शुक्रवार, 25 अगस्त 2023

चन्द्रयान -3

मिशन चन्द्रयान-3 की कामयाबी मिशन चन्द्रयान-3 के विक्रम लेंडर का चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कामयाबी से उतरना अभूतपूर्व ऐतिहासिक क्षण था। इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा बढ़ गई है। देश- विदेश से बधाइयों के सन्देश इसरो को मिल रहे हैं। इसरो की स्थापना भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिये 1969 में विक्रम सारा भाई जैन के द्वारा की गई थी। उन्ही के नाम पर चन्द्रयान का नाम विक्रम लेंडर रखा गया। चन्द्रयान के प्रज्ञान रोवर के द्वारा चन्द्रमा पर जीवन, पानी, खनिज आदि की जानकारी एकत्र की जायेगी। चन्द्रयान-3 की सफलता से देश का मान बढ़ा है। देश के वैज्ञानिकों का मान बढ़ा है। देश की कम्पनियों के मान बढ़ा है। देश भर में चन्द्रयान-3 की कामयाबी का जश्न मनाया जा रहा है। सम्पूर्ण विश्व से चन्द्रयान-3 की सफलता के बाद बधाई के सन्देश मिल रहे हैं। सफलता के नई कहानी लिखी जा रही है। वो भी क्या समय रहा होगा जब चन्द्रयान-3 से निकलकर रोवर प्रज्ञान ने चन्द्र की धरती पर चहलकदमी करते हुए अपने पहियों से राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ की छाप छोड़ी होगी। इसरो के वैज्ञानिक इतने पर ही संतोष नहीं कर रहे। मोदीजी ने इसरो कब वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए बताया की सूर्य मिशन की तैयारियां भी तेज़ी से चल रही हैं। शीघ्र ही आदित्य एल-1 सूर्य की जानकारियां एकत्र करने के लिये छोड़ा जायेगा जो पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर जाकर अध्ययन करेगा। सूर्य के बारे में जानकारियां एकत्र करेगा। सुनील जैन राना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ध्वजारोहण

*UPSC इंटरव्यू में पूछा जाने वाला ऐसा सवाल जिसका उत्तर बहुत कम अभ्यर्थी दे पाते हैं-* स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में झंडा फहराने में क...