tag:blogger.com,1999:blog-28787569871210146952024-03-28T05:24:25.727+05:30सुनील जैन राना ब्लॉग स्पॉट जियो और जीने दो एवं
देशहित सर्व प्रथम। Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.comBlogger2526125tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-68578450220104100622024-03-23T13:28:00.000+05:302024-03-23T13:28:34.152+05:30केजरीवाल गए जेलकेजरीवाल का सच से सामना
अन्ना हज़ारे के आंदोलन से निकला एक पतला दुबला एक सरकारी अफसर। जिसने भ्र्ष्टाचार पर लंबे-लंबे भाषण देकर जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। जिसने अपने बच्चों की कसमें खाकर पद पर बैठकर किसी भी प्रकार की सुख सुविधा, गाड़ी, बंगला लेने से मना किया।
केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर काबिज होकर भी भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध बड़ी-बड़ी बातें करते रहे। लेकिन भ्र्ष्टाचार के आरोपो में उनके मंत्री जेल जाते रहे। इसी बीच उन्होंने अपने लिये करोड़ो की लागत से एक शीशमहल भी बनवा लिया। उन्होंने जोड़तोड़ की राजनीति का विरोध किया लेकिन खुद गठबंधन में शामिल हो गए। सैंकड़ो पन्नो के सबूत जो कांग्रेस के विरुद्ध लेकर आये थे उन्ही के साथ मिल गए। जिस ईडी पर आरोप लगाते थे की वह कांग्रेस पर कार्यवाही नहीं करती आज उसी ईडी पर उंगली उठा रहे हैं।
अपने भाषणों में सबको चोर बताने वाले केजरीवाल बहुत चतुर दिमाग के धनी हैं। भ्र्ष्टाचार कहाँ, कैसे होता है यह सब जानते हैं। इसी कारण उन्होंने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा। सदैव दूसरों के कंधों पर बंदूक चलाना जारी रखा।
कोई कितना भी शातिर हो यदि गलत किया है तो कभी न कभी शिकंजे में आ ही जाता है। यही केजरीवाल के साथ हुआ। 22 मार्च 2024 को केजरीवाल को गिरफ़्तार कर लिया गया। अब उन्हें सच से सामना करना ही होगा। विपक्ष अक्सर केंद्र सरकार पर ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगाता है। लेकिन विपक्ष यह नहीं सोचता की ईडी बिना सबूतों के किसी को जेल नहीं भेज सकती। यदि कोई बेदाग है तो न्यायालय से उसे न्याय जरूर मिलेगा।
सुनील जैन रानाSunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-77725651877718827752024-03-17T15:51:00.000+05:302024-03-17T15:51:06.913+05:30नाई का बिल💠 *दाढ़ी मात्र रु.10/-* 💠
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विद्युत वितरण कंपनी में सेवारत
एक अधिकारी दाढ़ी बनवाने
एक सैलून में गये और
सैलून में लगे बोर्ड को पढ़ने लगे. 😗
👉 दाढ़ी --------- ₹.10/-
👉 ब्लेड अधिभार. ₹. 2/-
👉 उस्तरा भाड़ा .. ₹. 3/-
👉 क्रीम ---------- ₹. 5/-
👉 कैंची भाड़ा -- ₹. 3/-
👉 कुर्सी भाड़ा -- ₹.10/-
👉 लोशन -------- ₹. 7/-
👉 पाउडर ------- ₹. 5/-
👉 नेपकिन भाड़ा. ₹. 5/-
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योग ......... ₹. 50/-
--------------------------------
बोर्ड पढ़कर अधिकारीजी बोले :--
तुम तो कमाल करते हो यार ..!!
दाढ़ी मात्र १० रु. लिखकर
अन्य दूसरे छुपे खर्चे जोड़कर
ग्राहकों को 'लूटते' हो ?
😉 सैलून स्वामी : --
मेरे द्वारा इस बोर्ड पर शुद्ध हिन्दी में
और सुपाठ्य बड़े अक्षरों में
स्पष्ट लिखने से मेरे काम पर
टिप्पणी कर रहे हो साहब .?
और आपकी
महावितरण कंपनी में सालों से
उपभोक्ताओं के साथ "महाछल"
जारी है , उसका क्या ?
👉 स्थायी प्रभार
👉 विद्युत प्रभार
👉 विद्युत वहन प्रभार
👉 ईंधन समायोजन प्रभार
👉 विद्युत शुल्क
👉 विद्युत बिक्री कर,
👉 ब्याज,
👉 अन्य प्रभार
👉 चालू विद्युत देयक,
👉 पूर्व बकाया
👉 समायोजित राशि
👉 बकाया ब्याज राशि
👉 कुल बकाया राशि
👉 कुल देयक राशि
.... पूर्णांक देयक...
अब आप ही बतायें....
ऐसे विद्युत बिल पर आज तक
कितने लोगों ने आपत्ति जताई ?
और..... 🚶
महावितरण अधिकारी
दाढ़ी बनवाये बिना ही लौट गये.
🎯
आम उपभोक्ताओं की
आँखें खुलने तक शेयर करें.
👉 ( बदलाव फिर भी नहीं होगा. )
जब तक जनता लुट जाने को तैयार है ,
तब तक
"महावितरण कंपनी" की लूट जारी है.
💠 जागो...! ग्राहक जागो...!! 💠
🔔
●/
/▌ Copied
/ \Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-80237422316436337842024-03-16T22:31:00.004+05:302024-03-16T22:31:51.533+05:30नकली दवा का कारोबारनकली दवाई, आतंकवाद जैसी कार्यवाही
देश में नकली दवाइयां बनाकर बेचने वाले माफिया सक्रिय हैं। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं की उनके इस कुकृत्यों से लोगों की जान भी जाती है। उन्हें तो सिर्फ धन कमाने की आपदा है फिर चाहे कुछ भी हो। इस माफिया गिरोह में नकली दवाई बनाने वाला, उससे दवाई लेकर बेचने वाला, दवाई खरीदने वाले अस्पताल के कर्मचारी- डॉक्टर आदि सभी जिम्मेदार हैं। जिस जगह दवाई बन रही है उस जगह के ड्रग अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। नकली दवाई- इंजेक्शन आदि का इस्तेमाल आतंकवाद जैसी कार्यवाही है। जिसमे न जाने कितने लोगों की जान चली जाए।
नकली दवाई का कारोबार आपस मे मिलीभगत के कारण फलफूल रहा है। नकली दवा बनाने वाला, बनवाने वाले से लेकर सीधे अस्पताल के डॉक्टर- कर्मचारी का आपस मे गठबंधन ही नकली दवा के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। कैंसर जैसी बीमारी के मरीज को कैंसर की नकली दवा दी जायेगी तो सोचो मरीज का क्या हाल होगा। वह तो बेचारा पहले ही केंसर जैसी बीमारी से मरनासन्न पड़ा है ऊपर से उसे मिल रही है नकली दवा- इंजेक्शन।
समझ मे नहीं आता कि इन नकली दवाई- इंजेक्शन बेचने, बनाने, इस्तेमाल करने वालो के भी तो बीबी- बच्चें होते होंगे। इन लोगो को ऊपर वाले कि लाठी से डर नहीं लगता। कल को इनके परिवार में ऐसी बीमारी आये और उन्हें नकली दवाइयां मिले और बच न पाएं तब उन्हें कैसा लगेगा?
