गुरुवार, 28 सितंबर 2017


देश में आर्थिक मोर्चे पर मन्दी
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देश भर में चर्चा चल रही है की मोदी सरकार

आर्थिक मोर्चे पर विफल रही है। पहले नोटबंदी

और अब Gst के कारण उद्योग धंधे मन्दी की

गिरफ़्त में हैं। रोजगार के मौके कम हो रहे हैं।

जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।

उपरोक्त सभी बातें लगभग ठीक ही हैं। लेकिन

सोचने की बात यह है की इन सबके लिए क्या

मोदीजी ही जिम्मेवार हैं ,हम सब नहीं ?

मोदीजी ने नोटबंदी इस लिए करी की जिससे

कालाधन पकड़ा जाए। लेकिन क्या यह सच

नहीं है की लगभग हम सभी का पुराने नोटों

में निहित कालाधन बदला नहीं गया ? क्या

बैंक वालो के द्वारा पुराने नोटों से नए नोट बदले

नहीं गए ?क्या जो गरीब लोग नोट बदलवाने के

लिए लम्बी लम्बी लाइनों में लगे थे वह नोट उन्ही

के थे या दिहाड़ी पर लगे थे ?

अब ऐसे ही Gst की बात भी ऐसी ही है। कांग्रेस

Gst ला रही थी तब बीजेपी ने अड़ंगा लगाया। अब

यही Gst बीजेपी के गले की फाँस बन गई लेकिन

क्या यह सत्य नहीं की यदि कांग्रेस Gst लाती तो

पहले साल उसे भी ऐसी ही परेशानी उठानी ही

पड़ती ?

सरकार तेल के दाम शायद इसलिए कम नहीं कर

रही की पिछली सरकारों के घाटे की भरपाई अब

दाम कम न करके कर रही हो।गैस पर से सब्सिडी

का बोझ कम करने और गरीब तक गैस पहुँचे  इस

वजह से अमीर उपभोक्ता से गैस की सब्सिडी छोड़ने

की अपील की गई।

रोजगार के मौके कम हो रहे हैं। यह बात सही प्रतीत

हो रही है। लगता है सरकार इस पर जल्दी ही सचेत

होगी। सरकारी स्तर पर भी नौकरियों के बहुत मौके

हैं। लगता है जल्दी ही सरकार भर्तियां शुरू करेगी।


इन सब बातों के आलावा यदि हम सरकार को दूसरे

नजरिये से देखें तो पिछले तीन सालों के कामकाज

में मोदी सरकार पर कोई भ्र्ष्टाचार का आरोप नहीं

है। विदेशों में भारत की छवि निखर कर आयी है।

मोदीजी का डंका पुरे विश्व में बज रहा है। पाकिस्तान

और चीन को मुँह तोड़ जबाब दिया जा रहा है। जबकि

कांग्रेस की सरकार में चीन से दबकर रहा जाता था।

मोदीजी का सबसे बड़ा मंत्र *सबका साथ सबका विकास *

के अनुसार कार्य हो रहा है। हालांकि विरोधियों को यही

बात पच नहीं रही है और विरोधी मौकों की तलाश करते

रहते हैं की कब कोई भूल हो और हल्ला मचाये।

वर्तमान की कुछ परेशानियों को कुछ समय सहन करे

तो यह निश्चित ही लगता है की भारत आने वाले समय

में एक महा शक्ति बन ही जाएगा।

                          चिन्तक   -    -   -     सुनील जैन राना 


1 टिप्पणी:

  1. जेटली वही हकीम है जिसे मरीज की दोनों टांगे काटने के बाद पता चलता है कि ज़हर टांगो में नही था, लुंगी कलर छोड़ रही थी 😁

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