रविवार, 29 जनवरी 2023

बहुत अन्याय हुआ

*महान भारत,नालायक इतिहासकार* 5000 साल पहले ब्राह्मणों ने हमारा बहुत शोषण किया ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने से रोका। यह बात बताने वाले महान इतिहासकार यह नहीं बताते कि 500 साल पहले मुगलों ने हमारे साथ क्या किया। 100 साल पहले अंग्रेजो ने हमारे साथ क्या किया। 👉इस काल खण्ड में हमारे देश में शिक्षा नहीं थी लेकिन 1897 में शिवकर बापूजी तलपडे ने हवाई जहाज बनाकर उड़ाया था मुंबई में जिसको देखने के लिए उस टाइम के हाई कोर्ट के जज महा गोविंद रानाडे और मुंबई के एक राजा महाराज गायकवाड के साथ-साथ हजारों लोग मौजूद थे जहाज देखने के लिए। उसके बाद एक डेली ब्रदर नाम की इंग्लैंड की कंपनी ने शिवकर बापूजी तलपडे के साथ समझौता किया और बाद में बापू जी की मृत्यु हो गई यह मृत्यु भी एक षड्यंत्र है हत्या कर दी गई और फिर बाद में 1903 में राइट बंधु ने जहाज बनाया। 👉आप लोगों को बताते चलें कि आज से हजारों साल पहले की किताब है महर्षि भारद्वाज की विमान शास्त्र जिसमें 500 जहाज 500 प्रकार से बनाने की विधि है उसी को पढ़कर शिवकर बापूजी तलपडे ने जहाज बनाई थी। लेकिन यह तथाकथित नास्तिक लंपट ईसाइयों के दलाल जो है तो हम सबके ही बीच से लेकिन हमें बताते हैं कि भारत में तो कोई शिक्षा ही नहीं था कोई रोजगार नहीं था। 👉अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन 14 दिसंबर 1799 को आये थे। सर्दी और बुखार की वजह से उनके पास बुखार की दवा नहीं थी। उस टाइम भारत में प्लास्टिक सर्जरी होती थी और अंग्रेज प्लास्टिक सर्जरी सीख रहे थे हमारे गुरुकुल में अब कुछ वामपंथी लंपट बोलेंगे यह सरासर झूठ है। तो वामपंथी लंपट गिरोह कर सकते है ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ सर्जन मेलबर्न में ऋषि सुश्रुत ऋषि की प्रतिमा "फादर ऑफ सर्जरी" टाइटल के साथ स्थापित है। *महर्षि सुश्रुत:* ये शल्य चिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक (सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है। जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद पथरी हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे। *भास्कराचार्य:* आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’। *आचार्य कणाद:* कणाद परमाणु की अवधारणा के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले महर्षि कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं। उनके अनासक्त जीवन के बारे में यह रोचक मान्यता भी है कि किसी काम से बाहर जाते तो घर लौटते वक्त रास्तों में पड़ी चीजों या अन्न के कणों को बटोरकर अपना जीवनयापन करते थे। इसीलिए उनका नाम कणाद भी प्रसिद्ध हुआ। *गर्गमुनि:* गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के बारे में नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे। *आचार्य चरक:* ‘चरकसंहिता’ जैसा महत्वपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीर विज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों जैसे डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही उजागर कर दी। *पतंजलि:* आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को भी रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है। *बौद्धयन*: भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धयन ने आसान बनाया। 15 साल साल पहले का 2000 साल पहले का मंदिर मिलते हैं जिसको आज के वैज्ञानिक और इंजीनियर देखकर हैरान में हो जाते हैं कि मंदिर बना कैसे होगा अब हमें इन वामपंथी लंपट लोगो से हमें पूछना चाहिए कि मंदिर बनाया किसने ब्राह्मणों ने हमें पढ़ने नहीं दिया यह बात बताने वाले महान इतिहासकार हमें यह नहीं बताते कि सन 1835 तक भारत में 700000 गुरुकुल थे इसका पूरा डॉक्यूमेंट Indian house में मिलेगा। भारत गरीब देश था चाहे है तो फिर दुनिया के तमाम आक्रमणकारी भारत ही क्यों आए हमें अमीर बनाने के लिए। भारत में कोई रोजगार नहीं था। भारत में पिछड़े दलितों को गुलाम बनाकर रखा जाता था लेकिन वामपंथी लंपट आपसे यह नहीं बताएंगे कि हम 1750 में पूरे दुनिया के व्यापार में भारत का हिस्सा 24 परसेंट था और सन उन्नीस सौ में एक परसेंट पर आ गया आखिर कारण क्या था। अगर हमारे देश में उतना ही छुआछूत थे हमारे देश में रोजगार नहीं था तो फिर पूरे दुनिया के व्यापार में हमारा 24 परसेंट का व्यापार कैसे था। यह वामपंथी लंपट यह नहीं बताएंगे कि कैसे अंग्रेजों के नीतियों के कारण भारत में लोग एक ही साथ 3000000 लोग भूख से मर गए कुछ दिन के अंतराल में एक बेहद खास बात वामपंथी लंपट या अंग्रेज दलाल कहते हैं इतना ही भारत समप्रीत था इतना ही सनातन संस्कृति समृद्ध थी तो सभी अविष्कार अंग्रेजों ने ही क्यों किए हैं भारत के लोगों ने कोई भी अविष्कार क्यों नहीं किया। उन वामपंथी लंपट लोगों को बताते चलें कि किया तो सब आविष्कार भारत में ही लेकिन उन लोगों ने चुरा करके अपने नाम से पेटेंट कराया नहीं तो एक बात बताओ भारत आने से पहले अंग्रेजों ने कोई एक अविष्कार किया हो तो उसका नाम बताओ और थोड़ा अपना दिमाग लगाओ कि भारत आने के बाद ही यह लोग आविष्कार कैसे करने लगे उससे पहले क्यों नहीं करते थे। साभार सोशल मीडिया।

