शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध
हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस?
हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदुत्व पर विश्वास नहीं करता। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी ने कहा था यदि मोदी आ गया तो देश मे सनातन छा जायेगा। ऐसा क्या है की ये लोग हिंदुत्व को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं? ये हिंदुत्व से डरते हैं या हिंदुत्व को मिटा देना चाहते हैं।
अभी हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने हिंदू मंदिरों पर एक नया टैक्स बिल बनाया जिसे वहां के राज्यपाल ने लौटा दिया। कांग्रेस के अनेक नेतागण मणिशंकर अय्यर,मनमोहन सिंह, सैम पित्रोदा आदि ने सदैव हिंदुओ की उपेक्षा कर मुस्लिम समुदाय की बात की। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है की कांग्रेस ने मुस्लिमों का वोट तो लिया लेकिन मुस्लिमों के लिये कुछ नहीं किया। मुस्लिमों में पिछड़े समुदाय का आरक्षण भी कर्नाटक सरकार ने ओबीसी कोटे में डालकर उन्हें वंचित किया। कांग्रेस ने कश्मीर से धारा 370 हटाने की बात की। आज कश्मीर में सुख - शांति है। आवाम को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। लेकिन इस बात से कश्मीर के 3 राजदारों को परेशानी हो रही है क्योंकि उनकी रोजीरोटी चली गई है।
कांग्रेस को तो अब भगवा रंग से ही परेशानी होने लगी है। राम मंदिर का विरोध कर कांग्रेस ने अपनी मंशा जता दी है। कांग्रेस 2013 में भी एक हिन्दू विरोधी बिल लाई थी जो बीजेपी के विरोध के कारण पास नहीं हो सका था। यह बिल बहुत भयानक था।
राहुल गांधी अपने भाषणों में बार - बार कह रहे हैं की यदि बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आ गई तो संविधान बदल देगी। जबकि खुद कांग्रेस ने 100 बार से भो ज्यादा बार संविधान में संशोधन किया था। मोदीजी कहते हैं की संविधान तो बाबा अम्बेडकर भी नहीं बदल सकते हैं।
राहुल गांधी झूठे वादे कर रहे हैं। एक लाख रुपये प्रति वर्ष गरीब महिलाओं को देंगे। यह आंकड़ा ही उनके झूट को दर्शाने के लिये काफी है। राहुल गांधी एक तरफ हिंदुत्व को नहीं मानते, राम मंदिर का विरोध करते हैं लेकिन दूसरी तरफ वोट पाने के लिये धोती पहन कर मन्दिर जाने का ढोंग भी करते हैं। उन्हें मन्दिर की क्रिया तक नहीं आती। ऐसे में यह भी एक झूठ ही है। ऐसे हो ओवैसी भी मुस्लिमो के मसीहा बनने को अग्रसर रहते थे लेकिन वोट पाने को उन्हें भी हिंदुओ का सहारा लेना पड़ रहा है।
सवाल यह है की जब इन नेताओं को, दलों को पता है की बिना हिन्दू के जीत नहीं पायेंगे तो ये लोग हिंदुओ से नफरत क्यों करते हैं? जब पता है देश में हिन्दू- मुस्लिम मिलजुल रहता है तो ये लोग उनमें नफरत का बीज क्यों बोते हैं? यह देश सभी का है, सभी भारतवासी हैं, सभी का आपस में भाई चारा है।
सुनील जैन राना
गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
लिव इन रिलेशन
वह मूर्ख लड़की उस लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती थी। जानते हैं क्यों? क्योंकि उसने देखा, सुना होगा कि देश के सारे पढ़े लिखे बुद्धिजीवी, अभिनेता, साहित्यकार आदि लिव इन को ही जीवन जीने का आधुनिक और बढ़िया तरीका बताते हैं।
लड़की की मां इस अवैध रिश्ते का विरोध करती थी, क्योंकि लड़का दूसरे सम्प्रदाय का था। पर लड़की को माँ की बातें फालतू और दकियानूसी लगती थीं। क्यों? क्योंकि देश के पढ़े लिखे लोग कहते तो हैं- जाति/धर्म तो बकवास बातें हैं। विवाह के लिए जाति धर्म नहीं, दिल मिलना जरूरी होता है। उसका दिल मिल गया था, सो वह उसी के साथ रहने लगी थी।
पिछले दिनों लड़की की मां ने पुलिस केस किया था। पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा, तो लड़की उसके बचाव में खड़ी हो गयी। बताने लगी कि उसकी माँ ही अत्याचारी है, वही उसे मारती-पीटती रहती है। इसी कारण वह माँ को छोड़ कर अपने बाबू-सोना के साथ रहती है। पुलिस क्या करती? छोड़ना पड़ा।
हाँ तो अब बात यह है कि एक दिन लड़के का मन भर गया। नकली समान चार दिन नहीं टिकता, तो नकली प्यार कितना टिकेगा? मन भर गया तो प्रेम मारपीट में बदल गया। बेल्टे-बेल्ट! लगभग रोज ही... एक दिन लड़के ने लड़की को खूब मारा। हाथ पैर बांध कर मारा... पूरे शरीर पर दाग हो गए तो दागों पर नमक छिड़क कर मारा... मिर्च पाउडर छिड़क छिड़क कर... यही वह प्रेम था जिसके लिए लड़की ने मां को छोड़ा था।
अभी रुकिये। जब घाव पर मिर्च पाउडर पड़ता तो लड़की चीख पड़ती थी। बताइये! कितनी बुरी बात है? कोई बेचारा प्रेम दिखा रहा है और आप चीख रहे हैं? उसे गुस्सा नहीं आएगा? उसे गुस्सा आया। उसने लड़की के होठों पर फेवीक्विक लगा दिया। होठ ही चिपक गए। अब चीखो... आवाजे नहीं निकलेगी ससुर! टेंशने खतम... वाह! मोहब्बत जिन्दाबाद...
खैर! लड़की हॉस्पिटल में है, और उसके जख्मों पर मरहम वही बूढ़ी माँ लगा रही है, जिसे उसने पुलिस के सामने बुरा बताया था। क्या करे, माँ है न।
लड़का जेल में है। जानते हैं पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा तब वह क्या कर रहा था? वह शराब की तस्करी कर रहा था। 93 हजार की अवैध शराब के साथ पकड़ा गया हीरो।
कहानी बहुत पुरानी नहीं है, न बहुत दूर की है। गूना मध्यप्रदेश में घटी इस घटना की पीड़िता 22 वर्ष की लड़की अभी अस्पताल में ही है, और पठान का बच्चा जेल में है।
इस पूरी कहानी में मेन विलेन कौन है जानते हैं? क्या वह लड़का? नहीं जी। वह तो प्यादा है। वह वही कर रहा था जो उसे सिखाया गया था। अब जेल में सड़ेगा कुछ दिन, फिर निकल कर कहीं मजूरी करेगा। बुरी वह लड़की भी नहीं। सिनेमा के नशे में डूबी उस मूर्ख को कभी लगा ही नहीं कि वह जाल में फँस गयी है। उसे विलेन क्या कहेंगे। विलेन हैं वे धूर्त, जो खुद को बुद्धिजीवी बताते हुए लिविंग रिलेशनशिप को जायज ठहराते हैं, जो इसके लिए माहौल बनाते हैं। विलेन हैं वे नीच, जो अंतर्धार्मिक विवाहों की पैरवी करते हैं पर ऐसी घटनाओं के समय चुप्पी साध लेते हैं। यही हैं वे बिके हुए लोग, जो मासूम बच्चों को इस भयानक दलदल में धकेलते हैं।
ऐसी घटनाओं की बार-बार, हजार बार चर्चा होनी चाहिये, ताकि यह देश की अंतिम लड़की तक पहुँचे। ऐसी घटनाओं की कोई खबर दिखे तो उसे हजार जगह शेयर कीजिये। यही एकमात्र उपाय है, यही एकमात्र विकल्प है।
साभार....#kyukitumhiho❤️ #fyp #c/p
मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
भोजन पर सर्वे
WHO खाने पर एक सर्वे हुआ, सर्वे पूरी दुनिया के खाने पर किया गया जिसका उद्देश्य ये जानना था की पूरी दुनिया में सबसे अच्छा खाना क्या है
उसके लिए उसे 3 कसौटियों पर खरा उतरना था
पहला को वो बनाने में आसान हो
दूसरा उसमे एक इंसान के लिए सभी जरूरी तत्व हो
तीसरा खाने में स्वाद होना चाहिए
Who की टीम पूरे दुनिया घूमती है और ये देखती है की दुनिया में सबसे आसानी से बनाने वाला खाना क्या है और उस देश के लोग उसे कितना खाते हैं
इसमें उन्हें एक खाना मिला वो था दाल चावल
उन्होंने देखा की भारत के हर स्टेट में डाल चावल बेहद वृहद रूप से खाया जाता है कहीं साभार कही दाल कहीं दालमा
दूसरी कसौटी आतीं है की बनाने में आसान हो
इसमें भी डाल को चावल को सेलेक्ट किया गया
वो जानकर हैरान थे की चावल को मात्र पानी डालकर बनाया जाता है और दाल में हल्दी और नमक
अब तीसरी कसौटी खाने में टेस्ट हो।
तो जब उन्हें गर्म गर्म दाल चावल और ऊपर से देसी घी डाल कर दिया गया तो पहला निवाला खाते हो सब मस्त हो गए
अब चौथी कसौटी की पोषण हो
इसके लिए दाल और चावल के सैंपल को अपने साथ ले गए और उन्होंने पाया
दाल में फाइबर प्रोटीन आयरन और जरूरी मिनरल थे
Antibiotic और आयोडीन की कमी हल्दी और नमक से पूरी हो रही थी
चावल में कार्बोहाइड्रेट और अन्य तरह के विटामिन थे
अंत में निष्कर्ष ये निकला की भारतीय दालचावल सब्जी और अगर उसके साथ सलाद हो तो ये दुनिया के सबसे बेहतरीन खाने में से एक है
ये एक मात्र खाना है जिससे किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है
बाद में पता चला की इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य इस खाने को लेके ये पता करना था की यदि अमेरिका और यूरोप में युद्ध की स्थिति हो तो सबसे सस्ता और सबसे कम समय में तैयार होने वाला पौष्टिक खाना क्या है जिसे महीनो खाया जाए तो भी मन ना भरे
और वास्तव में डालचावल जितना सिंपल है उतना ही बेहतर
लेकिन हम लोग इसे छोड़ pizza burger खाते हैं
दाल चावल का खर्चा भी काफी कम होता है
तो आप इस बात से कितना सहमत हैं हमे कमेंट कर के बताइए जरूर
सोमवार, 22 अप्रैल 2024
शनिवार, 20 अप्रैल 2024
महावीर जयंती
कल भगवान महावीर का जन्म-कल्याणक है। भारत में जो ब्राह्मण-श्रमण द्वैत रहा है, उसकी प्रखर अभिव्यक्ति आज बुद्ध के माध्यम से बहुजन समाज द्वारा बहुत की जाती है, किन्तु महावीर को भुला दिया जाता है। जबकि जैन धर्म मौलिक श्रमण-धर्म है और अनीश्वरवादी है। आज सनातन के नाम पर भारत में ब्राह्मण-धर्म की विजय-पताका फहरा रही है और धीरे-धीरे फिर से वैसी परिस्थितियाँ निर्मित होने लगी हैं, जैसी कि बुद्ध और महावीर के कालखण्ड में थीं। आडम्बर, कर्मकाण्ड, मूर्तिपूजा और जीवहत्या का बोलबाला फिर से हो रहा है। धर्म में अशुद्धि चली आई है। ब्राह्मण-धर्म का परिष्कार श्रमण-धर्म से उसके सम्यक् सामंजस्य बिना सम्भव नहीं है और मेरे निजी मत में वेदान्त वह भावभूमि है, जहाँ पर आकर ब्राह्मण-धर्म की औपनिषदिक-धारा श्रमण-धर्म के आत्म-प्रकाश से जा मिलती है।
