शुक्रवार, 1 नवंबर 2019



बिजली का बिल माननीयों को माफ़ ?
November 1, 2019 • सुनील जैन राना
मोदी सरकार में एक अहम कार्य यह हुआ है की अब पिछली सरकारों की तरह बिजली की कटौती में भरी कमी आयी है। देश भर में सबको बिजली मिले इस कार्य को बहुत संजीदगी से पूरा किया गया है।
उत्तर प्रदेश में जहां पहली सरकारों में बिजली की किल्ल्त रहती थी वहीं अब भरपूर बिजली मिल रही है। जहां एक और सरकार का उद्देश्य यह है की सबका घर रोशन हो वहीं दूसरी ओर बिजली चोरी पर भी बड़े पैमाने पर धरपकड़ की जा रही है। राज्य के सभी छोटे -बड़े शहरों ,गाँवों में बिजली चोरी के प्रति लोगो को जागरूक कर मुफ्त में बिजली कनेक्शन देने तक की योजनाएं  कारगर रही हैं।
लेकिन जहां एक ओर आम बिजली उपभोक्ता को बिजली चोरी पर जुर्माना और कारागार की सज़ा तक सुनाई गई हैं वहीं दूसरी ओर नेता गण ,अधिकारी गण ,सरकारी महकमें ,अनेक माननीयों पर आज भी बिजली बिल के हज़ारो करोड़ बकाया होने के बाद भी उनका न तो बिजली कनेक्शन काटा गया न ही उनपर कोई जुर्माना लगाया गया। हाल ही में उत्तरप्रदेश बिजली विभाग ने बताया की लगभग १३ हज़ार करोड़ रूपये उपरोक्त उपभोक्ताओं पर बकाया हैं। अब सरकार ऐसे उपभोक्ताओं के लिये प्रीपेड मीटर लगाने की तयारी कर रही है। इसके लिए एक लाख मीटरों का ऑर्डर भी कर दिया गया है।
लेकन एक बात आम उपभोक्ता को समझ नहीं आ रही है की पहले घरों में १०० -१०० वाट के बल्ब लगे होते थे ,फिर cfl लगाये गए ,अब और ज्यादा बिजली बचत को LED बल्ब लगा दिए गए हैं लेकिन बिजली का बिल पहले से कम होने के बजाय ज्यादा क्यों आ रहा है। जितना बिल आ जाये बस उसका भुगतान करना पड़ रहा है। बिल ज्यादा आने के कारण कोई बताने वाला नहीं है। यह आम आदमी की समस्या है जिसका निराकरण बिजली विभाग को करना ही चाहिए।
सरकार ने बिजली की बचत को सड़कों पर हेलोजन की बजाय LED हेलोजन लगाने शुरू कर दिए हैं जिनसे बेहताशा बिजली की बचत हो रही है। लेकिन आज भी अनेको जगह पीली लाईट के हेलोजन भी लगाए जा रहे हैं जो गलत है। अनेको जगह भोर होते ही हेलोजन बंद नहीं हो पाते एवं शाम से पहले ही हेलोजन जला दिये जाते हैं। ऐसा होने से व्यर्थ में बिजली व्यय हो रहा है।
आम आदमी के मीटर की चैकिंग को आ रहे मीटर रीडर के हाथ में आज भी बहुत कुछ होता है। वे भले ही बिल मशीन से निकल कर देते हों लेकिन मशीन में डाटा तो वे ही भरते हैं। इस पर भी सरकार को सोचना चाहिए। यदि मीटर खराब हो जाए तो उसे बदलना सरकार का फर्ज है लेकिन सब खर्च उपभोक्ता से लिए जाते हैं यह भी ठीक नहीं है। *सुनील जैन राना *

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