सोमवार, 29 जुलाई 2024

शनिवार, 27 जुलाई 2024

सिक्के ही सिक्के

सिक्के बन रहे परेशानी का सबब देश मे सिक्के ही सिक्के चलन में हैं। हर साइज़ के पुराने सिक्कों की भरमार है फिर भी नये-नये सिक्के बनाये जा रहे हैं। अभी हाल ही में दस रुपये के नये सिक्के बनाये गए, ठीक उसी साइज़ के 20 रुपये का सिक्का भी बना दिया गया। यदि किसी के पास ये दोनों बहुत सारे सिक्के हो तो उनको अलग-अलग करना भी आसान नहीं है। इससे पहले दस रुपये के सिक्कों में जिसमें 10 बीच के सिल्वर गोल में लिखा है आज भी फल-सब्जी वाले लेने से मना कर देते हैं कि यह तो नकली सिक्का है। इसी प्रकार एक रुपये के अनेक प्रकार के सिक्के बनाये गए। कुछ सिक्के छोटे साइज़ के बनाये गए जो आज भी चलन से बाहर हैं। कोई भी उन्हें लेने से मना करता है। भले ही सरकार की तरफ से उन्हें सही करार दिया गया हो।। अभी हाल ही में एक रुपये का उससे भी छोटा सिक्का बनाया गया है जो बहुत कम देखने को मिलता है। ऐसा क्यों किया जाता है की एक कीमत के सिक्के कई साइज़ में बना दिये जाते हैं? एक कीमत के एक साइज़ में अनेक प्रिंट के सिक्के बनाये गए तो समझ मे आता है की कुछ महापुरुषों की जयंती पर एवं कुछ सरकारी कार्यो की जयंती पर सिक्के जारी करना तो ठीक है लेकिन हर बार उनके भी साइज़ में परिवर्तन करना ठीक नहीं है। सिक्को की कालाबाज़ारी भी होती है। सिक्को के जानकार बताते हैं की सिक्के देश मे कई जगह बनाये जाते हैं। उस जगह को मिंट कहते है की फल मिंट के सिक्के की कीमत यह है। लगता है कुछ जानबूझकर भी गलत छाप के सिक्के बनाये जाते है। वह गलती से बनते हैं या बनाये जाते हैं। इसे ऐसे समझिये की दस रुपए के सिक्के की एक तरफ गलती से दो रूपये के सिक्के की डाई लग गई। ऐसे में कुछ सिक्के प्रिंट हो जाते हैं फिर देखकर डाई सही वाली लगा दी जाती है। अब जो सिक्के प्रिंट हो गए उन्हें गला देना चाहिए। लेकिन ऐसे सिक्के भी कुछ लोगों के हाथ मे पहुँच जाते हैं या पहुँचा दिए जाते है जो कीमती हो जाते हैं। ऐसा अक्सर कैसे हो जाता है यह बात समझ में नहीं आती। ऐसा लगता है जैसे इसमें भी कोई माफिया गैंग शामिल हो। सरकार द्वारा सिक्कों को बहुत सोच समझ कर बनाना चाहिए। जो भी सिक्के बनें वे आम जनता तक पहुंचने चाहिए। सभी प्रकार की कीमत के सिक्कों के साइज़ में अंतर होना चाहिए। एक कीमत के सिक्कों के साइज़ एक जैसे रहने चाहिए। जो सिक्के आम आदमी नहीं लेता उन्हें बैंक द्वारा स्वीकार करने चाहिए। सुनील जैन राना

सोमवार, 22 जुलाई 2024

मुहँ ढकाई कपड़ा

मुहँ ढकने की इजाजत क्यों ? अक्सर देखने मे आता है की पुलिस किसी शातिर अपराधी को पकड़ती है तो टीवी चैनलों पर उस अपराधी का मुहँ कपड़े से ढका होता है। कपड़ा भी काले रंग का मुहँ के साइज का सिला सिलाया, जिसमें आंखों की जगह दो सूराख होते हैं एवं सांस लेके लिये नाक के पास भी सूराख बना होता है। आपको यह सब पढ़कर अजीब सा लग रहा होगा लेकिन यह सत्य है की अक्सर प्रथम दृष्टया शातिर अपराधी, बलात्कारी, हत्या का आरोपी, गबन कर्ता या कोई भ्रस्टाचारी जब भी पुलिस की पकड़ में आता है तो मीडिया के सामने उसके मुहँ पर काला कपड़ा ढका होता है। जबकि कोई साधारण आम आदमी को पुलिस किसी आरोप में पकड़ती है तो उसे ऐसे ही पेश कर दिया जाता है। अब सवाल यह उठता है की इन शातिर अपराधियों को पुलिस की गिरफ्त में उन्हें मुहँ ढकाई के लिये सिला हुआ काला कपड़ा कौन उपलब्ध कराता है? क्यों नहीं जनता के सामने उस शातिर अपराधी को बिना मुहँ ढके लाया जाता है? क्यों नहीं जनता को यह जानने दिया जाता है की हुए अपराध का अपराधी कौन है? भयंकर अपराध करने वाले का चेहरा सभी को देखने की इजाजत होनी चाहिये ताकि सज़ा से पहले ही वह अपराधी शर्म से तो शर्मसार हो ही जाये। सुनील जैन राना

