शुक्रवार, 31 जनवरी 2020


जीव दया पर डिबेट ,पेंटिग ,नाटिका ,फैंसी ड्रेस https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 31, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार
पशु -पक्षी कल्याण पखवाड़े के कार्यक्रमों की शृंखला में आज संस्था से संचालित स्कूल लार्ड महावीर एकेडमी में जीव दया पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गए जिसमें नगर के अनेक स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया।
लार्ड महावीर एकेडमी में प्रातः नगर के अनेक स्कूलों के बच्चों द्वारा जीव दया पर चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें बच्चों ने जीव दया के अतिरिक्त पर्यावरण बचाओ एवं पानी बचाओं का भी संदेश दिया साथ ही हम सभी को शाकाहार अपनाना चाहिए ऐसी भावनाएं व्यक्त की। पेंटिंग सिर्फ कागज पर नहीं बल्कि टीशर्ट पर भी की गई। छोटे बच्चें विभिन्न पशु -पक्षियों की ड्रेस पहनें नजर आये। जीव दया पर कई नाटिका प्रस्तुत की गई जिसमें जीव दया -शाकाहार और पर्यावरण बचाने का संदेश दिया था। जीव दया पर डिबेट एवं कविताएं प्रस्तुत की गई। बच्चों को घायल -बीमार पशु -पक्षी को श्री दया सिंधू जीव रक्षा केंद्र लाने को प्रेरित किया गया। सभी विजयी छात्र -छात्राओं को प्रमाणपत्र एवं मोमेंटो दिए गए। * सुनील जैन राना * संयोजक

बुधवार, 29 जनवरी 2020

ऑटो मंदी -सड़को पर जाम
January 29, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
मोदी सरकार में मंदी की गिरफ़्त में तो सभी सेक्टर हैं क्योंकि लाखों फ़र्ज़ी कम्पनियाँ जो बैंको के लोन को डकार कर बैठी हैं उन्हें बंद कर दिया गया है। बैंको के लाखों करोड़ का यह लोन अब एनपीए कहलाने लगा है। पिछली सरकारों में लचर कानूनों का फायदा उठाकर खूब धन की लूट हुई। अब मोदी सरकार में बैंको द्वारा लोन देने के कड़े नियम -कानून बनाये गए हैं लेकिन एनपीए की बसूली न हो पाने के कारण अनेक जनहित के कार्य रुके हुए हैं जो मंदी दर्शा रहे हैं।
मज़े की बात यह है की एक तरफ़ देश में मंदी का माहौल बना हुआ है दूसरी तरफ़ कुछ बह चीज सस्ती नहीं है।मकान -दुकान से लेकर जमीन -जायदाद एवं वाहन आदि सभी में तेज़ी ही है। पिछले दिनों वाहन सेक्टर में मंदी का हल्ला मच रहा था लेकिन वाहनों के दामों में तो कोई कमी न हुई। अब तो मारुती कम्पनी ने अपने सभी वाहनों के दाम भी बढ़ा दिए हैं। फिर भी मनपसंद कार तुरंत नहीं मिल रही। ऐसे ही सभी कंपनियों की बात है की कुछ लेने जाओ मिलता नहीं। वाहनों के दाम लगातार बढ़ ही रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष सड़को पर एक करोड़ से ज्यादा दो पहियाँ एवं चार पहियाँ वाहन नए आ रहे हैं। ऐसे में सड़को पर जाम लगना बड़ी बात नहीं है। मोदी सरकार में पिछले पांच सालों में नितिन गडकरी जी के नेत्तृव में देश भर में सड़को का जाल बिछा दिया गया है। लेकिन गाँव -कस्बे -शहर -नगर आदि में लगातार वाहनों की बढ़ती संख्या जनजीवन के लिए ठीक नहीं है। कुछ देशों में सड़को पर नए वाहनों के लिए नियम बनाये गए हैं। जितने नए वाहन सड़को पर आये उतने ही पुराने वाहनों को निरस्त करना होगा। ऐसा करने से सड़को पर भीड़ नहीं होगी और पुराने खटारा वाहनों से भी मुक्ति मिलेगी। ऐसा ही कुछ नियम भारत में भी बनना चाहिए। तभी सड़को पर लगने वाले जाम से मुक्ति मिल सकेगी। * सुनील जैन राना *

