बुधवार, 29 मार्च 2023

लुप्त हो रही भारतीय संस्कृति

🙏🏻कलयुग के लक्षण🙏🏻 1. कुटुम्ब कम हुआ . 2 सम्बंध कम हुए 3. नींद कम हुई. 4. बाल कम हुए 5. प्रेम कम हुआ 6. कपड़े कम हुए 7. शर्म कम हुई• 8 लाज-लज्जा कम हुई 09 मर्यादा कम हुई 10. बच्चे कम हुए 11. घर में खाना कम हुआ 12. पुस्तक वाचन कम हुआ 13. भाई-भाई प्रेम कम हुआ 15. चलना कम हुआ 16. खुराक कम हुआ 17. घी-मक्खन कम हुआ 18. तांबे - पीतल के बर्तन कम हुए 19. सुख-चैन कम हुआ 20. मेहमान कम हुए 21. सत्य कम हुआ 22. सभ्यता कम हुई 23. मन-मिलाप कम हुआ 24. समर्पण कम हुआ...😔*संतान को दोष न दें...* *बालक या बालिका को 'इंग्लिश मीडियम'* में पढ़ाया... *'अंग्रेजी'* बोलना सिखाया... *'बर्थ डे'* और *'मैरिज एनिवर्सरी'* जैसे जीवन के *'शुभ प्रसंगों'* को *'अंग्रेजी कल्चर'* के अनुसार जीने को ही *'श्रेष्ठ'* मानकर... माता-पिता को *'मम्मा'* और *'डैड'* कहना सिखाया... जब *'अंग्रेजी कल्चर'* से परिपूर्ण बालक या बालिका बड़ा होकर, आपको *'समय'* नहीं देता, आपकी *'भावनाओं'* को नहीं समझता, आप को *'तुच्छ'* मानकर *'जुबान लड़ाता'* है और आप को बच्चों में कोई *'संस्कार'* नजर नहीं आता है, तब घर के वातावरण को *'गमगीन किए बिना'*... या... *'संतान को दोष दिए बिना'*... कहीं *'एकान्त'* में जाकर *'रो लें'*... *क्योंकि...* पुत्र या पुत्री की पहली वर्षगांठ से ही, *'भारतीय संस्कारों'* के बजाय *'केक'* कैसे काटा जाता है ? सिखाने वाले आप ही हैं... *'हवन कुण्ड में आहुति'* कैसे डाली जाए... *'मंदिर, मंत्र, पूजा-पाठ, आदर-सत्कार के संस्कार देने के बदले'...* केवल *'फर्राटेदार अंग्रेजी'* बोलने को ही, अपनी *'शान'* समझने वाले आप... बच्चा जब पहली बार घर से बाहर निकला तो उसे *'प्रणाम-आशीर्वाद'* के बदले *'बाय-बाय'* कहना सिखाने वाले आप... परीक्षा देने जाते समय *'इष्टदेव/बड़ों के पैर छूने'* के बदले *'Best of Luck'* कह कर परीक्षा भवन तक छोड़ने वाले आप... बालक या बालिका के *'सफल'* होने पर, घर में परिवार के साथ बैठ कर *'खुशियाँ'* मनाने के बदले... *'होटल में पार्टी मनाने'* की *'प्रथा'* को बढ़ावा देने वाले आप... बालक या बालिका के विवाह के पश्चात्... *'कुल देवता / देव दर्शन'* को भेजने से पहले... *'हनीमून'* के लिए *'फाॅरेन/टूरिस्ट स्पॉट'* भेजने की तैयारी करने वाले आप... ऐसी ही ढेर सारी *'अंग्रेजी कल्चर्स'* को हमने जाने-अनजाने *'स्वीकार'* कर लिया है... अब तो बड़े-बुजुर्गों और श्रेष्ठों के *'पैर छूने'* में भी *'शर्म'* आती है... गलती किसकी..? मात्र आपकी *'(माँ-बाप की)'*... अंग्रेजी International *'भाषा'* है... इसे *'सीखना'* है... इसकी *'संस्कृति'* को, *'जीवन में उतारना'* नहीं है... *मानो तो ठीक...* *नहीं तो भगवान ने जिंदगी दी है...* *चल रही है, चलती रहेगी...* *आने वाली जनरेशन बहुत ही घातक सिद्द्ध होने वाली है, हमारी संस्कृति और सभ्यता विलुप्त होती जा रही है, बच्चे संस्कारहीन होते जा रहे हैं और इसमें मैं भी हूं , अंग्रेजी सभ्यता को अपना रहे* *सोच कर, विचार कर अपने और अपने बच्चे, परिवार, समाज, संस्कृति और देश को बचाने का प्रयास करें...* *हिन्दी हमारी राष्ट्र और् मातृ भाषा है इसको बढ़ावा दें, बच्चों को जागरूक करें ताकि वो हमारी संस्कृति और सभ्यता से जुड़ कर गौरवशाली महसूस करें।* 🪷〰️〰️🪷〰️

शनिवार, 25 मार्च 2023

चार पैसे की कहानी

*🌹।। ओ३म् ।। 🌹* *🌷 आज के सुविचार 🌷* *4 पैसे क्यो जरूरी है ?* *"आदमी सारा दिन चार पैसे कमाने के लिए मेहनत करता है।" या "बेटा कुछ काम करेगा तो चार पैसे घर आयेंगे या "आज चार पैसे पास होते तो कोई ऐसे ना बोलता आदि-आदि ऐसी अनेकों कहावते हैं जो हम अक्सर सुनते रहते हैं आखिर क्यों चाहिए ये चार पैसे और चार ही क्यों तीन या पाँच क्यों नहीं ? तीन पैसों में क्या कमी हो जायेगी या पाँच से क्या बढ़ जायेगा ? पहले समझते है कि इन चार पैसों का करना क्या है।* *पहला पैसा कुँए में डालना है।* *दूसरे पैसे से पिछला कर्ज उतारना है।* *तीसरे पैसे का आगे कर्ज देना है और* *चौथे पैसे को आगे के लिए जमा करना है।* *कैसे* *1. कुँए में डालना:- अर्थात अपना तथा अपने परिवार पत्नी बच्चों का भरण पोषण करना पेट रूपी कुएँ के लिए।* *2 पिछला कर्जा उतारना अपने* *माता-पिता की सेवा के लिए उनके द्वारा किये गये हमारे पालन पोषण रूपी कर्ज को उतारने के लिए।* *3. आगे का कर्ज:-* *सन्तान को पढ़ा-लिखा कर इस काबिल बनाने के लिए ताकि आगे वृद्धावस्था में वे आपका ख्याल रख सकें।* *4. जमा करने के लिए अर्थात शुभ कार्य करने के लिए, दान, सन्त सेवा, असहायों की सहायता करने के लिए, क्योंकि हमारे द्वारा किये गये इन्हीं शुभ कर्मों का फल हमें जीवन के बाद मिलने वाला है। इन कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरूरत पड़ती है। यदि तीन पैसे रह गये तो कार्य पूरे नहीं होंगे और पाँचवें पैसे की कहीं जरूरत ही नहीं है।* *यहीं है चार पैसों की कहावतों का अर्थ जीवन में चार पैसे क्यो जरूरी है ? एक कहावत है*

