बुधवार, 30 सितंबर 2020

बैंक में धोखाधड़ी

बैंक इंश्योरेंस में धोखाधड़ी https://suniljainrana.blogspot.com/ September 30, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है की देश के सरकारी -गैरसरकारी बैंको ने पहले जनता की भलाई का धन बैंक अधिकारियो ,कॉर्पोरेट्स और नेताओ की मिलीभगत से लाखों करोड़ रूपये एनपीए बनाकर लूट डाला और अब इंश्योरेंस के नाम पर धोखाधड़ी हो रही है। कुछ बैंक वृध्द ,रिटायर लोगो के खाते में पड़े पर्याप्त धन लालच देकर इंश्योरेंस पॉलिसी में तब्दील कराकर लम्बी किस्तें बना देते हैं जिन्हे उपभोक्ता पूरी नहीं कर पाता और उसका धन डूब जाता है। ऐसे अनेक किस्से वृध्द -रिटायर्ड लोगो से सुन सकते हैं। ऐसा ही एक किस्सा एक वृध्द बीमार विधवा महिला जिसका खाता पंजाब नेशनल बैंक में है अपनी बची खुची राशि में से एक लाख की एफडी बनाने को कर्मचारी को चैक दिया। कर्मचारी ने कहा की बैंक में बन जायेगी कागजात मै घर लाकर दे दूंगा। कुछ दिन बाद कर्मचारी ने कागजात घर लाकर दे दिए। कुछ समय पश्चात महिला को बीमारी के ईलाज हेतु धन की जरूरत पड़ी तो उन्होंने उसी कर्मचारी से एफडी तुड़वाकर कुछ धनराशि देने को कहा। जब उसने जबाब नहीं दिया तो बीमार वृध्द महिला बैंक गई और मैनेजर से बात की तो मैनेजर ने बताया की आपके एक लाख की एफडी नहीं बल्कि पीएनबी मेटलाइफ पॉलिसी बना दी गई है जिसमें आपको पांच साल तक एक लाख जमा कराने होंगे। यह सरासर धोखाधड़ी की बात हुई। धोखाधड़ी सिर्फ इतनी ही नहीं बल्कि पॉलिसी पर भी महिला एवं नोमिनी की फोटो की जगह अन्य फोटो लगी है एवं दोनों के हस्ताक्षर भी फर्जी हैं। जिस पर भी बैंक वालो ने इसे मेटलाइफ का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया। इस पर उक्त महिला ने एक पत्र धोखाधड़ी का बनाकर रजिस्टर्ड डाक से बैंक मैनेजर /मेटलाइफ /हेड ऑफिस /वित्त मंत्री को भेजा जिसका लगभग दो माह बाद भी कहीं से भी कोई जबाब नहीं आया। यह मामला पीएनबी रामपुर मनिहारन,जिला सहारनपुर ,उत्तर प्रदेश का है। सूत्रों से पता चला है की आजकल कुछ बैंको में संबंधित इंश्योरेंस सेक्टर के बंदे बैठे रहते हैं जो ज्यादा कमीशन के लालच दिए गए टारगेट पूर्ति को कुछ उपभोक्ताओं निशाना बना लेते हैं। वित्त मंत्रालय को इस विषय में संज्ञान लेकर पीड़ित उपभोक्ताओं को राहत पहुंचानी ही चाहिए।

शनिवार, 19 सितंबर 2020

सच्चा सिक्का भी खोटा

सच्चा सिक्का भी खोटा ? September 19, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित हमारे देश में अफवाहों के कारण अनेक ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जो देश के लिए हानिकारक होती हैं। ऐसी ही अफवाह एक रूपये के छोटे सिक्के एवं दस रूपये के सिक्के जिसके बीच में दस अंकित है आज भी सरकार के कहने के बाद की ये दोनों सिक्के असली हैं फिर भी आम चलन से बाहर हो गए हैं। आम जनता तो दूर सरकारी बैंक भी इन्हें लेने से मना कर देते हैं। सरकारी बैंक, सरकारी करेंसी और सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। आम आदमी से कोई भी बैंक इन सिक्कों को नहीं लेता है। कहावत थी की वक्त पर खोटा सिक्का काम आ गया लेकिन यहां तो सच्चा सिक्का भी खोटा हो गया। रिजर्व बैंक द्वारा नये -नये नोट छाप दिए गये। एक हज़ार के नोट की सख्त जरूरत है वह नहीं बनाया गया जबकि बाजार दस के नोटों की बहुतायत से पीड़ित है फिर भी दस के नये नोट बहुतायत में छापे जा रहे हैं। छोटा व्यापारी जब उन्हें बैंक में जमा कराने जाता है तो बैंक वाले आनाकानी करते हैं ,कुछ बैंक प्रत्येक पैकेट के अगल से कुछ रूपये लेते हैं,ऐसा क्यों है ? मामूली कटे -फ़टे नोट बैंक वाले क्यों नहीं लेते हैं? पुरे पैकेट में से ऐसे नोट निकाल कर वापस कर देते हैं। जबकि बाजार में बट्टे पर कुछ कम धनराशि पर वही नोट बदल दिए जाते हैं। इसका मतलब साफ़ यह है की बैंक वाले आम आदमी से कटे -फ़टे नोट नहीं लेते लेकिन बट्टे वालो से ले लेते हैं शायद कुछ सांठ -गाँठ होती होगी। ऐसी अनेकों समस्याओं से आम आदमी पीड़ित है। ऐसे में बैंको को सख्त हिदायत होनी चाहिए की इस प्रकार समस्याओं का समाधान किया जाए। * सुनील जैन राना *

