रविवार, 28 अप्रैल 2024

खाना खराब कब होता है?

What do you say about this?? इटरनल फ़ूड 😐 कुछ दिन पहले यूट्यूब पर देखा की एक महिला ने दशकों से मैकडॉनल्ड का बर्गर और फ्रेंच फ्राइज एक डब्बे में संभाल रखे हैं, और इतना समय बीतने पर भी वे खराब नहीं हुए। ज़ाहिर तौर पर खाना तब खराब होता है जब उसके अंदर जैविक गतिविधियां होती हैं। हर खाद्य पदार्थ में सूक्ष्म जीव तो रहते ही हैं, सही वातावरण मिलने पर वे पनप जाते हैं और खाने को अपघटित करने लगते हैं, जिससे वह हमारे लिए खाद्य नहीं रहता। लेकिन मैकडॉनल्ड्स ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है। सुबह सैर करते समय पिछले तीन-चार दिनों से एक अधखाया पेटिस जिसे बेक्ड समोसा, पफ पेस्ट्री या हमारे तरफ बिना तला समोसा भी कहा जाता है, पड़ा दिखाई देता है। जिस जगह वह पड़ा है वो एक नई बन रही कॉलोनी है, जहां रात को शौकीन नौजवान पार्टी करने आते हैं और शराब की बोतले चिप्स के पैकेट वगैरह फेंक जाते हैं, उन्हीं में से किसी ने इसे आधा खाकर फेंक दिया होगा। हमारे यहां पेटिस 'बना कर' देने का रिवाज है, जिसके तहत उसके अंदर केचप, सेंव और प्याज डालकर मसाला छिड़क दिया जाता है। तो यही बना हुआ पेटिस तीन-चार दिनों से एक ही जगह पर पड़ा है और कमाल की बात है, कि अब तक पूरा खराब नहीं हुआ है, ना इसपर कीड़े लगे हैं, ना ही किसी जानवर ने इसे खाया है, जबकि आसपास काफी कुत्ते घूमते रहते हैं। आप सोचेंगे कि इस बेतुकी बात का क्या मतलब है? लेकिन गहराई से सोचें तो आखिर इस पेटिस में ऐसा क्या मिला है कि, ना खराब हो रहा है, ना कीड़े लग रहे, ना जानवर खा रहे हैं? दरअसल लोकल बेकरीज में मैदा, तेल, नमक, शक्कर और बेकरी शार्टनिंग जो कि वास्तव में वनस्पति घी होता है, डालकर इसे बनाया जाता है। फिर उसके ऊपर प्रिजर्वेटिव मिला केचप और तली हुई सेंव डाली जाती है। शायद इन्हीं सब की वजह से ये खराब नहीं हुआ होगा। एक कारण यह भी हो सकता है कि ये सूखा पदार्थ है जो जल्दी खराब नहीं होते। पर इसके अंदर आलू की सब्जी होती है जिसमें पानी होता है, उसे तो सड़ना चाहिए ना। सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि, क्या यह पेटिस वास्तव में खाद्य है? जिस भोजन को सूक्ष्मजीव, कीड़े मकोड़े और आवारा पशु नहीं खा रहे, उसे हम लोग क्यों खा लेते हैं? क्या हमारा भोजन बोध उनसे भी गया बीता है? और क्या हमें समझना नहीं चाहिए कि बाजार में मिलने वाली हर चीज खाने लायक नहीं होती? आखिरकार पेट में जाकर भी तो भोजन का अपघटन ही होता है, फिर जो चीज इतने कठोर माहौल अपघटित नहीं हुई, वह अंदर जाकर क्या खाक पोषण देती होगी। खाना तो वातावरण के अनुरूप ही खाया जाता है और ये बात हम सभी भी जानते है, लेकिन दुनिया की चमक धमक मे हम फीके न रह जाए तो बस.. आगे आप खुद समझदार है Copied post

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

कांग्रेस का हिंदुत्व विरोध

हिंदुत्व का विरोध क्यों करती है कांग्रेस? हिंदुस्तान में रहकर हिंदुओ का विरोध क्यों कर रही है कांग्रेस? राहुल गांधी कहते हैं मैं किसी हिंदुत्व पर विश्वास नहीं करता। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी ने कहा था यदि मोदी आ गया तो देश मे सनातन छा जायेगा। ऐसा क्या है की ये लोग हिंदुत्व को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं? ये हिंदुत्व से डरते हैं या हिंदुत्व को मिटा देना चाहते हैं। अभी हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने हिंदू मंदिरों पर एक नया टैक्स बिल बनाया जिसे वहां के राज्यपाल ने लौटा दिया। कांग्रेस के अनेक नेतागण मणिशंकर अय्यर,मनमोहन सिंह, सैम पित्रोदा आदि ने सदैव हिंदुओ की उपेक्षा कर मुस्लिम समुदाय की बात की। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है की कांग्रेस ने मुस्लिमों का वोट तो लिया लेकिन मुस्लिमों के लिये कुछ नहीं किया। मुस्लिमों में पिछड़े समुदाय का आरक्षण भी कर्नाटक सरकार ने ओबीसी कोटे में डालकर उन्हें वंचित किया। कांग्रेस ने कश्मीर से धारा 370 हटाने की बात की। आज कश्मीर में सुख - शांति है। आवाम को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। लेकिन इस बात से कश्मीर के 3 राजदारों को परेशानी हो रही है क्योंकि उनकी रोजीरोटी चली गई है। कांग्रेस को तो अब भगवा रंग से ही परेशानी होने लगी है। राम मंदिर का विरोध कर कांग्रेस ने अपनी मंशा जता दी है। कांग्रेस 2013 में भी एक हिन्दू विरोधी बिल लाई थी जो बीजेपी के विरोध के कारण पास नहीं हो सका था। यह बिल बहुत भयानक था। राहुल गांधी अपने भाषणों में बार - बार कह रहे हैं की यदि बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आ गई तो संविधान बदल देगी। जबकि खुद कांग्रेस ने 100 बार से भो ज्यादा बार संविधान में संशोधन किया था। मोदीजी कहते हैं की संविधान तो बाबा अम्बेडकर भी नहीं बदल सकते हैं। राहुल गांधी झूठे वादे कर रहे हैं। एक लाख रुपये प्रति वर्ष गरीब महिलाओं को देंगे। यह आंकड़ा ही उनके झूट को दर्शाने के लिये काफी है। राहुल गांधी एक तरफ हिंदुत्व को नहीं मानते, राम मंदिर का विरोध करते हैं लेकिन दूसरी तरफ वोट पाने के लिये धोती पहन कर मन्दिर जाने का ढोंग भी करते हैं। उन्हें मन्दिर की क्रिया तक नहीं आती। ऐसे में यह भी एक झूठ ही है। ऐसे हो ओवैसी भी मुस्लिमो के मसीहा बनने को अग्रसर रहते थे लेकिन वोट पाने को उन्हें भी हिंदुओ का सहारा लेना पड़ रहा है। सवाल यह है की जब इन नेताओं को, दलों को पता है की बिना हिन्दू के जीत नहीं पायेंगे तो ये लोग हिंदुओ से नफरत क्यों करते हैं? जब पता है देश में हिन्दू- मुस्लिम मिलजुल रहता है तो ये लोग उनमें नफरत का बीज क्यों बोते हैं? यह देश सभी का है, सभी भारतवासी हैं, सभी का आपस में भाई चारा है। सुनील जैन राना

गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

लिव इन रिलेशन

वह मूर्ख लड़की उस लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहती थी। जानते हैं क्यों? क्योंकि उसने देखा, सुना होगा कि देश के सारे पढ़े लिखे बुद्धिजीवी, अभिनेता, साहित्यकार आदि लिव इन को ही जीवन जीने का आधुनिक और बढ़िया तरीका बताते हैं। लड़की की मां इस अवैध रिश्ते का विरोध करती थी, क्योंकि लड़का दूसरे सम्प्रदाय का था। पर लड़की को माँ की बातें फालतू और दकियानूसी लगती थीं। क्यों? क्योंकि देश के पढ़े लिखे लोग कहते तो हैं- जाति/धर्म तो बकवास बातें हैं। विवाह के लिए जाति धर्म नहीं, दिल मिलना जरूरी होता है। उसका दिल मिल गया था, सो वह उसी के साथ रहने लगी थी। पिछले दिनों लड़की की मां ने पुलिस केस किया था। पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा, तो लड़की उसके बचाव में खड़ी हो गयी। बताने लगी कि उसकी माँ ही अत्याचारी है, वही उसे मारती-पीटती रहती है। इसी कारण वह माँ को छोड़ कर अपने बाबू-सोना के साथ रहती है। पुलिस क्या करती? छोड़ना पड़ा। हाँ तो अब बात यह है कि एक दिन लड़के का मन भर गया। नकली समान चार दिन नहीं टिकता, तो नकली प्यार कितना टिकेगा? मन भर गया तो प्रेम मारपीट में बदल गया। बेल्टे-बेल्ट! लगभग रोज ही... एक दिन लड़के ने लड़की को खूब मारा। हाथ पैर बांध कर मारा... पूरे शरीर पर दाग हो गए तो दागों पर नमक छिड़क कर मारा... मिर्च पाउडर छिड़क छिड़क कर... यही वह प्रेम था जिसके लिए लड़की ने मां को छोड़ा था। अभी रुकिये। जब घाव पर मिर्च पाउडर पड़ता तो लड़की चीख पड़ती थी। बताइये! कितनी बुरी बात है? कोई बेचारा प्रेम दिखा रहा है और आप चीख रहे हैं? उसे गुस्सा नहीं आएगा? उसे गुस्सा आया। उसने लड़की के होठों पर फेवीक्विक लगा दिया। होठ ही चिपक गए। अब चीखो... आवाजे नहीं निकलेगी ससुर! टेंशने खतम... वाह! मोहब्बत जिन्दाबाद... खैर! लड़की हॉस्पिटल में है, और उसके जख्मों पर मरहम वही बूढ़ी माँ लगा रही है, जिसे उसने पुलिस के सामने बुरा बताया था। क्या करे, माँ है न। लड़का जेल में है। जानते हैं पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा तब वह क्या कर रहा था? वह शराब की तस्करी कर रहा था। 93 हजार की अवैध शराब के साथ पकड़ा गया हीरो। कहानी बहुत पुरानी नहीं है, न बहुत दूर की है। गूना मध्यप्रदेश में घटी इस घटना की पीड़िता 22 वर्ष की लड़की अभी अस्पताल में ही है, और पठान का बच्चा जेल में है। इस पूरी कहानी में मेन विलेन कौन है जानते हैं? क्या वह लड़का? नहीं जी। वह तो प्यादा है। वह वही कर रहा था जो उसे सिखाया गया था। अब जेल में सड़ेगा कुछ दिन, फिर निकल कर कहीं मजूरी करेगा। बुरी वह लड़की भी नहीं। सिनेमा के नशे में डूबी उस मूर्ख को कभी लगा ही नहीं कि वह जाल में फँस गयी है। उसे विलेन क्या कहेंगे। विलेन हैं वे धूर्त, जो खुद को बुद्धिजीवी बताते हुए लिविंग रिलेशनशिप को जायज ठहराते हैं, जो इसके लिए माहौल बनाते हैं। विलेन हैं वे नीच, जो अंतर्धार्मिक विवाहों की पैरवी करते हैं पर ऐसी घटनाओं के समय चुप्पी साध लेते हैं। यही हैं वे बिके हुए लोग, जो मासूम बच्चों को इस भयानक दलदल में धकेलते हैं। ऐसी घटनाओं की बार-बार, हजार बार चर्चा होनी चाहिये, ताकि यह देश की अंतिम लड़की तक पहुँचे। ऐसी घटनाओं की कोई खबर दिखे तो उसे हजार जगह शेयर कीजिये। यही एकमात्र उपाय है, यही एकमात्र विकल्प है। साभार....#kyukitumhiho❤️ #fyp #c/p

