बुधवार, 5 अप्रैल 2023

क्या से क्या हो रहा?

पहले *भटूरे* को फुलाने के लिये उसमें *ENO* डालिये फिर *भटूरे* से फूले पेट को पिचकाने के लिये *ENO* पीजिये *जीवन के कुछ गूढ़ रहस्य आप कभी नहीं समझ पायेंगे* *पांचवीं* तक *स्लेट* की बत्ती को *जीभ* से चाटकर *कैल्शियम* की कमी पूरी करना हमारी स्थाई आदत थी *लेकिन* इसमें *पापबोध* भी था कि कहीं *विद्यामाता* नाराज न हो जायें ...!!!☺️ *पढ़ाई* के *तनाव* हमने *पेन्सिल* का पिछला हिस्सा चबाकर मिटाया था ...!!!😀 *पुस्तक* के बीच *पौधे की पत्ती* और *मोरपंख* रखने से हम *होशियार* हो जाएंगे ... ऐसा हमारा *दृढ विश्वास* था😀 *कपड़े* के *थैले* में *किताब-कॉपियां* जमाने का *विन्यास* हमारा *रचनात्मक कौशल* था ...!!!☺️🙏🏻 हर साल जब नई *कक्षा* के *बस्ते बंधते* तब *कॉपी किताबों* पर *जिल्द* चढ़ाना हमारे जीवन का *वार्षिक उत्सव* मानते थे ...!!!☺️ *माता - पिता* को हमारी *पढ़ाई* की कोई *फ़िक्र* नहीं थी, न हमारी *पढ़ाई* उनकी *जेब* पर *बोझा* थी ...☺️💕 *सालों साल* बीत जाते पर *माता - पिता* के *कदम* हमारे *स्कूल* में न पड़ते थे ...!!!😀 एक *दोस्त* को *साईकिल* के बिच वाले *डंडे* पर और *दूसरे* को *पीछे कैरियर* पर *बिठा* हमने कितने रास्ते *नापें* हैं, यह अब याद नहीं बस कुछ *धुंधली* सी *स्मृतियां* हैं ...!!!💕 *स्कूल* में *पिटते* हुए और *मुर्गा* बनते हमारा *ईगो* हमें कभी *परेशान* नहीं करता था दरअसल हम जानते ही नही थे कि, *ईगो* होता क्या है❓️💕 *पिटाई* हमारे *दैनिक जीवन* की *सहज सामान्य प्रक्रिया* थी😰😀 *पीटने वाला* और *पिटने वाला* दोनो *खुश* थे, *पिटने वाला* इसलिए कि हमे *कम पिटे* *पीटने वाला* इसलिए *खुश* होता था कि *हाथ साफ़* हुवा ...!!!😀 हम अपने *माता - पिता* को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना *प्यार* करते हैं, क्योंकि हमें *"आई लव यू"* कहना आता ही नहीं था ...!!! 😰😀💕 आज हम *गिरते - सम्भलते*, *संघर्ष* करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं, कुछ *मंजिल* पा गये हैं तो कुछ न जाने *कहां खो* गए हैं ...!!!😰 हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है, हमे *हकीकतों* ने *पाला* है, हम सच की दुनियां में थे ...!!! 😰 *कपड़ों* को *सिलवटों* से बचाए रखना और *रिश्तों* को *औपचारिकता* से बनाए रखना हमें कभी आया ही नहीं ... इस मामले में हम सदा *मूर्ख* ही रहे ...!!! 😰 अपना अपना *प्रारब्ध* झेलते हुए हम आज भी *ख्वाब* बुन रहे हैं, शायद *ख्वाब बुनना* ही हमें *जिन्दा* रखे है वरना जो *जीवन* हम *जीकर* आये हैं उसके सामने यह *वर्तमान* कुछ भी नहीं ...!!! 😰 हम *अच्छे* थे या *बुरे* थे पर हम सब साथ थे *काश* वो समय फिर लौट आए ...!!! 😰😰 "एक बार फिर अपने *बचपन* के *पन्नो* को पलटिये, सच में फिर से जी उठेंगे”...💕 और अंत में ... हमारे *पिताजी* के समय में *दादाजी* गाते थे ... *मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा*💕 हमारे *ज़माने* में हमने गाया ... *पापा कहते है बड़ा नाम करेगा*💕 अब *हमारे बच्चे* गा रहे हैं … *बापू सेहत के लिए ... तू तो हानिकारक है*😰😰 *सही / वास्तव* में हम *कहाँ से कहाँ* आ गए ...???😰 *एक बार मुड़ कर तो देखिये ... दोस्तों* 😊🙏

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सोना