दस लाख करोड़ बट्टे खाते में

दस लाख करोड़ बट्टे खाते में गत वर्ष राज्य सभा में एक प्रश्न के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री भागवत किशन कराड ने बताया कि 2020-21 के दौरान 157096 करोड़ की बट्टे खाते में डाली गई जबकि 2019-20 में 202781 करोड़ की राशि बट्टे खाते में डाली गई थी। पिछले 5 वर्षों में 991640 करोड़ की राशि बट्टे खाते में डाली जा चुकी है। मोदी सरकार में लोन सम्बन्धी नियम बहुत कठोर करने के बाद भी यह हाल है। इसमें अधिकांश बट्टे खाते का धन उद्योग जगत के नाम है। देश मे कॉरपोरेट और बैंकिंग लोन दिग्गज की मिलीभगत साफ दिखाई देती है। लेकिन इतना होने पर भी मुश्किल से दो-चार कॉर्पोरेटर और बैंक अधिकारी पर शिकंजा कसा गया है। भले ही उन्हें जेल की सज़ा हो गईं हो लेकिन देश का धन वापस आना कठिन ही नहीं नामुमकिन सा हो रहा है। एक तरफ छोटे व्यापारी, किसान को बैंक से लोन लेने में पसीने आ जाते हैं दूसरी तरफ बड़े दिग्गजों को नियम कानून ताक पर रखकर उनके ठिकाने पर जाकर बैंक अधिकारी करोड़ो-अरबो का लोन बिना समुचित सुरक्षा के मंजूर कर आते हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जनता की भलाई का पैसा बड़े- बड़े उद्योगपति डकार रहे हैं। हाल ही में चंदा कोचर, वेनिगोपाल धूत जैसे बड़े दिग्गगज भले ही जेल की सज़ा काट रहे हो लेकिन धन की बसूली हो तब बात है। ऐसे अनेकों दिग्गज बैंक अधिकारियों से मिलीभगत कर करोड़ो में लोन लेकर एक कम्पनी से दूसरी में ट्रांसफर करते फिर उसमें उस धन से कई गुना धन फिर से लोन ले लेते। ऐसा फर्जीवाड़ा दशकों से चल रहा है। नेताओ की भूमिका भी इसमें कम नहीं है। बड़े - बड़े नेतालोग बैंक अधिकारियों से मिल उद्योगपतियों को लोन दिलाने में सहायक रहे हैं। लालू यादव ने तो खुद ही जानवरों का चारा घोटाला कर करोड़ो रूपये डकार लिये थे। सालों जेल में रहकर घर पर नेतागिरी कर रहे हैं। क्यों नहीं उनकी सम्पत्ति आदि से धन बसूल किया गया? इन्हें शर्म भी नहीं आती।जेल से आकर अपने को हीरो जैसा दिखाते हैं। घर पर दुरुस्त रहते हैं , जेल जाते ही बीमारी का बहाना कर अस्पताल में आराम करते हैं। दुर्भाग्य की बात यह भी है की स्वच्छ मोदी सरकार जिस पर 8 साल में भी भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं है, जिसके आने के बाद से लाखों फर्जी कम्पनियों को बन्द कर कार्यवाही की गई है, लोन सम्बन्धी नियम- कानूनों को कठोर के दिया गया है फिर भी बैंकों का एनपीए कम नहीं हो रहा है। इस हिसाब से अभी भी कानूनों में लचरता है जिसका फायदा लोन उपभोक्ता उठा रहे हैं। नियम-कानून बहुत कठोर बनें, लोन लेने वाले और देने वाले कि समुचित जवाबदेही होनी चाहिये। डिफाल्टर होने पर दोनों को जेल में तो डालना ही चाहिये बल्कि उनकी सम्पत्ति आदि जप्त करनी चाहिये। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