शनिवार, 25 जनवरी 2020

निःशुल्क पशु -पक्षी चिकित्सा शिविर
January 25, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार
पशु -पक्षी कल्याण पखवाड़े के कार्यक्रमों की शृंखला मेंश्री दिगंबर जैन बाल बोधनी सभा द्वारा संचालित श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र के तत्वाधान में निःशुल्क पशु -पक्षी चिकित्सा शिविर नुमाइश कैम्प में संस्था द्वारा बनवाये गए पशु प्याऊ के पास लगाया गया
संस्था के संयोजक सुनील जैन राना ने शिविर के बारे में जानकारी देते हुए बताया की शिविर में सड़क पर बोझा ढोने वाले पशु जिनमें खासकर घोड़े होते हैं उनका उपचार किया गया। संस्था के डॉक्टर एस के अरोड़ा एवं कम्पोडर विपिन सैनी द्वारा बोझा ढोने वाले घोड़ो का निरीक्षण कर उपचार किया एवं दवाई -मलहम आदि वितरित किया। ३६ घोड़ो का उपचार किया गया जिनमें कुछ ठंड लगने से पीड़ित थे तो कुछ की बेल्ट की जगह जख्म थे। सभी को दवाई -मलहम -बतीसा आदि वितरित कर पशु मालिकों को अपने प्यारे पशु की देखभाल करने ,उनपर ज्यादा बोझा न लादने ,समय पर खाना पानी देने एवं बीमार होने पर उनका इलाज कराने को प्रेरित किया।
इस अवसर पर डॉक्टर विजय गांधी ,संजय जैन ,सोमपाल ,दीपक आदि का भी सहयोग रहा।

बुधवार, 22 जनवरी 2020


दान बिना निर्धन दुखी -तृष्णा वश धनवान
January 22, 2020 • सुनील जैन राना • धर्म
धन कमाने के बाद दान देने की प्रवृति इंसान का स्वाभाविक गुण है। यूँ तो किसी भी देश की अधिकांश जनता कमाने और खाने तक ही सीमित रहती है। कुछ जनता ऐसी होती है जिसे रोजाना भरपेट भोजन भी नसीब नहीं होता जबकि कुछ लोग खाने कमाने की बातो से ऊपर होते हैं यानि उनके पास इतना धन होता है की उसे खर्च कैसे करें यह भी समस्या ही होती है।
बेहताशा गरीबी और बेहताशा अमीरी का बढ़ता ग्राफ दुनिया भर के अनेक देशों में अपने पाँव पसार रहा है। भारत में जहां एक ओर एक चौथाई जनता को रोज भरपेट भोजन न मिलता हो वहीं दूसरी ओर देश के ६३ अमीरों के पास देश के बजट से भी कई गुना ज्यादा सम्पत्ति है। देश के ९० करोड़ लोग जो मध्यम वर्ग से होते हैं बस किसी तरह अपना गुजारा करने लायक कमा लेते हैं ऐसा है भारत देश।
अब बात अमीर लोगो की करें तो धन कमाकर भगवान का शुक्रिया करने की भावना के चलते मंदिरो में जाकर दान देना अमीरों का स्वाभाविक सा गुण हो जाता है। अपने इष्ट के चरणों में धन -सोना -गहने -सम्पत्ति आदि का अर्पण करने में उसे अपार सुख मिलता है।
दान के भी कई प्रकार होते हैं जिनमे चार प्रकार के दान प्रसिद्द हैं। आहार दान ,औषधि दान ,ज्ञान दान और अभय दान।लेकिन आज के भौतिक युग में मंदिरजी में धन दान या सोना दान की अधिक महिमा दिखाई दे रही है। जो वास्तव में चार प्रकार के दान श्रेष्ठ होते थे उनकी तरफ ध्यान कम दिया जा रहा है। 
काश दानियों को यह समझ में आये की गरीबों के लिए भोजन -दवाई -शिक्षा उपलब्ध करने से उत्तम कोई दान नहीं होता। अभय दान यानि किसी का जीवन बचाना भी उत्तम दान होता है। आज तो मंदिरो में भगवान के लिए चढ़ावा चढ़ाया जा रहा है जैसे की भगवान को जरूरत हो। भगवान और मंदिरो को सोने से सजाया जा रहा है।करोड़ो -अरबों की लागत से नए -नए मंदिर बन रहे हैं। जबकि कुछ प्रसिद्द मंदिरो को छोड़कर पुराने मंदिरो की देखभाल भी ठीक से नहीं हो रही है।
समाचारों से पता चला की कुछ समय पहले तिरुपति जी के मंदिर के पुजारी की तीन बेटियों की शादी में उसने १२५ किलो सोना अपने दामादों को दिया। देशभर में ऐसे कुछ बड़े प्रसिद्द मंदिरो के पास अकूत धन है। क्या ही अच्छा हो की वह धन गरीबों के काम आये? चढ़ावे के धन से स्कूल -अस्पताल खुलवायें जाए। हालांकि कुछ मंदिर ट्रस्ट ऐसे सामाजिक कार्य करते हैं। बिना शुल्क भोजन भंडारा तो अनेक मंदिरो की भोजनशाला में चलाया जाता है।
धनवानों को दान देने की प्रवृति में थोड़ा बदलाव करना चाहिए। कुछ धन देश में भूखे पेट सोने वालो के भोजन पर खर्च करना चाहिए। ऐसे कुछ राज्य जहां गरीबी अधिक है वहां गरीब को रोटी मिले ऐसी व्यवस्था करवानी चाहिए। शायद भगवान भी यही चाहते हैं।  * सुनील जैन राना *