सरकार को इस विषय मे बहुत कठोर कदम उठाने चाहिए। प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले के सम्बंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश देने चाहिये। दरअसल सबको सब पता होता है। इसलिये कोई फैक्ट्री में चैकिंग को नहीं जाता। फिर फैक्ट्री वाला चाहे नकली दवा बनाये या असली। अनेको डॉक्टर अपना साल्ट बताकर बहुत सस्ती दवाई बनवाकर उस पर बहुत ज्यादा प्रिंट छपवा कर अपने मरीजो को देते हैं। पता नहीं उनकी पैसे की भूख कब शांत होगी?
नकली दवाई- इंजेक्शन आदि बनाने वाले को, बनवाने वाले को, इस्तेमाल करने वाले अस्पताल के डॉक्टर- कर्मचारियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। उन पर रासुका लगनी चाहिये। यह तो आतंकवाद जैसी कार्यवाही है।
सुनील जैन रानाSunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-48634130898106999352024-03-14T17:40:00.001+05:302024-03-14T17:40:12.819+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjA8SZQ_LyH96s5n0AtsdYxdNcLVoCB1SmeXSDY8hDJFqPd-XI6hXCvjtlcHjqDr8-hw2GyXYN9EcmhlbbMlZFU1iZznZgYvCY7V7VIvBx_toWDBvsWDtwEQtcMARVQyZiydbRm4YdPoxrGlw9ws6eeU0ez6Sn7TwgMa0xyyxWrNXF5eejS9VEKw-P_zVQ/s707/431739696_723884219730196_9202705636415772795_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="707" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjA8SZQ_LyH96s5n0AtsdYxdNcLVoCB1SmeXSDY8hDJFqPd-XI6hXCvjtlcHjqDr8-hw2GyXYN9EcmhlbbMlZFU1iZznZgYvCY7V7VIvBx_toWDBvsWDtwEQtcMARVQyZiydbRm4YdPoxrGlw9ws6eeU0ez6Sn7TwgMa0xyyxWrNXF5eejS9VEKw-P_zVQ/s320/431739696_723884219730196_9202705636415772795_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-25174622710943063192024-03-14T17:37:00.001+05:302024-03-14T17:37:06.137+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoDT0RXmZKz6jsDlEHmV6_kW26zN6V0PMU8mXdzILrR96LcqFAs6DmeiJ6TqH5TWLOXyhvaelkTHggIHQj0bLNQpEUpb2aFmXavp47vpsf45hB4I6gs7KvY-5Ve0SCZgvgmwVC2dBxf6qo7sbh1DnNUCTTaw2YJfVJcYO10qKguqnkEOBMV0OGGnlRMUY/s691/431812690_723884036396881_7422181504214907055_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="691" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgoDT0RXmZKz6jsDlEHmV6_kW26zN6V0PMU8mXdzILrR96LcqFAs6DmeiJ6TqH5TWLOXyhvaelkTHggIHQj0bLNQpEUpb2aFmXavp47vpsf45hB4I6gs7KvY-5Ve0SCZgvgmwVC2dBxf6qo7sbh1DnNUCTTaw2YJfVJcYO10qKguqnkEOBMV0OGGnlRMUY/s320/431812690_723884036396881_7422181504214907055_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-69206872012151752182024-03-08T15:46:00.004+05:302024-03-08T15:46:34.857+05:30बोन चाइना या कांचऐसे बर्तन आज कल हर घर में देखे जा सकते है, इस तरह की खास क्राकरी जो सफेद, पतली और अच्छी कलाकारी से बनाई जाती है, बोन चाइना कहलाती है। इस पर लिखे शब्द बोन का वास्तव में सम्बंध बोन (हड्डी) से ही है। इसका मतलब यह है कि आप किसी गाय या बैल की हड्डियों की सहायता से खा-पी रही है। बोन चाइना एक खास तरीके का पॉर्सिलेन है जिसे ब्रिटेन में विकसित किया गया और इस उत्पाद का बनाने में बैल की हड्डी का प्रयोग मुख्य तौर पर किया जाता है। इसके प्रयोग से सफेदी और पारदर्शिता मिलती है।
बोन चाइना इसलिए महंगा होती है क्योंकि इसके उत्पादन के लिए सैकड़ों टन हड्डियों की जरुरत होती है, जिन्हें कसाईखानों से जुटाया जाता है। इसके बाद इन्हें उबाला जाता है, साफ किया जाता है और खुले में जलाकर इसकी राख प्राप्त की जाती है। बिना इस राख के चाइना कभी भी बोन चाइना नहीं कहलाता है। जानवरों की हड्डी से चिपका हुआ मांस और चिपचिपापन अलग कर दिया जाता है। इस चरण में प्राप्त चिपचिपे गोंद को अन्य इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है। शेष बची हुई हड्डी को १००० सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इसमें उपस्थित सारा कार्बनिक पदार्थ जल जाता है। इसके बाद इसमें पानी और अन्य आवश्यक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट और अन्य क्राकरी बना ली जाती है और गर्म किया जाता है। इन तरह बोन चाइना अस्तित्व में आता है। ५० प्रतिशत हड्डियों की राख २६ प्रतिशत चीनी मिट्टी और बाकी चाइना स्टोन। खास बात यह है कि बोन चाइना जितना ज्यादा महंगा होगा, उसमें हड्डियों की राख की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या शाकाहारी लोगों को बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिए? या फिर सिर्फ शाकाहारी ही क्यों, क्या किसी को भी बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिये। लोग इस मामले में कुछ तर्क देते है। जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए नहीं मारा जाता, हड्डियां तो उनको मारने के बाद प्राप्त हुआ एक उप-उत्पाद है। लेकिन भारत के मामले में यह कुछ अलग है। भारत में भैंस और गाय को उनके मांस के लिए नहीं मारा जाता क्योंकि उनकी मांस खाने वालों की संख्या काफी कम है। उन्हें दरअसल उनकी चमड़ी और हड्डियों के मारा जाता है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी चमड़ी मंडी है और यहां ज्यादातर गाय के चमड़े का ही प्रयोग किया जाता है। हम जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए भी मारते है। देखा जाए तो वर्क बनाने का पूरा उद्योग ही गाय को सिर्फ उसकी आंत के लिए मौत के घाट उतार देता है। आप जनवरों को नहीं मारते, लेकिन आप या आपका परिवार बोन चाइना खरीदने के साथ ही उन हत्याओं का साझीदार हो जाता है, क्योंकि बिना मांग के उत्पादन अपने आप ही खत्म हो जायेगा।
चाइना सैट की परम्परा बहुत पुरानी है और जानवर लम्बे समय से मौत के घाट उतारे जा रहे हैं। यह सच है, लेकिन आप इस बुरे काम को रोक सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको यह काम करना है कि आप बोन चाइना की मांग करना बंद कर दें।
Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-70663850140019848802024-03-07T17:11:00.006+05:302024-03-07T17:11:55.590+05:30क्या करेगा मोदी?