वाई वी रेड्डी की किताब से

जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, एैसे ही हाल में छोड़ के गए थे राजीव गाँधी भारत को... सोनिया ने पर्दे के पीछे किस कदर लूट की होगी ? सोचिये... तब 40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था... जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी... RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार... काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमें अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था । ये स्थिति थी भारतीय इकॉनॉमी की । मुझे याद हैं नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को, वो दिन भी देखना पड़ा था जब, भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था... राजीव गाँधी के शासनकाल में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी । और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी... चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे... तिजोरी खाली थी । वे घबरा गए । करें तो क्या करें ? Reddy अपने पुस्तक मे लिखते हैं कि पूरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था... राजीव गाँधी ने अपने शासनकाल में कोई रोज़गार नहीं दिया था। नया उद्योग धन्धा नहीं... एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से NOC लेकर आना पड़ता था। काँग्रेस द्वारा स्थापित लाइसेंस परमिट के उस दौर में, चारों तरफ बेरोज़गारी और हताशा क आलम था... दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी... 1980 से 1990 के दशक तक देश में काँग्रेस ने Economy को ख़त्म कर दिया था... उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया... किताब में Reddy लिखते हैं कि, गाँधी परिवार की अथाह लूट ने, देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पहुँचा दिया था। Reddy अपनी किताब में लिखते हैं कि, उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया... हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था। तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से, भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था... उस समय एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी... RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुँचाना था। ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सीमित मात्रा में हुआ करती थी। नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुँचाया जाना था. वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था, खैर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुँचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये। भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी तथा मन को दुःखी करने वाली घटना का उदाहरण मैंने इसलिए दिया ताकि, लोगों को पता चले कि काँग्रेस के जो बेशर्म नेता और समर्थक, मोदीजी के ऊपर, देश की अर्थ व्यवस्था चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं, उस कमअक्ल लुटेरे गाँधी परिवार की लापरवाही की वजह से ही, देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था । किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती हैं । मुझे बेहद हँसी, हैरानी और गुस्सा आता हैं जब, देश को महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि, मोदीजी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय, एक मशहूर कम्पनी, एनरॉन नें, महाराष्ट्र के दाभोल में कारखाना लगाने की प्लानिंग की ..!! लेकिन, यह स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण, हो न सका !! फलस्वरूप, बदलती विषम परिस्थितियों से नाराज एनरॉन नें, भारत सरकार पर ₹38,000 करोड़ के नुकसान की भरपाई का मुकदमा दायर कर दिया ..।। वाजपेयी सरकार ने हरीश सालवे (सालवे जी नें, कुलभूषण जाधव का मुकदमा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लड़ कर जीता ..) को भारत सरकार का वकील नियुक्त किया ..।। पर आप जान कर चोंक जाएंगे कि, एनरॉन के वकील पी. चिदंबरम बनें ..!! यानी, पी चिदंबरम भारत के विरुद्ध ..।। समय बीतता चला गया ..!! बादमें 'यूपीए' सरकार बनी ..!! कैबिनेट मंत्री चिदंबरम, एनरॉन की तरफ से मुकदमा नहीं लड़ सकते थे ..!! पर वो कानूनी सलाहकार बने रहे और, वो मुकदमे को एनरॉन के पक्ष में करने में सक्षम थे ..।। 😠 *अगला खुलासा* *और चौकानें वाला* *है* !! चिदंबरम ने तुरंत हरीश सालवे को एनरॉन केस से हटा दिया ..।। हरीश साल्वे की जगह, खबर कुरेशी को नियुक्त किया गया ..।।आप ठीक समझे, ये वही पाकिस्तानी वकील है जिसनें, कुलभूषण जाधव केस में, पाकिस्तान सरकार का मुकदमा लड़ा ..!! कांग्रेस ने भारत सरकार कि तरफ से, पाकिस्तानी वकील को ₹1400/- करोड़ दिये वकील कि फीस के रुप में ..।। अंततः भारत मुकदमा हार गया और भारत सरकार को ₹38,000/- करोड़ का भारी भरकम मुआवजा देना पड़ा ..।। लेकिन, लुटीयन मिडिया ने ये खबर या तो गोल दी या सरसरी तौर पर नहीं दिखाई !! अब सोचिए कि ₹38000/- करोड़ का मुकदमा लडने के लिए फीस कितनी ली होगी ..?? जो पाठक किसी क्लेम के केस मे वकील कि फीस तय करते है उन्हें पता होगा कि, वकील केस देखकर दस प्रतिशत से लेकर साठ प्रतिशत तक फीस लेता है ..।। --- *सोचिए इस पर* *कोई हंगामा नही हुआ ..??* अगर ये केस मोदी के समय मे होता, और भारत सरकार कोर्ट में हार जाती तो ..?? चमचो की छोड़िए, भक्त भी डंडा लेकर मोदी के पीछे दोड़ते ..।। और एक मजेदार बात .. जिन कम्पनियों का एनरॉन मे निवेश करके यह प्रोजेक्ट केवल फाईल किया था उनका निवेश महज मात्र 300 मिलियन डालर .. याने उस वक्त कि डालर रुपया विनियम दर के हिसाब से, महज ₹1530/- करोड़ था, और वह भी बैठे बिठाये ..।। महज सात साल मे ₹38,000/- करोड़ का फायदा ..!! वो भी एक युनिट बिजली का संयंत्र लगाये बिना ..?? 😠 *कांग्रेस हमारी सोचने की* *क्षमता से भी ज्यादा* *विनाशकारी है !!* (यह थी 'विश्व प्रसिद्ध' अर्थशास्त्री, अनुभवी और पढे लिखे लुटेरो की सरकार ..!!) *जिस किसी को भी कोई शंका* *हो वो गूगल में जाकर देख सकता है।* 🔥जन जागरण अभियान के लिए जारी किया गया। आज जितने भी लोग मोदीजी को और उनकी सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं उस समय सब मौन धारण करे हुए थे वो सब ये बात जानते थे कि कांग्रेस क्या कुछ कर सकती है। अगर आज ऐसे लोग सुरक्षित हैं तो केवल मोदीजी के हिंदुत्व के कारण, *आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विश्व में चौथे स्थान पर है* मगर ग़ुलाम कहते हैं कि Modi ने किया ही क्या है। 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 *जय हिन्द जय भारत*

बुधवार, 25 जनवरी 2023

हिंदी वर्णमाला

*जिसने भी लिखा उसको नमन करते हुये यह रचना फारवर्ड कर रहा हूं। पति-पत्नी की नोक झोंक में प्रयुक्त सम्पूर्ण हिंदी वर्णमाला संकलित कविता...* 😆😆 *मुन्ने के नंबर कम आए,* *पति श्रीमती पर झल्लाए*, *दिनभर मोबाइल लेकर तुम,* *टें टें टें बतियाती हो...* *खा़क नहीं आता तुमको,* *क्या मुन्ने को सिखलाती हो?* *यह सुनकर पत्नी जी ने,* *सारा घर सर पर उठा लिया l* *पति देव को लगा कि ज्यों,* *सोती सिंहनी को जगा दिया l* *अपने कामों का लेखा जोखा,* *तुमको मैं अब बतलाती हूं l* *आओ तुमको अच्छे से मैं,* *क ,ख, ग,घ सिखलाती हूँ l* *सबसे पहले "क" से अपने,* *कान खोलकर सुन लो जी..* *"ख"से खाना बनता घर में,* *मेरे इन दो हाथों से ही!* *"ग"से गाय सरीखी मैं हूं,* *तुम्हें नहीं कुछ कहती हूँ* l *"घ" से घर के कामों में मैं,* *दिनभर पिसती रहती हूँ* l *पतिदेव गरजकर यूं बोले..* *"च" से तुम चुपचाप रहो* *"छ" से ज्यादा छमको मत,* *मैं कहता हूं खामोश रहो!* *"ज" से जब भी चाय बनाने,* *को कहता हूं लड़ती हो..* *गाय के जैसे सींग दिखाकर,* *"झ" से रोज झगड़ती हो!* *पत्नी चुप रहती कैसे,* *बोली "ट" से टर्राओ मत* *"ठ" से ठीक तुम्हें कर दूँगी..* *"ड" से मुझे डराओ मत!* *बोले पतिदेव सदा आफिस में,* *"ढ" से ढेरों काम करूं..* *जब भी मैं घर आऊं,* *"त" से तुम कर देतीं जंग शुरू!* *"थ" से थक कर चूर हुआ हूं..* *आज तो सच कह डालूँ मैं!* *"द" से दिल ये कहता है...* *"ध" से तुमको धकियाऊं मैं!* *बोली "न" से नाम न लेना,* *मैं अपने घर जाती हूँ!* *"प" से पकड़ो घर की चाबी* *मैं रिश्ता ठुकराती हूँ!* *"फ" से फूल रहे हैं छोले,* *"ब" से उन्हें बना लेना l* *" भ" से भिंडी सूख रही हैं,* *वो भी तल के खा लेना...!!* *"म" से मैं तो चली मायके,* *पत्नी ने बांधा सामान l* *यह सुनते ही पति महाशय,* *के तो जैसे सूखे प्राण* *बोले "य" से ये क्या करती* *मेरी सब नादानी थी...* *""र" से रूठा नहीं करो.....* *तुम सदा से मेरी रानी थी!* *"ल" से लड़कर कहते हैं कि..* *प्रेम सदा ही बढता है!* *"व" से हो विश्वास अगर तो,* *रिश्ता कभी न मरता है l* *"श" से शादी की है तो हम,* *"स" से साथ निभाएंगे...* *"ष" से इस चक्कर में हम....* *षटकोण भले बन जाएंगे!* *पत्नी गर्वित होकर बोली,* *"ह" से हार मानते हो!* *फिर न नौबत आए ऐसी* *वरना मुझे जानते हो!* *"क्ष" से क्षत्राणी होती है नारी* *" त्र" से त्रियोग भी सब जानती है* *"ज्ञ" से हे ज्ञानी पुरुष चाय पियो* *और खत्म करो यह राम कहानी!*ं 🤣🤣🤣🤑🤑🤣🤣