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

भोजन पर सर्वे

WHO खाने पर एक सर्वे हुआ, सर्वे पूरी दुनिया के खाने पर किया गया जिसका उद्देश्य ये जानना था की पूरी दुनिया में सबसे अच्छा खाना क्या है उसके लिए उसे 3 कसौटियों पर खरा उतरना था पहला को वो बनाने में आसान हो दूसरा उसमे एक इंसान के लिए सभी जरूरी तत्व हो तीसरा खाने में स्वाद होना चाहिए Who की टीम पूरे दुनिया घूमती है और ये देखती है की दुनिया में सबसे आसानी से बनाने वाला खाना क्या है और उस देश के लोग उसे कितना खाते हैं इसमें उन्हें एक खाना मिला वो था दाल चावल उन्होंने देखा की भारत के हर स्टेट में डाल चावल बेहद वृहद रूप से खाया जाता है कहीं साभार कही दाल कहीं दालमा दूसरी कसौटी आतीं है की बनाने में आसान हो इसमें भी डाल को चावल को सेलेक्ट किया गया वो जानकर हैरान थे की चावल को मात्र पानी डालकर बनाया जाता है और दाल में हल्दी और नमक अब तीसरी कसौटी खाने में टेस्ट हो। तो जब उन्हें गर्म गर्म दाल चावल और ऊपर से देसी घी डाल कर दिया गया तो पहला निवाला खाते हो सब मस्त हो गए अब चौथी कसौटी की पोषण हो इसके लिए दाल और चावल के सैंपल को अपने साथ ले गए और उन्होंने पाया दाल में फाइबर प्रोटीन आयरन और जरूरी मिनरल थे Antibiotic और आयोडीन की कमी हल्दी और नमक से पूरी हो रही थी चावल में कार्बोहाइड्रेट और अन्य तरह के विटामिन थे अंत में निष्कर्ष ये निकला की भारतीय दालचावल सब्जी और अगर उसके साथ सलाद हो तो ये दुनिया के सबसे बेहतरीन खाने में से एक है ये एक मात्र खाना है जिससे किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता है बाद में पता चला की इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य इस खाने को लेके ये पता करना था की यदि अमेरिका और यूरोप में युद्ध की स्थिति हो तो सबसे सस्ता और सबसे कम समय में तैयार होने वाला पौष्टिक खाना क्या है जिसे महीनो खाया जाए तो भी मन ना भरे और वास्तव में डालचावल जितना सिंपल है उतना ही बेहतर लेकिन हम लोग इसे छोड़ pizza burger खाते हैं दाल चावल का खर्चा भी काफी कम होता है तो आप इस बात से कितना सहमत हैं हमे कमेंट कर के बताइए जरूर

