शनिवार, 11 नवंबर 2023
जी का जंजाल पराली
पराली से उद्योग स्थापित हों
जी का जंजाल बनी पराली से निपटने के लिये सरकार को ही पहल करनी चाहिये। पराली बहुत प्रकार से काम मे लाई जा सकती है। पराली ईंधन का विकल्प बन सकती है। पराली से डिस्पोजेबल क्रॉकरी आदि कई वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है।
दिल्ली एनसीआर आदि क्षेत्रों में पराली के धुँए से वायु प्रदूषण लोगों के से खिलवाड़ कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है की पराली के धुँए से वायु प्रदूषण के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण पराली जलाने वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा आदि को फटकार लगाई है एवं शीघ्र ही पराली न जलाने की चेतावनी दी है।
वास्तव में पराली जलाने से उठने वाला धुंआ बड़ी तादाद में कहीं से कहीं पहुंच रहा है। जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। पिछले एक दशक में पराली के धुँए से जीवन अस्तव्यस्त हो रहा है। हर साल किसानों को पराली न जलाने की चेतावनी के बावजूद पराली जलाना बन्द नहीं हो पाया है।
सरकार को पराली की समस्या को देखते हुए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिये। पराली से आमदनी भी हो सकती है। पराली से कुछ वस्तुएं भी बनाई जा सकती है। सररकर को सबसे पहले हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में रूई की तरह पराली के गठ्ठर बनाने की मशीनें किसानों को उपलब्ध करानी चाहिए। ऐसा करने से किसानों की आमदनी होगी एवं गठ्ठर बनी पराली ईंधन के काम आ सकती है। पराली से अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिये एवं इसे उद्योग की भांति विकसित करना चाहिये। इसके लिए मशीनें आदि उपलब्ध कराकर सब्सिडी देकर इसे बढ़ावा देना चाहिये। मोदीजी कहते हैं की आपदा में भी अवसर तलाशना चाहिये। पराली को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण भी आपदा से कम नहीं है। अतः इससे निपटने के लिये पराली को ही एक उद्योग मानकर इसे आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है। सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए।
सुनील जैन राना
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