शनिवार, 29 जून 2024

मिलावट का बाज़ार

बढ़ रही मिलावट, मीडिया के कारण बाजार में मिलावटी वस्तुएँ धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। दूध -सिंथेटिक, मावा -सिंथेटिक, पनीर- सिंथेटिक, घी -सिंथेटिक, मसालों में मिलावट, फल- सब्जियां कैमिकल से पकी हुई, यों कहिये की बाज़ार में शायद ही खाने की कोई वस्तु बिना मिलावट या बिना कैमिकल के मिलती हो। मिलावट के बाजार में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में कुछ लोग खाद्य पदार्थों में ज़हर बेच रहे हैं। उन्हें अपनी कमाई के अलावा उनके द्वारा बेची जा रही वस्तुओं से कोई बीमार हो जाये या किसी की जान चली जाये इस बात से कोई सरोकार नहीं होता। कभी- कभाक पकड़-धकड़ में उनमें से कुछ पकड़े जाते हैं। भृष्टाचार के चलते अधिकांश का बाल भी बांका नहीं होता। मिलावटी बाजार के बढ़ने में मीडिया सहयोगी की बात इस कारण कही जा रही है की कुछ दशक पहले तक इतनी मिलावट नहीं थी जितनी अब हो रही है। इसका मुख्य कारण बेरोजगारी एवं टीवी मीडिया ही है। सिंथेटिक दूध का कारोबार जब से अधिक बढ़ा है जब मीडिया ने सिंथे दूध कैसे बनता है इसका पूरा तरीका टीवी पर दिखाया है। ऐसे में जो लोग बेरोजगार थे वे भी इस धंधे में लग गए। इसी प्रकार अन्य मिलावटी खाद्य पदार्थ की कोई फैक्ट्री पकड़ी गई तो टीवी मीडिया उसमें बनने वाले मिलावटी पदार्थों को तो दिखता ही है बल्कि वे कैसे बनाये गए यह भी बताता है। ऐसा करने से अन्य बहुत से लोग उस कार्य मे लग जाते हैं। कौन सा फल कौन से कैमिकल से पकता है, कौन सी सब्जी में कौन सी दवाई लगती है, मसालों में क्या मिलावट की जाती है, चाय की पत्ती में क्या मिलाते हैं,आदि बातें आमजन को टीवी से पता चल जाती हैं। यही नहीं महुए से देसी शराब कैसे बनती है यह फार्मूला भी टीवी से पता चल जाता है। ऐसे ही अनेको बातें जो गोपनीय होती हैं वह टीवी चैनलों से सार्वजनिक हो जाती हैं, जिसके कारण मिलावट का बाज़ार बढ़ जाता है जो जनहित में बहुत हानिकारक हो रहा है। जनहित में इस प्रकार के फार्मूले वाले समाचारों पर रोक लगनी चाहिए। सुनील जैन राना

फ़्रेंच फ्राई ?