सोमवार, 22 अप्रैल 2024

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शनिवार, 20 अप्रैल 2024

महावीर जयंती

कल भगवान महावीर का जन्म-कल्याणक है। भारत में जो ब्राह्मण-श्रमण द्वैत रहा है, उसकी प्रखर अभिव्यक्ति आज बुद्ध के माध्यम से बहुजन समाज द्वारा बहुत की जाती है, किन्तु महावीर को भुला दिया जाता है। जबकि जैन धर्म मौलिक श्रमण-धर्म है और अनीश्वरवादी है। आज सनातन के नाम पर भारत में ब्राह्मण-धर्म की विजय-पताका फहरा रही है और धीरे-धीरे फिर से वैसी परिस्थितियाँ निर्मित होने लगी हैं, जैसी कि बुद्ध और महावीर के कालखण्ड में थीं। आडम्बर, कर्मकाण्ड, मूर्तिपूजा और जीवहत्या का बोलबाला फिर से हो रहा है। धर्म में अशुद्धि चली आई है। ब्राह्मण-धर्म का परिष्कार श्रमण-धर्म से उसके सम्यक् सामंजस्य बिना सम्भव नहीं है और मेरे निजी मत में वेदान्त वह भावभूमि है, जहाँ पर आकर ब्राह्मण-धर्म की औपनिषदिक-धारा श्रमण-धर्म के आत्म-प्रकाश से जा मिलती है। जैसे 'गीता' में श्रीकृष्ण और 'धम्मपद' में बुद्ध की वाणी है, उसी तरह से 'समण सुत्त' में भगवान महावीर की वाणी संकलित है। जैनियों में दिगम्बर सम्प्रदाय ने महावीर-वाणी का संकलन नहीं किया है, श्वेताम्बरों ने किया है। दिगम्बर प्राय: उन वचनों को प्रामाणिक नहीं मानते। जैन आगमों में जो महावीर-वाणी है, उसे श्रुति-परम्परा से कालान्तर में लिपिबद्ध किया गया था। जैसे बौद्धों में संगीतियाँ हुई थीं, वैसे ही जैनों में वाचनाएँ हुई थीं, जिनमें आगमों का संकलन हुआ था। दिगम्बरों ने 'षटखण्डागम' को मान्यता दी है, जो कि आगमों पर आचार्य धरसेन के उपदेशों पर आधारित है। किन्तु 'समण सुत्त' का संयोजन अत्यंत अर्वाचीन है। इन्हें वर्ष 1974 में विनोबा की प्रेरणा से क्षुल्लकश्री जैनेंद्र वर्णी ने संकलित किया था। इसमें जैनागमों के सारतत्व को यों संयोजित किया गया है कि यह जैन-गीता तक कहलाया है। इसे समस्त जैन पंथों के द्वारा मान्यता दी गई। आचार्य उमास्वामी के 'तत्वार्थसूत्र' के बाद कोई दो हज़ार साल में पहली बार ऐसा हुआ था। 'समण सुत्त' : यह अर्द्धमागधी भाषा का शब्द है, जो संस्कृत में 'श्रमण सूत्र' कहलावेगा। यहाँ श्रमण शब्द ध्यातव्य है। ब्राह्मण-धर्म का आधार वैदिक परम्परा है। श्रमण-धर्म का मूल जैन धर्म में है। बौद्ध और आजीवक भी श्रमण हैं। जैनियों ने बौद्धों से पहले अपना श्रमण-आंदोलन आरम्भ कर दिया था। जैनियों के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ तो कृष्ण के चचेरे भाई बतलाए हैं। नेमिनाथ और पार्श्वनाथ (23वें तीर्थंकर) : दोनों में ही जीवदया अत्यंत प्रबल थी, जो महावीर की अहिंसा में शिखर पर पहुँची। ब्राह्मण संस्कृति से जैनियों का वैसा तीक्ष्ण मनोवैज्ञानिक संघर्ष नहीं रहा है, जैसा बौद्धों से रहा। इसके अनेक कारण हैं। एक दार्शनिक कारण तो बौद्धों का अनित्य-अनात्म है, जो कि सनातन के मूलाधार पर ही प्रहार करता था। इसका राजनैतिक कारण बौद्धों को मिला राज्याश्रय था, जिसने उन्हें इतिहास के एक कालखण्ड में भारत में केंद्रीय महत्व का बना दिया था। अशोक से आम्बेडकर तक बौद्धों को राजनैतिक प्रश्रय मिलता ही रहा है। आधुनिक दक्षिण-पूर्व एशिया में तो बौद्धों के गणराज्य हैं। शंकर की धर्मध्वजा ने भारत में सनातन की पुन: प्रतिष्ठा की थी। किंतु श्रमणों के बिना भारत कभी पूर्ण नहीं हो सकता है। डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल ने बहुत सुंदर बात कही है कि श्रमणों के कारण ब्राह्मण-धर्म में वानप्रस्थ और संन्यास को महत्व मिला। अहिंसा और जीवदया के मूल्य भी श्रमणों से ही मिले। वैदिक ऋषि और श्रमण मुनि कालान्तर में ऋषि-मुनि का युग्म बनकर एकाकार हो गए थे। वैदिक संस्कृति में चले आए दोषों का संशोधन श्रमणों ने किया था। इन अर्थों में श्रमण सुधारवादी, प्रगतिशील और संशोधनकारी हैं। रजनीश ने कहा है कि जहाँ वैदिक धर्म अनेकता की ओर प्रसारित होता है- एकोऽहं बहुस्याम्!- वहीं श्रमण धर्म एकत्व की ओर लौटता है, बाहर से भीतर प्रतिक्रमण करता है। यह आरोह और अवरोह की तरह है। आधुनिक काल में गांधी और विनोबा श्रमण-संस्कृति से प्रभावित रहे। गांधी के आध्यात्मिक गुरु श्रीमद् राजचंद्र श्रमण परम्परा के ही व्याख्याता और व्यवर्हता थे। गांधी के प्रति नव्य-सनातनियों का जो रोष है, उसके भीतर बहुत गहरे ब्राह्मण-श्रमण द्वैत है। श्रमण परम्परा में श्रम, संयम और शमन का बड़ा महत्त्व है। अहिंसा, अपरिग्रह, इंद्रिय-निग्रह, देह-दमन, जीवदया और बहुचित्त की एकसूत्रता उसके केंद्रीय विचार हैं। भारतीय चेतना की अंतर्वस्तु में श्रमण परम्परा भी उतनी ही अनुस्यूत है, जितनी कि ब्राह्मण परम्परा। इसका संवैधानिक आलम्बन यह है कि हिन्दू कोड बिल के दिशानिर्देशों में सनातनियों और आर्यसमाजियों के साथ ही बौद्धों और जैनियों को भी सम्मिलित किया गया था। यानी एक व्यापक अर्थ में ब्राह्मण और श्रमण दोनों हिन्दू हैं। नवबौद्धों और दलित-आन्दोलनों के कारण आज भारत में बुद्ध के बहुत नामलेवा हैं, किंतु वृहत्तर भारतीयता के द्वारा भगवान महावीर को और सम्मान से स्मरण करना चाहिए और उनकी देशनाओं पर मनन करना चाहिए। महावीर का चिंतन अत्यंत सूक्ष्मग्राही और गम्भीर है। जैन परम्परा के पारिभाषिक शब्दों का अपना ही एक लोक है। समय, धारणा, विचार, अणु, जीव, द्रव्य, चित्त जैसे अनेक शब्दों का हम जो अर्थ निकालते हैं, जैनियों में उनके नितान्त ही भिन्न अर्थ हैं। समय को आत्मा का पर्याय बतलाकर भगवान महावीर ने एक विचार-क्रांति कर दी थी। इस विलक्षण तीर्थंकर की भारतीय चेतना में सम्यक प्रतिष्ठा हो और भोगवाद से क्लान्त भारत और विश्व में श्रमण धर्म का पुनर्भव हो, इसी कामना के साथ भगवान महावीर की जन्म-जयंती की अग्रिम शुभकामनाएँ सम्प्रेषित करता हूँ। Sushobhit

धन कैसे बढ़ाएं ?

म्यूचुअल फण्ड- शेयर या बैंक FD धन कमाने के अनेको तरीके हैं। धन कमाकर उसे और ज्यादा बढ़ाने के भी अनेको तरीके हैं। उन्हीं में से 3 तरीके म्यूचल फण्ड, शेयर बाजार एवं बैंक में फिक्स डिपोजिट भी हैं। आम आदमी के लिये बैंक एफडी ही सबसे सुलभ और निश्चित धनराशि प्राप्त करने का साधन है। म्यूचल फण्ड एवं शेयर की बात करें तो दोनों में सैंकड़ो कम्पनियों के म्यूचल फण्ड एवं शेयर प्रचलन में हैं। सूत्रों की बात यह भी है की इन दोनों में ही लगभग 90% उपभोक्ता नुकसान ही उठाता है। मात्र 10% उपभोक्ता नफ़े में रह पाता है। म्यूचल फण्ड में धन लगाने को प्रेरित करने के लिये टीवी पर विज्ञापन भी आते हैं जिनमें बड़ी-बड़ी सेलेब्रिटी एवं भारत रत्न जैसे लोग यह कहते हैं की म्यूचल फण्ड सही है। क्या ये लोग आम जनता को सभी म्यूचल फण्ड में धन की बढ़ोतरी होगी ऐसा वायदा कर सकते हैं? यदि नहीं तो फिर सही कैसे? यही हाल शेयर बाजार में शेयरों का है। उनमें भी मात्र 10% लोग ही मुनाफा कमा पाते हैं। दरअसल ये दोनों ही अनेक बातों पर निर्भर रहते हैं। देश की अर्थव्यवस्था, देश के राजनेता, देश मे गोल्ड रिजर्व, देश मे विदेशी मुद्रा का भंडार। विदेशों में देश की इज्जत। देश के प्रधानमंत्री की कार्यप्रणाली आदि अनेक बातों पर शेयर बाजार निर्भर रहता है। सिर्फ यही नहीं विश्व की गतिविधियों पर भी शेयर बाजार प्रतिक्रिया दे देता है। वास्तव में तो देश मजबूत होने पर भी यदि अमेरिका आदि के बाजार नीचे खुलते हैं तो भारतीय बाजार भी नीचे ही रहते हैं। वर्तमान में कई देशों में युद्ध हो रहा है जो तृतीय विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में भारतीय बाजार भी कितने नीचे गिर जाये कहा नहीं जा सकता। टीवी पर शेयर समस्या के समाधान को शेयर वैज्ञानिक उपाय बताते हैं। अंत मे यह कहकर की इनमें से कोई भी शेयर हमारे पास नहीं है अंतर्ध्यान हो जाते हैं। बैंक एफडी से निश्चित सीमा में धन कमाया जाता है। म्यूचल फण्ड में एफडी से ज्यादा धन कमाया जा सकता है? शेयर बाजार में अकूत धन कमाया जा सकता है? लेकिन कौन सी कम्पनी में निवेश करें यह समझ मे नहीं आता है फिर भी समझ अपनी-अपनी, किस्मत अपनी-अपनी। सुनील जैन राना

