सोमवार, 21 नवंबर 2022

श्री सिद्ध चक्र विधान

*श्री सिद्धचक्र विधान और कविवर संतलाल जी : संक्षिप्त परिचय* 1️⃣ *जन्म एवं जन्म स्थान* *कविवर संतलालजी का जन्म सन् 1834 में नकुड(सहारनपुर,उ.प्र.) निवासी लाला शीलचंद जी के परिवार में हुआ।* 2️⃣ *देहपरिवर्तन समय* 🍁 *कविवर संतलाल जी का देहपरिवर्तन सन् 1886 में समाधिपूर्वक 52 वर्ष की आयु में हुआ ।* 3️⃣ *शिक्षा* 🍁 *आरंभिक शिक्षा नकुड (सहारनपुर) में की, बाद में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए रूड़की (उत्तराखंड) के थामसन कालेज में अध्ययन किया।स्वत: स्वाध्याय के बल से शास्त्र अभ्यास में विशेष दक्ष थे, वे अल्प आयु में ही जिनागम के मर्मज्ञ बन गये थे। जिनागम के गहन अध्ययन से वे अध्यात्मविद्या में विशेष पारंगत हो गये थे।* 4️⃣ *कर्तृत्व* 🍁 *उन्होंने अनेकों बार अन्य मतावलंबियों के साथ शास्त्रार्थ किया और जिनधर्म की सत्यता /महत्ता को उत्तर भारत में सब जगह प्रचारित किया। उनके सत्य संभाषण से सभी जगह जिनधर्म का प्रचार-प्रसार हुआ। उन्होंने जैन धर्मावलंबियों में प्रचलित अनेकों कुरीतियों को समाप्त किया।* *उस समय उत्तर भारत में प्राय: हिंदू रीति-रिवाज से विवाह आदि संस्कार किए जाते थे, उन्होंने जैन विधि-विधान से विवाह आदि संस्कार प्रारंभ किए और भी अनेकों गृहीत मिथ्यात्व पोषक कार्यों से समाज को मुक्त कराया।* *बचपन से असत्य भाषण न करने तथा शुभ कार्यों में ही रत रहने का संकल्प होने से इनका संतलाल नाम प्रचलित हो गया।* 5️⃣ *कृति* 🍁 *हिंदी (पद्यमय )भाषा में लिखा गया सिद्धचक्र विधान आपकी सर्वोत्कृष्ट रचना है।* *यह सभी विधानों का राजा है।यह अष्टान्हिका पर्व पर विशेष रूप से किया जाता है,पर इसे अन्य शुभ अवसर पर भी किया जा सकता है।अष्टान्हिका के आठ दिन,मैनासुंदरी-श्रीपाल कथा और विधान की आठ पूजाओं के संयोग जुड़ने से यह विधान विशेष रूप से अष्टान्हिका पर्व पर किया जाता है।* *संतलाल जी का नाम छहढाला के रचनाकार कविवर दौलतराम जी की तरह अमर हो गया। अद्भुत भेंट उन्होंने जैनसमाज को प्रदान की, जिसका उपकार जैनसमाज कभी भी सदियों तक विस्मृत नहीं कर सकता।* *उन्हें अमर बनाने वाली यह महान रचना है।* 🌷 *सिद्धचक्र विधान की विशेषताएँ* 🍁 *यह आपकी स्वतंत्र रचना है, जो कि किसी की नकल नहीं है।* *इसके पहले सिद्धचक्र विधान संस्कृत भाषा में भट्टारक शुभचंद और ललितकीर्ति ने लिखें थे। जिसमें पूजन के जलादि अष्टक छंद संस्कृत भाषा में है पर अर्घावली के मंत्र तो द्विगुणित रूप में है पर छंद किसी भी अर्घावली के साथ नहीं है।* *हर पूजा की अर्घावली में दूने-दूने अर्घों/गुणों का विकास देखने में आता है, जो अन्य किसी भी विधान में नहीं है। इसके पीछे यही अभिप्राय है कि प्रतिदिन भावों की विशुद्धि दूनी-दूनी बढ़ती जाए तभी उत्कृष्ट विशुद्धि लब्धि से जीव करणलब्धि का उद्यम कर सकेगा।* 🍁 एक विधान में अनेक विधानों का समावेश हुआ है। *प्रथम, द्वितीय और तृतीय पूजा में सिद्ध परमात्मा की विशेष आराधना के बाद चतुर्थ पूजा में गणधर वलय के 48 अर्घों के माध्यम से चौषठ ऋद्धि विधान समाहित है और सिद्धों का गुणगान है। पंचम पूजा में पापदहन विधान के माध्यम से पापाश्रव के 108 भेदों का दहन करने का उपाय बताया और छठवीं पूजा कर्मदहन विधान के रूप में प्रसिद्ध है। सातवीं पूजा पंचपरमेष्ठी विधान के रूप में विख्यात है और अंतिम पूजा सहस्रनाम विधान के रूप में है। सहज ही एक विधान में अनेक विधानों का लाभ भव्यजीवों का उपलब्ध होता है- जो इस विधान को सर्वोत्तम विधान सिद्ध करता है।* *अध्यात्म का दिशाबोध कराने वाला यह हिंदी का समयसार है।* *संतलाल जी अध्यात्म के विशेष ज्ञाता थे,इसी कारण विधान में अशुद्ध आत्मा को शुद्ध आत्मा बनाने का सरल उपाय भक्ति परक छंदों में निबद्ध किया है।* *संसारी से सिद्ध होने का संविधान जिनागम में क्या है?* *इसका सरलता से विधान/उपाय प्रथमपूजा की जयमाला से समझाया गया है।* *विधान की आठों जयमालायें सिद्ध परमात्मा के स्वरूप, महिमा और उसे प्राप्त करने का सुगम विधान बता रही हैं, जो मूलतः पठनीय है।* *प्रथम गुणस्थान से गुणस्थानातीत होने की सरल विधि क्या हो सकती है?* *यह यदि जानना/समझना हो तो विधान का पूजन के साथ-साथ स्वाध्याय भी कीजिए।* *इस कृति में भक्ति और अध्यात्म का अनूठा संगम है।* *सिद्धभक्ति से आत्मशक्ति और आत्मशक्ति से मुक्ति का संविधान इसी कृति में उद्घाटित किया गया है।* *इस विधान की अद्भुत महिमा है। इसे श्रीपाल के कुष्ठ -रोग निवारण और मैनासुंदरी की भक्ति तक सीमित नहीं किया जा सकता है।यह विधान भवरोग के निवारण में पूर्णतः समर्थ है।* *अशरीरी होने का विधान है।* *वे छंदशास्त्र के मर्मज्ञ थे,* *इसमें लगभग 48 छंदों का प्रयोग किया गया है।* 🍁 *अन्यकृति* *इसके अलावा पद्यमय 'संतविलास' नाम से आपकी अन्यकृति भी उपलब्ध है। जो 2272 पद्यमय छंदों में निबद्ध है। जिसमें स्तुति,पद,भजन आदि गर्भित है।* 🍁 *आज संपूर्ण भारतवर्ष में हजारों सिद्धचक्र विधान अष्टान्ह्रिका पर्व हो रहे हैं, सिद्ध परमात्मा की आराधना तो हम सभी मनोयोग से करें ही ,पर जिन्होंने हमें सिद्ध परमात्मा से मिलने का संविधान बताया है, उन कविवर संतलाल जी को भी स्मरण करते रहें।* 🙏🙏 *सिद्धभगवान जयवंत रहे।* 🙏 *सिद्धचक्र विधान जयवंत रहे।* 🙏 *संतलाल कविवर जयवंत रहे।* 🙏 प्रस्तुति *डॉ अशोक जैन गोयल दिल्ली* 9810509141

