शनिवार, 29 जून 2024

फ़्रेंच फ्राई ?

मैं कई दिनों से देख रहा हूँ कि मेरे छोटे से शहर में और 1 किलोमीटर के एरिया में कम से कम 4 छोटी दुकानें और कैफे खुल गए हैं, जो फास्ट फूड बेचते हैं। मजे की बात ये है कि इन सभी रेस्टोरेंट और कैफे के मेनू एक जैसे हैं और कीमतें भी बराबर हैं। इनमें 4-5 तरह के पिज्जा, 3-4 तरह के बर्गर, रैप रोल और फ्रेंच फ्राइज़ शामिल हैं। मेरे घर बच्चे आए थे, तो सोचा कि यहीं कहीं से कुछ फास्ट फूड ले लूँ। जैसे ही दुकान में घुसा और फ्रेंच फ्राई बनते देखा, मुझे कुछ अजीब लगा। पहले से कटे हुए आलू फ्रीजर से निकाले गए और तेल में डाल दिए गए। मैंने पूछा, "ताजा आलू क्यों नहीं काटते?" उसने जवाब दिया, "ये कटा-कटाया आता है, बस फ्राई करके देना होता है।" मैंने कहा, "ताजा आलू भी तो तुरंत काट सकते हो।" उसने बताया, "ये आलू अलग होते हैं, सस्ते होते हैं और प्रोसेस करके बनाए जाते हैं ताकि ये तेल में डालने पर हमेशा गोल्डन और कुरकुरे बने रहें।" फिर पिज्जा की बारी आई। देखा, पहले से बना-बनाया ब्रेड लिया, रेडीमेड सॉस डाली, लिक्विड चीज और प्रोसेस चीज डालकर बेक कर दिया। मैंने कहा, "यार, सब रेडीमेड है, कुछ खुद नहीं बनाते?" उसने गुटखा मुँह में दबाए जवाब दिया, "सारी व्यवस्था टंच है, सारा माल कंपनी का है।" जब उसने दिखाया तो मेरा दिमाग घूम गया। 1 किलो के पैकेट्स में पिज्जा सॉस, मेयोनीज़, चीज आदि थे, जिनमें राइस ब्रान ऑयल और कॉटन सीड ऑयल के मिश्रण थे। टमाटर सॉस में केवल 20% टमाटर पल्प था, बाकी 80% में ऑयल, प्रिजर्वेटिव, रंग और आर्टिफिशियल फ्लेवर थे। इसी तरह, फ्रेंच फ्राइज़ के आलू महीनों पहले डीप फ्रीज किए गए थे। प्रोसेस करके उनमें से स्टार्च निकाला गया था और खराब न होने वाली दवाइयां डाली गई थीं। आलू को काट कर रखने पर वह तुरंत ऑक्सीजन से क्रिया कर काला पड़ जाता है, लेकिन ये आलू महीनों बाद भी वैसे ही रहते हैं। अब सोचिए, जो बच्चे हर दूसरे दिन ये जहर खा रहे हैं, उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा? पेपर में न्यूज़ आती है कि दिल्ली में 8वीं में पढ़ने वाले लड़के की हार्ट अटैक से मौत हो गई, लेकिन कभी सुना है कि कोई गरीब या गांव में रहने वाले लड़के के साथ ऐसा हुआ हो? लोग वैक्सीन को दोष दे रहे थे, लेकिन मुझे लगता है सच्चाई कुछ और है। इसे बेचने वाले खुद नहीं जानते कि खाने के नाम पर वे जहर बेच रहे हैं। वे तो बस चंद मुनाफे और अपने परिवार का पेट पालने के लिए ये कर रहे हैं, और उन्हें भी पता है कि इसकी डिमांड है। हर कैफे के बाहर स्कूल और कॉलेज के बच्चे लाइन लगाकर खड़े होते हैं। ये बच्चों के पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे इस जहर के बारे में अपने बच्चों को बताएं। नहीं तो यकीन मानिए, आपके बच्चों के लिए स्थिति बहुत ही बदतर और भयावह होने वाली है। इसके अतिरिक्त, हमें सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को भी इसके बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि वे कड़े नियम और दिशानिर्देश लागू करें। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बच्चों के खाने में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित हों। हमें सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग इसके बारे में जागरूक हो सकें। इसे जितना जल्दी हो सके, ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें क्योंकि ऐसी पोस्ट्स रिपोर्ट करके डिलीट करवा दी जाती हैं, ताकि ये जहर बनाने वालों का धंधा चलता रहे। फास्ट फूड के बढ़ते चलन और इसके संभावित स्वास्थ्य खतरों को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम और हमारे बच्चे इनसे सुरक्षित रहें। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं जो आपको और आपके परिवार को इन हानिकारक प्रभावों से बचा सकते हैं: 1. स्वस्थ खाने की आदतें विकसित करें घर का बना खाना: कोशिश करें कि घर पर ताजे और पौष्टिक भोजन तैयार करें। इसमें ताजे फल, सब्जियाँ, अनाज और प्रोटीन शामिल करें। संतुलित आहार: बच्चों को संतुलित आहार खाने की आदत डालें, जिसमें प्रोटीन, विटामिन, और मिनरल्स भरपूर मात्रा में हों। 2. फास्ट फूड से बचें फास्ट फूड का सेवन कम करें: फास्ट फूड खाने की आदत को कम करें और बाहर खाने की बजाय घर पर ही खाना बनाएं। रेडिमेड खाद्य पदार्थों से दूर रहें: रेडिमेड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। यह सुनिश्चित करें कि जो भी सामग्री आप उपयोग कर रहे हैं, वह ताजी और बिना किसी हानिकारक प्रिजर्वेटिव के हो। 3. खाद्य सामग्री की गुणवत्ता पर ध्यान दें सामग्री की जांच करें: फूड लेबल पढ़ें और यह सुनिश्चित करें कि खाद्य सामग्री में हानिकारक रसायन, प्रिजर्वेटिव्स, और आर्टिफिशियल फ्लेवर नहीं हैं। ताजगी की जाँच: ताजगी और गुणवत्ता के लिए स्थानीय बाजार से ताजे फल और सब्जियाँ खरीदें। 4. शिक्षा और जागरूकता बच्चों को शिक्षित करें: बच्चों को फास्ट फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में बताएं और उन्हें स्वस्थ खाने की आदतें सिखाएं। सामाजिक जागरूकता: सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर इस मुद्दे को उठाएं ताकि अधिक से अधिक लोग इसके बारे में जागरूक हो सकें। 5. नियमित स्वास्थ्य जांच स्वास्थ्य जांच: नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि किसी भी संभावित स्वास्थ्य समस्या का समय पर पता चल सके। शारीरिक गतिविधि: बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में संलग्न करें, जैसे खेलकूद, योग और अन्य शारीरिक व्यायाम। 6. समुदाय और सरकार की पहल समुदाय का समर्थन: अपने समुदाय में फास्ट फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाएं। सरकारी नीतियाँ: सरकार और स्वास्थ्य संगठनों से अपील करें कि वे फास्ट फूड के मानकों को सख्त बनाएं और स्वस्थ खाद्य विकल्पों को प्रोत्साहित करें। 7. हाइड्रेशन और घरेलू नुस्खे पानी का सेवन: बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के लिए प्रेरित करें। सॉफ्ट ड्रिंक्स और शुगरी ड्रिंक्स से बचें। घरेलू नुस्खे: घर पर ही स्वास्थ्यवर्धक स्नैक्स जैसे कि सलाद, स्मूदी और फ्रूट चाट बनाएं। इन उपायों को अपनाकर आप और आपका परिवार फास्ट फूड के हानिकारक प्रभावों से बच सकते हैं और एक स्वस्थ जीवनशैली अपना सकते हैं। याद रखें, स्वस्थ खाना ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

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