सोमवार, 15 अप्रैल 2024

मानसिकता बदलो

10 वर्ष पूर्व 4 लाख रुपये में लिया घर आज 40 लाख में बेचना है, परन्तु 10 वर्ष पूर्व 400 रुपये में मिलने वाला गैस सिलैंडर आज भी 400 रुपये में ही चाहिये. मानसिकता बदलो,सरकार नहीं..... : 😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎 जिनका मानना है, अब बहुत महंगाई हो गई है तो उनसे ही पूँछता है भारत कि जैसे 2004 में किसी चीज के रेट थे, उसके बाद 2014 तक इतने गुना बढ़े तो अब 2024 में इतने गुना बढ़कर कितने होने चाहिए ????? काँग्रेस आई 2004 में पेट्रोल 35 था, गई 2014 में 73 था मतलब 35×2=70 से भी ज्यादा तो 2024 में 73×2=146 मतलब 150 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब आटा 8 रूपए किलो था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब आटा 24 रूपए किलो था ! मतलब 8×3=24 तो 2024 में 24×3=72, मतलब 72 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब चीनी 13 रूपए किलो थी ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब चीनी 38 रूपए किलो थी ! मतलब 13×3=39 तो 2024 में 39×3=117 मतलब 117 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब सरसों तेल 35 रूपए लीटर था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब सरसों तेल 100 रूपए लीटर था ! मतलब 35×3=105 तो, 2024 मे 100×3=300, मतलब 300 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब चाँदी 7,000 रूपए किलो थी ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब चाँदी 70,000 रूपए किलो थी ! मतलब 7,000×10=70,000, तो 2024 मे 70,000×10=7,00,000 मतलब 7,00,000 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब सोना 6,000 रूपए 10 ग्राम था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब सोना 42,000 रूपए 10 ग्राम था ! मतलब 6,000×7=42,000 तो 2024 में 42,000×7=2,94,000 मतलब 2,94,000 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब जो मकान 10 लाख रूपए का था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब वो मकान 1 करोड़ रूपए का था ! मतलब 10×10=1 करोड़ तो 2024 में 1×10=10 करोड़ मतलब 10 करोड़ होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? मनमोहन सिंह सरकार के 10 सालों में प्रॉपर्टी की कीमतें 10 से 20 गुणा तक बढ़ी.....!! जिसे मोदी के कार्यकाल में मंहगाई लगती हो खुली आँखों से काँग्रेस शासनकाल की तुलना करे। वह तो भारत देश की खुशकिस्मती थी कि 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बन गये अन्यथा इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ आज विश्व भर की मंदी के दौर में श्रीलंका, बांग्लादेश व पाकिस्तान से बुरी स्थिति में भारत खड़ा होता!! अब किस-किस को महंगाई ज्यादा लगी ?????? 🙏 _"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!_ _अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !"_ चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है! साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं ! राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं ! उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं - माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !! राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए! सीधा धोबी पछाड़ ही आवश्यक है ! *एक बात और!* -:अनजाना इतिहास:- बात 1955 की है! सउदी अरब के बादशाह "शाह-सऊदी" प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे। वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे, जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागत किया गया! शाह-सऊदी दिल्ली के बाद, वाराणसी भी गए! सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह-सऊदी" के लिए एक विशेष ट्रेन में, विशेष कोच की व्यवस्था की! शाह सऊदी जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस की सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे! 😡😡 *वाराणसी में जिन जिन रास्तों सडकों से "शाह-सऊदी " को गुजरना था, उन सभी रास्तों सड़कों में पड़ने वाले मंदिरों🛕 और मूर्तियों को पर्दों से ढक दिया गया था! इस्लाम की तारीफ़ में, और हिन्दुओं का मजाक उड़ाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था: -👇🏻 अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से, मुँह अपना छुपाते थे, ये काशी के सनम-खाने! अब खुद ही सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में, किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए, ऐसा किया जा सकता है ? आज ऐसा करना तो दूर, करने के लिए सोच भी नहीं सकता! आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं, और उनको वाराणसी भी लाया जाता है! लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है, उनसे पूजा कराई जाती है! 🙏 ये था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन! 🚩 *राष्ट्रधर्म सर्वोपरि*

