शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019



मोदीजी काश कुछ ऐसा भी करो ?
December 27, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
मोदीजी देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं लेकिन हमारा मोदीजी से अनुरोध है की मोदीजी काश कुछ ऐसा भी करो जैसा अब तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया है।
१ - जब एक आम नागरिक चुनावों में एक ही जगह से वोट डाल सकता है तो नेता भी एक ही सीट से खड़ा हो एक से अधिक सीट से नहीं। यदि नेता दो सीट से खड़ा होता है और दोनों से जीत जाता है तो एक सीट छोड़नी होती है। उस पर फिर से चुनाव कराया जाता है। यह तो जनता के साथ अन्याय है। या फिर नेता जो सीट छोड़े उसपर द्वितीय रहे उम्मीदवार को सीट मिले।
२- जब एक आम नागरिक जेल में बंद होने पर वोट नहीं डाल सकता तो फिर नेता को यह छूट क्यों मिलती है की वह जेल में बंद होने के बावजूद टिकट लेकर खड़ा हो सकता है। इस पर पाबंदी लगनी ही चाहिए।
३ - जब एक आम नागरिक को बैंक की मामूली नौकरी के लिए भी पढ़ा -लिखा होना जरूरी होता है तो चुनाव में लड़ने के लिए नेता को भी मिनीमम पढ़ाई जरूरी होनी चाहिए साथ ही किसी भी मंत्रालय का मंत्री तभी बने जब उसमें उसकी योग्यता हो। एक अंगूठा छाप को वित्त मंत्री या शिक्षा मंत्री या अन्य कोई भी मंत्रालय देना देश के साथ अन्याय ही होता है।
४ - जब एक आम नागरिक को जेल जाने के बाद सरकारी नौकरी नहीं मिलती तो नेता को यह छूट क्यों दी जाती है की वह चाहे हत्या -बलात्कार -लूट का दोषी हो फिर भी चुनाव लड़ सकता है। इस पर पाबंदी लगनी चाहिए।
५ - एक आम नागरिक को सीनियर सिटिज़न हो जाने पर किसी भी प्रकार की सरकारी सुविधा नहीं जबकि सरकारी कर्मचारी को पेंशन एवं सभासद -विधायक -सांसद को अनेकों पेंशन ,यह तो अन्याय है।
६ - एक आम नागरिक को जो गरीब है उसके लिए सरकारी जनता थाली बहुत कम धनराशि में सर्वसुलभ होनी चाहिए। भूखे -गरीब के लिए निःशुल्क न सही पर मात्र १० -२० रूपये में भरपेट भोजन मिलना ही चाहिए। गरीब -भिखारी भी इतना तो कमा ही लेता है। विधायकों और सांसदों की सस्ती थाली -भोजन बंद होना चाहिए। क्योकि वे सक्षम होते हैं ,उन्हें सस्ते भोजन की जरूरत नहीं होती।
नोट - मेरा यह अनुरोध स्वीकार करें ,नहीं तो इस पर विचार अवश्य करें। धन्यवाद। * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019


