रविवार, 7 मई 2017



दिल्ली का केजरी -केजरी की दिल्ली
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अन्ना हज़ारे के परम् चेले केजरीवाल ने अन्ना के विचारों का

बहुत फायदा उठाया। इतना फायदा की अन्ना के भ्र्ष्टाचार

मुक्त भारत का सपना दिखाकर दिल्ली की गद्दी कब्जा ली।

लेकिन गद्दी पर बैठना और फिर सबको साथ लेकर दिल्ली

के लिए कार्य करना आसान नहीं था। उनकी लच्छेदार बातें

दिल्ली वालो को थोड़े दिन तो अच्छी लगी लेकिन फिर उनकी

इन्ही बातो से जनता उकता गई।

केजरीवाल ने दिल्ली के विकास का धन अपने विज्ञापनों में

फूँक डाला। उनके विधायक भी कम गुरु नहीं निकले। एक

एक कर कई विधायकों पर मुकदमें कायम हैं। आज ही उनके

एक मंत्री कपिल मिश्रा ने केजरीवाल और सतेंद्र जैन पर जो

भ्र्ष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं वह यदि सत्य हैं तो तुरंत

केजरीवाल को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ?

दरअसल केजरीवाल की आप पार्टी कुछ ऐसे लोगो का समूह

है जो लोग राजनीति में आना चाहते थे लेकिन कोई पार्टी उनको

अपने दल में शीर्ष स्थान नहीं दे रही थी। अब ऐसे में इन लोगो में

अच्छे लोग भी हैं और गलत लोग भी पार्टी में घुस आये हैं।

अब केजरीवाल दिल्ली के CM पद पर 5 साल पुरे कर पाये यह

असम्भव सा ही लगता है। दिल्ली की गद्दी के बाद अन्य सभी

चुनावों में उनको हार ही मिली है। सिर्फ दूसरों पर आरोप लगाने

से अपने आप को सर्वथा नहीं बचाया जा सकता। 

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