शुक्रवार, 24 मार्च 2023

नया संसद भवन

कांग्रेस की पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने नए संसद भवन को मंजूरी दी थी. वर्ष : 2012 भवन : नई संसद निर्माण PM : मनमोहन सिंह पार्टी: कांग्रेस क्षेत्रफल: 35,000 वर्ग मीटर लागत :3000 करोड़ ( महंगाई के अनुसार 2020 के लिए रकम होगी - 3900 करोड़ ) अब जानिए वर्ष: 2020 भवन: नई संसद निर्माण PM : नरेंद्र मोदी पार्टी : भाजपा क्षेत्रफल : 65,000 वर्ग मीटर लागत : ₹ 970 करोड़ कांग्रेस का कोई भी काम उठा कर देख लो बगैर दलाली, बगैर भ्रष्टाचार के होता ही नहीं था । ध्यान देने का बहुत गंभीर तथ्य यही है कि मोदी जी के राज में क्षेत्रफल 'दोगुना' किया गया है. लेकिन लागत एक चौथाई है क्यों कि कोई दलाली नहीं है, कमीशनखोरी नहीं है. सोनिया माइनो कैसे विश्व की तीसरी सबसे आमीर महिला बनी. कुछ समझ में आया इसीलिए 'कांग्रेस मुक्त भारत' का संकल्प देश बारंबार दोहराता है. यही दर्द छिपाने की कोशिश कर रही है कांग्रेस पीएम मोदीजी को इतनी नफ़रत व विरोध का सामना कोन कर रहा है नया आधार लिंक कराने से महाराष्ट्र में 10 लाख गरीब गायब हो गए! उत्तरखण्ड में भी कई लाख फ़र्ज़ी बीपीएल कार्ड धारी गरीब ख़त्म हो गए ! तीन करोड़ (30000000 ) से जायदा फ़र्ज़ी एलपीजी कनेक्शन धारक ख़त्म हो गए ! मदरसों से वज़ीफ़ा पाने वाले 1,95,000 फर्ज़ी बच्चे गायब हो गए! डेढ़ करोड़ (15000000 ) से ऊपर फ़र्ज़ी राशन कार्ड धारी गायब हो गए! ये सब क्यों और कहाँ गायब होते जा रहे हैं ! चोरो का सारा काला चिटठा खुलने वाला है …इसीलिए सारे चोर ने मिलकर माननीय सर्वोच्च न्यायलय में याचिका दायर कर दी कि आधार लिंक हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है ! चोरों को प्राइवेसी का कैसा अधिकार! 1) कंपनी के MD :मोदी ने फर्जी 3 लाख से ज्यादा कम्पनियां बन्द कर दी है! 2) राशऩ डीलर नाराज़ हो गये! 3) Property Dealer नाराज़ हो गये! 4)ऑनलाइन सिस्टम बनने से दलाल नाराज़ हो गये है! 5) 40,000 फर्जी NGO बन्द हो गये है, इसलिए इन NGO के मालिक भी नाराज़ हो गये ! 6) No 2 की Income से Property खरीद ने वाले नाराज़ हो गये! 7) E-Tender होने से कुछ ठेकेदार भी नाराज़ हो गये! 😎 गैस कंपनी वाले नाराज़ हो गये! 9) अब तक जो 12 करोड लोग Income टैक्स के दायरे मै आ चुके हैं वह लोग नाराज़ हो गये! 10) GST सिस्टम लागू होने से ब्यापारी लोग नाराज़ हो गये, क्योकि वो लोग Automatic सिस्टम मै आ गये है! 11) वो 2 नम्बर के काम बाले लोग फलना फूलना बन्द हो गये है! 13) Black को White करने का सिस्टम एक दम से लुंज सा हो गया है। 14) आलसी सरकरी अधिकारी नाराज हो गये, क्योकि समय पर जाकर काम करना पड रहा हैं! 15) वो लोग नाराज हो गये, जो समय पर काम नही करते थे और रिश्वत देकर काम करने मे विश्वास करते है। 16) 10 रुपये महीना का कमरा और 300 रु महीना मै खाना खाने वाला 7 साल तक मुफ्त की रोटी तोड़ने वाला JNU का छात्र भी परेशान है मोदी से😀😀 दुख होना लाज़मी है देश बदलाव की कहानी लिखी जा रही है, जिसे समझ आ रही है बदल रहा है जिसे नही आ रही है वो मंदबुध्दि युवराज के *मानसिक गुलाम* हमे अंधभक्त कह कह कर छाती कूट रहे है! साभार