मैं कई दिनों से देख रहा हूँ कि मेरे छोटे से शहर में और 1 किलोमीटर के एरिया में कम से कम 4 छोटी दुकानें और कैफे खुल गए हैं, जो फास्ट फूड बेचते हैं। मजे की बात ये है कि इन सभी रेस्टोरेंट और कैफे के मेनू एक जैसे हैं और कीमतें भी बराबर हैं। इनमें 4-5 तरह के पिज्जा, 3-4 तरह के बर्गर, रैप रोल और फ्रेंच फ्राइज़ शामिल हैं। मेरे घर बच्चे आए थे, तो सोचा कि यहीं कहीं से कुछ फास्ट फूड ले लूँ। जैसे ही दुकान में घुसा और फ्रेंच फ्राई बनते देखा, मुझे कुछ अजीब लगा। पहले से कटे हुए आलू फ्रीजर से निकाले गए और तेल में डाल दिए गए। मैंने पूछा, "ताजा आलू क्यों नहीं काटते?" उसने जवाब दिया, "ये कटा-कटाया आता है, बस फ्राई करके देना होता है।" मैंने कहा, "ताजा आलू भी तो तुरंत काट सकते हो।" उसने बताया, "ये आलू अलग होते हैं, सस्ते होते हैं और प्रोसेस करके बनाए जाते हैं ताकि ये तेल में डालने पर हमेशा गोल्डन और कुरकुरे बने रहें।" फिर पिज्जा की बारी आई। देखा, पहले से बना-बनाया ब्रेड लिया, रेडीमेड सॉस डाली, लिक्विड चीज और प्रोसेस चीज डालकर बेक कर दिया। मैंने कहा, "यार, सब रेडीमेड है, कुछ खुद नहीं बनाते?" उसने गुटखा मुँह में दबाए जवाब दिया, "सारी व्यवस्था टंच है, सारा माल कंपनी का है।" जब उसने दिखाया तो मेरा दिमाग घूम गया। 1 किलो के पैकेट्स में पिज्जा सॉस, मेयोनीज़, चीज आदि थे, जिनमें राइस ब्रान ऑयल और कॉटन सीड ऑयल के मिश्रण थे। टमाटर सॉस में केवल 20% टमाटर पल्प था, बाकी 80% में ऑयल, प्रिजर्वेटिव, रंग और आर्टिफिशियल फ्लेवर थे। इसी तरह, फ्रेंच फ्राइज़ के आलू महीनों पहले डीप फ्रीज किए गए थे। प्रोसेस करके उनमें से स्टार्च निकाला गया था और खराब न होने वाली दवाइयां डाली गई थीं। आलू को काट कर रखने पर वह तुरंत ऑक्सीजन से क्रिया कर काला पड़ जाता है, लेकिन ये आलू महीनों बाद भी वैसे ही रहते हैं। अब सोचिए, जो बच्चे हर दूसरे दिन ये जहर खा रहे हैं, उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा? पेपर में न्यूज़ आती है कि दिल्ली में 8वीं में पढ़ने वाले लड़के की हार्ट अटैक से मौत हो गई, लेकिन कभी सुना है कि कोई गरीब या गांव में रहने वाले लड़के के साथ ऐसा हुआ हो? लोग वैक्सीन को दोष दे रहे थे, लेकिन मुझे लगता है सच्चाई कुछ और है। इसे बेचने वाले खुद नहीं जानते कि खाने के नाम पर वे जहर बेच रहे हैं। वे तो बस चंद मुनाफे और अपने परिवार का पेट पालने के लिए ये कर रहे हैं, और उन्हें भी पता है कि इसकी डिमांड है। हर कैफे के बाहर स्कूल और कॉलेज के बच्चे लाइन लगाकर खड़े होते हैं। ये बच्चों के पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे इस जहर के बारे में अपने बच्चों को बताएं। नहीं तो यकीन मानिए, आपके बच्चों के लिए स्थिति बहुत ही बदतर और भयावह होने वाली है। इसके अतिरिक्त, हमें सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को भी इसके बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि वे कड़े नियम और दिशानिर्देश लागू करें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों के खाने में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हों। हमें सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसके बारे में जागरूक हो सकें। इसे जितना जल्दी हो सके, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें क्योंकि ऐसी पोस्ट्स रिपोर्ट करके डिलीट करवा दी जाती हैं, ताकि ये जहर बनाने वालों का धंधा चलता रहे। फास्ट फूड के बढ़ते चलन और इसके संभावित स्वास्थ्य खतरों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम और हमारे बच्चे इनसे सुरक्षित रहें। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं जो आपको और आपके परिवार को इन हानिकारक प्रभावों से बचा सकते हैं: 1. स्वस्थ खाने की आदतें विकसित करें घर का बना खाना: कोशिश करें कि घर पर ताजे और पौष्टिक भोजन तैयार करें। इसमें ताजे फल, सब्जियाँ, अनाज और प्रोटीन शामिल करें। संतुलित आहार: बच्चों को संतुलित आहार खाने की आदत डालें, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स भरपूर मात्रा में हों। 2. फास्ट फूड से बचें फास्ट फूड का सेवन कम करें: फास्ट फूड खाने की आदत को कम करें और बाहर खाने की बजाय घर पर ही खाना बनाएं। रेडिमेड खाद्य पदार्थों से दूर रहें: रेडिमेड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। यह सुनिश्चित करें कि जो भी सामग्री आप उपयोग कर रहे हैं, वह ताजी और बिना किसी हानिकारक प्रिजर्वेटिव के हो। 3. खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान दें सामग्री की जांच करें: फूड लेबल पढ़ें और यह सुनिश्चित करें कि खाद्य सामग्री में हानिकारक रसायन, प्रिजर्वेटिव्स, और आर्टिफिशियल फ्लेवर नहीं हैं। ताजगी की जाँच: ताजगी और गुणवत्ता के लिए स्थानीय बाजार से ताजे फल और सब्जियाँ खरीदें। 4. शिक्षा और जागरूकता बच्चों को शिक्षित करें: बच्चों को फास्ट फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में बताएं और उन्हें स्वस्थ खाने की आदतें सिखाएं। सामाजिक जागरूकता: सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाएं ताकि अधिक से अधिक लोग इसके बारे में जागरूक हो सकें। 5. नियमित स्वास्थ्य जांच स्वास्थ्य जांच: नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि किसी भी संभावित स्वास्थ्य समस्या का समय पर पता चल सके। शारीरिक गतिविधि: बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में संलग्न करें, जैसे खेलकूद, योग और अन्य शारीरिक व्यायाम। 6. समुदाय और सरकार की पहल समुदाय का समर्थन: अपने समुदाय में फास्ट फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाएं। सरकारी नीतियाँ: सरकार और स्वास्थ्य संगठनों से अपील करें कि वे फास्ट फूड के मानकों को सख्त बनाएं और स्वस्थ खाद्य विकल्पों को प्रोत्साहित करें। 7. हाइड्रेशन और घरेलू नुस्खे पानी का सेवन: बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के लिए प्रेरित करें। सॉफ्ट ड्रिंक्स और शुगरी ड्रिंक्स से बचें। घरेलू नुस्खे: घर पर ही स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स जैसे कि सलाद, स्मूदी और फ्रूट चाट बनाएं। इन उपायों को अपनाकर आप और आपका परिवार फास्ट फूड के हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं और एक स्वस्थ जीवनशैली अपना सकते हैं। याद रखें, स्वस्थ खाना ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

अग्निवीर योजना

*🙏🌹 Jai Hind 🌹🙏* Sabhi bhartiyon ko desh ki raksha karne ka sunahra mouka. *अग्निपथ स्कीम* के *तहत सेना में शामिल होने के लिए 24 जून से रजिस्ट्रेशन और 25 जुलाई से ऑनलाइन एग्ज़ाम शुरू होंगे,,17 से 23 साल के बीच बच्चे जो 10 वी 12वी पास है ज़रूर इस मुहिम का हिस्सा बने ,,अपने आसपास के बच्चों तक ये जानकारी पहुंचाएं* ।। *ज़रूर से ज़रूर इस जानकारी को अपने दोस्त रिश्तेदारों तक पहुंचाएं।* *समझ रहे हों ना ये किस के लिए तैयारी हो रही हैं इसलिय वक्त रहते हुवे हमें भी भर्ती होने के लिए तैयारी स्टार्ट कर देनी चाहिए* पहला साल- 21,000×12= 2,52,000 दूसरा साल- 23,100×12= 2,77,200 तीसरा साल- 25,580×12= 3,06,960 चौथा साल- 28,000×12= 3,36,000 *कुल मिला कर 11 लाख 72 हज़ार 160 रुपए, चार सालों में मिलेंगे उसके बाद, रिटायरमेंट पर 11 लाख 71 हज़ार।* *बच्चो, जॉब आर्मी की है, रहना खाना, इलाज वगैरह सब फ़्री है, मतलब जो उम्र नुक्कड़ों पर चाय सिगरेट में निकल जाती है, उन 4 सालों में 23 लाख 43 हज़ार 160 रुपये कमाने का सुनहरा अवसर है*। *आप 17 से 23 साल की उम्र के लड़के अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना को जॉइन ज़रूर कीजिए। समझिए मोदी जी सरकारी पैसों से 4 साल आपको आर्मी की ट्रेनिंग देंगे, साथ मे इतने सारे पैसे भी, जॉब वैसे भी नहीं है, बारवीं या गरेड्यूशन करने के बाद सीधे अग्निपथ के रास्ते पर चले जाइए, यही आपका भविष्य है और हमारा भी।* *उसके बाद 24-25 की उम्र में रिटायरमेंट के बाद, इन पैसों से कोई बिजनेस शुरू कर लीजिएगा, या नहीं तो इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग के साथ ही, आर्मी का अनुशासन आपके बहुत काम आएगा। लाइफ जैसी अभी चल रही है, उससे बेहतर तय है। तो आप अग्निपथ योजना के विरोध का हिस्सा हरगीज ना बने , बल्कि उसे गहराई तक जाकर समझने का प्रयास करे , आप के लिए बल्क में, आर्मी तक नहीं पहुँचने का जो आरक्षण था अब वो ख़त्म हो चुका है।* *और सोचिए 24 के उम्र में 0 से आर्मी ट्रेनिंग के साथ कुल मिला कर 11 लाख रूपये सैलरी के रूप में मिलने वाला पूरा पैसा अगर आप ख़त्म भी कर देते हैं तो रिटायरमेंट के वक़्त मिलने वाला 11 लाख 71 हज़ार रुपिया कम नहीं है।।* *ज्यादा से ज्यादा बच्चो को बताए* 🏃🏃🏃🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *फॉरवर्ड टू ऑल ग्रुप एंड मेंबर्स* आपकी गली मुहल्ले शहर भारत की सुरक्षा के लिऐ केवल यह योजना बनाई गई है , साभार

