शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017


मन्दिर - जनेऊ - हिन्दू
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देश भर में मोदी लहर के चलते अब कुछ अन्य

राजनितिक दलों को हिंदुत्व की राह आसान दिखाई

दे रही है। कुछ दलों ने एलान भी कर दिया है की

अगले चुनावों में हिदुत्व की राह पर चलेंगे। गुजरात

के चुनावों में कांग्रेस के आका राहुल गांधी ने भी

इसी सोच के चलते मन्दिर -जनेऊ - हिन्दू का सहारा

लिया था।

समझ में नहीं आता की देश के राजनितिक दल कब

जातिवाद के कुँए से बाहर निकलेंगे ?मोदीजी की तरह

यदि सारे दल सबका साथ -सबका विकास के मुद्दे पर

चलते तब आज देश इतना मोदीमय नहीं होता। लेकिन

ऐसी सोच रखना आसान नहीं है। इसके लिए कठिन

निर्णय लेने पड़ते हैं। जनता -व्यापारियों की बदसलूकी

सहनी पड़ती है। वोट हाथ से निकल जाने का डर रहता

है। मोदीजी को यदि सिर्फ वोट चाहिये थे तो मोदीजी ऐसे

कठिन निर्णय नहीं लेते जैसे नोटबंदी -जी एस टी आदि।

देश के सभी दलों को भी वर्ग विशेष की बात ना कर सबके

हित की बात सोचनी चाहिये। 

गुरुवार, 28 दिसंबर 2017


कुल भूषण जाधव परिवार के साथ बदसलूकी
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पाकिस्तान बनाम आतंकिस्तान अपने कुकर्मो से कभी

बाज़ नहीं आयेगा। यह नापाक देश कुत्ते के नक्शे जैसा ,

कुत्ते की दुम जैसा टेहड़ा ,साँप जैसे तिरछी चाल वाला

जहरीला ,लोमड़ी जैसा धूर्त और न जाने क्या -क्या है ?

भारत हमेशा से अपने पड़ौसी देश पाकिस्तान से दोस्ती

का हाथ आगे बढ़ाता आया है लेकिन हर बार पाकिस्तान

ने दोस्ती की आड़ में आतंक ही मचाया है।

हाल ही में कुल भूषण जाधव परिवार के साथ पाकिस्तान

ने जैसा विश्वासघात किया है माफ़ी योग्य नहीं है। दरअसल

पाकिस्तान विश्वास करने योग्य देश ही नहीं है। भारत ही

नहीं बल्कि पूरी दुनिया पाकिस्तान को गिरी हुई नज़र से

देखती है। किसी भी देश में पाकिस्तानियों को संदेह की

नज़र से ही देखा जाता है।

पाकिस्तान के हुक्मरानों से अपना देश सम्भलता नहीं है।

अपनी नाक़ामियाँ छुपाने के लिए भारत विरोधी राग में

पाकिस्तानी जनता को उलझाये रखते हैं। कश्मीर का

राग गाना पाकिस्तान की मज़बूरी हो गई है।

कुछ भी होता रहा है लेकिन अब समय आ गया है की

भारत पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित कर उससे

हर प्रकार के संबन्ध तोड़ दे। सिर्फ आलोचना - निंदा

करने से कुछ नहीं होने वाला है। पाकिस्तान द्वारा सेना

पर हमला कर हमारे जवान मारे जा रहे है। बाद में भले

ही हम उनके कुत्ते रूपी सैनिकों को मार दे लेकिन इससे

हमारे शेर रूपी जवान तो वापस नहीं आ जाते। कब तक

हमारी सरकार सिर्फ चिन्ता ज़ाहिर करती रहेगी ? 

बुधवार, 27 दिसंबर 2017

सुनील जैन राना  ( संयोजक )

श्री दया सिन्धु जीव रक्षा केंद्र -सहारनपुर

https://www.facebook.com/jeevrakshakendra
https://www.facebook.com/jeevrakshakendra

इंसानों के लिए तो बहुत अस्पताल आदि मौजूद हैं।

देश में असहाय मूक पशु -पक्षियों के उपचार हेतु

बहुत ही कम निःशुल्क अस्पताल हैं।

हम सभी इंसानों में दया की भावना प्राकृतिक रूप

से होती ही है। ऐसे में यदि सड़क पर कोई घायल या

बीमार पशु -पक्षी मिले तो उसका उपचार करना या

करवाना भी चाहे तो सम्भव नहीं होता।

इसके लिए प्रत्येक शहर में समाज  सहयोग से निःशुल्क

पशु -पक्षी चिकित्सा केंद्र होने ही चाहियें। सहारनपुर -

उत्तर प्रदेश में जैन समाज के सहयोग से बने ******

*श्री दया सिन्धु जीव रक्षा केन्द्र * के द्वारा हज़ारो पशु -

पक्षियों का उपचार कर जान बचाई जा चुकी है। आप

भी अपने शहर में जीव दया हेतु निःशुल्क अस्पताल

खोलें। मन को बहुत शान्ति मिलेगी।

निवेदक -   सुनील जैन राना  ( संयोजक )
श्री दया सिन्धु जीव रक्षा केन्द्र , सहारनपुर (


शनिवार, 23 दिसंबर 2017



चारा घोटाले में लालू फिर गए जेल
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चारा घोटाले का जिन्न एक बार फिर बोतल

से बाहर निकला और लालू यादव समेत कईओं

को बोतल की बजाय जेल में ले चला।

विडंबना की बात यह है की राजनीति में बुरे

कर्म कर रहा कोई -निर्णय दे रही कोर्ट -लेकिन

कोसा जा रहा बीजेपी को।

टू जी घोटाला या चारा घोटाला या अन्य कोई घोटाला।

इसमें बीजेपी का क्या लेना देना ?बीजेपी की सरकार

के दौरान यह घोटाले नहीं हुए। अब कोर्ट इनपर अपना

फैसला सुना रही है तो बीजेपी का क्या दोष ?

विपक्ष के हित में कोर्ट का फैसला आ जाये तो विपक्ष

कोर्ट के निर्णय के सम्मान की बात करता है लेकिन

विरोध में फैसला आ जाए तो वह राजनीति से प्रेरित।

उसमें बीजेपी का हाथ होने की बात कही जाती है।

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।


रिलाइंस इंडस्ट्री के ४० साल पूरा होने पर जश्न
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रिलाइंस इंडस्ट्रीज अपने ४० साल पूर्ण होने पर

जश्न मना रही है। यह ठीक है की भारत देश में

रिलायंस इंडस्ट्रीज़ व्यापार -रोजगार में बहुत बड़ा

मुकाम है। लेकिन क्या ही अच्छा होता की इस दिन

देश के गरीबों के लिए रिलाइंस इंडस्ट्रीज़ द्वारा कुछ

स्कूल -अस्पतालों को बनवाने की घोषणा भी करते। 

गुरुवार, 21 दिसंबर 2017

१ लाख ७६ हज़ार करोड़ -टू जी घोटाले में सभी बरी
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यूपीए 2 में कांग्रेस की सरकार के दौरान हुआ टू जी

घोटाले के निर्णय में आज सीबीआई कोर्ट ने सबूतों के

अभाव में सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया।

२००८ में टू जी में स्पेक्ट्रम की बिक्री के तरीकों से घोटाले

की आशंका उजागर हुई। कांग्रेस के मंत्री ए राजा ने

सभी नियमों को ताक पर रखकर पहले आओ -पहले पाओ

की नीति बनाते हुए स्पेक्ट्रम की बिक्री करवा दी। इसपर

सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति प्रकट की थी। कैग की रिपोर्ट

 में भी इस निर्णय को गलत बताया था।

सुप्रीमकोर्ट ने तो इस गलत बिक्री के बाद १२२ कंपनियों

के लाइसेंस ही रद्द कर दिये थे।

दरअसल २००१ के भाव पर २००८ में स्पेक्ट्रम की बिक्री की

बात ही बेमानी थी। सात सालों में स्पेक्ट्रम की कीमतों में वृध्दि

की अनुमानित कीमत कैग द्वारा एक लाख ७६ हज़ार करोड़

रूपये आंकी गई थी। जिसे कांग्रेस ने नकार दिया था। अब

२०१५ और २०१६ में बीजेपी सरकार में यही स्पेक्ट्रम लाखों

करोड़ में बेचा।

अब सीबीआई के इस निर्णय से कांग्रेस पार्टी खुश है। वहीं

दूसरी ओर बीजेपी सरकार इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती

देने की सोच रही है। 

मंगलवार, 19 दिसंबर 2017



हारी हुई जमात का रोना - EVM
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देश में evm से चुनाव कांग्रेस के समय से ही हो रहे हैं।