बुधवार, 17 जुलाई 2024

जैन धर्म मे ह्रास

जैन और वैदांत दर्शन ============ जैन समाज के लिए काला दिवस 13/07/2024 ========== जैन धर्म का प्राचीन इतिहास। जैन धर्म अनुसार जब भोग भूमि (कल्पवृक्ष)समाप्त होना प्रारम्भ होने लगे तब क्रमशः 14कुलकरो का जन्म हुआ जिनकी आयु असंख्यात करोड़ों बर्ष कि थी। जो निम्न हैं 1.प्रतिश्रुति 2.सन्मति 3.क्षेमंकर 4.क्षेमंधर 5.सीमंकर 6.सीमन्धर 7.विमलवाहन 8.चक्षुमान 9.यशस्वान् 10.अभिचन्द्र 11.चन्द्राभ 12.मरुद्धव नोट :-चन्द्राभ तक एक पुत्र ही जन्म लेता था। लेकिन मरुद्धव और माता सत्या से इन्हें दो पुत्र रत्न हुए जो क्रमशः 13वें और 14वें कुलकर हुए (१३) प्रसेनजित (१४) नाभिराय जैन धर्म के अंतिम कुलकर हुए जिन्हें (मनु)के नाम से भी जाना जाता है। नाभिराय और माता मरुदेवी के यहां अयोध्या नगरी में जन्मे पुत्र विश्व के प्रथम राजा भगवान श्री ऋषभदेव जी(आदि नाथ) तीर्थंकर इनकी आयु 84लाखपूर्व कि थी उनके प्रथम पुत्र जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र के एक आर्य खंड के पांच म्लेच्छ 6खंडों के चक्रवर्ती सम्राट महाराजा भरत के नाम से भारत देश को जाना जाता है। जैन धर्म प्राचीनतम् धर्म है। जिस जैनधर्म प्रथम राजा ऋषभदेव ने कल्पवृक्षों जब समाप्त होने लगें भोगभूमी के अंत में प्रजा को पालन पोषण के लिए षट्(6-छै) शिक्षाओ का ज्ञान दिया वह यह है 1.असि2.मसि 3.कृषि4.बाणिज्य 5.शिल्प6.कला के साथ साथ भारतवर्ष के प्रथम राजा ऋषभदेव ने अपनी पुत्रीयों को दो विद्याएं एक साथ सिखलाईं जो दाएं हाथ पर बैठीं राजकुमारी ब्राह्मी देवी को अक्षर विद्या कि शिक्षा सिखलाईं। दूसरी राजकुमारी सुन्दरी जो वाएं हाथ पर बैठीं थीं को अंक विद्या सिखलाई इसीलिए उल्टी तरफ से गणित का हिसाब किताब किया जाता है। विश्व में सर्वप्रथम जैन धर्म में जिनमंदिर, अर्हंत मूर्ति, प्रतिमा का निर्माण कार्य भी सर्वप्रथम भारतवर्ष से हि प्रारंभ हुआ जैनधर्म में लेखन कार्य ब्राम्ही लिपि, देवनागरी,अर्धमागधीं, प्राकृत भाषा में सर्वप्रथम ग्रंथों कि रचना हुई यहां तक कि अंक विद्या में भी ग्रन्थ कि रचनाएं देखने को जैन धर्म में मिलती हैं। विश्व में जैन धर्म में जिनमंदिर, अर्हंत मूर्ति, प्रतिमा का निर्माण कार्य भी सर्वप्रथम भारतवर्ष से हि प्रारंभ हुआ था। जैन धर्म में 24तीर्थंकर हुए जो सभी क्षत्रिय वर्ण के हुए। अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामी के प्रमुख गणधर इंद्रभूति ब्राह्मण हुए हैं। 24तीर्थंकरों कि पांच निर्वाण (जहां मोक्ष गए) भूमियां है। 1.प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव कि कैलाश पर्वत, 2.12वें तीर्थंकर श्री बांसपूज्य कि चम्पापुर के पास मंदारगिर पर्वत। 3.22वें तीर्थंकर श्री नेमीनाथ कि जूनागढ़ के पास गिरनार पर्वत। 4.24वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी कि पावापुर जी। 5.20 तीर्थंकरों कि श्री सम्मेद शिखरजी आज समय काल का परिवर्तन देखिए जिस सनातन यानी प्राचीन धर्म से निकलीं दो प्राचीन साखाएं जिसमें जैनदर्शन और वैदिक दर्शन एक हि सिक्के के दो पहलू हैं।कतिपय लोगों ने आज स्वतंत्रता के पश्चात् क्षत्रिय वर्ण के यदुवंश शिरोमणि , यदु कुल गौरव (यादव) में जन्म लेने वाले द्वारकाधीश श्री कृष्ण नारायण के चचेरे भाई जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर कि मोक्ष स्थली (निर्वाण भूमि) पर आषाढ़ शुक्ला सप्तमी तिथि को मोक्ष प्राप्त किया था। वह तिथि दि.13/07/2024को थी। उस पवित्र भूमि पर अभिषेक पूजन अर्चना निर्वाण लाडू चढ़ाने नहीं दिया गया। जो जैन समाज के श्रद्धालुओं के साथ जिस प्रकार आतंकवादी जैसी चैकिंग को अंजाम दिया गया।