सोमवार, 3 अक्तूबर 2022

कांग्रेस का अध्यक्ष कौन ?

एक अदद बाहरी अध्यक्ष की तलाश देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी आज एक अदद बाहरी अध्यक्ष की तलाश में जुटी है। अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो गांधी परिवार के इशारों पर कार्य कर सके। वरना वह भी कांग्रेस के अंतिम बाहरी अध्यक्ष श्री सीता राम केसरी के समतुल्य अध्यक्ष पद के अधिकार से बर्खास्त किया जा सकता है। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद ग्रहण करने से इंकार के बाद राहुल गांधी तो अपनी जोड़ो-तोड़ो यात्रा में मग्न हैं। गरीबो को गले लगा-लगा कर सहानुभूति प्राप्त कर रहे हैं। काश आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस ने गरीबो का दर्द समझा होता तो आज यह दिन न देखना पड़ता। खैर अब लगता है की कुल मिलाकर अध्यक्ष पद की दौड़ में तो सिर्फ गांधी परिवार के चहेते मल्लिकार्जुन खड़गे ही हैं वैसे शशि थरूर का भी नाम लिया जा रहा है जिससे चुनाव सार्थक लगे। समय बलवान होता ही है। विनाशकाले बुध्दि विपरीत हो ही जाती है। यह सब अशोक गहलोत को तुजुर्बा हो ही गया होगा। बेचारे कांग्रेस अध्यक्ष पद से तो गए ही अब राजस्थान के सीएम पद का भी टोटा हो रहा है। सत्ता का नशा सारी ईमानदारी और ताबेदारी को खत्म कर देता है। अब शायद राजस्थान में यही होने वाला है। गांधी परिवार की पसंद है सचिन पायलट लेकिन जनाधार गहलोत के पास बहुतायत में है। यदि गांधी परिवार ने गहलोत को सीएम न बनाया तो सारी वफादारी एक तरफ रख हो सकता है की गहलोत विरोध में कमर कस लें। अब राहुल की युवा कांग्रेस के सपने को तोड़ बुजुर्ग खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर तो विराजमान होंगे लेकिन उन्हें गांधी परिवार के इशारों पर ही कार्य करना पड़ेगा। वरना वे भी श्री सीता राम केसरी जी के समान व्यवहार के कारण बन सकते हैं। आलाकमान संस्क्रति कांग्रेस परिवार की राजशाही आदत रही है। वैसे तो अन्य दलों बसपा-सपा से लेकर अनेक क्षेत्रीय दलों में भी सुप्रीमो जैसी संस्कृति पाई जाती है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के एकतरफा चुनावों में दिग्विजय की चतुरता, शशि थरूर की युवा आवाज़ को दरकिनारे कर अब छोटे दल के बुजुर्ग सहनशील ,आज्ञाकारी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे जी की ताजपोशी होने का इंतजार है। लेकिन कांग्रेसी चाहते हैं की अब राहुल गांधी- पिर्यंका गांधी भी परिपक्व होने चाहिये ताकि कांग्रेस का भविष्य सकारात्मक हो सके। सुनील जैन राना

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