शनिवार, 18 मार्च 2023

विदेशों में काला धन

विदेशों से धन आता-जाता कैसे है? आज की सम्पादकीय में कुछ ऐसे ज्वलंत सवाल हैं जो देश के लिये हानिकारक साबित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा अहम सवाल तो यह है की विदेशों से धन आता कैसे है और विदेशों में धन जाता कैसे है? आम आदमी और नेताओं, कॉरपोरेट के बैंकिंग नियम अलग होते हैं क्या? क्या विदेशों से लेनदेन करने वालो के इनकमटैक्स के केस नहीं होते हैं क्या? कश्मीर में आतंकी फंडिंग कैसे हो जाती है? लालू- तेजश्वी जैसे परिवार जो कुछ दशक पहले बहुत गरीब थे, जिनका आज भी कोई करोबार नहीं है लेकिन परिवार के सभी सदस्य करोड़ो पति कैसे बन गए? बहुत दुर्भाग्यपूर्ण सवाल हैं ये सब। इनके जैसे अनेको सवाल ऐसे हैं जिनका जबाब मिलना चाहिए। देश मे जब सभी लेनदेन बैंकों के द्वारा होता है और बैंक बिना आधारकार्ड, पैनकार्ड के 50 हज़ार से ज्यादा का लेनदेन नहीं करते तब ऐसे बड़े फ़र्ज़ी लेनदेन कैसे हो जाते हैं। काला धन विदेशों में जायेगा तो बैंक के जरिये, काला धन विदेशों से आयेगा तो भी बैंक के जरिये। ऐसे में बैंकों पर ऐसा अंकुश क्यों नहीं है जिससे संदिग्ध लेनदेन रोका जा सके। यदि ऐसा अंकुश है तो फिर बड़े स्तर पे काला धन कैसे आ जा रहा है? भृष्टाचारियों के भी इनकमटैक्स के केस तो होते ही होंगे। इनके सीए भी होते होंगे। तो फिर कैसे इनके खातों में करोड़ो रूपये विदेशों से आ जाते हैं या चले जाते हैं? इनके खातों को चैक करने का क्या पैमाना होता है? आम आदमी के खाते में एक लाख रुपया भी आ जाये रो उसे बताना पड़ता है की कहाँ से आया? लेकिन छोटे-बड़े ngo के खातों में करोड़ो रूपये आ जाते हैं तो क्या उनसे पूछताछ नहीं होती? देश में आतंकी फंडिंग कैसे हो रही है? ऐसे अनेको ज्वलन्त सवाल जिनका जबाब जनता को चाहिये। जब एक आम आदमी के बैंकिंग व्यवहार के लिये सभी नियम-कानून हैं तो ऐसे बड़े धन के लेनदेन में नियम-कानून बदल जाते हैं क्या? या बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो जाता है। सुनील जैन राना

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