किसानों के कर्तव्य

किसान अधिकार चाहते- कर्तव्य निभाते नहीं देश मे किसानों के लिये बहुत कुछ किया जा रहा है। मोदीजी सरकार में किसानों की आय बढ़ाने को अनेको कार्य हो रहे हैं। किसानों को उत्पाद का उचित मूल्य मिले, कृषि उपकरणों पर सब्सिडी, समय-समय पर बैंक लोन में माफ़ी आदि अनेको तरीको से किसानों को मदद की जा रही है। दुर्भाग्यपूर्ण है की फिर भी कुछ किसान नेता अपनी नेतागिरी चमकाने को गैरजरूरी आंदोलन करते रहते हैं। विडम्बना यह है की इन किसानों को अपने अधिकारों का तो पता होता है लेकिन इनके कुछ कर्तव्य भी हैं यह भूल जाते हैं। ट्रैक्टर- ट्रॉली के पीछे लाल लाईट नही लगवाते जिससे सड़क पर रात्रि में पीछे आने वाले वाहनों को परेशानी होती है। ट्रॉली में बेहताशा गन्ना आदि भर कर चलते हैँ जिससे सड़क घिर जाती है। पीछे आने वाले वाहनों को रास्ता नहीं मिल पाता है। कई किसान समय पर बैंक लोन नहीं चुकाते। नेताओं के कहने पर बेबात आंदोलन पर उतारू हो जाते हैं। राकेश टिकैत जैसे किसान नेता किसानों को भड़काते हैं और कहते हैं की किसान आंदोलन करेगा तभी बचेगा। ऐसी निराधार बातें किसानों के हित में नहीं होती हैं। कुछ किसान मालदार हो गया है तो कुछ किसान गरीब है। जो गरीब है उसकी सहायता को सरकार मदद कर रही है। खेती के नए तरीके, नई-नई फसलों के बारे में जानकारी व सुविधाएं दी जा रही हैं। किसान देश के अन्न की पूर्ति करते हैं। सरकार को उनका ध्यान रखना ही चाहिये। लेकिन किसानों को भी अपने अधिकारों की तरह अपने कर्तव्यों का निर्वाह भी करना चाहिए। सुनील जैन राना

