सब्सिडी या फर्जीवाड़ा
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आज़ादी के ७० साल भी आज भी देश की लगभग
आधी आबादी गरीब ही है। पिछली सरकारों ने भी
गरीब को सब्सिडी दे देकर गरीब ही बने रहने दिया।
यदि सब्सिडी में दिया धन गरीबों के कल्याणकारी
योजनाओं में लगाया होता तो शायद आज देश में
इतने गरीब नहीं होते।
इस बात का दूसरा पहलू यह भी है की गरीबों को दी
जाने वाली सब्सिडी पूर्ण रूप से गरीबों को न देकर
भ्र्ष्टाचार की भेंट भी चढ़ाई गई। अब मोदीजी सरकार
में गरीबों के उत्थान के लिए सब्सिडी पर निर्भरता खत्म
कर नये नये विकास के रास्ते खोजें जा रहे हैं। सब्सिडी
का फर्जीवाड़ा भी खत्म किया जा रहा है। राशन कार्ड
को आधार कार्ड से जोड़ने से पता चला की लगभग
तीन करोड़ से अधिक राशन कार्ड फर्जी बनाये गए थे।
ऐसे ही गैस के लाखों कनेक्शन फर्जी पाये गए। देश
में चल रहे लाखों NGO फर्जी पाए गये।
अब अगर आज़ादी के बाद से इन सब फर्जीवाड़ों की
धनराशि जोड़कर देखी जाये तो आप -हम अन्दाजा भी
नहीं लगा सकते की यह कितना धन हो सकता है। यही
विडंबना देश की प्रगति में बाधक रही। पिछले ७० सालों
में देश में विकास तो हुआ लेकिन वोट बैंक और फर्जीवाडे
की राजनीति ने देश को आगे नहीं बढ़ने दिया।
अब मोदी सरकार में भ्र्ष्टाचार मुक्त भारत बनाने की पूर्ण
कोशिश हो रही है साथ ही सबको रोजगार मिले इसका
प्रयास भी किया जा रहा है। दरअसल पिछले ७० साल के
गड्ढे भरने और फिर उनपर इमारत बनाने में समय तो लगेगा
ही। लेकिन देश अब आगे ही बढ़ेगा ऐसा दिखाई दे रहा है।
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