नापाक़ पाकिस्तान रोटी को भी तरस रहा लेकिन ?
January 22, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
नापाक पाकिस्तान जिसकी बुनियाद ही भारत से विद्रोह कर बनी आज भी सुधरना नहीं चाहता। भारत को नीचा दिखाने के चक्कर में खुद पाताल में जाने की नौबत आ गई है पाकिस्तान की। बटवारे के बाद भारत में एक नया हिंदुस्तान बनाने की तरफ पहल की वहीं बटवारे के बाद पाकिस्तान में जिहाद को बढ़ावा मिला और जब से अब तक नफ़रत के बीज जो आज वटवृक्ष बन गए हैं वही बोता रहा। आज पुरानी कहावत की बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से पाये चरित्रार्थ हो रही है।
चीन के मायाजाल में उलझा पाकिस्तान आज दाने -दाने को मोहताज हो रहा है। पाकिस्तान की अधिकांश आवाम को भरपेट खाना नसीब नहीं हो रहा है। पाकिस्तान में भोजन का मुख्य अनाज गेहूं ही खत्म हो गया है। जिसके कारण रोटी -ब्रेड तक के लाले पड़ रहे हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले ही चरमरा रही थी ऐसे में उसे जरूरत का गेहूं भी कोई देगा या नहीं ,पता नहीं। पाकिस्तान के कई प्रांतों में पहले से ही इमरान खान के विरुध्द आंदोलन चल रहे हैं। लेकिन इतने पर भी भारत को खत्म करने जैसे सपने देखने से नहीं चूक रहा है। 
क्या ही अच्छा होता पाकिस्तान के नेता लोग भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाते और तरक्की करते। ऐसा करने से आज भारत की तरह पाकिस्तान भी विकास के रास्ते पर होता। इस्लामिक दुनिया बनाने के चक्कर में आज पाकिस्तान खुद बर्बादी के कगार पर बैठा है। सच बात है की जैसी करनी -वैसी भरनी। * सुनील जैन राना *

सोमवार, 20 जनवरी 2020



ख़ुदकुशी कौन कर रहा है और क्यों ?
January 20, 2020 • सुनील जैन राना • भ्र्ष्टाचार
भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा वर्ष २०१८ के सर्वे में जानकारी दी है की देश में प्रतिदिन औसतन ३५ बेरोजगार, ३६ स्वयंरोजगार एवं २८ किसानों ने आत्महत्या की जो क्रमशः लगभग १३१४९ ,१२९३६ ,१०३४९ की संख्या रही। गौरतलब बात यह भी है की पिछले साल २०१७ की तुलना में ३.६ प्रतिशत ज्यादा हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू महिलाओं में भी आत्महत्या करने की प्रवृति बढ़ती जा रही है। २०१८ में ४२३९१ महिलाओं ने आत्महत्या की। देश के चार राज्यों में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले दर्ज किये गए हैं जिनमे प्रथम -महाराष्ट्र ,द्वितीय -तमिलनाडु ,तृतीय -प.बंगाल ,चतुर्थ -मध्यप्रदेश है। 
यह सब बहुत विडंबना की बात है। ऐसा लगता है की उपरोक्त तीन प्रकार के लोगो की समस्या समान हो सकती है  जिसका उत्तर है कर्ज। गरीब इंसान कर्ज के जाल में ऐसा फंस जाता है की परेशान होकर ख़ुदकुशी ही करने की सोच लेता है। भारत देश में गरीब आदमी को किसी कार्य हेतु कर्ज मिल जाये यही बड़ी बात है। फिर उस कर्ज को कैसे चुकाए यह उससे भी बड़ी बात है। बस यही बड़ी बात गरीब आदमी को मौत के मुँह तक ले जाती है।
सरकार गरीबों के लिए अनेको योजनाएं तो चलाती है लेकिन उसका लाभ जरूरतमंद लाभार्थी तक पहुंचे यह सुनिश्चित नहीं कर पाती है। भ्र्ष्टाचार सबकी नसों में ऐसा समाया हुआ है की बिना सुविधाशुल्क के कार्य पूर्ण नहीं होता है। सरकारी -गैरसरकारी बैंको के लोन देने और उसे बसूलने की प्रकिर्या गरीब आदमी और अमीर आदमी से अलग -अलग है। गरीब आदमी से बैंक वाले बहुत बेदर्दी से पेश आते हैं। कहीं -कहीं उत्पीड़न के मामले भी उजागर हुए हैं। ऐसे में बैंको के अतिरिक्त प्राइवेट फाइनेंसर तो गरीबों को बहुत महंगे ब्याज पर लोन देते हैं। उसमे से भी ब्याज अग्रिम काटकर बाकि धनराशि देते हैं। ब्याज की किश्तों का भूटान मासिक आधार पर तय करते हैं। ऐसे में जो समय पर ब्याज न दे पाए उससे बहुत बेदर्दी से पेश आते हैं उसका सामान  उठा ले जाते हैं। उसका इतना उत्पीड़न करते हैं की जिसकी पूर्ति कभी -कभी आत्महत्या से ही होती है।
अब रही बात महिलाओं की तो महिलाओं की परेशानियों का तो कोई अंत ही नहीं है। ऐसे में कमजोर दिल महिलाएं आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती होंगी। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हो सकते हैं। गरीब किसान -बेरोजगार -छोटे रोजगार वालो के लिए सरकार तो बहुत कुछ करना चाहती है और कर भी रही है लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ उनतक पहुंचे इसके लिए हम सभी को जागरूक होकर उनकी सहायता करनी चाहिए। * सुनील जैन राना *

