शनिवार, 13 मई 2023

आरक्षण का आधार आर्थिक हो

आरक्षण से कोई आपत्ति नहीं है ! समस्या तो यह है कि ~ जिसको आरक्षण दिया जा रहा है , वो सामान्य आदमी बन ही नहीं पा रहा है ! समय सीमा तय हो कि ~ वह सामान्य नागरिक कब तक बन जायेगा ? किसी व्यक्ति को आरक्षण दिया गया और वो किसी सरकारी नौकरी में आ गया ! अब उसका वेतन ₹25000से ₹50000 व इससे भी अधिक है , पर जब उसकी संतान हुई तो वह भी पिछडी ही पैदा हुई , और ... हो गई शुरुआत ! उसका जन्म हुआ प्राईवेट अस्पताल में ~ पालन पोषण हुआ राजसी माहोल में ~ फिर भी वह गरीब पिछड़ा और सवर्णों के अत्याचार का मारा हुआ ? उसका पिता लाखों रूपए सालाना कमा रहा है , तथा उच्च पद पर आसीन है ! सारी सरकारी सुविधाएं ले रहा है ! वो खुद जिले के ... सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ रहा है , और सरकार ... उसे पिछड़ा मान रही है ! सदियों से सवर्णों के ... अत्याचार का शिकार मान रही है ! आपको आरक्षण देना है , बिलकुल दो पर उसे नौकरी देने के बाद तो ... सामान्य बना दो ! ये गरीबी ओर पिछड़ा दलित आदमी होने का तमगा तो हटा दो ! यह आरक्षण कब तक मिलता रहेगा उसे ? इसकी भी कोई समय सीमा तय कर दो ? या कि ~ बस जाति विशेष में पैदा हो गया तो आरक्षण का हकदार हो गया , और वह कभी सामान्य नागरिक नही होगा ! दादा जी जुल्म के मारे ! बाप जुल्म का मारा ! अब ... पोता भी जुल्म का मारा ! आगे जो पैदा होगा वह भी ~ जुल्म का मारा ही पैदा होगा ! ये पहले से ही तय कर रहे हो ? वाह रे मेरे देश का दुर्भाग्य ! वाह रे महान देश ! जिस आरक्षण से उच्च पदस्थ अधिकारी , मन्त्री , प्रोफेसर , इंजीनियर, डॉक्टर भी पिछड़े ही रह जायें, गरीब ही बने रहेंगे , ऐसे असफल अभियान को तुरंत बंद कर देना चाहिए ! क्या जिस कार्य से कोई आगे न बढ़ रहा हो उसे जारी रखना मूर्खतापूर्ण कार्य नहीं है ? हम में से कोई भी आरक्षण के खिलाफ नहीं, पर आरक्षण का आधार जातिगत ना होकर आर्थिक होना चाहिए ! सबका साथ सबका विकास ~ अन्त्योदय योजना लाओ ~ अंत को सबल बनाओ ! और तत्काल प्रभाव से ... प्रमोशन में आरक्षण तो बंद होना ही चाहिए ! नैतिकता भी यही कहती है , और संविधान की मर्यादा भी ! क्या कभी ऐसा हुआ है कि ~ किसी मंदिर में प्रसाद बँट रहा हो तो एक व्यक्ति को चार बार मिल जाये ,और एक व्यक्ति लाइन में रहकर अपनी बारी का इंतजार ही करता रहेगा ? आरक्षण देना है तो उन गरीबों ,लाचारों को चुन चुन के दो जो बेचारे दो वक्त की रोटी को मोहताज हैं... चाहे वे अनपढ़ ही क्यों न हों ! चौकीदार , सफाई कर्मचारी ,सेक्युरिटी गार्ड कैसी भी नौकरी दो ! हमें कोई आपत्ति नहीं है और ना ही होगी ! ऐसे लोंगो को मुख्य धारा में लाना ... सरकार का ~ सामाजिक व नैतिक उत्तरदायित्व भी है ! परन्तु भरे पेट वालों को बार बार 56 व्यंजन परोसने की यह नीति बंद होनी ही चाहिए ! जिसे एक बार आरक्षण मिल गया , उसकी अगली पीढ़ियों को सामान्य मानना चाहिये और आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिये ! गरीब को आरक्षण मिले।

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