रविवार, 28 जनवरी 2024

सत्ता की भूख

सत्ता की भूख का समीकरण समझने के लिए राजनीति में कथित पलटूराम लेकिन किस्मत के धनी बिहार के सीएम नीतीश कुमार से समझ सकते हैं। जो खेला करने में माहिर हैं। लालू एंड संस् से खेला कर एनडीए के साथ जुड़कर स्तीफा देकर सपथ ग्रहण कर फिर से नये सीएम बन गये। राजनीति में कुछ भी होना सम्भव है। दुश्मन का दुश्मन दोस्त और दोस्त- दोस्त दुश्मन बन जाते हैं। ये सब जुमले बिहार में सच हो रहे हैं। बिहार में सत्ता की भूख के कारण समीकरण बैठाने को नीतीश ने लालू की आरजेडी से नाता तोड़कर मोदीजी की एनडीए से नाता जोड़कर पुनः सीएम बन गये। यह सच है की एक सही आदमी गलत आदमियों के साथ बहुत लंबे समय तक साथ नहीं रह सकता। यही वजह बिहार की राजनीति में हो रही थी। नीतीश कुमार पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं है लेकिन लालू एंड संस् सदैव भृष्टाचार के आरोपो से घिरे ही रहते हैं। ऐसे में सही आदमी कब तक बर्दाश्त करता। इसी का नतीज़ा टूट का कारण बना। बिहार का विकास भी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर ही कर सकते हैं। भृष्टाचारियो के साथ मिलकर नहीं कर सकते। 1600 करोड़ का पुल बना और गिर गया। इसपर कोई कुछ नहीं बोला। गठबंधन जो 900 करोड़ के संसद भवन पर हंगामा कर रहा था उसका एक भी सदस्य 1600 करोड़ के पुल के बनने से पहले ही गिर जाने पर नहीं बोला। दरअसल सबका एक ही उद्देश्य है मोदी सरकार को हटाओ। देश के विकास का नक्शा किसी के पास नही है। गठबंधन में सभी घटक दल सता की भूख के समीकरण खोजने में लगे हैं। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

सिखलैंड की लड़ाई

अगर आप को इसके बारे नहीं पता तो आप अपने इतिहास से बेखबर है। आपने "ग्रीक सपार्टा" और "परसियन" की लड़ाई के बारे मेँ सुना होगा ...... इनके ऊपर "300" जैसी फिल्म भी बनी है .... . पर अगर आप "सारागढ़ी" के बारे मेँ पढोगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई सिखलैँड मेँ हुई थी ...... बात 1897 की है ..... नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला कर दिया ...... वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थे .... . इन किलोँ को महाराजा रणजीत सिँघ ने बनवाया था ..... इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी ....... जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे ..... ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे ..... 36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे ....... ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है ....... फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी ..... एक तरफ 12 हजार अफगान थे ..... तो दूसरी तरफ 21 सिख ....... यंहा बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 600-1400 अफगान मारे गये और अफगानोँ की भारी तबाही हुयी ..... सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया ........ अफगानोँ की हार हुयी ..... जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी ......ब्रिटेन की संसद मेँ सभी ने खड़ा होकर इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सलाम किया ..... इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया ....... जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था ...... भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था ...... UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल किया ...... इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गयी ...... पर मुझे दुख होता है कि जो बात हर भारतीय को पता होनी चाहिए ...... उसके बारे मेँ कम लोग ही जानते है .......ये लड़ाई यूरोप के स्कूलोँ मेँ पढाई जाती है पर हमारे यंहा जानते तक नहीँ ........ साभार

बुधवार, 17 जनवरी 2024

भारत / इंडिया

*भारत में गाँव है,गली है, चौबारा है,इण्डिया में सिटी है, मॉल है,पंचतारा है।* *भारत में घर है,चबूतरा है, दालान है,इण्डिया में फ्लेट है, मकान है।* *भारत में काका है,बाबा है, दादा है,दादी है,इण्डिया में अंकल-आंटी की आबादी है।* *भारत में खजूर है,जामुन है, आम है,इण्डिया में मेगी है, पिज्जा है,छलकते जाम है।* *भारत में मटके है,दोने है, पत्तल है,इण्डिया में पोलिथीन, प्लास्टिक,बाटल है।* *भारत में गाय है,घी है,मक्खन है,कंडे है,इण्डिया में चिकन है, बिरयानी है,अंडे है।* *भारत में दूध है,दहीं है,लस्सी है,इण्डिया में विस्की,कोक, पेप्सी है।* *भारत में रसोई है,आँगन है, तुलसी है,इण्डिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है।* *भारत में कथड़ी है,खटिया है, खर्राटे है,इण्डिया में बेड है, डनलप है,करवटें है।* *भारत में मंदिर है,मंडप है, पंडाल है,इण्डिया में पब है, डिस्को है,हाल है।* *भारत में गीत है,संगीत है, रिदम है,इण्डिया में डांस है,पॉप है,आइटम है।* *भारत में बुआ है,मोसी है, बहिन है,इण्डिया में सब के सब कजिन है* *भारत में पीपल है,बरगद है, नीम है,इण्डिया में वाल पर पूरे सीन है।* *भारत में आदर है,प्रेम है, सत्कार है,इण्डिया में स्वार्थ है, नफरत है,दुत्कार है।* *भारत में हजारों भाषा है, बोली है,इण्डिया में एक अंग्रेजी बड़बोली है।* *भारत सीधा है,सहज है,सरल है,इण्डिया धूर्त है,चालाक है, कुटिल है।* *भारत में संतोष है,सुख है,चैन है,इण्डिया बदहवास,दुखी, बेचैन है।* *क्योंकि भारत को देवों ने संतों ने वीरों रचाया है,इण्डिया को लालची अंग्रेजों ने बसाया है।* *मैं भारत हूँ,भारत में रहना चाहता हूँ,अपनी संतानों को भी भारत ही देना चाहता हूँ।* *🙏⚘️सादर जय जिनेन्द्र जी⚘️🙏*

शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

तथ्य जो छुपाये गये

"9 वर्षों में मुझे पता चला" मात्र 9 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य नागरिक था, मुझे भी औरो की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे। परन्तु: इन 9 वर्षों में मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे। 1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुड़े होते हैं। 2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुडे होते है। 3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नही होते। 4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला। 5. हिन्दू धर्म को सनातन धर्म कहते हैं और देश का नाम हिंदुस्तान है, क्योंकि यह हिंदुओं का इकलौता देश है। 6. हिन्दू शब्द सिंधु से नही (ईरानियों द्वारा स को ह बोलने से) नही आया बल्कि "हिन्दू" शब्द "ऋग्वेद" में हज़ारों वर्ष पूर्व से ही वर्णित हैं। 7. जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा हजारों वर्ष पूर्व सनातनी नही बल्कि मुगलों के आगमन से उपजी कु-व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेजों ने सनातन से जोड़कर हिन्दुओ को बांटा। उसे लिखित इतिहास बनाया। 8. किसी समय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पूरे विश्व मे फैला था। 9. वास्कोडिगामा का सच ये था कि वह एक लुटेरा, धोखेबाज था और किसी भारतीय जहाज का पीछा करते हुए भारत पहुंचा। 10. बप्पा रावल का नाम, काम और अद्भुत पराक्रम सुना। उनसे डरकर 300 वर्ष तक मुगल आक्रांता इधर झांके भी नहीं। 11. बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुलतान सहित सभी मुगल शासक क्रूर, हत्यारे, बलात्कारी और अपने धर्म के प्रसारक और हिंदुओं का नरसंहारक थे, यह सच पता चला। 12. ताज़महल, लालकिला, कुतुब मीनार हिन्दू भवन थे, इनकी सच्चाई कुछ और हैं, पता चला। 13. जिसे लोग व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहकर मजाक उड़ाते हैं, उसी ने महात्मा गांधी के "ब्रह्मचर्य के प्रयोग" और हेडगेवार, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल व हिन्दू समाज के साथ कि गई गद्दारी की सच्चाई बताई। 14. गाँधी जी की तुष्टिकरण और भारत विभाजन के बारे मे ज्ञान हुआ। 15. नेहरू की असलियत, उनके इरादे, उनकी हरकतें, पता चली। 16. POJKL के बारे मे भी इन 9 वर्षों में जाना कि कैसे पाकिस्तान ने कब्जा किया। और कौन लोग POJKL को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं। 17. अनुच्छेद 370 और उससे बने नासूर का पता चला। 18. कश्मीर में दलितों को आरक्षण नही मिलता, यह भी पता चला। 19. AMU मे दलितों को आरक्षण नही मिलता, वह संविधान से परे है। 20. जेएनयू की असलियत, वहाँ के खेल और हमारे टैक्स से पलने वाली टुकड़े टुकड़े गैंग का पता चला। 21. वामपंथी-देशद्रोही विचारधारा के बारे मे पता चला। 22. जय भीम समुदाय के बारे मे पता चला। भीमराव के नाम पर उनके मत से सर्वथा भिन्न खेल का पता चला। मीम भीम दलित औऱ हिन्दू दलित अलग होते है पता चला। 23. मदर टेरेसा की असलियत अब जाकर ज्ञात हुई। 24. ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण के बारे में पता चला। 25. अब पता चला कि धिम्मी, काफिर, मुशरिक, शिर्क, जिहाद, क्रुसेड जैसे शब्द हिन्दुओं के लिए क्या संदेश रखते हैं। 26. गजवा ऐ हिन्द के बारे मे पता भी नहीं था। कभी नाम भी नहीं सुना था। यह सब इन 9 वर्षों में पता चला। स्टॉकहोम सिंड्रोम और लवजिहाद का पता चला। 27. सेकुलरिज्म की असलियत अब पता चली। मानवाधिकार, बॉलीवुड, बड़ी बिंदी गैंग, लुटियंस जोन इन सबके लिए तो हिन्दू एक चारा था। 28. हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग हैं, यह भी सोशल मीडिया ने ही बताया। नेहरू ने हिन्दू पर्सनल लॉ को समाप्त कर दिया। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को रहने दिया। 29. भारतीय इतिहास के नाम पर हमें झूठा इतिहास पढ़ाया गया, जिन मुगलों ने हमे लूटा, हम पर अत्याचार किया उन्हें महान बताया गया। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर पर कब्जा करे लूटे अत्याचार करे वह महान और लुटने वाला लुटेरा कैसे हो सकता है। 30 इतना सब पता चलने के बाद भी और मोदीजी के महान नेतृत्व के बाद भी केवल तीस प्रतिशत हिन्दू ही समझ पाए बाकी वैसे ही हैं। 31 यहां तक कि न्यायमूर्ति कहे जाने वाले न्यायाधीश तक निष्पक्ष नहीं होते कुछ विचारधारा से कुछ डर के कारण न्याय नहीं कर सकते। 32 अभिव्यक्ति की आजादी और सही इतिहास जिसे दफन कर दिया गया था वह अब धरती फाड़कर बाहर आ रहा हैै। इसमें कुछ झूठ का अंश हो सकता है पर पहले लिखा इतिहास सारा झूठ का पुलंदा था। और भी कई विषय हैं जो इन 9 वर्षो मे हमें ज्ञात हुए है जो देश से छुपाए गये थे। जो आपके ध्यान में आए वो इसमें जोड़ते जाइए।🙏 साभार