मंगलवार, 24 जनवरी 2023

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रविवार, 22 जनवरी 2023

मृत्यु के लिये अर्जी

सच . "मृत्यु के लिये प्रवेश" ll🏆🏆🏆🏆🏆ll *"वाराणसी के एक गेस्ट हाउस का एकाउंट है, जहाँ लोग मृत्यु के लिए प्रवेश लेते हैं। इसे 'काशी लाभ मुक्ति भवन' कहा जाता है।"* *"🎣"* *"कुछ लोग इसे डेथं होटल भी कहते हैं ।।"* *"🎣"* *"एक हिंदु मान्यता के अनुसार यदि कोई काशी में अपनी अंतिम सांस लेता है, तो उसे "काशी लाभ" (काशी का फल), जो वास्तव में मोक्ष या मुक्ति है, प्राप्त होता है।"* *"🎣"* *"इस गेस्ट हाउस के बारे में दिलचस्प तथ्य यह है कि इसमें रहने और मरने के लिए केवल दो सप्ताह की अनुमति है। इसलिए इसमें प्रवेश से पहले किसी को अपनी मृत्यु के बारे में वास्तव में निश्चित होना चाहिए।"* *"🎣"* *"यदि कोई व्यक्ति दो सप्ताह के बाद भी जीवित रहता है, तो उसे ये गेस्ट हाउस छोड़ना होता है।"* *"🎣"* *"उत्सुकतावश, मैंने वहां जाने का फैसला किया, यह समझने के लिए कि उन लोगों ने क्या सीखा, जिन्होंने न केवल मृत्यु को एक वास्तविकता के रूप में स्वीकार किया बल्कि एक निश्चित समय के साथ अपनी मृत्यु का अनुमान भी लगा लिया हो।"* *"🎣"* *"मैंने गेस्टहाउस में दो सप्ताह बिताए और प्रवेश करने वाले लोगों का साक्षात्कार लिया। उनके जीवन के सबक वास्तव में विचारोत्तेजक थे।"* *"🎣"* *"उसी माहौल में मेरी मुलाकात श्री भैरव नाथ शुक्ला से हुई, जो पिछले 44 वर्षो से मुक्ति भवन के प्रबंधक थे। इतने सालों में उन्होंने वहाँ काम करते हुए 12,000 से ज्यादा मौते देखी थीं।"* *"🎣"* *"मैंने उनसे पूछा, "शुक्ला जी, आपने जीवन और मृत्यु, दोनों को इतने करीब से देखा है। मैं जानने के लिए उत्सुक हूँ कि आपके अनुभव क्या रहे।"* *"🎣"* *"शुक्ला जी ने इस संबंध में मेरे साथ जीवन के 12 सबक साझा किये। लेकिन इस श्रृंखला में एक सबक, जिससे शुक्ला जी बहुत प्रभावित थे और जो मुझे भी अंदर तक छू गया, वह जीवन का पाठ है - 'जाने से पहले सभी विवादों को मिटा दें।"* *"🎣"* *"उन्होंने मुझे इसके पीछे की एक कहानी सुनाई"..* *"🎣"* *"उस समय के एक संस्कृत विद्वान थे, जिनका नाम राम सागर मिश्रा था। मिश्रा जी छह भाइयों में सबसे बड़े थे और एक समय था जब उनके सबसे छोटे भाई के साथ उनके सबसे करीब के संबंध थे।"* *"🎣"* *"बरसों पहले एक तर्क ने मिश्रा और उनके सबसे छोटे भाई के बीच एक कटुता को जन्म दिया। इसके चलते उनके बीच एक दीवार बन गई, अंततः उनके घर का विभाजन हो गया।"* *"🎣"* *"अपने अंतिम वर्षों में, मिश्रा जी ने इस गेस्टहाउस में प्रवेश किया। उन्होंने मिश्रा जी को कमरा नं. 3 आरक्षित करने के लिए कहा क्योंकि उन्हें यकीन था कि उनके आने के 16वें दिन ही उनकी मृत्यु हो जाएगी।"* *"🎣"* *"14वें दिन मिश्रा जी ने, 40 साल के अपने बिछड़े भाई को देखने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा: "यह कड़वाहट मेरे दिल को भारी कर रही है। मैं जाने से पहले हर मनमुटाव को सुलझाना चाहता हूँ।"* *"🎣"* *"16वें दिन एक पत्र उनके भाई को भेजा गया। जल्द ही, उनके सबसे छोटा भाई आ गए। मिश्रा जी ने उनका हाथ पकड़ कर घर को बांटने वाली दीवार गिराने को कहा। उन्होंने अपने भाई से माफी मांगी।"* *"🎣"* *"दोनों भाई रो पड़े और बीच में ही अचानक मिश्रा जी ने बोलना बंद कर दिया। उनका चेहरा शांत हो गया और वह उसी क्षण वह चल बसे।"* *"🎣"* *"शुक्ला जी ने मुझे बताया कि उन्होंने वहाँ आने वाले कई लोगों के साथ इसी एक कहानी को बार-बार दोहराते हुए देखा है। उन्होंने कहा: "मैंने देखा है कि सारे लोग जीवन भर इस तरह का अनावश्यक मानसिक बोझा ढोते हैं, वे केवल अपनी यात्रा के समय इसे छोड़ना चाहते हैं।"* *"🎣"* *"हालाँकि, उन्होंने कहा की ऐसा नहीं हो सकता है कि आपका कभी किसी से मन मुटाव ना हो, बल्कि अच्छा यह है कि मनमुटाव होते ही उसे हल कर लिया जाए। किसी से मनमुटाव, किसी पर गुस्सा या शक-शुबा होने पर उसे ज्यादा लंबे समय तक नहीं रखना चाहिए और उन्हें हमेशा जल्द से जल्द हल करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि अच्छी खबर यह है कि हम जिंदा हैं, लेकिन बुरी खबर यह है कि हम कब तक जिंदा है, यह कोई नहीं जानता।* *"🎣"* *"चाहे कुछ भी हो, अपने मनमुटावों को आज ही सुलझा लें, क्योंकि..* *कल का वादा इस दुनिया में किसी से नहीं किया जा सकता है। सोचें.. क्या कुछ ऐसा है या कोई है जिसके साथ हम समय रहते शांति स्थापित करना चाहते हैं?* *"🎣"* *"जब हमें किसी के साथ कड़वे अनुभव होते हैं, तब हमें क्षमा भाव अपनाकर भावनात्मक बोझ दूर कर लेना चाहिए।* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

