सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

NDA/ INDIA

एनडीए बनाम I.N.D.I.A गठबंधन देश मे ज्यों- ज्यों चुनाव नज़दीक आ रहे हैं राजनैतिक स्तर पर सभी प्रकार के हथकंडे अपनाये का रहे हैं। मोदीजी के नेतृत्व में एनडीए के मुकाबले बाकी सभी दल महागठबंधन बना फिर उसे नया नाम I. N.D.I.A देकर मैदान में जुट गए हैं। सत्ता की खातिर सब एकत्र तो हो गए हैं लेकिन सबकी अपनी महत्वकांक्षा के कारण अभी से विवाद होने लगे हैं। विवाद होने लाज़मी भी है क्योंकि भले ही सब मोदीजी दोबारा पीएम न बन जायें इस चक्कर मे एकत्रित तो हो गए लेकिन इनमें से ज्यादातर दल क्षेत्रीय दल हैं। जहाँ उन दलों की अच्छी पकड़ है और अपने ही प्रभाव के कारण बाज़ी जीतने के काबिल हैं तो ऐसे में वे दल अपने क्षेत्र में अन्य दलों को ज्यादा सीटें नहीं देना चाहते हैं। ऐसा अनेक राज्यों में सम्भव है। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या सबसे बड़े दल कांग्रेस को ही आ रही होगी। कभी देश पर राज करने वाली कांग्रेस को आज ऐसे दलों के सामने झुकना पड़ा रहा है जो कांग्रेस के आगे कुछ भी प्रभाव नहीं रखते हैं। राजनीति के जानकार तो यहां तक कहते हैं की ऐसा लगता है लोकसभा के चुनावों में सीटों की बन्दरबाँट में कहीं ये दल सब मिलकर कांग्रेस को ही न निपटा दें। क्योंकि राज्यवार अनेक प्रभावी दल अपनी सीटों में कमी नहीं करना चाहेंगे। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण ही है की सत्ता की खातिर अनेक दिलजले दिल मिलाने को चले। जबकि अनेक दल अपने- अपने राज्यों में ही एक दूसरे से लड़ रहे हैं। सिर्फ मोदी विरोध को लेकर इन सब दलों ने देश में विकास को हाशिये पर रख दिया है। यह कोई नहीं सोच रहा की मोदी सरकार में कितना कार्य हुआ है। देश मे सड़को का जाल बिछा दिया है। पीने के पानी की उपलब्धता पहले से कई गुनी ज्यादा हुई है। बिजलीं पहले से कहीं ज्यादा मिल रही है। सेना के पास बुलेट प्रूफ जैकेट तक नहीं होती थी आज सेना का आधुनिकीकरण हो रहा है। हथियार देश मे बनने शुरू हो गए हैं। मेक इन इंडिया के तहत देश मे नये-नये उद्योग लग रहे हैं। विश्व स्तर पर भारत का नाम उचाईयों पर है। विपक्ष का यह कहना की गैस महंगी है तो याद रखना चाहिए कि 2014 में गैस सिलेंडर 1200 तक का हो गया था। उस पर भी कहा जाता था एक साल में 9 ही मिलेंगे। बेरोजगारी पर रोना रोया जाता है। तो आज़ादी के बाद से ही बेरोजगारी कम नही हुई। जिस हिसाब से पॉपुलेशन बढ़ रही है कोई भी सरकार सबको रोजगार नहीं दे सकती। महंगाई बढ़ी है तो आमदनी भी बढ़ी है। आज कोई खाली भी दिखाई नहीं देता। कम मजदूरी में कोई काम नहीं कर रहा। यह तो हमेशा से विपक्ष का रोना है उसमें चाहे कोई भी दल हों। सुनील जैन राना

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