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

जिंदगी का सफर

दिलचस्प हैं जरुर पढें :- जीवन में उन्मूलन(Elimination) के चार चरण:--- (1) 60 की उम्र में कार्य स्थल आपको ख़त्म कर देता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने करियर के दौरान कितने सफल या शक्तिशाली थे, आप एक सामान्य व्यक्ति बनकर लौटेंगे। इसलिए, अपनी पिछली नौकरी की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें, अपने अहंकार को त्यागें, अन्यथा आप सहजता की भावना खो सकते हैं! (2) 70 की उम्र में समाज धीरे-धीरे आपको ख़त्म कर देता है। जिन मित्रों और सहकर्मियों से आप मिलते और मेलजोल रखते थे, वे कम हो गए हैं और आपके पूर्व कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो। यह मत कहो, "मैं हुआ करता था..." या "मैं कभी था..." क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं जानती होगी, और आपको इसके बारे में असहज महसूस नहीं करना चाहिए! (3) 80 की उम्र में परिवार धीरे-धीरे आपको ख़त्म कर देता है। भले ही आपके कई बच्चे और पोते-पोतियाँ हों, अधिकांश समय आप अपने जीवनसाथी के साथ या अकेले ही रहेंगे। जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं! (4) 90 की उम्र में, पृथ्वी तुम्हें ख़त्म करना चाहती है। जिन लोगों को आप जानते थे उनमें से कुछ पहले ही हमेशा के लिए चले गए हैं। इस बिंदु पर, दुखी या शोकाकुल न हों, क्योंकि यही जीवन का मार्ग है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा! इसलिए, जबकि हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जियो! जो चाहो खाओ, जो चाहो पीओ, खेलो और वो काम करो जो तुम्हें पसंद है।

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

अमर उजाला

jeev raksha kendr

दैनिक जागरण

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आकाशवाणी नजीबाबाद

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सीनियर सिटीजन

नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं सीनियर सिटीजन को सुविधाएं मिलें देश आगे बढ़ रहा है। सभी के लिये सरकारी योजनाओं की भरमार है। लेकिन गैर सरकारी सीनियर सिटीजन के लिये कोई योजना नहीं है। सरकारी सीनियर सिटीजन को जीवन तक पेंशन मिलने का प्रावधान है उनके जीवन के बाद उनकी पत्नी को पेंशन की राशि मिलती है। अब जिन सरकारी सीनियर सिटीजन को पेंशन के बदले एक मुश्त पैसा मिल जाता है। लेकिन गैर सरकारी सीनियर सिटीजन जो व्यापारी, कर्मचारी, किसान, मज़दूर आदि जब तक मेहनत कर जीविका अर्ज कर रहा है तब तक वह अपना व परिवार का पेट भर रहा है। उसके बाद जब वह कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तब उसका सहारा कोई नहीं होता। जबकि विकसित देशों में सीनियर सिटीजन के लिये सरकार पेंशन भी देती है एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है। हमारे देश में सिर्फ एक सुविधा मिल रही थी रेल टिकट में छूट। लेकिन वह भी बन्द कर दी गई। जबकि सरकारी स्तर पर मंत्री -सन्तरी आदि के लिये आज भी उपलब्ध है। जिस सीनियर सिटीजन ने जीवन भर राजस्व दिया उसके लिए असहाय हो जाने पर सरकार की तरफ से कुछ भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। जनहित में सरकार को सीनियर सिटीजन के लिये भी अच्छी योजनाएं बनानी चाहिए। कम से कम रेल टिकट में मिलने वाली छूट को तो निश्चित रूप से पुनः चालू करनी ही चाहिये। सुनील जैन राना

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...