क्या क्या करेगा यह मोदी ? आइए , उसकी आलोचना करते हैं ?
लक्षद्वीप के समुद्र पर जाता है तो मालदीव और चीन उबल पड़ते हैं । द्वारिका में भेट द्वारिका के समुद्र में गोता लगाकर आसन बिछाकर श्रीकृष्ण की पूजा आराधना करता है तो भी चीन को मिर्ची लगती है । अरे भाई सारे दुनिया में टूरिस्ट्स का सबसे बड़ा आकर्षण समुद्र है । मोदी यदि जगन्नाथ पुरी , द्वारिका , केरल , गोवा , तमिलनाडु , गुजरात , अंडमान निकोबार और महाराष्ट्र के बीचों के प्रति दुनियाभर के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं तो खुशियां मनाइए । ऐसे ही तो भारत बनेगा विश्व का सबसे बड़ा समुद्री पर्यटन का केंद्र ? यह अफसोस करने का नहीं , प्रसन्नता का विषय होना चाहिए ।
अनेक भाई लोगों को शिकायत है कि इस मंच पर मोदी की निंदा या आलोचना नहीं की जाती । चलिए आज से आलोचना शुरू करते हैं । सरकारी कामकाज की आलोचना का पहला विषय देश के 50 करोड़ लोगों को मुफ़्त गैस देना और जीरो बैलेंस के 50 करोड़ खाते खुलवाना होना चाहिए क्या ? देश में 60 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति मुफ्त इलाज के लिए 5 लाख रुपए प्रतिवर्ष खर्च का आयुष्मान कार्ड देना गलत था क्या जो उसकी निंदा की जाए ? देश में सड़कों और फ्लाई ओवर का जाल बिछाकर भारत को संपन्न देशों के समानांतर खड़ा करना गलत है क्या ?
बताइए , आज खुलकर बात करते हैं , बता ही दीजिए । बताइए इनमें से क्या गलत है जिसकी आलोचना शुरू करें । बेशुमार एयरपोर्ट बनाना , नई नई रेल गाड़ियां चलाना , वन्देभारत के बाद बुलेट ट्रेन की तैयारी करना , एक के बाद एक एम्स , आईआईटी , आईआईएम खोलना गलत है क्या ? शायद कश्मीर में आईआईएम , आईआईटी खोलना , खुशहाली लाना , बॉर्डर्स की सुरक्षा करना गलत हो , जिसकी निंदा शुरू की जाए ?
या फिर स्टार्ट अप और यूनिकान के माध्यम उद्योगों की बाढ़ लाना गलत है ? हो सकता है देश में सेना के लिए युद्धक विमान बनाना , सेना के लिए हेलीकॉप्टर , आयुध आदि का निर्माण गलत हो । या फिर 80 करोड़ देशवासियों को मुफ़्त अनाज देना ही गलत होगा फिर ?
जी हां , ये सब काम तो मोदी की निंदा के योग्य हैं ही ? लेकिन असली बात कुछ और भी है । दस साल पहले मोदी ने छद्मवाद का गिरेबान पकड़ कर प्रखर राष्ट्रवाद जगाना शुरू कर दिया ? भला यह भी कोई बात हुई भारत के तीर्थों को कुछ इसकदर सजाया की तीर्थाटन और पर्यटन मिलकर एक ही हो गए ?
इस मोदी ने तो मंदिर मंदिर जाते जाते राम को ही अयोध्या में साकार कर दिया ? सुनते हैं अब काशी मथुरा में शिव और कान्हा को साकार करने की तैयारी यही मोदी कर रहा है ? आओ इस मोदी की भर्त्सना करें , हम सनातन की निंदा करते हैं , यह सनातन का महिमा मंडन करता है ? यह मोदी भारत को विकसित राष्ट्र बनाकर भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का बाद 10 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना चाहता है ?
आओ भाईयो आओ ! हम मोदी की निंदा करते हैं।।Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-51533983923426230262024-03-05T22:51:00.004+05:302024-03-05T22:51:40.400+05:30मोदी जैसा कोउ नहींएक तमिल मैगजीन में मोदी के बारे में छपी 20 बातें...
1. साफ सुथरा कपड़ा और करीने से बनाया बाल।
2. कमांडिंग बॉडी लैंग्वेज और मर्दों वाली चाल।
3. भगवा कपडे में संत, यूनिफॉर्म में सैनिक और आम कपड़ो में डिवाइन राजकुमार।
4. हर सांस में देशभक्ति और अनुशासन।
5. किसी भी विदेशी राष्ट्र के
प्रमुख के सामने ज्यादा प्रभावशाली।
6. चुनाव में इतना वादा निभाने वाला कोई नेता नहीं है।
7. राष्ट्र प्रथम। परिवार का कोई भी व्यक्ति निकट नहीं रहता।
8. कभी छुट्टी नहीं लिया।
9. कभी बीमार नहीं पड़ता।
10. जरूरत जितना ही बोलना जरुरत जितना चुप रहना।
11. चेहरे पर थकान नहीं। हास्य से भरपूर।
12. भाषण और भाषा पर पूरा कमांड।
13. विरोधियों की आलोचना और बयानबाजी से विचलित नहीं होते।
14. विपक्ष बेवकूफी वाले बयानों पर समय नष्ट नहीं करते। अपने काम पर ध्यान।
15. स्वास्थ्य, परम्परा और इमानदारी का मिश्रण
16. पूर्ण समर्पण और दृढ़ निश्चय के साथ निर्णय।
17. हिन्दू संस्कृति और शान के प्रतीक
18. आंखे किसी को भी वशीभूत कर सकती है।
19. कोई कन्फ्यूजन नहीं, कोई डर नहीं, कोई स्वार्थ नहीं।
20. 70+ की उम्र में भी एक नौजवान से ज्यादा ऊर्जा। 20 घंटे तक लगातार यात्रा और काम करने की क्षमता।
विश्व के किसी भी राजनेता में इतने गुण नहीं मिल सकते।Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-7456949825094097492024-03-04T21:45:00.002+05:302024-03-04T21:45:40.685+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9B0kHj0HO35hLrtl_bCfcj1RVxSIpHsgk27MrQtaA8KrVKueR-FxBC-0hMCpWi5ex9i17WXwZZ6lvDV27BNO7qGUprf-pat_BJU_ybyl98TSVHzJn2RjACJHAwWz7dWfldxNZaNYnHXj7Eps_0uN9wj9DFZO-mCQ3Odr5OZuCYqvEvGWrNZJFCrUk-js/s879/430700993_720335486751736_3864790699729092387_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="879" data-original-width="660" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg9B0kHj0HO35hLrtl_bCfcj1RVxSIpHsgk27MrQtaA8KrVKueR-FxBC-0hMCpWi5ex9i17WXwZZ6lvDV27BNO7qGUprf-pat_BJU_ybyl98TSVHzJn2RjACJHAwWz7dWfldxNZaNYnHXj7Eps_0uN9wj9DFZO-mCQ3Odr5OZuCYqvEvGWrNZJFCrUk-js/s320/430700993_720335486751736_3864790699729092387_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-12298716892686179762024-03-04T21:44:00.001+05:302024-03-04T21:44:28.109+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPodPVfhBlNCiaiWtZyeex_BrFIWqKlvDAMcc0sFzQyBPfDzc74ttT_foleV6_I5qbrYlMYT26XyM9KMb5STPq9mqxqvG_6n70ahSluUaZywWgq39e3_pWSuZn2mMdcLANpKAb5ehYVXsAVh1KTEbvzAWkyUXgun7mj2iAiy_vAP3he2jwFe2RNz-CGZ8/s2048/429654030_720335380085080_8407646242671248002_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="2048" data-original-width="1539" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhPodPVfhBlNCiaiWtZyeex_BrFIWqKlvDAMcc0sFzQyBPfDzc74ttT_foleV6_I5qbrYlMYT26XyM9KMb5STPq9mqxqvG_6n70ahSluUaZywWgq39e3_pWSuZn2mMdcLANpKAb5ehYVXsAVh1KTEbvzAWkyUXgun7mj2iAiy_vAP3he2jwFe2RNz-CGZ8/s320/429654030_720335380085080_8407646242671248002_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-55492632368876185102024-02-25T17:04:00.003+05:302024-02-25T17:04:29.191+05:30असली- नकली पहचानिए🍃 *Arogya*🍃
*दूध असली है या नकली ऐसे पहचानिए मिलावट के तरीके*
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लेकिन अब मिलावट के तरीके बदल गए हैं, काफी तकनीकी हो गए हैं। अब तो दूध को सीधा गलत तरीके से बनाने की कोशिश की जाती है। केवल दूध ही नही 6, दूध से बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थ जैसे कि पनीर, घी, मावा, इत्यादि गलत तरीकों से बनाए जा रहे हैं।
*सर्फ*
जी हां… शायद आज तक आप इस सच्चाई से परे ही रहे हों, लेकिन दूध से बनने वाला ‘मावा’ अकेले दूध की मदद से ना बनकर कपड़े धोने वाले सर्फ के प्रयोग से बनाया जा रहा है। त्योहारों पर मिठाई की डिमांड बढ़ने पर मांग की पूर्ति करने के लिए दुकानदार खतरनाक तरीका अपना रहे हैं। वो ऐसे सिंथेटिक मावे की मिठाई बेच रहे हैं, जिनमें वाशिंग पाउडर तक मिलाया जाता है।
*मिठाई में भी*
देशभर में सप्लाई होने वाली इस मिठाई को मुरैना और भिंड में बड़े स्तर पर बनाया जाता है। एक बार माल तैयार होते ही उसे ग्वालियर भेजा जाता है और फिर देशभर में सप्लाई किया जाता है।
*वाशिंग पाउडर*
लेकिन मावे को बनाने के लिए वाशिंग पाउडर का इस्तेमाल क्यूं हो रहा है, इसके पीछे भी लोगों ने एक जुगत लगाई है। दरअसल इस सिंथेटिक मावे को बनाने के दौरान उसमें वाशिंग पाउडर भी डाला जाता है। पहले दूध से क्रीम निकाली जाती है, जिसके बाद उसमें यूरिया के अलावा डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का रिफाइंड या वनस्पति घी मिलाया जाता है।
*मावे को बनाने के लिए*
मावे को बनाने के लिए जिस यूरिया की जरूरत पड़ती है वह महंगा होता है, जब मिलावट करने वाले लोगों को समझ में आया कि यूरिया का काम वाशिंग पाउडर भी कर सकता है तो उन्होंने मिलावट का यह गंदा खेल आरंभ कर दिया। इन सभी मिलावटी चीजों को मिलाने के बाद जो पदार्थ तैयार होता है, उससे फिर मावा बना लिया जाता है।
*ऐसे पहचानें नकली दूध*
चलिए यहां आपको कुछ तरीके बताते हैं जो आपको असली या नकली दूध में फर्क बताने में सहायक सिद्ध होंगे।
*पहला तरीका*
सिंथेटिक दूध की पहचान करने के लिए उसे सूंघे। अगर उसमें साबुन जैसी गंध आती है तो इसका मतलब है कि दूध सिंथेटिक है जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती है।