गुरुवार, 17 नवंबर 2022

सम्राट अशोक

*"सम्राट अशोक" की "जन्म- जयंती" हमारे देश में "नहीं मनाई जाती" ?? बहुत सोचने पर भी, "उत्तर" नहीं मिलता! आप भी, इन "प्रश्नों" पर, "विचार" करें! जिस -"सम्राट" के नाम के साथ, -"संसार" भर के, "इतिहासकार"- “महान” शब्द लगाते हैं जिस -"सम्राट" का राज चिन्ह "अशोक चक्र"-" भारतीय", "अपने ध्वज" में लगाते है l जिस -"सम्राट" का -"राज चिन्ह", "चारमुखी शेर" को, "भारतीय",- "राष्ट्रीय प्रतीक" मानकर,:- " सरकार" चलाते हैं l और "सत्यमेव जयते" को "अपनाया" है l जिस देश में - "सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान", "सम्राट अशोक" के "नाम" पर, "अशोक चक्र" दिया जाता है l जिस -"सम्राट" से -"पहले या बाद" में :- "कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ"...l जिसने : -"अखंड भारत" (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान, और अफगानिस्तान) जितने, "बड़े भूभाग" पर:-"एक-छत्र राज" किया हो l सम्राट अशोक" के ही, समय में :- "२३ विश्वविद्यालयों" की "स्थापना" की गई l जिसमें :- तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कंधार, आदि "विश्वविद्यालय", "प्रमुख" थे l इन्हीं "विश्वविद्यालयों" में "विदेश" से "छात्र", "उच्च शिक्षा" पाने, :- "भारत आया करते थे" जिस -"सम्राट" के "शासन काल" को -"विश्व" के "बुद्धिजीवी" और "इतिहासकार", "भारतीय इतिहास" का सबसे -"स्वर्णिम काल" मानते हैं जिस -"सम्राट" के "शासन काल" में :- "भारत"- "विश्व गुरु" था l "सोने की चिड़िया" था l जनता -"खुशहाल" और "भेदभाव-रहित" थी l जिस सम्राट के शासन काल में, सबसे "प्रख्यात" "महामार्ग", :- "ग्रेड ट्रंक रोड" जैसे कई -"हाईवे" बने l २,००० किलोमीटर लंबी पूरी "सडक" पर, "दोनों ओर", "पेड़" लगाये गए l "सरायें" बनायीं गईं..l मानव तो मानव..,पशुओं के लिए भी, प्रथम बार "चिकित्सा घर" (हॉस्पिटल) खोले गए l "पशुओं को मारना बंद" करा दिया गया l ऐसे -"महान सम्राट अशोक", जिनकी -"जयंती" उनके -"अपने देश भारत" में :-"#क्यों नहीं मनायी जाती"#?? न ही, कोई -"छुट्टी" घोषित की गई है?* दुख: है, कि :-जिन नागरिकों को ये -"जयंती", "मनानी" चाहिए..? वो अपना -"इतिहास" ही, "भुला" बैठे हैं l और , जो :- "जानते" हैं ? "वो":- "ना जाने क्यों" ? "मनाना":- "नहीं चाहते" *पिताजी का नाम - बिन्दुसार गुप्त *माताजी का नाम - सुभद्राणी "जो जीता, वही:- "चंद्रगुप्त" ना होकर ...? "जो जीता", वही :-"सिकन्दर" कैसे हो गया जबकि - "ये बात" सभी जानते हैं, कि:- "सिकन्दर" की सेना ने -"चन्द्रगुप्त मौर्य" के "प्रभाव" को देखते हुए ही, :- "लड़ने से मना कर दिया" था!🧐🤔 बहुत ही ,"बुरी तरह" से "मनोबल टूट गया था"! और "वापस लौटना" पड़ा था । कृपया - अपने सभी समुहों में भेजने का कष्ट करें l और हम सब मिल कर, बाक़ी साथियों को भी,"जागरूक" करें! आइए मिल कर - इस "ऐतिहासिक भूल" को, "सही करने" का,:- "हर संभव प्रयास" करें .🙏