भ्र्ष्टाचार ही भ्र्ष्टाचार ,कैसे पूरी होंगी योजनाएं ?
December 26, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
जहां डाल -डाल पर सोने की चिड़ियां करती हैं बसेरा ,वो भारत देश है मेरा -वो भारत देश है मेरा। 
जहां हर योजना में भ्र्ष्टाचार का है बसेरा ,ऐसा भारत देश है मेरा -ऐसा भारत देश है मेरा।
किसी ने कहा है की पार्थ खड़ा है देश की आन -बान शान बचने को लेकिन सिर्फ पार्थ क्या करे जब सामने फौज खड़ी हो भ्र्ष्टाचारियों और देश विरोधियों की ? कांग्रेस सरकार का पतन महान भ्र्ष्टाचार के चलते हुआ था। अधिकांश योजनाओ में भ्र्ष्टाचार व्याप्त होने के कारण देश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। मोदीजी पर भरपूर विशवास जताते हुए उन्हें पूर्ण बहुमत से जिताया और पीएम बनाया। बीजेपी के दूसरे कार्यकाल में भी बेदाग़ मोदीजी को जनता ने पूर्ण बहुमत से जिताकर फिर से पीएम बनाया। मोदीजी भी पूरी शिद्द्त से देश के विकास में लगे हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मोदीजी के कार्यो को सराहा जा रहा है। बस विडंबना यही है की विपक्ष को ही मोदीजी के हर कार्य में बुराई दिखाई देती है और विपक्ष मोदीजी के प्रत्येक कार्य -योजना का विरोध करने से नहीं चूक रहा है। यहां तक की जो कार्य खुद कांग्रेस के समय में किये जाने थे अब उन्हें मोदीजी पूरा करना चाह रहे हैं तो भी भरपूर विरोध किया जा रहा है।
मोदीजी का पिछले कार्यकाल अनेक योजनाओं से भरा लेकिन बेदाग़ कार्यकाल रहा है। मोदीजी के किसी भी मंत्रालय पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं हैं। मोदीजी की पूरी टीम देश की उन्नत्ति को समर्पित है और सभी मायनों में बेहतर है। समस्या सिर्फ यही है की मोदी राज में ऊपरी स्तर पर तो भ्र्ष्टाचार खत्म हुआ है लेकिन राज्यों के स्तर पर आज भी भ्र्ष्टाचार में कोई कमी आती दिखाई नहीं दे रही है। यहां तक की बीजेपी शासित राज्यों में भी भ्र्ष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पाया है। मोदीजी ने भले ही नोटबंदी कर काले धन से छुटकारा पाना चाहा हो लेकिन यह सत्य है की बैंको की मिलीभगत से सभी के नोट बदले गए थे। मोदीजी ने भले ही लाखों फर्जी कम्पनियों को बंद कर दिया हो लेकिन इन फर्जी कम्पनियों ने बैंको की मिलीभगत से 8 -9 लाख करोड़ का लिया लोन वापस न करा सके। जिसके कारण ही आज देश में मंदी का वातावरण है। आज भी किसी भी विभाग में चले जाऒ ,जल्दी से तो बिना सुलिहत कोई कार्य -उलझन दूर नहीं होती। मनरेगा ,आवास योजना ,बीपीएल कार्ड योजना ,राशन कार्ड ,फर्जी एनजीओ ,फर्जी पेंशन ,फर्जी गरीब ,फर्जी वज़ीफ़ा ,बेनामी सम्पत्ति आदि अनेक योजनाओं में भरपूर प्रयासों के बाद आज भी पूर्ण रूप से भ्र्ष्टाचार खत्म हो गया हो ऐसा नहीं है।
कोई योजना विरोध करने लायक हो तो विरोध करना लाजमी हो जाता है लेकिन सिर्फ विरोध करने धारणा बनाकर विरोध करना कहां तक उचित है ? ऐसा करना देशहित में तो सर्वथा नहीं है। * सुनील जैन राना *


बुधवार, 25 दिसंबर 2019



मनरेगा और मिड दे मील में भ्र्ष्टाचार व्याप्त
December 25, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
भारत सरकार की दो प्रमुख योजना मनरेगा और मिड दे मील सदैव भी भ्र्ष्टाचार के कारण चर्चा में रही हैं। मनरेगा में भ्र्ष्टाचारके मामले अक्सर ही संज्ञान  में आते रहते हैं। कागजों पर अधिक कार्य और अधिक मजदूरी का भुगतान और हकीकत में इसके विपरीत पाया जाना भ्र्ष्टाचार को ही दर्शाता है।
इसी तरह मिड दे मील योजना में भी भ्र्स्टाचार व्याप्त है। स्कूलों में बच्चों की ज्यादा उपस्तिथी दिखाकर ज्यादा भोजन के बिल बना देना और बच्चो के लिए बनाया गया भोजन गुणवत्ता के विपरीत होना अक्सर ही देखने -सुनने में आता रहता है। भोजन की गुणवत्ता तो दूर की बात बल्कि भोजन में कंकर -पत्थर ,कीड़े आदि का निकलना भी रोज समाचार पत्रों में छपता ही रहता है।
सरकार को इन दोनों परियोजनाओं का स्वरूप बदलना चाहिए। मनरेगा का नगद भूटान बंद कर आधारकार्ड से खाते में होना चाहिए एवं मिड दे मील का राशन बच्चो की उपस्तिथी के अनुसार उनके अभिभावकों तक पहुंचाना चाहिए। बेरोजगारों के लिए मनरेगा और अशिक्षित बच्चो की पढ़ाई को मिड दे मील अच्छी योजनाएं तो जरूर हैं लेकिन समाज में बैठे भ्र्स्ताचारियों पर नकेल कसनी भी बहुत जरूरी है तभी इन योजनाओं का लाभ वंचितों तक पहुंचेगा। * सुनील जैन राना *



भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी
December 25, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
आज भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ९६ वीं जयंती ( २५ दिसंबर १९२४ - १६ अगस्त २०१५ ) पर राष्ट्रवाद के प्रणेता , सुशासन के संवाहक ,भारतीय राजनीति के पुरोधा को शत -शत नमन।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय राजनीति का ऐसा नाम जिस पर हम सभी भारतीयों को गर्व होता है। अटल जी की कविताएँ ,अटल जी के वक्तव्य भविष्य में हमारे लिए प्रेरणा बने रहेंगे।
आज अटल जी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के द्वारा लखनऊ के लोक भवन प्रांगण में २५ फीट ऊँची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया। इसके आलावा अटल भूजल योजना का श्री गणेश भी किया गया।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी सदियों तक हम सबके दिलों पर राज करेंगे। भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष अटल जी के बताये मार्गो पर हम सभी चलें ऐसी कामना करते हैं। 

रविवार, 22 दिसंबर 2019



सड़के-डिवाईडर-मेनहोल-गलियां -अतिक्रमण -उल्टा पुल्टा ?
December 22, 2019 • सुनील जैन राना • लापरवाही
उत्तर प्रदेश के महानगर सहारनपुर -२४७००१ में रहते हैं हम अतः उसी की बात कर रहे हैं। महानगर में चारों तरफ हाईवे की सड़को की हालत सुधरी है लेकिन नगर के अंदर की अनेक सड़कों का हाल बहुत बुरा है। हम अपने एरिये की बात करें तो पिलखन तलें से लेकर कंबोहान का पुल ,बंजारों का पुल से लेकर रेंच के पुल तक का हाल इतना बुरा है की हर कोई इन पर चलते हुए नगरनिगम को कोसता हो होगा। खासकर कंबोहान के पुल की संकीर्ण टूटी फूटी सड़क से सभी परेशान हैं। महा नगर के विकास को ३६८ करोड़ रूपये मार्च २०१९ में मिले ऐसा समाचारों में लिखा था। पता नहीं ऐसी अनेक सड़को की तरफ क्यों ध्यान नहीं जाता जो की मुख्य मार्ग हैं। कम से कम गड्ढो को भरवा कर मरम्मत ही करवा देते।
बन रहे हैं डिवाईडर। नगर भर की सड़को पर डिवाईडर बना दिए गए हैं। जिससे पहले से ज्यादा परेशानी होने लगी है। सड़को  के दोनों तरफ के अतिक्रमण हटाते नहीं। ऐसे में सड़कपर झोटा ठेला ,तांगा ,ट्रॉली चल रही है तो पीछे का यातायात भी स्लो होकर जाम लगने लगता है। अतिक्रमण हटाओ अभियान चलता है लेकिन अगले दिन से फिर वही अतिक्रमण हो जाता है। जबकि प्रशाशन की एक विंग इसी कार्य को होनी चाहिए जिसका कार्य नगरभर में एनाउंस मेन्ट करते घूमते रहना चाहिए। तभी लोगो को एहसास होगा और डर लगेगा। प्रशासन चाहे तो सब सम्भव है।
अब बात करें मेनहोल की।  सड़के बहुतायत में बन रहीं हैं लेकिन सीवर लाइन के मेनहोल के ढककन ठीक तरह से एंगल लगाकर नहीं रखे जा रहे हैं। सड़क चाहें सीसी की बने या टाइलों की मेनहोल के ढककन सीमेंट से दबा दिए जा रहे हैं। ऐसे में जब  भी सड़क या गली के सीवर की सफाई करनी हो तो ढककन हटाने को सड़क तोड़ दी जा रही है। लगता है सड़क बनाते समय मेनहोल के ढककन एंगल पर न रखना सुनियोजित तरीका है। जिससे एक ही कार्य को कई बार करने का धन मिले ?
अब बात करते हैं गलियों की सड़कें  बनाने में गली की चौड़ाई पहले से कम की जा रही है और नाली ज्यादा चौड़ी की जा रही है। ऐसा पता नहीं क्यों हो रहा है ?शायद नपाई मय नाली के होती होगी इसलिए मसाले की बचत को सड़क की चौड़ाई कम कर देते होंगे। लेकिन ऐसा करने से अनेक गलियों में परेशानी होने लगी है।
ऐसे अनेक कार्यो में उल्टा पुल्टा क्यों हो रहा है पता नहीं ?सहारनपुर को स्मार्ट सिटी बनाना है तो सबसे पहले सभी जगहों से अतिक्रमण हटवाना ही होगा। नगर की अधिकांश दुर्व्यवस्था अतिक्रमण के कारण ही है। अतिक्रमण हटाने को प्रशासन सभी बाज़ारो के प्रतिनिधी मंडलो को साथ लेकर पहले चेतावनी दे फिर अतिक्रमण हटाने का कार्य करें। स्थानीय पुलिस चौकी की गस्त भी इस कार्य में सहायक हो सकती है। * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 19 दिसंबर 2019