मंगलवार, 25 जून 2024

शाकाहारी बनों

मैं जन्मजात शाकाहारी हूं और आज तक मांसाहार, शराब या किसी नशीले पदार्थ का सेवन नहीं किया l रात को जब मैं सोने जाता हूं तो मेरी आत्मा पर कोई बोझ नहीं होता कि मेरी वजह से किसी जीवित प्राणी को कष्ट दिया गया था। अंतःकरण पर बोझ नहीं होना-- ये दौलत आज बड़े से बड़े रईस के पास भी नहीं होती! मैं आपसे आग्रह नहीं करता कि आप भी मेरी तरह शाकाहारी बन जाएं, लेकिन मैं आपसे यह अपेक्षा ज़रूर करता हूं कि आप मुस्तैदी से इस बात की पड़ताल करने की कोशिश करेंगे कि आपका भोजन कहां से आता है, कैसे आता है, उसके लिए किसी जीवित प्राणी के साथ कैसा सलूक किया जा रहा है? - कि एक गैय्या अकेले में क्यों रोती है, जिसके बच्चों को उससे छीन लिया गया है और जिसके शरीर को दूध और मांस पैदा करने वाली मशीन बना दिया गया है... एक निर्दोष पक्षी अपनी अकारण हत्या से पहले क्या सोच रहा होता है!इसका अंदाजा इंसान भी कभी उस प्रकिया से गुजरेगा उसे तब पता चलेगा।

गुरुवार, 20 जून 2024

नीम, पीपल,बरगद

आप को लगेगा अजीब बकवास है, किन्तु यह सत्य है... पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है... पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75 %... इसके बदले लोगों ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया, जो जमीन को जल विहीन कर देता है... आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है... अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही, और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही... हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगायें, तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त भारत होगा.. 🌳🌳 वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए... पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं... वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है.. इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए- मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच। पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।। अब करने योग्य कार्य... इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें.. बाग बगीचे बनाइये, पेड़ पौधे लगाइये, बगीचों को फालतू के खेल का मैदान मत बनाइये.. जैसे मनुष्य को हवा के साथ पानी की जरूरत है, वैसे ही पेड़ पौधों को भी हवा के साथ पानी की जरूरत है.. बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच। घर घर नीम लगाइये, यही पुरातन साँच।।

बुधवार, 19 जून 2024

अमीर अच्छे या गरीब

*मुकेश अंबानी* आज सुबह अपने बंगले में Gold Coated मार्बल की डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। सामने चांदी की प्लेट व बाउल में अनसाल्टेड स्प्राउटस् और बिना शक्कर की चाय पी रहे थे। फिर कुछ देर बाद अनसाल्टेड ओकरा (भिंडी) की एक सब्जी और बिन घी तेल की दो चपाती और गर्म खनिज पानी ले रहे थे। 7,000 करोड़ रुपये का घर, दस नौकरों द्वारा नाश्ता मिल रहा था, पचासों एसी चल रहे थे, पंखे हवा दे रहे थे। इमारतों के नीचे से प्रदूषण का धुआं निकल रहा था। ऐसे माहौल में नाश्ता कर रहे थे अंबानी...😊 वहीं दूर खलिहान में दूर कुएं की मेढ़ पर एक खेतिहर मजदूर बैठा था। वो छोले की तरी वाली सब्जी के साथ ४ परांठे, हल्दी-मसाले में पकी भिंडी व साथ में अचार भी खा रहा था। मीठे में गुड़ और पीने के लिए बर्तन में ठंडा पानी था। सामने हरे-भरे खेत, शुद्ध हवा में लहराती फसलें, ठंडी हवाएं, चिड़ियों की चहचहाहट, और वह आराम से खा कर रहा था। *500 रुपए* कमाने वाला एक खेतिहर मजदूर वह खा रहा था जो 7 अरब रुपए का मालिक नही खा पा रहा था। अब बताओ इन दोनों में क्या अंतर था? 🤔 अंबानी 60 साल के हैं और मजदूर भी 60 साल का है। नाश्ते के बाद अंबानी मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और बीपी की गोलीयाँ ले रहे थे और वह खेतिहर मजदूर चूने के साथ पान खा रहा था। *कोई हीन नहीं, कोई महान नहीं।* इसलिए, *खुशी* की तलाश मत करो, *सुख* महसूस करो। "अतुलनीय आनंद" के उत्पादन पर जीएसटी *0%* है। *खुद को ढूँढें,* बाकी सब कुछ गूगल पर है। खुशी अमीरों की बपौती नहीं होती।

