सोमवार, 30 मार्च 2020

ईजाद करते रहे परमाणु -लील गया सूक्ष्म जीवाणु https://suniljainrana.blogspot.com/
March 29, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
भौतिक युग में विनाश के कागार पर बैठा मानव पता नहीं कब और कैसे बन गया दानव। कुछ देश पूरी दुनिया पर राज करने , अपने आप को सबसे ताकतवर दिखाने को विध्वंसक-घातक-परमाणु-रासायनिक हथियारों को बनाने की होड़ में लग गए और एक दूसरे को मरने -मारने की धमकी देने लगे। कई बार ऐसा लगने लगा था जैसे तीसरा विश्वयुध्द जल्दी होने वाला है। लेकिन रखे रह गए सब परमाणु बम -मिसाइलें और लील गया एक जीवाणु। 
चीन की चतुराई और उसकी आधुनिकता की अंधी दौड़ ने विकास और विनाश की ऊंचाइयों को पार करते हुए कुदरत पर भी विजय पाने के मंसूबे पाल लिए और परमाणु के साथ -साथ जीवाणु पर भी अधिकार जमाना शुरू कर दिया।बस यहीं से प्रकृति से छेड़छाड़ सम्पूर्ण मानव जाति पर भारी पड़ने वाली बन गई। बताया जाता है की चीन ने लगभग १५० जीवाणुओं को कैद कर रखा है। उन्ही में से एक कोरोना नाम का जीवाणु कब कैसे बाहर निकलकर चीन के वुहान शहर में फ़ैल गया पता ही नहीं चला। किसी को नहीं पता की वुहान में कितने लोग मारे गए या मार दिए गए ?अब यह जीवाणु विश्व के लगभग २०० देशों में फ़ैल गया है। अमेरिका -बिट्रेन -इटली जैसे विकसित देशों में कोरोना ने तबाही मचा दी है। भारत में भी अभी दूसरी स्टेज तक फैला है। भारत सरकार इसके निवारण के उपायों में लगी है। 
ऐसा बताया जा रहा है की चीन ने पूरी दुनिया के साथ विश्वासघात किया है। कोरोना जीवाणु जानबूझकर बनाया और छोड़ा है। खुद इसका तोड़ निकालकर अब विकसित देशों को अपने दबाब में लेकर इसकी वैक्सीन एवं जरूरी संसाधन मनमाने दामों पर बेचेगा। अमेरिका जैसे बड़े देशों द्वारा ऐसे आरोप लगाने के अनेको कारण भी हैं। मुख्य कारण यह है की चीन के बड़े शहरों शंघाई -बीजिंग आदि पर इसका कोई असर नहीं पड़ा जो इससे एक हज़ार किलोमीटर से भी पास हैं जबकि न्यूयार्क -मिलान -इटली -बिट्रेन आदि देश इससे १० -१५ हज़ार किलोमीटर दूर हैं। इसका मतलब यही लगाया जा रहा है की विकसित देशों की अर्थव्यवस्था चौपट करने के लिए चीन द्वारा ऐसा घिनौना -विध्वंसक कार्य किया गया है ?
पिछले दो माह में ही कोरोना ने दुनिया भर में हा -हा कार मचा दिया है। अभी तक इसकी कोई दवा -वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है। जब विकसित देशों के ये हाल हैं तो १३० करोड़ की जनता वाले भारत में यदि समय रहते इसपर अंकुश नहीं लग पाया तो बहुत भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में हम सभी को सरकारी निर्देशों का पालन एवं बचाव के घरेलू उपायों को अनिवार्य रूप से करना ही चाहिए।   * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 26 मार्च 2020

कोरोना -गरीबों में अनाज बटे,सड़े ना? http://suniljainrana.blogspot.com/
March 26, 2020 • सुनील जैन राना • लापरवाही
कोरोना वायरस की महामारी से भारत देश भी चपेट में आता जा रहा है। देश के अधिकांश राज्यों -जिलों में लोक डाउन एवं कर्फ़्यू लगा दिया गया है। ऐसे में रोज कमाकर खाने वाला गरीब परेशानी में आ गया है। नौकरीपेशा को तो सेलरी मिल जायेगी लेकिन दिहाड़ी मज़दूर का पेट कैसे भरेगा इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने ऐसे गरीबों को मुफ्त या बहुत कम कीमत पर अनाज उपलब्ध कराने को योजनाएं बनाकर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
*एक पंथ दो काज हो सकते हैं ऐसे में *मोदीजी के सूचनार्थ *प्रतिवर्ष हज़ारो टन अनाज खुले में  बारिश में भीग जाने से सड़ जाता है। अनाज की कुल खरीद के पर्याप्त भंडारण की पूर्ण व्यवस्था नहीं है। दशकों से प्रतिवर्ष करोड़ो -अरबों का अनाज खुले में रखने से भीग जाने पर बर्बाद हो रहा है। कुछ वीडियो ऐसी भी आती हैं जिनमें अनाज को जानबूझकर भिगोते दिखाया जाता है। अर्थात जानबूझकर अनाज भिगोया /सड़ाया जाता है फिर उसे शराब /बीयर माफिया को सस्ते दामों पर बेचा जाता है। कुछ जगह घटतौली और घटिया क्वालिटी को छुपाने को सुनियोजित तरीके से ऐसा किया जाता है। बहुत तगड़े माफ़िया हो सकते हैं ऐसे?इसकी भी गहन जांच होनी चाहिए।
रबी की फसल आने वाली है,भारतीय खाद्य निगम FCI के गोदाम पहले से ही भरे हुए हैं।सूत्र बताते हैं की नई खरीद को रखने की जगह भी नहीं है ऐसे में अनाज खुले में ही रखना पड़ेगा। हर साल हज़ारो करोड़ खर्च कर भी पर्याप्त गोदामों का न बनना आशंका ही दर्शाता है। मोदीजी की अनेको जनहितकारी योजनाओं में इस योजना पर भी भरपूर ध्यान देने की जरूरत है। भारत जैसे देश में अनाज के सड़ने देने से अच्छा है की गरीबों तक पहुंचाया जाए। कोरोना जैसी महामारी में कोई गरीब भूखा न रहे इसके लिए जरूरी है की ईमानदारी से गोदामों में ख़राब होने से पहले ही अनाज गरीबों तक पहंचाया जाए। 
ऐसा करने से एक पंथ दो काज होंगे। पुराना अनाज सड़ने/खराब होने से बचेगा एवं नए अनाज को रखने की जगह मिलेगी। सबसे अहम बात यह की कोई भूखा न सोये मेरे देश में ऐसी भावना हम सबकी भी होनी चाहिए। सबका साथ मिलेगा तभी सबका विकास सम्भव हो पायेगा। * सुनील जैन राना *

सोमवार, 23 मार्च 2020

पॉलिटिकल पेट्रोल * https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl
March 23, 2020 • सुनील जैन राना • https://politicalpetrol.page/
आज सोमवार २३ मार्च  को कोरोना लॉक डाउन के कारण समाचार पत्र समय से उपलब्ध नहीं हो पाया है। ज्योँ ही सुहलियत मिलेगी प्रकाशित किया जायेगा। वैसे सहारनपुर -२४७००१ (उत्तर प्रदेश )भारत में कल २२ मार्च २०२० को मोदीजी द्वारा घोषित जनता कर्फ़्यू पूर्णतः सफल रहा। सायं पांच बजे नगर के अधिकांश क्षेत्रों में जनता द्वारा कोरोना से बचाव में लगे सभी डॉक्टरों ,पुलिसकर्मियों ,सेना के जवानों ,प्रशाशन के अधिकारियों ,नागरिक संगठनों ,पत्रकार बंधुओ के साहस -जज़्बे को सलाम करते हुए तमाम जनता ने करतल ध्वनि -धार्मिक ध्वनि -बर्तन ध्वनि कर उन सबका अभिनंदन किया।
भारत में कोरोना दूसरे स्टेज से आगे न बढ़े इसके लिये सरकारी -गैर सरकारी स्तर पर हम सभी को सहयोग करना ही चाहिये। बताया जाता है की कोरोना की तीसरी स्टेज और उसके बाद की स्तिथी बहुत भयावह है। चीन -इटली जैसे विकसित देशों में भी इसके बचाव के सभी साधन नाकाफ़ी रहे हैं। भारत में कोरोना इससे ज्यादा न फैले इसके लिये सावधानी में ही सुरक्षा है।
सावधानी हटी -दुर्घटना घटी यह कहावत हकीकत में न बदले इसके लिए हम सभी को कोरोना से बचाव के सभी उपाय करते हुए घरों में ही रहना चाहिए। कोरोना का कर्मचक्र को तोड़ने का सबसे कारगर यही उपाय है की इसको आगे फैलने से रोका जाए। सरकारी अनुदेशों का पालन करते हुए आपस में भी सहयोग करें। *सुनील जैन राना *