यह विरोध नहीं बदले की भावना है ?
December 19, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
नागरिकता संशोधन बिल का जिस तरह सुनियोजित तरीके से विरोध हो रहा है उससे सभी को ऐसा लग रहा है की यह विरोध नहीं बदला है। मोदी सरकार में लगातार कई कानूनों का सफलता से पास हो जाना विरोधी दलों को रास नहीं आ रहा था। हताश  होकर इस बिल के बाद बिल का विरोध कम बल्कि मोदी सरकार को अस्थिर करने को देश भर में अनर्गल बयानों से हंगामा किया जा रहा है। सड़को पर धरने -आंदोलनकारियों से जब धरने की वजह पूछो तो उनमे से अधिकांश नहीं बता पाते की क्यों धरना दे रहे हैं। जिससे साफ़ पता चलता है की ये किराये के टट्टू हैं ,ये खुद नहीं आये बल्कि लाया गया है।
सभी दलों के बुद्धिजीवी जानते हैं की इस बिल से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन बदले की भावना से वे जानबूझकर बिल को देशहित में न बताकर भोलीभाली जनता को बरगला रहे हैं। शिक्षा संस्थानों में इस बिल का विरोध होने की वजह सिर्फ इतनी ही समझ में आती है की जरूर देश के कुछ संस्थानों में कुछ ऐसे बाहरी या विदेशी छात्र गैरकानूनी तरीके से रह रहे होंगे जो अब इस बिल के आने से पकड़े जायेंगे। अन्यथा इस बिल से किसी भी भारतीय के अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है।
देश की जनता देख रही है विरोध के ऐसे घिनौने तरीके को जिसमे देश की सम्पत्ति को नुक्सान पहुंचाया जा रहा है। इन कृत्यों से विरोधी दलों की साख कम ही होगी , लोगो का विश्वास कम ही होगा। ऐसा विरोध देशहित में नहीं है। *सुनील जैन राना *

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019



किसी का अहित नहीं तो आगजनी क्यों ?
December 17, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
नागरिक संशोधन बिल में जब किसी का अहित नहीं तो फिर आगजनी क्यों ? इस बिल की खिलाफत करने वाले लोगो द्वारा देश के कई राज्यों में तोड़फोड़ और आगजनी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बिल के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई को मना करते हुए कहा की पहले छात्र हिंसा और उपद्रव रोकें। देश की सार्वजनिक सम्पत्ति का नुकसान करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती।
वास्तव में नागरिकता  संशोधन बिल में किसी भी भारतीय के अधिकारों का हनन नहीं होता है। इसका विरोध सिर्फ कुछ विरोधी दलों की हताशा ही है। देशहित में लगातार कई ऐसे विधेयक पास हो जाना जिन्हे कांग्रेस समेत अन्य कई दलों ने अपने वोटबैंक के चक्कर में दशकों से लटका रखा था मोदी सरकार में उन सब पर आम सहमति से पास होने की मोहर का लग जाना इन कुछ विरोधी दलों को रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस की सुप्रीमो सोनिया गांधी के धरने के बाद देश भर में हिंसा का वातावरण हो गया यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। किसी के अहित न करने वाले बिल के खिलाफ भड़काने वाले बयान देना देशहित में नहीं है।
पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले कुछ दलों के कुछ नेता देश में शांति के वातावरण को अशांत करने में लगे हैं। वे ऐसे बाहरी  लोगो के पक्ष में बोल रहे हैं जिन्हे उनके देश ही अपने यहां रखना नहीं चाहते ,ऐसे में भारत उन्हें शरण क्यों दे ?यह बिल खासकर पड़ोसी देशों के उन लोगो के लिए है जनका वहां उत्पीड़न हो रहा है और वे भारत आना चाह रहे हैं। इसमें हर्ज क्या है ?इसमें विरोधियो द्वारा  यह दलील देना की इनमे मुस्लिमों को शामिल क्यों नहीं किया तो उन्हें यह बात समझनी चाहिए की ये तीनो मुस्लिम देश हैं जिसके कारण वहां के मुसलमानों के उत्पीड़न की कोई बात ही नहीं है। इन देशों में गैर मुस्लिमों की लगातार घटती संख्या और उनके उत्पीड़न के कारण ऐसा बिल लाया गया है।
सच बात तो यह है की इस बिल से किसी भी भारतीय को कोई परेशानी नहीं है ,परेशानी तो विरोधी दलों द्वारा बनाई गई है। जनता द्वारा सत्ता से बाहर हुए ऐसे नेता देश के विकास और शांति में बाधा डालकर तनाव पैदाकर लोगो को वोटो की राजनीति में बांटना चाह रहे हैं जो देशहित में नहीं है।  * सुनील जैन राना *



