बुधवार, 29 जनवरी 2020

ऑटो मंदी -सड़को पर जाम
January 29, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
मोदी सरकार में मंदी की गिरफ़्त में तो सभी सेक्टर हैं क्योंकि लाखों फ़र्ज़ी कम्पनियाँ जो बैंको के लोन को डकार कर बैठी हैं उन्हें बंद कर दिया गया है। बैंको के लाखों करोड़ का यह लोन अब एनपीए कहलाने लगा है। पिछली सरकारों में लचर कानूनों का फायदा उठाकर खूब धन की लूट हुई। अब मोदी सरकार में बैंको द्वारा लोन देने के कड़े नियम -कानून बनाये गए हैं लेकिन एनपीए की बसूली न हो पाने के कारण अनेक जनहित के कार्य रुके हुए हैं जो मंदी दर्शा रहे हैं।
मज़े की बात यह है की एक तरफ़ देश में मंदी का माहौल बना हुआ है दूसरी तरफ़ कुछ बह चीज सस्ती नहीं है।मकान -दुकान से लेकर जमीन -जायदाद एवं वाहन आदि सभी में तेज़ी ही है। पिछले दिनों वाहन सेक्टर में मंदी का हल्ला मच रहा था लेकिन वाहनों के दामों में तो कोई कमी न हुई। अब तो मारुती कम्पनी ने अपने सभी वाहनों के दाम भी बढ़ा दिए हैं। फिर भी मनपसंद कार तुरंत नहीं मिल रही। ऐसे ही सभी कंपनियों की बात है की कुछ लेने जाओ मिलता नहीं। वाहनों के दाम लगातार बढ़ ही रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष सड़को पर एक करोड़ से ज्यादा दो पहियाँ एवं चार पहियाँ वाहन नए आ रहे हैं। ऐसे में सड़को पर जाम लगना बड़ी बात नहीं है। मोदी सरकार में पिछले पांच सालों में नितिन गडकरी जी के नेत्तृव में देश भर में सड़को का जाल बिछा दिया गया है। लेकिन गाँव -कस्बे -शहर -नगर आदि में लगातार वाहनों की बढ़ती संख्या जनजीवन के लिए ठीक नहीं है। कुछ देशों में सड़को पर नए वाहनों के लिए नियम बनाये गए हैं। जितने नए वाहन सड़को पर आये उतने ही पुराने वाहनों को निरस्त करना होगा। ऐसा करने से सड़को पर भीड़ नहीं होगी और पुराने खटारा वाहनों से भी मुक्ति मिलेगी। ऐसा ही कुछ नियम भारत में भी बनना चाहिए। तभी सड़को पर लगने वाले जाम से मुक्ति मिल सकेगी। * सुनील जैन राना *

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें