शुक्रवार, 30 अगस्त 2024

नाबालिग कौन?

नाबालिग की उम्र 15 साल की जाए देश के कानून में नाबालिग 18 साल तक की उम्र वाला माना जाता है। नाबालिग को कानून में कई प्रकार की छूट दी गई है तो कई जगह बंदिस भी लगाई गई हैं।देश का कानून जब बना था तब की परिस्थितियों में और आज की परिस्थितियों में बहुत अंतर आ गया है। तब आम आदमी की जिंदगी ऐसी थी की मोटा खाना, मोटा पहनना, जल्दी सो जाना एवं प्रातः भी जल्दी उठना। आज के दौर में ये सब बातें बेमानी सी हो गई हैं। भौतिक युग की चकाचौंध का असर भारत मे भी पड़ने लगा है। बच्चों की विचारधारा में बहुत परिवर्तन आ रहा है। बच्चों के पहनावे, खानपान और रहनसहन सभी मे बदलाव आ गया है। जब से मोबाईल आया है तब से तो बच्चे- बड़े सभी का हाल बेहाल है। जहां एक ओर मोबाईल से बहुत सुविधा हुई है वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिये घातक बन गया है। आज देश मे बलात्कार की घटनाओं में बहुत बढ़ोतरी हो रही है। समाचार पत्र ऐसी घटनाओं से भरा रहता है। अक्सर यह पढ़ने सुनने में आता है की बलात्कारी नाबालिग है। इसलिए उसके साथ कठोर कार्यवाही नहीं कि जा सकती है। कितनी अजीब बात है, की जो बलात्कार करने के काबिल हो उसे किसी भी तरह की छूट क्यों दी जाये। आज के बच्चे गुजरे जमाने के बच्चें नहीं है। ये सब कुछ जानते हैं। अब नाबालिग की 18 साल की उम्र को 15 साल कर देना चाहिए। आज के दौर में 15 साल का बच्चा पुराने दौर के 18 साल के बच्चे की बौद्धिक जानकारी से ज्यादा जानता है, ज्यादा चतुर है। सुनील जैन राना

हड्डियों से कट कट की आवाज़

🍃 *Arogya*🍃 *हड्डियों से आती है कट-कट की आवाज? ये 3 चीजें खाएं तुरंत मिलेगी राहत* *--------------------------* *1. मेथी दाने* मेथी दाने का सेवन हड्डियों के लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए रात को आधा चम्मच मेथी दाने पानी में भिगो दें, फिर सुबह मेथी दानों को चबा- चबा कर खाएं साथ ही इसके पानी को भी पी लें। नियमित रूप से ऐसा करने से हड्डियों से आवाज आना बंद होने में मदद मिलेगी। *2. दूध पीएं* हड्डियों से कट-कट की आवाज आने का मतलब ये भी हो सकता है कि उनमें लुब्रिकेंट की कमी हो गई हो। अक्सर उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या बढ़ने लगती है। इसलिए शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम देना बहुत जरूरी है। कैल्शियम के अन्य स्त्रोत लेने के अलावा भरपूर दूध पिएं। *3. गुड़ और चना खाएं* भूने चने के साथ गुड़ का भी सेवन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। भुने चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। दिन में एक बार गुड़ और भुने हुए चने जरूर खाएं। इससे हड्डियों की कमजोरी दूर हो जाएगी और कट-कट की आवाज आना भी बंद हो जाएगी। *Dr. (Vaid) Deepak Kumar* *Adarsh Ayurvedic Pharmacy* *Kankhal Hardwar* *aapdeepak.hdr@gmail.com* *9897902760*

