शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

आवारा कुत्तो का आतंक ,लेकिन नसबंदी ?

सहारनपुर नगर एवं आस पास के क्षेत्रों में आवारा कुत्तो ने आतंक मचा रखा है.शायद भोजन न मिलने के कारण कुत्ते इंसानो पर हमला कर रहे हैं.वहीं दूसरी ओर गली मोहल्लो में रातभर भौकं -भौंक कर लोगो को चैन से सोने नहीं देते। यह स्तिथी प्रदेश के अनेक शहरों भी है जिसको देखते हुए शासन के निर्देशानुसार नगरनिगम सहारनपुर द्वारा बेहट रोड पर animal birth control centre का निर्माण कराया जा रहा है। जिसके निर्माण के बाद नगरनिगम द्वारा कुत्तो को पकड़कर नसबंदी अभियान चलाया जाएगा और उक्त सेंटर में रखकर उनके खाने -पीने की व्यवस्था का प्रयास किया जाएगा। इस विषय में मैं सुनील जैन राना जीव दया के कार्यो में अग्रणी संस्था श्री दया सिंधु जीव रक्षा केंद्र.चिलकाना रोड,सहारनपुर का संयोजक होने के नाते यह कहना चाहता हूँ की नगरनिगम द्वारा कुछ वर्ष पहले भी कुत्तो की नसबंदी का अभियान चलाकर सैंकड़ो कुत्तो की नसबंदी कर लाखों रूपये खर्च के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों रही थी। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी रही की कुत्तो की नसबंदी में कुछ कुतो के अंग ही काट दिए गए थे। इसका पता हमें तब चला जब हम जनवरी माह में पशु पक्षी कल्याण पखवाड़े के दौरान कुत्तो को दूध पिलाने ब्रेड खिलाने और घायल कुत्तो का उपचार करने के चल शिविर में कुत्तो को दूध पिला रहे थे। तब कुछ कुत्तो के पिछले अंग कटे देखकर हमने स्थानीय लोगो से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया की कुछ समय पहले नगरनिगम वाले इन्हे पकड़कर ले गए थे बाद में छोड़ गए थे,यह घटना खत्ताखेड़ी की है। अब हम यह चाहते हैं की नसबंदी के कार्य में परिवर्तन किया जाये। नगर व आसपास के क्षेत्रों में कुत्तो की संख्या के मुकाबले में फीमेल डॉग यानि कुतिया की संख्या एक चौथाई से भी कम है,ऐसे में नसबंदी कुत्तोकी न कर कुतिया की की जाए। ऐसा करने से कम खर्च और कम परिश्रम में ज्यादा ज्यादा लाभ मिल सकेगा। द्वितीय बात यह भी है की यदि छोटी उम्र में ही कुतिया की पहचान कर नसबंदी की प्रकिर्या अपनायी जाए तो इसमें परिश्रम भी कम लगेगा एवं सुविधा भी ज्यादा रहेगी। मेरा प्रशासन से अनुरोध है की मेरे इस सुझाव पर विचार करें यदि ठीक लगे तो जनहित में इसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश करें। *सुनील जैन राना *

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें