रविवार, 26 नवंबर 2023

शारीरिक अंग

*_हाथ की 5 उंगलियाँ और उससे जुड़े शारीरिक अंग_* *हमारे हाथ की पांचों उंगलियाँ शरीर के अलग अलग अंगों से जुडी होती है | इसका मतलब आप को दर्द नाशक दवाइयां खाने की बजाए इस आसान और प्रभावशाली तरीके का इस्तेमाल करना करना चाहिए | आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बतायेगे के शरीर के किसी हिस्से का दर्द सिर्फ हाथ की उंगली को रगड़ने से कैसे दूर होता है |* *हमारे हाथ की अलग- अलग उंगलियाँ अलग- अलग बिमारिओ और भावनाओं से जुडी होती है | शायद आप को पता न हो, हमारे हाथ की उंगलिया चिंता, डर और चिड़चिड़ापन दूर करने की क्षमता रखती है | उंगलियों पर धीरे से दबाव डालने से शरीर के कई अंगो पर प्रभाव पड़ेगा।* *1. अंगूठा* 👍🏼 *– The Thumb* *हाथ का अंगूठा हमारे फेफड़ो से जुड़ा होता है | अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथो से अंगूठे पर मसाज करे और हल्का सा खिचे | इससे आप को आराम मिलेगा |* *2. तर्जनी* 👆🏽 *– The Index Finger* *ये उंगली आंतों gastro intestinal tract से जुडी होती है | अगर आप के पेट में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द गायब हो जायेगा।* *3. बीच की उंगली* 🖕🏼 *– The Middle Finger* *ये उंगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुडी होती है | अगर आप को चक्कर या आपका जी घबरा रहा है तो इस उंगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी |* *4. तीसरी उंगली* 🖖🏽 *The Ring Finger* *ये उंगली आपकी मनोदशा से जुडी होती है | अगर किसी कारण आपकी मनोदशा अच्छी नहीं है या शांति चाहते हो तो इस उंगली को हल्का सा मसाज करे और खिचे, आपको जल्द ही इस के अच्छे नतीजे प्राप्त हो जयेगे, आप का मूड खिल उठेगा।* *5. छोटी उंगली* 🤙🏽 *The Little Finger* *छोटी उंगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है | अगर आप को सिर में दर्द है तो इस उंगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे, आप का सिर दर्द गायब हो जायेगा | इसे मसाज करने से किडनी भी तंदुरुस्त रहती है |* साभार

शनिवार, 25 नवंबर 2023

घायल नोट

बैंक क्यों नहीं लेते कटे- फटे नोट देश मे चल रहे कागज के नोटों की स्तिथी ठीक नहीं है। नये नोट भी चलन के थोड़े दिन बाद ही मैले- कुचैले से हो जाते हैं। समझ में नहीं आता की भारतीय करेंसी इतनी जल्दी खराब क्यों हो जाती है। हर कोई अपने पास नये से नोट रखकर पुराने आगे चला देता है। इनमें से बहुत से नोट कट- फट जाते है जो आपस के लेन देन में भी चलने मुश्किल हो जाते हैं। ऐसे नोटों का क्या करें? बैंक भी कटे-फ़टे नोट क्यों नहीं लेते जबकि RBI के निर्देश हैं की ग्राहक से सभी प्रकार के नोट बैंक को मान्य होंगे। बैंक वाले तो पूरी 100 की गड्डी में से भी कुछ फ़टे नोट हो तो निकाल कर ग्राहक को दे देते हैं उसके बदले दूसरे साफ नोट लेते हैं। बैंक के द्वारा ऐसा करना बहुत गलत है। बैंक को तो ग्राहक से सभी प्रकार के नोट ले लेने चाहिये। कटे-फटे नोट कमीशन पर यानी बट्टे पर चल जाते हैं। लगभग 10% कमीशन या बट्टा लगाकर कमीशन एजेंट नोट बदलकर दे देते हैं। यानी 1000 रुपये के कटे-फटे नोट के बदले 900 रुपये मिलते हैं। नोट ज्यादा घायल होने पर उसके बदले और भी कम दाम मिलते हैं। लेकिन सभी प्रकार के घायल नोट बदले जाते हैं। अब सवाल यह है की कमीशन एजेंट घायल नोट लेकर क्या करते हैं? सूत्रों से पता चलता है की इन कमीशन एजेंटों की कुछ बैंक वालो से मिलीभगत होती है। जिसके फलस्वरूप ये लोग बैंक में घायल नोट देकर और कुछ कमीशन देकर अपने नोट बदलवा लेते हैं। मतलब कुछ ऐसा हुआ की इन्होंने ग्राहक से 10% कमीशन लिया और उसमें से 2-3% बैंकवालो को देकर कटे-फटे नोटों को बदलवा लिया। ऐसा होना सरासर RBI के निर्देशों का हनन है। लेकिन किसी का कुछ बाल भी बांका नहीं हो रहा है। हर शहर के बाजारों में कटे-फटे नोट बदलने वाले बैठे दिखाई दे जाएंगे। कोई संदेह की बात नहीं की ये लोग घायल नोट ग्राहक से लेकर बैंक में न देते होंगे। ऐसे ही नये नोटों की गड्डी बाजार से कुछ ज्यादा मूल्य पर आसानी से मिल जाती है लेकिन बैंक वाले नहीं देते। RBI को इन बातों को संज्ञान में लेकर सख्ती से जनहित में निर्देश जारी करना ही चाहिये। सुनील जैन राना

शनिवार, 18 नवंबर 2023

सहारा चले गए बेसहारा

'सहारा श्री की अंतिम क्रिया में नहीं शामिल हुए उनके दोनों लौंडे । पत्नी भी नहीं आईं ।' यह सिर्फ खबर भर नहीं है । यह आईना है जीवन का जिसमें हमें और आपको अपनी छवि गौर से देखनी चाहिए । #सुब्रतरॉय अर्थात् सहारा श्री आज पंचतत्व में विलीन हो गया । उनके पोते ने उन्हें मुखाग्नि दी । उनके अंतिम क्रिया के वक्त उनके शुभचिंतक नजर आये । अगर कोई उनकी अंतिम यात्रा के वक्त नहीं दिखे तो वे थीं उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटे । उनकी मौत के वक्त भी उनके परिवार का कोई सदस्य उनके पास नहीं था...। पत्नी और बेटे तक नहीं । #यह वही सहारा श्री थे जिनके कारोबार की धाक कभी पूरी दुनिया भर में फैली थी । चिट फण्ड, सेविंगस फाइनेंस, मीडिया , मनोरंजन, एयरलाइन, न्यूज़, होटल, खेल,‌ भारतीय क्रिकेट टीम का 11 साल तक स्पान्सर, वगैरह वगैरह... ये वही सहारा श्री थे जिनकी महफिलों में कभी राजनेता से लेकर अभिनेता और बड़ी बड़ी हस्तियां दुम हिलाते नजर आते थे... ये वही सहारा श्री थे जिन्होंने अपने बेटे सुशान्तो-सीमांतो की शादी में 500 करोड़ से भी अधिक खर्च किए थे । ऐसा भी नहीं था कि सहारा श्री ने अचानक दम तोड़ा ! उन्हें कैंसर था और उनके परिवार के हरेक सदस्य को उनकी मौत का महीना पता होगा लेकिन तब भी अंतिम वक्त में उनके साथ, उनके पास परिवार का कोई सदस्य नहीं था...! बेटों ने उनके शव को कांधा तक नहीं दिया...! तो, यही सच्चाई है जीवन की । जिनके लिए आप जीवन भर झूठ-सच करके कंकड़-पत्थर जमा करते हैं... जिनके लिए आप जीवन भर हाय-हाय करते रहते हैं... जिनकी खुशी के लिए आप दूसरों की खुशी छीनते रहते हैं... जिनका घर बसाने के लिए आप हजारों घर उजाड़ते हैं... जिनकी बगिया सजाने और चहकाने के लिए आप प्रकृति तक की ऐसी तैसी करने में बाज नहीं आते... वे पुत्र और वह परिवार आपके लिए, अंतिम दिनों में साथ तक नहीं रह पाते ! #कभी ठहरकर सोचिएगा कि आप कुकर्म तक करके जो पूंजी जमा करते हैं, उन्हें भोगने वाले आपके किस हद तक 'अपने' हैं...? #अंगुलीमाल से बुद्ध ने यही तो कहा था कि "मैं तो कब का ही रूक गया, तुम कब रूकोगे..." आज मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं - "हम सब कब रूकेंगे...?"☺️✍🏼 सिंह मानवेन्द्र

शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

नया भारत

बदलाव दिखाई नहीं देता विपक्ष को एक दशक में देश मे अभूतपूर्व बदलाव हुए हैं। लेकिन विडम्बना यह है की सत्ता से बाहर बैठे नेतागण सिर्फ आलोचना में ही लगे रहते हैं। याद करिये जब कश्मीर में सेना पर पत्थरबाजी होती थी और सेना कुछ नहीं कर पाती थी। देश मे आतंकी घटनाएं होती रहती थी। जगह-जगह यही एलान होता रहता था की किसी लावारिस वस्तु को न छुएं, सीट के नीचे बम हो सकता है। सेना के पास लड़ने को हथियार नहीं होते थे, यहांतक की बुलेटप्रूफ जैकेट तक नहीं होती थी। जब देश मे 40 करोड़ रुपयों के लिये देश का सोना गिरवी रख दिया जाता था। ये सब बातें भुलाने वाली नहीं हैं। मोदीजी के एक दशक में देश मे बहुत बदलाव आयें हैं। नोटबन्दी कर पाकिस्तान को भिखारी बना दिया। कश्मीर से धारा 370 हटा दी, तीन तलाक खत्म किये। देश मे गड़करी जी ने सड़को का जाल बिछा दिया। घर-घर शौचालय बनें, हर घर नल से जल योजना चल रही है। रेलवे का आधुनिकीकरण हो रहा है। नये-नये अस्पताल बन रहे हैं। 75 से अधिक नये एयरपोर्ट बनाये गये हैं। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। यह सब बातें आसान नहीं हैं। भव्य राम मंदिर बन रहा है। नया संसद भवन बन गया है। वार मैमोरियल, कर्तव्यपथ, स्टूचु ऑफ यूनिटी आदि अनेक भारत का गौरव बताने वाली चीजें बनाई गई हैं। जो देश को गौरान्वित करती हैं। मेक इन इंडिया के तहत अब देश मे उद्योगों को बढ़ावा मिला है। जो हथियार पहले विदेशों से मंगाए जाते थे अब उनमें से काफी देश मे ही बनने शुरू हो गये हैं। यही नहीं भारत देश से हथियार विदर्शो को निर्यात किये जा रहे हैं। यह सब होना सरल बात नहीं है। कोरोना काल मे देश मे ही वैक्सीन विकसित कर देशवासियों को मुफ़्त में लगाना साथ ही विदेशों को भी वैक्सीन भेजना बहुत बड़ी बात है। अब तक 100 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है जिसकी कीमत 8 खरब रुपये से ज्यादा होती है। देश की जनता को इन सब बातों के बारे में सोचना चाहिये। सिर्फ नेताओं के बहकावे में आकर अपने वोट को व्यर्थ नहीं करना चाहिये। विपक्ष बेरोजगारी का रोना रोता है तो देश मे बढ़ती जनसंख्या के कारण सबको नॉकरी न पहले कभी मिली थी न ही आगे कभी मिल सकती है। लेकिन कोई खाली बैठा भी दिखाई नहीं देता, सभी काम मे लगे हैं। महंगाई बढ़ी है तो आमदनी भी बढ़ी है। आज छोटी नॉकरी वाला भी बाईक से आता जाता है। विश्व मे भारत की जय जयकार हो रही है। बड़े-बड़े देश के नेता मोदीजी को अपना नेता मान रहे हैं। यह सब एक आदर्शवादी नेता, दूरदृष्टि वाले नेता, सबका भला चाहने वाले नेता मोदीजी का ही ओरा है, यह नया भारत है। सुनील जैन राना