गुरुवार, 29 अगस्त 2024

पुराने जमाने की यादें

एक जमाना था... खुद ही स्कूल जाना पड़ता था क्योंकि साइकिल बस आदि से भेजने की रीत नहीं थी, स्कूल भेजने के बाद कुछ अच्छा बुरा होगा ऐसा हमारे मां-बाप कभी सोचते भी नहीं थे... उनको किसी बात का डर भी नहीं होता था, 🤪 पास/नापास यही हमको मालूम था... *%* से हमारा कभी भी संबंध ही नहीं था... 😛 ट्यूशन लगाई है ऐसा बताने में भी शर्म आती थी क्योंकि हमको ढपोर शंख समझा जा सकता था... 🤣🤣🤣 किताबों में पीपल के पत्ते, विद्या के पत्ते, मोर पंख रखकर हम होशियार हो सकते हैं ऐसी हमारी धारणाएं थी... ☺️☺️ कपड़े की थैली में...बस्तों में..और बाद में एल्यूमीनियम की पेटियों में... किताब कॉपियां बेहतरीन तरीके से जमा कर रखने में हमें महारत हासिल थी.. .. 😁 हर साल जब नई क्लास का बस्ता जमाते थे उसके पहले किताब कापी के ऊपर रद्दी पेपर की जिल्द चढ़ाते थे और यह काम... एक वार्षिक उत्सव या त्योहार की तरह होता था..... 🤗 साल खत्म होने के बाद किताबें बेचना और अगले साल की पुरानी किताबें खरीदने में हमें किसी प्रकार की शर्म नहीं होती थी.. क्योंकि तब हर साल न किताब बदलती थी और न ही पाठ्यक्रम... 🤪 हमारे माताजी पिताजी को हमारी पढ़ाई बोझ है.. ऐसा कभी लगा ही नहीं.... 😞 किसी एक दोस्त को साइकिल के अगले डंडे पर और दूसरे दोस्त को पीछे कैरियर पर बिठाकर गली-गली में घूमना हमारी दिनचर्या थी.... इस तरह हम ना जाने कितना घूमे होंगे.... 🥸😎 स्कूल में मास्टर जी के हाथ से मार खाना, पैर के अंगूठे पकड़ कर खड़े रहना, और कान लाल होने तक मरोड़े जाते वक्त हमारा ईगो कभी आड़े नहीं आता था.... सही बोले तो ईगो क्या होता है यह हमें मालूम ही नहीं था... 🧐😝 घर और स्कूल में मार खाना भी हमारे दैनंदिन जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया थी..... मारने वाला और मार खाने वाला दोनों ही खुश रहते थे... मार खाने वाला इसलिए क्योंकि कल से आज कम पिटे हैं और मारने वाला इसलिए कि आज फिर हाथ धो लिए 😀...... 😜 बिना चप्पल जूते के और किसी भी गेंद के साथ लकड़ी के पटियों से कहीं पर भी नंगे पैर क्रिकेट खेलने में क्या सुख था वह हमको ही पता है... 😁 हमने पॉकेट मनी कभी भी मांगी ही नहीं और पिताजी ने कभी दी भी नहीं.... .इसलिए हमारी आवश्यकता भी छोटी छोटी सी ही थीं....साल में कभी-कभार दो चार बार सेव मिक्सचर मुरमुरे का भेल, गोली टॉफी खा लिया तो बहुत होता था......उसमें भी हम बहुत खुश हो लेते थे..... 😲 छोटी मोटी जरूरतें तो घर में ही कोई भी पूरी कर देता था क्योंकि परिवार संयुक्त होते थे .. 🥱 दिवाली में लगी पटाखों की लड़ी को छुट्टा करके एक एक पटाखा फोड़ते रहने में हमको कभी अपमान नहीं लगा... 😁 हम....हमारे मां बाप को कभी बता ही नहीं पाए कि हम आपको कितना प्रेम करते हैं क्योंकि हमको आई लव यू कहना ही नहीं आता था... 😌 आज हम दुनिया के असंख्य धक्के और टाॅन्ट खाते हुए...... और संघर्ष करती हुई दुनिया का एक हिस्सा है..किसी को जो चाहिए था वह मिला और किसी को कुछ मिला कि नहीं..क्या पता.. 😀 स्कूल की डबल ट्रिपल सीट पर घूमने वाले हम और स्कूल के बाहर उस हाफ पेंट मैं रहकर गोली टाॅफी बेचने वाले की दुकान पर दोस्तों द्वारा खिलाए पिलाए जाने की कृपा हमें याद है..... वह दोस्त कहां खो गए , वह बेर वाली कहां खो गई.... वह चूरन बेचने वाली कहां खो गई...पता नहीं.. 😇 हम दुनिया में कहीं भी रहे पर यह सत्य है कि हम वास्तविक दुनिया में बड़े हुए हैं हमारा वास्तविकता से सामना वास्तव में ही हुआ है... 🙃 कपड़ों में सलवटें ना पड़ने देना और रिश्तों में औपचारिकता का पालन करना हमें जमा ही नहीं...... सुबह का खाना और रात का खाना इसके सिवा टिफिन में अखबार में लपेट कर रोटी ले जाने का सुख क्या है, आजकल के बच्चों को पता ही नही ... 😀 हम अपने नसीब को दोष नहीं देते....जो जी रहे हैं वह आनंद से जी रहे हैं और यही सोचते हैं....और यही सोच हमें जीने में मदद कर रही है.. जो जीवन हमने जिया...उसकी वर्तमान से तुलना हो ही नहीं सकती ,,,,,,,, 😌 हम अच्छे थे या बुरे थे नहीं मालूम , पर हमारा भी एक जमाना था 🙏 और Most importantly , आज संकोच से निकलकर , दिल से अपने साक्षात देवी _देवता तुल्य , प्रात स्मरणीय , माता _ पिता , भाई एवं बहन को कहना चाहता हूं कि मैं आपके अतुल्य लाड, प्यार , आशीर्वाद , लालन पालन व दिए गए संस्कारो का ऋणी हूं 🙏, 🙏🏻☺😊 एक बात तो तय मानिए को जो भी👆🏻 पूरा पढ़ेगा उसे अपने बीते जीवन के कई पुराने सुहाने पल अवश्य याद आयेंगे।🙏🏻 #स्कूल #school #schoollife #जीनेकीराह #जीवनशैली #गांव #ग्रामीण #motivation #साइकिल #cycle #जीवनी #यादें #yadein #memories #memory #newpostalert #newposttday #viralpostsdaily #viralpost2024 #viralpost2024Today #newpost2024 #Ladkiyan #लड़कियां #छात्रा #सड़क

शनिवार, 24 अगस्त 2024

भारतीय रेल

भारतीय रेल, ऐसी ज्यादा-जनरल कम भारतीय रेल प्रगति के पथ पर है। गत दस वर्षों में नई-नई रेल बनी हैं। रेलों की संख्या में इजाफा हुआ है। देश में रेल लाइनों में लगातार इजाफा हो रहा है। वन्देमातरम जैसी रेल देश की शान जैसी हैँ। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है की असामाजिक तत्व इस पर पत्थर बाज़ी कर देते हैं। हाल ही में रेल दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। जिसमें किसी साज़िस से इनकार नहीं किया जा सकता है। रेल पटरी पर बड़े-बड़े पत्थर और लकड़ी के स्लीपर रखे मिले हैं। जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और दुघर्टना का कारण बन रहे हैं। भारतीय रेल में जहां कुछ खूबियां हैं वहीं कुछ खामियां भी हैं। रेल के डब्बो में टॉयलेट आदि साफ नही रहते। ऐसी 2 में भी टॉयलेट की हालत ठीक नहीं थी। इस बारे में गत वर्ष हम श्री सम्मेद शिखर जी गए थे तब शिकायत भी करी थी। कम्बल आदि देने वाले लड़को का व्यवहार ठीक नही रहता। पुरानी चादर दोबारा दे देते हैं। शिकायत करने पर कहते हैं कि जिससे शिकायत करनी हो कर लो। ऐसा व्यवहार रहता है अक्सर। यह सब खामियां तो ठीक होनी ही चाहिए , लेकिन देश के जनरल डिब्बो में सफर करने वालो के लिये अभी बहुत सुधार की जरूरत है। बढ़ती जनसंख्या के कारण रेल यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उस अनुपात में जनरल डिब्बे भी बढ़ने चाहिये। जबकि अधिकांश रेलों में ऐसी डिब्बे ज्यादा होते हैं और जनरल डिब्बे कम होते हैं। जनरल डिब्बों की संख्या बढ़नी चाहियें। एक बड़ी समस्या यह है कि स्लीपर या जनरल डिब्बों में सीट के अनुपात से ज्यादा टिकट दे दिये जाते हैं जो ठीक नहीं हैं। जनरल डिब्बों में 70 कई जगह 200 यात्रियों को टिकट बाटना जनहित में नहीं है। रेल मंत्रालय को जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। साथ ही ऐसी डिब्बों में हो रही खामियों को दूर करना चाहिए। रेल में मिलने वाले नाश्ते, भोजन की क्वालिटी में भी सुधार होना चाहिए। डिब्बो में चाय पकोड़े बेचने वालों की क्वालिटी को चैक करना भी बहुत जरूरी है। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

उच्च वर्ग कौन?

