शनिवार, 2 सितंबर 2023

छोटो को सज़ा, बड़ो का मज़ा

निलम्बन की गाज छोटो पर ही क्यों? मामला किसी भी क्षेत्र का हो, अक्सर निलम्बन की गाज छोटे कर्मचारियों- पुलिसकर्मियों पर ही गिरती है। बड़ो का बाल भी बांका नहीं हो रहा है। 34 हज़ार करोड़ के बैंक लोन के महाभृष्टाचारी दीवान हाउसिंग के प्रवर्तक कपिल बधावन, धीरज बधावन जिन्होंने 12 बैंकों से भारीभरकम धनराशि लेकर जेल में हैं वहां सभी सुविधाओं से रह रहे हैं। बीमारी के नाम पर अस्पतालों में ऐसे लोग वीआईपी की तरह रहते हैं। ऐसे अनेको नाम हैं जो बैंकों से मोटा लोन लेकर जेलों में मज़े से रह रहे हैं। वैसे तो जेलों में बड़े लोगो को सभी सुविधाएं मिल जाती हैं यह सभी जानते हैं। लेकिन कभी भी नियम- कानून के तहत जब जांच होती है या कोई पत्रकार ऐसे तथ्य पेश कर पीछे पड़ जाता है तब कार्यवाही के नाम पर कुछ निचले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर इतिश्री कर दी जाती है। ऐसे ही बैंक भृष्टाचारियो पर कभी बड़े अधिकारियों पर कम ही कार्यवाही होती है। लोन लेने वाला दोषी है तो देने वाला भी उतना ही दोषी माना जाना चाहिए जो बिना सुरक्षा के जनता की भलाई का धन भृष्टाचारियो को दे देते हैं। किसी भी विभाग का कोई अनियमित कार्य बिना बड़े अधिकारी की सहमति के बिना नहीं होता है। ऐसे में विभाग के बड़े अधिकारियो पर भी गाज गिरनी चाहिए। सुनील जैन राना

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