मंगलवार, 17 दिसंबर 2019



देर से मिला न्याय , अन्याय समान
December 17, 2019 • सुनील जैन राना • जनहित
कभी -कभी देर से मिला न्याय अन्याय समान ही हो जाता है। यही हो रहा है उनाव की दुष्कर्म पीड़िता के साथ। अक्सर ही ऐसा होता है की बलात्कार की पीड़िता जल्दी से तो केस ही लिखा नहीं जाता ,लिखा भी जाता है तो भ्र्ष्टाचार के चलते जहां एक ओर पीडिता और उसके घर वाले पुलिस -कचहरी के धक्के खाते हैं वहीं दूसरी और बलात्कारी मज़े से घूमता - फिरता है। ऐसे में यदि बलात्कारी धनवान या राजनीतिक रसूख वाला है तो उसका तो कुछ बाल बांका नहीं होता ,पीड़िता और उसके घरवालों का जीते जी मरना हो ही जाता है।
ऐसा ही हो रहा है उनाव पीड़िता के साथ। निर्भया कांड की बरसी पर उनाव की बेटी को करीब ढाई साल बाद इन्साफ तो मिला लेकिन उसके दोषी को कठोर सज़ा मिलने से पहले ही उनाव की पीड़ित बेटी ने एसपी के दफ्तर में खुद को आग लगा ली। सोचो जरा कितना भयाभय मामला यह है की जिसमे बलात्कार की पीड़िता ने पहले तो दरिंदगी झेली फिर पुलिस के संरक्षण में उसके पिता की हत्या कर दी गई। इसके बाद भी पीड़िता एवं उसके परिवार को सड़क हादसे में मार देने की कोशिश की गई। उसके बाद भी आज तक मुक़दमे की तारीखे झेलती पीड़िता ने खुद को जला कर मार डालना ही उचित समझा। कैसी न्याय प्रणाली है यह ?अब भले ही बलात्कारी को उम्रकैद हो या फांसी ,पीड़िता की जिंदगी तो जीते जी खत्म हो ही गई।

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