बीमा कंपनियों का झूठ

बीमा कम्पनी, एजेंट सच छुपाते हैं देश मे अनेको नामी गिरामी बीमा कम्पनियां है जिसमें LIC सबसे पुरानी सरकारी कम्पनी है। एक ऐसा नाम जो बीमा कंपनियों का पर्यायवाची बन गया है। आम भाषा मे पूछा जाता है की आपने LIC कराई है या नहीं, जबकि पूछा जाना चाहिये कि आपने जीवन बीमा कराया है या नहीं। इन बीमा कम्पनियों की बाबत मैं आपको खुद से भुक्तभोगी होकर कुछ तथ्य उजागर कर रहा हूँ। पॉलिसी देते समय कुछ बातें एजेंट छुपाते है जो की अवश्य बतानी चाहिये। मैंने 13 वर्ष पूर्व LIC की जीवन सरल पॉलिसी ली। नगर के दो प्रतिष्ठित एजेंटों से जानकारी प्राप्त कर पॉलिसी ली। दोनों ने एक प्रिंटिड स्टेटमेंट दिया जिसमें पॉलिसी के प्रतिसाल रिटर्न को दर्शाया गया था। जिसके हिसाब शुरू के 10 साल की जमा पर कुछ खास नहीं मिल रहा था लेकिन उसके बाद बहुत अच्छा रिटर्न मिलना दिखाया गया था। दो-दो हज़ार रुपये महीने की दो पॉलिसी ली गई। दस साल तक कुछ खास ध्यान भी नही दिया लेकिन 12-13 साल होने पर जब चार्ट के अनुसार बढ़ोतरी नहीं दिखाई दी तब पूछने पर उचित जबाब न मिला। LIC के हेड ऑफिस में पॉलिसी कैश कराने गया तो हेड मैनेजर भी पॉलिसी के गुणगान गाने लगे। तब मैंने बताया की नगर के दो वरिष्ठ एजेंट ने मुझे चार्ट दिए थे उसके अनुसार बढ़ोतरी नहीं हो रही है तब उन्होंने बताया की ऐसे चार्ट एजेंट अपने आप बना लेते हैं। कम्पनी इनके लिये उत्तरदायी नहीं होती। कितनी शर्मनाक बात है यह। क्या कम्पनी को ऐसे फर्जी चार्ट बनाकर गुमराह करने पर क्या कार्यवाही नहीं करनी चाहिये? दूसरा वाक्या बजाज मेडिक्लेम का है। मैंने पॉलिसी ली, चैकअप के लिये दो लड़के आये। उन्होंने सभी चैक किया और कहा अंकल आप तो बिल्कुल फिट हो आपको कभी कुछ नहीं होगा। दुर्भाग्यवश मुझे परेशानी हुई , किडनी फेलियर बताई गई , दिल्ली के अस्पताल में उपचार के दौरान बोनमेरो में इंस्फेक्शन हो गया यानी ब्लड कैंसर हो गया। उपचार चला दो महीने अस्पताल में रहा। कैशलेस उपचार को कहा गया कि आप भुगतान कर दो बिल सम्मिट कर देना तब भुगतान हो जाएगा। बाद में बिल सम्मिट किये तब बजाज बीमा कम्पनी ने आरोप लगाया कि पेशेंट को बीपी भी था जो बताया नहीं। मुझे बीपी की शिकायत कभी नही रही। कुछ दिन बाद बीमा कंपनी ने सुगर का आरोप लगाया। मुझे सुगर भी कभी नहीं हुई। हमने अस्पताल से रोजाना के मॉनिटर की पूरी रिपोर्ट बीमा कम्पनी को दी। लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी और क्लेम नहीं दिया। हमने वकील किया, लोकपाल गये लेकिन लोकपाल ने भी हमारी सच्चाई को झुठला दिया। ऐसे शर्मनाक दो उदाहरण सरकारी और गैरसरकारी बीमा कम्पनी के जो मैंने भुगते हैं। विडम्बना की बात यह भी है की बजाज बीमा कम्पनी ने जो पॉलिसी के पूर्व बॉडी चैकअप किये जब उसकी रिपोर्ट मांगी तब उन्होंने किसी अन्य की रिपोर्ट पेश कर दी जिसपर भी लोक अदालत ने संज्ञान नहीं लिया। मेरा सरकार से अनुरोध है की मेडिक्लेम पॉलिसी में कम्पनी द्वारा किये चैकअप रिपोर्ट की एक कॉपी बीमाकर्ता को अवश्य दी जानी चाहिये जो अभी तक दी नहीं जाती है। लोक अदालत में इंसाफ की कमी है उसे दूर किया जाना चाहिये। मेरे साथ इंसाफ नहीं हुआ, मिलना चाहिए। सरकारी LIC में एजेंट द्वारा फर्जी स्टेटमेंट की जबाबदेही निर्धारित होनी चाहिये। सुनील जैन राना

रविवार, 19 मार्च 2023

फ्री की बंदरबांट

*सर्वोच्च न्यायापालिका Supreme Court* से विनम्र निवेदन कि वह इसका संज्ञान ले *तुम हमें वोट दो; हम तुम्हें-* ... लैपटॉप देंगे .. ....साईकिल देंगे ...स्कूटी देंगे .. ... हराम की बिजली व पानी मुफ़्त में देंगे .. .... लोन माफ कर देंगे ..कर्जा डकार जाना, माफ कर देंगे ... ये देंगे .. वो देंगे ... वगैरह, वगैरह। *क्या ये खुल्लम खुल्ला रिश्वत नहीं?* *क्या इससे चुनाव प्रक्रिया बाधित नहीं हो रही !!* *क्या इन सब प्रलोभनों से चुनाव निष्पक्ष होंगे?* *कोई चुनाव आयोग है भी कि नहीं इस देश में !* *आयोग की कोई गाइडलाइंस है भी या नहीं?* *वोट के लिए क्या आप कुछ भी प्रलोभन दे सकते हैं?* ये जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है इसकी *जवाबदेही* होनी चाहिये, रोकिए ये सब .. वर्ना *बन्द कीजिये ये चुनाव के नाटक .. और मतदान ।* *हम मध्यमवर्गीय तंग आ गए हैं, क्या हम इन सबके लिए भर-भर कर टैक्स चुकाते रहें?* डिफाल्टर की कर्जमाफी... फोकट की स्कूटी... हराम की बिजली... हराम का घर... दो रुपये किलो गेंहू... एक रुपया किलो चावल... चार से छह रुपये किलो दाल... और कितना चूसोगे टेक्स दाताओं को? क्योंकि! वे तुम्हारे आका हैं! थोकिया वोट बैंक हैं, इसलिए फोकट खाना, घर, बिजली, कर्जा माफी दिए जा रहे हैं, बाकी लोग किस बात की सजा भोगें ? जबकि होना ये चाहिये कि हमारे टैक्स से सर्वजनहिताय काम हों, देश के विकास का काम हों, रेल मार्ग, सड़कें, पुल दुरुस्त हों, रोजगारोन्मुखी कल कारखानें हों, विकास की खेती लहलहाती हो, तो सबको टैक्स चुकाना अच्छा लगता.. । लेकिन आप तो देश के एक बहुत बड़े भाग को शाश्वत गरीब ही बनाए रखना चाहते हो। उसके लिए रोजगार सृजन के अनूकूल परिस्थिति बनाने की बजाए आप तथाकथित सोशल वेलफेयर की खैराती योजनाओं के माध्यम से अपना अक्षुण्ण वोट बैंक स्थापित कर रहे हो।उन्हें निकम्मा नाकारा, और हरामख़ोर बना रहे हो। *चुनाव आयोग एवं सर्वोच्च न्यायालय से निवेदन हैं कि कर्मशील देश के बाशिन्दों को तुरंत कानून लाकर कुछ भी फ्री देने पर बंदिश लगाई जाए ताकि देश के नागरिक निकम्मे व निठल्ले न बने।* *_जनता को सिर्फ न्याय,शिक्षा व चिकित्सा के अलावा और कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलनी चाहिए। तभी देश का विकास संभव है।_* *एक टैक्सपेयर का दर्द..* ✍ *देशहित के लिए हर एक को भेजें* 🙏 *जय हिंद* 🙏🇮🇳 _कृपया सम्पूर्ण भारत मे व्हाट्सएप के माध्यम से हर ग्रुप में इसको भेजे। जिससे यह बात चुनाव आयोग के कानों तक पहुँचे।_ साभार

शनिवार, 18 मार्च 2023

पुरानी यादेँ

,,,,क्या आप भी बचपन मे नाना- नानी, मामा-मामी, दादा -दादी या चाचा-चाची के परिवार के साथ गर्मियों की छूटियो में छत पर पानी छिड़कर खाट पर या छत पर दरी - बिस्तर बिछा कर सोये हो,,,, तब घर में बिजली केवल पीले से चमकने वाले 0, 40, 60 और 100 वॉट के पीतल की टोपी वाले फिलामेंट बल्ब के लिए होती थी। पंखे अमीरों के घर में ही होते थे बहुत ही यादगार दिन थे वे कभी न भूलने वाले तब सभी के छत लगभग एक ऊँचाई के थें। एक नियम होता था। पहले बालटी मे पानी भरकर दो तल्ले पर छत पर पानी का छिड़काव।💦 नीचे से बिस्तर छत पर पहुँचाना । उसे बिछाना ताकि बिस्तर ठंडा हो जाए। खाने के बाद, पानी की छोटी सुराही और गिलास भी छत पर ले जाना। कभी कभी रेडियो पर आकाशवाणी पर हवा-महल का प्रोग्राम सुनते थे या पुराने गीतमाला के पुराने गाने। लेट कर आसमान देखना, तारे गिनना, उनके झुंड के आकार बनाना,छत पर लेटे लेटे ही हमने सप्तऋषि मंडल ,ध्रुव तारा और असंख्य तारों को देखा और समझा आते-जाते हवाई जहाज को देखना । सुबह सुरज के साथ उठना पड़ता था। गरमियों मे सुबह-सुबह कोयल की कूक , चिड़ियों का चहचहाना , मोर की आवाज़ या मुर्गे की आवाज़ भी सुनने को मिलती थी। फिर बिस्तर समेट कर छत से नीचे लाना। सुराही भी। पहले किसी की छत पर कोई लेटा हो , खासकर महिला, तो दुसरे छत के लोग स्वंय हट जाते थे। यह एक अनकहा शिष्टाचार था। रात में अचानक आंधी या बारिश आने पर पड़ोस के घर की पक्की सीढ़ियों से उतर कर नीचे आते थे क्योंकि अपने पास बांस की कुछ छोटी पुरानी ढुलमुल 10' फीट की सीढ़ी थी जिसका कभी भी गिरने डर रहता था और 14' फीट की ऊंची छत पर उतरने चढ़ने के लिए छत की मुंडेर को पकड़ कर लटक कर चढ़ना और उतरना होता था। रात में पड़ी हल्की ठंड और ओस के कारण कपड़े बिस्तर सील जाते थे।😝 उस समय इतने मच्छर नहीं होते थे जो छत पर सोने में बाधा उत्पन्न करते । अब आसपास ऊँचे घर बन गए। आसपास और हम , दोनो बदल गए हैं।😥😥 जब से हर घर मे AC, फ्रिज, कूलर और हर कमरे में पंखे आ गए है तब से ये सुनहरा दौर गायब हो गया हैं,,, भौतिक युग,लाया सुविधा,दे रहा दुख।

विदेशों में काला धन

विदेशों से धन आता-जाता कैसे है? आज की सम्पादकीय में कुछ ऐसे ज्वलंत सवाल हैं जो देश के लिये हानिकारक साबित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा अहम सवाल तो यह है की विदेशों से धन आता कैसे है और विदेशों में धन जाता कैसे है? आम आदमी और नेताओं, कॉरपोरेट के बैंकिंग नियम अलग होते हैं क्या? क्या विदेशों से लेनदेन करने वालो के इनकमटैक्स के केस नहीं होते हैं क्या? कश्मीर में आतंकी फंडिंग कैसे हो जाती है? लालू- तेजश्वी जैसे परिवार जो कुछ दशक पहले बहुत गरीब थे, जिनका आज भी कोई करोबार नहीं है लेकिन परिवार के सभी सदस्य करोड़ो पति कैसे बन गए? बहुत दुर्भाग्यपूर्ण सवाल हैं ये सब। इनके जैसे अनेको सवाल ऐसे हैं जिनका जबाब मिलना चाहिए। देश मे जब सभी लेनदेन बैंकों के द्वारा होता है और बैंक बिना आधारकार्ड, पैनकार्ड के 50 हज़ार से ज्यादा का लेनदेन नहीं करते तब ऐसे बड़े फ़र्ज़ी लेनदेन कैसे हो जाते हैं। काला धन विदेशों में जायेगा तो बैंक के जरिये, काला धन विदेशों से आयेगा तो भी बैंक के जरिये। ऐसे में बैंकों पर ऐसा अंकुश क्यों नहीं है जिससे संदिग्ध लेनदेन रोका जा सके। यदि ऐसा अंकुश है तो फिर बड़े स्तर पे काला धन कैसे आ जा रहा है? भृष्टाचारियों के भी इनकमटैक्स के केस तो होते ही होंगे। इनके सीए भी होते होंगे। तो फिर कैसे इनके खातों में करोड़ो रूपये विदेशों से आ जाते हैं या चले जाते हैं? इनके खातों को चैक करने का क्या पैमाना होता है? आम आदमी के खाते में एक लाख रुपया भी आ जाये रो उसे बताना पड़ता है की कहाँ से आया? लेकिन छोटे-बड़े ngo के खातों में करोड़ो रूपये आ जाते हैं तो क्या उनसे पूछताछ नहीं होती? देश में आतंकी फंडिंग कैसे हो रही है? ऐसे अनेको ज्वलन्त सवाल जिनका जबाब जनता को चाहिये। जब एक आम आदमी के बैंकिंग व्यवहार के लिये सभी नियम-कानून हैं तो ऐसे बड़े धन के लेनदेन में नियम-कानून बदल जाते हैं क्या? या बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो जाता है। सुनील जैन राना