गुरुवार, 19 मार्च 2020

कोरोना -सेनेटाइजर घर बनाओ -संग्रह करो ना * http://suniljainrana.blogspot.com/
March 19, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
चीन के बुहान से विश्व के १५० से अधिक देशों में फ़ैल रहा कोरोना वायरस अब महामारी का रूप लेता जा रहा है। भारत में भी अभी दूसरी स्टेज पर पाया जाने वाला कोरोना वायरस यदि सावधानी न रखी तो इसकी अगली स्टेज बहुत भयानक हो सकती है यानि की सावधानी हटी -दुर्घटना घटी। 
प्रधानमंत्री मोदीजी ने आज राष्ट्र के नाम संदेश में कोरोना वायरस से बचने को बहुत सावधानी रखने का विशेष उल्लेख किया है। मोदीजी ने कहा है की हम इसे हल्के में मत लें। यदि हमने समय रहते सावधनी -स्वछता -सुरक्षा में लापरवाही की तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। मोदीजी ने जनता से रविवार २२ मार्च को जनता कर्फ़्यू  की मांग की है यानि रविवार को हम पिकनिक मनाने की बजाय घर पर ही रहें। बाकि दिनों में भी जरूरी कार्यो के लिए ही बाहर निकलें। खाने -पीने के सामान का जरूरत से ज्यादा संग्रह मत करें। गरीबों की सहायता करें। 
बाज़ारो में सेनेटाइजर मिल नहीं रहे हैं ऐसे में जानकारों ने घर पर ही सस्ते -अच्छे सेनेटाइजर बनाने की विधियां बताई हैं। एक लीटर स्प्रिट में २०० ml ग्लिसरीन एक ढक्क्न डिटॉल मिलाकर शीशी में भरकर रख लें ,बन गया अच्छा सेनेटाइजर। एक लीटर पानी में १०० ग्राम फिटकरी पाऊडर एवं एक ढक्क्न डिटॉल डालकर मिला ले ,बन गया अच्छा सेनेटाइजर।  इसके अतिरिक्त नींबू का प्रयोग भी एक अच्छे सेनेटाइजर का कार्य करता है।हम इनका उपयोग कर सकते हैं। जनहित में जारी। * सुनील जैन राना * 