शुक्रवार, 14 जून 2024

क्यो अटके 240 पर

मोदी जी 4 जून से लगातार मन में मंथन चल रहा था कि आखिर आप 240 पर कैसे अटक गये। फिर कई बाते विचार करने योग्य निकलीं 1. वर्ष 2014 में देश में चुनाव आया, तो आपने कहा मैं प्रधानमंत्री नहीं हूँ, मैं तो प्रधान सेवक हूँ। देशवासियों ने जबरदस्त स्वागत किया, बदले में आपने देश हित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए, मजा आ गया, मजा आ गया 2. समय बदला और 2019 में आप ने कहा कि मै तो देश का चौकीदार हूँ। आपने चौकीदार की अर्जी दी... देश की जनता ने पहले से भी ज्यादा भर भर के आशीर्वाद दिया... और इस दूसरे टर्म में आपने पहले की अपेक्षा देश हित में और कई अभूतपूर्व काम किए, साथ ही संसार में यश और नाम खूब बढ़ा। हमें बहुत खुशी हो रही थी। मजा आ रहा था 3. फिर भी बहुत तकलीफ थी। जिस जिहादी कौम का भरोसा पृथ्वीराज चौहान भी नही जीत पाए, उनका भरोसा आप जीतने में लगे रहे। दस सालों में आप मध्यम वर्ग को भूल गये.. 4. अमीरों को मांगने की जरूरत नही होती... गरीबों को राशन, मकान, दे रहे हो, फिर मध्यम वर्ग को क्या मिला कभी सोचा नहीं सोचा... अल्पसंख्यकों को मिलाने के लिए आपके अनूठे प्रयोगों से कोर वोटर नाराज़ होते रहे.. ये आपने ही कहा था ना कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ मे कंप्यूटर होना चाहिए... ठीक बिलकुल ठीक... फिर हिन्दुओं के हाथ में क्या होना चाहिए? कभी बताया नहीं आपने खैर बदले में मुसलमानों ने आपके हाथ मे घंटा पकड़ा दिया पूरे साठ सालों में जितना लाभ उनको कांग्रेस ने नहीं दिया, उससे कई गुना ज्यादा आपने इनको 10 सालो में, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, गैस, बिजली, पानी, सड़क, रेल, सब कुछ दिया... 5. आपके फ़ैसले से आपके लोग दुखी हुए, फ़िर भी आपके साथ दुखी भाव से खड़े रहे... लेकिन जब चुनाव का वक्त आया तो आपने सरकार बचाने या चुनाव जीतने का नारा ही नहीं दिया, जबकि साइकोलॉजिकल नैरेटिव "अबकी बार चार सौ पार" का कर दिया... 6. आप के वोटर बाहर ही नहीं निकले, क्योंकि सब यही सोचते रहे अरे 400 पार तो हो ही जायेगा, एक मेरे वोट से क्या होगा... 7. आपने कांग्रेस, राहुल गांधी, और विरोधियों को सड़क पर उतार दिया। आपसे दूसरी बड़ी गलती यही हो गई 8. *बंगाल मे आप के कार्यकर्ता मरते रहे, प्रताड़ित होते रहे, रोते रहे, कलपते रहे.. मगर पूर्ण बहुमत की सरकार होते हुए भी आपने कुछ नहीं किया। अजी कार्यकर्ता तो छोड़िए, CBI, ED को भी पीटते रहे, आपने कुछ नहीं किया। ममता को हटाया क्यूँ नहीं? बर्खास्त करना चाहिए था।* 9. आज उस राहुल का कद इतना बड़ा हो गया कि उसने अपने मामूली से कार्यकर्ता से आपकी अमेठी वाली प्रत्याशी, जिसने कभी स्वयं राहुल को हराया था, को भारी अंतर से पटकवा दिया.. खैर जूता महँगा हो अथवा सस्ता, उसे सर पर नहीं रखते.. किंतु आपकी समझ में नहीं आया... 10. आप नहीं माने। बीजेपी वाशिंग पाउडर से धो धो कर दूसरी पार्टी के भ्रष्टाचारियों को पनाह देते रहे.. क्योंकि आपको विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बनना था। 11. जो आप के पुराने कार्यकर्ता थे वो मुँह ताकते रहे, आप गैरों को टिकट देते रहे। ये आपके वही कार्यकर्ता थे जो 2014 और 2019 के चुनाव में जान और धन लुटाते रहे.... अभी भी वक्त है, पैंतरे बदलिए और खुद को संभालिए। 12. *बीजेपी फैजाबाद से हार गई। जानते है क्यों हारे?* *आपने राम भक्तो पर गोलियाँ चलवाने वाले को पदम् श्री आदि से सुशोभित किया। किया ना?* *तो फिर वहाँ की पब्लिक ने राम द्रोही को जितवा दिया, तो क्या गलत किया?* इससे बड़ा और प्रमाण क्या चाहिए की देशद्रोहियों को सिर्फ आपका फ्री माल चाहिए, लेकिन वे आपको वोट नहीं देंगे शुक्र मनाइए कि अच्छे काम की वजह से जागृत हिन्दू के कारण आपकी सरकार अंतिम समय में बन गई। अपने इस टर्म में राजनीति से ऊपर उठकर विकास और हिन्दुत्व का ऐसा मापदंड तय कीजिए कि विश्व के मानचित्र पर विकसित, समृद्ध, और सशक्त भारत की मजबूत और सुदृढ़ स्थिति हो। आखिर में, आपने पार्टी और देश को टू मैन कम्पनी के तरीके से 10 वर्ष चलाया है। इस रवैये को अब थोड़ा बदल दीजिये, और थोड़ा अपने कार्यकर्ताओं की बात पर ध्यान देना शुरू करिए। थोड़ा हिन्दू मध्यम वर्ग की भी चिंता कीजिये, जिसने भाजपा और जनसंघ को अपने खून से पाला है। आपका दुःखी शुभ चिंतक।

दोबारा होगा नीट

*दोबारा होगा 1563 छात्रों का नीट 2024 एग्जाम, ग्रेस मार्क्स खत्म, पात्र छात्र छात्राओं को इंसाफ मिलने का रास्ता तय।* *1563 उम्मीदवारों के ग्रेस मार्क वापस, 23 जून को फिर से परीक्षा: सुप्रीम कोर्ट* *काउंसलिंग पर रोक नही बस 1563 ग्रेस पाने वाले छात्र छात्राओं को ही दोबारा पेपर या बिना ग्रेस के काउंसिलिंग में बैठने का विकल्प* नई दिल्ली: नीट परीक्षा को लेकर जारी विवाद के बीच आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से नीट-यूजी 2024 के 1,563 उम्मीदवारों को ग्रेस अंक देने का निर्णय वापस ले लिया गया है। ऐसे उम्मीदवारों को 23 जून को फिर से परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। इसके नतीजे 30 जून को आएंगे। एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होगी। ऐसे में अब छात्रों के पास विकल्प होगा कि वे फिर से परीक्षा देना चाहते हैं या बिना ग्रेस मार्क के काउंसलिंग में शामिल होना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गड़बड़ी के आरोपों के आधार पर नीट यूजी 2024 को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं सहित सभी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि वह नीट यूजी 2024 की काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाएगा। कोर्ट ने कहा कि काउंसलिंग जारी रहेगी। हम इसे रोकेंगे नहीं। अगर परीक्षा होती है तो सब कुछ सही तरीके से होगा, इसलिए डरने की कोई बात नहीं है। वही सरकार-एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 1,563 से अधिक उम्मीदवारों के परिणामों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की गई, जिन्हें नीट यूजी में शामिल होने के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए दिए गए 'ग्रेस मार्क्स' की समीक्षा का जिम्मा दिया गया। समिति ने 1,563 नीट यूजी 2024 उम्मीदवारों के स्कोरकार्ड रद्द करने का फैसला लिया है, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। इन छात्रों को फिर से परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। परीक्षाएं 23 जून को आयोजित की जाएंगी और परिणाम 30 जून से पहले घोषित कर दिए जाएंगे।

मंगलवार, 11 जून 2024

काम मोची का लेकिन ?

ये सज्जन 12वीं पास है..! और मोची का काम करते हैं! और विश्वविद्यालयों में लैक्चर देते हैं। साहित्य भी लिखते हैं। अब इनके द्वारा लिखित साहित्य पर चर्चा व रिसर्च हो रही है। पंजाब के चंडीगढ़ में टांडा रोड के समीप मुहल्ला सुभाष नगर के द्वारका भारती (75) 12 वीं पास हैं। घर चलाने के लिए मोची का काम करते हैं। सुकून के लिए साहित्य रचते हैं। भले ही वे 12वीं पास हैं, पर साहित्य की समझ के कारण उन्हें वर्दीवालों को लेक्चर देने बुलाया जाता है। कई भाषाओं में साहित्यकार इनकी पुस्तकों का अनुवाद कर चुके हैं। इनकी स्वयं की लिखी कविता एकलव्य इग्नू में एमए के बच्चे पढ़ते हैं, वहीं पंजाब विश्वविद्यालय में 2 होस्टल इनके उपन्यास मोची पर रिसर्च कर रहे हैं। वे कहते हैं कि जो व्यवसाय आपका भरण पोषण करे, वह इतना अधम हो ही नहीं सकता, जिसे करने में आपको शर्मिंदगी महसूस होगी। द्वारका बोले- घर चलाने को गांठता हूँ जूते, सुकून के लिए रचता हूँ साहित्य.! सुभाष नगर में प्रवेश करते ही अपनी किराए की छोटी सी दुकान पर आज भी द्वारका भारती हाथों से नए नए जूते तैयार करते हैं। अक्सर उनकी दुकान के बाहर बड़े गाड़ियों में सवार साहित्य प्रेमी अधिकारियों और साहित्यकारों की पहुंचना और साहित्य पर चर्चा करना दिन का हिस्सा हैं। चर्चा के दौरान भी वह अपने काम से जी नहीं चुराते और पूरे मनोयोग से जूते गांठते रहते हैं। फुरसत के पलों में भारती दर्शन और कार्ल मार्क्स के अलावा पश्चिमी व लैटिन अमेरिकी साहित्य का अध्ययन करते हैं। डॉ.सुरेन्द्र की लेखनी से साहित्य की प्रेरणा मिली द्वारका भारती ने बताया कि 12 वीं तक पढ़ाई करने के बाद 1983 में होशियारपुर लौटे, तो वह अपने पुश्तैनी पेशे जूते गांठने में जुट गए। साहित्य से लगाव बचपन से था। डॉ.सुरेन्द्र अज्ञात की क्रांतिकारी लेखनी से प्रभावित होकर उपन्यास जूठन का पंजाबी भाषा में अनुवाद किया । उपन्यास को पहले ही साल बेस्ट सेलर उपन्यास का खिताब मिला। इसके बाद पंजाबी उपन्यास मशालची का अनुवाद किया गया। इस दौरान दलित दर्शन, हिंदुत्व के दुर्ग पुस्तक लेखन के साथ ही हंस, दिनमान, वागर्थ, शब्द के अलावा कविता, कहानी व निबंध भी लिखे। द्वारका भारती ने बताया कि आज भी समाज में बर्तन धोने और जूते तैयार करने वाले मोची के काम को लोग हीनता की दृष्टि से देखते हैं, जो नकारात्मक सोच को दर्शाता है। आदमी को उसका पेशा नहीं बल्कि उसका कर्म महान बनाता है। वह घर चलाने के लिए जूते तैयार करते हैं, वहीं मानसिक खुराक व सुकून के लिए साहित्य की रचना करते हैं। जूते गांठना हमारा पेशा है। इसी से मेरा घर व मेरा परिवार का भरण पोषण होता है। ऐसे कर्मयोगी को हमारा सादर नमन है। 🌼🌻🙏 यदि पोस्ट उचित लगे तो शेयर करें कमेंट मे भी लिखें!