शनिवार, 12 नवंबर 2022

अपने लिये भी जियो

*1. एक ६७ वर्षीय रिटायर्ड अधिकारी द्वारा WhatsApp पर सभी वरिष्ठ साथियों व रिटायर होने वाले साथियों के लिए share किया गया एक उत्तम संदेश::::* ............................................... *2. कृपया अंत तक अवश्य पढ़ें*.. ========================= 3.● *जीवन मर्यादित है और उसका जब अंत होगा तब इस लोक की कोई भी वस्तु साथ नही जाएगी*.... ....................................................... 4. ● *फिर ऐसे में कंजूसी कर, पेट काट कर बचत क्यों की जाए.... ? आवश्यकतानुसार खर्च क्यों ना करें..? जिन अच्छी बातों में आनंद मिलता है, वे करनी ही चाहिए....* ....................................................... 5. ● *हमारे जाने के पश्चात क्या होगा, कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता छोड़ दें, क्योंकि देह के पंचतत्व में विलीन होने के बाद कोई तारीफ करे या टीका टिप्पणी करे, क्या फर्क पड़ता है....?* ....................................................... 6. ● *उस समय जीवन का और मेहनत से कमाए हुए धन का, आनंद लेने का वक्त निकल चुका होगा....* ....................................................... 7. ● *अपने बच्चों की जरूरत से अधिक फिक्र ना करें....* *उन्हें अपना मार्ग स्वयं खोजने दें....* ............................................... 8. *अपना भविष्य उन्हें स्वयं बनाने दें। उनकी इच्छाओं, आकांक्षाओं और सपनो के गुलाम आप ना बनें....* ....................................................... 9. ● *बच्चों को प्रेम करें, उनकी परवरिश करें, उन्हें भेंट वस्तुएं भी दें, लेकिन कुछ आवश्यक खर्च स्वयं अपनी आकांक्षाओं पर भी अवश्य करें....* ....................................................... 10. ● *जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ कष्ट करते रहना ही जीवन नहीं है।* *यह ध्यान रखें....* ....................................................... 11. ● *आप ६ दशक पूरे कर चुके है,* *अब जीवन और आरोग्य से खिलवाड़ करके पैसे कमाना अनुचित है, क्योंकि अब इसके बाद पैसे खर्च करके भी आप आरोग्य खरीद नही सकते....* ....................................................... 12. ● *इस आयु में दो प्रश्न महत्वपूर्ण है: पैसा कमाने का कार्य कब बन्द करें, और कितने पैसे से अब बचा हुआ जीवन सुरक्षित रूप से कट जाएगा....* ....................................................... 13. ● *आपके पास यदि हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन भी हो, तो भी पेट भरने के लिए कितना अनाज चाहिए_? आपके पास अनेक मकान हों, तो भी रात में सोने के लिए एक ही कमरा चाहिए....* ....................................................... 14. ● *एक दिन बिना आनंद के बीते तो, आपने जीवन का एक दिन गवाँ दिया और एक दिन आनंद में बीता तो एक दिन आपने कमा लिया है, यह ध्यान में रखें....* ....................................................... 15. ● *एक और बात: यदि आप खिलाड़ी प्रवृत्ति के और खुश-मिजाज हैं तो बीमार होने पर भी बहुत जल्द स्वस्थ्य होंगे और यदि सदा प्रफुल्लित रहते हैं, तो कभी बीमार ही नही होंगे....* ....................................................... 16. ● *सबसे महत्व-पूर्ण यह है कि अपने आसपास जो भी अच्छाई है, शुभ है, उदात्त है, उसका आनंद लें और उसे संभाल- कर रखें....* ....................................................... 17. ● *अपने मित्रों को कभी न भूलें। उनसे हमेशा अच्छे संबंध बनाकर रखें। अगर इसमें सफल हुए तो हमेशा दिल से युवा रहेंगे और सबके चेहते रहेंगे....* ............................................... 18. ● *मित्र न हो, तो अकेले पड़ जाएंगे और यह अकेलापन बहुत भारी पड़ेगा....* ...................................................... 19. ● *इसलिए रोज व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क में रहें, हँसते-हँसाते रहें, एक दूसरे की तारीफ करें.... जितनी आयु बची है, उतनी आनंद में व्यतीत करें....* ............................................... 20. ● *प्रेम व स्नेह मधुर है, उसकी लज्जत का आनंद लें....* ............................................... 21. ● *क्रोध घातक है। उसे हमेशा के लिए जमीन में गाड़ दें....* ............................................... 22.● *संकट क्षणिक होते हैं, उनका सामना करें....* ............................................... 23. ● *पर्वत-शिखर के परे जाकर सूर्य वापिस आ जाता है, लेकिन दिल से दूर गए हुए प्रियजन वापिस नही आते....* ....................................................... 24. ● *रिश्तों को संभालकर रखें, सभी में आदर और प्रेम बाँटें। जीवन तो क्षणभंगुर है, कब खत्म होगा, पता भी नही चलेगा। इसलिए आनंद दें,आनंद लें....* ............................................... 25. *दोस्ती और दोस्त संभाल कर रखें....* ............................................... 26. *जितना हो सके उतने “गैट-टूगेदर* *(Get-together) करते रहे....*

पैसे दो, सब कुछ मिलेगा?

पैसे दो, सब कुछ मिलेगा? भ्र्ष्टाचार के कारण देश के विकाश में बाधाएं आती हैं। मोदीजी- योगीजी के कार्यकाल में ऊपरी स्तर के भ्र्ष्टाचार में तो बहुत कमी आयी है लेकिन निचले स्तर का भ्र्ष्टाचार पहले से ज्यादा ही हुआ है कम तो बिल्कुल नही हुआ है। अधिकांश सरकारी विभागों में बिना सुविधा शुल्क कार्य नही होता। महंगाई के हिसाब से सुविधा शुल्क में भी बढ़ोतरी हो गई है। पैसे दो, सब कुछ मिलेगा यह जुमला देश की जेलों में साक्षात रूप से चलता है। जैसा अपराधी वैसा व्यवहार। जैसे पैसे वैसा सहयोग। नेता लोगो के लिये तो जेल में वीआईपी सुविधा उपलब्ध हो ही जाती हैं लेकिन शातिर अपराधियों को भी सहयोग अनुसार सब कुछ उपलब्ध हो जाता है। बहुत शर्मनाक है ऐसा होना। अपराधी को रहने, खाने-पीने की चीजें उपलब्ध कराने तक तो बात समझ मे आती है लेकिन जेल से नशे का कारोबार हो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।बात तो यहां तक चिंताजनक है की जो आम आदमी छोटे- मोटे अपराध में जेल जाता है वह कुछ ही महीनों में नशेड़ी बन जाता है। सिर्फ नशेड़ी नहीँ बल्कि कर्जदार भी बन जाता है। सहारनपुर की जेल में ऐसा ही हो रहा है। सहारनपुर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विपिन टाडा बहुत सतर्कता से नशे के खिलाफ अभियान छेड़े हुए हैं। अनेक नशे के कारोबारियों को जेल भेज गया है लेकिन फिर भी आम नशेड़ी को पैसे देकर नशा मिल ही जाता है। जेल में नशे के कारोबारियों का बन्द होना और ज्यादा घातक है। वहां भी उनका कारोबार चलता रहता है। बल्कि यों कहिये की जो आप अपराधी जिसने कभी नशा नहीं किया वह भी इनकी चपेट में आ जाता है। उसके पास पैसे नहीं होते तब उसे नशे की वस्तु उधार दे देते हैं और कहते हैं पैसे बाद में दे देना। जेल में रहते हुए उसे नशेड़ी बना देते हैं। उसके जेल से बाहर आने के बाद उसके गुर्गे उससे पैसा बसूलते हैं। यह सब खाकी के संरक्षण में होता है। एक आम घरेलू अपराधी किसी मुक़दमे में जेल गया तो बाहर निकल कर शातिर अपराधी बन जाता है। जेल में सुविधाशुल्क का खेल तो देश की अधिकांश जेलों में चल रहा है लेकिन सुविधा सिर्फ रहने, खाने-पीने तक सीमित होती तब किसी का नुकसान तो नहीं होता लेकिन नशे के कारोबार से तो एक आम आदमी की जिंदगी भी दुष्कर हो रही है यह बहुत चिंता जनक है। सरकार एवं प्रशासन को इस ओर गम्भीरता से चिंतन कर कार्यवाही करनी चाहिये। सुनील जैन राना