जैसे 'गीता' में श्रीकृष्ण और 'धम्मपद' में बुद्ध की वाणी है, उसी तरह से 'समण सुत्त' में भगवान महावीर की वाणी संकलित है। जैनियों में दिगम्बर सम्प्रदाय ने महावीर-वाणी का संकलन नहीं किया है, श्वेताम्बरों ने किया है। दिगम्बर प्राय: उन वचनों को प्रामाणिक नहीं मानते। जैन आगमों में जो महावीर-वाणी है, उसे श्रुति-परम्परा से कालान्तर में लिपिबद्ध किया गया था। जैसे बौद्धों में संगीतियाँ हुई थीं, वैसे ही जैनों में वाचनाएँ हुई थीं, जिनमें आगमों का संकलन हुआ था। दिगम्बरों ने 'षटखण्डागम' को मान्यता दी है, जो कि आगमों पर आचार्य धरसेन के उपदेशों पर आधारित है। किन्तु 'समण सुत्त' का संयोजन अत्यंत अर्वाचीन है। इन्हें वर्ष 1974 में विनोबा की प्रेरणा से क्षुल्लकश्री जैनेंद्र वर्णी ने संकलित किया था। इसमें जैनागमों के सारतत्व को यों संयोजित किया गया है कि यह जैन-गीता तक कहलाया है। इसे समस्त जैन पंथों के द्वारा मान्यता दी गई। आचार्य उमास्वामी के 'तत्वार्थसूत्र' के बाद कोई दो हज़ार साल में पहली बार ऐसा हुआ था।
'समण सुत्त' : यह अर्द्धमागधी भाषा का शब्द है, जो संस्कृत में 'श्रमण सूत्र' कहलावेगा। यहाँ श्रमण शब्द ध्यातव्य है। ब्राह्मण-धर्म का आधार वैदिक परम्परा है। श्रमण-धर्म का मूल जैन धर्म में है। बौद्ध और आजीवक भी श्रमण हैं। जैनियों ने बौद्धों से पहले अपना श्रमण-आंदोलन आरम्भ कर दिया था। जैनियों के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ तो कृष्ण के चचेरे भाई बतलाए हैं। नेमिनाथ और पार्श्वनाथ (23वें तीर्थंकर) : दोनों में ही जीवदया अत्यंत प्रबल थी, जो महावीर की अहिंसा में शिखर पर पहुँची। ब्राह्मण संस्कृति से जैनियों का वैसा तीक्ष्ण मनोवैज्ञानिक संघर्ष नहीं रहा है, जैसा बौद्धों से रहा। इसके अनेक कारण हैं। एक दार्शनिक कारण तो बौद्धों का अनित्य-अनात्म है, जो कि सनातन के मूलाधार पर ही प्रहार करता था। इसका राजनैतिक कारण बौद्धों को मिला राज्याश्रय था, जिसने उन्हें इतिहास के एक कालखण्ड में भारत में केंद्रीय महत्व का बना दिया था। अशोक से आम्बेडकर तक बौद्धों को राजनैतिक प्रश्रय मिलता ही रहा है। आधुनिक दक्षिण-पूर्व एशिया में तो बौद्धों के गणराज्य हैं। शंकर की धर्मध्वजा ने भारत में सनातन की पुन: प्रतिष्ठा की थी। किंतु श्रमणों के बिना भारत कभी पूर्ण नहीं हो सकता है।
डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल ने बहुत सुंदर बात कही है कि श्रमणों के कारण ब्राह्मण-धर्म में वानप्रस्थ और संन्यास को महत्व मिला। अहिंसा और जीवदया के मूल्य भी श्रमणों से ही मिले। वैदिक ऋषि और श्रमण मुनि कालान्तर में ऋषि-मुनि का युग्म बनकर एकाकार हो गए थे। वैदिक संस्कृति में चले आए दोषों का संशोधन श्रमणों ने किया था। इन अर्थों में श्रमण सुधारवादी, प्रगतिशील और संशोधनकारी हैं। रजनीश ने कहा है कि जहाँ वैदिक धर्म अनेकता की ओर प्रसारित होता है- एकोऽहं बहुस्याम्!- वहीं श्रमण धर्म एकत्व की ओर लौटता है, बाहर से भीतर प्रतिक्रमण करता है। यह आरोह और अवरोह की तरह है। आधुनिक काल में गांधी और विनोबा श्रमण-संस्कृति से प्रभावित रहे। गांधी के आध्यात्मिक गुरु श्रीमद् राजचंद्र श्रमण परम्परा के ही व्याख्याता और व्यवर्हता थे। गांधी के प्रति नव्य-सनातनियों का जो रोष है, उसके भीतर बहुत गहरे ब्राह्मण-श्रमण द्वैत है। श्रमण परम्परा में श्रम, संयम और शमन का बड़ा महत्त्व है। अहिंसा, अपरिग्रह, इंद्रिय-निग्रह, देह-दमन, जीवदया और बहुचित्त की एकसूत्रता उसके केंद्रीय विचार हैं।
भारतीय चेतना की अंतर्वस्तु में श्रमण परम्परा भी उतनी ही अनुस्यूत है, जितनी कि ब्राह्मण परम्परा। इसका संवैधानिक आलम्बन यह है कि हिन्दू कोड बिल के दिशानिर्देशों में सनातनियों और आर्यसमाजियों के साथ ही बौद्धों और जैनियों को भी सम्मिलित किया गया था। यानी एक व्यापक अर्थ में ब्राह्मण और श्रमण दोनों हिन्दू हैं। नवबौद्धों और दलित-आन्दोलनों के कारण आज भारत में बुद्ध के बहुत नामलेवा हैं, किंतु वृहत्तर भारतीयता के द्वारा भगवान महावीर को और सम्मान से स्मरण करना चाहिए और उनकी देशनाओं पर मनन करना चाहिए। महावीर का चिंतन अत्यंत सूक्ष्मग्राही और गम्भीर है। जैन परम्परा के पारिभाषिक शब्दों का अपना ही एक लोक है। समय, धारणा, विचार, अणु, जीव, द्रव्य, चित्त जैसे अनेक शब्दों का हम जो अर्थ निकालते हैं, जैनियों में उनके नितान्त ही भिन्न अर्थ हैं। समय को आत्मा का पर्याय बतलाकर भगवान महावीर ने एक विचार-क्रांति कर दी थी। इस विलक्षण तीर्थंकर की भारतीय चेतना में सम्यक प्रतिष्ठा हो और भोगवाद से क्लान्त भारत और विश्व में श्रमण धर्म का पुनर्भव हो, इसी कामना के साथ भगवान महावीर की जन्म-जयंती की अग्रिम शुभकामनाएँ सम्प्रेषित करता हूँ।
Sushobhit
धन कैसे बढ़ाएं ?
म्यूचुअल फण्ड- शेयर या बैंक FD
धन कमाने के अनेको तरीके हैं। धन कमाकर उसे और ज्यादा बढ़ाने के भी अनेको तरीके हैं। उन्हीं में से 3 तरीके म्यूचल फण्ड, शेयर बाजार एवं बैंक में फिक्स डिपोजिट भी हैं।
आम आदमी के लिये बैंक एफडी ही सबसे सुलभ और निश्चित धनराशि प्राप्त करने का साधन है। म्यूचल फण्ड एवं शेयर की बात करें तो दोनों में सैंकड़ो कम्पनियों के म्यूचल फण्ड एवं शेयर प्रचलन में हैं। सूत्रों की बात यह भी है की इन दोनों में ही लगभग 90% उपभोक्ता नुकसान ही उठाता है। मात्र 10% उपभोक्ता नफ़े में रह पाता है। म्यूचल फण्ड में धन लगाने को प्रेरित करने के लिये टीवी पर विज्ञापन भी आते हैं जिनमें बड़ी-बड़ी सेलेब्रिटी एवं भारत रत्न जैसे लोग यह कहते हैं की म्यूचल फण्ड सही है। क्या ये लोग आम जनता को सभी म्यूचल फण्ड में धन की बढ़ोतरी होगी ऐसा वायदा कर सकते हैं? यदि नहीं तो फिर सही कैसे? यही हाल शेयर बाजार में शेयरों का है। उनमें भी मात्र 10% लोग ही मुनाफा कमा पाते हैं।
दरअसल ये दोनों ही अनेक बातों पर निर्भर रहते हैं। देश की अर्थव्यवस्था, देश के राजनेता, देश मे गोल्ड रिजर्व, देश मे विदेशी मुद्रा का भंडार। विदेशों में देश की इज्जत। देश के प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली आदि अनेक बातों पर शेयर बाजार निर्भर रहता है। सिर्फ यही नहीं विश्व की गतिविधियों पर भी शेयर बाजार प्रतिक्रिया दे देता है। वास्तव में तो देश मजबूत होने पर भी यदि अमेरिका आदि के बाजार नीचे खुलते हैं तो भारतीय बाजार भी नीचे ही रहते हैं। वर्तमान में कई देशों में युद्ध हो रहा है जो तृतीय विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में भारतीय बाजार भी कितने नीचे गिर जाये कहा नहीं जा सकता। टीवी पर शेयर समस्या के समाधान को शेयर वैज्ञानिक उपाय बताते हैं। अंत मे यह कहकर की इनमें से कोई भी शेयर हमारे पास नहीं है अंतर्ध्यान हो जाते हैं।
बैंक एफडी से निश्चित सीमा में धन कमाया जाता है। म्यूचल फण्ड में एफडी से ज्यादा धन कमाया जा सकता है? शेयर बाजार में अकूत धन कमाया जा सकता है? लेकिन कौन सी कम्पनी में निवेश करें यह समझ मे नहीं आता है फिर भी समझ अपनी-अपनी, किस्मत अपनी-अपनी।
सुनील जैन राना
सोमवार, 15 अप्रैल 2024
मानसिकता बदलो
10 वर्ष पूर्व 4 लाख रुपये में लिया घर आज 40 लाख में बेचना है, परन्तु 10 वर्ष पूर्व 400 रुपये में मिलने वाला गैस सिलैंडर आज भी 400 रुपये में ही चाहिये.
मानसिकता बदलो,सरकार नहीं.....
: 😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎
जिनका मानना है, अब बहुत महंगाई हो गई है तो उनसे ही पूँछता है भारत कि जैसे 2004 में किसी चीज के रेट थे, उसके बाद 2014 तक इतने गुना बढ़े तो अब 2024 में इतने गुना बढ़कर कितने होने चाहिए ?????
काँग्रेस आई 2004 में पेट्रोल 35 था,
गई 2014 में 73 था मतलब 35×2=70 से भी ज्यादा
तो
2024 में 73×2=146
मतलब 150 होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी,
तब आटा 8 रूपए किलो था !
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई,
तब आटा 24 रूपए किलो था !
मतलब 8×3=24
तो
2024 में 24×3=72,
मतलब 72 होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी,
तब चीनी 13 रूपए किलो थी !
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई,
तब चीनी 38 रूपए किलो थी !
मतलब 13×3=39
तो
2024 में 39×3=117 मतलब 117 होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी,
तब सरसों तेल 35 रूपए लीटर था !
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई,
तब सरसों तेल 100 रूपए लीटर था !
मतलब 35×3=105
तो,
2024 मे 100×3=300, मतलब 300 होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी,
तब चाँदी 7,000 रूपए किलो थी !
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई,
तब चाँदी 70,000 रूपए किलो थी !
मतलब 7,000×10=70,000,
तो
2024 मे 70,000×10=7,00,000
मतलब 7,00,000 होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी,
तब सोना 6,000 रूपए 10 ग्राम था !
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई,
तब सोना 42,000 रूपए 10 ग्राम था !
मतलब 6,000×7=42,000
तो
2024 में 42,000×7=2,94,000 मतलब 2,94,000 होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी,
तब जो मकान 10 लाख रूपए का था !
2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई,
तब वो मकान 1 करोड़ रूपए का था !
मतलब 10×10=1 करोड़
तो
2024 में 1×10=10 करोड़
मतलब 10 करोड़ होना चाहिए,
लेकिन अब कितना है ??????
मनमोहन सिंह सरकार के 10 सालों में
प्रॉपर्टी की कीमतें 10 से 20 गुणा तक बढ़ी.....!!
जिसे मोदी के कार्यकाल में मंहगाई लगती हो खुली आँखों से काँग्रेस शासनकाल की तुलना करे।
वह तो भारत देश की खुशकिस्मती थी कि 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बन गये अन्यथा इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ आज विश्व भर की मंदी के दौर में श्रीलंका, बांग्लादेश व पाकिस्तान से बुरी स्थिति में भारत खड़ा होता!!
अब किस-किस को महंगाई ज्यादा लगी ??????
🙏
_"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!_
_अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !"_
चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है!
साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं !
राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं !
उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं - माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !!
राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए! सीधा धोबी पछाड़ ही आवश्यक है !
*एक बात और!*
-:अनजाना इतिहास:-
बात 1955 की है! सउदी अरब के बादशाह "शाह-सऊदी" प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे। वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे, जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागत किया गया! शाह-सऊदी दिल्ली के बाद, वाराणसी भी गए!
सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह-सऊदी" के लिए एक विशेष ट्रेन में, विशेष कोच की व्यवस्था की! शाह सऊदी जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस की सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे! 😡😡
*वाराणसी में जिन जिन रास्तों सडकों से "शाह-सऊदी " को गुजरना था, उन सभी रास्तों सड़कों में पड़ने वाले मंदिरों🛕 और मूर्तियों को पर्दों से ढक दिया गया था!
इस्लाम की तारीफ़ में, और हिन्दुओं का मजाक उड़ाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था: -👇🏻
अदना सा ग़ुलाम उनका,
गुज़रा था बनारस से,
मुँह अपना छुपाते थे,
ये काशी के सनम-खाने!
अब खुद ही सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में, किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए, ऐसा किया जा सकता है ? आज ऐसा करना तो दूर, करने के लिए सोच भी नहीं सकता!
आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं, और उनको वाराणसी भी लाया जाता है! लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है, उनसे पूजा कराई जाती है!
🙏
ये था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन!
🚩 *राष्ट्रधर्म सर्वोपरि*
शनिवार, 13 अप्रैल 2024
अबकी बार फिर मोदी सरकार
*राष्ट्र हित में मतदान करने के 75 कारण*
1. श्रीराम मंदिर
2. CAA
3. नई शिक्षा नीति
4. धारा 370
5. तीन तलाक़
6. GST
7. Demonetisation
8. महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति
9. महिलाओं को जहरीले धुएं से मुक्ति।
10. संसद में 33% महिलाओं को आरक्षण
11. गरीबों के सिर पर छत
12. करोड़ों को नल से पानी
13. आयुष्मान भारत
14. स्वच्छ भारत मिशन
15. दुनियां की 5वीं आर्थिक शक्ति
16. भ्रष्ट्राचार मुक्त सरकार
17. MSP पर फसलों की खरीद
18. पहले दलित राष्ट्रपति,अब आदिवासी राष्ट्रपति
19. केंद्र सरकार की वैकेंसी में ओबीसी को आरक्षण
20. गुलामी से मुक्ति
21. एक देश,एक चुनाव पर कारगर कदम
22. फ्री राशन
23. सशक्त सेना
24. आधुनिक हथियारों का स्वदेश निर्माण।
25. विदेशी एनजीओ पर नकेल
26. FCRA मजबूत, देश विरोधी एनजीओ गायब
27. नक्सलियों पर नकेल
28. विदेशी मिशनरियों पर नकेल
29. स्वदेशी टिके से फार्मा लॉबी को झटका
30. अंतरिक्ष पर कब्जा, चन्द्रमा पर चंद्रयान
31. एक करोड़ को शौर्य ऊर्जा का वादा
32. आईआईटी की भरमार
33. हर राज्य में एआईआईएमएस
34. फिर विश्व गुरु बनने की ओर
35. भ्रष्टाचार मुक्त मिनिस्ट्री
36. जीरो बम धमाके
37. दुनियां में दूसरे नंबर पर मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग
38. 100% रेलवे विद्युतीकरण की तरफ़ अग्रसर
39. मानव रहित रेल गेटों का खात्मा
40. 12.1 km प्रतिदिन से 28.6 km प्रतिदिन सड़कों का निर्माण
41. सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों की संख्या 40 पहुंची,जल्द ही 75 करने का इरादा
42. ट्रेन की पुरानी बोगियों को वंदे भारत जैसी बदलना।
43. हर जिले में मेडिकल कालेज
44. सभी धामों को हाईवे से जोड़ना
45. सीमा पर स्थित सभी गांवों को देश का पहले गांव में बदल उन्नत करना।
46. बुलेट ट्रेन
47. बड़े शहरों को मेट्रो से जोड़ना
48. UPI
49. कोविड हैंडलिंग और मुक्त टीकाकरण
50. सरदार पटेल,भगत सिंह को सम्मान
51. भारत जन धन,आधार,मोबाइल (JAM)
52. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में विश्व गुरु
53. आतंक विरोधी प्रावधान को सशक्त करना
54. पाकिस्तान को विश्व स्तर पर अलग थलग करना
55. नमो ट्रेन
56. रिजर्व डॉलर का उच्च स्तर पहुंचाना
57. राफेल का भारत आना
58. जन धन योजना
59. सर्जिकल स्ट्राइक
60. किसान सम्मान निधि योजना
61. पीएम गरीब कल्याण योजना
62. डिजिटल इंडिया
63. स्मार्ट सिटी
64. नमामि गंगे योजना
65. नया संसद भवन
66. आदर्श ग्राम योजना
67. कौशल विकास
68. पीएम किसान सम्मन निधि
69. कृषक उन्नति योजना
70. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
71. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
72. अटल पेंशन योजना
73. मेक इन इंडिया
74. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
75. 80 नये एयरपोर्ट🎯
⛳⛳ मतदान अवश्य करे ⛳⛳*
*⛳⛳जय हिन्द जय भारत ⛳⛳
अबकी बार 400 पार
मुख्य मुद्दे गौण, जातिवाद हावी
लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 19 अप्रैल 2024 को प्रथम चरण के वोट डाले जायेंगे। हर बार की तरह इस बार भी चुनावो पर जातिवाद हावी है। देश के मुख्य मुद्दे बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा आदि पर कोई बात नहीं कर रहा है। दरअसल जो मिल जाता है उसकी महत्ता कम हो जाती है। कभी इन्ही मुद्दों पर चुनाव लड़े जाते थे।
वर्तमान के चुनाव बीजेपी बनाम कांग्रेस के बीच लड़ा जा रहा है या यों कहिये एनडीए बनाम गठबंधन के बीच होने वाला है। मोदीजी का नारा है अबकी बार 400 पार। इस नारे से गठबंधन भी भयभीत है। मोदीजी को अपनी गारंटी और अपने कार्य पर वोट मिलते हैं वहीं गठबंधन के पास बताने को कुछ नहीं है, सिर्फ घोषणा पत्र है। गठबंधन के घोषणा पत्र में जहां एक ओर लंबे चौड़े वायदे हैं वहीं दूसरी ओर ऐसी बाते हैं जो देश के विनाश का कारण बन सकती हैं। तुष्टिकरण की नीति पर बना है घोषणा पत्र। कांग्रेस ने देश पर 60 साल मुकम्मल राज किया। मुसलमानों को अपना वोट बैंक समझा। मुस्लिम समाज ने भी कांग्रेस का भरपूर साथ दिया। लेकिन उन्हें बदले में मिला क्या? यदि कांग्रेस ने मुसलमानों के लिये कुछ किया होता तो आज मुस्लिम समुदाय पिछड़ा न होता। कांग्रेस के यूपीए 2 में हुए बेहताशा घोटालों के कारण जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर डाला। कांग्रेस के समय देश की अर्थव्यवस्था डगमगा रही थी। 40 करोड़ रुपये के लिये सोना गिरवी रखना पड़ा था। सेना के पास लड़ने को हथियार नहीं थे। बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं थी। पास के देश चीन, पाकिस्तान धमकी देते रहते थे। बेरोजगारी चरम पर थी। बस में कहीं आओ जाओ तो यही सुनने को मिलता था, सावधान आपकी सीट के नीचे बम हो सकता है। कश्मीर में पत्थर बाज़ों का राज था। देश मे आतंकी घटनाएं होती रहती थी। ऐसा हाल था देश का।
2014 में मोदीजी बहुमत से जीत कर आये। तब से अब तक लगातार देश आगे बढ़ रहा है। देश मे सड़को का जाल बिछा दिया है गडकरी जी ने। घर -घर शौचालय बन गये हैं। हर घर, नल से जल पर तेज़ी से कार्य हो रहा है। सेना के पास आधुनिक हथियार हैं। नई-नई रेल चल रही हैं। 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन मिल रहा है। नये-नये एम्स खुल गये हैं। नये-नये एयरपोर्ट बन रहे हैं। नोटबन्दी कर पाकिस्तान को भिखारी बना दिया है। देश मे ही नहीं विदेशों में मोदी-मोदी हो रहा है।
विपक्ष कहता है बेरोजगारी बहुत है। यह बात ठीक है लेकिन बढ़ती आबादी में कोई भी सरकार एक निश्चित सीमा तक ही नॉकरी दे सकती है। मोदीजी का मंत्र है मेक इन इंडिया के तहत खुद के रोजगार का सृजन करो और दूसरों को भी रोजगार दो। ऐसा हो भी रहा है। लेकिन जिसे काम ही नहीं करना उसे कौन रोजगार दे सकता है? मोदीजी का मंत्र है सबका साथ सबका विकास। इसी मंत्र पर कार्य हो रहा है। बिना भेदभाव सभी को एकसमान सुविधाएं मिल रही हैं। कहीं पर भी हिन्दू- मुस्लिम का भेदभाव नही है। सभी के जनधन खातों में समान रूप से धन भेजा जा रहा है। सिर्फ आलोचना करना ठीक नहीं है। पिछले 10 साल में मोदीजी समेत पूरे मंत्रिमंडल पर भ्र्ष्टाचार का एक भी दाग नहीं है।
हिंदुस्तान में हिन्दू विरोधी मानसिकता रखने वाले, सनातन को गाली देने वाले, चुनावों के समय मन्दिर जाने का ढोंग करने वाले, राम मंदिर का बहिष्कार करने वाले कभी देश का भला नहीं कर सकते। भारत देश मिली जुली संस्कृति का देश है। सबका सम्मान करना ही होगा। तभी देश आगे बढ़ेगा।
सुनील जैन राना
पिताजी का चश्मा
*घर की नई नवेली इकलौती बहू एक प्राइवेट बैंक में बड़े ओहदे पर थी ।*
*उसकी सास तकरीबन एक साल पहले ही गुज़र चुकी थी । घर में बुज़ुर्ग ससुर औऱ उसके पति के अलावे कोई न था। पति का अपना निजी कारोबार था। जिसमे वो प्रायः व्यस्त ही रहते थे*
*पिछले कुछ दिनों से बहू के साथ एक विचित्र बात होती है। बहू जब जल्दी जल्दी घर का सारा काम निपटा कर अपने ऑफिस के लिए निकलती, ठीक उसी वक़्त ससुर उसे आवाज़ देते औऱ कहते बहू , मेरा चश्मा साफ कर मुझें देती जा। लगातार ऑफिस के लिए निकलते समय बहू के साथ यही होता रहा। काम के दबाव औऱ देर होने के कारण क़भी कभी बहू मन ही मन झल्ला जाती, लेकिन फ़िर भी अपने ससुर के सामने कुछ बोल नहीं पाती ।*
*जब बहू अपने ससुर के इस आदत से पूरी तरह ऊब और पक गई तो उसने पूरे माजरे को अपने पति के साथ साझा किया। पति को भी अपने पिता के इस व्यवहार पर बड़ा ताज्जुब हुआi लेकिन उसने अपने पिता से कुछ नहीं कहा। पति ने अपनी पत्नी को सलाह दी कि तुम सुबह उठते के साथ ही पिताजी का चश्मा साफ करके उनके कमरे में रख दिया करो, फिर ये झमेला ही समाप्त हो जाएगा ।*
*अगले दिन बहू ने ऐसा ही किया औऱ अपने ससुर के चश्मे को सुबह ही अच्छी तरह साफ करके उनके कमरे में रख आई। लेकिन फ़िर भी उस दिन वही घटना पुनः हुई औऱ ऑफिस के लिए निकलने से ठीक पहले ससुर ने अपनी बहू को बुलाकर उसे उनका चश्मा साफ़ करने के लिए कहा। बहू गुस्से में लाल हो गई l लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं था। बहू के लाख उपायों के बावजूद ससुर ने उसे सुबह ऑफिस जाते समय आवाज़ देना नहीं छोड़ा ।*
*धीरे धीरे समय बीतता चला गया औऱ ऐसे ही कुछ वर्ष निकल गए। अब बहू पहले से कुछ बदल चुकी थी। धीरे धीरे उसने अपने ससुर की बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और फ़िर ऐसा भी वक़्त चला आया, जब बहू अपने ससुर को बिलकुल अनसुना करने लगी । ससुर के कुछ बोलने पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती औऱ बिलकुल ख़ामोशी से अपने काम में मस्त रहती। गुज़रते वक़्त के साथ ही एक दिन बेचारे बुज़ुर्ग ससुर जी भी गुज़र गए।*
*समय का पहिया कहाँ रुकने वाला था, वो लगातार घूमता रहा, घूमता रहा। उस दिन छुट्टी का दिन था। अचानक बहू के मन में घर की साफ़ सफाई का ख़याल आया। वो अपने घर की सफ़ाई में जुट गई। तभी सफाई के दौरान उसे अपने मृत ससुर की डायरी हाथ लग गई। बहू ने जब अपने ससुर की डायरी को पलटना शुरू किया तो उसके एक पन्ने पर लिखा था- "दिनांक 26.10.2019.... * आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं, जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए सुरक्षा और ढाल का काम करता है। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती थी तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सिर पर रख देता था i क्योंकि मरने से पहले तुम्हारी सास ने मुझें कहा था कि- " बहु को सदा अपनी बेटी की तरह प्यार से रखना औऱ उसे ये कभी भी मत महसूस होने देना कि वो अपने ससुराल में है औऱ हम उसके माँ बाप नहीं हैं। उसकी छोटी मोटी गलतियों को उसकी नादानी समझकर माफ़ कर देना। वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा! " डायरी पढ़कर बहू फूटफूटकर रोने लगी। आज उसके ससुर को गुजरे करीब 4 साल से ज़्यादा समय बीत चुका हैं लेकिन फ़िर भी वो रोज़ घर से बाहर निकलते समय अपने ससुर का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर सलीके से रख दिया करती है, उनके अदृश्य हाथ से मिलने वाले आशीष की लालसा और उम्मीद में।*
*प्रायः हम जीवन में हमारे रिश्तों का महत्व महसूस नहीं करते हैं, चाहे वो किसी से भी हो, कैसे भी हो और कभी कभी तो जब तक हम उन रिश्तों के भाव और मंतव्य को महसूस करके जान व समझ पाते हैं i तब तक वह रिश्ते हमसे बहुत दूर जा चुके होते हैं।* 😓
इसलिए
*रिश्तों के भाव और महत्व को समझें और उनको सहेज कर रखे।*
ये आपकी और हमारी सभी की अमूल्य अनमोल विरासत और पूंजी है 🙏🌹🙏
गुरुवार, 11 अप्रैल 2024
शनिवार, 6 अप्रैल 2024
राहुल गांधी
क्या कह जाते हैं राहुल गांधी ?
