मंगलवार, 23 मई 2017



विज्ञापन - बेबुनियाद
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टीवी पर अनेक कम्पनियों के विज्ञापन आते हैं। उनमें से कुछ विज्ञापन

तो इतने बेबुनियाद होते हैं की उन्हें बार बार देखना -झेलना ही होता है।

सीमेन्ट के विज्ञापन में अक्सर आपस में कुछ लोग लड़ते -झगड़ते दिखाते

हैं ,जिसका कोई ौचित्य नहीं है ?सीमेन्ट के एक विज्ञापन में दमदार खली

को दिखाते हैं। उसके वजन से दीवारें -छत टूट जाती हैं। पता नहीं बेचारे

ने कहाँ परवरिश पायी होगी। क्योंकि जिस घर में रहा होगा इसे तोड़ा होगा।

इतना बड़ा होने पर अब उसकी मौसी ने बताया की कौन सा सीमेन्ट घर

बनाने के लिए अच्छा है। भले ही मौसी का घर उस सीमेन्ट से न बना हो।



इसी तरह गोरेपन की क्रीम यदि वास्तव में गोरा करती तो भारत के दक्षिण

प्रदेशो में सबसे ज्यादा बिकती ?

बालों को लम्बे -मजबूत करने वाले तेल के विज्ञापन में जिस महिला को

दिखाते हैं उसने शायद ही उस तेल का इस्तेमाल किया होगा जिसका वह

विज्ञापन करती दिखाई देती है। क्योंकि उसके बाल तो बचपन से ही घने

व सुन्दर थे जब यह तेल आता भी नहीं था।

संडे हो या मंडे ,रोज खाओ अंडे। यह विज्ञापन तो शाकाहारियों के साथ

छल है। टूथपेस्ट विज्ञापनों में बड़ी -बड़ी कम्पनियाँ बताती हैं की उनके

टूथपेस्ट में नमक और नीम है ,लेकिन यह नहीं बताते की उनके टूथपेस्ट

में हड्डी का चूरा कितना है ?

यद्यपि विज्ञापनों के नियम -क़ानून हैं लेकिन लगता है साथ में सुविधाशुल्क

भी होगा ?

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