हम जैन लोगों कि चावल बदाम श्री फल नारियल आदि बाहर रखवा दिए या छुड़ा कर फेंक दिए गए जहां चरण चिन्ह एवं प्रतिमा (मूर्ति) विराजमान हैं वहां नहीं लेजाने दिए गए अभिषेक पूजन पाठ निर्वाण लाडू नहीं चढ़ाने दिया गया है। पुलिस प्रशासन के द्वारा उक्त कृत करवाना क्या उचित है। जबकि भारत मे केन्द्र और राज्य में भाजपा सरकार है जो धर्म कि रक्षा के जानीं पहचानीं जाती है। सबका साथ सबका विकास जिसका नारा है।संविधान में एवं कानून के तहत कोर्ट से भी जैन समाज को अधिकार प्राप्त होते हुए भी निर्वाण दिवस पर पूजन लाडू ना चाढ़ाने देना यह भारत देश का दुर्भाग्य है। और जैन समाज के साथ पहली वार ऐसा हुआ है। इसलिए काला दिवस भी है। जैन धर्म के तीर्थंकरों कि मोक्षस्थलिओं पर बद्रीनाथ जी,मंदारगिरजी,अब गिरनार जी पर जहां पर जैन प्रतिमा चरण चिन्ह आदि मौजूद है वहां पर जैन समाज को दर्शन, पूजन,निर्वाण लाडू से वंचित कर दिया जाना कहां तक उचित है। अपितु अनेकों प्राचीन भारतवर्ष में जो मंदिर है वह ज्यादा तर जैन मंदिर है। जिसमें जैन तीर्थंकरों कि अर्हंत मूर्ति कि भेष बदल कर पूजा अर्चना कि जा रही है। बहुत से ऐसे मंदिर है मैं नाम नहीं लिखना चाहता हूं। जिन विद्वानों ने भागवत पुराण, ऋग्वेद, यजुर्वेद आदि का सम्पूर्ण अध्ययन किया है वह जैन धर्म से भलीभांति परिचित हैं। जानकार सभी जानते हैं कि सत्यता क्या है। सबसे बड़ा दुःख और खेद का कारण तो यह है कि जो तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के प्रमुख गणधर इंद्रभूति, वायुभूति, अग्निभूति ब्राह्मण हुए जिन्होंने महावीर कि दिव्यधुनी रुपी वाणी का प्रचार प्रसार किया आज उसी परम्परा के हमारे अपने ब्राह्मण भाईयों को अहम् भूमिका है इसमें अभिषेक दर्शन पूजन निर्वाण लाडू ना चाढ़ाने देने में। मैं भारत देश के सभी श्रीं श्रीं 1008 शंकराचार्यों से एवं भारत देश के प्रमुख कर्णधार विद्वान कथा वाचक, शास्त्रीयों, एवं जो इतिहास के जानकार विद्वतापूर्ण ज्ञाता हैं वह जैन दर्शन और वैदिक दर्शन का गूढ़ रहस्य जानने वाले ब्राह्मण हैं उन सभी से निवेदन अनुरोध विनय करता हूं कि समय परिवर्तन सील है। वह अपनी ओजस्वी वाणी से जैन और वेदिक पराम्परा के भाईयों एक जुट करने में सक्षम है और एक जुट संगठित करें। भारतबर्ष में जितने भी जैन मंदिरो पर कब्जा है उन सभी मंदिरों में जैन समाज के लोगों को एक समय निश्चित करवा कर अभिषेक, दर्शन, पूजन, निर्वाण लाडू जैसे कार्यों को करने अनुमति प्रदान करवा कर पुण्य संचय के साथ मोक्षदायिनी का अपना मार्ग प्रशस्त करें। जैन समाज वहां हो रही ब्राह्मण भाईयों कि आमदनी में हिस्सा नहीं चाहता वह तो उल्टा वहां दान पुण्य करेगा आप की आमदनी आप की हि रहेंगी। मेरे प्रिये भाईयों जरा विचार करें जिनके मंदिर मूर्ति प्रतिमा विराजमान हैं और उन्हें हि आप अभिषेक पूजन अर्चना से वंचित कर पुण्य संचय कि जगह पाप का संचय कर रहे हैं। हां यह जरूर कि आप धन संपत्ति संचय कर रहे हैं। पर एक बात है वह दूसरे भव में काम नहीं आएगी इसलिए जैन समाज को अभिषेक पूजन अर्चना का अधिकार दे कर परलोक के लिए पुण्य का संचय करतें हुए अपने लिए मोक्ष मार्ग (वैकुंठ धाम)का रास्ता अपनायें। धर्म कि जय हो। अधर्म का नाश हो।। प्राणियों में सद्भावना हों। देश में समृद्धि सुख शांति हो।। भारतवर्ष में शास्वत सनातन धर्म दोनों परंपरा कि संस्कृति सभ्यता रक्षा होती रहें। एवं अक्षुण्ण बनी रहे। जिस प्रकार संस्कृत भाषा का लोप किया जा रहा है उसे प्रथम संस्कृत मातृभाषा, द्वितीय हिंदी भाषा ,तृतीय अंग्रेजी भाषा मिलकर दर्जा दिलाना अतिआवश्यक है। इस समय विद्यालयों स्कूलों से जिस प्रकार संस्कृत भाषा का खत्म करने का कार्य भारत में केन्द्र एवं राज्य सरकार के शिक्षा विभाग कर रहें हैं। वह दिन दूर नहीं है भाषा खत्म होते ही धर्म संस्कृति सभ्यता खत्म होने में समय नहीं लगेगा। मेरे शब्दो से अगर कि को अच्छा ना लगें तो वह मुझे क्षमा करें।🙏🙏🙏 पढ़ कर भूल जाएं। अगर सत्यता हों तो आगे पहुंचाएं। प्रतिष्ठाचार्य पं.अजित(जैन बन्धु) शास्त्रि ऐरौरा टीकमगढ़ म.प्र. 9754682969 7000265886