*दूसरा तरीका*
असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।
*तीसरा तरीका*
असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता,जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है। दूध में पानी के मिलावट की पहचान के लिए दूध को एक काली सतह पर छोड़ें। अगर दूध के पीछे एक सफेद लकीर छूटे तो दूध असली है।
*चौथा तरीका*
अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
*पांचवा तरीका*
दूध में पानी की मिलावट की जांच करने के लिए किसी चिकनी लकड़ी या पत्थर की सतह पर दूध की एक या दो बूंद टपकाकर देखिए। अगर दूध बहता हुआ नीचे की तरफ गिरे और सफेद धार सा निशान बन जाए तो दूध शुद्ध है।
*छठा तरीका*
असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
*Dr.(Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*
*9897902760*Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-38093945442902754602024-02-21T20:54:00.002+05:302024-02-21T20:54:38.649+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxJHA2inoU21bIcumNHV2z3xXSRnbhS_s2PCYtPb4JMWrf_0KR3oz2ASaP8i7iG9WTQCEqaEFw-YNy_2m2MZBpVkuIoCluCZaLiSOn3TLVkSCa6dnVb4Y2vndEJ1GHwBp_vEVgzwYqU-Yvr66TaN7MTSyoykiy5kd5gh4LV8oDX4jFXV7xAzgOlDhAM2c/s714/428597324_713467284105223_2874846471209386754_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="714" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhxJHA2inoU21bIcumNHV2z3xXSRnbhS_s2PCYtPb4JMWrf_0KR3oz2ASaP8i7iG9WTQCEqaEFw-YNy_2m2MZBpVkuIoCluCZaLiSOn3TLVkSCa6dnVb4Y2vndEJ1GHwBp_vEVgzwYqU-Yvr66TaN7MTSyoykiy5kd5gh4LV8oDX4jFXV7xAzgOlDhAM2c/s320/428597324_713467284105223_2874846471209386754_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-74989808786134523092024-02-21T20:53:00.003+05:302024-02-21T20:53:41.881+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhi238RZyuLbea1kOMAAZqk6JyeF9L3vd31JgGRgS3DKx1qC5-QRCpoD4UpgRlP26zkIf5o9jZj2KBS_XjnD4bAgyHDDGJPV5zdd1RfiiriOtoIVXCoB068OnmSQ0TL0nCvgr6Muw1k5RgDjq2S5Q_0vhQQOSVVWXQRk2D2Km8MQuQN9AEpERglYHv6vPc/s640/428598566_713467157438569_7753585140216202496_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="640" data-original-width="501" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhi238RZyuLbea1kOMAAZqk6JyeF9L3vd31JgGRgS3DKx1qC5-QRCpoD4UpgRlP26zkIf5o9jZj2KBS_XjnD4bAgyHDDGJPV5zdd1RfiiriOtoIVXCoB068OnmSQ0TL0nCvgr6Muw1k5RgDjq2S5Q_0vhQQOSVVWXQRk2D2Km8MQuQN9AEpERglYHv6vPc/s320/428598566_713467157438569_7753585140216202496_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-36864506385579512372024-02-18T12:11:00.003+05:302024-02-18T12:11:55.161+05:30किसान आंदोलनकिसान आंदोलन देशहित में नहीं
किसान आंदोलन पंजाब से शुरू हो रहा है। पंजाब के किसान पंजाब सरकार से अपनी मांगे न मनवाकर सीधे दिल्ली कूच कर केंद्र सरकार पर दबाब डालने की राजनीति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पंजाब के किसान देश के अमीर किसानों की श्रेणी में आते हैं। अभी तक सरकार द्वारा किसानों को जो छूट दी गई है उसका सबसे ज्यादा फायदा पंजाब के किसान ही उठाते हैं। फिर क्यों ये किसान ऐसी मांगो को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जो किसी भी सरकार के लिए मानी नहीं जा सकती।
ऐसा लगता है जैसे यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। विपक्ष को मोदीजी की सफलता रास नहीं आ रही है। जब विपक्ष में बैठी होती थी तब इन्होंने MSP जैसे कानूनों को लागू करने से मना कर दिया था क्योंकि ये कानून देशहित में नहीं थे। आज विपक्ष खासकर राहुल गांधी सत्ता की चाहत में कह रहे हैं की हमारी सरकार आई तो हम किसानों की सभी बातों को मान लेंगे। राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाकर किसानों की मांगों के समर्थन की बात कर रहे हैं। जबकि उन्हें भी पता है कि MSP की सभी मांगो को पूरा करना सम्भव नहीं है।
देश का बजट 46 लाख करोड़ रुपये है और MSP की सभी मांगो को मान लेने में ही 40 लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाएगा। लेकिन सत्ता की छटपटाहट में विपक्षी नेतागण सबकी सब मांगे मान लेने को तैयार बैठे हैं। वे यह नहीं सोच रहे की इन मांगों को मान लेने पर इनकी पूर्ति कैसे करेंगे? वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित मे अनेक योजनाएं बनाई गई है जिसका लाभ किसान उठा रहे हैं। किसानों के बैंक खाते में धन, खाद में सब्सिडी, बिजली बिल में छूट, बैंक लोन में माफी एवं छूट आदि अनेको योजनाओं का लाभ देश के किसान उठा रहे हैं। एक आम आदमी को भी इतनी छूट नहीं मिलती जितनी किसानों को मिल रही है। वास्तव में तो किसानों को मिलने वाली छूट छोटे किसानों को मिलनी चाहियें। बड़े किसान जो करोडपति हैं उन्हें खुद से किसानों को मिलने वाले लाभों को छोड़ कर छोटे किसानों ला सहयोग करना चाहिए। लेकिन इस आंदोलन में बड़े- बड़े किसान मर्सडीज आदि गाड़ियां लेकर चल रहे हैं। ऐसे किसानों का आंदोलन अराजकता फैलाने के लिये ही किया जा रहा लगता है। किसानों की इन मांगों से देश मे महंगाई बेहताशा बढ़ जायेगी। आम आदमी का जीवन दुश्वार हो जायेगा। किसानों को सबके हित की बात भी सोचनी चाहिये।
सुनील जैन रानाSunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-28611191328727826032024-02-14T10:33:00.009+05:302024-02-14T10:33:54.457+05:30ये अमीर किसानइनका बिजली माफ होना चाहिए इनका कर्ज माफ होना चाहिए इनको सब्सिडी मिलनी चाहिए इनको एमएसपी चाहिए इनकी आमदनी पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं होना चाहिए अराजकता फैलाने की पूरी छूट चाहिए और अब तो इन्हें अपना अलग देश भी चाहिए क्योंकि यह अन्नदाता है यह अपने लिए कुछ नहीं पैदा करते हैं कृषि इनकी रोजी-रोटी नहीं है व्यवसाय नहीं है यह तो बस जो भी कर रहे हैं वह दूसरों के लिए बिना किसी स्वार्थ के कर रहे हैं......एक शब्द में कहिए कि किसान के नाम पर आंदोलन करने वाले लोग सरकार को ब्लैकमेल करने वाले लोग हैं विपक्षी पार्टियों के टूल किट के किरदार हैं देश विरोधी ताकतों के पालतू लोग हैं यही इनकी असलियत है है कड़वा है लेकिन सच है। सरकार को सिर्फ गरीब किसानों के लिये योजनाएं बनानी चाहिए। गरीब किसान परेशान रहता है। अमीर किसान को मदद की कोई जरूरत नही होती। अमीर किसान आंदोलन मर मर्सडीज गाड़ियां लेकर चल रहे है। ये सिर्फ अराजकता फैलाना चाहते है किसी के इशारों पर।
Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-2559693937220081612024-02-13T20:00:00.001+05:302024-02-13T20:00:15.133+05:30http://suniljainrana.blogspot.com/http://suniljainrana.blogspot.com/<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKQ4riR15BTdU3UwIDbLzA83nWFbD6ME-u6lPBjOtHDJhxxSLJ85FxhQaJ_xiPOaUFkhCad5gKZs7uC3L9BiVm2zxYjf-Ojy22IEr8B9pVP0bP1zDw9JfHvlgJDCq1Vf21Ga1QfdLKUjfIVDhPNLu9CEPsMfGqxxq0PLsMjqDqgxdnCAKNkwvxktZQDuw/s704/427877989_709666671151951_4821162045566772028_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="704" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKQ4riR15BTdU3UwIDbLzA83nWFbD6ME-u6lPBjOtHDJhxxSLJ85FxhQaJ_xiPOaUFkhCad5gKZs7uC3L9BiVm2zxYjf-Ojy22IEr8B9pVP0bP1zDw9JfHvlgJDCq1Vf21Ga1QfdLKUjfIVDhPNLu9CEPsMfGqxxq0PLsMjqDqgxdnCAKNkwvxktZQDuw/s320/427877989_709666671151951_4821162045566772028_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-53205669462590335472024-02-13T19:56:00.001+05:302024-02-13T19:56:03.220+05:30http://suniljainrana.blogspot.com/http://suniljainrana.blogspot.com/<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUAUGlODDeu1dzYj5PPki0dpIHYPFqUQ2pqpnEacf0uG-1tlcP_0q-YyE7HUBFcgMOGJYHRyMlM87qRSEGCqxkww5l1yBAFiIX9bosZr3iIzuUYSOyJsoUD1EbE2xtcJPt8tqTSDqaansjCRSZBGWtOn0ZrLu6Jh5D1h6w006C_TD44VkcKJCqM6NurBI/s685/426506866_709666211151997_4187810523772716820_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="685" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhUAUGlODDeu1dzYj5PPki0dpIHYPFqUQ2pqpnEacf0uG-1tlcP_0q-YyE7HUBFcgMOGJYHRyMlM87qRSEGCqxkww5l1yBAFiIX9bosZr3iIzuUYSOyJsoUD1EbE2xtcJPt8tqTSDqaansjCRSZBGWtOn0ZrLu6Jh5D1h6w006C_TD44VkcKJCqM6NurBI/s320/426506866_709666211151997_4187810523772716820_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-57834413219544425272024-02-11T16:35:00.002+05:302024-02-11T16:35:37.530+05:30रिटायरमेंट के बाद*रिटायरमेंट के बाद का जीवन:-*
_दिल्ली शहर के सरोजनी नगर में एक आईएएस अफसर रहने के लिए आए, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे।_
_ये बड़े वाले रिटायर्ड आईएएस अफसर, हैरान-परेशान से रोज शाम को पास के पार्क में टहलते हुए, अन्य लोगों को तिरस्कार भरी नज़रों से देखते और किसी से भी बात नहीं करते थे।_
_एक दिन एक बुज़ुर्ग के पास शाम को गुफ़्तगूँ के लिए बैठे और फिर रोज़ाना उनके पास बैठने लगे_
_लेकिन उनकी वार्ता का विषय एक ही होता था- *"मैं दिल्ली में इतना बड़ा आईएएस अफ़सर था कि पूछो मत! यहाँ तो मैं मजबूरी में आ गया हूँ। मुझे तो अमेरिका में बसना चाहिए था..."*_
_और वो बुजुर्ग प्रतिदिन शांतिपूर्वक उनकी बातें सुना करते थे।_
_परेशान होकर एक दिन बुजुर्ग ने उनको समझाया - *"आपने कभी फ्यूज बल्ब देखे हैं? बल्ब के फ्यूज हो जाने के बाद क्या कोई देखता है कि बल्ब किस कम्पनी का बना हुआ था? या कितने वाट का था? या उससे कितनी रोशनी या जगमगाहट होती थी?*_
_*बल्ब के फ्यूज़ होने के बाद ये सब बातें कोई मायने नहीं रखती हैं... बताओ, लोग ऐसे बल्ब को कबाड़ में डाल देते हैं कि नहीं!"*_
_रिटायर्ड आईएएस अधिकारी महोदय ने सहमति में सिर हिलाया तो बुजुर्ग फिर बोले -_ _*"रिटायरमेंट के बाद करीब करीब सभी की स्थिति, फ्यूज बल्ब जैसी हो जाती है।*_
_*हम कहाँ काम करते थे, कितने बड़े अथवा छोटे पद पर थे, हमारा क्या रुतबा था, ये कुछ भी मायने नहीं रखता।"*_
_वे आगे बोले- *"मैं सोसाइटी में पिछले कई वर्षों से रहता हूँ और मैंने आजतक किसी को यह नहीं बताया कि मैं दो बार संसद सदस्य रह चुका हूँ।*_
_*वो जो सामने जाटव जी बैठे हैं, रेलवे के महाप्रबंधक थे।*_
_*वे सामने से आ रहे माहौर जी साहब- सेना में ब्रिगेडियर थे।*_
_*वो माँझी जी- इसरो में चीफ थे... मग़र ये बात उन्होंने किसी को नहीं बताई है, मुझे भी नहीं! अब वो हों चाहे मैं! हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि सारे फ्यूज़ बल्ब करीब-करीब एक जैसे ही हो जाते हैं, चाहे जीरो वाट का हो 50 वाट का हो या 100 वाट का!"*_
_सीधा फंडा है- रोशनी नहीं तो उपयोगिता नहीं।_
_उगते सूर्य को जल चढ़ा कर सभी पूजा करते हैं। पर डूबते सूरज की कोई पूजा नहीं करता।_