देर से मिला न्याय , अन्याय समान
December 17, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
कभी -कभी देर से मिला न्याय अन्याय समान ही हो जाता है। यही हो रहा है उनाव की दुष्कर्म पीड़िता के साथ। अक्सर ही ऐसा होता है की बलात्कार की पीड़िता जल्दी से तो केस ही लिखा नहीं जाता ,लिखा भी जाता है तो भ्र्ष्टाचार के चलते जहां एक ओर पीडिता और उसके घर वाले पुलिस -कचहरी के धक्के खाते हैं वहीं दूसरी और बलात्कारी मज़े से घूमता - फिरता है। ऐसे में यदि बलात्कारी धनवान या राजनीतिक रसूख वाला है तो उसका तो कुछ बाल बांका नहीं होता ,पीड़िता और उसके घरवालों का जीते जी मरना हो ही जाता है।
ऐसा ही हो रहा है उनाव पीड़िता के साथ। निर्भया कांड की बरसी पर उनाव की बेटी को करीब ढाई साल बाद इन्साफ तो मिला लेकिन उसके दोषी को कठोर सज़ा मिलने से पहले ही उनाव की पीड़ित बेटी ने एसपी के दफ्तर में खुद को आग लगा ली। सोचो जरा कितना भयाभय मामला यह है की जिसमे बलात्कार की पीड़िता ने पहले तो दरिंदगी झेली फिर पुलिस के संरक्षण में उसके पिता की हत्या कर दी गई। इसके बाद भी पीड़िता एवं उसके परिवार को सड़क हादसे में मार देने की कोशिश की गई। उसके बाद भी आज तक मुक़दमे की तारीखे झेलती पीड़िता ने खुद को जला कर मार डालना ही उचित समझा। कैसी न्याय प्रणाली है यह ?अब भले ही बलात्कारी को उम्रकैद हो या फांसी ,पीड़िता की जिंदगी तो जीते जी खत्म हो ही गई।

सोमवार, 16 दिसंबर 2019



नसबंदी कुत्तो की नहीं बल्कि ? https://www.facebook.com/jeevrakshakendr
December 16, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
किसी भी नगर -शहर -कस्बे -गांव के गली -मोहल्ले में खूंखार कुत्तो के आतंक से सभी परेशान हैं। कुत्तो की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाना कठिन हो रहा है। कहीं -कहीं तो अब कुत्ते आदमखोर तक हो रहे हैं। अनेको जगह कुत्तो के आतंक से आम आदमी भयभीत हो गया है। इंसानो को कुत्ते के काटने की संख्या बढ़ती जा रही है।
सहारनपुर की ही बात करें तो इंसानो को कुत्ते के काटने की तादाद बहुत बढ़ गई है। सरकारी अस्पताल में निशुल्क इंजेक्शन लगाने की सुविधा भी उपलब्ध है फिर भी वह नाकाफ़ी है। नगर निगम द्वारा गतवर्ष कुत्तो की नसबंदी का अभियान चलाकर सैंकड़ो कुत्तो की नसबंदी कर लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों है।
नसबंदी में कुछ कुत्तो के तो अंग ही काट दिए गए। जीवदया के कार्यो में नगर की अग्रणी संस्था श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर का संयोजक होने के नाते मैं यह कहना चाहता हूँ की ऐसा होना बहुत दुर्भाग्य पूर्ण है। इसका पता हमें तब चला जब हम जनवरी माह में पशु पक्षी कल्याण पखवाड़े के दौरान खाताखेड़ी क्षेत्र में कुत्तो को दूध पिलाने ,ब्रेड खिलाने और घायल कुत्तो का उपचार करने के चल शिविर में कुत्तो को दूध पिला रहे थे। स्थानीय लोगो से पूछने पर पता चला की कुछ दिन पहले नगर निगम द्वारा कुत्तो की नसबंदी की गई थी।
इस संबंध में मैंने एक पत्र नगरनिगम और समाचार पत्रों को लिखा जिसमें कुत्तो की नसबंदी के बारे में सुझाव दिया था की भविष्य में कुत्तो की नसबंदी के बजाय कुतियो की नसबंदी की जाए। इससे दो फायदे होंगे प्रथम तो यह की नगर में कुत्तो की संख्या के मुकाबले कुतियो -फीमेल डॉग की संख्या एक चौथाई है। ऐसे में कम कार्य में एवं कम खर्च में अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा। द्वितीय बात यह भी है की यदि छोटी उम्र में ही कुतिया की पहचान कर नसबंदी की प्रकिर्या अपनाई जाए तो आने वाले समय में कुत्तो की बढ़ती संख्या पर भी लगाम लग जायेगी। मेरा सभी जगह के प्रशाशन से अनुरोध है की मेरे इस सुझाव पर विचार करें ,ठीक लगे तो इसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश करें। जनहित के लिए उपयोगी। *सुनील जैन राना