*सरकार जवाब दे* *इन उच्च जातियों में ऊँचा क्या है? ये संविधान जवाब दे !!!* प्रश्न ये है कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्य, आदि को किस आधार पर ऊँची जाती वाला बोल कर सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। आज के दौर में ऐसा क्या है कि इन जाति में जो ऊँचा है, सरकारों को ये भी खुलासा करना चाहिए। जबकि ये जातियां अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं, अगर *पाठ पूजा* करना, *पंचांग* पढ़ना, *हवन* करवाना (उनके पौराणिक व्यवसाय के कारण), *देश और समाज की सुरक्षा* करने, उनके सम्मान और अस्मिता की रक्षा करने मे *अपनी जान न्यौछावर करना*, देश समाज की *आर्थिक ढांचे को सुचारू रूप* से चलने और व्यवसाय करने को सवर्ण जाति कहा जाता है, तो मैं बताना चाहता हूँ कि आजकल मंदिर के पुरोहित मंदिर कमेटी के आधीन नौकरी करते हैं, जिन्हें बहुत ही अल्प वेतन पर रखा जाता है और मंदिर-कमेटी के सदस्यों के दबाव में रहना पड़ता है। सेना और पुलिस आदि में सभी जाति वर्ग के भर्ती होते हैं, व्यापार भी अब सभी वर्ग और जाति द्वारा किया जाता है,कई पुजारिओं पर अब तो गाली भी पड़ने लगी हैं , फिर किस प्रकार इन को उच्च बोल कर सरकारी नौकरी में / सरकारी स्कूल में / सरकारी स्कीमों में किसी प्रकार की *छूट* नहीं दी जाती। इन की नई पीढ़ी जिन्हें किसी परीक्षा या इंटरव्यू में कोई रियायत नहीं मिलती, क्षमता होते हुए भी अपने से कम क्षमता वाले का चयन होते देखकर, वे आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं । क्या इस सविंधान ने मुगलों के जुल्म सहने का इनाम, मुग़लों से युद्ध लड़कर देश के लिए पूरे परिवार का शहीद होना, फिर मुगलों द्वारा जब ब्राह्मणों और क्षत्रियों को *काटा* जाता था, वैश्यों को लुटा जाता था, वेद पुराण, ग्रंथों को *जलाया* जाता था, तो ब्राह्मण ही था जिसे वेद पुराण *कंठस्थ* थे और वो जुल्म सहन करता हुआ भी छुप छुप कर अपने बच्चों को *मंत्र -* *हवन - क्रियाकर्म* की *विधि - मुंडन की विधि* - *गृह प्रवेश*, भूमि पूजन आदि सिखाता रहता था ताकि अपने देश की संस्कृति *जिन्दा* रह सके। वो क्षत्रिय होता था जो वन वन भटक भटक कर अपने बच्चे को घांस की रोटी खिला खिला कर देश की रक्षा का पाठ पढ़ाता था, ताकि इस देश की रक्षा हो सके और वह *हिन्दू धर्म* को बचा सके।गुरु साहिब के मासूम पुत्रो को चुनाया जाता था, उनके शहीद स्थल को खरीदने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करके, अपने लिए कोई संतान ना उत्पन्न करके अपना वंश समाप्त करने का काम भी व्यवसाई वैश्य ने ही किया था। ऐसे प्रयासों से इन ने हिन्दू धर्म को बचा लिया जबकि एक हजार वर्ष मुग़लों और 200 वर्षों अंग्रेज़ों के *जुल्म* के बावजूद भारतियों को *हिन्दू* बनाये रखा और आज उन्ही जातियों का *अपमान* हो रहा है। हम कोई विशेष सम्मान नहीं चाहते, परन्तु कम से कम *सरकारी* स्कीमों या *निजी* कार्य में बराबरी तो मिले, ये कैसी उच्च जाति व्यवस्था है कि उच्च बोल कर हमें प्रताड़ित किया जा रहा रहा है !!! *सरकारें केवल इतना जवाब दे ब्राह्मण / क्षत्रिय / वैश्यों में ऊँचा क्या है और इसका आधार क्या है ???* इस व्यवस्था ने हमें मजबूर कर दिया है कि हम इन समाज को एकजुट करें और इस व्यवस्था को खत्म करें।

मंगलवार, 20 अगस्त 2024

झंडा फहराने की बात

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क्या अंतर है ? *पहला अंतर* 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे *ध्वजारोहण कहा जाता है क्योंकि यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने हेतु किया जाता है जब प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया था। संविधान में इसे अंग्रेजी में Flag Hoisting (ध्वजारोहण) कहा जाता है। जबकि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, संविधान में इसे Flag Unfurling (झंडा फहराना) कहा जाता है। *दूसरा अंतर* 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जो कि केंद्र सरकार के प्रमुख होते हैं वो ध्वजारोहण करते हैं, क्योंकि स्वतंत्रता के दिन भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था और राष्ट्रपति जो कि राष्ट्र के संवैधानिक प्रमुख होते है, उन्होंने पदभार ग्रहण नहीं किया था। इस दिन शाम को राष्ट्रपति अपना सन्देश राष्ट्र के नाम देते हैं। जबकि 26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं *तीसरा अंतर* स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले से ध्वजारोहण किया जाता है। जबकि गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर झंडा फहराया जाता है। *आप सभी को स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं आपसे आग्रह है ये अंतर अपने बच्चों को जरूर बताएं😊🙏😊

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

पड़ोसी देश और भारत

पाकिस्तान, बंग्लादेश और भारत पाकिस्तान एक ऐसा देश जिसमें सेना और सत्ता में बैठे हुक्मरानों की मौज रहती है जबकि अधिकांश आवाम भुखमरी के कगार पर रहता है। पाक सेना से त्रस्त बलूचिस्तान, पीओके अपनी आजादी की मांग करते रहते हैं। पाकिस्तान की सेना उनपर बहुत ज्यादा जुल्म ढहाती है। पाकिस्तान में जो भी सत्ता पर काबिज होता है फिर अगले टर्म में वह जेल में होता है। यही पाकिस्तान की नियति है। भृष्टाचार से कोई अछूता नहीं रहता। आज दुनिया मे पाकिस्तान को एक आतंकी देश के रूप में जाना जाता है। बंग्लादेश जो कभी पाकिस्तान का हिस्सा था उसके पाकिस्तान से अलग होने के बाद से वह तरक्की के रास्ते पर चल निकला था। परंतु हाल की घटनाओं ने बंग्लादेश को भी पाकिस्तान की राह पर चलने वाला कट्टरपंथी देश की सूची में आ गया है। सत्ता परिवर्तन की लहर में वहां रह रहे हिंदुओ पर अत्याचार ने सम्पूर्ण विश्व का ध्यान बंग्लादेश की ओर गया है। सभी ने वहां हिंदुओ पर हो रहे अत्याचार की निंदा की है। अभी भी वहां हिंदुओ पर अत्याचार रुका नहीं है। भारत एक ऐसा देश जहां सर्व धर्म समभाव की भावना रहती है, लेकिन भारत के कुछ राज्यो में कट्टरपंथी ताकते इस भावना में फ्लीता लगा रही हैं। बंग्लादेश से आये लाखों की संख्या में रोहिंग्या देश के कई राज्यो में बस गए हैं। भारत मे फैले भृष्टाचार के कारण उनके राशनकार्ड, आधार कार्ड भी बन जाते हैं। ये रोहिंग्या देश की सुरक्षा में बाधक हैं। देश को इनसे खतरा है। लेकिन कुछ राज्य इन्हें अपना वोट बैंक बनाकर रखते हैं। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। इसलिए हम सभी को भी देश की सुरक्षा में कोई सेंध न लगा दे इस बात की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। सुनील जैन राना