शनिवार, 21 जनवरी 2023

BSNL, परेशानी का सबब

BSNL परेशानी का सबब लापरवाही ज्यादा, जबाबदेही की कमीं भारतीय संचार ऊपक्रम, जनता के लिये परेशानी का सबब बन गया है। जहां एक ओर मोबाईल कम्पनियां हर समय अपने उपभोक्ता का ध्यान रखती हैं वहीं bsnl में बैठे कर्मचारी कुछ कार्य करना ही नहीं चाहते। इसी कारण लगातार आम घरों में bsnl के टेलीफोन कटते जा रहे हैं। सहारनपुर में bsnl का हाल काफी बुरा है। यहाँ लगातार टेलीफोन कम हो रहे हैं। दशकों से अक्सर फोन खराब रहने की वजह से उपभोक्ताओं ने bsnl के फोन कटवा कर मोबाईल ले लिये हैं। हमारे यहां घर मे 40-45 साल से bsnl के 6 नम्बर थे। परेशान होकर सभी कटवा दिये बस एक नम्बर माताजी की वजह से बचा रखा है क्योकि उनसे मोबाईल नहीं चलता। परेशानी का आलम यह है की सड़क खुदने पर 4 महीने फोन बंद रहा। लेकिन उसका बिल आया और भुगतान करना पड़ा। उसके बाद से अब भी महीने में 15 दिन फोन खराब रहता है। शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नही होती। यहां तक की एसडीओ साहब के कहने के बाद भी लापरवाही की हद है। उन्होंने पिछला भुगतान आगे एडजस्ट करने के आदेश दिए लेकिन नीचे वाले जब मर्जी आउटगोइंग बन्द कर देते हैं। कार्यालय जाओ तो सीट पर कोई मिलता नहीं है। कोई बाजार गया है, कोई थोड़ी देर में आएगा यही जबाब मिलता है। गतवर्ष मोदीजी ने इस विभाग को सपोर्ट के लिये एक लाख चालीस हजार करोड़ के पैकेज का एलान किया था। जनता का कहना है की इस विभाग को प्राइवेट हाथों में दे देना चाहिए। घाटे से मुनाफे में आ जायेगा और सेवाएं भी दुरुस्त हो जायेंगी। bsnl के पूर्व मंत्री स्व श्री पासवान जी के समय मे ये सब निठल्ले बैठने वाले सीधे हो गए थे। उन्होंने कार्यभार सम्भालते ही आदेश कर दिए थे कि मुझे किसी उपभोक्ता के टेलीफोन खराब होने की शिकायत नहीं मिलनी चाहिये। बस इतने से ही रोज-रोज खराब रहने वाले फोन ठीक हो गए। ऐसा ही वर्तमान में इस विभाग के मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी को भी सख्त होकर निर्देश देने चाहिये। अन्यथा bsnl को भी सार्वजनिक हाथों में दे देना चाहिये। सुनील जैन राना

