रविवार, 28 अप्रैल 2024
खाना खराब कब होता है?
What do you say about this??
इटरनल फ़ूड 😐
कुछ दिन पहले यूट्यूब पर देखा की एक महिला ने दशकों से मैकडॉनल्ड का बर्गर और फ्रेंच फ्राइज एक डब्बे में संभाल रखे हैं, और इतना समय बीतने पर भी वे खराब नहीं हुए। ज़ाहिर तौर पर खाना तब खराब होता है जब उसके अंदर जैविक गतिविधियां होती हैं। हर खाद्य पदार्थ में सूक्ष्म जीव तो रहते ही हैं, सही वातावरण मिलने पर वे पनप जाते हैं और खाने को अपघटित करने लगते हैं, जिससे वह हमारे लिए खाद्य नहीं रहता। लेकिन मैकडॉनल्ड्स ने इस प्रक्रिया को रोक दिया है।
सुबह सैर करते समय पिछले तीन-चार दिनों से एक अधखाया पेटिस जिसे बेक्ड समोसा, पफ पेस्ट्री या हमारे तरफ बिना तला समोसा भी कहा जाता है, पड़ा दिखाई देता है। जिस जगह वह पड़ा है वो एक नई बन रही कॉलोनी है, जहां रात को शौकीन नौजवान पार्टी करने आते हैं और शराब की बोतले चिप्स के पैकेट वगैरह फेंक जाते हैं, उन्हीं में से किसी ने इसे आधा खाकर फेंक दिया होगा।
हमारे यहां पेटिस 'बना कर' देने का रिवाज है, जिसके तहत उसके अंदर केचप, सेंव और प्याज डालकर मसाला छिड़क दिया जाता है। तो यही बना हुआ पेटिस तीन-चार दिनों से एक ही जगह पर पड़ा है और कमाल की बात है, कि अब तक पूरा खराब नहीं हुआ है, ना इसपर कीड़े लगे हैं, ना ही किसी जानवर ने इसे खाया है, जबकि आसपास काफी कुत्ते घूमते रहते हैं।
आप सोचेंगे कि इस बेतुकी बात का क्या मतलब है? लेकिन गहराई से सोचें तो आखिर इस पेटिस में ऐसा क्या मिला है कि, ना खराब हो रहा है, ना कीड़े लग रहे, ना जानवर खा रहे हैं?
दरअसल लोकल बेकरीज में मैदा, तेल, नमक, शक्कर और बेकरी शार्टनिंग जो कि वास्तव में वनस्पति घी होता है, डालकर इसे बनाया जाता है। फिर उसके ऊपर प्रिजर्वेटिव मिला केचप और तली हुई सेंव डाली जाती है। शायद इन्हीं सब की वजह से ये खराब नहीं हुआ होगा। एक कारण यह भी हो सकता है कि ये सूखा पदार्थ है जो जल्दी खराब नहीं होते। पर इसके अंदर आलू की सब्जी होती है जिसमें पानी होता है, उसे तो सड़ना चाहिए ना।
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि, क्या यह पेटिस वास्तव में खाद्य है? जिस भोजन को सूक्ष्मजीव, कीड़े मकोड़े और आवारा पशु नहीं खा रहे, उसे हम लोग क्यों खा लेते हैं? क्या हमारा भोजन बोध उनसे भी गया बीता है? और क्या हमें समझना नहीं चाहिए कि बाजार में मिलने वाली हर चीज खाने लायक नहीं होती? आखिरकार पेट में जाकर भी तो भोजन का अपघटन ही होता है, फिर जो चीज इतने कठोर माहौल अपघटित नहीं हुई, वह अंदर जाकर क्या खाक पोषण देती होगी।
खाना तो वातावरण के अनुरूप ही खाया जाता है और ये बात हम सभी भी जानते है, लेकिन दुनिया की चमक धमक मे हम फीके न रह जाए तो बस.. आगे आप खुद समझदार है
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