों के प्रतिपालन में प्रमाद आदि के कारण प्रतिदिन अनेक दोष लगते हैं अतः इन दोषों की शुद्धि हेतु प्रायश्चित एवं पश्चात्ताप पूर्वक प्रतिदिन प्रतिक्रमण कर अपने श्रावकीय जीवन को सार्थक करना चाहिए | श्रावक प्रतिक्रमण (लघु) नमः सिद्धेभ्यः | नमः सिद्धेभ्यः | नमः सिद्धेभ्यः चिदानन्दैकरुपाय जिनाय परमात्मने | परमात्मप्रकाशाय नित्यं सिद्धात्मने नमः || अर्थ - उन श्री जिनेन्द्र परमात्मा सिद्धत्मा को नित्य नमस्कार है जो चिदानन्द रुप हैं (अष्ट कर्मों को जीत चुके हैं), परमात्मा स्वरुप हैं और परमात्मा तत्त्व को प्रकाशित करने वाले हैं| पाँच मिथ्यात्व, बारह अवत, पन्द्रह योग, पच्चीस कषाय इस प्रकार सत्तावन आस्रव का पाप लगा हो मेरा वह सब पाप मिथ्या होवे | नित्य निगोद सात लाख, इतर निगोद सात लाख, पृथ्वीकाय सात लाख, जलकाय सात लाख, अग्निकाय सात लाख, वायुकाय सात लाख, वनस्पतिकाय दस लाख, दो इन्द्रिय दो लाख, तीन इन्द्रिय दो लाख, चार इन्द्रिय दो लाख, नरकगति चार लाख, तिर्यंचगति चार लाख, देवगति चार लाख, मनुष्यगति चौदह लाख ऐसी चौरासी लाख मातापक्ष में चौरासी लाख योनियाँ, एवं पितापक्ष में एक सौ साढ़े निन्याणवे लाख कुल कोटि, सूक्ष्म-बादर, पर्याप्त-अपर्याप्त भेद रुप जो किसी जीव की विराधना की हो मेरा वह सब पाप मिथ्या होवे| तीन दण्ड, तीन शल्य, तीन गारव, तीन मूढ़ता, चार आर्त्तध्यान, चार रौद्रध्यान, चार विकथा - इन सबका पाप लगा हो, मेरा वह सब पाप मिथ्या होवे| व्रत में, उपवास में अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार का पाप लगा हो, मेरा वह सब पाप मिथ्या होवे | पंच मिथ्यात्व, पंच स्थावर, छह त्रस-घात, सप्तव्यसन, सप्तभय, आठ मद, आठ मूलगुण, दस प्रकार के बहिरंग परिग्रह, चौदह प्रकार के अन्तरंग परिग्रह सम्बन्धी पाप किये हों वह सब पाप मिथ्या होवे| पन्द्रह प्रमाद, सम्यक्त्वहीन परिणाम का पाप लगा हो मेरा वह सब पाप मिथ्या होवे | हास्यादि, विनोदादि दुष्परिणाम का, दुराचार, कुचेष्टा का पाप लगा हो मेरा वह सब पाप मिथ्या होवे | हिलते, डोलते, दौड़ते-चलते, सोते-बैठते, देखे, बिना देखे, जाने-अनजाने, सूक्ष्म व बादर जीवों को दबाया हो, डराया हो, छेदा हो, भेदा हो, दुःखी किया हो, मन-वचन-काय कृत मेरा वह सब पाप मिथ्या हो | मुनि, आर्यिका, श्राविका रुप चतुर्विध संघ की, सच्चे देव शास्त्र गुरु की निन्दा कर अविनय का पाप किया हो मेरा सब पाप मिथ्या होवे| निर्माल्य द्रव्य का पाप लगा हो, मेरा सब पाप मिथ्या होवे | मन के दस, वचन के दस, काया के बारह ऐसे बत्तीस प्रकार के दोष सामायिक में दोष लगे हों, मेरे वे सब पाप मिथ्या होवे | पाँच इन्द्रियों व छठे मन से जाने-अनजाने जो पाप लगा हो, मेरा सब पाप मिथ्या होवे| मेरा किसी के साथ वैर-विरोध, राग-द्वेष, मान, माया, लोभ, निन्दा नहीं, समस्त जीवों के प्रति मेरी उत्तम क्षमा है | मेरे कर्मों के क्षय हों, मुझे समाधिमरण प्राप्त हो, मुझे चारों गतियों के दुःखो से मुक्तिफल मिले | शान्तिः ! शान्तिः ! शान्तिः ! राकेश जैन जी द्वारा प्रेषित 1 oct 2012 फेसबुक पर

मंगलवार, 26 सितंबर 2023

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दशलक्षण पर्व हाइकु

क्षमावाणी पर्व

उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

उत्तम आकिंचन धर्म

उत्तम त्याग धर्म

उत्तम तप धर्म

उत्तम संयम धर्म

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा

श्रीमती जया बच्चन माननीय. सांसद ने संसद में बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, जिसके लिए हम उनके भाषण को निम्नानुसार सलाम करते हैं; “वरिष्ठ नागरिकों को मार डालो। सरकार को सभी सीनियरों को मार देना चाहिए। 65 वर्ष की आयु के बाद के नागरिक क्योंकि सरकार इन राष्ट्र निर्माताओं पर ध्यान देने को तैयार नहीं है। "क्या भारत में वरिष्ठ नागरिक होना अपराध है? भारत के वरिष्ठ नागरिक 70 वर्ष के बाद चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. उन्हें कोई काम नहीं दिया जाता है, इसलिए वे जीवित रहने के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। उन्होंने सेवानिवृत्ति की उम्र यानी 60-65 तक सभी करों, बीमा प्रीमियम का भुगतान किया था। अब सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने होंगे। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे/हवाई यात्रा पर मिलने वाली 50% छूट भी बंद कर दी गई है. तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि राजनीति में विधायक, सांसद या मंत्री पद पर बैठे वरिष्ठ नागरिकों को हर संभव लाभ दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी मिलती है। मैं यह समझने में असफल हूं कि अन्य सभी (कुछ सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर) को समान सुविधाओं से क्यों वंचित रखा गया है। सोचिए, अगर बच्चों को उनकी परवाह नहीं होगी तो वे कहां जाएंगे। अगर देश के बुजुर्ग चुनाव में सरकार के खिलाफ जाएंगे तो इसका असर चुनाव नतीजों पर पड़ेगा। सरकार को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा. सीनियर्स के पास सरकार बदलने की ताकत है, उन्हें नजरअंदाज न करें। उनके पास सरकार बदलने का जीवन भर का अनुभव है। उन्हें कमजोर मत समझो! वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए बहुत सारी योजनाओं की आवश्यकता है। सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर बहुत पैसा खर्च करती है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के बारे में कभी ध्यान नहीं देती। इसके विपरीत, बैंकों की ब्याज दरों में कमी के कारण वरिष्ठ नागरिकों की आय घट रही है। यदि उनमें से कुछ को परिवार और स्वयं का समर्थन करने के लिए अल्प पेंशन मिल रही है, तो यह भी आयकर के अधीन है। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को कुछ लाभों पर विचार किया जाना चाहिए: (1). 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिकों को पेंशन दी जानी चाहिए (2). सभी को हैसियत के मुताबिक पेंशन दी जाए (3). रेलवे, बस और हवाई यात्रा में रियायत। (4). अंतिम सांस तक सभी के लिए बीमा अनिवार्य होना चाहिए और प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। (5). वरिष्ठ नागरिकों के अदालती मामलों को शीघ्र निर्णय के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए। (6). हर शहर में सभी सुविधाओं से युक्त वरिष्ठ नागरिकों के घर (7). सरकार को 10-15 साल पुरानी पुरानी कारों को स्क्रैप करने के नियम में संशोधन करना चाहिए। यह नियम केवल वाणिज्यिक वाहनों के लिए लागू किया जाना चाहिए। हमारी कारें ऋण पर खरीदी जाती हैं और हमारा उपयोग 10 वर्षों में केवल 40 से 50000 किमी तक होता है। हमारी कारें नई जैसी ही अच्छी हैं। यदि हमारी गाड़ियाँ नष्ट हो जाती हैं तो हमें नई गाड़ियाँ दी जानी चाहिए। मैं सभी वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं से अनुरोध करता हूं कि वे इसे सभी सोशल मीडिया पर साझा करें। आशा करते हैं कि यह सरकार, जो हर समय ईमानदार रहती है और *"सब का साथ, सब का विकास"* की बात करती है, उन लोगों की भलाई के लिए कुछ करेगी जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया है और अब अपने चरम पर हैं।" कृपया अपने दोस्तों, वरिष्ठ नागरिकों और शुभचिंतकों के साथ साझा करें।