देश की राजनीति की सिरमौर 60 सालों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी अपनी ही मौज- मस्ती में रहते हैं। देश मे होने वाले चुनावों के प्रति लापरवाह से रहते हुए न्याय यात्रा पर चल दिये। इस यात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा हुआ यह तो कांग्रेस को ही पता होगा लेकिन यात्रा में भी राहुल गांधी के बयान कुछ अटपटे, कुछ हास्यापद ही रहे थे।
न्याय यात्रा में राहुल गांधी बोले मेरी यात्रा में कुत्ते भी आये, गाय भी आई, सूअर भी आये, भैंस भी आई, सब जानवर आये। इस बात से वे क्या बताना चाहते हैं या समझाना चाहते थे। महात्मा गांधी ने सत्याग्रह बताया, सत्याग्रह से मतलब सत्ता के रास्ते को कभी मत छोड़ो। पांडवों के समय मे GST थी क्या? यह कैसा सवाल? कुरुक्षेत्र में युद्ध हुआ था। पांडवों ने नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान खोली थी। सुबह चाय गरम करने के लिये स्टोव में कोयला डालते हैं। यह कैसी बातें हैं जो राहुल गांधी मंचो से कहते हैं।
एक सभा मे राहुल गांधी ने कहा की मैं सत्ता के बिल्कुल बीच मे पैदा हुआ हूँ लेकिन मुझे सत्ता से प्यार नहीं है। मैं रात को सोता हूँ देश को समझने के लिये, एक प्रकार से मैं भिखमंगा हूँ। देश ने मुझे प्यार दिया। देश ने मुझे जोरो से मारा। मैंने पूछा क्यों मारा तो जबाब मिला देश मुझे सिखाना चाहता है।
ऐसी अनेकों बातें जिनके न सिर हैं न पैर हैं। पता नहीं क्यों राहुल गांधी ऐसी अनर्गल बातें करते हैं। वे देश की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी के मुखिया हैं। उन्हें कोई भी बयान बहुत सोच समझकर देना चाहिए। उनकी छोटी सी बात को भी देश गहराई से लेता है। ऐसे में उन्हें बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए। कांग्रेस में सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं बल्कि अनेको नेता भी अनर्गल बोल जाते हैं। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी ने रामलीला रैली में बोलते हुए गांधी परिवार के बलिदानों की याद दिलाते हुए बोल बैठे, राहुल गांधी ने भी देश के लिये जान दी। उनके चिथड़े- चिथड़े उड़ गये थे। इन सब बातों से जनता में मज़ाक ही बनता है। कांग्रेस में नेतृत्व की बहुत कमी है। इसीलिए कांग्रेस धरातल में जा रही है।
सुनील जैन राना
बुधवार, 3 अप्रैल 2024
जैन धर्म
*जैन धर्म की मौलिक विशेषताएं*
1. ईश्वर सृष्टि के कर्ता नहीं है।
2. प्रत्येक जीव को अपने कर्मों का फल स्वयं ही भोगना पड़ता है।
3. हम अपने ही कर्मों से सुखी- दु:खी होते हैं।
4. हमारे अंदर भगवान बनने की अव्यक्त शक्ति मौजूद है, यदि हम पुरुषार्थ करें तो हम भी भगवान बन सकते हैं।
5. जो जीव एक बार भगवान बन जाते हैं, वे लौटकर संसार में कभी वापस नहीं आते।
6. भगवान मात्र ज्ञाता दृष्टा हैं। वे किसी का भला - बुरा नहीं करते।
7. संसार में जीवों की संख्या अनंतानंत है।
8. द्रव्य का कभी भी नाश नहीं होता, मात्र पर्याय (अवस्थ)) बदलती है।
9. दिगम्बर मुद्रा प्राप्त किए बिना जीव मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता।
10. संसारी आत्मा जन्म-मरण करती रहती है।
11. भगवान जन्मते नहीं पुरुषार्थ से बनते हैं।
12. अनेकान्त और स्याद्वाद सिद्धांत जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धांत है।
13. जैन धर्म अहिंसा प्रधान है।
14. जैन धर्म के सिद्धांत समय के अनुसार बदलते नहीं है।
15. जैन धर्म की मूल भाषा प्राकृत है।
16. जैन दर्शन में आत्म विकास के चौदह सोपान ,गुणस्थान के रुप में कहें हैं।
17. जैन धर्म में जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है।
18. यदि दु;ख से दूर होना चाहते हो तो श्रामण्य को स्वीकार करना अनिवार्य है।
19. जीव और पुद्गल दोनों द्रव्य स्वतंत्र है।
20. सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान , सम्यक्चारित्र, इन तीनों की एकता मोक्षमार्ग है।
21. जैन दर्शन में पूजा का उद्देश्य कर्म निर्जरा है, सांसारिक सुख नहीं।
*बाल ब्रम्हचारी राजेश चैतन्य अहमदाबाद फोन:7974276172, 9726069091*
शनिवार, 30 मार्च 2024
स्वाध्याय
*स्वाध्याय से लाभ*
⭕ आकुलता कम करने का उपाय
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ दुख कम करने का उपाय
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ सुखी होने का उपाय
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ सम्यक दर्शन प्राप्त करने का उपाय
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕शांत रहने का उपाय
*👉🏽स्वाध्याय*
⭕ शीतल रहने का उपाय *
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ सरल और सहज रहने का उपाय 👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ धार्मिक विवादों से निकलने का उपाय 👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ मान कषाय से बचने का उपाय
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ पाप कर्मों से बचने का उपाय
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ वस्तु स्वरूप समझने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ जीव अजीव की पहचान समझने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *निरोगी रहने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *रोग आ भी जाए तो उस स्थिति में जीने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *व्यापार एवं नौकरी आदि में नुकसान हो जाए तो उस परिस्थिति से मानसिक रूप से बाहर निकलने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ शरीर और आत्मा को भिन्न समझने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ मिले हुए संयोग स्त्री, पुत्र, बच्चे, मकान, जमीन, जायजाद, वैभव, धन आदि के माध्यम से बंधने वाले कर्मों के बंधनों से छुड़ाने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *व्यवहार और निश्चय के अंतर को समझने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *जिनको कभी हम पाप नहीं समझते थे उस पुण्य और पाप का अंतर को समझने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *अपने किसी ईष्ट परिवार जन का वियोग हो जाए , उस स्थिति में रहने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ अपने पराये का और स्वयं का बोध करने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ मिथ्यात्व से छुटने और छुड़ाने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ पूर्व में बंधे हुए कर्मों से छूटने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *नए कर्म ना बंधे उससे बचने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕सच्ची जिनवाणी को समझने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
*⭕ मैं स्वयं भगवान आत्मा हूं , स्वभाव से शांत रहने वाला भगवान ही हूं , भगवान के समान निराकुल सिर्फ जानने देखने वाला ही हूं , अभी पर्याय दृष्टि से भिन्न हूं परंतु मेरा स्वभाव यही है स्वयं को भगवान जानने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
⭕ *सिद्ध अवस्था तक पहुंचाने का उपाय*
👉🏽 *स्वाध्याय*
🙏🙏🙏
गुरुवार, 28 मार्च 2024
शनिवार, 23 मार्च 2024
केजरीवाल गए जेल
केजरीवाल का सच से सामना
अन्ना हज़ारे के आंदोलन से निकला एक पतला दुबला एक सरकारी अफसर। जिसने भ्र्ष्टाचार पर लंबे-लंबे भाषण देकर जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। जिसने अपने बच्चों की कसमें खाकर पद पर बैठकर किसी भी प्रकार की सुख सुविधा, गाड़ी, बंगला लेने से मना किया।
केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर काबिज होकर भी भ्र्ष्टाचार के विरुद्ध बड़ी-बड़ी बातें करते रहे। लेकिन भ्र्ष्टाचार के आरोपो में उनके मंत्री जेल जाते रहे। इसी बीच उन्होंने अपने लिये करोड़ो की लागत से एक शीशमहल भी बनवा लिया। उन्होंने जोड़तोड़ की राजनीति का विरोध किया लेकिन खुद गठबंधन में शामिल हो गए। सैंकड़ो पन्नो के सबूत जो कांग्रेस के विरुद्ध लेकर आये थे उन्ही के साथ मिल गए। जिस ईडी पर आरोप लगाते थे की वह कांग्रेस पर कार्यवाही नहीं करती आज उसी ईडी पर उंगली उठा रहे हैं।
अपने भाषणों में सबको चोर बताने वाले केजरीवाल बहुत चतुर दिमाग के धनी हैं। भ्र्ष्टाचार कहाँ, कैसे होता है यह सब जानते हैं। इसी कारण उन्होंने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा। सदैव दूसरों के कंधों पर बंदूक चलाना जारी रखा।
कोई कितना भी शातिर हो यदि गलत किया है तो कभी न कभी शिकंजे में आ ही जाता है। यही केजरीवाल के साथ हुआ। 22 मार्च 2024 को केजरीवाल को गिरफ़्तार कर लिया गया। अब उन्हें सच से सामना करना ही होगा। विपक्ष अक्सर केंद्र सरकार पर ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगाता है। लेकिन विपक्ष यह नहीं सोचता की ईडी बिना सबूतों के किसी को जेल नहीं भेज सकती। यदि कोई बेदाग है तो न्यायालय से उसे न्याय जरूर मिलेगा।
सुनील जैन राना
रविवार, 17 मार्च 2024
नाई का बिल
💠 *दाढ़ी मात्र रु.10/-* 💠
----------------------
विद्युत वितरण कंपनी में सेवारत
एक अधिकारी दाढ़ी बनवाने
एक सैलून में गये और
सैलून में लगे बोर्ड को पढ़ने लगे. 😗
👉 दाढ़ी --------- ₹.10/-
👉 ब्लेड अधिभार. ₹. 2/-
👉 उस्तरा भाड़ा .. ₹. 3/-
👉 क्रीम ---------- ₹. 5/-
👉 कैंची भाड़ा -- ₹. 3/-
👉 कुर्सी भाड़ा -- ₹.10/-
👉 लोशन -------- ₹. 7/-
👉 पाउडर ------- ₹. 5/-
👉 नेपकिन भाड़ा. ₹. 5/-
--------------------------------
योग ......... ₹. 50/-
--------------------------------
बोर्ड पढ़कर अधिकारीजी बोले :--
तुम तो कमाल करते हो यार ..!!