शनिवार, 14 मार्च 2020

कोरोना - अब क्यों रोना? http://suniljainrana.blogspot.com/
March 14, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
आधुनिक भौतिक -वैज्ञानिक युग की आपाधापी में नये -नये अविष्कार हो रहे हैं। विकसित देशों में खुद को सबसे शक्तिशाली दिखने की होड़ लगी है। घातक मिसाइलें ,परमाणु हथियार ,रासायनिक हथियार बनाकर कुछ देश पुरे विश्व पर कब्जा करने की सोच रहें हैं। इसी आपाधापी में प्रकृति के विरुद्ध कार्य -खानपान तक हो रहा है। कुछ देशों में मांसाहार की प्रवृति इतनी भयावह हो गई है की मानव दानव जैसा होता जा रहा है। मांसाहार के तरीके जानवरों से भी बद्तर हो गए हैं। 
आज ऊपरवाला यह सब देखकर सोच रहा होगा की सृस्टि की सर्वश्रेष्ठ रचना मानव को यह क्या हो गया है?जिसे मैंने सर्वश्रेष्ठ बनाया था आज वह जानवरों से भी बद्तर हो गया है।सर्वशक्तिमान बनने के चककर में सभी मर्यादाएं भूल गया।  शायद इसी कारण ऊपर वाले ने नीचे वाले को सबक सीखने के उदेश्य से अपने तरकश से एक सूक्ष्म सा तीर कोरोना जैसा वायरस छोड़कर अतिआधुनिक चीन जैसे देश को बता दिया की मानव हो तो मानव की तरह रहो दानव  मत बनों वरना तुम्हारे पापों का घड़ा ऐसे फूटेगा की तुम कुछ भी नहीं कर पाओगे?यही हुआ,रखी रह गई सारी मिसाइलें,हथियार। 
आज विश्व के अतिआधुनिक विकसित देश चीन ने कोरोना से लड़ने में अपनी सारी ऊर्जा लगा दी है फिर भी पूर्ण सफलता नहीं मिल पा रही है। विश्व के १४५ देशों में कोरोना फ़ैल गया है। सभी अपने -अपने स्तर पर इससे बचाव के उपाय में लगें हैं। आज विश्व में सबसे आगे रहने वाला चीन सालों पीछे चला गया है। ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना मानव ही है। हमें मानव जीवन मिला है तो इसका सदुपयोग करना चाहिए। अहंकार -हिंसा का रास्ता छोड़कर परोपकारी -सदाचारी बनना चाहिए। प्रकृति ने पेट भरने के लिए अनेको शाकाहारी अनाज -फल -सब्जियाँ आदि दी हैं। हमारे शरीर की रचना भी शाकाहारियों जैसी है,हमें शाकाहारी बनना चाहिए। बलशाली हाथी और शक्ति का प्रतीक घोड़ा दोनों शाकाहारी ही होते हैं। कोरोना जैसे वायरस से बचने के लिए शाकाहार अपनाना ही उत्तम है।सर्वोत्तम आहार -शाकाहार। *सुनील जैन राना *

गुरुवार, 12 मार्च 2020

बैंकिंग भ्र्ष्टाचार लील गया अर्थव्यवस्था को ,ले डूबा कोरोना
March 12, 2020 • सुनील जैन राना • भ्र्ष्टाचार
बैंकिंग भ्र्ष्टाचार लील गया अर्थव्यवस्था को बाकि रही सही कसर पूरी कर रहा कोरोना वायरस। पिछली सरकारों में व्याप्त भ्र्ष्टाचार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को छिन्न -भिन्न कर दिया था जिसका खामियाजा आज तक हम सभी भुगत रहे हैं। उद्योग जगत ,नेता और बड़े बैंक अधिकारियों की मिलभगत ने लाखों फर्जी कंपनिया खोलकर बिना सुरक्षा जो लोन बांटा वह आज एनपीए बन गया है। सूत्रों के अनुसार लगभग दस लाख करोड़ से ज्यादा का लोन फर्जी कंपनियों को बिना गारंटी दे दिया गया था जो आज बसूल नहीं हो रहा है। हालांकि मोदीजी ने इनमे से कई लाख कम्पनियाँ बंद करवा दी हैं।
इस लूट के खेल में विजय माल्या -नीरव मोदी जैसे भगोड़े तो छोटे खिलाडी हैं ,बड़े खिलाड़ियों में देश की बड़ी कम्पनियाँ मोबाईल कम्पनियाँ ,सरकारी कम्पनियाँ एवं एयर इण्डिया जैसे सरकारी उपक्रमों के आलावा अनेको उद्योगपति -नेता -बैंक अधिकारी आदि शामिल हैं। जिन्होंने आपसी मिलीभगत से लचर कानूनों का फायदा उठाकर आपसी बंदरबाट कर जनता की भलाई के धन को लूट लिया। मोबाईल कम्पनी वोडाफोन आईडिया एयरटेल जैसी बड़ी कंपनियों पर ही १.४७ लाख करोड़ रूपये बकाया बसूलने का नोटिस सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को दिया।
मोदी सरकार में कुछ कड़े फैसले जैसे नोटबंदी ,जीएसटी ने भी कारोबार पर असर डाला। नोटबंदी के दौरान बैंको द्वारा बड़े पैमाने पर मिलीभगत से नोट बदलने के भी बहुत मामले उजागर हुए थे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है की बैंकिंग व्यवस्था में व्याप्त भ्र्ष्टाचार इतना गहरा है की मोदी सरकार भी पिछले कार्यकाल में इस पर लगाम लगाने में कामयाब नहीं हो सकी है। एक छोटे किसान -आम आदमी के लोन वापस न करने पर उसका इतना उत्पीड़न हो जाता है की कई बार वह आत्महत्या तक कर लेता है जबकि बड़े लोनधारी का कुछ नहीं बिगड़ता है। धोखाधड़ी के चलते अनेको बैंक बंद हो रहे हैं और कोरोना वायरस से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई है।
सबसे बड़ी समस्या यह है की जबाबदेही में लापरवाही है। हज़ारो करोड़ की लूट करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं। कुछ ही जेल की हवा खाते हैं और छूट जाते हैं।लगता है की गबन किए धन की बसूली के कठोर कानून नहीं हैं। लचर कानूनों का फायदा उठाकर ही एक की टोपी दूसरे के सर रखकर गबन किया जा रहा है। हज़ारो करोड़ का गबन करो ,पकड़े जाओ तो कुछ समय जेल में ऐश करो ,बड़े वकील कर कानून को जेब में रखो ,फिर बड़े आदमी कहलाकर मौज से रहो कुछ ऐसा ही हो रहा है मेरे भारत महान में।  *सुनील जैन राना *