मंगलवार, 16 जुलाई 2024

मखाने से लाभ

*सुबह खाली पेट खाएं मखाने, बीमारियां रहेंगी कोसों दूर।* *शुगर:-* आप मखाने के सुबह खाली पेट बीस दानों का सेवन करके शुगर से हमेशा के लिए निजात पा सकते है। इसके सेवन से शरीर में इंसुलिन बनने लगता है और शुगर की मात्रा कम हो जाती है। फिर धीरे-धीरे शुगर रोग भी समाप्त हो जाता है। *हृदय के लिए फायदेमंद:-* मखाना केवल शुगर के रोगी के लिए ही नहीं बल्कि हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों में भी लाभदायक है। इनके सेवन से हृदय स्वस्थ रहता है और पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है। *तनाव कम:-* मखाने के सेवन से तनाव दूर होता है और अनिद्रा की समस्या भी दूर रहती है। रात को सोने से पहले दूध के साथ मखानों का सेवन करें और स्वयं असर महसूस करें। *जोड़ों का दर्द दूर:-* मखाने में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। इनका सेवन जोड़ों के दर्द, गठिया जैसे रोगियों के लिए बहुत लाभदायक साबित होता है। *पाचन में सुधार:-* मखाना एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो सभी आयु वर्ग के लोगों को आसानी से पच जाता है। इसके अलावा फूल मखाने में एस्‍ट्रीजन गुण भी होते हैं जिससे यह दस्त से राहत देता है और भूख में सुधार करने के लिए मददगार है। *किडनी को मजबूती:-* फूल मखाने में मीठा बहुत कम होने के कारण यह स्प्लीन को डिटॉक्‍सीफाइ करता है। किडनी को मजबूत बनाने और ब्‍लड को बेहतर रखने के लिए मखानों का नियमित सेवन करें।