दाढ़ी मात्र १० रु. लिखकर
अन्य दूसरे छुपे खर्चे जोड़कर
ग्राहकों को 'लूटते' हो ?
😉 सैलून स्वामी : --
मेरे द्वारा इस बोर्ड पर शुद्ध हिन्दी में
और सुपाठ्य बड़े अक्षरों में
स्पष्ट लिखने से मेरे काम पर
टिप्पणी कर रहे हो साहब .?
और आपकी
महावितरण कंपनी में सालों से
उपभोक्ताओं के साथ "महाछल"
जारी है , उसका क्या ?
👉 स्थायी प्रभार
👉 विद्युत प्रभार
👉 विद्युत वहन प्रभार
👉 ईंधन समायोजन प्रभार
👉 विद्युत शुल्क
👉 विद्युत बिक्री कर,
👉 ब्याज,
👉 अन्य प्रभार
👉 चालू विद्युत देयक,
👉 पूर्व बकाया
👉 समायोजित राशि
👉 बकाया ब्याज राशि
👉 कुल बकाया राशि
👉 कुल देयक राशि
.... पूर्णांक देयक...
अब आप ही बतायें....
ऐसे विद्युत बिल पर आज तक
कितने लोगों ने आपत्ति जताई ?
और..... 🚶
महावितरण अधिकारी
दाढ़ी बनवाये बिना ही लौट गये.
🎯
आम उपभोक्ताओं की
आँखें खुलने तक शेयर करें.
👉 ( बदलाव फिर भी नहीं होगा. )
जब तक जनता लुट जाने को तैयार है ,
तब तक
"महावितरण कंपनी" की लूट जारी है.
💠 जागो...! ग्राहक जागो...!! 💠
🔔
●/
/▌ Copied
/ \
शनिवार, 16 मार्च 2024
नकली दवा का कारोबार
नकली दवाई, आतंकवाद जैसी कार्यवाही
देश में नकली दवाइयां बनाकर बेचने वाले माफिया सक्रिय हैं। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं की उनके इस कुकृत्यों से लोगों की जान भी जाती है। उन्हें तो सिर्फ धन कमाने की आपदा है फिर चाहे कुछ भी हो। इस माफिया गिरोह में नकली दवाई बनाने वाला, उससे दवाई लेकर बेचने वाला, दवाई खरीदने वाले अस्पताल के कर्मचारी- डॉक्टर आदि सभी जिम्मेदार हैं। जिस जगह दवाई बन रही है उस जगह के ड्रग अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। नकली दवाई- इंजेक्शन आदि का इस्तेमाल आतंकवाद जैसी कार्यवाही है। जिसमे न जाने कितने लोगों की जान चली जाए।
नकली दवाई का कारोबार आपस मे मिलीभगत के कारण फलफूल रहा है। नकली दवा बनाने वाला, बनवाने वाले से लेकर सीधे अस्पताल के डॉक्टर- कर्मचारी का आपस मे गठबंधन ही नकली दवा के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। कैंसर जैसी बीमारी के मरीज को कैंसर की नकली दवा दी जायेगी तो सोचो मरीज का क्या हाल होगा। वह तो बेचारा पहले ही केंसर जैसी बीमारी से मरनासन्न पड़ा है ऊपर से उसे मिल रही है नकली दवा- इंजेक्शन।
समझ मे नहीं आता कि इन नकली दवाई- इंजेक्शन बेचने, बनाने, इस्तेमाल करने वालो के भी तो बीबी- बच्चें होते होंगे। इन लोगो को ऊपर वाले कि लाठी से डर नहीं लगता। कल को इनके परिवार में ऐसी बीमारी आये और उन्हें नकली दवाइयां मिले और बच न पाएं तब उन्हें कैसा लगेगा?
सरकार को इस विषय मे बहुत कठोर कदम उठाने चाहिए। प्रत्येक राज्य के प्रत्येक जिले के सम्बंधित अधिकारियों को कड़े निर्देश देने चाहिये। दरअसल सबको सब पता होता है। इसलिये कोई फैक्ट्री में चैकिंग को नहीं जाता। फिर फैक्ट्री वाला चाहे नकली दवा बनाये या असली। अनेको डॉक्टर अपना साल्ट बताकर बहुत सस्ती दवाई बनवाकर उस पर बहुत ज्यादा प्रिंट छपवा कर अपने मरीजो को देते हैं। पता नहीं उनकी पैसे की भूख कब शांत होगी?
नकली दवाई- इंजेक्शन आदि बनाने वाले को, बनवाने वाले को, इस्तेमाल करने वाले अस्पताल के डॉक्टर- कर्मचारियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए। उन पर रासुका लगनी चाहिये। यह तो आतंकवाद जैसी कार्यवाही है।
सुनील जैन राना
गुरुवार, 14 मार्च 2024
शुक्रवार, 8 मार्च 2024
बोन चाइना या कांच
ऐसे बर्तन आज कल हर घर में देखे जा सकते है, इस तरह की खास क्राकरी जो सफेद, पतली और अच्छी कलाकारी से बनाई जाती है, बोन चाइना कहलाती है। इस पर लिखे शब्द बोन का वास्तव में सम्बंध बोन (हड्डी) से ही है। इसका मतलब यह है कि आप किसी गाय या बैल की हड्डियों की सहायता से खा-पी रही है। बोन चाइना एक खास तरीके का पॉर्सिलेन है जिसे ब्रिटेन में विकसित किया गया और इस उत्पाद का बनाने में बैल की हड्डी का प्रयोग मुख्य तौर पर किया जाता है। इसके प्रयोग से सफेदी और पारदर्शिता मिलती है।
बोन चाइना इसलिए महंगा होती है क्योंकि इसके उत्पादन के लिए सैकड़ों टन हड्डियों की जरुरत होती है, जिन्हें कसाईखानों से जुटाया जाता है। इसके बाद इन्हें उबाला जाता है, साफ किया जाता है और खुले में जलाकर इसकी राख प्राप्त की जाती है। बिना इस राख के चाइना कभी भी बोन चाइना नहीं कहलाता है। जानवरों की हड्डी से चिपका हुआ मांस और चिपचिपापन अलग कर दिया जाता है। इस चरण में प्राप्त चिपचिपे गोंद को अन्य इस्तेमाल के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है। शेष बची हुई हड्डी को १००० सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है, जिससे इसमें उपस्थित सारा कार्बनिक पदार्थ जल जाता है। इसके बाद इसमें पानी और अन्य आवश्यक पदार्थ मिलाकर कप, प्लेट और अन्य क्राकरी बना ली जाती है और गर्म किया जाता है। इन तरह बोन चाइना अस्तित्व में आता है। ५० प्रतिशत हड्डियों की राख २६ प्रतिशत चीनी मिट्टी और बाकी चाइना स्टोन। खास बात यह है कि बोन चाइना जितना ज्यादा महंगा होगा, उसमें हड्डियों की राख की मात्रा भी उतनी ही अधिक होगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या शाकाहारी लोगों को बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिए? या फिर सिर्फ शाकाहारी ही क्यों, क्या किसी को भी बोन चाइना का इस्तेमाल करना चाहिये। लोग इस मामले में कुछ तर्क देते है। जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए नहीं मारा जाता, हड्डियां तो उनको मारने के बाद प्राप्त हुआ एक उप-उत्पाद है। लेकिन भारत के मामले में यह कुछ अलग है। भारत में भैंस और गाय को उनके मांस के लिए नहीं मारा जाता क्योंकि उनकी मांस खाने वालों की संख्या काफी कम है। उन्हें दरअसल उनकी चमड़ी और हड्डियों के मारा जाता है। भारत में दुनिया की सबसे बड़ी चमड़ी मंडी है और यहां ज्यादातर गाय के चमड़े का ही प्रयोग किया जाता है। हम जानवरों को उनकी हड्डियों के लिए भी मारते है। देखा जाए तो वर्क बनाने का पूरा उद्योग ही गाय को सिर्फ उसकी आंत के लिए मौत के घाट उतार देता है। आप जनवरों को नहीं मारते, लेकिन आप या आपका परिवार बोन चाइना खरीदने के साथ ही उन हत्याओं का साझीदार हो जाता है, क्योंकि बिना मांग के उत्पादन अपने आप ही खत्म हो जायेगा।
चाइना सैट की परम्परा बहुत पुरानी है और जानवर लम्बे समय से मौत के घाट उतारे जा रहे हैं। यह सच है, लेकिन आप इस बुरे काम को रोक सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको यह काम करना है कि आप बोन चाइना की मांग करना बंद कर दें।
गुरुवार, 7 मार्च 2024
क्या करेगा मोदी?
क्या क्या करेगा यह मोदी ? आइए , उसकी आलोचना करते हैं ?
लक्षद्वीप के समुद्र पर जाता है तो मालदीव और चीन उबल पड़ते हैं । द्वारिका में भेट द्वारिका के समुद्र में गोता लगाकर आसन बिछाकर श्रीकृष्ण की पूजा आराधना करता है तो भी चीन को मिर्ची लगती है । अरे भाई सारे दुनिया में टूरिस्ट्स का सबसे बड़ा आकर्षण समुद्र है । मोदी यदि जगन्नाथ पुरी , द्वारिका , केरल , गोवा , तमिलनाडु , गुजरात , अंडमान निकोबार और महाराष्ट्र के बीचों के प्रति दुनियाभर के पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं तो खुशियां मनाइए । ऐसे ही तो भारत बनेगा विश्व का सबसे बड़ा समुद्री पर्यटन का केंद्र ? यह अफसोस करने का नहीं , प्रसन्नता का विषय होना चाहिए ।
अनेक भाई लोगों को शिकायत है कि इस मंच पर मोदी की निंदा या आलोचना नहीं की जाती । चलिए आज से आलोचना शुरू करते हैं । सरकारी कामकाज की आलोचना का पहला विषय देश के 50 करोड़ लोगों को मुफ़्त गैस देना और जीरो बैलेंस के 50 करोड़ खाते खुलवाना होना चाहिए क्या ? देश में 60 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति मुफ्त इलाज के लिए 5 लाख रुपए प्रतिवर्ष खर्च का आयुष्मान कार्ड देना गलत था क्या जो उसकी निंदा की जाए ? देश में सड़कों और फ्लाई ओवर का जाल बिछाकर भारत को संपन्न देशों के समानांतर खड़ा करना गलत है क्या ?
बताइए , आज खुलकर बात करते हैं , बता ही दीजिए । बताइए इनमें से क्या गलत है जिसकी आलोचना शुरू करें । बेशुमार एयरपोर्ट बनाना , नई नई रेल गाड़ियां चलाना , वन्देभारत के बाद बुलेट ट्रेन की तैयारी करना , एक के बाद एक एम्स , आईआईटी , आईआईएम खोलना गलत है क्या ? शायद कश्मीर में आईआईएम , आईआईटी खोलना , खुशहाली लाना , बॉर्डर्स की सुरक्षा करना गलत हो , जिसकी निंदा शुरू की जाए ?
या फिर स्टार्ट अप और यूनिकान के माध्यम उद्योगों की बाढ़ लाना गलत है ? हो सकता है देश में सेना के लिए युद्धक विमान बनाना , सेना के लिए हेलीकॉप्टर , आयुध आदि का निर्माण गलत हो । या फिर 80 करोड़ देशवासियों को मुफ़्त अनाज देना ही गलत होगा फिर ?
जी हां , ये सब काम तो मोदी की निंदा के योग्य हैं ही ? लेकिन असली बात कुछ और भी है । दस साल पहले मोदी ने छद्मवाद का गिरेबान पकड़ कर प्रखर राष्ट्रवाद जगाना शुरू कर दिया ? भला यह भी कोई बात हुई भारत के तीर्थों को कुछ इसकदर सजाया की तीर्थाटन और पर्यटन मिलकर एक ही हो गए ?