सोमवार, 18 सितंबर 2023

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शब्द

*-शब्दों का संसार-* शब्द रचे जाते हैं, शब्द गढ़े जाते हैं, शब्द मढ़े जाते हैं, शब्द लिखे जाते हैं, शब्द पढ़े जाते हैं, शब्द बोले जाते हैं, शब्द तौले जाते हैं, शब्द टटोले जाते हैं, शब्द खंगाले जाते हैं, *#अंततः* शब्द बनते हैं, शब्द संवरते हैं, शब्द सुधरते हैं, शब्द निखरते हैं, शब्द हंसाते हैं, शब्द मनाते हैं, शब्द रूलाते हैं, शब्द मुस्कुराते हैं, शब्द खिलखिलाते हैं, शब्द गुदगुदाते हैं, शब्द मुखर हो जाते हैं, शब्द प्रखर हो जाते हैं, शब्द मधुर हो जाते हैं, *#फिर भी-* शब्द चुभते हैं, शब्द बिकते हैं, शब्द रूठते हैं, शब्द घाव देते हैं, शब्द ताव देते हैं, शब्द लड़ते हैं, शब्द झगड़ते हैं, शब्द बिगड़ते हैं, शब्द बिखरते हैं शब्द सिहरते हैं, *#किंतु-* शब्द मरते नहीं, शब्द थकते नहीं, शब्द रुकते नहीं, शब्द चुकते नहीं, *#अतएव-* शब्दों से खेले नहीं, बिन सोचे बोले नहीं, शब्दों को मान दें, शब्दों को सम्मान दें, शब्दों पर ध्यान दें, शब्दों को पहचान दें, ऊँची लंबी उड़ान दे, शब्दों को आत्मसात करें... उनसे उनकी बात करें, शब्दों का अविष्कार करें... गहन सार्थक विचार करें, *#क्योंकि-* शब्द अनमोल हैं... ज़ुबाँ से निकले बोल हैं, शब्दों में धार होती है, शब्दों की महिमा अपार होती, शब्दों का विशाल भंडार होता है, *और सच तो यह है कि-* *शब्दों का अपना एक संसार होता है*

