रविवार, 23 अप्रैल 2023

बढ़ती आबादी देश पर भारी

गर्व करें, हम 142 करोड़ हो गये? भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हो गई इस पर हम गर्व करें या चिंतन करें? विश्व का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश और सबसे बड़ा लोकतंत्र बन गया है भारत देश। आबादी में चीन को पछाड़ कर आगे तो निकल रहे हम लेकिन चीन जैसी गुणवत्ता में पिछड़ रहे हैं हम। चीन में एकछत्र राजा का शासन है जिसके कारण उनके प्रत्येक आदेश का पालन करना वहां के प्रशासन और जनता का कर्तव्य है लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था होने और जातिवाद की अधिकता होने के कारण भारत में चीन की तरह न नीतियां बन सकी न ही पालन हो सका। कृषि प्रधान देश भारत मे कृषि पर निर्भरता बहुत ज्यादा है लेकिन कृषि में आधुनिक तकनीक और गुणवत्ता की कमीं के कारण भारत का अधिकांश छोटा किसान आज भी गरीब ही हैं। शिक्षा की नीति आज़ादी के बाद से बहुत सकारात्मक न होने के कारण आज भी देश में निरक्षरता बहुत है। जो शिक्षा दी भी जा रही है वह इतनी कारगर नहीं रही की रोजगार दिला सके या रोजगार कर सके। इसी कारण देश की युवा आबादी का बहुत बड़ा वर्ग आज बेरोजगारी के चंगुल में फंसा हुआ है। हाल ही में मोदीजी ने नई शिक्षा नीति बनाई है जिसमे शिक्षा के साथ स्किल डेवलपमेंट भी होगा। लेकिन इस सब के नतीजे आने में समय लगेगा। बढ़ती आबादी योजनाओं पर भारी पड़ रही है। सभी क्षेत्रों में भरपूर कार्य तो हो रहा है लेकिन बढ़ती आबादी के कारण कार्य दिखाई नहीं दे रहे बस बेरोजगारी ज्यादा दिखाई-दर्शायी दे रही है। हालांकि कोई खाली भी दिखाई नहीं देता। मजदूरी पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है फिर भी युवा वर्ग दिशाहीन होकर परेशान है। इतनी बड़ी आबादी को सिर्फ सरकारी सहायता से ऊपर उठाना असम्भव है। इसके लिये हम सभी को शिक्षा के समय से ही रुचिनुसार भविष्य बनाना होगा। लेकिन जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही तो कितनी भी रोजगरपुरक योजनाएं बन जाएं वह भी कम पड़ जाएंगी। इसके लिये बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाना ही चाहिये। वैसे भी इस महंगाई के जमाने मे ज्यादा बच्चों का उचित तरह से लालन-पालन करना आसान नहीं है। नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा मिले, तकनीकी शिक्षा मिले ताकि नई पीढ़ी जॉब करने वाली नहीं बल्कि जॉब देने वाली पीढ़ी बनें। तभी भारत विकसित देश बन सकता है। सुनील जैन राना

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सोना