बुधवार, 1 नवंबर 2017


भ्र्ष्टाचारी - बैंक अधिकारी
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किसी भी देश के विकास में बैंको का योगदान सर्वोपरि होता है।

भारत देश के आर्थिक विकास में भी बैंको की भागेदारी सर्वोपरि

ही है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है की हमारे देश में कुछ बैंको

की कार्य प्रणाली विकास की राह में रोड़ा बनी हुई है।

भारत देश पहले ही आतंकवाद -अलगाववाद -माफ़िया आदि के

कारनामों से जूझ रहा है। ऊपर से जले पर नमक छिड़कते रहते

हैं कुछ बैंक अधिकारी। यह बात अजीब सी लग सकती है की

उपरोक्त नामों के साथ बैंक अधिकारियों को जोड़ना न्यायसंगत

नहीं है। लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जो आतंकवाद से भी खतरनाक

हो रही हैं।


मोदीजी ने काला धन बाहर निकालने को नोटबंदी का ऐलान किया।

लेकिन यह सफल होता अभियान बैंको के द्वारा ही विफल सा हो

गया। सभी के नोट बदले गए। सभी का काला धन बदला गया। इसमें

बैंको  भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। आम आदमी के सभी

पुराने नोट कुछ ले देकर बदले ही गए। यह बहुत बड़ी देश द्रोह जैसी

बात है।

अधिकांश बैंको द्वारा लोन के रूप में दिया जाने वाला धन बिना किसी

सुरक्षा के कुछ लेकर दे देना ही देश के साथ धोखा है। अधिकांश

सरकारी बैंक अधिकारी ऐसा धोखा कर रहे हैं। अपनी सुविधा शुल्क

 प्राप्ति के बदले कुछ बैंक अधिकारी जनता का धन फर्जी कार्यो के

लिए दे देते हैं। मोदी सरकार ने ऐसी ही लाखों फर्जी कम्पनियाँ बंद

करने के आदेश दे दिए हैं जिन्होंने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत

से लाखों करोड़ रूपये डकार लिए हैं। अब इस धनराशि को बैंक

एनपीए करार देकर बट्टे खाते में डाल देते हैं। कुछ प्राइवेट बैंक भी

इस कार्य से अछूते नहीं हैं। जबकि कुछ सरकारी बैंको ने तो हद ही

कर रखी है। जनता की भलाई के धन को ऐसे लुटाना आतंकी घटनाओं

से भी अधिक हानिकारक है।


प्रॉपर्टी के खेल में भी बैंक अधिकारियों ने बाज़ी मार रखी है। एक आम

आदमी को छोटा सा लोन लेने में ही पसीने आ जाते हैं लेकिन बड़े घरानों

माफियाओं को करोड़ो के लोन बिना पर्याप्त सुरक्षा के घर बैठे ही मिल

जाता है। एक प्रॉपर्टी पर मिलीभगत से कई कई लोन भी दे दिये जाते हैं।


ऐसी बहुत सी अनेक बातें कही सुनी जा सकती हैं। बैंको के ऐसे खेल

देश के विकास की गति में तो बाधक हैं ही साथ ही जनकल्याणकारी

योजनाओं में भी बाधक बन जाती हैं। बैंको की ऐसी करतूतें आतंकी

घटनाओं से भी ज्यादा देश के लिए घातक बन जाती हैं। सरकार की

योजनायें विफल हो जाती हैं। ऐसा होना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है।


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