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019



मंदी के बावजूद परोपकार
December 13, 2019 • सुनील जैन राना • परोपकार

देश की आर्थिक व्यवस्था भले ही पूर्ण ऊंचाई पर न हो लेकिन आज भी अनेको कम्पनियाँ अच्छा मुनाफा भी कमा रही हैं और मुनाफ़े का कुछ हिस्सा परोपकार में भी खर्च कर रही हैं। देश में सूचीबद्ध कंपनियों ने सी एस आर यानि कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व में परोपकार और जनहित कार्यो में अपने मुनाफ़े में से लगभग दो प्रतिशत धन खर्च कर रही हैं।
सरकार द्वारा २०१५ के वित्त वर्ष से सूचीबद्ध कंपनियों को नियत धनराशि देशहित ,परोपकार और कल्याणकारी कार्यो में खर्च करना अनिवार्य कर दिया था। तब से अब तक प्रत्येक वित्त वर्ष में इस धनराशि में लगातार इजाफा हो रहा है। वित्त वर्ष २०१९ में इस मद में कंपनियों द्वारा लगभग ११८६७ करोड़ रूपये खर्च किये गए जो अभी तक एक वित्त वर्ष में खर्च किये जाने की सर्वाधिक धनराशि है।
सी एस आर के मद से किया जाने वाला खर्च शिक्षा ,स्वास्थ ,महिलाओं ,बुजुर्गो, दिव्यांगों के अलावा गरीबी ,भुखमरी ,कुपोषण आदि से निजात पाने जैसे कार्यो में किया जाता है। इसके अतिरिक्त स्वच्छ भारत ,स्वच्छ जल जैसी योजनाओ में भी भागेदारी की जा सकती है।
बहुत अच्छा और प्रेरक कार्य है यह। हमारे देश की संस्कृति भी ऐसी ही रही है। धनवानों ने सदैव निर्धनों की सहायता की है। पुराने समय से ही धर्मशालाएं बनवाना ,चैरिटेबल अस्पताल -भोजनालय आदि खुलवाना ,गोशालाएं बनवाना आदि अनेक परोपकार के कार्य किये जाते रहे हैं। सरकार सबके लिए सब कुछ नहीं कर सकती। हम सभी को गरीबों -अनाथो के सहयोग के लिए आगे आना चाहिए। याद रखिये मारने वाले से बचाने वाला अच्छा होता है और दानवीर सबसे सर्वश्रेष्ठ होता है। *सुनील जैन राना *