चुनावों में कोई भी जीता हो या हारा हो ,कभी किसी ने

evm पर सवाल नहीं उठाये।

जब से मोदीजी प्रधानमंत्री बने तब से उनकी जीत का

सिलसिला लगातार जारी क्या रहा की विपक्ष ने हताशा

में evm पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए। जैसे कहीं

बीजेपी ने evm में सेटिंग कर रही हो।

यह सब हारी हुई जमात का रोना है। दिल्ली में केजरीवाल

की पार्टी बहुमत से जीती बीजेपी बुरी तरह हारी। पंजाब

में बीजेपी हारी। उत्तरप्रदेश के निकाय चुनावो में बीजेपी

के मेयर ज्यादा जीते लेकिन पार्षद कम जीते। ऐसे ही अनेक

जगह बीजेपी को कम वोट मिले तब विपक्ष चुप रहा। किसी

ने भी evm पर सवाल नहीं उठाये। जहां बीजेपी हारी वहां

बीजेपी ने कभी evm पर सवाल नहीं उठाया।

evm खराबी का रोना सिर्फ हारी हुई जमात का रोना है। 

सोमवार, 18 दिसंबर 2017


जीत गये गुजरात - हिमाचल
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मोदीजी के नेत्तृत्व में एक बार फिर से देश के दो राज्यों

गुजरात और हिमाचल में बीजेपी को पूर्ण बहुमत से जीत

मिली।

कांग्रेस के युवराज -अध्यक्ष राहुल गाँधी के अथक प्रयासों

के बावजूद उन्हें देश भर में हार का सामना करना पड़ रहा

है। अध्यक्ष बनते ही दोनों राज्यों के चुनावो में कांग्रेस को हार

का मुँह देखना पद रहा है।

बीजेपी और कांग्रेस के नेत्तृत्व में सबसे बड़ा अंतर यह है की

मोदीजी देश को भ्र्ष्टाचार मुक्त बनाते हुए विकास की गंगा

बहा देना चाहते हैं। इसके लिए वे असूलों से समझौता नहीं

करते। सिर्फ वोट की राजनीति नहीं करते। विकास के लिए

कठिन निर्णय लेने से भी नहीं हिचकते। सबका साथ -सबका

विकास का नारा बुलंद करते हुए आगे बढ़ते हैं।

वहीं दूसरी ओर राहुल गाँधी बिना किसी ठोस नीति के दूसरों

के सहारे आगे बढ़ना चाहते हैं। जिसमे उन्हें हार ही मिलती

है। कांग्रेस के बड़े -बड़े दिग्गजों को छोड़ नये -नये ऐसे मित्र

बना लेते हैं जो उनका अहित ही करते हैं। कभी टोपी की

राजनीति तो कभी मंदिर की राजनीति उन्हें ले डूबी। राहुल

गाँधी यदि अपनी कांग्रेस पार्टी के जहाज को मजबूती से चलायें

तभी वे आगे बढ़ सकते हैं। दुसरो के कंधे पर रखकर बंदूक

चलाना उनका अहित ही कर रहा है। राहुल गाँधी को जातिवाद

की राजनीति छोड़कर विकास की राजनीति पर आगे बढ़ना चाहिए।


https://www.facebook.com/politicalpetrol?ref=hl
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शनिवार, 16 दिसंबर 2017



राहुल गांधी बन गए कांग्रेस के अध्यक्ष -बनना ही था
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देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी

आसीन हो गए -होना ही था।

अब देखना है की राहुल गांधी कांग्रेस की हालत बेहतर बनाते हैं

या कांग्रेस मुक्त भारत बनाते हैं।

कांग्रेस में बड़े नेताओं की कमी नहीं है। एक से एक दिग्गज नेता

कांग्रेस में मौजूद है। लेकिन विडंबना ही है की जो भी बड़ा नेता

गांधी परिवार के खिलाफ बोला उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया

गया।

राहुल गांधी एक हारे हुए अध्यक्ष हैं। गुजरात चुनाव के रिजल्ट

आने वाले हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस गुजरात चुनाव भी हार गई तब

क्या राहुल गांधी कांग्रेस को एकजुट कर पायेंगे ?

वैसे तो सब जानते हैं की राहुल गांधी भले ही अध्यक्ष बन गए हों

लेकिन उन्हें अधिकांश निर्णय अपनी मम्मी सोनिया गांधी से पूंछ

कर ही करने पड़ेंगे।

कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी को बहुत सी अग्नि परीक्षा

से गुजरना पड़ेगा जो आसान नहीं है। 

मंगलवार, 5 दिसंबर 2017



राम के देश में -राम मंदिर पर विवाद क्यों
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बहुत विडंबना की बात है की राम के देश में

राम मंदिर पर विवाद थमने का नाम नहीं ले

रहा है।

पिछले १०० सालों में भारत देश में सैंकड़ो हिन्दू

मंदिर तोड़ दिए गये। फिर भी हिन्दूओ ने भाई -

चारा कायम रखते हुए कभी फ़साद नहीं होने

दिया।

क्या ही अच्छा हो यदि आज मुस्लिम समुदाय भी

देश की एकता को कायम रखते हुए राम जन्म

भूमि पर राम मंदिर बनने में सहयोग करें फिर

देखे देश में एक नई  विचारधारा उनका कितना

सम्मान करेगी।

देश में एक नये प्रकार के भाई चारे का जन्म होगा

जो देश की प्रगति में सहायक होगा। आपस में

सबका सदभाव बढ़ेगा। हम आपस में लड़ तो

बहुत लिए अब मेल मिलाप की जरूरत है। 

रविवार, 26 नवंबर 2017


इतना दूध कहाँ से आ रहा है
इतनी शादियाँ हो रही हैं
भैंस भी उतनी ही हैं
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बुधवार, 15 नवंबर 2017



आलू की फैक्ट्री -उगले सोना मोती
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इतिहास में लिखी जायेंगी कांग्रेस के आका राहुल गांधी

की नई -नई खोज।

कुछ समय पहले राहुल गांधी ने कहा था की किसान

आलू की फैक्ट्री क्यों नहीं लगाते ?

अब राहुल गांधी कह रहे हैं की मै ऐसी मशीन बनाउँगा

जिसमें एक तरफ से आलू डालेंगे तो दूसरी तरफ से सोना

निकलेगा। लोगो के पास इतना धन आ जायेगा की सोचेंगे

की इतने धन का अब क्या करें ?

राहुल गांधी के मुँह में घी -शक़्कर। भगवान उनकी मुराद

पूरी करे। वे जल्दी ही ऐसी मशीन इज़ाद करे जो आलू को

सोने में बदल दे।

वैसे राहुल गांधी के इस बयान पर आ रही प्रति किर्याएँ रोचक

हैं। उनको अनेक उपाधियों से नवाज़ा जा रहा है। कांग्रेस का

सम्पूर्ण वरिष्ठ दिग्गज वर्ग इस पर चुप है। शायद उनको समझ

नहीं आ रहा है की राहुल गांधी के ऐसे -ऐसे बयानों पर क्या

जबाब दे ?

शनिवार, 11 नवंबर 2017



क्यों है बरपा -कोहरा -कोहासा -धुआँ
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सर्दी का मौसम आते ही कोहरा -कोहासा -धुँआ

छा जाता है आसमान पर।

वैसे तो यह कोई नई बात नहीं है लेकिन कुछ बातें

जरूर नई सी हैं।

प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण पर्यावरण असन्तुलन

भी बहुत बड़ा कारण है।

दूसरा सबसे बड़ा कारण है प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़

से ज्यादा नये वाहन सड़कों पर आ रहे हैं।

बड़े शहर ही नहीं बल्कि छोटे शहर -कस्बे -गावँ -देहात

जहाँ पहले इक्का -दुक्का कार दिखाई देती थी आज सभी

जगह वाहनों की कतार दिखाई देती है।

यही सब वाहन जब सड़कों पर चलते हैं तब होता है प्रदूषण।

कुछ नहीं है इसका कोई उपाय ?