शनिवार, 11 मार्च 2023

पुरानी पीढ़ी की बातें

फ्री होकर प्यार से पढना आनंद आयेगा 👇 उल्टी यात्रा 2021 से 1970 के दशक अर्थात बचपन की तरफ़ जो 50 को पार कर गये हैं या करीब हैं उनके लिए यह खास है🙏🏻🙏🏻🙏🏻 मेरा मानना है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है हमारे बाद की किसी पीढ़ी को "शायद ही " इतने बदलाव देख पाना संभव हो 🤔🤔🤔 # हम_वो आखिरी_पीढ़ी_हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखे हैं। बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और "वर्चुअल मीटिंग जैसी" असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को सम्भव होते हुए देखा है। 🙏🏻 *हम वो पीढ़ी हैं* 🇳🇪 जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं हैं। ज़मीन पर बैठकर खाना खाया है। प्लेट में डाल डाल कर चाय पी है। 🙏 हम 🇳🇪 वो " लोग " हैं ? जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे जैसे खेल , खेले हैं । 🙏हम आखरी पीढ़ी 🇳🇪 के वो लोग हैं ? जिन्होंने चांदनी रात में डीबरी, लालटेन या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और दिन के उजाले में चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं। 🙏हम वही 🇳🇪 पीढ़ी के लोग हैं ? जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है। 🙏हम उसी 🇳🇪 आखरी पीढ़ी के लोग हैं ? जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है। 🙏हम वो 🇳🇪 आखरी लोग हैं ? जो अक्सर अपने छोटे बालों में सरसों का ज्यादा तेल लगा कर स्कूल और शादियों में जाया करते थे। 🙏हम वो आखरी पीढ़ी 🇳🇪 के लोग हैं ? जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी किताबें, कपडे और हाथ काले-नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती धोई है। 🙏हम वो आखरी 🇳🇪 लोग हैं ? जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है। 🙏हम वो 🇳🇪 आखरी लोग हैं ? जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर नुक्कड़ से भाग कर घर आ जाया करते थे। और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे। 🙏 हम वो 🇳🇪 आखरी लोग हैं ? जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया है! 🙏हम वो 🇳🇪 आखरी लोग हैं जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं। 🙏हम निश्चित ही वो 🇳🇪 लोग हैं *जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम पूरी शिद्दत से सुने हैं।* 🙏हम वो 🇳🇪 आखरी लोग हैं *जब हम सब शाम होते ही छत पर पानी का छिड़काव किया करते थे।* उसके बाद सफ़ेद चादरें बिछा कर सोते थे। *एक स्टैंड वाला पंखा सब को हवा के लिए हुआ करता था।* *सुबह सूरज निकलने के बाद भी ढीठ बने सोते रहते थे।* *वो सब दौर बीत गया। चादरें अब नहीं बिछा करतीं।* *डब्बों जैसे कमरों में कूलर, एसी के सामने रात होती है, दिन गुज़रते हैं।* 🙏हम वो 🇳🇪 आखरी पीढ़ी के लोग हैं *जिन्होने वो खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं,* *जो लगातार कम होते चले गए।* *अब तो लोग जितना पढ़ लिख रहे हैं, उतना ही खुदगर्ज़ी, बेमुरव्वती, अनिश्चितता, अकेलेपन, व निराशा में खोते जा रहे हैं।* और 🙏हम वो 🇳🇪 खुशनसीब लोग हैं जिन्होंने रिश्तों की मिठास महसूस की है...!! 🙏 *और हम इस दुनियाँ के वो लोग भी हैं जिन्होंने एक ऐसा "अविश्वसनीय सा" लगने वाला नजारा देखा है।* *आज के इस करोना काल में परिवारिक रिश्तेदारों (बहुत से पति-पत्नी , बाप - बेटा ,भाई - बहन आदि ) को एक दूसरे को छूने से डरते हुए भी देखा है।* 🙏 *पारिवारिक रिश्तेदारों की तो बात ही क्या करे खुद आदमी को अपने ही हाथ से अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते हुए भी देखा है।* 🙏 *" अर्थी " को बिना चार कंधों के श्मशान घाट पर जाते हुए भी देखा है।* *"पार्थिव शरीर" को दूर से ही "अग्नि दाग" लगाते हुए भी देखा है।*🙏 🙏हम आज के 🇳🇪 भारत की *एकमात्र वह पीढी हैं जिसने अपने " माँ-बाप "की बात भी मानी और " बच्चों " की भी मान रहे है।* 🙏 *शादी में (buffet) खाने में वो आनंद नहीं जो पंगत में आता था जैसे....* *सब्जी देने वाले को गाइड करना, *हिला के दे या तरी तरी देना!* .👉 *उँगलियों के इशारे से 2 लड्डू और गुलाब जामुन, काजू कतली लेना* .👉 *पूडी छाँट छाँट के और गरम गरम लेना !* 👉 *पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया, अपने इधर क्या बाकी है और जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना* .👉 पास वाले रिश्तेदार के पत्तल में जबरदस्ती पूडी 🍪 रखवाना ! .👉 *रायते वाले को दूर से आता देखकर फटाफट रायते का दोना पीना ।* .👉 *पहले वाली पंगत कितनी देर में उठेगी उसके हिसाब से बैठने की पोजीशन बनाना।* .👉 और आखिर में पानी वाले को खोजना। 😊