शनिवार, 13 अप्रैल 2024

अबकी बार फिर मोदी सरकार

*राष्ट्र हित में मतदान करने के 75 कारण* 1. श्रीराम मंदिर 2. CAA 3. नई शिक्षा नीति 4. धारा 370 5. तीन तलाक़ 6. GST 7. Demonetisation 8. महिलाओं को खुले में शौच से मुक्ति 9. महिलाओं को जहरीले धुएं से मुक्ति। 10. संसद में 33% महिलाओं को आरक्षण 11. गरीबों के सिर पर छत 12. करोड़ों को नल से पानी 13. आयुष्मान भारत 14. स्वच्छ भारत मिशन 15. दुनियां की 5वीं आर्थिक शक्ति 16. भ्रष्ट्राचार मुक्त सरकार 17. MSP पर फसलों की खरीद 18. पहले दलित राष्ट्रपति,अब आदिवासी राष्ट्रपति 19. केंद्र सरकार की वैकेंसी में ओबीसी को आरक्षण 20. गुलामी से मुक्ति 21. एक देश,एक चुनाव पर कारगर कदम 22. फ्री राशन 23. सशक्त सेना 24. आधुनिक हथियारों का स्वदेश निर्माण। 25. विदेशी एनजीओ पर नकेल 26. FCRA मजबूत, देश विरोधी एनजीओ गायब 27. नक्सलियों पर नकेल 28. विदेशी मिशनरियों पर नकेल 29. स्वदेशी टिके से फार्मा लॉबी को झटका 30. अंतरिक्ष पर कब्जा, चन्द्रमा पर चंद्रयान 31. एक करोड़ को शौर्य ऊर्जा का वादा 32. आईआईटी की भरमार 33. हर राज्य में एआईआईएमएस 34. फिर विश्व गुरु बनने की ओर 35. भ्रष्टाचार मुक्त मिनिस्ट्री 36. जीरो बम धमाके 37. दुनियां में दूसरे नंबर पर मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग 38. 100% रेलवे विद्युतीकरण की तरफ़ अग्रसर 39. मानव रहित रेल गेटों का खात्मा 40. 12.1 km प्रतिदिन से 28.6 km प्रतिदिन सड़कों का निर्माण 41. सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों की संख्या 40 पहुंची,जल्द ही 75 करने का इरादा 42. ट्रेन की पुरानी बोगियों को वंदे भारत जैसी बदलना। 43. हर जिले में मेडिकल कालेज 44. सभी धामों को हाईवे से जोड़ना 45. सीमा पर स्थित सभी गांवों को देश का पहले गांव में बदल उन्नत करना। 46. बुलेट ट्रेन 47. बड़े शहरों को मेट्रो से जोड़ना 48. UPI 49. कोविड हैंडलिंग और मुक्त टीकाकरण 50. सरदार पटेल,भगत सिंह को सम्मान 51. भारत जन धन,आधार,मोबाइल (JAM) 52. ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में विश्व गुरु 53. आतंक विरोधी प्रावधान को सशक्त करना 54. पाकिस्तान को विश्व स्तर पर अलग थलग करना 55. नमो ट्रेन 56. रिजर्व डॉलर का उच्च स्तर पहुंचाना 57. राफेल का भारत आना 58. जन धन योजना 59. सर्जिकल स्ट्राइक 60. किसान सम्मान निधि योजना 61. पीएम गरीब कल्याण योजना 62. डिजिटल इंडिया 63. स्मार्ट सिटी 64. नमामि गंगे योजना 65. नया संसद भवन 66. आदर्श ग्राम योजना 67. कौशल विकास 68. पीएम किसान सम्मन निधि 69. कृषक उन्नति योजना 70. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 71. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना 72. अटल पेंशन योजना 73. मेक इन इंडिया 74. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 75. 80 नये एयरपोर्ट🎯 ⛳⛳ मतदान अवश्य करे ⛳⛳* *⛳⛳जय हिन्द जय भारत ⛳⛳

अबकी बार 400 पार

मुख्य मुद्दे गौण, जातिवाद हावी लोकसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 19 अप्रैल 2024 को प्रथम चरण के वोट डाले जायेंगे। हर बार की तरह इस बार भी चुनावो पर जातिवाद हावी है। देश के मुख्य मुद्दे बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा आदि पर कोई बात नहीं कर रहा है। दरअसल जो मिल जाता है उसकी महत्ता कम हो जाती है। कभी इन्ही मुद्दों पर चुनाव लड़े जाते थे। वर्तमान के चुनाव बीजेपी बनाम कांग्रेस के बीच लड़ा जा रहा है या यों कहिये एनडीए बनाम गठबंधन के बीच होने वाला है। मोदीजी का नारा है अबकी बार 400 पार। इस नारे से गठबंधन भी भयभीत है। मोदीजी को अपनी गारंटी और अपने कार्य पर वोट मिलते हैं वहीं गठबंधन के पास बताने को कुछ नहीं है, सिर्फ घोषणा पत्र है। गठबंधन के घोषणा पत्र में जहां एक ओर लंबे चौड़े वायदे हैं वहीं दूसरी ओर ऐसी बाते हैं जो देश के विनाश का कारण बन सकती हैं। तुष्टिकरण की नीति पर बना है घोषणा पत्र। कांग्रेस ने देश पर 60 साल मुकम्मल राज किया। मुसलमानों को अपना वोट बैंक समझा। मुस्लिम समाज ने भी कांग्रेस का भरपूर साथ दिया। लेकिन उन्हें बदले में मिला क्या? यदि कांग्रेस ने मुसलमानों के लिये कुछ किया होता तो आज मुस्लिम समुदाय पिछड़ा न होता। कांग्रेस के यूपीए 2 में हुए बेहताशा घोटालों के कारण जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर डाला। कांग्रेस के समय देश की अर्थव्यवस्था डगमगा रही थी। 40 करोड़ रुपये के लिये सोना गिरवी रखना पड़ा था। सेना के पास लड़ने को हथियार नहीं थे। बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं थी। पास के देश चीन, पाकिस्तान धमकी देते रहते थे। बेरोजगारी चरम पर थी। बस में कहीं आओ जाओ तो यही सुनने को मिलता था, सावधान आपकी सीट के नीचे बम हो सकता है। कश्मीर में पत्थर बाज़ों का राज था। देश मे आतंकी घटनाएं होती रहती थी। ऐसा हाल था देश का। 2014 में मोदीजी बहुमत से जीत कर आये। तब से अब तक लगातार देश आगे बढ़ रहा है। देश मे सड़को का जाल बिछा दिया है गडकरी जी ने। घर -घर शौचालय बन गये हैं। हर घर, नल से जल पर तेज़ी से कार्य हो रहा है। सेना के पास आधुनिक हथियार हैं। नई-नई रेल चल रही हैं। 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन मिल रहा है। नये-नये एम्स खुल गये हैं। नये-नये एयरपोर्ट बन रहे हैं। नोटबन्दी कर पाकिस्तान को भिखारी बना दिया है। देश मे ही नहीं विदेशों में मोदी-मोदी हो रहा है। विपक्ष कहता है बेरोजगारी बहुत है। यह बात ठीक है लेकिन बढ़ती आबादी में कोई भी सरकार एक निश्चित सीमा तक ही नॉकरी दे सकती है। मोदीजी का मंत्र है मेक इन इंडिया के तहत खुद के रोजगार का सृजन करो और दूसरों को भी रोजगार दो। ऐसा हो भी रहा है। लेकिन जिसे काम ही नहीं करना उसे कौन रोजगार दे सकता है? मोदीजी का मंत्र है सबका साथ सबका विकास। इसी मंत्र पर कार्य हो रहा है। बिना भेदभाव सभी को एकसमान सुविधाएं मिल रही हैं। कहीं पर भी हिन्दू- मुस्लिम का भेदभाव नही है। सभी के जनधन खातों में समान रूप से धन भेजा जा रहा है। सिर्फ आलोचना करना ठीक नहीं है। पिछले 10 साल में मोदीजी समेत पूरे मंत्रिमंडल पर भ्र्ष्टाचार का एक भी दाग नहीं है। हिंदुस्तान में हिन्दू विरोधी मानसिकता रखने वाले, सनातन को गाली देने वाले, चुनावों के समय मन्दिर जाने का ढोंग करने वाले, राम मंदिर का बहिष्कार करने वाले कभी देश का भला नहीं कर सकते। भारत देश मिली जुली संस्कृति का देश है। सबका सम्मान करना ही होगा। तभी देश आगे बढ़ेगा। सुनील जैन राना