मंगलवार, 13 अगस्त 2024

रिटायर्ड आदमी

⛳⭕〽️ *रिटायर्ड बेचारा क्या करे* ------------------------------------- *1. रिटायर व्यक्ति अगर देर तक सोया रहे तो....* *बीवी :* अब उठ भी जा इये ! आपके जैसा भी कोई सोता है क्या ? रिटायर हो गये तो इसका मतलब यह नहीं कि सोते ही रहियेगा....! 😐😐😐😐😐 *2. रिटायर व्यक्ति अगर जल्दी उठ जाये तो....* *बीवी:* आपको तो बुढापे में नींद पड़ती नहीं, एक दिन भी किसी को चैन से सोने नही देते हो, 5:30 बजे उठ कर बड़ बड़ करने लगते हो। अब तो आफिस भी नहीं जाना है, चुपचाप सो जाइये और सबको सोने दीजिए.....! 😢😢😢 *३. रिटायर व्यक्ति अगर घर पर ही रहे तो....* *बीवी:* सबेरा होते ही मोबाइल लेकर बैठ जाते हो और चाय पर चाय के लिए चिल्लाते रहते हो, कुछ काम अपने से भी कर लिया कीजिए । सब लोगों को कुछ न कुछ काम रहता है, कौन दिनभर चाय बना कर देता रहे। यह नहीं होता है कि जल्दी से उठकर नहा धोकर नाश्ता पानी कर लें, अब इनके लिए सब लोग बैठे रहें....! 😢😢😢 *4. रिटायर व्यक्ति अगर घर से देर तक बाहर रहे तो....* *बीवी :* कहाँ थे आप आज पूरा दिन ? अब नौकरी भी नही है, कभी मुँह से भगवान का नाम भी ले लिया कीजिए...! 😢😢😢 *5. रिटायर व्यक्ति अगर पूजा करे तो...* *बीवी :* ये घन्टी बजाते रहने से कुछ नहीं होने वाला। अगर ऐसा होता तो इस दुनिया के रईसों में टाटा या बिल गेट्स का नाम नहीं होता, बल्कि किसी पुजारी का नाम होता...! 😢😢😢 *6. अगर रिटायर व्यक्ति खाली समय में पैसा कमाने के लिए कुछ काम करे तो...* *बीवी :* हर वक़्त काम, काम ,काम। हम क्या यहाँ पर बंधुआ मजदूर हैं जो सारा दिन काम करें और शाम को आपका इंतज़ार करें...? 😢😢😢 *7. रिटायर व्यक्ति अगर पत्नी को घुमाने के लिए ले जाए तो...* *बीवी :* देखिये, सक्सेना जी अपनी बीबी को हर महीने घुमाने ले जाते हैं और वो भी स्विट्ज़रलैंड और दार्जिलिंग जैसी जगहों पर, आपकी तरह "हरिद्वार" नहाने नहीं जाते....! 😢😢😢 *8. रिटायर व्यक्ति अगर अपनी जिंदगी भर की बचत से नैनीताल, मसूरी, गोवा, माउन्ट आबू, ऊटी जैसी जगहों पर घुमाने ले भी जाए तो....!* *बीवी :* अपना घर ही सबसे अच्छा, बेकार ही पैसे लुटाते फिरते है। इधर उधर बंजारों की तरह घूमते फिरो। क्या रखा है घूमने में ? इतने पैसे से अगर घर पर ही रहते तो पूरे 2 साल के लिए कपड़े खरीद सकते थे...! *9.रिटायर व्यक्ति पुराने गानों का शौक़ीन हो तो... !* *बीवी:* बुढ़ापे में गाने भाते हैं, कोई भजन या राम के नाम ही ले लिया करो.....! *10.रिटायर व्यक्ति अगर मन बहलाने के लिए फोन करे तो....!* *बीवी :* दिन भर फोन पर लगे रहते हो, हम तो नहीं करते किसी को.....फोन! *11. रिटायर व्यक्ति बन ठन कर घर में रहे तो....!* *बीवी :* बुढ़ापे में क्या सिंगार करते हो, घर में बहुएं क्या कहेंगी...! 🙏🏼🌹🙏🏼🌹🙏🏼 *वाह रे! रिटायर आदमी* सभी रिटायर्ड बंधुओं को समर्पित