कामयाबी की ओर

भाईयो लो कल्लो अपना खून गरम। जम कर मोदी को गाली दो। दुनियाँ के 25 सबसे ताकतवर देशों की हुई लिस्ट जारी ,,, भारत आया नम्बर 3 पर, हम से आगे अमेरिका, रूस हैं l ये है मोदी युग ,,,* 🔺 दूसरी उपलब्धि* ,,, 1.4- 1.5 लाख करोड़ के पार पहुँचा GST का मासिक टैक्स कलेक्शन ,,,,, ये है ! एक चाय वाले का अर्थशास्त्र ,,,* 🔺 तीसरी उपलब्धि* ,,, नए सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने में , अमेरिका और जापान को पीछे छोड़ , भारत पहुँचा दूसरे स्थान पर ,,,,* 🔺 चौथी उपलब्धि* ,,,,, 2017-18 में दो गुना हुआ , सौर ऊर्जा का उत्पादन ,,,, चीन और अमेरिका भी दंग हैं ,,, * 🔺 पाँचवी उपलब्धि* ,,, भारत की आसमान छू रही , GDP को देखकर ,,, भारत की GDP 8.2% , चीन की 6.7% और अमेरिका की 4.2% ! अब भी कहेंगे , भारतीय की मोदी विदेश क्यों जाते हैं,,,* 🔺 छठी उपलब्धि* ,,, जल , थल और आकाश ; तीनों क्षेत्रों से सुपरसोनिक मिसाइल दागने वाला , दुनियाँ का पहला देश बना भारत ,,, ये है मोदी युग ,,, अगर आपको गर्व हुआ हो , तो जय हिन्द लिखना न भूलें ,,,,* 🔺 सातवीं उपलब्धि* ,,,, 70 सालों में पाकिस्तान को कभी गरीब नहीं देखा ,, लेकिन मोदी जी के आते ही पाकिस्तान कंगाल हो गया ,,, दरअसल पाकिस्तान की कमाई का जरिया , भारतीय नकली नोटों का व्यापार था ,,,, जिसे मोदी जी ने खत्म कर दिया ,,,* 🔺 आठवीं उपलब्धि* को भी पढ़ें ,,,,,, एक बात समझ में नहीं आयी ,,, 2014 में कांग्रेसी रक्षामंत्री ऐ. के. एंटोनी ने कहा था , देश कंगाल है , हम राफेल तो क्या , छोटा जेट भी नहीं ले सकते ,,,, पर मोदीजी ने ईरान का कर्ज भी चुका दिया ,,, राफेल डील भी करली ,,, S - 400 भी ले रहे हैं ! आखिर कांग्रेस के समय देश का पैसा कहाँ जाता था ,,, ❓* 🔺 नवीं उपलब्धि* ,,, सेना को मिला बुलेटप्रूफ स्कार्पियो का सुरक्षा कवच ,,, जम्मू कश्मीर में मिली सेना को 2500 बुलेटप्रूफ स्कार्पियो ,,,* 🔺 दसवीं उपलब्धि* ,,, अब आपको बताता हूँ , भारत का इन 4 सालों में विकास क्या हुआ ,,,अर्थ व्यवस्था में फ्रांस को पीछे धकेल नम्बर 6 बना ,,,* 🔺 ग्यारहवीं उपलब्धि* ,,, ऑटो मार्केट में जर्मनी को पीछे छोड़ नम्बर 4 बना ,,,* 🔺 बारहवीं उपलब्धि* ,,,, बिजली उत्पादन में रूस को पीछे छोड़ नम्बर 3 बना ,,,* 🔺 तेरहवीं उपलब्धि* ,,, टेक्सटाइल उत्पादन में इटली को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना ,,,* 🔺 चोदहवीं उपलब्धि* ,,, मोबाइल उत्पादन में वियतनाम को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना,,, * 🔺 पंद्रहवी उपलब्धि* ,,, स्टील उत्पादन में जापान को पीछे छोड़ नम्बर 2 बना ,,,* 🔺 सोलहवीं उपलब्धि* ,,, चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ नम्बर 1 बना ,,,* 🔺 सतरहवीं उपलब्धि* ,,, हमेशा सोए रहने वाले हिंदूओं में *राष्ट्रवाद* जगा दिया , पूरी दुनियां के सवा सौ करोड़ हिंदुओं का एक भी राष्ट्र नहीं है ! मैं इस काम को सबसे महत्वपूर्ण मानता हूँ आतंकियों का सफाया ,,,8 महीनों में 230 आतंकियों को 72 हूरों के पास जहन्नुम में पहुंचाया❗ कृपया करके :-- 2 minute का समय निकाल कर इसे देश हित में जरूर शेयर करें विशेष रूप से मोदी जी से अविश्वास करने वाले लोगों को 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

शुक्रवार, 10 मार्च 2023

चीन से आयात

चीन से आयात पर गुणवत्ता की जांच आज़ादी के बाद से ही चीन और पाकिस्तान से भारत के सम्बंध अच्छे नहीं रहे। पाकिस्तान तो बना ही था नफ़रत की बुनियाद पर लेकिन चीन ने भी मौके का फायदा उठाने में चूक नहीं की। चीन ने पिछले 25 सालों में बेहताशा तरक्की की है। प्रत्येक क्षेत्र में चीन दुनिया को पछाड़ता आगे निकल रहा है। अपनी कारीगरी और सस्ते उत्पादों से आज चीन दुनिया भर की जरूरत बन गया है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। पिछले तीन दशक से भारत मे चीनी उत्पादों के आयात की जाने वाली वस्तुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है। जिसके कारण भारत की औद्योगिक निर्माण क्षमता भी प्रभावित हुई है। पिछले 9 साल से मोदी सरकार के बाद इस स्थिती में परिवर्तन हुआ है। डिफैंस से लेकर अनेको क्षेत्र में चीन पर से निर्भरता कम की गई है। देशों के बीच व्यापार समझौते के कारण पूर्णतः आयात- निर्यात बन्द तो नहीं किया जा सकता लेकिन कम किया गया है लेकिन कुछ क्षेत्र अभी भी ऐसे हैं जिनके कारण भारत की निर्भरता आज भी चीन पर ही है आज़ादी के बाद पिछले 50 सालों में यदि देश मे मोदी सरकार की तरह मेक इन इंडिया को महत्ता देकर उद्योग धंधों को प्राथमिकता दी होती तो आज देश विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा मिलता। पिछले 9 सालों में ही प्रत्येक क्षेत्र में विकास के भरपूर कार्य हो रहे हैं। चीन से आयात कम करने को एवं घरेलू मेन्युफैक्चरिग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चीन से आयात होने वाली 2000 वस्तुओं को गुणवत्ता नियंत्रण में लाने का प्रावधान किया है। इससे यह फायदा होगा की चीन का सस्ता गुणवत्ता रहित सामान पर रोक लगेगी और यही सामान भारत मे बनकर तैयार किया जायेगा। जिससे भारत के उद्योगों को रफ्तार मिलेगी। काश ऐसा कदम आज़ादी के बाद से ही उठाया गया होता तो आज का भारत बहुत आगे निकल गया होता। सुनील जैन राना