इस मोदी ने तो मंदिर मंदिर जाते जाते राम को ही अयोध्या में साकार कर दिया ? सुनते हैं अब काशी मथुरा में शिव और कान्हा को साकार करने की तैयारी यही मोदी कर रहा है ? आओ इस मोदी की भर्त्सना करें , हम सनातन की निंदा करते हैं , यह सनातन का महिमा मंडन करता है ? यह मोदी भारत को विकसित राष्ट्र बनाकर भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर का बाद 10 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाना चाहता है ?
आओ भाईयो आओ ! हम मोदी की निंदा करते हैं।।
मंगलवार, 5 मार्च 2024
मोदी जैसा कोउ नहीं
एक तमिल मैगजीन में मोदी के बारे में छपी 20 बातें...
1. साफ सुथरा कपड़ा और करीने से बनाया बाल।
2. कमांडिंग बॉडी लैंग्वेज और मर्दों वाली चाल।
3. भगवा कपडे में संत, यूनिफॉर्म में सैनिक और आम कपड़ो में डिवाइन राजकुमार।
4. हर सांस में देशभक्ति और अनुशासन।
5. किसी भी विदेशी राष्ट्र के
प्रमुख के सामने ज्यादा प्रभावशाली।
6. चुनाव में इतना वादा निभाने वाला कोई नेता नहीं है।
7. राष्ट्र प्रथम। परिवार का कोई भी व्यक्ति निकट नहीं रहता।
8. कभी छुट्टी नहीं लिया।
9. कभी बीमार नहीं पड़ता।
10. जरूरत जितना ही बोलना जरुरत जितना चुप रहना।
11. चेहरे पर थकान नहीं। हास्य से भरपूर।
12. भाषण और भाषा पर पूरा कमांड।
13. विरोधियों की आलोचना और बयानबाजी से विचलित नहीं होते।
14. विपक्ष बेवकूफी वाले बयानों पर समय नष्ट नहीं करते। अपने काम पर ध्यान।
15. स्वास्थ्य, परम्परा और इमानदारी का मिश्रण
16. पूर्ण समर्पण और दृढ़ निश्चय के साथ निर्णय।
17. हिन्दू संस्कृति और शान के प्रतीक
18. आंखे किसी को भी वशीभूत कर सकती है।
19. कोई कन्फ्यूजन नहीं, कोई डर नहीं, कोई स्वार्थ नहीं।
20. 70+ की उम्र में भी एक नौजवान से ज्यादा ऊर्जा। 20 घंटे तक लगातार यात्रा और काम करने की क्षमता।
विश्व के किसी भी राजनेता में इतने गुण नहीं मिल सकते।
सोमवार, 4 मार्च 2024
रविवार, 25 फ़रवरी 2024
असली- नकली पहचानिए
🍃 *Arogya*🍃
*दूध असली है या नकली ऐसे पहचानिए मिलावट के तरीके*
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लेकिन अब मिलावट के तरीके बदल गए हैं, काफी तकनीकी हो गए हैं। अब तो दूध को सीधा गलत तरीके से बनाने की कोशिश की जाती है। केवल दूध ही नही 6, दूध से बनने वाले अन्य खाद्य पदार्थ जैसे कि पनीर, घी, मावा, इत्यादि गलत तरीकों से बनाए जा रहे हैं।
*सर्फ*
जी हां… शायद आज तक आप इस सच्चाई से परे ही रहे हों, लेकिन दूध से बनने वाला ‘मावा’ अकेले दूध की मदद से ना बनकर कपड़े धोने वाले सर्फ के प्रयोग से बनाया जा रहा है। त्योहारों पर मिठाई की डिमांड बढ़ने पर मांग की पूर्ति करने के लिए दुकानदार खतरनाक तरीका अपना रहे हैं। वो ऐसे सिंथेटिक मावे की मिठाई बेच रहे हैं, जिनमें वाशिंग पाउडर तक मिलाया जाता है।
*मिठाई में भी*
देशभर में सप्लाई होने वाली इस मिठाई को मुरैना और भिंड में बड़े स्तर पर बनाया जाता है। एक बार माल तैयार होते ही उसे ग्वालियर भेजा जाता है और फिर देशभर में सप्लाई किया जाता है।
*वाशिंग पाउडर*
लेकिन मावे को बनाने के लिए वाशिंग पाउडर का इस्तेमाल क्यूं हो रहा है, इसके पीछे भी लोगों ने एक जुगत लगाई है। दरअसल इस सिंथेटिक मावे को बनाने के दौरान उसमें वाशिंग पाउडर भी डाला जाता है। पहले दूध से क्रीम निकाली जाती है, जिसके बाद उसमें यूरिया के अलावा डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का रिफाइंड या वनस्पति घी मिलाया जाता है।
*मावे को बनाने के लिए*
मावे को बनाने के लिए जिस यूरिया की जरूरत पड़ती है वह महंगा होता है, जब मिलावट करने वाले लोगों को समझ में आया कि यूरिया का काम वाशिंग पाउडर भी कर सकता है तो उन्होंने मिलावट का यह गंदा खेल आरंभ कर दिया। इन सभी मिलावटी चीजों को मिलाने के बाद जो पदार्थ तैयार होता है, उससे फिर मावा बना लिया जाता है।
*ऐसे पहचानें नकली दूध*
चलिए यहां आपको कुछ तरीके बताते हैं जो आपको असली या नकली दूध में फर्क बताने में सहायक सिद्ध होंगे।
*पहला तरीका*
सिंथेटिक दूध की पहचान करने के लिए उसे सूंघे। अगर उसमें साबुन जैसी गंध आती है तो इसका मतलब है कि दूध सिंथेटिक है जबकि असली दूध में कुछ खास गंध नहीं आती है।
*दूसरा तरीका*
असली दूध का स्वाद हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।
*तीसरा तरीका*
असली दूध स्टोर करने पर अपना रंग नहीं बदलता,जबकि नकली दूध कुछ वक्त के बाद पीला पड़ने लगता है। दूध में पानी के मिलावट की पहचान के लिए दूध को एक काली सतह पर छोड़ें। अगर दूध के पीछे एक सफेद लकीर छूटे तो दूध असली है।
*चौथा तरीका*
अगर हम असली दूध को उबालें तो इसका रंग नहीं बदलता, वहीं नकली दूध उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
*पांचवा तरीका*
दूध में पानी की मिलावट की जांच करने के लिए किसी चिकनी लकड़ी या पत्थर की सतह पर दूध की एक या दो बूंद टपकाकर देखिए। अगर दूध बहता हुआ नीचे की तरफ गिरे और सफेद धार सा निशान बन जाए तो दूध शुद्ध है।
*छठा तरीका*
असली दूध को हाथों के बीच रगड़ने पर कोई चिकनाहट महसूस नहीं होती। वहीं, नकली दूध को अगर आप अपने हाथों के बीच रगड़ेंगे तो आपको डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होगी।
*Dr.(Vaid) Deepak Kumar*
*Adarsh Ayurvedic Pharmacy*
*Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com*
*9897902760*
बुधवार, 21 फ़रवरी 2024
रविवार, 18 फ़रवरी 2024
किसान आंदोलन
किसान आंदोलन देशहित में नहीं
किसान आंदोलन पंजाब से शुरू हो रहा है। पंजाब के किसान पंजाब सरकार से अपनी मांगे न मनवाकर सीधे दिल्ली कूच कर केंद्र सरकार पर दबाब डालने की राजनीति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पंजाब के किसान देश के अमीर किसानों की श्रेणी में आते हैं। अभी तक सरकार द्वारा किसानों को जो छूट दी गई है उसका सबसे ज्यादा फायदा पंजाब के किसान ही उठाते हैं। फिर क्यों ये किसान ऐसी मांगो को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जो किसी भी सरकार के लिए मानी नहीं जा सकती।
ऐसा लगता है जैसे यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। विपक्ष को मोदीजी की सफलता रास नहीं आ रही है। जब विपक्ष में बैठी होती थी तब इन्होंने MSP जैसे कानूनों को लागू करने से मना कर दिया था क्योंकि ये कानून देशहित में नहीं थे। आज विपक्ष खासकर राहुल गांधी सत्ता की चाहत में कह रहे हैं की हमारी सरकार आई तो हम किसानों की सभी बातों को मान लेंगे। राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाकर किसानों की मांगों के समर्थन की बात कर रहे हैं। जबकि उन्हें भी पता है कि MSP की सभी मांगो को पूरा करना सम्भव नहीं है।
देश का बजट 46 लाख करोड़ रुपये है और MSP की सभी मांगो को मान लेने में ही 40 लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाएगा। लेकिन सत्ता की छटपटाहट में विपक्षी नेतागण सबकी सब मांगे मान लेने को तैयार बैठे हैं। वे यह नहीं सोच रहे की इन मांगों को मान लेने पर इनकी पूर्ति कैसे करेंगे? वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित मे अनेक योजनाएं बनाई गई है जिसका लाभ किसान उठा रहे हैं। किसानों के बैंक खाते में धन, खाद में सब्सिडी, बिजली बिल में छूट, बैंक लोन में माफी एवं छूट आदि अनेको योजनाओं का लाभ देश के किसान उठा रहे हैं। एक आम आदमी को भी इतनी छूट नहीं मिलती जितनी किसानों को मिल रही है। वास्तव में तो किसानों को मिलने वाली छूट छोटे किसानों को मिलनी चाहियें। बड़े किसान जो करोडपति हैं उन्हें खुद से किसानों को मिलने वाले लाभों को छोड़ कर छोटे किसानों ला सहयोग करना चाहिए। लेकिन इस आंदोलन में बड़े- बड़े किसान मर्सडीज आदि गाड़ियां लेकर चल रहे हैं। ऐसे किसानों का आंदोलन अराजकता फैलाने के लिये ही किया जा रहा लगता है। किसानों की इन मांगों से देश मे महंगाई बेहताशा बढ़ जायेगी। आम आदमी का जीवन दुश्वार हो जायेगा। किसानों को सबके हित की बात भी सोचनी चाहिये।
सुनील जैन राना
बुधवार, 14 फ़रवरी 2024
ये अमीर किसान
इनका बिजली माफ होना चाहिए इनका कर्ज माफ होना चाहिए इनको सब्सिडी मिलनी चाहिए इनको एमएसपी चाहिए इनकी आमदनी पर किसी भी प्रकार का कोई टैक्स नहीं होना चाहिए अराजकता फैलाने की पूरी छूट चाहिए और अब तो इन्हें अपना अलग देश भी चाहिए क्योंकि यह अन्नदाता है यह अपने लिए कुछ नहीं पैदा करते हैं कृषि इनकी रोजी-रोटी नहीं है व्यवसाय नहीं है यह तो बस जो भी कर रहे हैं वह दूसरों के लिए बिना किसी स्वार्थ के कर रहे हैं......एक शब्द में कहिए कि किसान के नाम पर आंदोलन करने वाले लोग सरकार को ब्लैकमेल करने वाले लोग हैं विपक्षी पार्टियों के टूल किट के किरदार हैं देश विरोधी ताकतों के पालतू लोग हैं यही इनकी असलियत है है कड़वा है लेकिन सच है। सरकार को सिर्फ गरीब किसानों के लिये योजनाएं बनानी चाहिए। गरीब किसान परेशान रहता है। अमीर किसान को मदद की कोई जरूरत नही होती। अमीर किसान आंदोलन मर मर्सडीज गाड़ियां लेकर चल रहे है। ये सिर्फ अराजकता फैलाना चाहते है किसी के इशारों पर।
मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024
रविवार, 11 फ़रवरी 2024
रिटायरमेंट के बाद
*रिटायरमेंट के बाद का जीवन:-*