बस सरकारी -गैर सरकारी स्तर पर की जाती रहेंगी बहस। 

गुरुवार, 9 नवंबर 2017



नाम सहारा -खुद हैं बे सहारा
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भारत देश के उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ

की जानी मानी हस्ती सहारा सुप्रीमों सुब्रतराय सहारा

के बारे में आज के मुख्य समाचार पत्रों में सहारा इंडिया

की ४०वीं जयंती पर पुरे -पुरे पेज के विज्ञापन प्रकाशित

किये गये। जिसमें वर्ष २०१७-१८ को सहारा संकल्प वर्ष

के रूप में मनाने की घोषणा की गई।

विज्ञापन में सहारा इंडिया परिवार से जुड़े लोगो के विचार

लिखे गए। जिसमे श्री सुब्रतराय सहारा का गुणगान किया

गया। उन्हें सबका मार्ग दर्शक -पिता समान -परम् पूज्य

आदि अनेक उपाधियों से नवाज़ कर उनके प्रति अपनी

कृतग्यता प्रगट की गई।

श्री सुब्रतराय सहारा ने सन १९७८ में २००० रूपये से कार्य

की शुरुवात कर सहारा इंडिया की स्थापना की जिसकी

आज की तारीख में चल -अचल सम्पत्ति लगभग १७३ लाख

करोड़ रूपये बताई जा रही है। साथ ही बताया गया की

लगभग ६२००० करोड़ की देनदारी भी बताई गई। साथ ही

यह उल्लेख भी किया गया की देनदारी से तीन गुना सम्पत्ति

है सहारा इंडिया के पास।

क्या विडंबना की बात है की इतना सबकुछ वैभव पाने वाले
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जेल क्यों गए और अब बेल पर क्यों हैं ?
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लाखों करोड़ो के विज्ञापन देने वाले क्यों नहीं लाखों गरीबों के

जमा करे रूपये -पैसे वापस कर रहे हैं ?

सहारा इंडिया परिवार क्यों सहारा सुप्रीमो की आरती उतार

रहा है ?

लाखों गरीबों की मेहनत की कमाई जो उन्होंने सहारा इंडिया

में लगाई अब उन्हें क्यों वापस नहीं दी जा रही है ?

सिर्फ ९००० हज़ार करोड़ रूपये लेकर विजय माल्या फरार है

और ६२००० हज़ार करोड़ देनदारी वालों की आरती उतारी जा

रही है। जबकि विजय माल्या पर बैंको का बकाया है और सहारा

सुप्रीमों पर गरीब आदमियों का बकाया है।

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। देनदारी से तीन गुना सम्पति होने के

बावजूद गरीब जनता का धन वापिस ना करना और फिर भी

अपना गुणगान कराना मानवता का गला घोंटना जैसा ही है।

अपने आप को सहारा श्री कहलवाने वाले खुद में बे सहारा

ही लगते हैं। 

मंगलवार, 7 नवंबर 2017



म से मनमोहन सिंह - म से मोदीजी
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नोटबंदी के एक साल पुरे होने पर पूर्व पीएम

मनमोहन सिंह और वर्तमान पीएम मोदीजी

के बयानों -कार्यों पर जंग छिड़ी है।

मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को बहुत बड़ी भूल

या गलती बताया बल्कि इसे लूट तक करार दे

दिया। उनकी बातों का जबाब देते हुए वित्तमंत्री

अरुण जेटली ने नोटबंदी के फायदे गिनाये।

देश के कई राज्यों में चुनावी माहौल है अतः कोई

भी नेता अपने -अपने तरीके से अपनी बात कहने

से नहीं चूक रहे। सत्ता पक्ष नोटबंदी को देशहित

में अच्छा निर्णय बताता है तो विपक्ष नोटबंदी को

बहुत बड़ा घपला -बहुत गलत कदम बता रहा है।


सबकी अपनी -अपनी बात है। मोदीजी ने देशहित में

काला धन बाहर लाने को इतना बड़ा कदम उठाया 

लेकिन हर कार्य में भ्र्ष्टाचार की आदत पाले भारतीय

इस कार्य में भी पीछे नहीं रहे। सबने अपना पुराना धन

यानि बंद हो जाने वाले नोट बदलवा लिए। इस कार्य

में अधिकांश बैंक वाले भी सहयोगी रहे। उन्होंने उनका

काला धन भी बदलवा दिया जिसे मोदीजी रोकना चाहते

थे।

कुछ भी हो लेकिन एक बात तो सभी को माननी पड़ेगी 
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की नोटबंदी से अलगाववादियों -आतंकियों की फंडिंग
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में बहुत कमी आयी है। हवाला कारोबार में बहुत कमी
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आयी है। बेहताशा खर्च में बहुत कमी आयी है। चुनावों
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में नेताओं के खर्च में बहुत कमी आयी है। अभी भी कुछ
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लोग कहते हैं की हमें नोट बदलने के समय फुरसत नहीं
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मिली थी अतः हमें नोट बदलने का एक मौका और दिया
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जाये तो इसपर आम जनता के जबाब ही पढ़ लेने चाहिये।
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लगता है की शायद कुछ नेताओं -माफियाओं के नोटों से

भरे गोदाम बिना बदले रह गये हैं। उनकी चिंता सरकार

को नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह धन जनता से लूटा गया

धन ही था ?

शुक्रवार, 3 नवंबर 2017



बुरा समय क्या -क्या करवा देता है ?
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समय बलवान होता है। इंसान के जीवन में उसके

ग्रहो अनुसार समय की अनुकूलता और प्रतिकूलता

निश्चित रहती है।

कांग्रेस के एकमात्र वर्तमान और भावी आका राहुल

गाँधी बहुत समय से समय की प्रतिकूलता झेल रहे

हैं। जब से राहुल गाँधी ने कमान संभाली है तब से

उन्हें सभी जगह लगातार हार का सामना करना पड़

रहा है।

वर्तमान में कांग्रेस के बड़े बड़े दिग्गज घर बैठे हैं और

राहुल गाँधी भरपूर जोर आजमाइश में लगे हैं। लेकिन

इसे विडंबना ही कहा जायेगा की जिन राहुल गांधी से

बड़े -बड़ो को भी मिलने का समय नहीं मिलता आज

राहुल गांधी पर हार्दिक -जिग्नेश आदि कल के छोकरे

राहुल गांधी पर भारी पद रहे हैं। अपनी शर्तो पर बात

कर रहे हैं।

सत्ता की चाहत भी न जाने क्या -क्या करवा देती है। 

बुधवार, 1 नवंबर 2017


भ्र्ष्टाचारी - बैंक अधिकारी
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किसी भी देश के विकास में बैंको का योगदान सर्वोपरि होता है।

भारत देश के आर्थिक विकास में भी बैंको की भागेदारी सर्वोपरि

ही है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है की हमारे देश में कुछ बैंको

की कार्य प्रणाली विकास की राह में रोड़ा बनी हुई है।

भारत देश पहले ही आतंकवाद -अलगाववाद -माफ़िया आदि के

कारनामों से जूझ रहा है। ऊपर से जले पर नमक छिड़कते रहते

हैं कुछ बैंक अधिकारी। यह बात अजीब सी लग सकती है की

उपरोक्त नामों के साथ बैंक अधिकारियों को जोड़ना न्यायसंगत

नहीं है। लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो आतंकवाद से भी खतरनाक

हो रही हैं।


मोदीजी ने काला धन बाहर निकालने को नोटबंदी का ऐलान किया।

लेकिन यह सफल होता अभियान बैंको के द्वारा ही विफल सा हो

गया। सभी के नोट बदले गए। सभी का काला धन बदला गया। इसमें

बैंको  भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। आम आदमी के सभी

पुराने नोट कुछ ले देकर बदले ही गए। यह बहुत बड़ी देश द्रोह जैसी

बात है।

अधिकांश बैंको द्वारा लोन के रूप में दिया जाने वाला धन बिना किसी

सुरक्षा के कुछ लेकर दे देना ही देश के साथ धोखा है। अधिकांश

सरकारी बैंक अधिकारी ऐसा धोखा कर रहे हैं। अपनी सुविधा शुल्क

 प्राप्ति के बदले कुछ बैंक अधिकारी जनता का धन फर्जी कार्यो के

लिए दे देते हैं। मोदी सरकार ने ऐसी ही लाखों फर्जी कम्पनियाँ बंद

करने के आदेश दे दिए हैं जिन्होंने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत

से लाखों करोड़ रूपये डकार लिए हैं। अब इस धनराशि को बैंक

एनपीए करार देकर बट्टे खाते में डाल देते हैं। कुछ प्राइवेट बैंक भी

इस कार्य से अछूते नहीं हैं। जबकि कुछ सरकारी बैंको ने तो हद ही

कर रखी है। जनता की भलाई के धन को ऐसे लुटाना आतंकी घटनाओं

से भी अधिक हानिकारक है।


प्रॉपर्टी के खेल में भी बैंक अधिकारियों ने बाज़ी मार रखी है। एक आम

आदमी को छोटा सा लोन लेने में ही पसीने आ जाते हैं लेकिन बड़े घरानों

माफियाओं को करोड़ो के लोन बिना पर्याप्त सुरक्षा के घर बैठे ही मिल

जाता है। एक प्रॉपर्टी पर मिलीभगत से कई कई लोन भी दे दिये जाते हैं।


ऐसी बहुत सी अनेक बातें कही सुनी जा सकती हैं। बैंको के ऐसे खेल

देश के विकास की गति में तो बाधक हैं ही साथ ही जनकल्याणकारी

योजनाओं में भी बाधक बन जाती हैं। बैंको की ऐसी करतूतें आतंकी

घटनाओं से भी ज्यादा देश के लिए घातक बन जाती हैं। सरकार की

योजनायें विफल हो जाती हैं। ऐसा होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है।


रविवार, 29 अक्तूबर 2017



कांग्रेस का हाथ -अलगाववादियों के साथ ?
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यदा -कदा नहीं बल्कि अक्सर ही कांग्रेस के बयान

देश विरोधी होते दिखाई दे रहे हैं।

राहुल गाँधी JNU में भारत के टुकड़े करने वालो के

समर्थन में खड़े दिखाई देते हैं तो मणिशंकर अय्यर

पाकिस्तान में हिंदुस्तान विरोधी भाषा बोलते दिखाई

देते हैं। आज चिदंबरम जी ने कश्मीर को आज़ाद

करने की वकालत कर दी है।

ऐसे बहुत से कथन हैं जो कांग्रेस की भारत विरोधी 

छवि की पुष्टि करते हैं। कश्मीर में आतंकी गतिविधियों

में सदैव अलगाववादियों का समर्थन रहा है। कांग्रेस

का सदैव अलगाववादियों को समर्थन रहा है। इसके

क्या मायने निकाले जायें ?

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण सोच है। इसी गलत सोच के कारण

कांग्रेस भारत मुक्त होती जा रही है। इसमें बीजेपी या

मोदीजी का कोई हाथ नहीं है। सिर्फ कांग्रेस का अपना

हाथ ही जनता को दिखाई दे रहा है। 

शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017



संजय राऊत - राहुल गांधी
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महाराष्ट्र के शेर बालाजी ठाकरे और उनकी शिवसेना

आज अपने दमखम और असूलों से भटक गई है।

सत्ता की चाहत लेकिन जनता में शिवसेना की गिरावट

उद्धव ठाकरे को परेशान कर रही है। इस परेशानी को

दूर करने की कोशिश नाकाम होने पर हताशा में अपनी

सहयोगी बीजेपी को ही यदा कदा उल्टा सीधा बोलकर

अपनी भड़ास निकाल लेते हैं उद्धव ठाकरे और उनके

प्रवक्ता आदि।

जिसप्रकार आज कांग्रेस अपने ही कारणों से देश मुक्त

होती जा रही है ,उसी प्रकार आज शिव सेना का वजूद

कम होता जा रहा है और बीजेपी का वज़ूद बढ़ता जा रहा

है। उद्धव ठाकरे इससे सीख लेने की बजाय उलटे अपने

सहयोगी दल बीजेपी को ही कोसते रहते हैं। जबकि यदि

उन्हें बीजेपी का साथ पसंद नहीं तो क्यों बीजेपी के सहयोग

से सत्ता पर आसीन हैं।

शिवसेना के संजय राऊत का यह बयान की राहुल गांधी

अब देश को चलाने के काबिल हो गये हैं बहुत हास्यापद

लगता है। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने हमेशा ही शिवसेना को

साम्पदायिक और न जाने क्या क्या कहा है। बालाजी ठाकरे

ने भी कभी कांग्रेस का सम्मान नहीं किया। अब अपने घटते

जनाधार से चिंचित उद्धव ठाकरे लगता है कांग्रेस की शरण

में जाने की सोच रहे हैं। शायद इसीलिए अब उन्हें राहुल गाँधी

योग्य दिखाई देने लग गए हैं।

अपने इस बयान की प्रतिकिर्या को ट्वीटर पर पढ़ लेना चाहिए

उद्धव ठाकरे को। पता चल जाएगा उन्हें अपने बयान की कीमत

और राहुल गाँधी की योग्यता के बारे में। पता नहीं क्यों उद्धव

ठाकरे को घोटालों से पूर्ण कांग्रेस मन को भा रही है ,जबकि

मोदीजी की बीजेपी सरकार बिना किसी आरोप और घोटालों

के विकास की गति पर आगे बढ़ रही है।


शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2017



दीपावली पर पटाखें बैन ?
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देश में कई जगह दीपावली पर पटाखों की बिक्री पर

बैन लगा दिया गया लेकिन पटाखें फोड़ने पर बैन नहीं

लगाया गया। वो शायद इसलिए की जब पटाखें बिकेंगे

नहीं तो फोड़ेंगे ही कैसे ?

लेकिन मेरा भारत महान है। भारतवासी भी महान हैं।

कोर्ट एवं सरकार की तरह ही किसी भी बात का तोड़

या जुगाड़ निकालने में माहिर है जनता। जिस राज्य में

बिक्री बंद थी उसके पड़ोसी राज्य से पटाखें ले आये

और फोड़ डाले।

दरअसल इस कहानी का पहलू ही गलत है। पटाखें

कोई अच्छी चीज तो है नहीं। फिर क्यों नहीं  पटाखें

बनाने पर ही बैन लगा देते। जिस प्रकार शराब बुरी

चीज है। देश के कुछ राज्यों में शराब पर बैन भी है।

उन राज्यों में शराब पीना मना है लेकिन यह भी हो

सकता है की उस राज्य में शराब की कोई बड़ी यूनिट

लगी हो। क्योंकि सरकार द्वारा शराब बनाने पर कोई

पाबंदी नहीं है।

सरकार ने आबकारी विभाग भी बनाया है और सरकार

ने मद्यनिषेध विभाग भी बना रखा है।समझ में नहीं आता

की यह कैसा नियम -क़ानून है ?

पटाखों से हानि ही हानि है लाभ कुछ नहीं फिर क्यों नहीं

पटाखें बनाने पर ही पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी जाये।

ऐसे दोहरे रवैये जनता के बीच आलोचना का कारण ही

बनते हैं सफल नहीं होते।


गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017



शुभ दीपावली पर सुन्दर हाइकु
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माटी दीपक
स्वदेशी दीपावली
मनायें सब
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जला दीपक
शहीदों को नमन
करते हम
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अबकी बार
दीपक जलायेंगे
गरीब घर
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दिवाली पर
दीप जले गाँव में
आ ,गाँव चले
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बुधवार, 18 अक्तूबर 2017



अयोध्या में दीपावली -राम मन्दिर हेतु
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आज उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या में

लाखों दीपक जलाकर दीपावली मनाई।

इस पर मिडिया में चर्चा शुरू हो गई की कहीं यह

राम मन्दिर की शुरुवात तो नहीं।

राम मंदिर बनने के पक्ष -विपक्ष की बहस मिडिया

में शुरू हो गई। सबके अपने -अपने तर्क। कुछ का

कहना की वहाँ मंदिर बनाया ही नहीं जा सकता।

कुछ का कहना की आपसी सहमति से मंदिर बनें।

कुछ का कहना की कोर्ट के निर्णय का सम्मान हो।

कब क्या होगा यह  भविष्य के गर्त में ही छिपा है ?