गुरुवार, 8 अगस्त 2024

जैन धर्म

किसी भी विवादित भूमि (तीर्थ) पर कब्ज़ा मुस्लिम का हुआ होता है। हकदार हिंदू होते है उस जगह के, दावा बौद्ध करते है की उनका मठ था पहले। पर निकलती है जैनियों के तीर्थकर भगवान की प्रतिमाएं। चाहे राम जन्म भूमि की खुदाई से प्राप्त जैन प्रतिमाएं हो। जो रातों रात छुपा दी गई थी। चाहे मथुरा के टीले की खुदाई से प्राप्त जैन प्रतिमाएं हो। चाहे बद्रीनाथ में विराजमान प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा हो। जो आज बद्रीनाथ हिंदू देव रूप में पूजी जाती है। आदि बहुत से ऐसे विवादित तीर्थ स्थल है। की अगर उनकी गहराई से खोज की जाए तो सभी जैन धर्म स्थल निकलेंगे। मगर जैन समाज अहिंसक और शांतिप्रिय समाज है। वो नही चाहता की किसी की धार्मिक भावना आहत हो। इस कारण जो तीर्थ स्थल जा जुके उन्हे वापस नहीं मांगता। मगर अब जैन समाज जाग चुका हैं। अब अपने किसी भी जैन तीर्थ को दूसरे धर्म तीर्थ स्थल मे नही बदलने दिया जाएगा। जैनियों पंथों को त्याग दो। और नियम लो की आप केवल जैन है। तभी खुद को, अपने समाज को और अपने तीर्थ स्थलों को बचा सकोगे। मिलकर रहो, एक रहो।। जय जिनेन्द्र 🌹🌹 जय हो चौबीस तीर्थकर भगवान की।🙏🙏

मंगलवार, 6 अगस्त 2024

जागो रे जागो

जलती रही जोहर में नारियां भेड़िये फ़िर भी मौन थे। हमें पढाया गया अकबर'' महान, तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे। 🤨😟🤨😟 सड़ती रही लाशें सड़को पर गांधी फिर भी मौन थे, हमें पढ़ाया गांधी के चरखे से आजादी आयी, तो फांसी चढ़ने वाले 25-25 साल के वो जवान कौन थे 🤨😟🤨😟 वो रस्सी आज भी संग्रहालय में है जिस्से गांधीजी बकरी बांधा करते थे किन्तु वो रस्सी कहां है जिस पे भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु हसते हुए झूले थे 🤨😟🤨😟 *"हालात.ए.मुल्क देख के रोया न गया...* *कोशिश तो की पर मूंह ढक के सोया न गया".* *जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी....* *क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी....!!!!* 🤨😟🤨😟 मंगल पांडे को फाँसी....❓ तात्या टोपे को फाँसी....❓ रानी लक्ष्मीबाई को अंग्रेज सेना ने घेर कर मारा.....❓ भगत सिंह को फाँसी....?❓ सुखदेव को फाँसी.....?❓ राजगुरु को फाँसी.....❓ चंद्रशेखर आजाद का एनकाउंटर अंग्रेज पुलिस द्वारा.....❓ सुभाषचन्द्र बोस को गायब करा दिया गया......❓ भगवती चरण वोहरा बम विस्फोट में मृत्यु.....❓ रामप्रसाद बिस्मिल को फाँसी....❓ अशफाकउल्लाह खान को फाँसी....❓ रोशन सिंह को फाँसी....❓ लाला लाजपत राय की लाठीचार्ज में .....मृत्यु❓ वीर सावरकर को कालापानी की सजा....❓ चाफेकर बंधू (३ भाई) को फाँसी....❓ खुदीराम बोस और मास्टर सूर्यसेन को फाँसी.....❓ ये तो कुछ ही नाम है जिन्होंने स्वतन्त्रता संग्राम और इस देश की आजादी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया......❓ कई वीर ऐसे है हम और आप जिनका नाम तक नहीं जानते ......❓ एक बात समझ में आज तक नही आई कि भगवान ने गांधी और नेहरु को ऐसे कौन से कवच-कुण्डंल दिये थे.......❓ जिसकी वजह से अग्रेंजो ने इन दोनो को फाँसी तो दूर, कभी जेल तक नही कड़ाई नही की गई...❓ उपर से यह दोनों भारत के बापू और चाचा बन गए और इनकी पीढ़ियाँ आज भी पूरे देश के उपर अपना पेंटेंट समझती है.....❓ *गहराई से सोचिए❓❓* जिसने भी मुझे यह संदेश भेजा है,उसको धन्यवाद।। *आप आगे भेजें या ना भेजे ये आप की मर्ज़ी !* 👉🏻 *पर ऐक सच्चा भारतीय जरूर आगे भेजेगा ।* *एक सच्चा 🇮🇳भारतीय* 🚩 *वंदय वंदये मातरंम्* 🚩👍👍

शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

संयमित जीवन

मैं जितने साल जी चुका हूँ, उससे अब कम साल मुझे जीना है। यह समझ आने के बाद मुझमें यह परिवर्तन आया है: **०१)** किसी प्रियजन की विदाई से अब मैं रोना छोड़ चुका हूँ क्योंकि आज नहीं तो कल मेरी बारी है। **०२)** उसी प्रकार, अगर मेरी विदाई अचानक हो जाती है, तो मेरे बाद लोगों का क्या होगा, यह सोचना भी छोड़ दिया है क्योंकि मेरे जाने के बाद कोई भूखा नहीं रहेगा और मेरी संपत्ति को कोई छोड़ने या दान करने की ज़रूरत नहीं है। **०३)** सामने वाले व्यक्ति के पैसे, पावर और पोजीशन से अब मैं डरता नहीं हूँ। **०४)** खुद के लिए सबसे अधिक समय निकालता हूँ। मान लिया है कि दुनिया मेरे कंधों पर टिकी नहीं है। मेरे बिना कुछ रुकने वाला नहीं है। **०५)** छोटे व्यापारियों और फेरीवालों के साथ मोल-भाव करना बंद कर दिया है। कभी-कभी जानता हूँ कि मैं ठगा जा रहा हूँ, फिर भी हँसते-मुस्कुराते चला जाता हूँ। **०६)** कबाड़ उठाने वालों को फटी या खाली तेल की डिब्बी वैसे ही दे देता हूँ, पच्चीस-पचास रुपये खर्च करता हूँ, जब उनके चेहरे पर लाखों मिलने की खुशी देखता हूँ तो खुश हो जाता हूँ। **०७)** सड़क पर व्यापार करने वालों से कभी-कभी बेकार की चीज़ भी खरीद लेता हूँ। **०८)** बुजुर्गों और बच्चों की एक ही बात कितनी बार सुन लेता हूँ। कहने की आदत छोड़ दी है कि उन्होंने यह बात कई बार कही है। **०९)** गलत व्यक्ति के साथ बहस करने की बजाय मानसिक शांति बनाए रखना पसंद करता हूँ। **१०)** लोगों के अच्छे काम या विचारों की खुले दिल से प्रशंसा करता हूँ। ऐसा करने से मिलने वाले आनंद का मजा लेता हूँ। **११)** ब्रांडेड कपड़ों, मोबाइल या अन्य किसी ब्रांडेड चीज़ से व्यक्तित्व का मूल्यांकन करना छोड़ दिया है। व्यक्तित्व विचारों से निखरता है, ब्रांडेड चीज़ों से नहीं, यह समझ गया हूँ। **१२)** मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ जो अपनी बुरी आदतों और जड़ मान्यताओं को मुझ पर थोपने की कोशिश करते हैं। अब उन्हें सुधारने की कोशिश नहीं करता क्योंकि कई लोगों ने यह पहले ही कर दिया है। **१३)** जब कोई मुझे जीवन की दौड़ में पीछे छोड़ने के लिए चालें खेलता है, तो मैं शांत रहकर उसे रास्ता दे देता हूँ। आखिरकार, ना तो मैं जीवन की प्रतिस्पर्धा में हूँ, ना ही मेरा कोई प्रतिद्वंद्वी है। **१४)** मैं वही करता हूँ जिससे मुझे आनंद आता है। लोग क्या सोचेंगे या कहेंगे, इसकी चिंता छोड़ दी है। चार लोगों को खुश रखने के लिए अपना मन मारना छोड़ दिया है। **१५)** फाइव स्टार होटल में रहने की बजाय प्रकृति के करीब जाना पसंद करता हूँ। जंक फूड की बजाय बाजरे की रोटी और आलू की सब्जी में संतोष पाता हूँ। **१६)** अपने ऊपर हजारों रुपये खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद के हाथ में पाँच सौ हजार रुपये देने का आनंद लेना सीख गया हूँ। और हर किसी की मदद पहले भी करता था और अब भी करता हूँ। **१७)** गलत के सामने सही साबित करने की बजाय मौन रहना पसंद करने लगा हूँ। बोलने की बजाय चुप रहना पसंद करने लगा हूँ। खुद से प्यार करने लगा हूँ। **१८)** मैं बस इस दुनिया का यात्री हूँ, मैं अपने साथ केवल वह प्रेम, आदर और मानवता ही ले जा सकूंगा जो मैंने बाँटी है, यह मैंने स्वीकार कर लिया है। **१९)** मेरा शरीर मेरे माता-पिता का दिया हुआ है, आत्मा परम कृपालु प्रकृति का दान है, और नाम फॉइबा का दिया हुआ है... जब मेरा अपना कुछ भी नहीं है, तो लाभ-हानि की क्या गणना? **२०)** अपनी सभी प्रकार की कठिनाइयाँ या दुख लोगों को कहना छोड़ दिया है, क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि जो समझता है उसे कहना नहीं पड़ता और जिसे कहना पड़ता है वह समझता ही नहीं। **२१)** अब अपने आनंद में ही मस्त रहता हूँ क्योंकि मेरे किसी भी सुख या दुख के लिए केवल मैं ही जिम्मेदार हूँ, यह मुझे समझ आ गया है। **२२)** हर पल को जीना सीख गया हूँ क्योंकि अब समझ आ गया है कि जीवन बहुत ही अमूल्य है, यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है, कुछ भी कभी भी हो सकता है, ये दिन भी बीत जाएँगे। **२३)** आंतरिक आनंद के लिए मानव सेवा, जीव दया और प्रकृति की सेवा में डूब गया हूँ, मुझे समझ आया है कि अनंत का मार्ग इन्हीं से मिलता है। **२४)** प्रकृति और देवी-देवताओं की गोद में रहने लगा हूँ, मुझे समझ आया है कि अंत में उन्हीं की गोद में समा जाना है। *देर से ही सही, लेकिन समझ आ गया है* *शायद मुझे जीना आ गया है* *मुझे लगता है, यह स्वीकार करने जैसा है।*