हकदार को पुरुस्कार

"साहब, मेरे पास दिल्ली जाने के लिए पैसे नहीं हैं, कृपया पुरस्कार डाक से भेज दीजिए।" ये शब्द हैं पद्मश्री पुरस्कार विजेता हलधर नाग के। हलधर नाग के पास 3 जोड़ी कपड़े, एक टूटी हुई रबर की चप्पल, एक रिमलेस चश्मा और 732 रुपए की जमा राशि है, उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। हलधर नाग ओडिशा के रहने वाले हैं और शंबलपुरी भाषा बोलते हैं। वे एक प्रसिद्ध कवि हैं। खास बात यह है कि उन्हें अब तक लिखी गई सभी कविताएं और 20 महाकाव्य कंठस्थ हैं। अब हलधर ग्रंथावली, जो उनकी रचनाओं का संग्रह है, संबलपुर विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा... Copy By Facebook Platform मोदी सरकार में पद्मश्री, पद्मभूषण आदि पुरुस्कार बिकते नहीं हैं। पुरुस्कार के हकदार को ही पुरुस्कार मिल रहे हैं। ऐसे-ऐसे लोग जिन्हें कोई जानता नहीं लेकिन वे अपने क्षेत्र में बिना सरकारी सहायता के दशकों से निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं उन्हें ढूंढ-ढूढ़ कर सम्मानित किया जा रहा है जो हम सबके लिये बहुत गर्व की बात है।

शनिवार, 8 जून 2024

फिर से मोदी सरकार

मोदी सरकार, गठबंधन के साथ पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन अब तीसरी बार मे एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला है लेकिन बीजेपी बहुमत के आंकड़े से पीछे रह गई। यह बीजेपी के लिये चिंता करने की बात है। अब सरकार तो बन गई चलेगी भी लेकिन अब सहयोगी दलों पर निर्भर रहते हुए सरकार चलानी पड़ेगी। गठबंधन की यही विडम्बना है की सब कुछ ठीक करते हुए भी कुछ अड़ंगा लगता ही रहता है। बीजेपी की तीसरी पारी में मोदीजी पीएम पद की शपथ लेकर एक इतिहास रच रहे हैं। आज़ादी के बाद जवाहर लाल नेहरू तीन बार प्रधानमंत्री बने थे उनके बाद अब यह सौभाग्य मोदीजी को मिला है। कुछ राज्यों में बीजेपी को बहुत कम सीटे मिली हैं तो कुछ राज्यो में विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया है। उत्तरप्रदेश में कम सीटें आना चिंताजनक है। अयोध्या जैसी जगह हार जाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। अबकी बार 400 पार का नारा सिर्फ नारा ही रह गया बल्कि 300 सीटों के लाले पड़ गए। मुफ्त राशन, आयुष्मान कार्ड, जनधन योजना, किसानों को लाभ आदि अनेक योजनाओं को जनता ने नकार दिया। चुनावों में जातिवाद हावी रहा। इन लोकसभा चुनावों में सरकार तो बीजेपी की बन रही है लेकिन विपक्ष भी बहुत खुश है। कांग्रेस, सपा वाले बहुत बढ़चढ़ कर बयान दे रहे हैं। वे ऐसे जता रहे हैं जैसे उन्होंने मोदीजी को परास्त कर दिया हो जबकि पूरे इंडिया गठबंधन की सीटें बीजेपी को मिलने वाली सीटों से भी कम है। कांग्रेस पिछले 10 साल सत्ता से बाहर रहकर अब भी 100 का आंकड़ा पकड़ नहीं पाई। खैर राजनीति में यह सब चलता रहता है। अब तीसरी बार मोदीजी किस प्रकार सरकार चलाते हैं यह देशवासी ही नहीं दुनिया भी देखने को उत्सुक है। सुनील जैन राना

बीजेपी को कम सीटें क्यो मिली?