पशु -पक्षी कल्याण पखवाड़ा https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 20, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार
सहारनपुर ,पशु -पक्षी कल्याण पखवाड़े के कार्यक्रमों की शृंखला में श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र के तत्वाधान में आज आवारा पशुओं को भोजन सामग्री एवं दवाई आदि दी गई।
भरी ठंड में प्रातः साढ़े दस बजे संस्था के कार्यकर्ता इ रिक्शा में दूध ,ब्रेड ,चारा ,दवाई आदि रखकर मदनपुरी से खाताखेड़ी आदि क्षेत्रों में निकल पड़े। रास्ते में मिलने वाले पशुओं को भोजन सामग्री दी गई। आवारा कुत्तो को दूध में ब्रेड खिलाई -पिलाई गई। खारिश वाले कुत्तो को दूध में दवाई डालकर पिलाई गई। आवारा गोधन अब सड़को पर नहीं घूमता है इसलिए रास्ते में बंधे पशुओं को ही चारा डाला गया।
संस्था के संयोजक सुनील जैन राना ने लोगो से आवारा -बीमार -घायल पशु -पक्षियों को निःशुल्क उपचार के लिए संस्था में भेजने को जागरूक किया। इस अवसर पर कम्पोडर विपिन ,मुकेश ,सोमपाल ,दीपक आदि का विशेष सहयोग रहा।

शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

निःशुल्क पशु -पक्षी चिकत्सा शिविर https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 17, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार
पशु -पक्षी कल्याण पखवाड़े के अंतर्गत श्री दिगंबर जैन बाल बोधनी सभा द्वारा संचालित श्री दया सिंधु जिव रक्षा केंद्र ,सहारनपुर के तत्वाधान में प्रथम निःशुल्क पशु -पक्षी  शिविर मंडी समिति रोड पर आयोजित किया गया। शिविर में संस्था के डॉ एस के अरोड़ा द्वारा ३७३ पशु -पक्षियों हेतु दवाई मलहम आदि वितरित किया गया जिसमे १०३ पशु एवं २७० पक्षी रहे।
संस्था के संयोजक सुनील जैन राना ने बताया की मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण मुर्गी -कबूतर आदि को नजले -लकवे की दवाई दी गई एवं बोझा ढोने वाले घोड़े और झोटे का निरीक्षण कर उपचार किया गया एवं दवाई -मलहम आदि वितरित किया गया। अनेक घोड़े की पीठ पर एवं बेल्ट की जगह जख्म थे जिन पर मलहम आदि लगाकर घर के लिए भी दिया गया। पशु मालिकों को जागरूक किया गया की वे अपने कमाऊं पालतू पशु की देखभाल रखे उनपर ज्यादा बोझा मत लादें। समय पर खाना -पानी दे बीमार होने पर उपचार कराएं।
इस अवसर पर संस्था के डॉ अनिल जैन ,सुनील जैन ,वैभव जैन ,सिद्धार्थ जैन के आलावा कम्पोडर विपिन सैनी ,दीपक आदि का विशेष सहयोग रहा।  * सुनील जैन राना *

मंगलवार, 14 जनवरी 2020


चाइनीज मांझे से कट रहे हैं रोज परिंदे https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 14, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार
बहुत विडंबना की बात है की हम इंसानो में पशु -पक्षियों के प्रति दया का भाव खत्म होता जा रहा है। देश भर में मकर सक्रांति और बसंत पंचमी आदि पर बेहताशा पतंगे उड़ाई जाती हैं। उनमें अधिकांशतः चाइनीज मांझे का उपयोग हो रहा है जो परिंदो के लिए मौत का कारण बन रहा है। हम सभी को दया भाव रखते हुए खुद एवं अपने बच्चों को चाइनीज मांझा न खिड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमे अपने मज़े के लिए किसी की जान लेने का कोई हक नहीं है।
सरकार को भी चाइनीज मांझे पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए,न आयात होगा न बिकेगा। फिर भी हम सबको मानवता के नाते खुद से ही चाइनीज मांझे का बहिष्कार करना ही चाहिए। श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,सहारनपुर -२४७००१ में चाइनीज मांझे से घायल कबूतर ही नहीं बल्कि बगुले -चील तक उपचार के लिए आ रहे हैं जिनका पंख मांझे से कट गया है।
निवेदक - सुनील जैन राना ,संयोजक -श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,सहारनपुर -उत्तर प्रदेश -भारत



चाइनीज मांझे से कट रहे हैं रोज परिंदे https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 14, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार
बहुत विडंबना की बात है की हम इंसानो में पशु -पक्षियों के प्रति दया का भाव खत्म होता जा रहा है। देश भर में मकर सक्रांति और बसंत पंचमी आदि पर बेहताशा पतंगे उड़ाई जाती हैं। उनमें अधिकांशतः चाइनीज मांझे का उपयोग हो रहा है जो परिंदो के लिए मौत का कारण बन रहा है। हम सभी को दया भाव रखते हुए खुद एवं अपने बच्चों को चाइनीज मांझा न खिड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। हमे अपने मज़े के लिए किसी की जान लेने का कोई हक नहीं है।
सरकार को भी चाइनीज मांझे पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए,न आयात होगा न बिकेगा। फिर भी हम सबको मानवता के नाते खुद से ही चाइनीज मांझे का बहिष्कार करना ही चाहिए। श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,सहारनपुर -२४७००१ में चाइनीज मांझे से घायल कबूतर ही नहीं बल्कि बगुले -चील तक उपचार के लिए आ रहे हैं जिनका पंख मांझे से कट गया है।
निवेदक - सुनील जैन राना ,संयोजक -श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,सहारनपुर -उत्तर प्रदेश -भारत 

रविवार, 12 जनवरी 2020


शाकाहार को बना रहे मांसाहार ? http://suniljainrana.blogspot.com/
January 12, 2020 • सुनील जैन राना • धर्म
भौतिक युग दे रहा दुःख - खत्म हो रहा भाईचारा क्योकि भोजन सही नहीं है हमारा ?
मांसाहार जो करे सो करे लेकिन शाकाहारी क्यों करे?लेकिन कुछ ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जिससे शाकाहारी भी मांसाहार की तरफ प्रेरित हो। विज्ञापन आते हैं -रोज खाओ अंडे -मैं छत पर वेज़ नहीं खाती आदि-आदि। जिससे बच्चें प्रेरित हो रहे हैं। वास्तव में इसमें अधिकांश गलती शाकाहारियों की ही है। हमने अपने बच्चों को मजबूती से अच्छे संस्कार क्यों नहीं दिए ?जिस घर में बड़ो ने बच्चों को भी खानपान में भक्ष -अभक्ष के बारे में अच्छे से बताया है उस घर में आज भी नॉनवेज तो दूर अभक्ष भी नहीं खाया जाता।ऐसा एक घर हमारा भी है।
शाकाहारी जनमानस क्यों अपने घर के समारोह आदि में वेज़ कबाब आदि नाम से शाकाहारी व्यंजन बनवाता है?आज वेज़ कबाब बना है कल वेज़ चिकन बनेगा। हमारे घर के बड़े -बुजुर्गो की दृष्टि इस पर क्यों नहीं जाती है?क्यों हमारे घर के बच्चे नॉनवेज रेस्टोरेंट में पिज्जा आदि खाने जाते हैं?क्यों नहीं घर के बड़े उन्हें यह समझते हैं की जहां नॉनवेज बनता है वहां का वेज़ नहीं खाना चाहिए?क्योंकि ऐसे जगहों पर घी-तेल-करी आदि मिक्स होती है?शाकाहार के लिए पहले हमें खुद को बदलना होगा।
हमें शाकाहार पर हरे निशान और मांसाहार पर लाल निशान के प्रति भी जागरूक होना चाहिए। खाद्य विभाग और fassi द्वारा खाद्य पदार्थो पर हरा या लाल निशान होना अनिवार्य किया गया है। यदि हमें लगता है कोई वस्तु में शाकाहारी के नाम पर मांसाहार दिया जा रहा है तो हम स्थानीय खाद्य विभाग में उसकी शिकायत कर सकते हैं। यहीं नियम दवाइयों पर भी लागू होता है। हमें यानि शाकाहारियों को दवाई खरीदने से पहले उसके बारे में पता कर लेना चाहिए। अपने डॉक्टर से वेज़ दवाई लिखने को कहना चाहिए।
मांसाहार का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है, इसे रोका जाना सम्भव नहीं है। हमे खुद से ही अपने और अपने परिवार में जागरूकता लानी होगी की क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए ?खाद्य पदार्थो पर लाल -हरे निशान के प्रति बच्चों को जागरूक करना चाहिए।शाकाहारियों को ब्याह -शादियों में पूर्ण शाकाहारी भोजन बनवाना चाहिए। किसी भी व्यंजन का नाम मांसाहारी जैसा नहीं रखवाना चाहिए। पहले खुद को बदलो जमाने को नहीं।   * सुनील जैन राना *

शुक्रवार, 10 जनवरी 2020


मल्टीप्लेक्स में खानपान महंगा क्यों ?
January 10, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
पहले सस्ते सिनेमाघर होते थे ,आज भी हैं कहीं - कहीं। लेकिन आज भौतिक युग की चकाचौंध में सिनेमाघर की जगह मल्टीप्लेक्स ने ले ली है। जिसमें बहुत बड़ा स्क्रीन ,बेहतर कुर्सियां एवं फर्श पर कालीन आदि बिछे होते हैं। सुख सुविधा के हिसाब से ही इसका टिकट महंगा होता है। ठीक ही है ,जैसे धर्मशाला और होटल के किराये में कई गुना अंतर आता है उसी प्रकार सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स के टिकटों में भी भारी अंतर है।
मल्टीप्लेक्स में महंगे टिकट की बात तो ठीक है लेकिन जरूरत से ज्यादा महंगे खानपान की बात समझ में नहीं आती। जो पॉपकॉर्न ,कोल्डड्रिंक ,स्नेक्स बाजार में ५० से १०० रूपये में मिलती है वही मल्टीप्लेक्स में २५० से ५०० रूपये की मिलती है। यानि के बाजार भाव से दोगने नहीं बल्कि कई गुने ज्यादा भाव पर खाद्य पदार्थ मिलते हैं। बाहर से खाद्य पदार्थ ले जाने नहीं देते। किसी भी वस्तु के दाम उस पर प्रिंट एमआरपी से ज्यादा लेना गैर क़ानूनी होता है। ऐसे में यह कानून मल्टीप्लेक्स पर लागू नहीं होता क्या? भारत में शायद ऐसा भी कोई कानून नहीं है जिसमे मल्टीप्लेक्स या सिनेमाघरों में बाहर के खाद्य पदार्थ ले जाने पर पाबंदी हो। फिर इन्हे इतनी आज़ादी या लूट की छूट कौन देता है?
जनहित में हमारा खाद्य मंत्री और खाद्य विभाग से अनुरोध है की मल्टीप्लेक्स की ऐसी मनमानी पर रोक लगाई जाए। खाद्य पदार्थो के रेट तय किये जाये। मनमाने रेट बसूलने की आज़ादी पर रोक लगाई जाए। * सुनील जैन राना *

गुरुवार, 9 जनवरी 2020



चाइनीज मांझा -जली ट्रेन -कटे परिंदे https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 9, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित

अभी तक चाइनीज मांझा पशु -पक्षी और इंसानो के लिए जानलेवा साबित हो रहा था लेकिन अद्भुत बात यह है की चाइनीज मांझे से फ्रंटियर मेल के पैंटोग्राफ में ही आग लग गई। सहारनपुर (यूपी) में ६ जनवरी सोमवार को प्रातः ४ बजे अमृतसर से मुंबई जाने वाली फ्रंटियर मेल के स्टेशन से बाहर निकलते ही कुछ दूरी पर यह हादसा हुआ जिसे तत्काल काबू भी कर लिया गया। मामले की जांच करने पर पता चला की रेल की एल्क्ट्रिक वायर में चाइनीज मांझा उलझा हुआ था। धुंध के कारण वायर और रेल के बिजली घर्षण से उसमे स्पार्किंग होने से इंजन के पैंटोग्राफ में आग लग गई।
वास्तव में चाइनीज मांझा इंसानो समेत पशु -पक्षियों तक के लिए मौत का सबब बना हुआ है। गली -मोहल्लों में राह चलते इंसान रास्ते में पड़े चाइनीज मांझे से उलझकर घायल हो रहे हैं। श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र में अक्सर ही मांझे से घायल कबूतर -चील अन्य परिंदो के अलावा बंदर तक उपचार के लिए भर्ती रहते हैं। कल ही एक चील आयी है जिसका एक पंख चाइनीज मांझे से कट गया है।
चाइनीज मांझा कैमिकलों आदि से बनाया जाता है जो वैसे भी बहुत हानिकारक होता है। हमारा सरकार से अनुरोध है की तत्काल प्रभाव से चाइनीज मांझे पर रोक लगाई जाये। अभिभावकों से निवेदन है की अपने बच्चों को चाइनीज मांझा न खरीदने को जागरूक करें। पतंग उड़ानी है तो साधारण मांझे से उड़ाए। बेचारे परिंदे चाइनीज मांझे में आकर मर ही जाते हैं अतः सब दया भाव रखते हुए चाइनीज मांझे का प्रयोग मत करें। *सुनील जैन राना *संयोजक-श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र,सहारनपुर।

बुधवार, 8 जनवरी 2020



टुकड़े गैंग का पाकिस्तानी प्रेम
January 8, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
देश में मोदी सरकार की नीतियों के विरोध करने की होड़ सी मची है। कई नए कानूनों का बिना वजह विरोध किया जा रहा है। ऐसा वातावरण बनाया जा रहा है जैसे मोदी सरकार में सभी कार्य देश विरोधी किये जा रहे हों। अनेको जगह पाकिस्तानी प्रेम में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। टुकड़े गैंग को तो शायद अब भारत अच्छा ही नहीं लग रहा है। टुकड़े गैंग की सभाओं में भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्ला जैसे नारे पिछले काफी समय से लगते आ रहे हैं।
पाकिस्तान खुद अपनी बर्बादी के कगार पर है। ऐसे में भारत को गाली देकर पाकिस्तान को जिंदाबाद कहना कहां तक उचित है। पाकिस्तान में मुसलमान ही सुरक्षित नहीं हैं ऐसे में भारतीय मुसलमान की वहां क्या इज्जत होगी ?टुकड़े गैंग में हिन्दू भी शामिल हैं जो भारत विरोध में समर्थन देते हैं। यदि वे एक बार पाकिस्तान हो आयें तो उन्हें पाकिस्तान में अपनी ओकात का पता चल जाए। 
सरकार की किसी नीति का विरोध करना हो तो भले ही किया जाए लेकिन अपने देश को गाली देना ,उसके टुकड़े हो ऐसा कहना तो घिनौनी देश विरोधी मानसिकता को ही दर्शाता है। ऐसे लोग और इनको समर्थन देने वाली पार्टियाँ भले ही इनका साथ देकर हल्ला मचा कर विरोध करती हों लेकिन हकीकत में उनका जनाधार कम ही हो रहा है। * सुनील जैन राना *