_दिल्ली शहर के सरोजनी नगर में एक आईएएस अफसर रहने के लिए आए, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए थे।_
_ये बड़े वाले रिटायर्ड आईएएस अफसर, हैरान-परेशान से रोज शाम को पास के पार्क में टहलते हुए, अन्य लोगों को तिरस्कार भरी नज़रों से देखते और किसी से भी बात नहीं करते थे।_
_एक दिन एक बुज़ुर्ग के पास शाम को गुफ़्तगूँ के लिए बैठे और फिर रोज़ाना उनके पास बैठने लगे_
_लेकिन उनकी वार्ता का विषय एक ही होता था- *"मैं दिल्ली में इतना बड़ा आईएएस अफ़सर था कि पूछो मत! यहाँ तो मैं मजबूरी में आ गया हूँ। मुझे तो अमेरिका में बसना चाहिए था..."*_
_और वो बुजुर्ग प्रतिदिन शांतिपूर्वक उनकी बातें सुना करते थे।_
_परेशान होकर एक दिन बुजुर्ग ने उनको समझाया - *"आपने कभी फ्यूज बल्ब देखे हैं? बल्ब के फ्यूज हो जाने के बाद क्या कोई देखता है कि बल्ब किस कम्पनी का बना हुआ था? या कितने वाट का था? या उससे कितनी रोशनी या जगमगाहट होती थी?*_
_*बल्ब के फ्यूज़ होने के बाद ये सब बातें कोई मायने नहीं रखती हैं... बताओ, लोग ऐसे बल्ब को कबाड़ में डाल देते हैं कि नहीं!"*_
_रिटायर्ड आईएएस अधिकारी महोदय ने सहमति में सिर हिलाया तो बुजुर्ग फिर बोले -_ _*"रिटायरमेंट के बाद करीब करीब सभी की स्थिति, फ्यूज बल्ब जैसी हो जाती है।*_
_*हम कहाँ काम करते थे, कितने बड़े अथवा छोटे पद पर थे, हमारा क्या रुतबा था, ये कुछ भी मायने नहीं रखता।"*_
_वे आगे बोले- *"मैं सोसाइटी में पिछले कई वर्षों से रहता हूँ और मैंने आजतक किसी को यह नहीं बताया कि मैं दो बार संसद सदस्य रह चुका हूँ।*_
_*वो जो सामने जाटव जी बैठे हैं, रेलवे के महाप्रबंधक थे।*_
_*वे सामने से आ रहे माहौर जी साहब- सेना में ब्रिगेडियर थे।*_
_*वो माँझी जी- इसरो में चीफ थे... मग़र ये बात उन्होंने किसी को नहीं बताई है, मुझे भी नहीं! अब वो हों चाहे मैं! हम यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि सारे फ्यूज़ बल्ब करीब-करीब एक जैसे ही हो जाते हैं, चाहे जीरो वाट का हो 50 वाट का हो या 100 वाट का!"*_
_सीधा फंडा है- रोशनी नहीं तो उपयोगिता नहीं।_
_उगते सूर्य को जल चढ़ा कर सभी पूजा करते हैं। पर डूबते सूरज की कोई पूजा नहीं करता।_
_कुछ लोग अपने पद को लेकर इतने वहम में होते हैं कि रिटायरमेंट के बाद भी उनसे अपने जलबे, भुलाए नहीं जाते! वे अपने घर के आगे नेम प्लेट लगाते हैं - रिटायर्ड आइएएस/रिटायर्ड आईपीएस/रिटायर्ड पीसीएस/ रिटायर्ड जज आदि-आदि।_
_अब ये रिटायर्ड IAS/IPS/PCS/ Engineer/तहसीलदार/ पटवारी/ बाबू/ प्रोफेसर/ प्रिंसिपल/ अध्यापक आदि... जाने कितनी और कौन-कौनसी पोस्ट होती हैं भाई?_
_माना कि आप बहुत बड़े आफिसर थे, बहुत काबिल भी थे, या छोटे भी थे तो आपके हुनर की पूरे महकमे में तूती बोलती थी!_
_पर अब यह सब बातें मायने नहीं रखतीं! अब मायने रखती है तो सिर्फ़ यह बात - कि पद पर रहते समय आप इंसान कैसे थे...?_
_आपने कितनी जिंदगियों को छुआ...?_
_आपने आम लोगों को कितनी तबज्जो दी कि नहीं?..._
_आपने समाज को क्या दिया?_
_लोगों के कितने काम आए?_
_लोगों की मदद की या अपने पद के घमंड में ही सूजे रहे...?_
_मित्रों, 'ये सीख' इस समय जो लोग पदों पर आसीन हैं... कार्यरत हैं... उनके लिए भी है कि- अगर पद पर रहते हुए कभी घमंड आए... तो बस याद कर लेना कि- एक दिन सबको फ्यूज होना है, और फ़्यूज होने के बाद अग़र अहमियत रहेगी तो सिर्फ़ इस बात की- कि आपने अपने जीवनकाल में (जब आप सक्षम थे तब) कितने लोगों को रोशनी प्रदान की।_
_अतः मित्रों, चाहे आप पद पर हों या न हों! अभी भी वक्त है। चिंतन करिए... तथा समाज एवं सोसायटी का, जो भी संभव हो हित कीजिए... अपने आभामंडल रूपी बल्ब से समाज एवं देश को रोशन कीजिए।_
_😊
गुरुवार, 8 फ़रवरी 2024
प्राचीन भारतीय ज्ञान
यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।
यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।
यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार" शब्द हमारे पास क्यो है।
Atom और electron की जानकारी नहीं थी तो अणु और परमाणू शब्द कहा से आए।
Surgery का ज्ञान नहीं था तो, "शल्य चिकितसा" शब्द कहा ये आया।
विमान, विद्युत, दूरसंचार , ये शब्द स्पष्ट प्रमाण है, कि ये तकनीक भी हमारे पास थी।
फिसिक्स के सारे शब्द आपको हिन्दी में मिल जाएगे।
बिना परिभाषा के कोई शब्द अस्तित्व में रह नहीं सकता।
सौरमंडल में नौ ग्रह है व सभी सूर्य की परिक्रमा लगा रहे है, व बह्ममांड अनंत है, ये हमारे पूर्वजो को बहुत पहले से पता था। रामचरित्र मानस में काक भुशुंडि - गरुड संवाद पढिए, बह्ममांड का ऐसा वर्णन है, जो आज के विज्ञान को भी नहीं पता।
अंग्रेज जब 17-18 सदी में भारत आये तभी उन्होने विज्ञान सीखा, 17 सदी के पहले का आपको कोई साइंटिस्ट नहीं मिलेगा,
17 -18 सदी के पहले कोई अविश्कार यूरोप में नहीं हुआ, भारत आकर सीखकर, और चुराकर अंग्रेजो ने अविश्कार करे।
भारत से सिर्फ पैसे की ही लूट नहीं हुई, ज्ञान की भी लूट हुई है।
वेद ही विज्ञान है और हमारे ऋषि ही वैज्ञानिक है
जय श्री राम , जय सनातन संस्कृति ।
सोमवार, 5 फ़रवरी 2024
रविवार, 28 जनवरी 2024
सत्ता की भूख
सत्ता की भूख का समीकरण समझने के लिए राजनीति में कथित पलटूराम लेकिन किस्मत के धनी बिहार के सीएम नीतीश कुमार से समझ सकते हैं। जो खेला करने में माहिर हैं। लालू एंड संस् से खेला कर एनडीए के साथ जुड़कर स्तीफा देकर सपथ ग्रहण कर फिर से नये सीएम बन गये।
राजनीति में कुछ भी होना सम्भव है। दुश्मन का दुश्मन दोस्त और दोस्त- दोस्त दुश्मन बन जाते हैं। ये सब जुमले बिहार में सच हो रहे हैं। बिहार में सत्ता की भूख के कारण समीकरण बैठाने को नीतीश ने लालू की आरजेडी से नाता तोड़कर मोदीजी की एनडीए से नाता जोड़कर पुनः सीएम बन गये।
यह सच है की एक सही आदमी गलत आदमियों के साथ बहुत लंबे समय तक साथ नहीं रह सकता। यही वजह बिहार की राजनीति में हो रही थी। नीतीश कुमार पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं है लेकिन लालू एंड संस् सदैव भृष्टाचार के आरोपो से घिरे ही रहते हैं। ऐसे में सही आदमी कब तक बर्दाश्त करता। इसी का नतीज़ा टूट का कारण बना।
बिहार का विकास भी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर ही कर सकते हैं। भृष्टाचारियो के साथ मिलकर नहीं कर सकते। 1600 करोड़ का पुल बना और गिर गया। इसपर कोई कुछ नहीं बोला। गठबंधन जो 900 करोड़ के संसद भवन पर हंगामा कर रहा था उसका एक भी सदस्य 1600 करोड़ के पुल के बनने से पहले ही गिर जाने पर नहीं बोला। दरअसल सबका एक ही उद्देश्य है मोदी सरकार को हटाओ। देश के विकास का नक्शा किसी के पास नही है। गठबंधन में सभी घटक दल सता की भूख के समीकरण खोजने में लगे हैं।
सुनील जैन राना
सोमवार, 22 जनवरी 2024
शुक्रवार, 19 जनवरी 2024
सिखलैंड की लड़ाई
अगर आप को इसके बारे नहीं पता तो आप अपने इतिहास से बेखबर है।
आपने "ग्रीक सपार्टा" और "परसियन" की लड़ाई के बारे मेँ सुना होगा ......
इनके ऊपर "300" जैसी फिल्म भी बनी है ....
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पर अगर आप "सारागढ़ी" के बारे मेँ पढोगे तो पता चलेगा इससे महान लड़ाई
सिखलैँड मेँ हुई थी ...... बात 1897 की है .....
नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट मेँ 12 हजार अफगानोँ ने हमला कर दिया ......
वे गुलिस्तान और लोखार्ट के किलोँ पर कब्जा करना चाहते थे ....
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इन किलोँ को महाराजा रणजीत सिँघ ने बनवाया था ..... इन किलोँ के पास सारागढी मेँ एक सुरक्षा चौकी थी .......
जंहा पर 36 वीँ सिख रेजिमेँट के 21 जवान तैनात थे .....
ये सभी जवान माझा क्षेत्र के थे और सभी सिख थे .....
36 वीँ सिख रेजिमेँट मेँ केवल साबत सूरत (जो केशधारी हों) सिख भर्ती किये जाते थे .......
ईशर सिँह के नेतृत्व मेँ तैनात इन 20 जवानोँ को पहले ही पता चल गया कि 12 हजार अफगानोँ से जिँदा बचना नामुमकिन है .......
फिर भी इन जवानोँ ने लड़ने का फैसला लिया और 12 सितम्बर 1897 को सिखलैँड की धरती पर एक ऐसी लड़ाई हुयी जो दुनिया की पांच महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल हो गयी .....
एक तरफ 12 हजार अफगान थे .....
तो दूसरी तरफ 21 सिख .......
यंहा बड़ी भीषण लड़ाई हुयी और 600-1400 अफगान मारे गये और अफगानोँ की भारी तबाही हुयी .....
सिख जवान आखिरी सांस तक लड़े और इन किलोँ को बचा लिया ........
अफगानोँ की हार हुयी ..... जब ये खबर यूरोप पंहुची तो पूरी दुनिया स्तब्ध रह गयी ......ब्रिटेन की संसद मेँ सभी ने खड़ा होकर इन 21 वीरोँ की बहादुरी को सलाम किया ..... इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया .......
जो आज के परमवीर चक्र के बराबर था ......
भारत के सैन्य इतिहास का ये युद्ध के दौरान सैनिकोँ द्वारा लिया गया सबसे विचित्र अंतिम फैसला था ......
UNESCO ने इस लड़ाई को अपनी 8 महानतम लड़ाइयोँ मेँ शामिल किया ......
इस लड़ाई के आगे स्पार्टन्स की बहादुरी फीकी पड़ गयी ...... पर मुझे दुख होता है कि जो बात हर भारतीय को पता होनी चाहिए ...... उसके बारे मेँ कम लोग ही जानते है .......ये लड़ाई यूरोप के स्कूलोँ मेँ पढाई जाती है पर हमारे यंहा जानते तक नहीँ ........