पिताजी का चश्मा

*घर की नई नवेली इकलौती बहू एक प्राइवेट बैंक में बड़े ओहदे पर थी ।* *उसकी सास तकरीबन एक साल पहले ही गुज़र चुकी थी । घर में बुज़ुर्ग ससुर औऱ उसके पति के अलावे कोई न था। पति का अपना निजी कारोबार था। जिसमे वो प्रायः व्यस्त ही रहते थे* *पिछले कुछ दिनों से बहू के साथ एक विचित्र बात होती है। बहू जब जल्दी जल्दी घर का सारा काम निपटा कर अपने ऑफिस के लिए निकलती, ठीक उसी वक़्त ससुर उसे आवाज़ देते औऱ कहते बहू , मेरा चश्मा साफ कर मुझें देती जा। लगातार ऑफिस के लिए निकलते समय बहू के साथ यही होता रहा। काम के दबाव औऱ देर होने के कारण क़भी कभी बहू मन ही मन झल्ला जाती, लेकिन फ़िर भी अपने ससुर के सामने कुछ बोल नहीं पाती ।* *जब बहू अपने ससुर के इस आदत से पूरी तरह ऊब और पक गई तो उसने पूरे माजरे को अपने पति के साथ साझा किया। पति को भी अपने पिता के इस व्यवहार पर बड़ा ताज्जुब हुआi लेकिन उसने अपने पिता से कुछ नहीं कहा। पति ने अपनी पत्नी को सलाह दी कि तुम सुबह उठते के साथ ही पिताजी का चश्मा साफ करके उनके कमरे में रख दिया करो, फिर ये झमेला ही समाप्त हो जाएगा ।* *अगले दिन बहू ने ऐसा ही किया औऱ अपने ससुर के चश्मे को सुबह ही अच्छी तरह साफ करके उनके कमरे में रख आई। लेकिन फ़िर भी उस दिन वही घटना पुनः हुई औऱ ऑफिस के लिए निकलने से ठीक पहले ससुर ने अपनी बहू को बुलाकर उसे उनका चश्मा साफ़ करने के लिए कहा। बहू गुस्से में लाल हो गई l लेकिन उसके पास कोई चारा नहीं था। बहू के लाख उपायों के बावजूद ससुर ने उसे सुबह ऑफिस जाते समय आवाज़ देना नहीं छोड़ा ।* *धीरे धीरे समय बीतता चला गया औऱ ऐसे ही कुछ वर्ष निकल गए। अब बहू पहले से कुछ बदल चुकी थी। धीरे धीरे उसने अपने ससुर की बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया और फ़िर ऐसा भी वक़्त चला आया, जब बहू अपने ससुर को बिलकुल अनसुना करने लगी । ससुर के कुछ बोलने पर वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती औऱ बिलकुल ख़ामोशी से अपने काम में मस्त रहती। गुज़रते वक़्त के साथ ही एक दिन बेचारे बुज़ुर्ग ससुर जी भी गुज़र गए।* *समय का पहिया कहाँ रुकने वाला था, वो लगातार घूमता रहा, घूमता रहा। उस दिन छुट्टी का दिन था। अचानक बहू के मन में घर की साफ़ सफाई का ख़याल आया। वो अपने घर की सफ़ाई में जुट गई। तभी सफाई के दौरान उसे अपने मृत ससुर की डायरी हाथ लग गई। बहू ने जब अपने ससुर की डायरी को पलटना शुरू किया तो उसके एक पन्ने पर लिखा था- "दिनांक 26.10.2019.... * आज के इस भागदौड़ औऱ बेहद तनाव व संघर्ष भरी ज़िंदगी में, घर से निकलते समय, बच्चे अक्सर बड़ों का आशीर्वाद लेना भूल जाते हैं, जबकि बुजुर्गों का यही आशीर्वाद मुश्किल समय में उनके लिए सुरक्षा और ढाल का काम करता है। बस इसीलिए, जब तुम चश्मा साफ कर मुझे देने के लिए झुकती थी तो मैं मन ही मन, अपना हाथ तुम्हारे सिर पर रख देता था i क्योंकि मरने से पहले तुम्हारी सास ने मुझें कहा था कि- " बहु को सदा अपनी बेटी की तरह प्यार से रखना औऱ उसे ये कभी भी मत महसूस होने देना कि वो अपने ससुराल में है औऱ हम उसके माँ बाप नहीं हैं। उसकी छोटी मोटी गलतियों को उसकी नादानी समझकर माफ़ कर देना। वैसे मेरा आशीष सदा तुम्हारे साथ है बेटा! " डायरी पढ़कर बहू फूटफूटकर रोने लगी। आज उसके ससुर को गुजरे करीब 4 साल से ज़्यादा समय बीत चुका हैं लेकिन फ़िर भी वो रोज़ घर से बाहर निकलते समय अपने ससुर का चश्मा साफ़ कर, उनके टेबल पर सलीके से रख दिया करती है, उनके अदृश्य हाथ से मिलने वाले आशीष की लालसा और उम्मीद में।* *प्रायः हम जीवन में हमारे रिश्तों का महत्व महसूस नहीं करते हैं, चाहे वो किसी से भी हो, कैसे भी हो और कभी कभी तो जब तक हम उन रिश्तों के भाव और मंतव्य को महसूस करके जान व समझ पाते हैं i तब तक वह रिश्ते हमसे बहुत दूर जा चुके होते हैं।* 😓 इसलिए *रिश्तों के भाव और महत्व को समझें और उनको सहेज कर रखे।* ये आपकी और हमारी सभी की अमूल्य अनमोल विरासत और पूंजी है 🙏🌹🙏