एक RSS के कट्टर समथॅक का विश्लेषण मिला तो सोचा सबको भेजुँ ताकि हिंदुओ को कोई गद्दार नही कह सके। मुझे बहुत पसंद आया,हो सकता है आपको भी अच्छा लगे,अगर सही लगे तो आगे भी हिंदुओ को अवगत कराये जो दिमाग मेएक गलत मिथक पाल रखे है।कृपया दिमाग लगाकर पढेंगे। ...आखिर भाजपा हार गयी, स्वयम् के बूते बहुमत के आँकड़े से वह 32 सीट कम हासिल कर पायी. .....मैं भी हिन्दुस्तान देश का नागरिक हूँ, मेरा राष्ट्र हिन्दुस्तान होने से मैं हिन्दू हूँ, धर्म मेरा सनातन है. .....कल जब से भाजपा हारी है, कतिपय लोगों द्वारा इसके लिए दोषी हिन्दुओ को बताया जा रहा है. दलील दी जा रही है कि भाजपा के हारने से हिन्दुत्व को खतरा पैदा हो गया है. .....भाजपा की हार का कारण हिन्दुओ को बताया जा रहा है. यह दरअसल हार के असली कारणो से बचने का एक सहज तरीका है. .....जरा सोचिए ! भाजपा को यह जो 240 सीटें मिली है, यह किसके वोट से मिली ? जाहिर है, यह वोट सब हिन्दुओ के ही द्वारा दिए गए हैं. .....आज हिन्दुओ को देश द्रोही, राष्ट्र द्रोही, राम विरोधी, कालनेमि, दोगला और भी न जाने क्या क्या कहा जा रहा है. .....अयोध्या में जो कन्डीडेट श्री अवधेश प्रताप जी जीते हैं, क्या वो हिन्दू नहीं ? .....एक सीधी सी बात है कि जिस पेड़ की शाख अपनी जड़ से दूर अपना अस्तित्व बनाने लगती है, वह सूख जाती है. गंगा जैसी पवित्र नदी भी जब अपने तटबन्ध तोड़ देती है, वह भी हिस्सा पूज्य नहीं रह जाता. .....भाजपा ने भी यही किया, राष्ट्रीय स्वयम् सेवक संघ भाजपा की पितृ संस्था है, उसके बड़े नेताओ की उपेक्षा की गई, श्री जे. पी. नड्डा ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि अब हमें संघ की जरूरत नहीं. ......श्री अडवाणी जी, श्री मुरली मनोहर जोशी जी, श्री शिवराज सिंह चौहान, श्रीमती सुमित्रा महाजन जी, श्रीमती वसुंधरा राजे जी, सुश्री उमा भारती जी, श्री वी. के. सिंह जी (पूर्व सेनाध्यक्ष) जैसे न जाने कितने कुशल नेताओ /प्रशासको की उपेक्षा की गई. .....मेरे विचार से श्री अडवाणी जी राष्ट्रपति के पद के लिए सर्वाधिक योग्य व्यक्ति थे, उनकी जगह श्री राम नाथ कोविन्द जी को लाया गया, आखिर ऐसा क्यों हुआ ? .....उल्लेखनीय है कि श्री राम मंदिर की लडाई के नायक अडवाणी जी ही थे, मोदी जी उस वक्त उनके सिपहसालार मात्र थे. .....भाजपा की तीन धरोहर. .....अटल अडवाणी मुरली मनोहर. .....यह एक लोकप्रिय नारा था. .....श्री नितिन गडकरी जी सरीखे ईमानदार, शिक्षित और कार्यकुशल नेता के कद को कम किया गया, आखिर क्यों ? .....श्री राजनाथ सिंह जी जैसे कुशल राजनीतिक समझ के नेता की अपेक्षा श्री अमित शाह जी को महत्व दिया गया. .....कल तक जो नेता भ्रष्ट थे, आपके साथ आते ही ईमानदार हो गए. .....यह सब प्रबुद्ध वर्ग समझ रहा था. .....यह तो हुई राजनैतिक बात, अब आते हैं जनता के मुद्दों पर. .....पाँच किलो राशन की दम पर आप सोचने लगे कि बस किला फ़तह हो गया. ......कारपोरेट सेक्टर अपनी मनमानी करता रहा, आपने अनदेखा किया, डाटा प्रोवाइडर कम्पनीज ने महीने को 28 दिन और वर्ष को 13 माह का कर दिया, बैंको ने मेसेज चार्ज, ट्रान्जेक्शन चार्ज, न्यूनतम धनराशि खाते में न होने पर चार्ज मनमाने तरीके से लगाए, आप मौन रहे. ......नाना प्रकार के टैक्स जनता पर मनमाने तरीके से लगाए गए. ......रूस यूक्रेन युद्ध का लाभ उठा कर आपने सस्ता कच्चा तेल खरीदा और उसे रिफ़ाइन करके विदेशों में बेच दिया, क्या उसमें जनता की हिस्सेदारी नहीं थी, यदि डीजल पेट्रोल के दाम नियंत्रित रहते तो जाहिर है माल ढुलाई की कीमत कम होती और महंगाई स्वत: नियंत्रित हो जाती. .....आपने हास्यास्पद बयान दिए नाले से गैस, पकौड़ा तलना, राडार के द्वारा सिग्नल रोक देना यह सब कम से कम विवेकी लोगों के गले नहीं उतरा. ......चुनाव के दौरान मंगलसूत्र, भैंस, टोन्टी, बिजली काट देने, मुजरा, टेम्पो में बोरे में नोट आदि आपके बयान हास्यास्पद लगे. यद्यपि इन सब कार्यो को भी व्हाट्स एप यूनिवर्सिटी के ट्रोल्स द्वारा जम कर डिफ़ेण्ड किया गया, जिसका प्रेरणा स्रोत आपका आई टी सेल है, लेकिन लोग सच समझ रहे थे. .....सनातन धर्म ध्वजवाहक हमारे शंकराचार्य भी अक्सर अपमानित किए जाने लगे, छद्म हिन्दुत्व की आड़ में सनातन संस्कृति की उपेक्षा और दलन जम कर किया गया. .....कुछ कथावाचक धर्म के नाम पर उत्तेजना और भ्रम फ़ैलाने लगे. .....एट्रोसिटी एक्ट आपने मनमाने तरीके से और घातक बना कर लागू कर दिया. .....शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य आपने नहीं किया. .....बेरोजगारी दिन पर दिन बढती गयी, आपने कोई प्लान प्रस्तुत नहीं किया. .....कांग्रेस का मैनिफ़ैस्टो जिसे कोई देखना भी नहीं चाहता था, आपके एक बयान से कम से कम दो करोड़ लोगों ने उसे नेट पर खोज कर डाउनलोड किया और पढा. यह भी आपकी प्रेरणा से हुआ. .....क्षत्रिय वर्ण जो हिन्दुस्तान का मुकुट है, अनगिनत युद्ध लड़ने के कारण जिनकी जनसंख्या ही कम हो गयी, आल्ह खण्ड में जागन ने लिखा है कि, .....बारह बरस तक कूकुर जीवै, औ सोरह तक जियै सियार. .....बरस अठारह क्षत्री जीवै आगे जीबे को धिक्कार. ......ऐसे पराक्रमी, शूर वीर वर्ण को आपके एक सांसद प्रत्याशी श्री पुरुषोत्तम रूपाला सार्वजनिक तौर पर अपमानित कर रहे थे, लेकिन आपसे उनका टिकट न काटा गया. .....बनारस, अयोध्या जैसी नगरी में उत्तर प्रदेश की अपेक्षा कारोबार, कान्ट्रेक्ट आदि में गुजरात के व्यापारियों को बढावा दिया गया. .....यह सब यहाँ के मूल बाशिन्दे मौन होकर देख रहे थे, समय आने पर इन्होंने आपका बहिष्कार कर दिया. दोषी कौन ? ......माननीय मोदी जी सच तो यह है कि आप आत्ममुग्धता के शिकार हो गए. सर्वत्र मोदी ही मोदी. जबकि भाजपा के विस्तार में सभी का योगदान रहा. माननीय योगी जी की कार्यशैली भी प्रशंसा योग्य है. ..... कुल मिलाकर जो परिणाम आए, इसमें हिन्दू कदापि दोषी नहीं. यह सब निवर्तमान सरकार की निरंकुशता का प्रतिफ़ल है. .....भारत की जनता निरंकुश सत्ता को बर्दाश्त नहीं करती, फ़िर चाहें वह स्वर्गीया इंदिरा गांधी हों, संजय गांधी हों या श्री नरेंद्र मोदी. .....वेद पुरान निगम अस भाखा. .....जो जस किया सो तस फ़ल चाखा.. .....बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेय. .....आशा है, अगर इस बार फ़िर भाजपा सरकार बन सकती है तो स्वस्थ समीक्षा करते हुए जन सेवा में लगिए. 🌹🌹

शुक्रवार, 7 जून 2024

कांग्रेस 10 साल में ?

यदि कुल 543 में 99 अंक लाने वाले को आप चैम्पियन समझ रहे हैं, तो यकीनन आप राहुल जी का समर्थक होना ही डिजर्व करते हैं। चार से अधिक सीटों वाले 22 राज्यों में से सोलह में उनकी एकतरफा जीत हुई है, फिर भी यदि वे आपको हारते हुए दिख रहे हैं, तो फिर आप अपने आप के बारे में सोचिये। कितने अवसाद में जी रहे थे दोस्त? अरे हम तो इस बात से दुखी थे कि हमारा विराट कोहली डबल सेंचुरी क्यों नहीं मार पाया! पर आपका वाला तो जन्मजात आकाश चोपड़ा है। उसकी एक बाउंड्री पर इतना जश्न? क्या यार? आप कल से उछल रहे हैं कि बिहार में सेंध लगा लेंगे। पिछले 25 साल में आपसे कभी उसके घर में सेंध लगी है? ठिक से याद करिए, पिछले दस साल से आप रोते रहे हैं कि वह लूट लेता है, तोड़ लेता है, खरीद लेता है... और आज आपको लगता है कि उसके घर में सेंध लगेगी? भाई! आपके वाले अभी बियाह काटना सीख रहे हैं, वह चुटकी बजा कर गवना काटता रहा है। इस पोस्ट के लिखे जाने तक वह आपके एक मोहरे को काट चुका है। आगे देखते जाइये... रोइयेगा मत! क्योंकि शुरुआत आपने ही की थी। हार हुई है केवल यूपी में। पर वहाँ भी बीमारी इतनी बड़ी नहीं है कि इलाज न हो सके। बस एक छोटा सा ओपरेशन करना पड़ेगा, और सब ठीक हो जाएगा। और वे बहुत आसानी से कर भी लेंगे। जानते हैं कैसे? सटासट, सटासट! खटाखट, खटाखट! दोनों भाई मेडिकल कॉलेज के टॉपर हैं जी, एक फिजिशियन है दूसरा सर्जन! देखते जाइये कैसे सर्जरी करते हैं दोनों मिल कर... उसकी सरकार बन रही है। वह तीसरी बार आ रहा है। वह फिर पाँच साल दिखेगा। बोलेगा, गरजेगा, माथे पर त्रिपुंड लगा कर घूमेगा। हर हर महादेव, जय श्रीराम, भारत माता की जय...कैसे बरदाश्त करोगे दोस्त? लगातार तीसरी बार सत्ता पाने का रिकार्ड... पन्द्रह साल... दो राज्यों में सरकार भी बढ़ गयी। आई हो दादा... एक बात बताऊं? उन्हें जितना मैं समझ पाया हूँ, उस हिसाब से लगता है कि वे आज से ही अपनी गलतियों को सुधारना शुरू करेंगे। और यह आपके लिए बड़ा दुखदाई होगा। बहुत ज्यादा... उनसे हिसाब किताब करना हमारा आपसी मामला है। समर्थन दिए हैं तो सवाल पुछबे न करेंगे जी! कुछ गड़बड़ करता दिखेगा सब, तो डंटबो करेंगे, बोलबो करेंगे। है कि नहीं? लेकिन आप अपना न सोचिये जी! का होगा? अच्छा कोई बात नहीं। जिस तरह से आप छलांग लगाए हैं, उस हिसाब से आपको 2034 तक इंतजार करना पड़ेगा। कीजिये, कीजिये। बिल्ली के भाग से कभी तो छींका टूटेगा।

रविवार, 2 जून 2024

फिर से मोदी सरकार

एक बार फिर से मोदी सरकार भारत मे सम्पन्न हुए लोकसभा चुनावों के एग्जिट पोल आ रहे हैं। सभी एग्जिट पोलो में एनडीए को पूर्ण बहुमत के साथ 360 से 400 सीट मिलने के अनुमान लगायें जा रहे हैं। इसमें कुछ फेरबदल भी हो सकता है लेकिन राजनीति के महानायक नरेन्द्र मोदीजी तीसरी बार पुनः भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे इसमें कोई संदेह नज़र नही आ रहा है। इंडिया गठबंधन अभी भी इन एग्जिट पोल को फर्जी करार दे रहा है। एग्जिट पोल में गठबंधन को 140 सीट पर सिमटता दिखाया गया है। देश की जनता ने गठबंधन की तुष्टिकरण की राजनीति को नकार दिया है। इनके नेताओ के अनर्गल बोल, आपस की तनातनी इन्हें ले डूबी। कांग्रेस की बात करें तो राहुल गांधी के नेतृव में कांग्रेस को धरातल में पहुंचाने का कार्य राहुल गांधी ने कर दिया है। उनकी न्याय यात्रा से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। उनकी बातें, उनकी समझ जनता की समझ से बाहर ही रही। उनके उल्टे- सीधे बोल का जनता में मज़ाक ही बना है। उनके पूर्ण न होने वाले वायदे जैसे गरीब महिलाओं के खाते में प्रतिवर्ष एक लाख रुपये जनता को मज़ाक ही लगे। सच भी है, इतनी भारी भरकम राशि देने की बात करना बिना सोचे समझे ठीक नहीं है। खटाखट- खटाखट जैसे शब्द उनका मजाक ही उड़ाते रहे। हिन्दू बहुसंख्यक देश मे सिर्फ एक वर्ग विशेष की बात करना गठबंधन को भारी पड़ गया। सही बात तो यह है की अब गांधी परिवार के कारण कांग्रेस जीवित है वरना कांग्रेस के नेतागण आपस मे ही लड़ कर बिखर जायेंगे। लेकिन यह भी सत्य है की जिस भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है वह वहां के नेताओ के कारण है न की गांधी परिवार के कारण। जनता ने हर बार की तरह इस बार भी मोदीजी के कार्यो को वोट दिया है। आज मोदीजी के नेतृव में देश हर मोर्चे पर आगे बढ़ रहा है। देश ही नहीं विदेशों में भी मोदीजी का डंका बज रहा है। आज मोदीजी विश्व गुरु जैसे बने हुए हैं। प्रत्येक छोटा- बड़ा देश मोदीजी की नीतियों की प्रशंसा कर रहा है। अब आने वाले वर्षों में देश मे चहुंगति से विकास होगा। सुनील जैन राना

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