मंगलवार, 10 मार्च 2020

होली -कुछ सार्थक हाइकु
March 10, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
होली का त्यौहार हम सभी मनाते हैं। मेरी सोच से होली की सार्थकता इन तीन हाइकु से है। 
होलिका दहन करते हैं लेकिन सार्थकता तभी है जब......
होली दहन
जलावें अहंकार 
जले कषायें 
दिखावे की होली से कोई फायदा नहीं है। मन से हो स्नेह,,,,,,
लगा के रंग 
तन धोया सबने 
धोया न मन 
फायदा तब है जब इस संसारिक भवसागर से पार होने की भी सोचें ,,,,,,
रंगो की होली 
तन तो रंगे सब 
मन भी रंग 
निवेदक - सुनील जैन राना ,सहारनपुर -२४७००१ (उप्र )भारत 

रविवार, 8 मार्च 2020

महिला दिवस पर सुंदर हाइकु *http://suniljainrana.blogspot.com/
March 8, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
महिला दिवस पर सुंदर हाइकु
सारे जग में 
नहीं कोई माँ जैसा 
सच है बात 
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दानों में दान 
सबसे बड़ा दान 
बिटिया दान 
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कोख में नारी 
मार देती है नारी 
माँ नहीं  ना  री 
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बेटी बचाओ 
नवजीवन लाओ 
बेटी पढ़ाओ 
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* सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

