बुधवार, 30 मई 2018

पेट्रोल के दाम एक पैसा कम हुए -कमाल हो गया
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कभी प्याज ने रुलाया था अब तेल रुला रहा है। हालांकि प्याज के दाम जब बढ़ते हैं तो कई गुणा तक बढ़ जाते हैं। लेकिन तेल के दाम थोड़े ही बढ़ने पर विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर रखा है।

कांग्रेस की सरकार में पेट्रोल और डीजल के दाम इस प्रकार रहे थे
                 २०१० में        पेट्रोल ५१ से ५५ रूपये   डीजल ४० रूपये प्रति लीटर
                  २०११                      ५८ से ६६                      ४२
                  २०१२                       ६६                                ४३
                  २०१३                        ७२                               ५०
                   २०१४                       ७३ से ७६                      ५६ से ६४

मोदीजी की सरकार के बाद      पेट्रोल                      डीजल
                   २०१५                       ६०                         ५०
                    २०१६                       ६०                          ४८
                     २०१७                      ७०                         ६०
                     २०१८                      ७८                          ७०  दिल्ली में आज के भाव ( अनुमानित )

कहने का तातपर्य यह है की २०१४ में भी पेट्रोल का भाव ७६ रूपये लीटर तक  था। उसके हिसाब से बढ़ोतरी
५ % भी नहीं हुई। इस पर कहा जाएगा की २०१४ के बाद से कच्चे तेल के दामों में बहुत कमी आयी थी। उस
हिसाब से तेल के दाम कम नहीं किये गए थे। यह बात ठीक है ,लेकिन इसमें कोई भ्र्ष्टाचार नहीं हुआ। जितनी
बचत हुई उससे विदेशी तेल कम्पनियों का कर्ज उतारा गया जो कांग्रेस सरकार के समय से चढ़ा हुआ था।

तेल के भाव अब तेल कम्पनियाँ तय करती हैं। वही तेल के दाम कम ज्यादा करती रहती हैं। अधिकांश तेल कम्पनियाँ  मुनाफे में चल रही हैं। जनता को लगता है की ये मनमाने ढंग से तेल के दाम घटा -बढ़ा रही हैं।
आज ही पेट्रोल पर एक पैसा दाम कम दिया , क्या है यह ?

यह तो जनता के जले पर नमक छिड़कना जैसा हुआ। अब सरकार को फिर से तेल के दाम अपने हाथों में
ले लेने चाहिये। फुटकर पैसो की कमी या बढ़ोतरी से कोई फायदा नहीं है। इससे जनता में नाराजगी ही रहती
है। अब सरकार को कुछ समय के लिए तेल के दाम फिक्स कर देने चाहिए। मेरी समझ से यदि पेट्रोल के दाम
७५ रूपये प्रति लीटर फिक्स कर दिए जाए तो जनता को राहत मिल जायेगी। तेल कम्पनियों ने बहुत मुनाफा
कमाया है कुछ कम हो जाएगा तो कोई बात नहीं। यदि तेल को Gst के दायरे में ला सके तब शायद तेल के दाम ज्यादा कम हो जायेंगे। लेकिन लगता है इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें तैयार नहीं होंगी क्योकि
देश के विकास के प्रत्येक कार्य में धन की जरूरत होती है।

सरकार कुछ भी तय करे लेकिन फुटकर पैसो की कमी या बढ़ोतरी कर जनता के साथ मज़ाक न हो। सरकार
ने तेल से कमाई  है तो अब तेल के दाम अपने हाथों  लेकर जनता को राहत भी दे। साथ ही जनता को बताये की पिछली सरकार के समय देश पर विदेशी कम्पनियो का कितना कर्ज था ,इसमें से कितना कर्ज उतार दिया गया। विपक्ष के विरोध का समुचित जबाब तो देना ही  चाहिये। 


रविवार, 27 मई 2018


आकाशवाणी नजीबाबाद में रिकॉर्डिंग
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आकाशवाणी नजीबाबाद के स्टूडियो में शुक्रवार २५ मई को मेरे काव्य पाठ की रिकॉर्डिंग की गई। जिसका प्रसारण ६ जून को प्रातः ६ बजे किया जायेगा। हालांकि मै कोई कवि नहीं हूँ लेकिन लेखन की अनेक विधाओं
में मैंने लिखा है। हाइकु मुझे विशेषकर पसंद हैं लेकिन जीव दया और भ्र्ष्टाचार पर मैंने कई कविताएँ लिखी हैं।
मै माईक पर या भरी सभा में बोलने पर अटक जाता हूँ ,घबराहट सी होती है। लेकिन आकाशवाणी के रिकॉर्डिंग
मैन और मेरे साथ गए मित्रगण ने मुझे बहुत हौसला दिया। जिसके कारण जिंदगी में पहली बार मैंने माईक पर
कुछ बोला ही नहीं बल्कि काव्य पाठ किया। पाठको और सुनने वालो से निवेदन है की कुछ खामी लगे तो मुझे
इस छेत्र में अनाड़ी समझकर नज़र अंदाज करें। धन्यवाद।



