शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

बरसात का पानी धरती में जाये -पर कैसे ?


बरसात का पानी धरती जाये - पर कैसे? https://suniljainrana.blogspot.com/
July 24, 2020 • सुनील जैन राना • जनहित
बरसात के चार महीनें देश के कुछ राज्य बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त हैं, ऐसा दशकों से होता रहा है। ऐसे में राज्य के खेत -खलिहान -सड़के -मकान -दुकान आदि सभी कुछ जलमग्न होकर व्यवस्था को तहस -नहस हो जाते हैं। इससे बचने के उपाय तो हैं लेकिन इच्छा शक्ति एवं धन की कमी के कारण योजनायें किर्यान्वत नहीं हो सकी। 
बरसात का पानी धरती में जाये पर कैसे ,इसके लिए बड़े पैमाने पर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ योजनायें बनाकर कार्य करने की जरूरत है। हिंदी पखवाड़े की तर्ज पर भूगर्भ जल सप्ताह  मनाकर बरसात का पानी धरती में नहीं भेजा जा सकता। सरकारी -गैसरकारी स्तर पर प्रत्येक नगर -शहर-कस्बे -गाँव आदि के स्कूलों ,सरकारी कार्यालयों ,अस्पतालों ,होटलों आदि में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने बहुत जरूरी हैं। इसी प्रकार खेत -बाग़ -जोहड़ -तालाब अदि में भी यह सिस्टम लगाया जाये। गली -मोहल्लो में बह रहा नालियों का पानी नालों में जाता है। यदि नालों के अंत में  यह सिस्टम लगा दिया जाये तो भी बरसात के अधिकांश पानी को बरबाद होने से बचाया जा सकता है। 
पानी का अंधाधुंध दोहन तो हो रहा लेकिन साथ ही पानी बचाने की सोच का भी दोहन हो गया है। यदि हम अभी भी सचेत नहीं हुए तो आने वाले समय में आज जहां भरपूर पानी है वहां भी पानी की किल्ल्त हो जायेगी। केंद्र /राज्य सरकारें मनरेगा का इस्तेमाल नहरें बनाने में कर नहरों के द्वारा ज्यादा पानी को कम पानी की जगह उपलब्ध करा सकती हैं। सरकार के साथ जनता में जागरूकता होनी बहुत जरूरी है। ऐसा सब हो जाये तभी बरसात का पानी धरती में जाये। तभी हमारी मातृभूमि सभी को वर्ष भर भरपूर पानी दे पायेगी।  * सुनील जैन राना *

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