शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

गठबंधन में तकरार

दूल्हा रह जायेगा बिन बारात पिछले एक दशक में विपक्षी एकता के नाम पर कई गठबंधन बन कर बिखर चुके हैं। अकेले चुनाव लड़ने में सिर्फ हार ही दिखाई देती है लेकिन मिलकर चुनाव लड़ने में तकरार हो जाती है। एक बार फिर से मोदीजी को हराने के लिये विपक्षी दलों के द्वारा I N D I A नामक गठबंधन बनाया गया है। इस इंडिया के बीच- बीच मे लड्डू भी है। इसके सूत्रधार बनें नीतीश कुमार। बहुत मेहनत कर नीतीश कुमार ने दो दर्जन से ज्यादा दलों के आकाओं को एक मंच पर लाने का कार्य किया है। लेकिन गठबंधन बनाकर मंच साझा करना अलग बात है, मुद्दों पर सहमति बनाना अलग बात है। मंच पर बड़े- बड़े बोल बोलकर मोदीजी को भला- बुरा कहकर अपनी टीस निकालना अलग बात है, दुसरो के लिये अपनी सीटे छोड़ना अलग बात है। अभी 5 राज्यों में चुनाव हैं जिसमें कोई भी राजनीतिक दल अपनी सीटे कम करना नहीं चाहता। साझा रैली, साझा बयान, साझा हमला, अब सब साझी बातें हवा हवाई हो रही हैं। कोई भी दल अपने क्षेत्र में अपने प्रभाव की सीटों को छोड़ना तो दूर की बात बल्कि अपने साझे गठबंधन के विरुद ही अपना कैंडिडेट खड़ा करने में हिचक भी नहीं रहे हैं। कांग्रेस अपना राग अलाप रही है, केजरीवाल खुद से ही बहुत चतुर हैं, अखिलेश यादव यूपी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की कह रहे हैं। इस गठबंधन के सूत्रधार नीतीश बाबू को देखकर ऐसा लग रहा है की खुद दूल्हा बन वे जिसे- जिसे बारात में नोउतने चले थे उनमें से अधिकांश बाराती बारात में आना नहीं नहीं चाह रहे। इनमें से अधिकांश अपने राज्य, अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं तो वे सीटों के बंटवारे में किसी भी प्रकार का समझौता करना नहीं चाह रहे हैं। लगता है की इस गठबंधन से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सभी राज्यों में गठबंधन के सहयोगियों से सहयोग चाहती है, जबकि अन्य कोई भी दल कांग्रेस के साथ सीटों का सहयोग करना ही नहीं चाहता। दरअसल आपस मे अनेक दिलजलों के दिल सिर्फ जुमलेबाज़ी से कैसे मिल सकते हैं। कुल मिलाकर यह नया गठबंधन भी पिछले गठबंधनो की तरह विफल होता दिखाई दे रहा है। सुनील जैन राना

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