गुरुवार, 10 नवंबर 2022

फ्रिज़ हानिकारक

*🗣️ आप विश्वास करें या ना करें , परंतु है सत्य बात !* *🔆 कैंसर का रोग बढ़ाने में फ्रीज का सबसे बड़ा योगदान 🔆* श्री देवाय एक्यूप्रेशर चिकित्सा एवं अनुसंधान केन्द्र , गोपाल जी का रास्ता , जौहरी बाजार जयपुर ! *👏 सादर जयजिनेद्र सा 👏* *🤔 कैंसर व अन्य क‌ई रोगों से बचने के लिए जल्द से जल्द फ्रीज से छुटकारा पाएं !* *👉 आजकल महिलाओं में कैंसर का रोग तेजी से बढ़ रहा है !* *🫡 क्या आप जानते हैं π फ्रीज के आइटम और कैंसर के बीच क्या संबंध है π?* *🤔 आपकी यह गलतफहमी है कि फ्रीज में रखी हुई हर वस्तु बहुत अच्छी रहती है ¶¶ लेकिन ये सभी वस्तुएं "" कैंसर का वायरस बनाती जा रही है !* *यह महिलाओं 🧕 का रवैया ( आदत ) है कि फ्रीज में कुछ कुछ भरती रहती है !* *🧕 अधिकांश महिलाएं फ्रीज में जो आइटम भरती है 👇 !* *🤔 आटा • रवा • साबुदाना • सोया • साॅस • दूध • दही • मक्खन • अचार • मसाले • बादाम • काजू • किसमिस • सब्जियां !* *⚛️ केवल यही नहीं ये भी रखती हैं ! >>* *बचा हुआ खाना • एक दिन पहले बनी दाल , व अगले दिन के लिए दाल • चावल • सब्जियां • ख़ाने के बाद कटा हुआ फल व सलाद • सभी प्रकार के मसाले के पैकेट • शीतल पेय • मिठाइयां तथा और भी अनेक महंगी वस्तुएं !* *🫡 बंबई के जानेमाने होस्पिटल के डाक्टर मकरंद द्वारा जारी समाचार के अनुसार 👇 !!* *आप सोच 🤔 सकते हैं कि एक अध्ययन में पाया गया है कि १००० हजार में से ५३८ लोगों में कैंसर का पता चला था π उनमें ज्यादातर 👩‍🦰 महिलाएं थीं π और हैरानी की बात यह है कि फ्रीज में रखी चीज में कैंसर के सुख दु:ख की दुनिया बढ़ती जा रही है !* *🗣️ डाक्टर मकरंद का कहना है कि कोई भी वस्तु फ्रीज में स्टोर करने के बजाय , जितना हो सके उतना ही लाकर बनाया जाय ¶ विशेष ~~ "" सांबर • ताजी इडली • डोसा • बड़ा आदि "" π चने के आटे में , अन्य आटे में , मैदा , मक्का व बाजरे के आटे में कीट बहुत जल्दी प्रवेश कर जाते हैं !* *🍃 दो दिन के लिए जितनी आवश्यकता हो उतने फल और सब्जियां लाएं ∆ एवं बचा हुआ अतिरिक्त दूध ४८ घंटे में फैंक दें 👏 !* *👏 यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं 👏

राम जी नाम अद्भुत

*राम* शब्द में दो अर्थ व्यंजित हैं। सुखद होना और ठहर जाना जैसे अपने मार्ग से भटका हुआ कोई पथिक किसी सुरम्य स्थान को देखकर ठहर जाता है। हमने सुखद ठहराव का अर्थ देने वाले जितने भी शब्द गढ़े, सभी में *राम* अंतर्निहित है, यथा *आराम, विराम, विश्राम, अभिराम, उपराम, ग्राम* जो *रमने* के लिए *विवश* कर दे, वह *राम* जीवन की आपाधापी में पड़ा *अशांत* मन जिस आनंददायक *गंतव्य* की सतत तलाश में है, वह गंतव्य है *राम* भारतीय मन हर स्थिति में *राम* को *साक्षी* बनाने का आदी है। दुःख में *हे राम*, पीड़ा में *अरे राम*, लज्जा में *हाय राम*, अशुभ में *अरे राम राम*, अभिवादन में *राम राम*, शपथ में *रामदुहाई*, अज्ञानता में *राम जाने*, अनिश्चितता में *राम भरोसे*, अचूकता के लिए *रामबाण*, मृत्यु के लिए *रामनाम सत्य*, सुशासन के लिए *रामराज्य* जैसी अभिव्यक्तियां पग-पग पर *राम* को साथ खड़ा करतीं हैं। *राम* भी इतने सरल हैं कि हर जगह खड़े हो जाते हैं। हर भारतीय उन पर अपना अधिकार मानता है। जिसका कोई नहीं उसके लिए *राम* हैं- *निर्बल के बल राम*। असंख्य बार देखी सुनी पढ़ी जा चुकी *रामकथा* का आकर्षण कभी नहीं खोता। *राम* पुनर्नवा हैं। हमारे भीतर जो कुछ भी अच्छा है, वह *राम* है। जो *शाश्वत* है, वह *राम* हैं। *सब-कुछ लुट जाने के बाद जो बचा रह जाता है, वही तो राम है। घोर निराशा के बीच जो उठ खड़ा होता है, वह भी राम ही है।* *राम राम*