रविवार, 5 मार्च 2023

दुर्लभ संयोग

अजब-गजब संयोग श्री मनमोहन सिंह का जन्मदिन*26 सितंबर को होता है,और 26 सितंबर को ही, *अंतरराष्ट्रीय गूंगा-बहरा दिवस* होता है. सोनियाजी का जन्मदिन 09 दिसंबर को होता है और संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 दिसंबर को *अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस* घोषित किया हुआ है..!! *18 दिसंबर 1970 को मेरा नाम जोकर फ़िल्म रिलीज हुई, औऱ18 दिसम्बर 1970 को,राहुल गांधी का जन्म हुआ* *17 सितंबर सृष्टि निर्माता भगवान विश्वकर्मा जयंती होती है और 17 सितंबर को ही हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्म दिवस है* ..!! *अति दुर्लभ संयोग.* साभार होली पर हार्दिक शुभकामनाएं।

राहुल गांधी खुद पर भारी

राहुल गांधी की आलोचनात्मक सोच कांग्रेस के आका राहुल गांधी की देश के प्रति, बीजेपी- आरएसएस के प्रति सदैव आलोचनात्मक सोच रही है। जबकि राहुल गांधी कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि आका है उन्हें अच्छे को अच्छा, बुरे को बुरा कहना चाहिये लेकिन मोदीजी में उन्हें सिर्फ बुराई दिखाई देती है अच्छाई दिखाई नहीं देती। उनकी इस सोच का असर यह हो रहा है की अब उनकी बात को कोई सीरियसली नहीं लेता। अभी हाल ही में ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में राहुल गांधी ने अपने वक्तव्य में मोदी सरकार के कारण भारतीय लोकतंत्र खतरे में है ऐसा बयान दिया है। साथ ही पेगासस मामले पर उन्होंने कहा की उनका फोन टेप किया जा रहा था यह बात खुद खुफिया अधिकारी ने उन्हें बताई। कितनी हास्यापद और गिरावट की बात उन्होंने विदेश की धरती पर कही। दरअसल हताश-निराश राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस का पतन होता चला गया। इसका कारण जेएनयू में टुकड़े गैंग का समर्थन, कश्मीर में धारा 370 का विरोध, CAA, NRC का विरोध, सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध,अग्निवीर का विरोध, खलिस्तानियों पर चुप्पी, दिल्ली दंगे और शाहीन बाग पर मौन, अडानी का विरोध, जबकि कांग्रेस के समय से ही अडानी को अनेक बड़े प्रोजेक्ट दिये गये। ये सभी कारण राहुल गांधी के पतन के कारण बन गये। राहुल गांधी अच्छे वक्ता भी नहीं हैं। आलू से सोना, आटा लीटर में, गांधी जी का सत्ता ग्रह, पांडवो के समय GST, जैसे वक्तव्य उनका मजाक ही उड़ाते हैं। चीन से खुद की दोस्ती, चीन से राजीव गांधी फाउंडेशन में चंदा लेना देश हित की बात नहीं है। इल्जाम मोदी सरकार पर लगाना ठीक नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा में देश विरोधी तत्वों की मौजूदगी, कश्मीर में हर जगह तिरंगा ही तिरंगा कहना उन पर ही भारी पड़ता है। कश्मीर में कांग्रेस के समय तिरंगा फहराना जान जोखिम में डालना होता था आज मोदीजी- अमितशाह के कारण कश्मीर में तिरंगा ही तिरंगा दिखाई दे रहा है। भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को क्या फायदा हुआ यह तो पता नहीं लेकिन एक के बाद एक चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना ही करना पड़ रहा है। एक विद्द्वान राजनीतिज्ञ की तरह राहुल गांधी को सिर्फ आलोचना छोड़कर देश के लिये कुछ अच्छी सोच, योजनाएं बनाकर जनता के सामने पेश करनी चाहिये। तभी कांग्रेस आगे बढ़ सकती है। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 3 मार्च 2023