भारतीय संस्कृति सर्वोत्तम

🌻🌻🌻🌻🌻🌻 *अमेरिका में रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम* अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया? 1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी इसअर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी। साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के बुजुर्गों के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी परिवार व्यवस्था के लिए घातक होगा। लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है,और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी। प्यार से खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना। *पाक कला अकेले खाना बनाना नहीं है। केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।* अगर कोई किचन नहीं है, तो बस एक बेडरूम है, यह परिवार नहीं है, यह एक हॉस्टल है। *उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है?* 1-1971 में, लगभग 72% अमेरिकी परिवारों में एक पति और पत्नी थे, जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे। 2020 तक, यह आंकडा 22% पर आ गया है। 2-पहले साथ रहने वाले परिवार अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में रहने लगे हैं। 3-अमेरिका में, 15% महिलाएं एकल महिला परिवार के रुप में रहती हैं। 4-12% पुरुष भी एकल परिवार के रूप में रहते हैं। 5-अमेरिका में 19% घर या तो अकेले रहने वाले पिता या माता के स्वामित्व में हैं।* 6-*अमेरिका में आज पैदा होने वाले सभी बच्चों में से 38% अविवाहित महिलाओं से पैदा होते हैं।उनमें से आधी लड़कियां हैं, जो अमेरिका के स्कूलों में जा रही हैं। 7-संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 52% पहली शादियां तलाक में परिवर्तित होती हैं। 8- 67% दूसरी शादियां भी समस्याग्रस्त हैं। अगर किचन नहीं है और सिर्फ बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका विवाह की संस्था के टूटने का एक उदाहरण है। *हमारे आधुनिकतावादी भी अमेरिका की तरह दुकानों से या आनलाईन भोजन ख़रीद रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि भोजन बनाने की समस्या से हम मुक्त हो गए हैं। इस कारण भारत में परिवार धीरे-धीरे अमेरिका में परिवारों की तरह नष्ट हो रहे हैं।* जब परिवार नष्ट होते हैं तो मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं। बाहर का खाना खाने से अनावश्यक खर्च के अलावा शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो सकता है। *इसलिए घर पर खाना पकाना, परिवार के सुखी रहने का एकमात्र कारण नहीं है।* शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है। *इसलिए हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग, हमें बाहर के खाने से बचने की सलाह देते थे* लेकिन आज हम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं...", स्विगी और ज़ोमैटो के माध्यम से अजनबियों द्वारा पकाए गए भोजन को ऑनलाइन ऑर्डर करना और खाना, उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय लोगों के बीच भी फैशन बनता जा रहा है। दीर्घकालिक आपदा होगी ये आदत... अगर वो ऑनलाइन कंपनियां जो मनोवैज्ञानिक रूप से तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए...* हमारे पूर्वज किसी भी यात्रा पर जाने से पहले घर का बना खाना बनाकर ही ले जाते थे *इसलिए घर में ही बनाएं, मिल-जुलकर खाएं और खुशी से रहें। पौष्टिक भोजन के अलावा, इसमें प्रेम और स्नेह निहित है।*

शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

मंदी तो है लेकिन ***

*Market Trend बदल गया है या फिर Business पैटर्न...* कुछ समझ नहीं आ रहा है कि हो क्या रहा है *Restaurants* एकदम फुल हैं, *Food Courts* खचाखच भरे हुए हैं, *Bar* में पैर रखने की जगह नही है, *Ola और Uber* की गाड़ियां खूब दिख रही हैं, *Movie* हॉउसफुल जा रही हैं 100 200 करोड़ कमा रही है, *Sweet Shops* पर मानो लूट मची हो, *Road* पर चलने की जगह नही है, *Automobile* में रोज़ नई गाड़ियां लांच हो रही है, (*हुंडई Creta पिछले 1 साल में 450000 बेची है*) *AC और LED टीवी* रिकॉर्डतोड़ बिक रहे हैं, *Gold और Silver, पेट्रोल* के दाम बढ़ते चले जा रहे हैं, *Train* में लंबी वेटिंग जा रही है, *Zomato और Swiggy* वाले हर जगह हैं, *newsPaper* विज्ञापनों से भरे पड़े हैं, *TV में न्यूज़ से ज्यादा विज्ञापन* चल रहे हैं, *Online शॉपिंग* धड़ाधड़ चल रही है, एक से बढ़कर एक *Mobile* मार्केट में आ रहे हैं, *Doctors* के पास खूब मरीज़ हैं, *CA's* के पास लाइन लगी हुई है, *Lawyers* के पास खूब केस आ रहे हैं, *Flights* के टिकट भी आसानी से नहीं मिल रहे, *Hotels और Resorts* बुक चल रहे हैं, *Infra प्रोजेक्ट्स* तेजी से चल रहे हैं, *Credit कार्ड* वाला रोज़ फ़ोन करता है, *Data यूसेज* बढ़ता जा रहा है, *Gym* भी भरे हुए हैं, *Beauty Saloon's* का तो पूछो ही नहीं, *Malls* में खूब चहल-पहल है, *7th Pay* में केंद्रीय कर्मचारियों की बल्ले बल्ले है, *Kitty Party* खूब चल रही हैं, *jsg* जैसे ग्रुपो की संख्या बढ़ गयी है, *EMI* पर खूब सामान खरीदा जा रहा है, *Digital Transactions* रिकॉर्ड तोड़ बढ़ रहे हैं, *Equity , MF*, में Investment आ रहा है, *Oil Import* दिनोदिन बढ़ रहा है, रिकॉर्ड लोगों ने *Income Tax* जमा किया है, *मंदी फील तो हो रही है पर किस टाइप की मंदी है, ये समझ नही आ रहा।*

