शनिवार, 25 मई 2024

एक प्रत्याशी, एक सीट

एक प्रत्याशी दो जगह से क्यों लड़े? भारत में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चुनाव चल रहे हैं। अंतिम दौर बाकी रह गया है जो 30 मई 2024 को पूर्ण हो जाएगा। 4 जून के सभी को बेसब्री से इंतजार रहेगा जब चुनावों के रिजल्ट आयेंगे। पक्ष- विपक्ष का आरोप- प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। सभी अपने को महान बताने में जुटे हैं। लेकिन इन सब बातों में एक अहम बात यह है की जब एक प्रत्याशी दो जगह से चुनाव लड़ता है और यदि दोनों जगह से जीत जाता है तब उसको एक जगह से अपनी जीत छोड़नी पड़ती है। ऐसे में उस सीट पर नये सिरे से चुनाव होता है। क्या इस पर पाबंदी नहीं लगनी चाहिए? प्रत्याशी जिस जगह की सीट छोड़ता है उस जगह की जनता तो बेचारी मूर्ख सी बनी रह जाती है और उसी जनता की भलाई का धन दोबारा चुनाव कराने में खर्च होता है। शासन- प्रशासन को इंतजाम नये सिरे से करने पड़ते हैं। इस सम्बंध में कानून में बदलाव होना चाहिये। जो अपनी जीती हुई सीट को छोड़े उसकी जगह दूसरे नंबर पर आये प्रत्याशी को जीत का सेहरा बांध देना चाहिए। ऐसा करने से व्यर्थ का खर्च, भागदौड़, बाजारों के अवकाश आदि सभी से मुक्ति मिल सकती है। सीट छोड़ने का खामियाजा पार्टी को होगा। यदि ऐसा सम्भव नहीं है तो जनहित में एक प्रत्याशी को एक ही सीट से चुनाव लड़ने का प्रावधान होना चाहिए। सुनील जैन राना

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