किसान कर्तव्यों को भी निभाएं
January 8, 2020 • सुनील जैन राना • लापरवाही
मोदी सरकार में किसानों के लिए अनेको योजनाएं बनाई हैं जिनका लाभ देश के करोड़ो किसान ले रहे हैं। मोदीजी चाहते हैं की अगले कुछ सालों में किसानों की आय दुगनी हो जाए। इसके लिए फसल बीमा योजना ,सिंचाई योजना ,हेल्थ कार्ड आदि अनेको योजनाएं बनाकर किसानों तक पहुंचाई जा रही हैं इसके अतिरिक्त बैंक लोन प्राप्ति और माफ़ी योजना को जरूरतमंद किसानों तक किर्यान्वित किया जा रहा है। किसानों की उपज का सही दाम मिले इसके लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार का विस्तार किया जा रहा है ताकि किसानों को ऑनलाइन बाजार भाव पता चले।
सरकार किसानों के लिए बहुत कुछ कर रही है लेकिन फिर भी यदा कदा सरकार के विरोध में उठ खड़े होते हैं। विपक्ष के बहकावे में आकर आंदोलन करने लगते हैं। जबकि किसान को यह देखना चाहिए की मोदी सरकार से पहले पिछले ६० सालों में किसानो के लिए क्या किया गया ?क्यों आज भी किसान गरीब है ?
किसानों को सरकारी मदद मिलती है तो उन्हें कुछ कर्तव्य भी निभाने चाहियें। ओवरलोड ट्रॉली -ट्रक लेकर सड़को पर नहीं चलना चाहिए। घोड़ा बुग्गी ,झोटा ठेला के पीछे बैक लाईट जरूर लगानी चाहिए। गन्ने से भरे वाहनों को उचित मात्रा में तरकीब से भरकर ही चलना चाहिए। इन कुछ कारणों से सड़कों पर रोज हादसे होते हैं यदि किसान थोड़ा ध्यान दे लापरवाही से बचे तो सड़क के हादसों में कमी आ सकती है। किसानों को इन समस्या के निदान को जागरूक होना ही चाहिए। वाहनों के पीछे बैक लाईट का होना तो बहुत ही जरूरी है। *सुनील जैन राना *

मंगलवार, 7 जनवरी 2020


निर्भया के बलात्कारियों को फाँसी -लेकिन क्या ?
January 7, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित

सुप्रीमकोर्ट द्वारा दिया गया ऐतिहासिक फैसला ,लेकिन क्या यह अंतिम फैसला है ?
लगभग ८५ महीने के अंतराल के बाद निर्भया के दरिंदे -बलात्कारियों के पक्ष में फांसी का फैसला सुनाया गया है। जानकार बताते हैं की अभी भी इस फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया जा सकता है। यही नहीं उसके बाद भी राष्ट्रपति जी से दया की भीख मांगी जा सकती है।
 जनता की समझ में  ऐसे जघन्य मामलों में न्याय मिलने में इतनी देरी होना न्यायसंगत नहीं है। कहते हैं की अक्सर देर से मिला न्याय भी अन्याय समान हो जाता है क्योंकि इतनी लम्बी लड़ाई लड़ने में पीड़ित के परिवारों का ही पतन हो जाता है। निर्भया के मामले में निर्भया की माता आशा देवी और उसके पिता बद्री सिंह की हिम्मत ही है जो सात सालों तक न्याय की गुहार लगाते भटकते रहे। निर्भया के चारों बलात्कारी पवन ,मुकेश ,विनय और अक्षय को २२ जनवरी को प्रातः ७ बजे फांसी दी जायेगी ?
निचली अदालत ,हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट में इतने लम्बे समय तक मुकदमा चलना पीड़ित परिवार के उत्पीड़न जैसा ही है। ऐसे में यदि पीड़ित परिवार बहुत गरीब हो तो वह वैसे ही इतनी लम्बी लड़ाई नहीं लड़ सकता। समझ में नहीं आता की ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को गरीब होने पर भी वकील आदि कैसे उपलभ्ध हो जाते हैं ?फांसी की सज़ा के बाद भी यदि अपराधी गरीब हैं तो सरकार उन्हें वकील उपलभ्ध कराएगी ऐसा प्रावधान है जबकि पीड़ित परिवार को कोई ऐसी सुविधा  नहीं दी जाती। यह कैसा कानून है ?
बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मुकदमें एक माह में निपट ही जाने चाहियें। दोषी का पहले अंग भंग हो फिर फांसी पर लटकाया जाए तभी बलात्कार के मामलों में कमी आएगी। * सुनील जैन राना *

रविवार, 5 जनवरी 2020



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jainism muni images

जैनिज़्म मुनि इमेजेज , गूगल पर पिछले 6 -7 सालों से मेरी सुनील जैन राना की फोटो पूज्य मुनि महाराजों के साथ नीचे  से लेकर प्रथम पेज के शीर्ष तक आयी है। आज भी यह ग्रुप फोटो प्रथम पेज पर आती है। यह बात सरल नहीं है। मैं इसके लिए गूगल का धन्यवाद करता हूँ। कुछ पुरानी फोटो पेस्ट कर रहा हूँ।


















शुक्रवार, 3 जनवरी 2020



सिलसिला कायम है ?
January 3, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
दैनिक जागरण में आज के एक सम्पादकीय *सिलसिला कायम रहे *पर आधारित है यह लेख "सिलसिला कायम है "
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीते वर्ष भ्र्ष्टाचार खत्म करने की दिशा में बेहतरीन कार्य किया है।अनेक विभागों के अफ़सर -कर्मचारियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए जबरन सेवानिवृति दे दी गई है। ऊर्जा विभाग में व्याप्त भ्र्ष्टाचार को कम किया गया है। वृद्दा पेंशन ,विधवा पेंशन ,राशन वितरण में घोटाला ,निर्माण विभाग में घोटाला आदि अनेक विभागों पर सख्ती की जा रही है।
अच्छा ही हो यदि यह सिलसिला कायम रहे लेकिन अनेको जगह सिलसिला कायम है भ्र्ष्टाचार का। हमारे सहारनपुर महानगर की ही बात करें तो कोई दिन ऐसा जाता होगा जिस दिन स्मार्ट सिटी की आड़ में कोई घोटाले की खबर न छपती हो। जैसे पीएम आवास घोटाले में ५१७ अपात्रों पर गिरेगी गाज यानि आवास घोटाला। नगरनिगम हाउस टैक्स घोटाला जिसमे बड़े लोगो को छूट एवं छोटे घरों पर बेहताशा टैक्स की नीति अपने गई है, यह सब मिलीभगत से ही हो रहा है। ५४ लाख के कबाड़ा पात्र गायब ,पता नहीं कहां रखे थे कौन ले गया?सर्दी से बचने को अलाव पर १२ लाख खर्च लेकिन मौके पर अलाव जलते नहीं मिले। इसके अलावा यह की नगर निगम की सुरक्षा में सेंध ,डीवीआर बॉक्स तोडा ,वायर कटी मिली ,२० दिनों की रिकॉर्डिंग गायब ,अनेक जरूरी फाइलें गायब।
उपरोक्त सब वक्तव्य दैनिक समाचार पत्रों में छपे हैं। ऐसे बन रहा है हमारा नगर स्मार्ट सिटी। अतिक्रमण से पूरा नगर त्रस्त है। अभियान चलता है लेकिन तू डाल डाल मैं पात पात यानि अतिक्रमण आगे हटता जाता पीछे से लगता जाता। नागरिक संशोधन बिल के विरोध में हुए आंदोलनों को यहां के प्रशाशन ने बहुत समझदारी के साथ पूर्ण होने दिया है। नगर में कोई भी घटना अराजकता या तोड़ फोड़ की नहीं हुई। आंदोलन हुआ लेकिन भाईचारा कायम रहा। इसके लिए नगर प्रशाशन बधाई का पात्र है। 

गुरुवार, 2 जनवरी 2020


इजिप्ट वलचर उपचार कर छोड़ा https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
January 2, 2020 • सुनील जैन राना • परोपकार


श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र ,चिलकाना रोड ,सहारनपुर -२४७००१ (उत्तर प्रदेश )भारत
संस्था में पिछले चार दिनों से एक घायल चील जिसका मांझे से पंख कट गया था आयी हुई थी। उसका उपचार किया एवं वाइल्ड लाइफ से पता करने पर मालूम हुआ की यह इजिप्ट वलचर है, यह सिर्फ हड्डी खाता है। संस्था में इसने कुछ खाया नहीं सिर्फ पानी पिया। नॉनवेज हम दे नहीं सकते थे अतः इसका उपचार कर इसे खेत -जंगल में छोड़ दिया गया जहां से यह धीरे -धीरे उड़ गया। निवेदक - सुनील जैन राना - संयोजक।

बुधवार, 1 जनवरी 2020



नूतन वर्ष २०२० पर सुंदर हाइकु
January 1, 2020 • सुनील जैन राना

२०२० में 
सुख -शांति -समृध्दि 
मिले सबको 
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सबका साथ 
सबका हो विकास 
नव वर्ष में 
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नए साल में 
भेद भाव  मिटायें 
जात पात का 
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*सुनील जैन राना *

नव वर्ष २०२० आप सबके लिए मंगलकारी हो।

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...