गुरुवार, 26 दिसंबर 2019


भ्र्ष्टाचार ही भ्र्ष्टाचार ,कैसे पूरी होंगी योजनाएं ?
December 26, 2019 • सुनील जैन राना • राजनीति
जहां डाल -डाल पर सोने की चिड़ियां करती हैं बसेरा ,वो भारत देश है मेरा -वो भारत देश है मेरा। 
जहां हर योजना में भ्र्ष्टाचार का है बसेरा ,ऐसा भारत देश है मेरा -ऐसा भारत देश है मेरा।
किसी ने कहा है की पार्थ खड़ा है देश की आन -बान शान बचने को लेकिन सिर्फ पार्थ क्या करे जब सामने फौज खड़ी हो भ्र्ष्टाचारियों और देश विरोधियों की ? कांग्रेस सरकार का पतन महान भ्र्ष्टाचार के चलते हुआ था। अधिकांश योजनाओ में भ्र्ष्टाचार व्याप्त होने के कारण देश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। मोदीजी पर भरपूर विशवास जताते हुए उन्हें पूर्ण बहुमत से जिताया और पीएम बनाया। बीजेपी के दूसरे कार्यकाल में भी बेदाग़ मोदीजी को जनता ने पूर्ण बहुमत से जिताकर फिर से पीएम बनाया। मोदीजी भी पूरी शिद्द्त से देश के विकास में लगे हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मोदीजी के कार्यो को सराहा जा रहा है। बस विडंबना यही है की विपक्ष को ही मोदीजी के हर कार्य में बुराई दिखाई देती है और विपक्ष मोदीजी के प्रत्येक कार्य -योजना का विरोध करने से नहीं चूक रहा है। यहां तक की जो कार्य खुद कांग्रेस के समय में किये जाने थे अब उन्हें मोदीजी पूरा करना चाह रहे हैं तो भी भरपूर विरोध किया जा रहा है।
मोदीजी का पिछले कार्यकाल अनेक योजनाओं से भरा लेकिन बेदाग़ कार्यकाल रहा है। मोदीजी के किसी भी मंत्रालय पर भ्र्ष्टाचार के आरोप नहीं हैं। मोदीजी की पूरी टीम देश की उन्नत्ति को समर्पित है और सभी मायनों में बेहतर है। समस्या सिर्फ यही है की मोदी राज में ऊपरी स्तर पर तो भ्र्ष्टाचार खत्म हुआ है लेकिन राज्यों के स्तर पर आज भी भ्र्ष्टाचार में कोई कमी आती दिखाई नहीं दे रही है। यहां तक की बीजेपी शासित राज्यों में भी भ्र्ष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पाया है। मोदीजी ने भले ही नोटबंदी कर काले धन से छुटकारा पाना चाहा हो लेकिन यह सत्य है की बैंको की मिलीभगत से सभी के नोट बदले गए थे। मोदीजी ने भले ही लाखों फर्जी कम्पनियों को बंद कर दिया हो लेकिन इन फर्जी कम्पनियों ने बैंको की मिलीभगत से 8 -9 लाख करोड़ का लिया लोन वापस न करा सके। जिसके कारण ही आज देश में मंदी का वातावरण है। आज भी किसी भी विभाग में चले जाऒ ,जल्दी से तो बिना सुलिहत कोई कार्य -उलझन दूर नहीं होती। मनरेगा ,आवास योजना ,बीपीएल कार्ड योजना ,राशन कार्ड ,फर्जी एनजीओ ,फर्जी पेंशन ,फर्जी गरीब ,फर्जी वज़ीफ़ा ,बेनामी सम्पत्ति आदि अनेक योजनाओं में भरपूर प्रयासों के बाद आज भी पूर्ण रूप से भ्र्ष्टाचार खत्म हो गया हो ऐसा नहीं है।
कोई योजना विरोध करने लायक हो तो विरोध करना लाजमी हो जाता है लेकिन सिर्फ विरोध करने धारणा बनाकर विरोध करना कहां तक उचित है ? ऐसा करना देशहित में तो सर्वथा नहीं है। * सुनील जैन राना *


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