सोमवार, 2 मई 2022

कोयले की कमी का खेल

भारत मे सबसे अधिक कोयला झारखंड, छत्तीसगढ़, प० बंगाल, ओडिशा में होता है, सभी जगह पर गैर-भाजपाई सरकारें हैं। वोट के लालच में फ्री बिजली देने वाले राज्य- दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, तीनों गैर-भाजपाई शासित। कोयले की कमी की नौटंकी की जानकारी कई माह पहले से थी, आप यकीन नही करेंगे पर ये भी टूलकिट का ही हिस्सा है, सरकार विरोधी माहौल बनाने के लिए। जब सारे पैंतरे आजमाकर हार गए हैं तो कुछ नई योजनाओं पर काम शुरू हुआ है, जिनमें दंगे भड़काना और मूलभूत आवश्यकताओं की कमी कर के ठीकरा सरकार पर फोड़ना। दंगे भड़कने से कोर वोटर भाजपा से दूर होगा, जैसा वोटर का स्वभाव है और मूलभूत आवश्यकताओं की कमी पर नया वोटर जो जुड़ा है वो दूर होगा। अब आते हैं कोयले पर, तो ये बात सभी को मालूम है कि गर्मियों में बिजली की खपत काफी बढ़ जाती है, ऐसे में बिजली की कमी होना या कटौती होना बड़ी बात नही है, आज से 10-15 वर्ष पहले तक हमने राजधानी में 15 से 20 घंटे की कटौती झेली जो, जो पिछले 5-7 वर्षों से देखने को नही मिली है। अभी भी महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों का बिजली कंपनियों पर लाखों करोड़ बकाया पड़ा है, महाराष्ट्र सरकार तो सुप्रीम कोर्ट में केस तक हार चुकी है और उसे भुगतान करना ही करना है, उसके बाद भी ये लोग बिजली खर्च कर रहे है और पेमेंट नही कर रहे हैं। नई नौटंकी ये आयी है कि पावर प्लांट में कोयले की कमी करो, हाल ही में 2-3 कोयले से भरी मालगाड़ी पलट चुकी हैं, जो विद्युत उत्पादन के लिए उपयोग होने वाले कोयले को ही ले जा रही थी। हो सकता है कि ये हादसे ही हों, पर ये भी हो सकता है कि ये हादसे करवाये गये हों, क्योंकि डेडिकेट फ्रेट कॉरिडोर पर गाड़ी पलटना अपने आप मे कई प्रश्न खड़े करता है। ये सब इसीलिए किया जा रहा है कि किसी तरह तो लोगों का मोदी सरकार से मोहभंग हो, किसी तरह तो वे उनसे दूर हों और 2024 को लेकर थोड़ी उम्मीद दिखाई दे। पर विपक्ष के लिए ऐसा होगा नही, सभी बाधाओं को पार किया जाएगा, बिजली की आर्टिफिशियल समस्या उत्पन्न करने की जो प्लानिंग हो रही है न वह भी सफल नही होगी। एक बार कोयले को ऑक्सीजन समझो और अप्रैल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर याद करो। सारा खेल समझ में आ जायेगा। जनता अब सब कुछ समझती है, ये 10 वर्ष पहले वाला भारत नही है अब..!!

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सोना