निवेदक ----- सुनील जैन राना , सहारनपुर 

रविवार, 20 मई 2018


कर्नाटक का नाटक खत्म हुआ
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एक सप्ताह चले कर्नाटक के नाटक का अंत लगभग हो ही गया है। ढ़ाई दिन की येदुरप्पा की सरकार ने धनबल
और बाहुबल से बहुमत पाने को नकारते हुए अपना इस्तीफ़ा देकर जता दिया की विपक्ष ने जो आरोप लगाए थे की १०० -१०० करोड़ में विधायकों को खरीदा जा रहा है वह सब गलत थे।

अब कांग्रेस के नेतागण जरूरत से ज्यादा उत्साह में हैं और अनर्गल भाषा बोल रहे हैं। उनके एक नेता ने तो कर्नाटक के राजयपाल को कुत्ते तक की संज्ञा दे डाली जिसपर तमाम सोशल मिडिया पर उनकी आलोचना
कुत्ते के समान ही हो रही है।

कर्नाटक की राजनीति में जहां बीजेपी ने इस्तीफा देकर इज्जत कमाई वहीं कांग्रेस ने सत्ता की चाहत में इज्जत
बेच खाई। चुनावो में जिस जेडीएस को गालियां देकर विरोध में कांग्रेस खड़ी थी उसी के सामने सत्ता की चाहत
में समर्पण कर दिया। सबसे छोटी पार्टी के मुख्यमंत्री बनेंगे और कांग्रेस उनके नीचे कार्य करेगी। गिरावट और
चाटुकारिता का शर्मनाक उदाहरण कहलायेगा यह सब।

सूत्रों का सोचना यह भी है की यह सरकार कितने दिन चलेगी ,क्योकि विचारों की भिन्नत्ता और कांग्रेस का अहंकार ज्यादा दिन साथ नहीं देता। जेडीएस  से कांग्रेस का पुराना बैर है ऐसे में कांग्रेस कितने दिन जेडीएस
के मातहत कार्य कर सकेगी यह समय ही बतायेगा।


मंगलवार, 15 मई 2018



कर नाटक में बहुत हुआ नाटक -अब कर्नाटक हुआ बीजेपी का
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बहुत दिनों की गहमागहमी के बाद आज कर्नाटक के चुनाव रुझान /परिणाम आ ही गए हैं। हालांकि अभी पूर्ण परिणाम नहीं आये लेकिन फिर भी रुझानों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर आयी है। अभी बीजेपी को ११० सीट ,कांग्रेस को ७२ सीट और जेडीएस को ४० सीटों का रुझान आ रहा है। जिससे लगता है की कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बन ही जायेगी।

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस अपने अध्यक्ष राहुल गाँधी के नेत्तृव में लगातार सिमट रही है। अब तो राहुल गाँधी को पार्टी से सन्यास लेकर कैलाश पर्वत चले ही जाना चाहिए। इंद्रा गाँधी की सशक्त कांग्रेस पार्टी को राहुल गाँधी ने धरातल में ही पहुंचा दिया है। रही -सही कसर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पूरी कर दी है जिसमे मणि शंकर अय्यर और सलमान खुर्शीद के बयान जनता को अच्छे नहीं लगे। अय्यर का पाकिस्तान प्रेम कांग्रेस को ले डूबा है। जनता आज तक राहुल गाँधी को समझ नहीं पायी की आखिकार वे चाहते क्या हैं ?