गुरुवार, 12 दिसंबर 2019



नागरिकता संशोधन बिल -विरोध क्यों? http://suniljainrana.blogspot.com/
December 12, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
नागरिकता संशोधन बिल दोनों सदनों में पास हो गया है। लेकिन हमेशा की तरह हर कार्य-नीति का विरोध करना ,उसमे बाधा डालना अधिकांश विपक्ष का काम हो गया है। समझ में नहीं आता की इस बिल से किस भारतीय को परेशानी हो सकती है ,अर्थात किसी को नहीं। यह बिल किसी भी तरह भारत में रहने वाले प्रत्येक भारतीय के हितों की रक्षा करता है सिर्फ उनको छोड़कर जो भारत में घुसपैठिये की तरह आये हैं।
इस बिल के द्वारा जहां एक ओर देश को विदेशी असामाजिक तत्वों से बचाने की कोशिश है वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी तीन मुस्लिम देश जहां गैर मुस्लिम के साथ अन्याय हो रहा हो-हुआ हो,उत्पीड़न से बचने को वे भारत में शरण लेना चाहते हो तो उन्हें शरण दी जा सकेगी। हंगामा इस बात पर किया जा रहा है की इसमें मुस्लिमों को क्यों नहीं शामिल किया गया ?इसमें सोचने की बात यह है की तीन मुस्लिम इस्लामिक देश ही यदि अपने मुस्लिम समाज का हित नहीं कर सकते तो भारत से अपेक्षाएं क्यों ?
भारत देश की बढ़ती जनसंख्या की जरूरत ही सरकार पूरी नहीं कर पाती ऐसे में बाहरी लोग जिन्हे उनकी सरकार ही नहीं रख रही भारत सरकार क्यों रखे ? बंगलादेश से आये रोहिंग्या ऐसे मुसलमान जिन्हे उनका देश ही बाहर निकाल रहा और कोई भी अन्य मुस्लिम देश उन्हें अपने यहां पनाह देने को तैयार नहीं ऐसे में भारत ने क्या ठेका ले रखा है ऐसे लोगो का ?
दरअसल यह सब हंगामा वोटो की राजनीति के तहत करवाया जा रहा है। दुर्भाग्य की बात है की जो दल विरोध में लगे हैं उन्हें मुसलमानों की चिंता नहीं है बल्कि उनके वोटो की चिंता है। पाकिस्तान के इमरान खान भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। अब कोई उनसे पूछे उन्हें क्या परेशानी है ?मुस्लिम रोहिंग्यों को उन्होंने भी अपने यहां जगह देने से मना कर दिया है। इमरान खान कभी चीन में उत्पीड़ित मुसलमानों के लिए क्यों नहीं बोलते ?कश्मीर के मुसलमानों की चिंता करते हैं ,यह सब दिखावा है।
वास्तव में नागरिक संशोधन बिल भारत देश की सुरक्षा से जुड़ा ऐसा बिल है जिसे बहुत पहले ही आ जाना चाहिए था। इस बिल से किसी भी भारतीय के हितों में सेंध नहीं लग रही बल्कि सुरक्षा मिल रही है। साथ ही तीन पड़ोसी मुस्लिम देश में गैर मुस्लिमों के साथ हो रहे अत्याचार -उत्पीड़न से पीड़ित जन यदि भारत आना चाहें तो आ सकते हैं। इसमें किसी भी भारतीय को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।  * सुनील जैन राना *

बुधवार, 11 दिसंबर 2019



प्याज के आँसू http://suniljainrana.blogspot.com/
December 11, 2019 • सुनील जैन राना
प्याज के आँसू रो रही जनता और सरकार ,हल्ला बोल रहा विपक्ष। प्याज के बढ़ते दामों से सभी परेशान हैं। सोशल मिडिया पर तो प्याज छाया हुआ है। आज प्याज फलों और सब्जियों में विशिष्ट स्थान पा गया है। सोशल मिडिया पर अनेको वीडियो प्याज को लेकर बनाये गए हैं जिन्हे जनता भी बहुत पसंद कर रही है। किसी वीडियो में प्याज को बैंक लॉकर में रखते दिखाया जा रहा है तो किसी वीडियो में प्याजकी चोरी -लूट दिखाई जा रही है। कार्टूनिस्टों ने भी मौके का फायदा उठाकर प्याज पर अनेको कार्टून बना दिए हैं। घरों में शुभ अवसरो पर फल -मिठाई की जगह प्याज लाते लेजाते दिखाया जा रहा है। कहने का तातपर्य यह है की आज प्याज विशिष्ट बन गया है। 
कई बार प्याज के कारण सरकारें बनती -बिगड़ती देखी हैं। आज कांग्रेस समेत कई विरोधी दल प्याज के बढ़ते दामों पर हल्ला मचा रहे हैं। जबकि सोशल मिडिया पर ही कांग्रेस की सरकार के समय १०० रूपये किलो तक महंगे हो गए प्याज पर कांग्रेस के कपिल सिब्बल एक पत्रकार को जबाब में बता रहे हैं की प्याज के दाम बढ़ गए हैं तो इसमें सरकार का क्या दोष ,सरकार थोड़े ही प्याज बेच रही है। प्याज महंगा है तो प्याज बेचने वाले दुकानदारों से पूछो। आज वही सिब्बल जी महंगे प्याज पर नाराज हैं। 
प्याज की कीमतें इतनी बेहताशा बढ़ने के भी कई कारण बताएं जा रहे हैं। सोशल मिडिया पर एक वीडियो में महाराष्ट्र के पास सैंकड़ो ट्रक प्याज से भरे खड़े हैं जिन्हे बिना वजह रोक रखा है ऐसा दिखाया गया। लगता है की प्याज की इतनी किल्ल्त नहीं है जितनी बना दी गई। इसमें बिचौलियों का भी बहुत बड़ा हाथ हो सकता है। अब नई प्याज आणि शुरू हो गई है। विदेशो से आयात किया प्याज भी बाजार पहुंचने लगा है। जिससे लगता है की जल्दी ही प्याज फिर से २५ -३० रूपये किलो बिकने लगेगा।  *सुनील जैन राना *