शनिवार, 12 सितंबर 2020

हिंदी दिवस

हिन्दी दिवस September 12, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित हिन्दुस्तान में हिन्दी दिवस की तर्ज पर अन्य किसी भी देश में शायद वहां की राष्ट्र भाषा दिवस ही मनाया जाता होगा। यहां तो हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है। अनेक सरकारी -गैरसरकारी जगह हिंदी की महत्ता अंग्रेजी में बताई जाती है। कुल मिलाकर हिंदी हिंदुस्तान की पहचान है। हिंदी मात्र भाषा नहीं बल्कि मातृ भाषा जैसी है। हिंदी सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करती है। हिंदी बोलने -सुनने में सहज -सरल भाषा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक यदि कोई आम भाषा है तो वह हिंदी ही है। हिंदी अन्य सभी भाषाओं की माँ -मौसी -बहन के समान है जो अपने सभी भाषाई भाई -बहनों को आपस में जोड़े रखती है। देश के अनेक क्षेत्रों में हिंदी न बोली जाती हो लेकिन समझते सभी हैं। क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले हिंदी के बिना अधूरे से ही हो जाते हैं। भारतीय राजनीति हो ,फ़िल्मी दुनिया हो ,टीवी चैनल आदि सभी हिंदी के बिना अधूरे से ही लगते हैं। देश के कुछ राज्यों में भले ही हिंदी का विरोध होता हो लेकिन उनको भी अपनी बात देश भर में पहुंचाने के लिए हिंदी का सहारा लेना ही पड़ता है। साहित्य जगत के विख्यात कवि सूर -कबीर -तुलसी -रसखान आदि हिंदी भाषी ही रहे हैं। हिंदी के सीरियल ,हिंदी फिल्में ,हिंदी गीत खासकर देशभक्ति के हिंदी गीत आज भी गुनगुनाने को मन करता ही है। सच बात तो यही है की हिंदी का कोई विकल्प नहीं है। हिंदी सभी भाषाओं माथे की बिंदी जैसी है। सरकारी कामकाज में हिंदी में प्रयोग होने वाले अनेकों शब्द कठिन होने के कारण पूर्णरूप से इस्तेमाल नहीं हो पाते, ऐसे में आम बोलचाल वाले अन्य भाषाई शब्द प्रयोग करने में कोई हानि नहीं है। अन्त में सिर्फ इतना ही की मेरा देश महान हो -सभी भाषाओं का सम्मान हो। *सुनील जैन राना

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

ऊपर वाले की नज़र

ऊपर वाले की नज़र September 3, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित कुछ इंसान पता नहीं कब हैवान हो गये ,हैवान भी ऐसे की न वे नीचे वाले से डर रहे न ही ऊपर वाले से डर रहे हैं। वह ये भी भूल गये की हम सभी कैमरे की नज़र में हैं। फर्क सिर्फ इतना है की नीचे वाले का कैमरा तो कभी बंद भी हो जाता है लेकिन ऊपर वाले के कैमरे से कोई बच नहीं सकता। विश्वव्यापी कोरोना महामारी भारत में भी काबू नहीं आ रही है। भारत सरकार अपनी पूरी ताकत से कोरोना वायरस से लड़ने और कोरोना से प्रभावित जनता को यथासम्भव सहूलियत उपलब्ध कराने को सदैव तत्पर है। इन सहूलियतों में गरीब जनता को मुफ्त राशन -दवाई -उपचार एवं कुछ राशि उपलब्ध कराई जा रही है। जिस पर लाखों करोड़ रूपये व्यय हो रहें हैं। कोरोना के कारण पिछले छ माह में देश के उद्योग धंधे ,व्यापार ,रोजगार आदि सभी की हालत खराब हो गई है। ऊपर से पड़ोसी देशों ने युद्ध के से हालात बना रखे हैं। जिसके कारण अर्थव्यवस्था से बहुत बड़ा धन हथियार आदि की आपूर्ति में खर्च हो रहा है। मोदी सरकार में इतना सब होने के बावजूद अन्य अनेक देशों के मुकाबले बहुत क्षमता पूर्वक कार्य किये जा रहे हैं। लेकिन विडंबना की बात तो यह है की जब देश ऐसे गंभीर संकटो से गुज़र रहा है तब भी कुछ हैवान रूपी इंसान गरीब जनता के राशन ,अस्पतालों में फ़र्ज़ी बिल ,सेनेटाइजर के नाम पर अंधाधुंध खर्च दिखा लूटपाट में लगे हैं। पुलिस के डंडो से त्रस्त जनता के मुख से दुकाने -फड़ी लगाने -हटाने के नाम पर बसूली के किस्से भी सुनने को मिलते ही रहते हैं। हम इंसान हैं तो हमें इंसानियत दिखानी चाहिये। पेट सबका भर जाता है पेटी नहीं भरती। हमारे अच्छे -बुरे कर्म ही हमारे साथ जायेंगे। हम आपस में एक -दूसरे को धोखा दे सकते हैं लेकिन ऊपर वाले की नज़र से नहीं बच सकते। ऊपर वाले को सब दिखाई दे रहा है और सब उसके बहीखाते में दर्ज़ हो रहा है। सभी हैवानों को इसपर चितन -मनन जरूर करना चाहिये। * सुनील जैन राना *

बुधवार, 2 सितंबर 2020

दसलक्षण धर्म

जैन मनाते दसलक्षण धर्म आत्म ध्यान के सुनील जैन राना

उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर सुंदर हाइकु। उ०ब्रह्मचर्य निज आत्मा को ध्याऊँ शील बचाऊँ सुनील जैन राना

उत्तम आकिंचन धर्म

दसलक्षण धर्म मे उत्तम आकिंचन धर्म पर सुंदर हाइकु। उ०आकिंचन छुटे पर पदार्थ हो बेड़ा पार सुनील जैन राना

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...