खैर कुछ भी हो मोदीजी की कार्यप्रणाली लोगो को पसंद आ रही है। देश -विदेश में मोदीजी के कार्यो को सराहा जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है की मोदी सदैव १३० करोड़ जनता की बात करते हैं। सबका साथ -सबका विकास की बात करते हैं। मोदीजी ने कभी विशेष समुदाय की बात कभी भी की। किसी विशेष समुदाय को वोट बैंक बनाकर कार्य नहीं किया। शायद यही उनकी सबसे बड़ी जीत है।

कांगेस के बांटो और राज करो की नीति को जनता ने नकार दिया है। कभी मंदिर -कभी मस्जिद की राजनीति को जनता ने नकार दिया है। विकास का कोई एजेंडा नहीं सिर्फ मोदी विरोध की राजनीति राहुल गाँधी को ले डूबी। इंद्रागाँधी की सशक्त कांग्रेस को राहुल गाँधी ने धरातल पर ला दिया है।

इस पर मेरा एक पॉलिटिकल हाइकु




                                                    सुनील जैन राना ,सहारनपुर (247001)















रविवार, 13 मई 2018



आज मदर्स डे मनाया जा रहा है
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   इसपर मेरे कुछ सुंदर हाइकु
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माँ सरस्वती
सबको देती ज्ञान
तुझे प्रणाम
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सारे जग में
नहीं कोई माँ जैसा
सच है बात
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एक दिन क्यों
रोज मनाया जाये
माता दिवस
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सुनील जैन राना 

शनिवार, 12 मई 2018



गरीब परिवार की शादी -अमीरों की तर्ज पर
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बिहार के एक मात्र चर्चित गरीब दलित परिवार के एक नौजवान की शादी बड़ी धूमधाम से मनाई जा रही है।

हे भगवान -भारत के सभी गरीबो की शादी ऐसे ही हो ऐसी मेरी कामना है। सबसे अच्छी बात मुझे यह लगी की

शादी में नॉनवेज नहीं बनाया जा रहा है। सही बात है ,सबसे उत्तम आहार शाकाहार ही है। बलशाली हाथी एवं

शक्तिवान घोडा दोनों शाकाहारी ही हैं।

विवाह समारोह के लिए सभी महंगे होटल बुक हैं।  मेहमान रेल से आ रहे हैं तो कुछ जेल से आ रहे हैं। बाकि

सभी हवाईजहाज से आ रहे हैं। विवाह कार्य पूर्ण रीति रिवाज़ से एवं ग्रह नक्छत्रों को ध्यान में रखकर किया जा

रहा है। सभी  शुभ कामनायें दूल्हा -दुल्हन के साथ हैं। 

शुक्रवार, 4 मई 2018



JNU की तर्ज पर AMU का जिन्ना
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हमारे भारत देश के कई राज्यों में असहिष्णुता का माहौल है। शायद इसलिए की पिछले ७० सालों से चली आ रही कुछ बातों में बदलाव कुछ लोगो और कुछ दलों को रास नहीं आ रहा है। इसी कारण देश भर में जातिवाद
का सहारा ले देश को बांटने की साज़िस हो रही है।
लेकिन इन सब से भी अलग बात यह है की भारत देश में रहकर भारत विरोधी कार्य या गतिविधियां चलाई जा रही हैं। भारत के टुकड़े करने की बात कही जा रही है। कश्मीर में आतंकियों के समर्थन में कश्मीरियों द्वारा
सेना पर हमला -पत्थर बाज़ी। JNU में भारत विरोधी नारे -भारत के टुकड़े करने की आवाज़ उठ रही है। AMU
में देश के टुकड़े करने वाले जिन्ना की तरफ़दारी हो रही है। जिन्ना की फोटो हटाने पर बबाल हो रहा है।
विडंबना की बात यह है की इन सभी बातों में इन देश द्रोहियों का साथ भारत के कुछ राजनीतिक दल दे रहे हैं।
इन सभी बातों में उलटे केंद्र सरकार को दोषी करार दे रहे हैं।
इसका तातपर्य यह हुआ की केंद्र सरकार देश विरुद्ध किसी भी कार्यवाही में अड़चन मत डाले। इन बड़े शिक्षक
संस्थानों में जनता के धन से सब्सिडी पाकर पढ़ रहे कुछ छात्र लगातार फेल होकर देश विरोधी नेता बनते जा रहे हैं। सम्पूर्ण शिक्षा संस्थान ऐसा ही ही यह कहना तो गलत ही होगा लेकिन एक मछली ही सारे तालाब को गंदा कर देती है यह कहावत चरितार्थ हो रही है।
भारत देश में किसी भी स्थल पर जिन्ना की फ़ोटो का क्या ओचित्य है ?जो भी जिन्ना का समर्थन कर रहे हैं वे सब पाकिस्तान समर्थक ही तो कहलायेंगे। ऐसा होना बहुत चिंताजनक है।
सरकार को इन शिक्षा संस्थानों में सब्सिडी से पढ़कर फेल हो रहे छात्रों को निकाल बाहर करना चाहिए। देश विरोधी तत्वों की पहचान कर कठोर कार्यवाही करनी ही चाहिए।
*सुनील जैन राना -सहारनपुर *