रविवार, 8 दिसंबर 2019

ऐतिहासिक जैसलमेर की यात्रा
पिछले पांच दिन भारत की शान राजस्थान के जैसलमेर की यात्रा पूर्ण की। यूँ तो राजस्थान के सभी बड़े नगर ऐतिहासिक और भव्य हैं लेकिन इनमें भी जैसलमेर अपने आप में अनुपम है। राजस्थान के सभी किलो और महलों में मंदिरो की बहुतायत है लेकिन अनेक जगहों पर जैन मंदिरो की भव्यता -दिव्यता अनुपम है।
जैसलमेर में पटवों की हवेलियां ऐतिहासिक हैं। ये पटवे जैन समुदाय के थे और व्यापारी थे। इनकी हवेलियां किसी राजमहल से कम नहीं हैं। पत्थर पर बारीक़ नक्काशी देखते ही बनती है। इसके अतिरिक्त किले के अंदर का महल और जैन मंदिर अद्भुत है। जैन मंदिर की भव्यता और दिव्यता देखते ही बनती है।  भारतवर्ष में माउंटआबू में दिलवाड़ा जैन मंदिर अपनी पत्थर की नकाशी के लिए दुनिया भर में प्रसिद्द हैं। रणकपुर के जैन मंदिर भी अपने आप में अनुपम हैं। इसी तरह जैसलमेर के किले में जैन मंदिर अद्भुत हैं। मंदिर में ६६६ प्रतिमाएं जिनका आज भी रोजाना पूजा -प्रक्षाल होती है अनुपम हैं। पत्थर के खम्बे -दीवारों पर हुई नक्काशी देखने योग्य है।
इसके अतिरिक्त जैसलमेर के अन्य दार्शनिक स्थल बेहतरीन हैं। लुद्र्वा में स्थित जैन मंदिर अनुपम है। रेगिस्तान में ऊंट पर सवारी या जीप में सवारी का अपना ही आनंद है। जैसलमेर से १५० किलोमीटर दूर बाड़मेर में कनोट माता का मंदिर जहां पाकिस्तान द्वारा अनेको बम गिराए गए थे फिर भी मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा दर्शनीय है। जैसलमेर से १७ किलोमीटर पर बना वार मैमोरियल सेना के साहस की कथा बयान करता है।
एक बार जरूर जैसलमेर की यात्रा करनी चाहिए।

















ज्ञानी -अज्ञानी 


उत्तम विचार 

रविवार, 1 दिसंबर 2019



प्याज की बढ़ती कीमतें, फायदा किसे?
December 1, 2019 • सुनील जैन राना
प्याज की बढ़ती कीमतें -फायदा किसे ?
 • सुनील जैन राना
देश के कई राज्यों में प्याज की बढ़ती कीमतों से आम जनता परेशान है। सरकार भी प्याज की कीमतों में कमी कराने को जागरूक है और अनेको उपायों में लगी है। सरकार द्वारा जहां एक ओर प्याज के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है वहीं दूसरी ओर प्याज का आयात करने को उचित कदम उठाये जा रहे हैं।
प्याज के मामले में चिंताजनक बात यह  की ऐसा क्या हो जाता है कुछ ही महीनों में की जिस प्याज का कोई खरीदार नहीं होता अचानक उसके बेहताशा भाव क्यों बढ़ जाते हैं ? इन बढ़े भावो का फायदा किसे मिलता है ?क्यों किसान हर बार अपने को ठगा सा महसूस करता है ?
इन सब बातो का एक ही उत्तर नज़र में आता है वह है बिचौलिया। हर बार बिचौलिए ही सस्ते में वस्तु खरीदकर थोड़े दिन बाद उसकी किल्ल्त पैदाकर मनमाने दामों पर बेचते हैं। आज तक देश के सभी राज्यों में विभिन्न सरकारे इन बिचौलियों पर अंकुश लगाने में कामयाब नहीं हो पाई हैं। किसान को तो सदैव अपनी फसल का न्यूनतम दाम ही मिलता रहा है। हालांकि अब कुछ किसान भी धनवान हो गए हैं और बाजार की स्थिति के अनुसार वस्तु को सस्ते दामों पर न बेचकर दाम बढ़ने पर ही बेचते हैं। लेकिन ऐसे किसानो की संख्या बहुत कम है। पिछले सालों में दालों के दामों में भी ऐसे ही बेहताशा बढ़ोतरी हुई थी जिस पर सरकार को खासी मस्सकत करनी पड़ी थी।
देश के किसानो को खुशहाल बनाने के लिये बिचौलियों पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। इसके लिए सरकार और किसानों को साझा कार्यक्रम बनाना होगा तभी खाद्य पदार्थो की कीमतें एकरूप रह सकेंगी।  *सुनील जैन राना *

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