शनिवार, 7 जनवरी 2023

This is JAIN s

*According to a Survey,* -------------------------- - If Jains in India Go from 0.3% to 3% then we will overtake America & China. So let's us talk about some *FACTS :* ● National Avg Literacy Rate 65%, Jains Avg Literacy Rate 94%. ● Female National Avg Literacy Rate 54%, Jains Female Avg Literacy Rate 91%. ● 50% of the Total CAs are Jains. ● According to Forbes, Jains are the Wealthiest People of India & Belgium. ● Jains are 0.3% of the Indian Population but pay 24% of Income Tax. [In 2009 Jains have paid even 42% of Income Tax] ● Jains Contribute 25% towards National Development. ● 65% of Diamond & Gold business in the World are done by Jains. ● 62% Charity is done by Jains. ● 46% Stock brokers are Jains. ● 33% of the Airline Industry is controlled by Jains. ● 20% of the Pharmaceuticals & Textiles are controlled by Jains. ● Jains have the Highest Life Expectancy of 71 age. ● Out of 16,000 Gaushalas 9,600 are run by Jains. ● Alber Einstein once said that I don't know Whether there is reincarnation or not but if it happens then I want to be a Jain. ● According to Annual Summit of World Environment Committee, Germany in 2010 "If We have to Save the Earth from Global Warming We have to Follow Jain's Lifestyle & Principles." ● Never plays any Minority Card like others. ● Jains are not taught how to do business, it is in our genes. [You don't teach the child of a Lion how to hunt and in the same way Child of a Jain is also not taught how to do a Business]. ● Jains are not Job Seekers, we are Job Givers. ● Lawyers, Doctors live on the sadness of others whereas CAs live on the Growth or Happiness of others. [That's how we choose business]. ● We don't love dogs and then kill mosquitoes. ● Others are doing this Vegan- Dietician- Mind Control - Wearing Masks. Jains have been doing these for Centuries. ● We believe in Live & Let Live. [Mukesh Ambami Says Jio we say Jio & Jene do] ● We don't believe in 'I'. We believe in 'US'. ● Biggest Fights happen because of You are wrong and I'm Right. Jains say you are Right & I'm also Right. (Mutual Respect). So Why are Jains so Rich & Great ??? *Reasons -* ● Jains are Dynamites Not Parasites ● Succession Planning ● Supreme Wisdom (Kaivalya Gyan) ● Vow OF “AHIMSA Vrat” (No Himsa whether Mentally, Orally or Physically.) ● Life Kindness (Jiv Daya) ● Conscious Capitalism (Don't do - Parties, Politics, Enjoyment, Clubbing, Acting) (We do Prayer, Meditation, Spirituality, Forgiveness). ● Community is Family. ● Very High on Integrity ● Anekantavada (Mutual Respect) ● Chaturvidha Dana (4-fold charity of Food, Medicine, Protection, Knowledge). This is "JAINS". I'm not saying other religions are not good. It should be your personal opinion & I'm only stating facts. But Why Jains are Protesting Read Madhur post for knowing the Whole Truth behind it. ✅ RE-SHARE this post so that it can reach to more people & the government officials.

श्री सम्मेद शिखर जी

*सच्चे अहिंसक हिन्दु समाज को जागना होगा* क्यों? * *सभी अल्पसंख्यक समूदाय से हिन्दू को भडकाकर क्यों लडवाया जा रहा है?* * जैनी सम्मेद शिखर के पूरे पर्वत को पवित्र मानता है इसलिए वह विना जूते, चप्पल के 27 किलो मीटर की पहाड की यात्रा करता है। वहां पर ना कुछ खाता पीता है ना मल मूत्र करता है। परन्तु हिन्दु नवयुवकों श को भडका कर ये सब करने के लिए सिखा कर पर्वत को अपवित्र किया जा रहा है। इसका पाप किसे लगेगा? * *नानवेज, शराब, बीडी, सिगरेट, गंदे डांस आदि करने की प्रेरणा देकर वहां कौन भेज रहा है?* * ऐसा करके हिन्दु समाज का सम्मान बढ रहा है क्या? देश और विदेश में छवि बिगड रही है। * *वहां की आदिवासी समाज की सहायता हमेशा जैन समाज ने की है। उनके अधिकार वहां सुरक्षित रहे हैं। उन्हें भडकाकर भेजा जा रहा है ऐसा सब करने के लिए। ऐसा करके आदिवासी समाज को पाप के गर्त में कौन भेज रहा है।* * आज सम्मैद शिखर विश्व वंद्यनीय है, अहिंसा धर्म का प्रतीक है, प्राचीन पवित्रता की मिसाल है उसे खंडित करके हम क्या हासिल करना चाहते हैं। * *देश, समाज और धर्म का माहौल विगाडने वाले तथा कथित आक्रमणकारी हिन्दू वेशी अराजक तत्वों को वेनकाव करने की जिम्मेदारी सच्चै सनातनी हिन्दू समाज की ही है।* * जब सारे मन्दिर जैनों के हैं। 99 साल की लीज पर लिया हुआ है तो अकारण ही पर्यटन के नाम पर जैनों की वेदखली क्यो ? * *मकर संक्रांति पर आदि वासी समाज पर्वत पर चढता है जाये कोई आपत्ति नही है। सबके भगवान हैं। परन्तु परम्परागत पवित्रता और मर्यादा का पालन स्वयं करे और करवाये। जूते, चप्पल पहिनकर नही जावें। अपवित्र खाने पीने की चीज नही ले जावें। अमर्यादित आचरण नही करै। यह अनन्त भगवान की पवित्र सिद्ध भूमि है। किसी के बहकावें में ना आयें।* * विचार करें। धर्म का अपमान करने से बजे एवं हिन्दू की पहचान इस अराजकता को ना बनने दें। * *अगर वे पार्श्वनाथ को अपना भगवान मानते है तो उनकी रक्षा करें, किसी प्रकार की अपवित्रता होती है तो उसे रोकें*। * हिन्दू की धर्म विरोधी और आक्रांता की छवि बनने से रोकें। अहिंसक हिन्दु जागरण आवश्यक है।