शनिवार, 11 नवंबर 2023

जी का जंजाल पराली

पराली से उद्योग स्थापित हों जी का जंजाल बनी पराली से निपटने के लिये सरकार को ही पहल करनी चाहिये। पराली बहुत प्रकार से काम मे लाई जा सकती है। पराली ईंधन का विकल्प बन सकती है। पराली से डिस्पोजेबल क्रॉकरी आदि कई वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है। दिल्ली एनसीआर आदि क्षेत्रों में पराली के धुँए से वायु प्रदूषण लोगों के से खिलवाड़ कर रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है की पराली के धुँए से वायु प्रदूषण के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण पराली जलाने वाले राज्यों पंजाब, हरियाणा आदि को फटकार लगाई है एवं शीघ्र ही पराली न जलाने की चेतावनी दी है। वास्तव में पराली जलाने से उठने वाला धुंआ बड़ी तादाद में कहीं से कहीं पहुंच रहा है। जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। पिछले एक दशक में पराली के धुँए से जीवन अस्तव्यस्त हो रहा है। हर साल किसानों को पराली न जलाने की चेतावनी के बावजूद पराली जलाना बन्द नहीं हो पाया है। सरकार को पराली की समस्या को देखते हुए कुछ जरूरी कदम उठाने चाहिये। पराली से आमदनी भी हो सकती है। पराली से कुछ वस्तुएं भी बनाई जा सकती है। सररकर को सबसे पहले हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में रूई की तरह पराली के गठ्ठर बनाने की मशीनें किसानों को उपलब्ध करानी चाहिए। ऐसा करने से किसानों की आमदनी होगी एवं गठ्ठर बनी पराली ईंधन के काम आ सकती है। पराली से अनेक प्रकार की वस्तुएं बनाने को प्रोत्साहन देना चाहिये एवं इसे उद्योग की भांति विकसित करना चाहिये। इसके लिए मशीनें आदि उपलब्ध कराकर सब्सिडी देकर इसे बढ़ावा देना चाहिये। मोदीजी कहते हैं की आपदा में भी अवसर तलाशना चाहिये। पराली को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण भी आपदा से कम नहीं है। अतः इससे निपटने के लिये पराली को ही एक उद्योग मानकर इसे आमदनी का जरिया बनाया जा सकता है। सरकार को इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

गठबंधन में तकरार

दूल्हा रह जायेगा बिन बारात पिछले एक दशक में विपक्षी एकता के नाम पर कई गठबंधन बन कर बिखर चुके हैं। अकेले चुनाव लड़ने में सिर्फ हार ही दिखाई देती है लेकिन मिलकर चुनाव लड़ने में तकरार हो जाती है। एक बार फिर से मोदीजी को हराने के लिये विपक्षी दलों के द्वारा I N D I A नामक गठबंधन बनाया गया है। इस इंडिया के बीच- बीच मे लड्डू भी है। इसके सूत्रधार बनें नीतीश कुमार। बहुत मेहनत कर नीतीश कुमार ने दो दर्जन से ज्यादा दलों के आकाओं को एक मंच पर लाने का कार्य किया है। लेकिन गठबंधन बनाकर मंच साझा करना अलग बात है, मुद्दों पर सहमति बनाना अलग बात है। मंच पर बड़े- बड़े बोल बोलकर मोदीजी को भला- बुरा कहकर अपनी टीस निकालना अलग बात है, दुसरो के लिये अपनी सीटे छोड़ना अलग बात है। अभी 5 राज्यों में चुनाव हैं जिसमें कोई भी राजनीतिक दल अपनी सीटे कम करना नहीं चाहता। साझा रैली, साझा बयान, साझा हमला, अब सब साझी बातें हवा हवाई हो रही हैं। कोई भी दल अपने क्षेत्र में अपने प्रभाव की सीटों को छोड़ना तो दूर की बात बल्कि अपने साझे गठबंधन के विरुद ही अपना कैंडिडेट खड़ा करने में हिचक भी नहीं रहे हैं। कांग्रेस अपना राग अलाप रही है, केजरीवाल खुद से ही बहुत चतुर हैं, अखिलेश यादव यूपी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की कह रहे हैं। इस गठबंधन के सूत्रधार नीतीश बाबू को देखकर ऐसा लग रहा है की खुद दूल्हा बन वे जिसे- जिसे बारात में नोउतने चले थे उनमें से अधिकांश बाराती बारात में आना नहीं नहीं चाह रहे। इनमें से अधिकांश अपने राज्य, अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं तो वे सीटों के बंटवारे में किसी भी प्रकार का समझौता करना नहीं चाह रहे हैं। लगता है की इस गठबंधन से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सभी राज्यों में गठबंधन के सहयोगियों से सहयोग चाहती है, जबकि अन्य कोई भी दल कांग्रेस के साथ सीटों का सहयोग करना ही नहीं चाहता। दरअसल आपस मे अनेक दिलजलों के दिल सिर्फ जुमलेबाज़ी से कैसे मिल सकते हैं। कुल मिलाकर यह नया गठबंधन भी पिछले गठबंधनो की तरह विफल होता दिखाई दे रहा है। सुनील जैन राना

गुरुवार, 2 नवंबर 2023

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कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदु...