मंगलवार, 31 जुलाई 2018



गौशालाओं में भी सुरक्षित नहीं गायें ?
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देश के कई राज्यों की गौशालाओं में भी गाय सुरक्षित नहीं हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है। सरकारी मदद से चलने वाली गौशालाओं में गोधन के हिस्से का चारा मोटे पेट वाले डकार रहे हैं। बहुत कम सरकारी गौशालाओं में गायों की ठीक से देखभाल हो रही है।

निजी रूप से ऋषि -मुनियों के आशीर्वाद एवं जनता के सहयोग से चलने वाली गौशालाएँ फिर भी बहुत अच्छे से चल रही हैं। देश में कटान को जाने वाली गायों पर अनेक गोरक्षक पकड़ -धकड़ में लगे रहते हैं। उन्ही की आड़ में कुछ असामाजिक तत्व भी अपना खेल खेलते रहते हैं। ऐसे में सच्चे गोभक्तों को उनके आसपास चल रही गोशालाओं में योगदान देना चाहिए। अक्सर टीवी पर भूख से डीएम तोड़ती गायों के समाचार फोटो सहित आते हैं। जिन्हे देखकर मन विचलित हो जाता है। ऐसी गोशालाओं का कार्य गोभक्तों को देखना चाहिए। 

बुधवार, 18 जुलाई 2018



जानबूझ कर सड़ाते हैं गेहूं ?
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आज ही व्हाट्सएप पर एक वीडियो आया जिसे मैंने अपनी फेसबुक पर पोस्ट कर दिया। वीडियो किसी एफ सी आई के अनाज भंडारण का है। जिसमे खुले में अनाज रखा है लेकिन तिरपाल से ढ़ककर। बारिस आते ही एक व्यक्ति किसी के आदेश पर अनाज की बोरियो पर चढ़कर अनाज पर से तिरपाल उतार रहा है। इसका मतलब साफ़ है की तिरपाल जानबूझकर उतरवाई जा रही है ताकि अनाज भीग जाये। वीडियो कहां की है यह पता नहीं।लेकिन यह सहारनपुर के लोकल पत्रकारों के ग्रुप पर पोस्ट हुई है। 

इस वीडियो की छानबीन होना बहुत जरूरी है ताकि पता चल सके की यह किस जगह ऐसा हुआ है। मै भी इसे ट्विटर पर कई जगह पोस्ट करूंगा। वैसे तो ऐसा होना कोई नई बात नहीं है। पहले भी ऐसा देखने में आता रहा है। सरकारी गोदामों में अनाज की खरीद में घटतौली और हल्की क्वालिटी एवं अन्य जालसाज़ी को छुपाने के लिए संबंधित अनाज को बरसात में खुले में जानबूझकर भीगने को छोड़ दिया जाता है। ऐसा करने से सारी जांच खत्म ही हो जाती हैं। ततपश्चात भीगा हुआ गेंहू शराब -बियर बनाने वाली कम्पनियों को पूर्ण मिलीभगत से बेचा जाता है। कई बार ऐसा भी होता होगा की बेचने के बावजूद गेहूं सड़ जाने का बहाना लेकर उठवाई के भी बिल बनते होंगे।

अब इस वाकये को गरीब जनता की दृष्टि से देंखे तो यह सीधा -सीधा देश द्रोह जैसा मामला है। सरकार को किसानो से तय मूल्य पर निश्चित मात्रा में अनाज आदि खरीदना ही होता है। देश में भंडारण की कमी पहले से ही है इसलिए कुछ अनाज खुले में भी रखना ही पड़ता है। ऐसे में कुछ राक्षस प्रवृति के अधिकारी लोग जिनका पेट लाखों रूपये की सेलरी से नहीं भरता वे ऐसे कार्यो को मिलीभगत से करते होंगे। अब सरकार को यह सब देखने के बाद ऐसे अधिकारियों का पेट जेल की रोटी से भरना चाहिए।                   http://suniljainrana.blogspot.in/

रविवार, 15 जुलाई 2018

श्री हरिराम पथिक जी की दो पुस्तकों का विमोचन सहारनपुर की विख्यात साहित्यिक संस्था *समन्वय * और
विभावरी के संयुक्त तत्वाधान में हुआ।








मैं सुनील जैन राना श्री हरिराम पथिक जी का माल्यार्पण कर गले मिलते हुए। साथ में हैं विख्यात योगगुरु
पद्मश्री श्री भारत भूषण जी ,अंतर्राष्ट्रीय कवि श्री राजेंद्र राजन जी एवं श्री बालेश्वर जी जैन। 

बुधवार, 11 जुलाई 2018



विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाते हैं हम ?
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आज विश्व जनसंख्या दिवस है। पता नहीं क्यों भारत में ऐसे दिवस मनाते हैं जिनका कोई ओचित्य नहीं है।
पता नहीं यह किस कामना के लिए मनाया जाता है। जनता बढ़े या जनता कम हो या जनता कुशलपूर्वक रहे।
भारत में तो अब जनता आगे ज्यादा न बढ़े , यही उद्देश्य होना चाहिए।

जनता की बढ़ोतरी ने देश के विकास की गति को आगे नहीं बढ़ने दिया है। योजनाएं बनती हैं ,लेकिन जब तक पूरी होती हैं तब तक जनता की ज्यादा बढ़ोतरी से उतनी प्रभावी नहीं रहती। वैसे भी ज्यादा पॉपुलेशन देश के लिए हितकारी नहीं होती। हर तरफ भीड़ ,हर तरफ मारामारी ,बेरोजगारी सभी के लिए परेशानी का कारण है।
इस विषय में हम सभी को चिन्तन करना चाहिए।                                   http://suniljainrana.blogspot.com/

मंगलवार, 10 जुलाई 2018



वन महोत्स्व पर लगेंगे लाखों पेड़ ?
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वन महोत्स्व के दौरान वन अधिकारी बोले की महोत्स्व के दौरान लाखों पेड़ लगाए जायेंगे। अब कोई इनसे पूछे की पहली बात तो यह की पेड़ नहीं लगते पौधे लगाए जाते हैं। दूसरी बात यह है की हर साल लाखो पौधे लगाए जाते रहे हैं उनमे से कितने पेड़ तैयार हुए अब तक?

देखने में यही आता है की ज़मीन पर कम कागजों में ज्यादा पेड़ लगाए जाते हैं। इसी कारण हर साल उन्ही कुछ जगहों पर पौधे रोप दिए जाते हैं जिनकी गिनती कागजों में ज्यादा होती है और ज़मीन पर कम। इसमें भी विडंबना की बात यह यह की पौधे रोप देने के बाद शायद उनकी देखभाल का खर्च भी बसूला जाता होगा लेकिन फिर भी उनमे से कितने बच पाए इस बात का कोई ब्यौरा नहीं रखा जाता।

राज्य सरकारों को इस दिशा में सोचना चाहिए। पौधे उतने ही लगाओ जिनकी देखभाल कर पाओ। पिछले साल लगाए पौधो का ब्यौरा दो ,उनकी गिनती कराओ तभी वन महोत्स्व की सार्थकता है। अन्यथा हम सभी दशकों से यही सब देख रहे हैं की हर साल लगते लाखों पौधे लेकिन उनमें से पेड़ बनते सिर्फ सैंकड़ो पौधे।

इस पर मेरा एक सुंदर हाइकु * पेड़ काटना *पहाड़ उजाड़ना *खुद से छल। http://suniljainrana.blogspot.com/

रविवार, 8 जुलाई 2018



देश की राजनीती में टीवी मिडिया के गैर जरूरी बयान
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भारतीय राजनीती अपने उबाल पर है। कहीं पक्ष -विपक्ष में घमासान तो कभी बलात्कार -मर्डर -आंदोलन पर घमासान। किसी भी मुद्दे पर पांच पार्टियों के छह वक्ता मुद्दे को सुलझाने की बजाय अनर्गल भाषा से उलझा देते हैं। कोई झुकने को तैयार नहीं।

कुछ टीवी एंकर भी कुछ ज्यादा ही उत्तेजना पूर्ण वक्तव्य देकर या गैर जरूरी वक्तव्य देकर माहौल को गरमा देते /देती हैं। जैसे आज बुरहान बानी के दो साल पर कश्मीर अलगाववादियों ने कश्मीर बंद का आहवान किया। इस पर कुछ टीवी चैनल पर बार -बार बुरहान की फोटो दिखाई गई तो कभी बार -बार अलगाववादी नेताओ की फोटो दिखाई गई। कोई पूछे क्या जरूरत थी इनकी फोटो दिखाने की ?सिर्फ सेना की सतर्कता दिखाते बार -बार
सेना का जनता को सहयोग दिखाते और बंद के विरोधियों की धर -पकड़ दिखाते।

ऐसे ही कल कुछ टीवी चैनल पर चीन सीमा पर बना नया ३५३ किलोमीटर का हाइवे का समाचार आ रहा था। जिसमें टीवी एंकर बढ़ -चढ़ कर बोल रहे थे की अब चीन की शामत आई ,अब चीन पर चढ़ाई कर देंगे ,अब चीन का गला घोठ देंगे ,अब चीन की सीमा पर तोपे लगा देंगे ,आदि आदि बातें। अब कोई इनसे पूछे की तुमने चीन को पाकिस्तान समझ लिया है क्या ?की जब चाहे धमकी दे दो। आज चीन प्रत्येक छेत्र में भारत से कई गुणा आगे है। उससे पार पाना आसान नहीं है। ऐसे ही कभी भारत के पास कितना गोला - बारूद -हथियार -लड़ाकू विमान
आदि हैं उनकी गिनती बताने लगते हैं। सिर्फ यही नहीं पाकिस्तान और चीन के मुकाबले भारत के पास क्या है और क्या नहीं है यह भी दहाड़ -दहाड़ कर बताने लगते हैं।

अब आप ही सोचो क्या यह ठीक है ?यह सब देश हित में नहीं है। बुरहान बानी को हीरो बना दिया मिडिया ने।
अलगाववादियों को हीरो बनाया मिडिया ने। कुछ देशद्रोही बयान देने वालो को हीरो बना दिया मिडिया ने। यदि मिडिया इन सबको ना दिखाये तो इनको ना कोई पहचाने गा न ही इनके समर्थक होंगे। यह सब देशहित में नहीं है। इन्ही कारणों से देश में घमासान मच रहा है।                                         http://suniljainrana.blogspot.in/

लिव इन रिलेशन

वह मूर्ख लड़की उस लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती थी। जानते हैं क्यों? क्योंकि उसने देखा, सुना होगा कि देश के सारे पढ़े लिखे बुद्धिजीवी,...