रविवार, 10 सितंबर 2023

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G 20 शिखर सम्मेलन

ऐतिहासिक G 20 शिखर सम्मेलन नई दिल्ली, मोदीजी के नेतृव में G 20 शिखर सम्मेलन में बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत। सर्वसम्मति से जारी हुआ घोषणापत्र। G 20 का नया सदस्य बना अफ्रीकी यूनियन। सम्मेलन में आये सभी विदेशी मेहमान भारतीय मेहमानबाजी एवं भारतीय संस्कृति देखकर गदगद हुए। शिखर सम्मेलन के रात्रि भोज में राष्ट्रपति मुर्मू एवं प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से मेहमानों की आगवानी की। देश की सांस्कृतिक विरासत कोणार्क के सूर्य मंदिर का चक्र एवं नालन्दा विश्वविद्यालय की पृष्ठभूमि मंच पर शोभायमान होकर प्राचीन भारत का संदेश दे रही थी। शिखर सम्मेलन में घोषणा पत्र के सभी बिंदुओं पर सर्वसम्मति से मोहर लगी। स्वच्छ ईंधन का उपयोग बढ़ाने के लिये वैश्विक जैव ईंधन का आगाज़ किया गया इसके लिये एक गठबंधन की घोषणा की गई। दुनिया भर की पुरानी समस्याओं को नये समाधान से सुलझाने की बात की गई। G 20 सेटेलाइट मिशन लांच करने का प्रस्ताव रखा गया जिससे आपस मे सभी देश जुड़ सकें। मोदीजी ने रूस- यूक्रेन युध्द के बारे में कहा यह सदी युद्ध की सदी नहीं है। यह सदी तो विश्व कल्याण के लिये आपस में सहयोग कर साथ चलने और आगे बढ़ने की सदी है। मोदीजी ने कहा की रूस- यूक्रेन युद्ध बन्द होना चाहिये, शांति स्थापित होनी चाहिये। किसी भी आपस के विवाद का हल बातचीत से निकाला जाना चाहिये। परमाणु हथियारों की धमकी देना हितकर नहीं है। शिखर सम्मेलन में चीन की विस्तारवादी नीति को गहरा झटका लगा। बिना चीन का नाम लिये चीन की नीतियों का खंडन किया गया। भारत- पश्चिम एशिया- यूरोप के बीच एक सम्पर्क गलियारे को शीघ्र लॉन्च करने की घोषणा की गई। मुक्त व्यापार समझौते को भारत व बिट्रेन आगे बढ़ाएंगे, केंक्टिविटी में जापान भी सहयोग बढायेगा। भारत की अध्यक्षता में हो रहा शिखर सम्मेलन भारत की कामयाबी के द्वार खोलेगा। दुनिया के विकसित- विकासशील देशों के साथ मिलकर काम करने से बहुत सी नई उपल्बधि के साथ देश को आगे बढ़ाने के बहुत से कार्य होंगे। जलवायु परिवर्तन के खतरों से धरती को बचाने के लिये कार्बन उत्सर्जन में कमीं लाने के लिए जैविक ईंधन के इस्तेमाल पर आम सहमति बनाई गई। 55 देशों के समूह का अफ्रीकी संघ G 20 का नया सदस्य बना। सुनील जैन राना

शनिवार, 2 सितंबर 2023

सूर्य मिशन

भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-L1 स्पेसक्राफ्ट को PSLV-C57 रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आज लॉन्च किए जाने पर ISRO के समस्त वैज्ञानिकों को हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद।

छोटो को सज़ा, बड़ो का मज़ा

निलम्बन की गाज छोटो पर ही क्यों? मामला किसी भी क्षेत्र का हो, अक्सर निलम्बन की गाज छोटे कर्मचारियों- पुलिसकर्मियों पर ही गिरती है। बड़ो का बाल भी बांका नहीं हो रहा है। 34 हज़ार करोड़ के बैंक लोन के महाभृष्टाचारी दीवान हाउसिंग के प्रवर्तक कपिल बधावन, धीरज बधावन जिन्होंने 12 बैंकों से भारीभरकम धनराशि लेकर जेल में हैं वहां सभी सुविधाओं से रह रहे हैं। बीमारी के नाम पर अस्पतालों में ऐसे लोग वीआईपी की तरह रहते हैं। ऐसे अनेको नाम हैं जो बैंकों से मोटा लोन लेकर जेलों में मज़े से रह रहे हैं। वैसे तो जेलों में बड़े लोगो को सभी सुविधाएं मिल जाती हैं यह सभी जानते हैं। लेकिन कभी भी नियम- कानून के तहत जब जांच होती है या कोई पत्रकार ऐसे तथ्य पेश कर पीछे पड़ जाता है तब कार्यवाही के नाम पर कुछ निचले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर इतिश्री कर दी जाती है। ऐसे ही बैंक भृष्टाचारियो पर कभी बड़े अधिकारियों पर कम ही कार्यवाही होती है। लोन लेने वाला दोषी है तो देने वाला भी उतना ही दोषी माना जाना चाहिए जो बिना सुरक्षा के जनता की भलाई का धन भृष्टाचारियो को दे देते हैं। किसी भी विभाग का कोई अनियमित कार्य बिना बड़े अधिकारी की सहमति के बिना नहीं होता है। ऐसे में विभाग के बड़े अधिकारियो पर भी गाज गिरनी चाहिए। सुनील जैन राना

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...