_कुछ लोग अपने पद को लेकर इतने वहम में होते हैं कि रिटायरमेंट के बाद भी उनसे अपने जलबे, भुलाए नहीं जाते! वे अपने घर के आगे नेम प्लेट लगाते हैं - रिटायर्ड आइएएस/रिटायर्ड आईपीएस/रिटायर्ड पीसीएस/ रिटायर्ड जज आदि-आदि।_
_अब ये रिटायर्ड IAS/IPS/PCS/ Engineer/तहसीलदार/ पटवारी/ बाबू/ प्रोफेसर/ प्रिंसिपल/ अध्यापक आदि... जाने कितनी और कौन-कौनसी पोस्ट होती हैं भाई?_
_माना कि आप बहुत बड़े आफिसर थे, बहुत काबिल भी थे, या छोटे भी थे तो आपके हुनर की पूरे महकमे में तूती बोलती थी!_
_पर अब यह सब बातें मायने नहीं रखतीं! अब मायने रखती है तो सिर्फ़ यह बात - कि पद पर रहते समय आप इंसान कैसे थे...?_
_आपने कितनी जिंदगियों को छुआ...?_
_आपने आम लोगों को कितनी तबज्जो दी कि नहीं?..._
_आपने समाज को क्या दिया?_
_लोगों के कितने काम आए?_
_लोगों की मदद की या अपने पद के घमंड में ही सूजे रहे...?_
_मित्रों, 'ये सीख' इस समय जो लोग पदों पर आसीन हैं... कार्यरत हैं... उनके लिए भी है कि- अगर पद पर रहते हुए कभी घमंड आए... तो बस याद कर लेना कि- एक दिन सबको फ्यूज होना है, और फ़्यूज होने के बाद अग़र अहमियत रहेगी तो सिर्फ़ इस बात की- कि आपने अपने जीवनकाल में (जब आप सक्षम थे तब) कितने लोगों को रोशनी प्रदान की।_
_अतः मित्रों, चाहे आप पद पर हों या न हों! अभी भी वक्त है। चिंतन करिए... तथा समाज एवं सोसायटी का, जो भी संभव हो हित कीजिए... अपने आभामंडल रूपी बल्ब से समाज एवं देश को रोशन कीजिए।_
_😊Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-51530961321207092012024-02-08T14:53:00.000+05:302024-02-08T14:53:07.411+05:30प्राचीन भारतीय ज्ञानयदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।
यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।
यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यो है।
Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा से आए।
Surgery का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकितसा" शब्द कहा ये आया।
विमान, विद्युत, दूरसंचार , ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।
फिसिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जाएगे।
बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता।
सौरमंडल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममांड अनंत है, ये हमारे पूर्वजो को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढिए, बह्ममांड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।
अंग्रेज जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा,
17 -18 सदी के पहले कोई अविश्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेजो ने अविश्कार करे।
भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई, ज्ञान की भी लूट हुई है।
वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक है
जय श्री राम , जय सनातन संस्कृति ।
Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-21893894701884497582024-02-05T20:21:00.003+05:302024-02-05T20:21:28.502+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGGjdy9GeElECGS-t5mmepDJZB75dUy8SkQ35G736mHG97b1XkHfCLBjoQYLa3bqRjyHCTCIJcRs6RKQPji60BTdYBLIJ2vU0oahiI9szcuwxnPMTdjeTotY9bTvjTJla-Mk3H2O98zlkTqdu0h9hUC4bbNFL_kfvMxL1p98QlANaITokGx1fsBPNM1EA/s700/425354029_705137018271583_5967535444582957115_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="700" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhGGjdy9GeElECGS-t5mmepDJZB75dUy8SkQ35G736mHG97b1XkHfCLBjoQYLa3bqRjyHCTCIJcRs6RKQPji60BTdYBLIJ2vU0oahiI9szcuwxnPMTdjeTotY9bTvjTJla-Mk3H2O98zlkTqdu0h9hUC4bbNFL_kfvMxL1p98QlANaITokGx1fsBPNM1EA/s320/425354029_705137018271583_5967535444582957115_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-91534034931052539422024-02-05T20:20:00.001+05:302024-02-05T20:20:45.495+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgS1Qjv7BQjhgWe7zRNyjf7HFFUjYm4PKUhugetJUArAaxdAWhLA3yXwDa_AbrfkQUuPBMbMA3ZaBNSHmx6DmLul1yuqFTQTSqqYIxO9zhblqjKTdaSVpevZmq_qPOCfW_PbRNjHQoEkP_cskicuQ3MwrqRTmIv52Wus9ijmbRWMTYzNSDJTjUGDwNmHAs/s685/425518554_705136871604931_7844942147795654299_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="685" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgS1Qjv7BQjhgWe7zRNyjf7HFFUjYm4PKUhugetJUArAaxdAWhLA3yXwDa_AbrfkQUuPBMbMA3ZaBNSHmx6DmLul1yuqFTQTSqqYIxO9zhblqjKTdaSVpevZmq_qPOCfW_PbRNjHQoEkP_cskicuQ3MwrqRTmIv52Wus9ijmbRWMTYzNSDJTjUGDwNmHAs/s320/425518554_705136871604931_7844942147795654299_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-64708237357944829612024-01-28T13:19:00.003+05:302024-01-28T13:19:55.538+05:30सत्ता की भूख
सत्ता की भूख का समीकरण समझने के लिए राजनीति में कथित पलटूराम लेकिन किस्मत के धनी बिहार के सीएम नीतीश कुमार से समझ सकते हैं। जो खेला करने में माहिर हैं। लालू एंड संस् से खेला कर एनडीए के साथ जुड़कर स्तीफा देकर सपथ ग्रहण कर फिर से नये सीएम बन गये।
राजनीति में कुछ भी होना सम्भव है। दुश्मन का दुश्मन दोस्त और दोस्त- दोस्त दुश्मन बन जाते हैं। ये सब जुमले बिहार में सच हो रहे हैं। बिहार में सत्ता की भूख के कारण समीकरण बैठाने को नीतीश ने लालू की आरजेडी से नाता तोड़कर मोदीजी की एनडीए से नाता जोड़कर पुनः सीएम बन गये।
