रविवार, 18 फ़रवरी 2024
किसान आंदोलन
किसान आंदोलन देशहित में नहीं
किसान आंदोलन पंजाब से शुरू हो रहा है। पंजाब के किसान पंजाब सरकार से अपनी मांगे न मनवाकर सीधे दिल्ली कूच कर केंद्र सरकार पर दबाब डालने की राजनीति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। पंजाब के किसान देश के अमीर किसानों की श्रेणी में आते हैं। अभी तक सरकार द्वारा किसानों को जो छूट दी गई है उसका सबसे ज्यादा फायदा पंजाब के किसान ही उठाते हैं। फिर क्यों ये किसान ऐसी मांगो को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जो किसी भी सरकार के लिए मानी नहीं जा सकती।
ऐसा लगता है जैसे यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। विपक्ष को मोदीजी की सफलता रास नहीं आ रही है। जब विपक्ष में बैठी होती थी तब इन्होंने MSP जैसे कानूनों को लागू करने से मना कर दिया था क्योंकि ये कानून देशहित में नहीं थे। आज विपक्ष खासकर राहुल गांधी सत्ता की चाहत में कह रहे हैं की हमारी सरकार आई तो हम किसानों की सभी बातों को मान लेंगे। राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाकर किसानों की मांगों के समर्थन की बात कर रहे हैं। जबकि उन्हें भी पता है कि MSP की सभी मांगो को पूरा करना सम्भव नहीं है।
देश का बजट 46 लाख करोड़ रुपये है और MSP की सभी मांगो को मान लेने में ही 40 लाख करोड़ रुपये खर्च हो जाएगा। लेकिन सत्ता की छटपटाहट में विपक्षी नेतागण सबकी सब मांगे मान लेने को तैयार बैठे हैं। वे यह नहीं सोच रहे की इन मांगों को मान लेने पर इनकी पूर्ति कैसे करेंगे? वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा किसानों के हित मे अनेक योजनाएं बनाई गई है जिसका लाभ किसान उठा रहे हैं। किसानों के बैंक खाते में धन, खाद में सब्सिडी, बिजली बिल में छूट, बैंक लोन में माफी एवं छूट आदि अनेको योजनाओं का लाभ देश के किसान उठा रहे हैं। एक आम आदमी को भी इतनी छूट नहीं मिलती जितनी किसानों को मिल रही है। वास्तव में तो किसानों को मिलने वाली छूट छोटे किसानों को मिलनी चाहियें। बड़े किसान जो करोडपति हैं उन्हें खुद से किसानों को मिलने वाले लाभों को छोड़ कर छोटे किसानों ला सहयोग करना चाहिए। लेकिन इस आंदोलन में बड़े- बड़े किसान मर्सडीज आदि गाड़ियां लेकर चल रहे हैं। ऐसे किसानों का आंदोलन अराजकता फैलाने के लिये ही किया जा रहा लगता है। किसानों की इन मांगों से देश मे महंगाई बेहताशा बढ़ जायेगी। आम आदमी का जीवन दुश्वार हो जायेगा। किसानों को सबके हित की बात भी सोचनी चाहिये।
सुनील जैन राना
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