बुधवार, 12 फ़रवरी 2020


दिल्ली आप वालो की
February 12, 2020 • सुनील जैन राना • राजनीति
दिल्ली का चुनावी घमासान खत्म हो गया। एक बार फिर से केजरीवाल की आप दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हो गई। बीजेपी की करारी हार एक बार फिर से बीजेपी को आत्म मंथन करने को मजबूर कर रही है। ऐसा क्या हुआ है जो इस बार फिर से बीजेपी को इतनी करारी हार का सामना करना पड़ा है।
दरअसल कुछ ऐसा लग रहा है की जनता मोदीजी के दूरगामी कार्यो से नाखुश नजर आ रही है। जनता को तो तत्काल में मिली सुविधा की ही चाहत है। वैसे भी मेरे भारत महान में तो फ्री में ज़हर भी बांटने लगो तो लाइन लग जायेगी। मध्यम वर्ग को तो हर हाल में सुविधा देने वाला ही अच्छा लगता है। देश के विकास की बात ,भ्र्ष्टाचार कम होने की बात ,विदेशों में भारत का ऊँचा नाम होने की बात ,पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने की बात ,कश्मीर से धारा ३७० खत्म करने की बात ,राम मंदिर बनने की बात से लेकर अन्य देशहित की बातो से मध्यम वर्ग को कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। आम आदमी को तो बस रोजगार चाहिए और फ्री में कुछ सुविधाएँ चाहिए। बाकी अन्य सभी बातों से उसे कुछ लेना -देना दिखाई नहीं देता।
इस समय देश की राजनीति ऐसे मोड़ पर है जहां एक तरफ तो भारत का नाम विश्व भर में ऊँचा हो रहा है लेकिन दूसरी तरफ भारत के राजनैतिक दलों ने मोदी विरोध का ऐसा चश्मा लगा लिया है जिसके कारण कई जगह बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। मोदी विरोध में अन्य सभी दल ऐसे एकत्र हो रहे हैं जैसे मोदीजी देश का अहित कर रहे हों। आज देश में बीजेपी का वोट  लगभग ४० प्रतिशत हो गया है लेकिन अभी भी अन्य सभी दलों के एकत्र होने पर कहीं -कहीं हार का सामना देखना पड़ रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में महागठबंधन का फार्मूला फेल हो गया था।
कुछ ऐसा भी है की देश की जनता महंगाई से परेशान है। रोजगार पहले से कम हो गए हैं। व्यापारी नए टैक्सों से परेशान हैं। गैस सलेंडर के बढ़ते दाम दिखाई दे रहे हैं जबकि सब्सिडी मिलती है का कोई जिक्र नहीं करता। गरीबों को मकान ,शौचालय ,लोन, मुफ्त चिकित्सा आदि अनेकों योजनाओ का लाभ उठाने वाले भी उनका जिक्र नहीं करते। अनेको क्षेत्रों से भ्र्ष्टाचार खत्म हुआ इससे भी किसी को फर्क नहीं पड़ा। बल्कि अनेकों लोग जो इसमें लिप्त थे वे सब मोदी विरोधी हो गए। देखने में आ रहा है की अनेको राज्यों में क्षेत्रीय दलों के प्रभाव को बीजेपी कम नहीं कर पाई है। आम आदमी जिसके साथ जुड़ा है उसे वही अच्छा लग रहा है। राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस जरूर पतन के कागार पर है। लोगो का मानना है की इसका मुख कारण कांग्रेस के युवराज के अमर्यादित बोल हैं। पहले मोदी चोर है और अब मोदीजी को डंडा मारने जैसे बयानों को जनता ने नकारा है। 
दिल्ली के चुनावों के निष्कर्ष से लगता है की बीजेपी को केजरीवाल की तर्ज पर कार्य करना होगा। काम चाहे कुछ भी न करो बस जनता को मुफ्त में कुछ न कुछ देते रहो। सड़के -फ्लाईओवर चाहे न बनवाओ बस रोड टैक्स मत लो। गैस सस्ती दो फिर चाहे सब्सिडी मत दो। शौचालय -मकान की जगह बिजली -पानी मुफ्त में दो।खुद भी खाओ और जनता को भी खाने दो।आरोप -प्रत्यारोप न लगाकर खुद से मुस्कुराते रहो।शायद जनता यही चाहती है। *सुनील जैन राना *

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सोना