रहन-सहन बदलें

किन ग़लतियों से टूट रहे हैं जवान दिल; क्यों हो रहें है उनको हार्ट अटैक? इन दिनों में समाज में कितने ही ऐसे केस हुए जिनमें एक फिट जवान व्यक्ति की आकस्मिक हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। क्योंकि इनमें से कई कम उम्र के आदर्श डॉक्टर भी हैं, समाज में एक भय व्याप्त है। कुछ लोग अब व्यायाम करने में भी हिचकिचा रहे हैं। कुछ लोग इसको कोविड या उसकी वैक्सीन का दूरगामी परिणाम मान लेते हैं। हर कोई ये जानना चाहता है की मैं कुछ ग़लतियाँ तो नहीं कर रहा? सर्वप्रथम - हार्ट अटैक से बचाव के लिए आदर्श जीवन शैली (जिसमें अच्छा आहार और व्यायाम समाहित है) किसी भी अन्य चिकित्सक विद्या से अधिक प्रामाणिक और असरदार है। दुनिया भर में असंख्य स्टडीज़ में ऐसा बहुत डेटा है के एक स्वस्थ जीवनशैली आपको हार्ट अटैक और आकस्मिक मृत्यु से बचाती है। फिर प्रश्न ये है की ग़लतियाँ कहाँ हो रही हैं? - [ ] गलती १) उम्र के साथ अपने स्पोर्ट्स/ व्यायाम में बदलाव ना करना - जैसे जैसे उम्र बड़ती है स्पोर्ट्स के तीव्रता और निरंतरता में कुछ बदलाव ज़रूरी है। आप कितने भी फिट हूँ आपके शरीर के सब अंगों की जैविक उम्र होती है। कभी आकस्मिक शारीरिक/ मानसिक स्ट्रेस को ये शरीरिक प्रणाली अभ्यस्त नहीं हो पाती। - [ ] *गलती 2) लक्षणों को न पहचानना/उपेक्षा करना। बेचैनी/दर्द/सांस लेने में तकलीफ के पहले लक्षण दिखाई देने पर आपको गतिविधि बंद कर देनी चाहिए और चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए... कभी-कभी साथियों के दबाव के कारण खेल जारी रहता है। हार्ट अटैक में.... ये कुछ मिनट जीवन रक्षक हो सकते हैं। - [ ] गलती ३) उम्र संगत जाँचे/ परीक्षण ना करना। कभी कभी स्पोर्ट्स मन को ये ग़लतफ़हमी होती है की मेरी शारीरिक क्षमता अच्छी है। ये डेटा है की १/३ लोगों में बीमारी मूक होती है और लक्षण उत्पन्न नहीं होते। - [ ] गलती ४) अपने नंबर्स ना जानना - आपकी उम्र के अनुसार आपका एक अनुकूल ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, शुगर इत्यादि की गणना होती है जो आपको पता होनी चाहिए। कभी-कभी, डॉक्टर भी लिपोप्रोटीन (ए) या होमोसिस्टीन जैसे नए जोखिम वाले कारकों के लिए परीक्षण करने की उपेक्षा करते हैं। इन परीक्षणों व आपकी रिस्क के अनुसार आपकी टीएमटी या कोरोनरी कैल्शियम स्कोरिंग भी की जा सकती है। - [ ] गलती ५) स्पोर्ट्स को काम की तरह लेना। स्पोर्ट्स के सेहत संबंधी फ़ायदों में इससे मिलने वाली ख़ुशी एवं उत्साह भी शामिल है। कई लोग रनिंग या जिम को एक अनावश्यक पीड़ा बना लेते हैं। कुछ लोग स्पोर्ट्स/ क्रीड़ा को फटाफट निपटा कर काम पर जाने की जल्दी में होते हैं। अगर आप मानसिक रूप से बेचैन हैं तो स्पोर्ट्स के पूर्ण लाभ से वंचित हैं। - [ ] गलती ६) फिटनेस के लिए नींद से समझौता करना। आज के व्यस्त माहौल में ग्रस्त व्यक्ति अपनी प्रतिबद्धता या देखादेखी में व्यायाम का समय अपनी नींद के समय में से निकालने का प्रयास करता है। एक संपूर्ण, समुचित नींद आपके शरीर और मस्तिष्क को विराम देने के लिए आवश्यक है। नींद की कमी से ना केवल फिटनेस बिगड़ती है अपितु शरीर में स्ट्रेस हार्मोन्स भी ज़्यादा संचारित होते हैं। - [ ] गलती ७) अपने शरीर की क्षमता के विपरीत व्यायाम। कई लोग अपने जीवन के पाँचवे दशक में अनायास ही एकदम से मैराथन रनर या प्रतिस्पर्धात्मक स्पोर्ट्स के लिए तत्पर हो जाते हैं। ऐसे में उनकी शारीरिक प्रणालियाँ इस के अनुकूल बदल नहीं पातीं। बड़ती उम्र में कोई भी नयी स्पोर्ट्स गतिविधि आहिस्ता और यथा-क्रम ही होनी चाहिए। - [ ] गलती ८) अपनी डाइट को उम्र के अनुरूप ना ढालना। सुबह की सैर के बाद कचौड़ी/ जलेबी की दुकान पर भीड़ सर्वज्ञात है। हमें अपने भोजन में शुगर और वसा के रूप में छुपे रोग को पहचाना ही होगा। २८-३० की उम्र के बाद जो भी आपका वजन बड़ा है वो अनावश्यक विस्सरल वसा है जो बीमारी का कारण है। - [ ] गलती ९) अपने स्ट्रेस फ़ैक्टर्स को ना पहचाना। कैरियर की रैट-रेस में लगे हम सब ये भूल जाते हैं की ये अनंत रेस जीत भी गये तो जीवन तो चूहे का ही रहा। हम अपने परिवार/ शौक़/ सेहत को अपने कैरियर गोल के लिए नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। शायद ही किसी व्यक्ति के पास अपने जीवन का कोई रिटायरमेंट प्लान है। …. आपके स्वस्थ हृदय के लिए शुभकामना … डॉ साकेत गोयल हृदय रोग विशेषज्ञ

गुरुवार, 2 मार्च 2023

नोटबन्दी, पाकिस्तान कंगाल

नोट छपाई का कारोबार *वो भी क्या जमाना था जब पाकिस्तान इमरजेंसी में 500-500 के भारतीय नोट छाप कर समस्या से बच जाता था।* चाहे जितने नोट छापो, दिन रात छापो उनमे से आधे भारत बिजवा दो आधे खुद मार्केट में खपा दो। *नोट भी ऐसे ऐसे जो RBI न पहचान पाई, असली नोट में कमियां निकल आती थी, लेकिन पाकिस्तान के बने 500 के नोट में मजाल गलती से भी कोई कमी हो।* 🤔 पाकिस्तान के कुछ मुहल्लों में तो लाइन से भारत के 500-1000 के नोट छापने वाली मशीन लग गयी थी, इनमें नोट भले लो क्वालिटी के हो पर असली की गड्डी में लगा कर आराम से चल जाते थे। ये नोट ऐसे होते थे कि किसी को पता हो नकली है तो भी वो सस्ते में लेलेता था। हालात ऐसे की RBI नोट न छापे तो भी कमी नही होती थी, भारत की अर्थव्यवस्था को ब्लडी एनीमिया हो गया था, मानो लगातार लहू रिस रहा हो। फिर मोदी जी आये, और इनकी सरकार को 8 साल हो गए है, न वो नोट है, न वो मशीने, इंक भी बदल गई, पेमेंट डिजिटल। पाकिस्तान के हालात आप टीवी और यूट्यूब पर देख लो, कश्मीर मांगते मांगते कब रोटी मांगने लगा खुद उसे पता नही चला है। और कोई लुच्चा चमचा पूछे कि नोटबन्दी फेल हो गयी, तो ये पोस्ट उसके गाल पर मारे और फिर पूछे, क्या कहा? लगभग 6 वर्ष पूर्व भारत में demonetization हुआ था … इसके दो दिन के अन्दर भारत की जाली मुद्रा का सबसे बड़ा ट्रेडर जावेद खड़ानी ने कराची में आत्महत्या कर ली …. unconfirmed रिपोर्ट के अनुसार उसके पास भारत का लगभग 40000 करोड़ का माल था और वो सब कूड़ा हो गया यह … . पाकिस्तान में अरबों की सम्पत्ति खाक हो गई … पाकिस्तान में पड़ा अरबों का नकली रुपया बनाने का माल खाक हो गया … पाकिस्तान की ISI और छपाई उद्योग चलाने वाली पाकिस्तान आर्मी कंगाल हो गई … . भारत में हुए इस demonetisation के ठीक 6 वर्ष के अंदर पाकिस्तान आटे - दाल को तरस रहा है …… you can connect some dots here too … मतलब कि पाकिस्तान के इकॉनमी का major हिस्सा भारत की जाली मुद्रा थी … न वहाँ तब कोई उद्योग था .. न अब है .. नोटबंदी के फायदे..

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...