यह सच है की एक सही आदमी गलत आदमियों के साथ बहुत लंबे समय तक साथ नहीं रह सकता। यही वजह बिहार की राजनीति में हो रही थी। नीतीश कुमार पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं है लेकिन लालू एंड संस् सदैव भृष्टाचार के आरोपो से घिरे ही रहते हैं। ऐसे में सही आदमी कब तक बर्दाश्त करता। इसी का नतीज़ा टूट का कारण बना।
बिहार का विकास भी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर ही कर सकते हैं। भृष्टाचारियो के साथ मिलकर नहीं कर सकते। 1600 करोड़ का पुल बना और गिर गया। इसपर कोई कुछ नहीं बोला। गठबंधन जो 900 करोड़ के संसद भवन पर हंगामा कर रहा था उसका एक भी सदस्य 1600 करोड़ के पुल के बनने से पहले ही गिर जाने पर नहीं बोला। दरअसल सबका एक ही उद्देश्य है मोदी सरकार को हटाओ। देश के विकास का नक्शा किसी के पास नही है। गठबंधन में सभी घटक दल सता की भूख के समीकरण खोजने में लगे हैं।
सुनील जैन रानाSunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-15847276919883666002024-01-22T21:52:00.001+05:302024-01-22T21:52:18.085+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_d9oWTJhVq7DCSYgNqUI9Kbzxp8dHAd8p6rN7xQ_PiKedIydjEFGPxrAD-AIhY-7cNDc9b6kDJ2FB7xx6qtCR8HiAtgE0alDfSNZ_qXJJUyPJB4N_v9TGC9q6f7-waPIEdXY3xaFeh-RFPgcM7-oNldHQ4fUuSUkPnpBNWVQ8txc7F5GOy7ffB_iFfM0/s711/420777962_697965488988736_1982183987573424169_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="711" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_d9oWTJhVq7DCSYgNqUI9Kbzxp8dHAd8p6rN7xQ_PiKedIydjEFGPxrAD-AIhY-7cNDc9b6kDJ2FB7xx6qtCR8HiAtgE0alDfSNZ_qXJJUyPJB4N_v9TGC9q6f7-waPIEdXY3xaFeh-RFPgcM7-oNldHQ4fUuSUkPnpBNWVQ8txc7F5GOy7ffB_iFfM0/s320/420777962_697965488988736_1982183987573424169_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-13730666666429294502024-01-22T21:51:00.001+05:302024-01-22T21:51:24.771+05:30https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hlhttps://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl<div class="separator" style="clear: both;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrv7zPem39i1PcVm8og_cUB9EtUmaBE5MZjG-fytkREC2rM6_ByuTJJCvWWiigTD3X72p1Yp2b9mcxG8n-WzWF0Pn8aYRjIFusX3EGd8TEbPpi92850Q4_n_vHTuC9UMERzUl_T_XXqp0r455dAS_X31aUp5DJ8FllQ7oof43pHghXWAdu36RjkpFtY-g/s690/420853469_697965345655417_5649082899319465672_n.jpg" style="display: block; padding: 1em 0; text-align: center; "><img alt="" border="0" height="320" data-original-height="690" data-original-width="526" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrv7zPem39i1PcVm8og_cUB9EtUmaBE5MZjG-fytkREC2rM6_ByuTJJCvWWiigTD3X72p1Yp2b9mcxG8n-WzWF0Pn8aYRjIFusX3EGd8TEbPpi92850Q4_n_vHTuC9UMERzUl_T_XXqp0r455dAS_X31aUp5DJ8FllQ7oof43pHghXWAdu36RjkpFtY-g/s320/420853469_697965345655417_5649082899319465672_n.jpg"/></a></div>Sunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2878756987121014695.post-32778096770498757912024-01-19T11:58:00.005+05:302024-01-19T11:58:44.583+05:30सिखलैंड की लड़ाईअगर आप को इसके बारे नहीं पता तो आप अपने इतिहास से बेखबर है।
आपने "ग्रीक सपार्टा" और "परसियन" की लड़ाई के बारे मेँ सुना होगा ......
इनके ऊपर "300" जैसी फिल्म भी बनी है ....
.
पर अगर आप "सारागढ़ी" के बारे मेँ पढोगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई
सिखलैँड मेँ हुई थी ...... बात 1897 की है .....
नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला कर दिया ......
वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थे ....
.
इन किलोँ को महाराजा रणजीत सिँघ ने बनवाया था ..... इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी .......
जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे .....
ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे .....
36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे .......
ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है .......
फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी .....
एक तरफ 12 हजार अफगान थे .....
तो दूसरी तरफ 21 सिख .......
यंहा बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 600-1400 अफगान मारे गये और अफगानोँ की भारी तबाही हुयी .....
सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया ........
अफगानोँ की हार हुयी ..... जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी ......ब्रिटेन की संसद मेँ सभी ने खड़ा होकर इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सलाम किया ..... इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया .......
जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था ......
भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था ......
UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल किया ......
इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गयी ...... पर मुझे दुख होता है कि जो बात हर भारतीय को पता होनी चाहिए ...... उसके बारे मेँ कम लोग ही जानते है .......ये लड़ाई यूरोप के स्कूलोँ मेँ पढाई जाती है पर हमारे यंहा जानते तक नहीँ ........
साभारSunil Jain Rana http://www.blogger.com/profile/05715632221966029264noreply@blogger.com0