शनिवार, 6 अप्रैल 2024

राहुल गांधी

क्या कह जाते हैं राहुल गांधी ? देश की राजनीति की सिरमौर 60 सालों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी अपनी ही मौज- मस्ती में रहते हैं। देश मे होने वाले चुनावों के प्रति लापरवाह से रहते हुए न्याय यात्रा पर चल दिये। इस यात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा हुआ यह तो कांग्रेस को ही पता होगा लेकिन यात्रा में भी राहुल गांधी के बयान कुछ अटपटे, कुछ हास्यापद ही रहे थे। न्याय यात्रा में राहुल गांधी बोले मेरी यात्रा में कुत्ते भी आये, गाय भी आई, सूअर भी आये, भैंस भी आई, सब जानवर आये। इस बात से वे क्या बताना चाहते हैं या समझाना चाहते थे। महात्मा गांधी ने सत्याग्रह बताया, सत्याग्रह से मतलब सत्ता के रास्ते को कभी मत छोड़ो। पांडवों के समय मे GST थी क्या? यह कैसा सवाल? कुरुक्षेत्र में युद्ध हुआ था। पांडवों ने नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान खोली थी। सुबह चाय गरम करने के लिये स्टोव में कोयला डालते हैं। यह कैसी बातें हैं जो राहुल गांधी मंचो से कहते हैं। एक सभा मे राहुल गांधी ने कहा की मैं सत्ता के बिल्कुल बीच मे पैदा हुआ हूँ लेकिन मुझे सत्ता से प्यार नहीं है। मैं रात को सोता हूँ देश को समझने के लिये, एक प्रकार से मैं भिखमंगा हूँ। देश ने मुझे प्यार दिया। देश ने मुझे जोरो से मारा। मैंने पूछा क्यों मारा तो जबाब मिला देश मुझे सिखाना चाहता है। ऐसी अनेकों बातें जिनके न सिर हैं न पैर हैं। पता नहीं क्यों राहुल गांधी ऐसी अनर्गल बातें करते हैं। वे देश की सबसे बड़ी पुरानी पार्टी के मुखिया हैं। उन्हें कोई भी बयान बहुत सोच समझकर देना चाहिए। उनकी छोटी सी बात को भी देश गहराई से लेता है। ऐसे में उन्हें बहुत सोच समझकर बोलना चाहिए। कांग्रेस में सिर्फ राहुल गांधी ही नहीं बल्कि अनेको नेता भी अनर्गल बोल जाते हैं। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी ने रामलीला रैली में बोलते हुए गांधी परिवार के बलिदानों की याद दिलाते हुए बोल बैठे, राहुल गांधी ने भी देश के लिये जान दी। उनके चिथड़े- चिथड़े उड़ गये थे। इन सब बातों से जनता में मज़ाक ही बनता है। कांग्रेस में नेतृत्व की बहुत कमी है। इसीलिए कांग्रेस धरातल में जा रही है। सुनील जैन राना

बुधवार, 3 अप्रैल 2024

जैन धर्म

*जैन धर्म की मौलिक विशेषताएं* 1. ईश्वर सृष्टि के कर्ता नहीं है। 2. प्रत्येक जीव को अपने कर्मों का फल स्वयं ही भोगना पड़ता है। 3. हम अपने ही कर्मों से सुखी- दु:खी होते हैं। 4. हमारे अंदर भगवान बनने की अव्यक्त शक्ति मौजूद है, यदि हम पुरुषार्थ करें तो हम भी भगवान बन सकते हैं। 5. जो जीव एक बार भगवान बन जाते हैं, वे लौटकर संसार में कभी वापस नहीं आते। 6. भगवान मात्र ज्ञाता दृष्टा हैं। वे किसी का भला - बुरा नहीं करते। 7. संसार में जीवों की संख्या अनंतानंत है। 8. द्रव्य का कभी भी नाश नहीं होता, मात्र पर्याय (अवस्थ)) बदलती है। 9. दिगम्बर मुद्रा प्राप्त किए बिना जीव मुक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। 10. संसारी आत्मा जन्म-मरण करती रहती है। 11. भगवान जन्मते नहीं पुरुषार्थ से बनते हैं। 12. अनेकान्त और स्याद्वाद सिद्धांत जैन दर्शन के प्रमुख सिद्धांत है। 13. जैन धर्म अहिंसा प्रधान है। 14. जैन धर्म के सिद्धांत समय के अनुसार बदलते नहीं है। 15. जैन धर्म की मूल भाषा प्राकृत है। 16. जैन दर्शन में आत्म विकास के चौदह सोपान ,गुणस्थान के रुप में कहें हैं। 17. जैन धर्म में जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति है। 18. यदि दु;ख से दूर होना चाहते हो तो श्रामण्य को स्वीकार करना अनिवार्य है। 19. जीव और पुद्गल दोनों द्रव्य स्वतंत्र है। 20. सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान , सम्यक्चारित्र‌, इन तीनों की एकता मोक्षमार्ग है। 21. जैन दर्शन‌ में पूजा का उद्देश्य कर्म निर्जरा है, सांसारिक सुख नहीं। *बाल ब्रम्हचारी राजेश चैतन्य अहमदाबाद फोन:7974276172, 9726069091*

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