रोजगार के तरीके

*हाई एजुकेटेड बेरोजगार युवक एक बात गांठ बांध लें।* 6 महीने में आप बाइक के मैकेनिक बन सकते हो। 6 महीने में आप कार के मैकेनिक बन सकते हो। 6 महीने में आप साइकिल के मकैनिक बन सकते हो। 6 महीने में आप मधुमक्खी पालन सीख सकते हो। 6 महीने में आप दर्जी का काम सिख सकते हो। 6 महीने में आप डेयरी फार्मिंग सीख सकते हो। 6 महीने में आप हलवाई का काम सीख सकते हो। 6 महीने में आप घर की इलेक्ट्रिक वायरिंग सीख सकते हो। 6 महीने में आप घर का प्लंबर का कार्य सीख सकते हो। 6 महीने में आप मोबाइल रिपेयरिंग सीख सकते हो। 6 महीने में आप जूते बनाना सीख सकते हो। 6 महीने में आप दरवाजे बनाना सीख सकते हो। 6 महीने में आप वेल्डिंग का काम सीख सकते हो। 6 महीने में आप मिट्टी के बर्तन बनाना सीख सकते हो। 6 महीने में आप घर की चिनाई करना सीख सकते हैं। 6 महीने में आप योगासन सीख सकते हो। 6 महीने में आप मशरूम की खेती का काम सीख सकते हो। 6 महीने में आप बाल काटने सीख सकते हो। 6 महीने में आप बैंड बाजा पार्टी का काम ऐसे सीख सकते हो । 6 महिने में आप फर्नीचर का काम सिख सकते हो । 6 महिने में आप वाशिंग का काम सिख सकते हो । 6 महिने में आप टायर पंचर बनाने का काम सिख सकते हो। ऐ सब काम ऐसा है कि आप के परिवार को भूखा नहीं सोने देगा। आज भारत में सबसे अधिक दुखी वह लोग हैं जो बहुत अधिक पढ़ लिखकर बेरोजगार हैं। जो शिक्षा आप को रोजगार न दे सके वह शिक्षा किसी काम की नहीं। रोजगार के लिए आपका अधिक पढ़ा लिखा होना कोई मायने नहीं। भारत में 90% रोजगार वे लोग कर रहे हैं जो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। 10% रोजगार पाने के लिए पढ़े लिखे लोगों में मारामारी है।। स्वंय विचार करें हिंदू कि हमने रोजगार छोड़कर नौकरी करके अपने जीवन को खुद गुलाम बना दिया 90‌ परसेंट यह सब काम गैर हिन्दू कर रहा है और हमारे सामने मजबूरी आ गई उनके पास जाना ही पड रहा है *कृपया सभी हिंदू/सनातनी इस विषय पर जागरूक हों और समस्त परिवार, समाज को भी करें...*

गुरुवार, 1 अगस्त 2024

पैदल चलने के फायदे

पैदल चलें :--- पैदल चलते रहें :---- १--पैदल चलनें से मानसिक संतुलन ठीक रहता है। २-- पैदल चलनें से नींद अच्छी आती है। ३-- पैदल चलने से शुगर कंट्रोल होती है। ४-- पैदल चलनें से चिड़चिड़ापन कम होता है। ५-- पैदल चलनें से मोटापा नियंत्रित रहता है। ६-- पैदल चलनें से फेफडे मजबूत होते हैं। ७-- पैदल चलनें से हार्ट सही कार्य करता है। ८-- पैदल चलनें से भोजन पचता है। ९-- पैदल चलनें से गैस नहीं बनती। १०-- पैदल चलनें से थकान दूर होती है। ११-- पैदल चलनें से खून शुद्ध होता है। १२-- पैदल चलनें से बुद्धि तेज होती है। १३-- पैदल चलनें से हड्डियां मजबूत होती है। १४-- पैदल चलनें से आत्मविश्वास बढता है। १५-- पैदल चलनें से बल बढता है। १६-- पैदल चलनें से त्वचा रोग नहीं होते। १७-- पैदल चलनें से वात - पित- कफ नियंत्रण में रहते हैं। पैदल चलें चलते रहें और सबको चलाते रहें। योग वासिष्ठ महारामायण पढें।

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