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शनिवार, 13 जुलाई 2024

महंगी किताबे- भारी बस्ता

महंगी किताबें - भारी बस्ता, क्यों ? आज के समय मे बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाना आसान नहीं रहा है। बच्चों की महंगी किताबें अभिभावकों के लिये समस्या बन रही है वहीं भारी बस्ता बच्चों के लिये परेशानी का सबब बन रहा है। जिस प्रकार एनसीईआरटी की किताबें सरकारी स्कूलों में पढ़ाई जाती है वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से निजी प्रकाशकों की किताबें पढ़ाई के लिये लगाई जाती हैं। जिनके दाम आसमान को छूते दिखाई देते हैं। राजकीय व प्रशासकीय स्तर पर ncert की पुस्तकें लगाने के निर्देश जारी किये जाते हैं एवम सभी सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में ये पुस्तकें निशुल्क दिये जाने का प्रावधान है। तो फिर क्यों नहीं प्राइवेट स्कूलों में भी ncert की पुस्तकों से पढ़ाई कराना अनिवार्य कर दिया जाये। सूत्र बताते हैं की प्रकाशकों की बहुत बड़ी लॉबी और स्कूलों को मिलने वाला भारी भरकम कमीशन इस कार्य मे बाधा बनता है। सरकार इन प्रकाशकों के आगे नतमस्तक रहती है और प्रकाशक स्कूलों को भारी कमीशन देते हैं। ऐसे में मध्यम वर्ग के अभिभावक जो अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाना चाहते है परेशान रहते हैं। स्कूलों की मनमानी ऐसी होती है की उनके यहां पढ़ाई जाने वाली पुस्तकें उनके मनमाफिक जगह ही मिलेंगी अन्य कहीं से नहीं मिल सकती है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। बच्चों का भारी बस्ता इतना भारी की बच्चें बस्ता उठाते परेशान हो जाते हैं। बहुत सारी किताबें और कापियों का बोझ बच्चों पर भारी पड़ता है। इसके लिये सरकारी/ गैरसरकारी स्तर पर विचार विमर्श होना चाहिए की कैसे बच्चों के बस्ते का बोझ कम किया जा सकता है? सुनील जैन राना

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

विनाश की शुरुआत

Reality of life हमारा विनाश कब व कैसे शुरू हुआ था? 1. हमारा विनाश उस समय से शुरू हुआ था, जब हरित क्रांति के नाम पर देश में रासायनिक खेती की शुरूआत हुई और हमारा पौष्टिक वर्धक, शुद्ध भोजन विष युक्त कर दिया गया। 2. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश में जर्सी गाय लायी गई और भारतीय स्वदेशी गाय का अमृत रूपी दूध छोड़कर जर्सी गाय का विषैला दूध पीना शुरु किया था। 3. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन भारतीयों ने दूध, दही, मक्खन, घी आदि छोड़कर शराब पीना शुरू किया था। 4. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देशवासियों ने गन्ने का रस छोड़कर पेप्सी, कोका कोला पीना शुरु किया था, जिसमें 12 तरह के कैमिकल होते हैं और जो कैंसर, टीबी, हृदय घात का कारण बनते हैं। 5. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देशवासियों ने शुद्ध देशी तेल खाना छोड़ दिया था और रिफाइंड आयल खाना शुरू किया था, जो रिफाइंड ऑयल हृदयघात आदि का कारण बन रहा है। 6. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश के युवाओं ने नशा शुरू किया था। बीडी, सिगरेट, गुटखा, गांजा, अफीम, आदि शुरू किया था, जिससे कैंसर बढ रहा है। 7. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश में हजारों नकली दवाओं का व्यापार शुरु हुआ और नकली दवाओं से लोग मर रहे हैं। 8. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देशवासियों ने अपने स्वदेशी भोजन छोड़कर पीजा, बर्गर, जंक फूड खाना शुरू किया था, जो अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है। 9. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने अनुशासित और स्वस्थ दिनचर्या को छोड़कर मनमानी दिनचर्या शुरू की थी। 10. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने घरों में एलुमिनियम के बर्तन व घर में फ्रिज लाया था। 11. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन भारतीय जीवन शैली को छोड़कर विदेशी जीवन शैली शुरू की थी। 12 .हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने स्वस्थ रहने का विज्ञान छोड दिया था और अपने शरीर के स्वास्थ्य सिद्धांतों के विपरीत कार्य करना शुरू किया था । 13. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश का अधिकतर युवा / युवतियां व्यभिचारी बनकर व्यभिचार करना, गर्भ निरोधक गोलियां खाना, लाखों युवतियां हर साल गर्भाशय कैंसर से मरती हैं। 14. हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने अपने बच्चों को टीके लगवाना शुरू किया था और यह विचार कभी भी नहीं किया था कि टीकों का बच्चों के शरीर पर भविष्य में क्या प्रभाव पडेगा? 15. इस शरीर की कुछ सीमा है, कुछ मर्यादा है, कुछ स्वस्थ सिद्धांत हैं, लेकिन मनमाने आचरण के कारण शरीर की बर्बादी की है। नोट :- हमारे विनाश के अनेक कारण हैं। आज लोगों को सिर्फ रोना ही दिखाई दे रहा है, उन्हें यह भी देखना चाहिए कि लोग कैंसर, टीबी, हृदय घात, शुगर, किडनी फेल, BP High, BP Low, अस्थमा आदि गंभीर बीमारियों से मर रहे हैं।

गुरुवार, 11 जुलाई 2024

कैसे-कैसे बाबा?

*दुनिया रंग-रंगीली बाबा* सात लाख रूपये दीजिये तो "राधे माँ" (जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देंगी, और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ "आशीर्वाद" ले सकते हैं। "निर्मल बाबा" जो लाल चटनी,और पानी पूरी, में भगवान की कृपा दे रहा है। "रामपाल" जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं और अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है। "ब्रह्माकुमारी" वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं, और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं। "राम-रहीम" वाले घर पर माता-पिता की सेवा करें ना करें, अपनी बहू - बेटी - पत्नी को डेरे में सेवा करने भेज देते है (जिसका हाल हम सभी देख चुके है) लेकिन वो अब भी अपने भक्तों का "पापा" (पिता) है। "राधास्वामी" वाले अपने गुरु को ही मालिक, परमेश्वर, भगवान, ईश्वर, मानते हैं, वो साक्षात ईश्वर का अवतार है। "निरंकारी" है जो खुद भक्तों का उद्धार करने वाला ही करोड़ो की गाड़ी में 350 की स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में हत हो जाता है, औरों का तो पता नही पर अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है। *कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है* जिसने अपनी दुकान जितनी भव्य सजायी वो ही उतना बड़ा "परमेश्वर" हो गया। बाबा जी को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता, बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि, "जीवन-मरण प्रकृति के हाथ में है" *अंधभक्त श्रद्धा से सुनते तो हैं, पर सोचते नहीं हैं।* बाबा जी हवाई जह़ाज में उड़ते हैं। सोने से लदे होते हैं, दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि,"मोह - माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो"। *अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं, पर सोचते नहीं हैं।* भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं। लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं, तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं। *अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं, लेकिन सोचते नहीं हैं।* भक्त बीमार होते हैं डॉक्टर से दवा लेते हैं, लेकिन जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, "बाबा जी ने बचा लिया" पर जब बाबा जी बीमार होते हैं, तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं। *अंधभक्त उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं।* अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं। उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं। जब बाबा जी किसी अपराध में जेल जाते हैं, तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते, तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते - मरते हैं, *लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं।* इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञानेन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं, लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञानेन्द्रिय काम नहीं करती। अतः जागृत बनें, तार्किक बनें। *वरना यह हाथरस काण्ड आखिरी नहीं है।

शनिवार, 6 जुलाई 2024

ढोंगी बाबा

बाबाओं के मकड़जाल में फंसी जनता भारत देश विभिन्न संस्कृतियों एवं धर्मो का देश है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है की यहां की जनता अपने धर्म के मन्दिर में भले ही न जाये लेकिन चर्चा में आये कथित बाबा के सत्संग में जरूर जाती है। दरअसल कथित बाबा के एजेंट गांव- देहात में जाकर बाबा की ऐसी बात बताते हैं की बाबा पहुँचे हुए सन्त हैं, ऋद्धिधारी हैं, परमेश्वर जैसे हैं। बस भोलीभाली जनता चल पड़ती है बाबा के सत्संग में। कुछ अपनी बीमारी दूर करवाने की इच्छा से तो कुछ अन्य चाहत में। देश में बाबाओं के मकड़जाल फैला हुआ है। फैले भी क्यों नहीं? सबसे सस्ता- सबसे अच्छा धंधा है बाबा बनना। इस धंधे में नफा ही नफा है नुकसान का तो कोई काम ही नहीं। बस जरूरत है प्रचार- प्रसार की। इसके लिये बाबा के चेले इस कार्य को बखूबी करते हैं। पहली बार बाबा के सत्संग में 100 लोग आये और बाबा ने उन सभी को पुड़िया में भभूत दी और कहा सब ठीक हो जायेगा यह पानी से ले लेना। तो उसमें से आधे का काम, बीमारी तो खुद से ही ठीक हो जाती है लेकिन वे समझते हैं की बाबा की पुड़िया ने असर दिखाया। बस वही से बाबा के भक्तों का बढ़ना शुरू हो जाता है औऱ बाबा का व्यापार चलना शुरू हो जाता है। ऐसे में कथित बाबा कुछ जादू सीख ले और भक्तों को दिखा दे तो भक्तों के लिये वह बाबा चमत्कारी बाबा बन जाता है। बस, ऐसा ही कुछ हो रहा है देश के विभिन्न क्षेत्रों में। कहीं कोई बाबा लोकप्रिय है तो कहीं किसी अन्य बाबा की धूम मची है। इन बाबाओं के आगे सरकारें भी नतमस्तक सी रहती हैं। कहीं-कहीं ये बाबा चुनावों में वोट दिलाने का माध्यम भी बनते हैं। ज्यादातर सरकारें इन्हें कुछ नहीं कहती। लेकिन हाल ही में हाथरस में एक कथित बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से 113 लोगो की जान चली गई। ऐसा होना बहुत दुःखद है। उक्त बाबा की खोजबीन हो रही है। लेकिन इतने बड़े हादसे के बाद भी बाबा के अधिकांश भक्त बाबा को परमेश्वर जैसा ही मान रहे हैं। यह अंधभक्ति की पराकाष्ठा है। सुनील जैन राना

शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

नाइ पीढ़ी, दोषी कौन?

वैसे तो आजकल के पैरेंट्स खुद बहुत समझदार हैं परंतु कुछ चीजें बच्चों के जीवन में बड़ा महत्वपूर्ण हैं जो आज की जीवनशैली में विलुप्त होती जा रही है और आगे जीवन में बहुत काम आने वाली हैं जैसे ..... ◆- अपने बच्चों के साथ कम से कम दो बार खाना जरूर खाएं। उन्हें खाने के महत्व और उसे इसके उगाने और बनाने में लगे कठिन परिश्रम के बारे में बताएं और उन्हें बताएं कि अपना खाना बेकार न जाने दें । ◆- खाने के बाद उन्हें अपनी प्लेटें खुद धोने दें। इस तरह के कामों से बच्चे मेहनत की कीमत समझेंगे। ◆- उन्हें अपने साथ खाना बनाने में मदद करने दें। उन्हें उनके लिए सब्जी या फिर सलाद बनाने दें। ◆- अपने पड़ोसियों के घर जरूर जाएं. उनके बारे में और जानें और घनिष्ठता बढ़ाने दें । ◆- दादा-दादी/ नाना-नानी के घर जाएं और उन्हें बच्चों के साथ घुलने मिलने व बातें करने दें। उनका प्यार और भावनात्मक सहारा आपके बच्चों के लिए बहुत काम आएगा । उनके साथ फ़ोटो लेने दें । ◆- उन्हें अपने काम करने की जगह पर लेकर जाएं जिससे वो समझ सकें कि आप परिवार के लिए कितनी मेहनत करते हैं। ◆- संभव हो तो किसी स्थानीय त्योहार या स्थानीय बाजार को में ले कर जाएं। ◆- अपने बच्चों को किचन गार्डन , पेड़ पौधों के बारे में जानकारी दें और उन्हें खुद करने दें यह बच्चे के विकास के लिए जरूरी है। ◆- अपने बचपन और अपने परिवार के इतिहास के बारे में बच्चों को बताएं। ◆- अपने बच्चों का बाहर जाकर खेलने दें, चोट लगने दें, गंदा होने दें। कभी कभार गिरना और दर्द सहना उनके लिए अच्छा है। सोफे के कुशन जैसी आराम की जिंदगी आपके बच्चों को आलसी निकम्मा बना देगी। ◆-यदि संभव हो तो उन्हें कोई पालतू जावनर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चिड़िया या मछली पालने दें और उनकी परवाह करने दें। ◆- उन्हें कुछ लोक गीत सुनाएं और याद कराएं। कुछ वेदमन्त्र उनको अर्थ सहित याद कराएं। ◆- अपने बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानी की कुछ किताबें लेकर दें ◆- अपने बच्चों को टीवी, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से जितना हो सके स्वयं दूर रखें। यह सब तो स्वयं उनके जीवन में आने ही वाला है । ◆- उन्हें चॉकलेट्स, जैली, क्रीम केक, चिप्स, गैस वाले पेय पदार्थ और पफ्स जैसे बेकरी प्रोडक्ट्स और समोसे जैसे तले हुए खाद्य पदार्थ देने से बचें। ◆- अपने बच्चों की आंखों में देखें और ईश्वर को धन्यवाद दें कि उन्होंने इतना अच्छा उपहार आपको दिया। अब से आने वाले कुछ सालों में वो नई ऊंचाइयों पर होंगे। माता-पिता होने के नाते ये जरूरी है कि आप अपना समय बच्चों को दें। हमें याद है जब हम छोटे थे तो ये सब बातें हमारी जीवन का हिस्सा थीं, जिसके साथ हम बड़े हुए हैं, लेकिन आज हमारे ही बच्चे इन सब चीजों से दूर हैं, जिसकी वजह हम खुद हैं।* *आज के कठिन समय में बच्चों के साथ ऐसे कार्य करे जिससे उनके अंदर त्याग, समर्पण, सेवा परोपकार की भावना जागृत हो। #परिवार #रिश्ते #जिंदगी #कहानी #मातापिता #बच्चे #स्कूल #प्रेरणा

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

महान कौन?

मैं बहुत सोचता हूं पर उत्तर नहीं मिलता...🤔🤔 आप भी इन प्रश्नों पर गौर करना कि...👇👇 १. जिस सम्राट के नाम के साथ संसार भर के इतिहासकार “महान” शब्द लगाते हैं... २. जिस सम्राट का राज चिन्ह #अशोकचक्र भारत देश अपने झंडे में लगाता है... ३. जिस सम्राट का राज चिन्ह चारमुखी शेर को भारत देश राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाती है और सत्यमेव जयते को अपनाया गया है... ४. जिस देश में सेना का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान सम्राट अशोक के नाम पर अशोक चक्र दिया जाता है... ५. जिस सम्राट से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ, जिसने अखंड भारत (आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान) जितने बड़े भूभाग पर एकछत्र राज किया हो... ६. जिस सम्राट के शासन काल को विश्व के बुद्धिजीवी और इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं... ७. जिस सम्राट के शासन काल में भारत विश्व गुरु था, सोने की चिड़िया था, जनता खुशहाल और भेदभाव रहित थी... ८. जिस सम्राट के शासन काल जी टी रोड जैसे कई हाईवे रोड बने, पूरे रोड पर पेड़ लगाये गए, सराये बनायीं गईं इंसान तो इंसान जानवरों के लिए भी प्रथम बार हॉस्पिटल खोले गए, जानवरों को मारना बंद कर दिया गया... ऐसे महान #सम्राटअशोक की जयंती उनके अपने देश भारत में क्यों नहीं मनायी जाती? न कि कोई छुट्टी घोषित कि गई है अफ़सोस जिन लोगों को ये जयंती मनानी चाहिए, वो लोग अपना इतिहास ही नहीं जानते और जो जानते हैं वो मानना नहीं चाहते... 1. जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर जो जीता वही सिकन्दर “कैसे” हो गया…? (जबकि ये बात सभी जानते हैं कि सिकंदर की सेना ने #चन्द्रगुप्तमौर्य के प्रभाव को देखते हुये ही लड़ने से मना कर दिया था बहुत ही बुरी तरह मनोबल टूट गया था जिस कारण , सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्युकश कि बेटी की शादी चन्द्रगुप्त से की थी) 2. #महाराणाप्रताप ”महान” ना होकर ... अकबर ”महान” कैसे हो गया…? (जबकि, अकबर अपने हरम में हजारों लड़कियों को रखैल के तौर पर रखता था यहाँ तक कि उसने अपनी बेटियो और बहनोँ की शादी तक पर प्रतिबँध लगा दिया था जबकि महाराणा प्रताप ने अकेले दम पर उस अकबर के लाखों की सेना को घुटनों पर ला दिया था) 3. #सवाईजयसिंह को “महान वास्तुप्रिय” राजा ना कहकर शाहजहाँ को यह उपाधि किस आधार मिली...? जबकि साक्ष्य बताते हैं कि #जयपुर के हवा महल से लेकर तेजोमहालय {ताजमहल} तक, महाराजा जय सिंह ने ही बनवाया था...! 4. जो स्थान महान मराठा #क्षत्रियवीरशिवाजी को मिलना चाहिये वो क्रूर और आतंकी औरंगजेब को क्यों और कैसे मिल गया...? 5. स्वामी विवेकानंद और आचार्य चाणक्य की जगह… विदेशियों को हिंदुस्तान पर क्यों थोप दिया गया…? 6. तेजोमहालय- ताजमहल, लालकोट- लाल किला, फतेहपुर सीकरी का देव महल- बुलन्द दरवाजा एवं सुप्रसिद्ध गणितज्ञ वराह मिहिर की मिहिरावली(महरौली) स्थित वेधशाला- कुतुबमीनार, क्यों और कैसे हो गया...? 7. यहाँ तक कि राष्ट्रीय गान भी… संस्कृत के वन्दे मातरम की जगह गुलामी का प्रतीक जन-गण-मन हो गया है कैसे और क्यों हो गया...? 8. और तो और हमारे आराध्य भगवान् राम व कृष्ण तो इतिहास से कहाँ और कब गायब हो गये...? पता ही नहीं चला, आखिर कैसे...? 9. यहाँ तक कि हमारे आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पावन अयोध्या भी कब और कैसे विवादित बना दी गयी…? हमें पता तक नहीं चला… कहने का मतलब ये है कि हमारे दुश्मन सिर्फ बाबर, गजनवी, तैमूरलंग ही नहीं हैं बल्कि आज के सफेदपोश तथाकथित सेक्यूलर भी हमारे उतने ही बड़े दुश्मन हैं। #धर्मो_रक्षति_रक्षितः

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