शनिवार, 22 जुलाई 2023

ये कैसे मर्द?

'वाह रे मर्द ' मणिपुर में अभी जो मर्दानगी देखने को मिली है इसे इतिहास याद रखेगा 1947 के बाद शायद एसी घटना पहली बार घटित हुई है l एक झूठी खबर का इतना घिनौना बदला😭😭😡😡??? मर्द चाहे किसी भी जाति या समुदाय का हो उसको जन्म देने वाली एक औरत है,मर्द ने हमेशा से घर परिवार हो या फिर समाज हमेशा अपना दबदबा बनाए रखा क्यूंकि घर चलाने की ज़िम्मेदारी उठाता है इसलिए उन्होंने मर्द की हर जरूरत का ख्याल रखना परिवार वालों की भी जिम्मेदारी होती थी पर अब एसा नहीं है औरत भी घर चलाने में बराबर सहयोग करती है और समाज के उत्थान में भी सक्षम है फिर भी पुरुष प्रधान समाज है l सही मायने में मर्द और मर्दानगी क्या होती है अभी भी इनको समझने की जरूरत है और ये सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ रक्षक ही भक्षक बन जाए तो जाए तो कहा जाए, ?? दो औरतों को निवस्तर दौड़ाया गया बिना किसी कसूर के!😭😭😭😭 यदि कसूर होता भी तो भी एसा कोई करता ??? जिन नमार्दों ने किया उनको किसने ये अधिकार दिये ?? ये जो नामार्द थे वो क्या देखना या दिखना चाहते थे!अपनी माँ का वो अंग?? जिस रास्ते इस दुनिया में आए? या फिर वो अंग जिस से ढूध पीकर पले बड़े या फिर अपनी बहन की कमर की लचक य़ा फिर अपनी बीवियों के शरीर का हर एक अंग क्या,,, क्या दिखाना चाहते थे एसे दरिंदों को जन्म देने वाली मांये भी अपनी कोख को गाली दे रहीं होगी वह रे !! मर्द , देवी की मूर्ति बना कर पूजता है सर पर रख कर झांकी निकालता है और जीती जागती देवी के साथ कुकर्म करके उसको निवस्तर दौड़ता ये हमारे आज के समाज़ की उपज है तरक्की के नाम पर चंद्रयान 3 लौंच करके दुनिया में लोहा मनवा दिया और संसकlर के नाम पर तो,,,, शर्म आती है कहने को कुछ नहीं बचा ही नहीं 😪😭🥱🥱 कुछ दरिंदों के कारण पूरे वर्ग पर उंगली उठती है ये सोच कर कई बार अपने स्त्री होने पर पछतावा होता है पता नहीं कल को कौन सी ह्वानीयत हम पर लागू होगी,, उन औरतों ने एक पल में हजार बार खुद के लिए मौत की दुआ मांगी होगी क्या बीती होगी उनपर ये सोचकर आत्मा तड़प उठती है कलेजा मुँह को आता है. उन्होंने खुद को स्त्री होने पर लाखो बार कोसा होगा.... बिना स्त्री के संसार की कल्पना तो करके देखो ???? अगर इन हैवानों में से एज भी साफ बच निकलता है तो समझलें की और बुरे दिन बाकी हैं अगर कोई राजनेता या दूसरे बड़े लोग इनको बचाने की कोशिश करते है तो किसी भी स्त्री की इज़्ज़त सुरक्षित नहीं है महारिष्यों का, पेगांबरो गुरूओं का देश आज किस हाल में पहुँच गया!! बहुत कुछ लिखने का दिल कर रहा है पर मैं अपने आक्रोश को विराम देती हूं l😪😪🙏🙏🙏संगीता शर्मा l

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