धन जनता का -अधिकार नेता का
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बहुत विडंबना की बात यह है की जनता के धन को
नेता लोग अपनी जागीर समझते हैं। जो धन जनता
के काम आना चाहिये उसे अपने फ़ायदे के लिये
इस्तेमाल करते हैं।
चुनावों से पहले सभी दल जनता को लुभाने के लिए
मुफ़्त में रेवड़ियाँ बाँटना शुरू कर देते हैं और चुनाव
जीतने के बाद मुफ़्त में या बहुत कम दामों पर किसी
भी वस्तु को देने की घोषणा कर देते हैं। इस कार्य में
कोई भी दल पीछे नहीं रहता। लगभग सभी दलों का
यही हाल है।
चुनाव आयोग को इस पर कठोर कानून बनाना चाहिये।
सरकार को भी मुफ़्त में कुछ भी बांटने के एलानों पर
बंदिश लगाने के कानून पारित करवाने चाहिये। जनता
का धन जनता के काम आये लेकिन अपनी जीत के लिए
वर्ग विशेष व सबके लिए मुफ़्त बांटने की बात उचित नहीं
है। जीतने के बाद भले ही सरकार गरीब जनता के हित
के लिए सब्सिडी दे या अन्य जनहित के कार्य करे।
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