साभार
बुधवार, 17 जनवरी 2024
भारत / इंडिया
*भारत में गाँव है,गली है, चौबारा है,इण्डिया में सिटी है, मॉल है,पंचतारा है।*
*भारत में घर है,चबूतरा है, दालान है,इण्डिया में फ्लेट है, मकान है।*
*भारत में काका है,बाबा है, दादा है,दादी है,इण्डिया में अंकल-आंटी की आबादी है।*
*भारत में खजूर है,जामुन है, आम है,इण्डिया में मेगी है, पिज्जा है,छलकते जाम है।*
*भारत में मटके है,दोने है, पत्तल है,इण्डिया में पोलिथीन, प्लास्टिक,बाटल है।*
*भारत में गाय है,घी है,मक्खन है,कंडे है,इण्डिया में चिकन है, बिरयानी है,अंडे है।*
*भारत में दूध है,दहीं है,लस्सी है,इण्डिया में विस्की,कोक, पेप्सी है।*
*भारत में रसोई है,आँगन है, तुलसी है,इण्डिया में रूम है, कमोड की कुर्सी है।*
*भारत में कथड़ी है,खटिया है, खर्राटे है,इण्डिया में बेड है, डनलप है,करवटें है।*
*भारत में मंदिर है,मंडप है, पंडाल है,इण्डिया में पब है, डिस्को है,हाल है।*
*भारत में गीत है,संगीत है, रिदम है,इण्डिया में डांस है,पॉप है,आइटम है।*
*भारत में बुआ है,मोसी है, बहिन है,इण्डिया में सब के सब कजिन है*
*भारत में पीपल है,बरगद है, नीम है,इण्डिया में वाल पर पूरे सीन है।*
*भारत में आदर है,प्रेम है, सत्कार है,इण्डिया में स्वार्थ है, नफरत है,दुत्कार है।*
*भारत में हजारों भाषा है, बोली है,इण्डिया में एक अंग्रेजी बड़बोली है।*
*भारत सीधा है,सहज है,सरल है,इण्डिया धूर्त है,चालाक है, कुटिल है।*
*भारत में संतोष है,सुख है,चैन है,इण्डिया बदहवास,दुखी, बेचैन है।*
*क्योंकि भारत को देवों ने संतों ने वीरों रचाया है,इण्डिया को लालची अंग्रेजों ने बसाया है।*
*मैं भारत हूँ,भारत में रहना चाहता हूँ,अपनी संतानों को भी भारत ही देना चाहता हूँ।* *🙏⚘️सादर जय जिनेन्द्र जी⚘️🙏*
मंगलवार, 16 जनवरी 2024
शुक्रवार, 12 जनवरी 2024
तथ्य जो छुपाये गये
"9 वर्षों में मुझे पता चला"
मात्र 9 वर्ष पहले मैं भी एक सामान्य नागरिक था, मुझे भी औरो की तरह नेहरू, गांधी, गांधी परिवार तथा भाई भाई जैसे नारे अच्छे लगते थे।
परन्तु:
इन 9 वर्षों में मुझे कुछ ऐसे सत्य पता चले जो हैरान करने वाले थे।
1. सोशल मीडिया से मुझे यह पता चला कि "पत्रकार" निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुड़े होते हैं।
2. लेखक, साहित्यकार भी निष्पक्ष नही होते। वे भी किसी खास विचारधारा से जुडे होते है।
3. साहित्य अकादमी, बुकर, मैग्ससे पुरस्कार प्राप्त बुद्धिजीवी भी निष्पक्ष नही होते।
4. फिल्मों के नाम पर एक खास विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता है। बालीबुड का सच पता चला।
5. हिन्दू धर्म को सनातन धर्म कहते हैं और देश का नाम हिंदुस्तान है, क्योंकि यह हिंदुओं का इकलौता देश है।
6. हिन्दू शब्द सिंधु से नही (ईरानियों द्वारा स को ह बोलने से) नही आया बल्कि "हिन्दू" शब्द "ऋग्वेद" में हज़ारों वर्ष पूर्व से ही वर्णित हैं।
7. जातिवाद, बाल विवाह, पर्दा प्रथा हजारों वर्ष पूर्व सनातनी नही बल्कि मुगलों के आगमन से उपजी कु-व्यवस्था थी, जिसे अंग्रेजों ने सनातन से जोड़कर हिन्दुओ को बांटा। उसे लिखित इतिहास बनाया।
8. किसी समय भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म पूरे विश्व मे फैला था।
9. वास्कोडिगामा का सच ये था कि वह एक लुटेरा, धोखेबाज था और किसी भारतीय जहाज का पीछा करते हुए भारत पहुंचा।
10. बप्पा रावल का नाम, काम और अद्भुत पराक्रम सुना। उनसे डरकर 300 वर्ष तक मुगल आक्रांता इधर झांके भी नहीं।
11. बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुलतान सहित सभी मुगल शासक क्रूर, हत्यारे, बलात्कारी और अपने धर्म के प्रसारक और हिंदुओं का नरसंहारक थे, यह सच पता चला।
12. ताज़महल, लालकिला, कुतुब मीनार हिन्दू भवन थे, इनकी सच्चाई कुछ और हैं, पता चला।
13. जिसे लोग व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहकर मजाक उड़ाते हैं, उसी ने महात्मा गांधी के "ब्रह्मचर्य के प्रयोग" और हेडगेवार, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल व हिन्दू समाज के साथ कि गई गद्दारी की सच्चाई बताई।
14. गाँधी जी की तुष्टिकरण और भारत विभाजन के बारे मे ज्ञान हुआ।
15. नेहरू की असलियत, उनके इरादे, उनकी हरकतें, पता चली।
16. POJKL के बारे मे भी इन 9 वर्षों में जाना कि कैसे पाकिस्तान ने कब्जा किया। और कौन लोग POJKL को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।
17. अनुच्छेद 370 और उससे बने नासूर का पता चला।
18. कश्मीर में दलितों को आरक्षण नही मिलता, यह भी पता चला।
19. AMU मे दलितों को आरक्षण नही मिलता, वह संविधान से परे है।
20. जेएनयू की असलियत, वहाँ के खेल और हमारे टैक्स से पलने वाली टुकड़े टुकड़े गैंग का पता चला।
21. वामपंथी-देशद्रोही विचारधारा के बारे मे पता चला।
22. जय भीम समुदाय के बारे मे पता चला। भीमराव के नाम पर उनके मत से सर्वथा भिन्न खेल का पता चला। मीम भीम दलित औऱ हिन्दू दलित अलग होते है पता चला।
23. मदर टेरेसा की असलियत अब जाकर ज्ञात हुई।
24. ईसाई मिशनरी और धर्मांतरण के बारे में पता चला।
25. अब पता चला कि धिम्मी, काफिर, मुशरिक, शिर्क, जिहाद, क्रुसेड जैसे शब्द हिन्दुओं के लिए क्या संदेश रखते हैं।
26. गजवा ऐ हिन्द के बारे मे पता भी नहीं था। कभी नाम भी नहीं सुना था। यह सब इन 9 वर्षों में पता चला। स्टॉकहोम सिंड्रोम और लवजिहाद का पता चला।
27. सेकुलरिज्म की असलियत अब पता चली। मानवाधिकार, बॉलीवुड, बड़ी बिंदी गैंग, लुटियंस जोन इन सबके लिए तो हिन्दू एक चारा था।
28. हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ अलग हैं, यह भी सोशल मीडिया ने ही बताया। नेहरू ने हिन्दू पर्सनल लॉ को समाप्त कर दिया। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ को रहने दिया।
29. भारतीय इतिहास के नाम पर हमें झूठा इतिहास पढ़ाया गया, जिन मुगलों ने हमे लूटा, हम पर अत्याचार किया उन्हें महान बताया गया। यदि कोई बाहरी व्यक्ति आपके घर पर कब्जा करे लूटे अत्याचार करे वह महान और लुटने वाला लुटेरा कैसे हो सकता है।
30 इतना सब पता चलने के बाद भी और मोदीजी के महान नेतृत्व के बाद भी केवल तीस प्रतिशत हिन्दू ही समझ पाए बाकी वैसे ही हैं।
31 यहां तक कि न्यायमूर्ति कहे जाने वाले न्यायाधीश तक निष्पक्ष नहीं होते कुछ विचारधारा से कुछ डर के कारण न्याय नहीं कर सकते।
32 अभिव्यक्ति की आजादी और सही इतिहास जिसे दफन कर दिया गया था वह अब धरती फाड़कर बाहर आ रहा हैै। इसमें कुछ झूठ का अंश हो सकता है पर पहले लिखा इतिहास सारा झूठ का पुलंदा था।
और भी कई विषय हैं जो इन 9 वर्षो मे हमें ज्ञात हुए है जो देश से छुपाए गये थे। जो आपके ध्यान में आए वो इसमें जोड़ते जाइए।🙏
साभार
बुधवार, 10 जनवरी 2024
शुक्रवार, 5 जनवरी 2024
जिंदगी का सफर
दिलचस्प हैं जरुर पढें :-
जीवन में उन्मूलन(Elimination) के चार चरण:---
(1) 60 की उम्र में कार्य स्थल आपको ख़त्म कर देता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने करियर के दौरान कितने सफल या शक्तिशाली थे, आप एक सामान्य व्यक्ति बनकर लौटेंगे। इसलिए, अपनी पिछली नौकरी की मानसिकता और श्रेष्ठता की भावना से चिपके न रहें, अपने अहंकार को त्यागें, अन्यथा आप सहजता की भावना खो सकते हैं!
(2) 70 की उम्र में समाज धीरे-धीरे आपको ख़त्म कर देता है। जिन मित्रों और सहकर्मियों से आप मिलते और मेलजोल रखते थे, वे कम हो गए हैं और आपके पूर्व कार्यस्थल पर शायद ही कोई आपको पहचानता हो। यह मत कहो, "मैं हुआ करता था..." या "मैं कभी था..." क्योंकि युवा पीढ़ी आपको नहीं जानती होगी, और आपको इसके बारे में असहज महसूस नहीं करना चाहिए!
(3) 80 की उम्र में परिवार धीरे-धीरे आपको ख़त्म कर देता है। भले ही आपके कई बच्चे और पोते-पोतियाँ हों, अधिकांश समय आप अपने जीवनसाथी के साथ या अकेले ही रहेंगे। जब आपके बच्चे कभी-कभार आते हैं, तो यह स्नेह की अभिव्यक्ति है, इसलिए उन्हें कम आने के लिए दोष न दें, क्योंकि वे अपने जीवन में व्यस्त हैं!
(4) 90 की उम्र में, पृथ्वी तुम्हें ख़त्म करना चाहती है। जिन लोगों को आप जानते थे उनमें से कुछ पहले ही हमेशा के लिए चले गए हैं। इस बिंदु पर, दुखी या शोकाकुल न हों, क्योंकि यही जीवन का मार्ग है, और हर कोई अंततः इसी मार्ग का अनुसरण करेगा!
इसलिए, जबकि हमारा शरीर अभी भी सक्षम है, जीवन को भरपूर जियो! जो चाहो खाओ, जो चाहो पीओ, खेलो और वो काम करो जो तुम्हें पसंद है।
मंगलवार, 2 जनवरी 2024
सीनियर सिटीजन
नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं
सीनियर सिटीजन को सुविधाएं मिलें
देश आगे बढ़ रहा है। सभी के लिये सरकारी योजनाओं की भरमार है। लेकिन गैर सरकारी सीनियर सिटीजन के लिये कोई योजना नहीं है। सरकारी सीनियर सिटीजन को जीवन तक पेंशन मिलने का प्रावधान है उनके जीवन के बाद उनकी पत्नी को पेंशन की राशि मिलती है। अब जिन सरकारी सीनियर सिटीजन को पेंशन के बदले एक मुश्त पैसा मिल जाता है।
लेकिन गैर सरकारी सीनियर सिटीजन जो व्यापारी, कर्मचारी, किसान, मज़दूर आदि जब तक मेहनत कर जीविका अर्ज कर रहा है तब तक वह अपना व परिवार का पेट भर रहा है। उसके बाद जब वह कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तब उसका सहारा कोई नहीं होता। जबकि विकसित देशों में सीनियर सिटीजन के लिये सरकार पेंशन भी देती है एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है।
हमारे देश में सिर्फ एक सुविधा मिल रही थी रेल टिकट में छूट। लेकिन वह भी बन्द कर दी गई। जबकि सरकारी स्तर पर मंत्री -सन्तरी आदि के लिये आज भी उपलब्ध है। जिस सीनियर सिटीजन ने जीवन भर राजस्व दिया उसके लिए असहाय हो जाने पर सरकार की तरफ से कुछ भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। जनहित में सरकार को सीनियर सिटीजन के लिये भी अच्छी योजनाएं बनानी चाहिए। कम से कम रेल टिकट में मिलने वाली छूट को तो निश्चित रूप से पुनः चालू करनी ही चाहिये।
सुनील जैन राना
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