रविवार, 6 नवंबर 2022

पैदल चलना हितकर है

*_— किसी व्यक्ति की हड्डियों और माँसपेशियों का ५०% दोनों 👣 पैरों में होता है। इसलिए 🦵पैदल चलिए।_* *_— मानव शरीर की हड्डियों का सबसे बड़ा और सबसे मज़बूत जोड़ पैरों में होता है। इसलिए प्रतिदिन १० हज़ार कदम पैदल चलें।_* *_— मज़बूत हड्डियाँ, मज़बूत माँसपेशियाँ और लचकदार जोड़ों का “लौह त्रिकोण” 🦿 पैरों में होता है, जो पूरे शरीर 🧍‍♂️का बोझ ढोते हैं।_* *_— मनुष्य जीवन में ७०% गतिविधियाँ और ऊर्जा का क्षय दोनों पैरों 🕺 द्वारा किया जाता है।_* *_— जवान मनुष्य की जाँघें इतनी मज़बूत होती हैं कि ८०० किग्रा वजन 🚗 की एक छोटी कार को भी उठा सकती हैं।_* *_— शरीर के इंजन का केन्द्र पैर 🦶 में होता है।_* *_— दोनों पैरों 👣 में मिलाकर पूरे मानव शरीर 🧘‍♂️ की ५०% नाड़ियाँ होती हैं। उनमें होकर ५०% रक्त कोशिकाएँ ❤️‍🔥और ५०% रक्त 🪸 बहता है।_* *_— यह रक्त प्रवाह का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसलिए प्रतिदिन पैदल 🚶‍♂️चलिए।_* *_— यदि पैर स्वस्थ होंगे, तो रक्त का प्रवाह सामान्य रहता है। इसलिए जिनके पैरों की माँसपेशियाँ मज़बूत हैं, उनका हृदय 🫀 भी मज़बूत होगा। इसलिए पैदल चलिए।_* *_— वृद्धावस्था पैरों से ऊपर की ओर शुरू होती है। उम्र बढ़ने पर मस्तिष्क 🧠 से पैरों को आने वाले निर्देशों की शुद्धता और गति कम होती जाती है। युवाओं में ऐसा नहीं होता। इसलिए पैदल 🚶‍♂️ चलिए।_* *_— उम्र बढ़ने पर हड्डियों की खाद कैल्शियम की मात्रा कम होती जाती है, जिससे हड्डियों में टूटन 🦿 होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए पैदल चलिए।_* *_— हड्डियों में टूटन होने पर अनेक शिकायतों का सिलसिला शुरू हो सकता है। इनमें विशेष रूप से घातक बीमारियाँ जैसे ब्रेन 🧠 थॉम्बोसिस शामिल हैं।_* *_— पैरों के व्यायाम करने में कभी देरी नहीं होती। ६० की उम्र 🧙‍♂️ के बाद भी ये व्यायाम शुरू किए जा सकते हैं।_* *_— यद्यपि हमारे पैर समय के साथ वृद्ध होंगे, लेकिन इनका व्यायाम जीवन भर करना चाहिए। प्रतिदिन दस हज़ार पग पैदल चलिए।_* *_— पैरों को लगातार मज़बूत करके ही कोई वृद्ध होने की गति कम कर सकता है। इसलिए साल में ३६५ दिन पैदल चलिए।_* *_— क्या आप जानते हैं कि वृद्ध रोगियों में १५% की मृत्यु जाँघ की हड्डी में टूटन होने पर एक साल के अन्दर हो जाती है? इसलिए बिना चूके मप्रतिदिन पैदल चलिए।_* *_— अपने पैरों के पर्याप्त व्यायाम के लिए और पैरों की माँसपेशियों को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम ३०-४० मिनट पैदल चलिए।_* हिंदू संस्कृति में इसीलिए पैदल तीर्थ यात्राओं का महत्व अधिक है इसलिए तीर्थ यात्राओं को पैदल ही करें तभी शारीरिक पुण्य फल अधिक मिलते हैं।

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...