सोमवार, 15 अप्रैल 2024

मानसिकता बदलो

10 वर्ष पूर्व 4 लाख रुपये में लिया घर आज 40 लाख में बेचना है, परन्तु 10 वर्ष पूर्व 400 रुपये में मिलने वाला गैस सिलैंडर आज भी 400 रुपये में ही चाहिये. मानसिकता बदलो,सरकार नहीं..... : 😎😎😎😎😎😎😎😎😎😎 जिनका मानना है, अब बहुत महंगाई हो गई है तो उनसे ही पूँछता है भारत कि जैसे 2004 में किसी चीज के रेट थे, उसके बाद 2014 तक इतने गुना बढ़े तो अब 2024 में इतने गुना बढ़कर कितने होने चाहिए ????? काँग्रेस आई 2004 में पेट्रोल 35 था, गई 2014 में 73 था मतलब 35×2=70 से भी ज्यादा तो 2024 में 73×2=146 मतलब 150 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब आटा 8 रूपए किलो था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब आटा 24 रूपए किलो था ! मतलब 8×3=24 तो 2024 में 24×3=72, मतलब 72 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब चीनी 13 रूपए किलो थी ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब चीनी 38 रूपए किलो थी ! मतलब 13×3=39 तो 2024 में 39×3=117 मतलब 117 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब सरसों तेल 35 रूपए लीटर था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब सरसों तेल 100 रूपए लीटर था ! मतलब 35×3=105 तो, 2024 मे 100×3=300, मतलब 300 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब चाँदी 7,000 रूपए किलो थी ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब चाँदी 70,000 रूपए किलो थी ! मतलब 7,000×10=70,000, तो 2024 मे 70,000×10=7,00,000 मतलब 7,00,000 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब सोना 6,000 रूपए 10 ग्राम था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब सोना 42,000 रूपए 10 ग्राम था ! मतलब 6,000×7=42,000 तो 2024 में 42,000×7=2,94,000 मतलब 2,94,000 होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनी, तब जो मकान 10 लाख रूपए का था ! 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार गई, तब वो मकान 1 करोड़ रूपए का था ! मतलब 10×10=1 करोड़ तो 2024 में 1×10=10 करोड़ मतलब 10 करोड़ होना चाहिए, लेकिन अब कितना है ?????? मनमोहन सिंह सरकार के 10 सालों में प्रॉपर्टी की कीमतें 10 से 20 गुणा तक बढ़ी.....!! जिसे मोदी के कार्यकाल में मंहगाई लगती हो खुली आँखों से काँग्रेस शासनकाल की तुलना करे। वह तो भारत देश की खुशकिस्मती थी कि 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बन गये अन्यथा इतनी बड़ी जनसंख्या के साथ आज विश्व भर की मंदी के दौर में श्रीलंका, बांग्लादेश व पाकिस्तान से बुरी स्थिति में भारत खड़ा होता!! अब किस-किस को महंगाई ज्यादा लगी ?????? 🙏 _"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!_ _अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् !"_ चुनावी जंग में अमित शाह जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं, वह सब उचित है! साम, दाम, दण्ड , भेद ,राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियाँ हैं, जिन्हें उपाय-चतुष्टय (चार उपाय) कहते हैं ! राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं ! उपाय चतुष्टय के अलावा तीन अन्य हैं - माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल !! राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है, जिसके साथ नैतिक-नैतिक खेल खेला जाए! सीधा धोबी पछाड़ ही आवश्यक है ! *एक बात और!* -:अनजाना इतिहास:- बात 1955 की है! सउदी अरब के बादशाह "शाह-सऊदी" प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे। वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे, जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागत किया गया! शाह-सऊदी दिल्ली के बाद, वाराणसी भी गए! सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह-सऊदी" के लिए एक विशेष ट्रेन में, विशेष कोच की व्यवस्था की! शाह सऊदी जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस की सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे! 😡😡 *वाराणसी में जिन जिन रास्तों सडकों से "शाह-सऊदी " को गुजरना था, उन सभी रास्तों सड़कों में पड़ने वाले मंदिरों🛕 और मूर्तियों को पर्दों से ढक दिया गया था! इस्लाम की तारीफ़ में, और हिन्दुओं का मजाक उड़ाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था: -👇🏻 अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से, मुँह अपना छुपाते थे, ये काशी के सनम-खाने! अब खुद ही सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में, किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए, ऐसा किया जा सकता है ? आज ऐसा करना तो दूर, करने के लिए सोच भी नहीं सकता! आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं, और उनको वाराणसी भी लाया जाता है! लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है, उनसे पूजा कराई जाती है! 🙏 ये था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन! 🚩 *राष्ट्रधर्म सर्वोपरि*

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl

https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl