म से मनमोहन सिंह - म से मोदीजी
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नोटबंदी के एक साल पुरे होने पर पूर्व पीएम
मनमोहन सिंह और वर्तमान पीएम मोदीजी
के बयानों -कार्यों पर जंग छिड़ी है।
मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को बहुत बड़ी भूल
या गलती बताया बल्कि इसे लूट तक करार दे
दिया। उनकी बातों का जबाब देते हुए वित्तमंत्री
अरुण जेटली ने नोटबंदी के फायदे गिनाये।
देश के कई राज्यों में चुनावी माहौल है अतः कोई
भी नेता अपने -अपने तरीके से अपनी बात कहने
से नहीं चूक रहे। सत्ता पक्ष नोटबंदी को देशहित
में अच्छा निर्णय बताता है तो विपक्ष नोटबंदी को
बहुत बड़ा घपला -बहुत गलत कदम बता रहा है।
सबकी अपनी -अपनी बात है। मोदीजी ने देशहित में
काला धन बाहर लाने को इतना बड़ा कदम उठाया
लेकिन हर कार्य में भ्र्ष्टाचार की आदत पाले भारतीय
इस कार्य में भी पीछे नहीं रहे। सबने अपना पुराना धन
यानि बंद हो जाने वाले नोट बदलवा लिए। इस कार्य
में अधिकांश बैंक वाले भी सहयोगी रहे। उन्होंने उनका
काला धन भी बदलवा दिया जिसे मोदीजी रोकना चाहते
थे।
कुछ भी हो लेकिन एक बात तो सभी को माननी पड़ेगी
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की नोटबंदी से अलगाववादियों -आतंकियों की फंडिंग
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में बहुत कमी आयी है। हवाला कारोबार में बहुत कमी
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आयी है। बेहताशा खर्च में बहुत कमी आयी है। चुनावों
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में नेताओं के खर्च में बहुत कमी आयी है। अभी भी कुछ
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लोग कहते हैं की हमें नोट बदलने के समय फुरसत नहीं
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मिली थी अतः हमें नोट बदलने का एक मौका और दिया
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जाये तो इसपर आम जनता के जबाब ही पढ़ लेने चाहिये।
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लगता है की शायद कुछ नेताओं -माफियाओं के नोटों से
भरे गोदाम बिना बदले रह गये हैं। उनकी चिंता सरकार
को नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह धन जनता से लूटा गया
धन ही था ?
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