लेकिन भारतीय जनमानस के मन में राम मंदिर के

प्रति गहन आस्था है। क्योंकि यह राम जन्म भूमि है

अतः राम मंदिर यहीं बनना ही चाहिये ऐसा लोगो का

कहना भी है।

मुस्लिम समुदाय में इस संबन्ध में अलग -अलग राय

हैं। कुछ चाहते हैं की यहां मंदिर बने ,कुछ चाहते हैं

की यहां मंदिर बनना ही नहीं चाहिये।

भारत देश यानि राम के देश की यह कैसी विडंबना है

की राम जन्म भूमि पर राम मंदिर बनने में भी अड़चने

आ रही हैं। इतिहास गवाह है की मुगलों ने भारत में

आक्रमण कर हज़ारो हिन्दू एवं जैन मंदिरो को तोड़ा है।

अनेक मंदिरो को तोड़कर मस्जिदें बना दी गई हैं। अनेक

जगह आज भी ऐसे शिलालेख मौजूद हैं। दिल्ली में ही

बनी कुतुबमीनार के बाहर शिलालेख पर अंकित है की

२७ हिन्दू और जैन मंदिरो के अवशेषों से मीनार बनाई

गई।

इतिहास गवाह है की इतने मंदिरो के तोड़ने के बाद भी

आज का हिन्दू समाज मुस्लिम समुदाय से भेदभाव नहीं

करता बल्कि उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता

है। ऐसे में यदि मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक हिन्दुओं की

भावना का सम्मान करते हुए आपसी भाईचारे की मिसाल

कायम करते हुए आपसी सहमति से राम जन्म भूमि पर

राम मंदिर बनने में सहयोग करे तो देश और प्रदेश में

ऐसा सदभाव का माहौल बन जाये जिसको सभी कभी ना

भूल पाएंगे और आपसी संबंधो में भी मधुरता भर जायेगी।


मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017



आधार -गरीबी -मौत
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मिडिया में एक समाचार छाया हुआ है

झारखण्ड में आधार से लिंक न होने के

कारण लड़की  मौत ?

यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इस हादसे

और समाचार से मिडिया क्या कहना चाहता

है?इसमें आधार कार्ड दोषी है या गरीब लड़की

दोषी है या सिस्टम दोषी है।

देश में आधार कार्ड से राशन कार्ड जोड़ने पर

लगभग तीन करोड़ से भी ज्यादा राशन कार्ड

फर्जी पाये गए। गरीबों को मिलने वाला राशन

डिपो मालिक और बचौलियो के पेट में जा रहा

था। अब यदि सरकार इस मामले की गम्भीरता

को देखते हुए राशन कार्ड को आधार से जोड़ने

के लिए अनिवार्य कर दे तो इसमें कोई हर्ज की

बात नहीं है। लेकिन इसमें सिस्टम की सक्रियता

बहुत जरूरी है। अक्सर गरीब लोगो से किसी

किसी राशन डिपो वाले का व्यवहार ठीक नहीं

होता। वह उन्हें गिरावट की नज़र से देखता है।

जबकि गरीब की मदद सरकार कर रही है ना

की वह डिपो वाला।

ऐसा ही उस लड़की के साथ हुआ होगा। लड़की

का राशन कार्ड बनने -बनवाने में कुछ खामी या

लापरवाही रही होगी। कुछ भी हो यह बहुत गलत

हुआ। ऐसा नहीं होना चाहिए था। अब हम इसमें

किसे दोषी मानें ?

सवाल यह भी है की क्या हर बात में सरकार ही

दोषी होती है। हम नागरिकों का कुछ कर्तव्य नहीं

है। हर शहर में इतने मानवतावादी संगठन होते

हैं। क्या उस लड़की को कोई भी भोजन देने वाला

नहीं मिला ?ऐसे बहुत से सवाल उठते हैं।

ऐसा नहीं है ,हर शहर में मंदिर -गुरूद्वारे हैं जहाँ

भंडारा -लंगर आदि लगते हैं। शहर के गरीबों और

भिखारियों को भी ऐसी जगह का पता रहता है और

वे भोजन के समय वहाँ पहुंच जाते हैं। ऐसा भी नहीं

है की कोई भूख से मर रहा हो और किसी को दिखाई

भी न दे। आज इन्सान चाहे जैसा भी है लेकिन इतना

भी बेदर्द नहीं है की किसी को भूख से मरता देखे और

उसको खाना खिलाने का प्रयत्न भी न करें।

मिडिया को ऐसी खबरें नकारात्मक सोच के साथ नहीं

दिखानी चाहिये। कभी कभी किसी घटना या हादसे

के पीछे कुछ व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं। यह

तो ऐसा ही बात है की कोई मर रहा है और मिडिया

उससे माईक लगाकर पूछ रहा है की आपको कैसा

लग रहा है ?

अस्पताल के ईलाज में गरीब मर गया और उसे एम्बुलेंस

नहीं मिली तो मिडिया उस बात को मुख्य खबर बना

देता है। अब कोई मिडिया से यह पूछें की अमीर का

कोई अस्पताल में मर जाता है तो क्या उसे एम्बुलेंस

मिल जाती है ,कभी नहीं मिलती ?उसे अस्पताल के

बाहर खड़े एम्बुलेंस को ज्यादा किराया देकर बुलाना

पड़ता है। कुछ एम्बुलेंस वाले भी इतने राक्षस होते हैं

की मृतक के परिवार से सहानुभूति की बजाय ज्यादा

धन बसुलते हैं।

कुल मिलाकर यह बात है की हम जिस भारत में रहते हैं

वहाँ अभी ऐसी सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में हम

नागरिकों को ऐसे पीड़ितों की मदद करनी चाहिये। 

रविवार, 15 अक्तूबर 2017



धन जनता का -अधिकार नेता का
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बहुत विडंबना की बात यह है की जनता के धन को

नेता लोग अपनी जागीर समझते हैं। जो धन जनता

के काम आना चाहिये उसे अपने फ़ायदे के लिये

इस्तेमाल करते हैं।

चुनावों से पहले सभी दल जनता को लुभाने के लिए

मुफ़्त में रेवड़ियाँ बाँटना शुरू कर देते हैं और चुनाव

जीतने के बाद मुफ़्त में या बहुत कम दामों पर किसी

भी वस्तु को देने की घोषणा कर देते हैं। इस कार्य में

कोई भी दल पीछे नहीं रहता। लगभग सभी दलों का

यही हाल है।

चुनाव आयोग को इस पर कठोर कानून बनाना चाहिये।

सरकार को भी मुफ़्त में कुछ भी बांटने के एलानों पर

बंदिश लगाने के कानून पारित करवाने चाहिये। जनता

का धन जनता के काम आये लेकिन अपनी जीत के लिए

वर्ग विशेष व सबके लिए मुफ़्त बांटने की बात उचित नहीं

है। जीतने के बाद भले ही सरकार गरीब जनता के हित

के लिए सब्सिडी दे या अन्य जनहित के कार्य करे। 


शनिवार, 14 अक्तूबर 2017



सब्सिडी या फर्जीवाड़ा
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आज़ादी के ७० साल भी आज भी देश की लगभग

आधी आबादी गरीब ही है। पिछली सरकारों ने भी

गरीब को सब्सिडी दे देकर गरीब ही बने रहने दिया।

यदि सब्सिडी में दिया धन गरीबों के कल्याणकारी

योजनाओं में लगाया होता तो शायद आज देश में

इतने गरीब नहीं होते।

इस बात का दूसरा पहलू यह भी है की गरीबों को दी

जाने वाली सब्सिडी पूर्ण रूप से गरीबों को न देकर

भ्र्ष्टाचार की भेंट भी चढ़ाई गई। अब मोदीजी सरकार

में गरीबों के उत्थान के लिए सब्सिडी पर निर्भरता खत्म

कर नये नये विकास के रास्ते खोजें जा रहे हैं। सब्सिडी

का फर्जीवाड़ा भी खत्म किया जा रहा है। राशन कार्ड

को आधार कार्ड से जोड़ने से पता चला की लगभग

तीन करोड़ से अधिक राशन कार्ड फर्जी बनाये गए थे।

ऐसे ही गैस के लाखों कनेक्शन फर्जी पाये गए। देश

में चल रहे लाखों NGO फर्जी पाए गये।

अब अगर आज़ादी के बाद से इन सब फर्जीवाड़ों की

धनराशि जोड़कर देखी जाये तो आप -हम अन्दाजा भी

नहीं लगा सकते की यह कितना धन हो सकता है। यही

विडंबना देश की प्रगति में बाधक रही। पिछले ७० सालों

में देश में विकास तो हुआ लेकिन वोट बैंक और फर्जीवाडे

की राजनीति ने देश को आगे नहीं बढ़ने दिया।

अब मोदी सरकार में भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत बनाने की पूर्ण

कोशिश हो रही है साथ ही सबको रोजगार मिले इसका

प्रयास भी किया जा रहा है। दरअसल पिछले ७० साल के

गड्ढे भरने और फिर उनपर इमारत बनाने में समय तो लगेगा

ही। लेकिन देश अब आगे ही बढ़ेगा ऐसा दिखाई दे रहा है। 

गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017



आरुषि हत्याकाण्ड -राष्ट्रीय त्रासदी ?
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लगभग ९ सालों से चल रहे आरुषि हत्याकाण्ड

को मिडिया ने ऐसे दिखाया है जैसे यह कोई

राष्ट्रीय त्रासदी हो गई हो।

भारतवर्ष में रोज ही अनेकों हत्यायें -बलात्कार

होते हैं जिनका जिक्र भी नहीं होता। मिडिया के

पास जब कोई खबर नहीं होती तब अक्सर किसी

ऐसी घटना को बढ़ा चढ़ाकर दिखा देती है जैसे

वह कोई राष्ट्रीय त्रासदी जैसी घटना हो।

अब ९ साल बाद इस हादसे की सीबीआई रिपोर्ट

को हाईकोर्ट ने झुठलाते हुए आरुषि के माता पिता

राजेश तलवार -नूपुर तलवार को सन्देह का लाभ

देते हुए बरी कर दिया।

यहीं विडंबना है हमारे देश की। पुलिस की जाँच ,

कोर्ट का न्याय के बीच पीस जाता है कथित आरोपी।

अब अगर आरुषि के माता पिता दोषी नहीं तो उनके

यातनापूर्ण बीते पिछले ९ सालों को कौन लौटायेगा ?

यदि सीबीआई की जाँच प्रभावित की गई है तबतो

बहुत ही गम्भीर बात होगी। 

मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017



न्याय प्रणाली -न्याय में देरी -एक पक्षीय न्याय
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हमारे देश की न्याय प्रणाली पर जनता का पूर्ण विश्वास है।

न्याय की सटीकता छोटे -बड़े का अंतर नहीं देखती। चाहे

आम आदमी हो या बड़ा आदमी हो या कोई बहुत बड़ा नेता

ही क्यों न हो ,जैसा अपराध -वैसा दण्ड उसको मिलता ही है।

इसी कारण बाहुबली -माफ़िया भी मुक़दमा दर्ज होने से बचते

हैं। क्योंकि उन्हें पता है की एक बार उनके अपराध पर यदि

मुकदमा दर्ज हो गया तो देर से ही सही लेकिन उसका अंजाम

उसे भुगतना ही पड़ेगा।

अब बात आती है न्याय में देरी की,यह भी बहुत बड़ी विडंबना

ही है की कई बार न्याय में देरी पीड़ित पक्ष के लिए अन्याय ही

बन जाती है। घरेलू मुकदमों का फैसला जब तक आता है तब

तक पीड़ित पक्ष आर्थिक रूप से और शारीरिक रूप से निपट

ही जाता है। बाहुबली और माफ़िया के मुकदमों की जल्दी से

सुनवाई नहीं होती। तारीख़े लम्बी -लम्बी लगवा दी जाती हैं।

बहुत देरी कर कभी -कभी फाइलें ही गुम हो जाती हैं या फिर

गुम करवा दी जाती हैं। यही हाल बड़े नेताओं के आपराधिक

मुकदमों का होता है। ऐसे में आम आदमी या पीड़ित पक्ष का

विश्वास न्याय प्रणाली से उठ जाता है। वह सोचने लगता है की

धनपतियों का कुछ नहीं बिगड़ता ,जबकि आम आदमी की

गलती पर पुलिस उसे एक दम उठा भी ले जाती है और जेल

में भी डाल देती है और उसकी सुनवाई भी नहीं होती।

२१ साल बाद आतंकी टुंडा को दोषी पाया गया। उसे सज़ा

सुनाई गई। अब सोचो जरा की पिछले २१ सालों में सरकार

का कितना खर्च टुंडा पर हुआ होगा ?शायद उसकी किसी

बीमारी का लम्बा ईलाज भी चला। यह सब खर्च बच जाता

यदि जल्दी उसका फ़ैसला आ जाता। इसी प्रकार सन २००२

में गुजरात के गोधरा काण्ड का फैसला अब सुनाया गया।

२७ फरवरी २००२ को साबरमती एक्सप्रेस के एस ६ कोच

में अयोध्या से कार सेवा कर लौट रहे ५९ कर सेवकों को

जलाकर मार दिया गया था। १५ साल से ज्यादा चले मुकदमें

के फैसले में ६३ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया



२० मुज़रिमों को उम्र कैद की सज़ा मिली एवं जिन ११ दोषियों

को फाँसी की सज़ा मिली थी उसे सश्रम उम्र कैद में बदल

दिया गया। न्यायाधीश महोदय ने जो भी फैसला सुनाया वह

ठीक है लेकिन जिन परिवारों के लोग मरे उन्हें इतनी देरी

से हुआ यह फ़ैसला कितना भाया होगा इसका अंदाजा हम

सभी लगा सकते हैं। हालांकि मृतकों के परिवारों को भी

दस -दस लाख के मुआवज़े का एलान किया गया।


अब आती है बात एक पक्षीय न्याय की। सोशल मिडिया

पर इसकी बहुत चर्चा रहती है। जिसमें अक्सर त्योहारों

पर कोर्ट के फरमानों का जिक्र रहता है। देश में जातिवाद

की इन्तहा  कारण ऐसे फ़रमान दूसरे पक्ष को न्याय प्रणाली

पर हमला करने का अवसर दे देते हैं। क्योंकि अक्सर कोर्ट

के फ़रमान हिंदू त्योहारों से जुड़े होते हैं इसीलिए फ़रमान से

पीड़ित पक्ष सोशल मिडिया पर अपनी भड़ास निकालता है।

होली पर कैसा रंग हो ,दही हांड़ी कितनी ऊंचाई पर हो ,

दीवाली पर पटाखों पर पाबंदी हो आदि कुछ फ़रमान हिन्दू

जनता के मन को पीड़ित करते हैं और फिर वे न्याय प्रणाली

पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहते हैं की अन्य धर्म की

गलत बातों पर कोर्ट क्यों नहीं बोलता ?

दरअसल भारत देश की १२५ करोड़ जनता के लाखों मुक़दमें

दर्ज हैं और प्रतिदिन दर्ज हो रहे हैं। जबकि कचहरियों और

न्यायधीशों की संख्या मुक़ाबलेतन बहुत कम है। जिसका फायदा

अक्सर दोषी पक्ष ही उठता दिखाई देता है लम्बी -लम्बी तारीखें

मुकदमों की सच्चाई ही बदल देती हैं। ऐसे में कचहरियों की

संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए। न्यायधीशों के खाली पदों की

रिक्तता भरनी चाहिये।

अब एक अहम बात भारत के जनमानस की जल्दी पूरी होनी

चाहिए की राम मन्दिर विवाद पर कोर्ट का फैसला जल्दी आना

चाहिये।                                                ---    सुनील जैन राना 

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017



पुराने नोटों से बनें कलाकृतियाँ
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देश में पुराने १००० और ५०० के नोट बन्द हुए

लगभग ११ महीनें हो गये। सब जगह से नोटों की

गिनती का कार्य पूर्ण होकर रिजर्व बैंक में जमा भी

हो गये होंगे। अब इन नोटों का क्या होगा ?

इस बात पर सोशल मिडिया पर कभी कभी अटकलें

लगाई जाती रहीं हैं। इस संबन्ध में मेरी यह सोच है की

इन पुराने नोटों से कलाकृतियाँ बनाई जानी चाहयें।

सरकार को इन नोटों से विभिन्न प्रकार की कलाकृतियाँ

बनानी चाहियें जैसे अशोक की लॉट ,गांधीजी ,पटेल ,

भगतसिंह आदि की मूर्ति एवं ऐतिहासिक स्थल जैसे

लालकिला आदि अनेक स्थल ऐसे हैं जो जनमानस के

मन को भाते हैं।

ऐसा करने से सरकार को दो फायदे होंगे। पहला तो

यह की ऐसी कलाकृतियाँ खूब बिकेंगी ,सरकार को

राजस्व प्राप्त होगा। क्योंकि जनता के नोट थे इसीलिए

जनता को भी उन नोटों से लगाव तो रहेगा ही। ऐसे में

इन नोटों से बनी कलाकृतियाँ जनता के मन को खूब

भायेंगी। जनता के पुराने धन का सबसे सही सदुपयोग

यही लगता है।

यदि आप भी इस बात से सहमत हों तो सरकार को

इसके लिए अपने अपने स्तर से प्रेरित करें।

                                 निवेदक ---- सुनील जैन राना   


रविवार, 1 अक्तूबर 2017



गाँधी जी की खादी -बदल गया स्वरूप
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खादी और गाँधी 


2 अक्टूबर -गाँधी जयंती -शास्त्री जयन्ती
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इस पुनीत अवसर पर मेरे कुछ हाइकु

सत्य अहिंसा
गाँधी ने अपनाया
सफल हुए
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गाँधी की खादी
गाँधीजी का चरखा
मोदी का हुआ
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देश के लाल
शास्त्री जी को नमन
हम सबका
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जय जवान
है नारा शास्त्री जी का
जय किसान
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शनिवार, 30 सितंबर 2017



बार बार क्यों मारते हो रावण को ?
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प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष फिर एक बार

रावण के पुतले का दहन कर दिया गया।

इस कार्य में जुड़े सभी लोगो ने एक दूसरे

को बधाई दी और अगले वर्ष फिर से कैसे

रावण को नए तरीके से बनायेंगे और कैसे

नये तरीके से उसका दहन करेंगे इस सोच

के साथ विदा ली।

हम दशकों से यही देखते आ रहे हैं। लेकिन

रावण है की मरता ही नहीं। एक साल पूरा

होने से पहले ही फिर से जीवित हो उठता है।

इस साल तो एक नई बात ही सुनने -देखने में

आ रही थी की इस बार भयंकर बरसात की

वज़ह से रावण जल कर नहीं बल्कि डूबकर

मरेगा। लेकिन होनी बलवान है। रावण मरेगा

तो जलकर ही इस बात की पुष्टि आज हो गई।

समझ में नहीं आता की हम लोग कब तक ऐसे

ही रावण के पुतले बनाते रहेंगे और जलाते रहेंगे।


हम कभी भी यह क्यों नहीं सोचते हैं की हम

रावण को जलाते क्यों हैं ?चलो आज सोच भी

लिया तो पता चला की हम रावण को उसकी

बुराइयों को खत्म करने की प्रेरणा के कारण

जलाते हैं। लेकिन यह नहीं सोचते की दशकों

से रावण जलाकर भी रावण रूपी बुराइयाँ क्यों

नहीं खत्म हो रही। बल्कि यों कहिये की रावण

ने तो सिर्फ सीताजी के अपहरण का अपराध

किया था लेकिन आज तो कन्या रूपी न जाने

कितनी सीताजी का अपहरण ही नहीं बल्कि

बलात्कार तक हो रहा है।

जब तक हम अपने अंदर के रावण की बुराइयों

को नहीं खत्म करेंगे तब तक समाज में ऐसे ही

अपराधों का बोलबाला रहेगा। कभी तो हमें इस

बदलाव की ओर बढ़ना ही पड़ेगा। तब ही रावण

रूपी बुराइयाँ खत्म हो सकेंगी। रावण के पुतले

को नहीं बल्कि हम सबको अपने अंदर के रावण

को जलाना चाहिए। वही सही रूप में विजयदशमी

कहलायेगी। 


पिता -पुत्र विवाद या संवाद
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उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के मुखिया

मुलायमसिंह यादव और उन्हीं के पुत्र प्रदेश

के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मतभेद,

विवाद या अनोखे संवाद से सभी परिचित हैं।

समय बलवान होता है। एक समय था की सपा

के संस्थापक मुलायमसिंह की तूती बोलती थी।

लेकिन सत्ता की धमक में उन्हीं के पुत्र द्वारा

उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।


अब कुछ ऐसा ही बीजेपी के कद्दावर नेता एवं

पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा जी के Gst पर दिए

गए बयानों के बाद उन्ही के पुत्र जयंत सिन्हा जी

के पलटवार पर दिखाई दे रहा है। जहाँ एक ओर

बीजेपी के यशवंत सिन्हा जी बीजेपी सरकार के

आर्थिक नीतियों की धज्जियाँ उडानेमे लगे हैं वहीं

उनके पुत्र मंत्री अपने पिता का विरोध करते हुए

बीजेपी सरकार की नीतियों की सराहना में लगे

हैं।

इसीलिए कहते हैं की राजनीति में कोई किसी का

सगा या पराया नहीं होता। जैसा समय वैसी भाषा।


गुरुवार, 28 सितंबर 2017


देश में आर्थिक मोर्चे पर मन्दी
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देश भर में चर्चा चल रही है की मोदी सरकार

आर्थिक मोर्चे पर विफल रही है। पहले नोटबंदी

और अब Gst के कारण उद्योग धंधे मन्दी की

गिरफ़्त में हैं। रोजगार के मौके कम हो रहे हैं।

जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।

उपरोक्त सभी बातें लगभग ठीक ही हैं। लेकिन

सोचने की बात यह है की इन सबके लिए क्या

मोदीजी ही जिम्मेवार हैं ,हम सब नहीं ?

मोदीजी ने नोटबंदी इस लिए करी की जिससे

कालाधन पकड़ा जाए। लेकिन क्या यह सच

नहीं है की लगभग हम सभी का पुराने नोटों

में निहित कालाधन बदला नहीं गया ? क्या

बैंक वालो के द्वारा पुराने नोटों से नए नोट बदले

नहीं गए ?क्या जो गरीब लोग नोट बदलवाने के

लिए लम्बी लम्बी लाइनों में लगे थे वह नोट उन्ही

के थे या दिहाड़ी पर लगे थे ?

अब ऐसे ही Gst की बात भी ऐसी ही है। कांग्रेस

Gst ला रही थी तब बीजेपी ने अड़ंगा लगाया। अब

यही Gst बीजेपी के गले की फाँस बन गई लेकिन

क्या यह सत्य नहीं की यदि कांग्रेस Gst लाती तो

पहले साल उसे भी ऐसी ही परेशानी उठानी ही

पड़ती ?

सरकार तेल के दाम शायद इसलिए कम नहीं कर

रही की पिछली सरकारों के घाटे की भरपाई अब

दाम कम न करके कर रही हो।गैस पर से सब्सिडी

का बोझ कम करने और गरीब तक गैस पहुँचे  इस

वजह से अमीर उपभोक्ता से गैस की सब्सिडी छोड़ने

की अपील की गई।

रोजगार के मौके कम हो रहे हैं। यह बात सही प्रतीत

हो रही है। लगता है सरकार इस पर जल्दी ही सचेत

होगी। सरकारी स्तर पर भी नौकरियों के बहुत मौके

हैं। लगता है जल्दी ही सरकार भर्तियां शुरू करेगी।


इन सब बातों के आलावा यदि हम सरकार को दूसरे

नजरिये से देखें तो पिछले तीन सालों के कामकाज

में मोदी सरकार पर कोई भ्र्ष्टाचार का आरोप नहीं

है। विदेशों में भारत की छवि निखर कर आयी है।

मोदीजी का डंका पुरे विश्व में बज रहा है। पाकिस्तान

और चीन को मुँह तोड़ जबाब दिया जा रहा है। जबकि

कांग्रेस की सरकार में चीन से दबकर रहा जाता था।

मोदीजी का सबसे बड़ा मंत्र *सबका साथ सबका विकास *

के अनुसार कार्य हो रहा है। हालांकि विरोधियों को यही

बात पच नहीं रही है और विरोधी मौकों की तलाश करते

रहते हैं की कब कोई भूल हो और हल्ला मचाये।

वर्तमान की कुछ परेशानियों को कुछ समय सहन करे

तो यह निश्चित ही लगता है की भारत आने वाले समय

में एक महा शक्ति बन ही जाएगा।

                          चिन्तक   -    -   -     सुनील जैन राना 


बुधवार, 27 सितंबर 2017

बिजली चोरी 

बिजली व्यवस्था में सुधार
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मोदी सरकार में देश भर की बिजली व्यवस्था काफी सुधरी है।

बड़े शहर -छोटे शहर -कस्बे -गाँव सभी जगह बिजली की आपूर्ति

पहले से बहुत ज्यादा बढ़ी है।

पहले छोटे शहर -कस्बे -गाँव में बिजली कटौती बहुत ज्यादा होती

थी ,लेकिन अब सभी जगह पहले से बहुत ज्यादा बिजली मिल रही

है। सरकार बिजली चोरी रोकने के बहुत प्रयास कर रही है। मोदीजी

ने कहा भी है की यदि बिजली चोरी बंद हो जाए तो सभी को २४ घण्टे

बिजली मिल जाए।

बिजली बचाने का एक मुख्य तरीका यह भी हो सकता है की देश भर

में सड़को पर लगे लाखों -करोड़ो हेलोज़न यदि LED लाईट में बदल

दिए जाए तो बेहताशा बिजली बच सकती है। हालांकि सरकार इस

दिशा में कार्य कर भी रही है। दूसरी बात की सड़को पर लगे हेलोज़न

अक्सर अँधेरे से काफी पहले और प्रातः उजाला होने के काफी बाद

तक जले रहते हैं। यदि प्रतिदिन दो घंटे भी लाखों हेलोज़न ज्यादा

जलते हैं तो हिसाब लगाकर देखो की रोजाना कितनी बिजली व्यर्थ

जलती है। यह सिर्फ सरकार का ही दायित्व नहीं है बल्कि हम सभी

को अपने इलाके में लगे हेलोज़न को समय पर जलाने और समय पर

बंद करने चाहियें। 

रविवार, 24 सितंबर 2017



NGO =सेवा भावना या लूट के खाना
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देश में NGO की भरमार थी। मोदीजी के आने के बाद

कुछ कम हो गई। मोदीजी ने लगभग ३३ हज़ार NGO

में से लगभग २० हज़ार NGO पर पाबंदी लगा दी।

NGO से तातपर्य सेवा भावना से जनहित के कार्य करना

होता है लेकिन पिछले ६५ सालों में अधिकांश NGO द्वारा

सेवा कार्य हेतु प्राप्त धन स्वहित में लगाया जाने लगा। कोई

कहने सुनने वाला नहीं था। खुद भी खाओ और दुसरो को

भी खिलाओ। जिस कार्य के लिए धन मिला था उसे न करो।

देश में विदेशों से NGO के लिए बहुत मोटा धन आता था।

जो सेवा कार्य में खर्च ना होकर NGO के कर्ता धर्ताओ की

जेब में जाता था।

मोदी सरकार ने NGO की जाँच में दोषी पाए गए लगभग

२० हज़ार NGO बन्द करा दिए। बाकि के NGO भी जाँच

के घेरे में हैं। सही बात है गरीबों की भलाई के लिए मिला

धन गरीब के ही काम आना चाहिए। 

शनिवार, 23 सितंबर 2017



विभागीय सूचना -समस्या केंद्र बनें
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सरकार द्वारा अधिकांश सरकारी दफ्तरों से संबन्धित सुचना

या समस्या निवारण हेतु सोशल मिडिया यानि ट्विटर -फेसबुक

या वाट्सएप आदि पर अकॉउंट होने चाहिए। जिससे एक आम

आदमी अपनी परेशानी उस विभाग तक पहुँचा सके।

अक्सर हम सभी कहीं पर ठगे जाने या किसी के द्वारा उत्पीड़न

का शिकार हो जाने पर भी संबंधित विभाग या पुलिस चौकी जाने

से बचते हैं। जैसे पूर्व रेलवे मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने ट्विटर के द्वारा

आम आदमी की परेशानी का सम्भवतः हल निकाला था। इसी

प्रकार आम जनता से संबंधित विभागों को सोशल मिडिया पर

होना चाहिए।

कुछ बाते ऐसी हैं जैसे रेस्टोरेंट में खाने के बिल में Gst आदि

अन्य टैक्स लगे होते हैं लेकिन वह बिल असली नहीं होता। अब

यदि सेलटैक्स विभाग का अकॉउंट सोशल मिडिया पर होगा तो

उपभोक्ता बिल की फोटो सेलटैक्स के अकॉउंट पर पोस्ट कर

देता। इससे सरकार को फायदा यह होगा की फर्जी बिल बनने

बंद हो जायेंगे।

काश सरकार इसपर कुछ विचार करे। इससे उपभोक्ता को

भटकना नहीं पड़ेगा। मोबाईल के द्वारा ही शिकायत दर्ज हो

जाएगी। ऐसा सभी विभागों में हो सकता है। 

शुक्रवार, 22 सितंबर 2017


सही है यार -सही नहीं है यार
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सरकारी विज्ञापनों में म्यूचलफण्ड का विज्ञापन

अक्सर दिखाया जा रहा है जिसमे म्यूचलफंड

में निवेश को *सही है यार* सही बताया गया है।


एक गरीब आदमी को ६००० का बोनस मिला

उसने अपने दोस्त से पूछा की कहाँ निवेश करूँ ?

तब उसका दोस्त उसे बताता है की म्यूचलफंड

में आँख मीचकर निवेश कर दे। सही है यार।

यह विज्ञापन कहाँ तक उचित है। क्या उसके

दोस्त की बात ठीक है या विज्ञापन की बात ठीक

है ?यह बहुत चिंतन का विषय है। हालांकि विज्ञापन

के आखिर में म्यूचलफंड के जोखिम की बात ना

पढ़े जाने वाले शब्दों में लिखी दिखाई जाती है।


सही है यार वाली बात बिलकुल सही नहीं है।

यदि उस गरीब को कुछ ही महीने में रुपयों की

जरूरत पड़ गई तो म्यूचलफंड वाले बिना बताये

उसकी धनराशि में से १%रकम काटकर दे देंगे।

बाजार का जोखिम ऐसा है की उस गरीब के ६०००

में बढ़ोतरी हो या ना हो लेकिन जरा सा शेयर बाजार

टूटते ही उसकी धनराशि में कितनी कमी आ जाए

कुछ नहीं पता। जैसे कल तक शेयर बाजार बुलंद

था लेकिन आज निफ़्टी के १५० प्वाइंट से ज्यादा टूट

गए। जिसका खामियाजा कल को ही उपभोक्ता को

भुगतना पड़ेगा।

म्यूचलफंड के जोखिम कौन पढ़ता है कौन ठीक से

बताता है। अधिकांश ब्रोकर अपने कमीशन में लगे

रहते हैं और पूरी बात नहीं बताते। खासकर गरीब

इंसान जिसे निवेश का स्वरूप ही पता नहीं होता वह

किसी की भी बातों में फस सकता है। गरीब आदमी

के लिए तो बैंक की एफडी ही सबसे सुरक्षित निवेश

है। म्यूचलफंड का जोखिम झेलना उसके बस की

बात नहीं है।

इसलिये *सही है यार *वाला विज्ञापन सही नहीं है।






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