सोमवार, 2 जनवरी 2023

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जैनों पर आई राष्ट्रीय आपदा

*जैनों पर आई राष्ट्रीय आपदा* सम्मेद शिखरजी, गिरनारजी, पालीताणा, हस्तिनापुर, चूलगिरी(जयपुर), मंदारगिरि सिद्धक्षेत्र (बांका, विहार) आदि अनेक सिद्ध क्षेत्रों, तीर्थक्षेत्रों से समाचार आ रहे हैं क्षेत्र को अपवित्र करने वाली अनियंत्रित भीड के। ये अचानक कैसे आने लगे। कुछ विचारणीय विन्दु- * जैन तीर्थक्षेत्रों पर अचानक इतनी भीड इकाइक कहां से आ रही है। प्रायोजित है या आकर्षक या श्रद्धा। * इस भीड में कोई मुस्लिम, सिख, ईसाई नहीं हैं केवल सनातनी हिन्दु है। * ये धार्मिक दर्शनार्थी तो नहीं हैं क्योंकि ना ये जूते, चप्पल उतारते हैं, ना हाथ पैर, मुह धोतै हैं। ना दर्शन करते है ना जय बोलते हैं, ना कुछ चढाते हैं। * शुद्ध पयर्टक भी नहीं है। इनकी ना कुछ जानने की इच्छा है ना समझने की। ना पवित्रता का ध्यान रख रहे हैं ना मर्यादा का। * ये उग्र, प्रशिक्षित भीड है। जिनका उद्देश्य अराजकता और भय फैलाना है। * शिकायत करने पर ना राज्य कुछ सुनता है ना प्रशासन। लगता है ,सबकी मिली भगत है। * क्या ये कहीं जैन धर्म, जैन समाज को नष्ट करने की राष्ट्रीय साज़िश तो नही है? अगर है तो इसे जैन राष्ट्रीय आपपदा समझना चाहिए। * और अगर ऐसा नही भी है तो भी अब राष्ट्रीय स्तर पर सोचने का समय हो। चाहे छोटा मन्दिर हो या बडा तीर्थ। इसी प्रकार चतुर्विध संघ के विहार के समय सुरक्षा व्यवस्था भी विचारणीय है। * सच्चा सनातनी हिन्दु ना हिंसक हो सकता है ना अराजक। कुछ सत्ता लोलुपी अपने नेतृत्व कायम करने के लिए हिन्दुधर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं- ये बात सार्वजनिक होना चाहिए और अशान्ति फैलाने वाले वेनकाव होना चाहिए। * क्या अल्पसंख्यक आयोग सो रहा है। उसे जगायें। ये कब काम में आयेगा। जैन अल्पसंख्यक होने का मतलव क्या है? बहुसंख्यक से खतरा नहीं है खतरा है बहुसंख्यक का भय दिखाकर अराजकता फैलाने वालों से। * राष्ट्रीय जैन प्रकोष्ठ की स्थापना का समय आ गया है। जो जैन धर्म की, तीर्थों की, सन्तों की एवं जैन समाज की सुरक्षा एवं विकास कार्य के लिए संवैधानिक रूप से सक्षम हो। * अभी माहोल अनुकूल है इस दिशा में भी चिन्ता करनी चाहिए।

रविवार, 1 जनवरी 2023

श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ

शिखरजी का मामला बिगड़ गया है। स्थानीय लोगो से लड़कर कोई फायदा नही होगा। बीच का रास्ता निकालना चाहिये। क्यों कि स्थानीय लोग की आस्था भी श्री पार्श्वनाथ भगवान में हैं। यदा कदा वे भी पहाड़ पर दर्शन करने आते रहे हैं। उन्हें रोका नही जा सकता। स्थानीय समाज से लड़कर कोई भी बाहरी सुख से यात्रा नही कर सकता। कमी तो हम जैन में भी है। जो जूते चप्पल लेकर खाने का सामान लेकर पर्वत पर जाने लगे गए हैं। हमे भी खुद को सुधारना होगा तभी ठीक रहेगा। गिरनार जी हो या शिखर जी दोनों जगह स्थानीय समुदाय ने परेशानी उतपन्न की है। देश के बाकी अधिकांश हिन्दू समाज को इस बात की जानकारी भी नही है। हमे आपस में मनमुटाव से बचना चाहिये। सरकार को भी यह बात सोचनी चाहिये कि श्री सम्मेद शिखर जी जैनियों का पवित्र तीर्थ है इसे अभ्यारण बनाने के बाद से यहाँ लोगो ने पिकनिक शुरू कर दी है। चप्पल, जूते खाद्य पदार्थ आदि लेकर पर्वत पर जाने लगे हैं। यह तो पवित्र तीर्थ का बहुत अपमान है। पिछले 6 दिन से विश्व जैन संगठन के संजय जैन एवम रुचि जैन अनशन पर बैठे हैं। यदि उन्हें कुछ हो गया तो जैन समाज राज्य सरकार एवम केंद्र सरकार को माफ नही करेगा। सुनील जैन राना

नववर्ष मंगलमय हो

नववर्ष 2023 मंगलमय हो प्रत्येक दिन, महीना, साल किसी के लिये अच्छा तो किसी के लिये बुरा हो सकता है। सब अपना- अपना भाग्य भोगते हैं। फिर भी सामाजिक स्तर पर सभी को यह भावना भानी चाहिये की आने वाला नया साल सबके लिये सुख- शान्ति- सम्रद्धि लाये। पिछला साल अनेक मायनो में बेहतर ही रहा। पिछले 2 साल कोरोना में एवं गतवर्ष विश्वस्तर पर युद्ध मे बीत जाने के बावजूद भारत मे माहौल ठीक ही रहा। वर्तमान में भी विश्व मंदी की चपेट में है उस हिसाब से भारत की अर्थव्यवस्था काफी संतोषजनक है। सुरक्षा परिषद और G-20 समूह की अध्यक्षता के साथ भारत मोदीजी के नेत्तरव में विश्व गुरु बनने की ओर है। सम्पूर्ण विश्व मोदीजी की नीतियों से प्रभावित है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है की हमारे देश के विपक्षी दल हर कार्य के विरोध में लगे रहते हैं।जबकि उनके पास कोई एजेंडा भी नही है जो भारत के लिये उपयोगी हो। पड़ोसी देशों की हालत ठीक नहीं है। चीन अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहा है। लेकिन अब यह भारत पुराने वाला भारत नहीं है। चीन को मुंहतोड़ जबाब दिया जा रहा है। मोदीजी के नेतृत्व में कोरोना काल से अब तक 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है, मुफ्त वैक्सीन लगाई गई है। यह कोई साधारण बात नहीं है। गड़करीजी के नेतृत्व में देश में सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। रेलवे सेक्टर में नई- नई रेल चल रही हैं। डिफेंस सेक्टर में सेना का आधुनिकीकरण हो रहा है। अब सेना पहले की तरह बेबस नहीं है। यानी कि प्रत्येक सेक्टर में बहुत कार्य हो रहे हैं। देश के विकास के लिये हम सभी को सरकार का साथ देना चाहिए। किसी गलत कार्य को गलत कहें लेकिन अच्छे कार्य की भी आलोचना देशहित में नहीं होती। सबके लिये नया साल 2023 मंगलमय हो। सुनील जैन राना

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...