आस्था डराती है,भगवान कुछ नहीं कहते http://suniljainrana.blogspot.com/
March 6, 2020 • सुनील जैन राना • धर्म
हमारे भारत देश में अंध भक्तों की कमी नही है। कहीं कोई किसी चौराहे पर ही कोई पत्थर -मूर्ति -फोटो रख दे तो उस पर भी चढ़ावा चढ़ने लगता है।यदि किसी स्थान पर कोई कथित ढोंगी चमत्कारी बाबा अपना बोर्ड लगाकर बैठ जाये तो ही उनसे पुड़िया या उपचार पाने को भक़्तो का ताँता लग जाता है। ऐसे में प्रतिदिन सैंकड़ो लोग अपनी समस्या लेकर आते हैं और मुराद मांगते हैं। अब यदि उनमे से दस -बीस प्रतिशत लोग जो संयम ही ठीक होने वाले होते हैं और पुड़िया खाते ही ठीक हो जाते हैं उनके लिए तो वह ढोंगी बाबा किसी चमत्कारी बाबा से कम नहीं होंगे। बाकि के अस्सी प्रतिशत लोग जो न ठीक हुए और न ही दोबारा आये और न ही उनसे पूछने वाला कोई होता है उनके लिए बाबा ढोंगी ही रहे। उनमे से यदि कुछ वापस आकर बाबा से लड़ना भी चाहें तो अंध भक्त उसी को गलत बताकर उसके साथ दुर्व्यवहार कर देते हैं।
अब जिनकी मुराद पूरी हो गई उनके लिए तो ये ढोंगी बाबा किसी इष्ट से कम नहीं रहे। अब उनकी हर बात मानना उनका धर्म हो जाता है। बस इसी को कहते हैं आस्था। यही आस्था पत्थर को भगवान और भगवान को पत्थर बना देती है और यही आस्था दिखाती है रास्ता। इसी आस्था में श्रध्दा -भक्ति -समर्पण निहित होता है। यही मुख्य कारण है की हम जिस भी धर्म में पैदा हुए हैं जन्म से हमे उसी की भक्ति का ऐसा पाठ पढ़ाया गया होता है की हम अपने धर्म से अलग अन्य किसी भी धर्म को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। सबसे अनोखी बात यह भी है की हम सिर्फ अपनी आस्था के अनुरूप अपने धर्म के इष्ट की ही पूजा करते हैं और उसी से ही डरते हैं अन्य किसी भी धर्म के ईश्वर से डर नहीं लगता है।पीपल के पेड़ से पीपल को पूजने वाले को ही डर लगता है अन्य को नहीं। कभी चिंतन कर सोचो की ऐसा क्यों होता है ?क्या हिन्दू को ईशामसीह या अल्लाह से डर लगता है ?क्या किसी मुसलमान को किसी हिन्दू देवी-देवता या ईशामसीह से डर लगता है? यदि ये सभी सर्वशक्तिमान हैं तो सभी को सभी से डर लगना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है,जिसकी जहां आस्था है वह उसी से डरता है अन्य से नहीं डरता है।इसका दूसरा पहलू यह हुआ की हमे आस्था डराती है भगवान कुछ नहीं कहते हैं। 
अधिकांश लोग आस्तिक ही होते हैं और अपने इष्ट को कहीं न कहीं मत्था अवश्य टेकते हैं। हमारे जो भी भगवान ,इष्ट ,देवी देवता होते हैं उनके प्रति हमारी आस्था ,श्रध्दा ,भक्ति ,समर्पण से हमे शक्ति मिलती है ,बल मिलता है। उनके दर्शन मात्र से ही हमारा सोया हुस पुरुषार्थ जाग्रत होकर कार्य करने लगता है। जहां हमारी श्रध्दा -आस्था होती है उसी से हमे हिम्मत मिलती है और उसी से हमे डर भी लगता है। हमे हमारे इष्ट के प्रति आस्था ही हमे जगाती है एवं हमें डराती भी है। इन सब बातों से यह निष्कर्ष निकलता है की हमें आस्था डराती है ,भगवान कुछ नहीं कहते हैं। * सुनील जैन राना *

सोमवार, 2 मार्च 2020

**दंगा** http://suniljainrana.blogspot.com/
March 2, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
एक कविता दंगो को समर्पित 
असामाजिक तत्वों ने करा दिया दंगा 
भाई चारे के बीच बढ़ा दी खाई 
मेहनत की कमाई दंगो ने खाई 
किसी की मौज आई ,किसी की मुसीबत आई 
दुकानें जली इसकी ,मौज आई उसकी 
दंगा कराया जिसने लूट मचाई उसने 
वह उठाईगिरा बेरोजगार ,हो गया मालामाल 
कुकृत्य किया किसीने ,भुगत रहा कोई 
अपराधी आज़ाद ,सज़ा बेकसूर ने पाई 
भाईचारे में फलीता लगा रहा कोई 
समझ में नहीं आता वह इंसान है या द्रोही 
मर रही जनता ,नेताओं की बन आई 
लाशों के ढेर पर राजनीति चमकाई 
शासन और प्रशासन मजबूर दिखाई देते 
वोटो की राजनीति में पक्षपात जैसा करते 
बेघर हुए जो लोग ,फुटपाथ पर हैं आज 
मौज कर रहे गुंडे ,बेबस इंसान है आज 
यह कैसा लोकतंत्र ,यह कैसी डेमोक्रेसी 
इसमें तमाम जनता की हो रही है ऐसी तैसी 
हो भाईचारा कायम कुछ प्रयास करें ऐसा 
मिलजुलकर रहें हम,दोबारा न हो दंगा ऐसा। 
  ********** सुनील जैन राना ***********

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...